मर्डर एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत अंतरराष्ट्रीय एनजीओ 'फ्री ए गर्ल इंडिया' की अंबेसडर हैं। यह संस्था मानव तस्करी और बच्चों के कमर्शियल यौन
शोषण के खिलाफ लड़ता हैं। इसी क्रम में ७१वें कान फिल्म फेस्टिवल २०१८ में जबरदस्ती बाल वेश्यावृत्ति जैसे भयानक अपराध पर जागरूकता फैलाने
का काम किया जा रहा है। फ्री ए गर्ल्स लॉक-मी-अप अभियान के हिस्से के रूप में, मल्लिका ने इस मुद्दे पर दुनिया का ध्यान
खींचने के लिए कान्स में १२*८ फीट छोटे पिंजरे में खुद को बंद कर लिया।
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मल्लिका 'फ्री ए गर्ल' एनजीओ के साथ मजबूती से सहयोग करने के लिए
जानी जाती है। उन्होंने पिछले साल भी कान्स में इसका प्रतिनिधित्व किया था। मल्लिका वर्षों से परोपकारी गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए जानी जाती है। इस बार उन्होंने इस क्रूर अपराध को खत्म करने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने का
वचन दिया है।
मल्लिका कहती
हैं, "कांस में ये मेरा नौवां वर्ष है और यह
फेस्टिवल भारत में ही नहीं,
बल्कि दुनिया
भर में बाल वेश्यावृत्ति के मुद्दे को उठाने के लिए सबसे सफल मंचों में से एक है। एक पिंजरे में बंद हो कर मैं इस बात की कल्पना करना चाहती थी कि कैसे युवा
लड़कियों की तस्करी की जा रही हैं और कैसे वे १२*८ फुट के कमरे में फंस गई हैं। इन निर्दोष पीड़ितों को बिना किसी
सहायता के जीना पडता है। किसी भी बदलाव की उम्मीद के बिना एक महिला को हर मिनट
दुर्व्यवहार का सामना करना पडता है। तो मैंने अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने और
इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने का निर्णय
लिया। ये ऐसा मुद्दा है,
जिस पर जल्द
से जल्द खत्म किए जाने की जरूरत है।"
अभिनेत्री 'स्कूल फॉर जस्टिस' की भी ब्रांड एंबेसडर है और महिलाओं के
अधिकारों पर वो एक मजबूत दृष्टिकोण साझा करती है. मल्लिका संयुक्त राष्ट्र और
एनजीओ 'उर्जा' से भी जुडी हुई है। इसी के तहत, मल्लिका ने भारत में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को
ले कर २०१४ में ६५वें यूनाइटेड नेशंस डीपीआई/एनजीओ कांफ्रेंस को संबोधित किया था।
इस अभियान के
साथ, मल्लिका भारत में स्कूल फॉर जस्टिस को
समर्थन करने का इरादा रखती है। मल्लिका भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्ती
बाल वेश्यावृत्ति की समस्या को खत्म करने के लिए एक बदलाव लाने के लिए काम कर रही
है।
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