Saturday 31 October 2015

गायकों के पहले गीत

इरोसनाउ ने एल्बम 'आगाज़' के अंतर्गत हिंदी फिल्मों के १० गायक गायिकाओं के गाये पहले गीतों को संकलित किया है।  इस एल्बम के गीतों के फर्स्ट होने की खोज में कुछ तथ्य सामने आये हैं।  जिन्हे आपके सामने गायकवार रख रहा हूँ - 
तलत महमूद का गाया पहला गीत !
तलत महमूद का गाया पहला गीत १९५० में रिलीज़ 'आरजू' फिल्म का 'ऐ दिल मुझे ऎसी जगह ले चल' बताया है। इस फिल्म में दिलीप कुमार, कामिनी कौशल, शशिकला, कुकु और राम शास्त्री ने अभिनय किया था। शाहिद लतीफ़ के निर्देशन में इस फिल्म के संगीतकार अनिल बिस्वास थे।  यह अपने समय का काफी लोकप्रिय गीत था।  लेकिन, काफी लोग इसे तलत महमूद का पहला गाया गीत नहीं मानते।  दावा यह किया जाता है कि इसी साल रिलीज़ फिल्म 'जोगन' का 'सुंदरता के सभी पुजारी' तलत महमूद का गाया पहला गीत था। इस गीत को बुलो सी रानी ने संगीतबद्ध किया था। आरज़ू भी दिलीप कुमार की फिल्म थी।  निर्देशक केदार नाथ शर्मा की इस फिल्म में दिलीप कुमार की नायिका नर्गिस थी और राजेंद्र कुमार ने फिल्म से डेब्यू किया था। एक दूसरा दावा यह है कि तलत महमूद ने अपने कलकत्ता प्रवास के दौरान कानन देवी के संगीत निर्देशन में राजलक्ष्मी (१९४५) फिल्म के लिए दो गीत 'जागो मुसाफिर जागो खोलो मन का द्वार' और 'तू सुन ले मतवाले' गाये थे।  वैसे अगर नॉन फिल्म सांग की बात करें तो तलत महमूद एचएमवी के लिए १९४१ में ही एक गीत 'सब दिन एक समान, बन जाऊंगा क्या से क्या मैं, इसका तो कुछ ध्यान नहीं था' गा चुके थे।  
मुकेश का गाया पहला गीत !
इसी प्रकार से इरोस ने फिल्म 'निर्दोष' के गीत 'दिल ही हो बुझा हुआ तो' को मुकेश का गाया पहला गीत बताया है। यह फिल्म १९४१ में रिलीज़ हुई थी। वीरेंदर देसाई निर्देशित इस फिल्म का संगीत अशोक घोष ने दिया था।  फिल्म में मुकेश ने नलिनी जयवंत, कन्हैया लाल और आगा के साथ मुख्य भूमिका भी की थी। यह उनकी पहली बतौर एक्टर और सिंगर फिल्म थी। लेकिन, इस दावे को इस बिना पर खारिज किया जाता है कि संगीतकार बुलो सी रानी खुद के द्वारा संगीतबद्ध फिल्म 'मूर्ती' के 'बदरिया बरस गई' गीत को मुकेश का गाया पहला हिंदी गीत बताते थे ।  ऐसा मनाने वाले लोगों की भी कमी नहीं, जो  फिल्म पहली नज़र (१९४५) के गीत 'दिल जलता है तो जलने दो को मुकेश का गाया पहला गीत मानते हैं।  परन्तु यह गीत उनका पहला हिट गीत था। 
मोहम्मद रफ़ी का पहला गीत 
इरोस ने १९४४ में रिलीज़ फिल्म 'पहले आप' के 'हिंदुस्तान के हम हैं हिंदुस्तान हमारा' को मोहम्मद रफ़ी का गाया पहला गाया गीत बताया है।  इस गीत के संगीतकार नौशाद अली हैं। इस गीत को रफ़ी साहब का पहला गीत बताने को लेकर भी विवाद है।  यह नौशाद अली के साथ रफ़ी का पहला गीत ज़रूर है।  लेकिन, उनका पहला रिकॉर्ड गीत श्याम सुन्दर के संगीत निर्देशन में १९४५  में रिलीज़ फिल्म 'विलेज गर्ल' का जी एम दुर्रानी के साथ गाया दोगाना 'अजी दिल हो काबू में तो दिलदार की ऐसी तैसी' है।  इस फिल्म में नूरजहाँ, दुर्गा खोटे और प्रेम अदीब की मुख्य भूमिका थी।  


अब टफ हो रही है बॉलीवुड फिल्मों की नायिका

आजकल अमेरिका के एबीसी नेटवर्क पर एफबीआई के ट्रेनीज पर सीरियल 'क्वांटिको' चल रहा है।  फिलहाल, इस सीरियल में कहानी प्रियंका चोपड़ा के इर्दगिर्द घूम रही है। ऍफ़बीआई के वास्तविक ट्रेनिंग सेंटर 'क़्वान्टिको' में रंगरूटों की ट्रेनिंग काफी कड़ी और तनावपूर्ण होती है। प्रियंका चोपड़ा सीरियल में एक ऐसे ही रंगरूट अलेक्स परिश का किरदार कर रही हैं, जिसे मज़बूत और कठोर जिस्म एफबीआई एजेंट बनना है। इसलिए सीरियल में उनकी ट्रेनिंग भी काफी टफ है। प्रियंका चोपड़ा अपनी आगामी कुछ फिल्मों में बॉलीवुड की नाज़ुक बदन रोमांटिक नायिका से अलग टफ जॉब करती नज़र आएंगी । वही क्या, बॉलीवुड की कई रोमांटिक नायिकाएं टफ जॉब कर रही होंगी। साफ़ तौर पर, अब बॉलीवुड की अभिनेत्रियों का खूबसूरत, कोमल और सेक्सी दिखने से काम नहीं चलेगा।  उन्हें कुछ रफ़ और कुछ टफ करना है। कई  अभिनेत्रियों ने पहले भी ऐसा किया और आगे की फिल्मों में भी करने जा रही हैं। 
बॉलीवुड की रफ़-टफ नायिका 
क्वांटिको की प्रियंका चोपड़ा, बॉलीवुड एक ऎसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने सेक्सी फिगर और इमेज के बावजूद हट कर फ़िल्में करने की कोशिश की।  अब चाहे वह मधुर भंडारकर की बोल्ड फिल्म 'फैशन' हो या विशाल भरद्वाज की मराठी नायिका वाली फिल्म 'कमीने' या फिर विशाल भरद्वाज की ही '७ खून माफ़' और अनुराग बासु की फिल्म 'बर्फी', प्रियंका चोपड़ा अपनी हमेशा इमेज से अलग नज़र आई।  ओमंग कुमार की फिल्म 'मैरी कॉम' में ओलंपिक्स की एथलीट मैरी कॉम का किरदार जीवंत करना प्रियंका चोपड़ा के बस की ही बात थी। वह एक बॉक्सर की मज़बूती के लिए ज़रूरी ट्रेनिंग लेती हुई दिखाई जा रही थी। प्रियंका चोपड़ा ने उस समय कमाल कर दिखाया था, जब गोल्डी बहल की सुपर हीरो फिल्म 'द्रोणा' में अभिषेक बच्चन की बॉडीगार्ड सोनिया के किरदार में उन्होंने सिख योद्धाओं के अस्त्र गटका को चला कर दिखाया। दीपिका पादुकोण ने भी फिल्म 'चांदनी चौक टू चाइना' में अपने किरदार के लिए जापानी मार्शल आर्ट जुजित्सु की छह माह तक कड़ी ट्रेनिंग ली।  उन्होंने हांगकांग में ट्रेनर से केबल और वायर पर चढ़ना तथा तलवार चलाना सीखा । वैसे, दीपिका पादुकोण से काफी पहले ऐश्वर्या राय बच्चन फिल्म 'जोधा अकबर' में जोधा के किरदार में ह्रितिक रोशन के साथ तलवारबाजी के जौहर दिखा चुकी हैं।  इस फिल्म के लिए ऐश्वर्या ने दो महीने तक कड़ी ट्रेनिंग ली थी। फिल्म 'रावण' में तो उनके स्टंट देख कर कलेजा मुंह को आता था।  कटरीना कैफ ने धूम ३ के लिए पिलेट्ज़  सिस्टम के ज़रिये खुद को एक जिमनास्ट के किरदार के लिए फिट किया। जिमनास्टिक की ट्रेनिंग भी ली। कटरीना कैफ ने एक था टाइगर और फैंटम के लिए कार्डिओ और वेट ट्रेनिंग ली। ऊंची ईमारत से कूदने और गलियों-सडकों में तेज़ भागने का अभ्यास किया। माधुरी दीक्षित को इंडस्ट्री की सबसे ट्रेंड एक्ट्रेस कही जा सकती हैं।  उन्होंने फिल्म गुलाब गैंग के लिए चीन की शाओलिन कुंग फु, पेकिटी-तिरसिआ काली और शाओलिन चिन ना की ट्रेनिंग ली।  लाठी भांजने के लिए शाओलिन जॉइंट लॉकिंग और कलि नाइफ की भी ट्रेनिंग ली।  फिल्म रेस २ के लिए जैक्विलिन फर्नांडीज़ ने एक्शन डायरेक्टर पीटर हैंस चाकू के साथ तलवार चलाने की ट्रेनिंग ली थी। 
और तलवार भी भांजेंगी की नाज़ुक कलाइयां 
'बाजीराव मस्तानी' में प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण एक साथ हैं।  फिल्म में प्रियंका चोपड़ा बाजीराव की पत्नी काशीबाई के किरदार में हैं, तो दीपिका पादुकोण एक नर्तकी मस्तानी का किरदार कर रही हैं।  यह एक मुग़ल नर्तकी का किरदार है, जिससे मराठा पेशवा बाजीराव प्रेम करने लगता है।  लेकिन, 'बाजीराव मस्तानी' की मस्तानी दीपिका पादुकोण केवल नृत्य और रोमांस ही नहीं कर रही।  वह तीर तलवार भी चला रही हैं।  इसके लिए उन्होंने बाकायदा ट्रेनिंग ली है।  भारी जिरह  बख्तर पहन कर खुद को टफ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं दीपिका पादुकोण। प्रियंका चोपड़ा भी कहाँ पीछे हैं। वह परदे के पीछे पत्नी धर्म नहीं निभा रही। दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही संजयलीला भंसाली की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' में बाजीराव की पत्नी काशीबाई के किरदार में वह तलवार चलाते दिखाई देंगी ।  प्रकाश झा की फिल्म 'जय गंगाजल' में वह एक टफ पुलिस अफसर का किरदार कर रही हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा टफ फिजिकल ट्रेनिंग भी ली है। ज़ाहिर है कि फिल्म में हैरतअंगेज एक्शन तो होंगे ही।  
घोड़े पर सवार नायिका

बॉलीवुड में कंगना रनौत घुड़सवारी सीख रही हैं। विशाल भरद्वाज की दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'रंगून' में उनका किरदार ही ऐसा है, जिसे घुड़सवारी करनी है। वह केतन मेहता की आगामी ऐतिहासिक फिल्म में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई का किरदार करेंगी। इस किरदार के लिए तो उन्हें  घुड़सवारी के अलावा तलवार चलना भी सीखना होगा।  फिल्म की कहानी के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई अपने बच्चे को पीठ पर बांड कर, एक हाथ घोड़े की रास पकड़ कर तलवार चलाती हैं।  कंगना रनौत को इस सीन को करने के लिए खुद को काफी ट्रेंड करना होगा।  जहाँ तक घोड़ा चलाने का सवाल है विकास बहल की फिल्म 'शानदार' में आलिया भट्ट ने भी इसके लिए उन्होंने घोडा चलाने की बाकायदा ट्रेनिंग ली है।  
किक बॉक्सिंग भी
बॉलीवुड अभिनेत्री किक बॉक्सिंग में भी ज़ोर आजमा रही हैं।  इसकी शुरुआत अभिनेत्री कंगना रनौत ने राकेश रोशन की फिल्म 'कृष ३' के काया के रोल से कर दी थी।  इस फिल्म के लिए उन्होंने किक बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ली थी।  उन्ही की तरह अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा भी फिल्म 'फ़ोर्स २' में एक रॉ एजेंट के किरदार में किक बॉक्सिंग के एक्शन दिखाती नज़र आएंगी।  वह अकीरा में भी हैरतअंगेज एक्शन कर रही हैं।  इसके लिए उन्होंने बाकायदा ट्रेनिंग ली है।
एक्शन करने में बॉलीवुड एक्ट्रेस अपने मेल काउंटरपार्ट पर भारी पड़ने जा रही है।  इसका नज़ारा हालिया रिलीज़ निर्देशक प्रभुदेवा की फिल्म 'सिंह इज़ ब्लिंग' में देखने को मिला।  इस फिल्म में एमी जैक्सन ने मार्शल आर्ट्स के चकित कर देने वाले एक्शन आसानी से किये हैं।  एमी जैक्सन के इस कारनामे को देख कर सिनेमाघरों में बैठे दर्शक सीटियां और तालियां  बजा कर एमी जैक्सन की तारीफ करते हैं।  वह अपने मार्शल आर्ट्स एक्शन के कारण अक्षय कुमार पर भारी पड़ती हैं।  अभिनेत्री जैक्विलिन फर्नांडीज़ ने रोहित धवन की फिल्म 'ढिशूम' में अपने किरदार को ढंग से करने के लिए अक्षय कुमार के मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग स्कूल मे दाखिला ले रखा है।  पिछले दिनों, नर्गिस फाखरी भी अपनी एक आगामी बॉलीवुड फिल्म के लिए फुकेट में मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग के लिए १२ दिनों तक रही।


नवम्बर बॉर्न बॉलीवुड स्टार्लेट्स

बॉलीवुड को एहसानमंद होना चाहिए कैलेंडर के नवंबर महीने का।  नवंबर ने बॉलीवुड को अच्छा बिज़नेस करने वाला त्योहारी माहौल दिया ही है।  खूबसूरत, सेक्सी और प्रतिभाशाली चेहरे भी दिए हैं।  इन चेहरों ने बॉलीवुड फिल्मों में आकर बॉलीवुड को ग्लैमर के साथ मान- सम्मान भी दिलवाया।  यह चेहरे देश के किसी कोने से भी आये और विदेशी ज़मीन से भी।  लेकिन, इनका एक ही मक़सद था बॉलीवुड की फिल्मों में अपने हुस्न का जलवा बिखेरना और अपनी अभिनय प्रतिभा का कायल करवाना ।  ऎसी तमाम अभिनेत्रियों ने नायिका के कद को नायक के आसपास रखने की भरपूर कोशिश की ।
भारत सुंदरियाँ/विश्व सुंदरियाँ
१९९४ में भारत ने दुनिया की श्रेष्ठ सुंदरियों की प्रतियोगिता में पहले दो टाइटल जीते तो भारतीय प्रतिभागी सुष्मिता सेन और ऐश्वर्या राय की 'ब्यूटी विथ ब्रेन' के कारण।  सुष्मिता सेन ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता तो ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड बनी। सुष्मिता सेन १९७५ में १९ नवंबर को पैदा हुई थी और ऐश्वर्य राय १ नवंबर १९७३ को।  इन दोनों अभिनेत्रियों ने बॉलीवुड में धमाकेदार शुरुआत की।  लेकिन, सुष्मिता सेन से बहुत ज़्यादा सफल हुई ऐश्वर्या राय बच्चन। लेकिन,  एक समय इन दोनों सुंदरियों ने अपनी खूबसूरती का डंका बजा दिया था। ओ पी रल्हन की फिल्म हंगामा से फिल्म डेब्यू करने वाली  मिस एशिया की थर्ड रनर अप और मिस एशिया पसिफ़िक ज़ीनत अमान ने 'हरे रामा हरे कृष्णा ' फिल्म में देव आनंद की बहन की भूमिका से धूम मचा दी।  इसके बाद ज़ीनत ने 'धुंध', यादों की बरात, हीरा पन्ना, मनोरंजन, रोटी कपड़ा और मकान, आदि दसियों बड़े बजट की बड़े अभिनेताओं की फिल्मे की।  वह एक समय बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस बन गई थी।  वह राजकपूर की फिल्म की नायिका भी बनी। उन्होंने उस समय के तमाम बड़े सितारों  धर्मेन्द्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, फ़िरोज़ खान आदि के साथ फ़िल्में की।  वह बॉलीवुड की बोल्ड अभिनेत्री मानी जाती थी, जिसे कपडे उतारने में कोई हिचक नहीं थी। मनोरंजन, क़ुरबानी, सत्यम शिवम सुंदरम, आदि फ़िल्में इसका प्रमाण हैं।
प्रतिभावान अभिनेत्रियां
बॉलीवुड के संगीत की प्रतिभा वाले मंगेशकर परिवार से सम्बन्ध रखने वाली पद्मिनी कोल्हापुरे ने राजकपूर  की फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम की बाल भूमिका से अपने अभिनय का लोहा मनवाया।  उन्होंने राजकपूर के बैनर की ही फिल्म 'प्रेम रोग' में एक विधवा का  बोल्ड किरदार किया।  अनिल  कपूर के साथ फिल्म सात दिन ने उन्हें लीड भूमिकाओं में जमा दिया। धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी की बेटी एषा देओल को फ़िल्मी परिवार का होने के बावजूद सफलता नहीं मिली । हालाँकि, उनके करियर की शुरुआत कोई मेरे दिल से पूछे जैसी सशक्त फिल्म से की थी। सत्यदेव दुबे की वर्कशॉप से एक्टिंग मांजने वाली सोनाली कुलकर्णी ने अपने भाई के साथ समन्वय नाट्य समूह की स्थापना की।  उन्होंने कई भाषाओँ में दोघी, देऊल, दिल चाहता है और टैक्सी नंबर ९२११ जैसी फ़िल्में की।  उन्हें पहचान मिली फिल्म 'मिशन कश्मीर' में ह्रितिक रोशन की माँ की भूमिका से।  अपनी प्रतिभा से बॉलीवुड को चकाचौंध कर देने वाली अभिनेत्रियों में कलकत्ता में जन्मी रितुपर्णा सेनगुप्ता का नाम भी शामिल किया जा सकता है।  रितुपर्णा के हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत पार्थो घोष निर्देशित फिल्म 'तीसरा कौन' से हुई थी।  मोहिनी, ज़ख़्मी सिपाही, उन्नस, दादागिरी, आक्रोश, आदि फिल्मों की इस अभिनेत्री को सराहना मिली बेमेल विवाह वाली राजपाल यादव की फिल्म 'मैं मेरी पत्नी और वह' में ठिंगने राजपाल यादव की लम्बे कद की पत्नी की भूमिका से।  फिल्मों में अपनी प्रतिभा का परचम फैलाने वाली मीनाक्षी शेषाद्रि ने हिंदी और दक्षिण की फिल्मों में साथ नाम कमाया।  वह सुभाष घई की सुपर हिट फिल्म 'हीरो' में जैकी श्रॉफ की नायिका थी। इस फिल्म के बाद मीनाक्षी शेषाद्रि ने कोई ७०  फिल्मों में अभिनय किया।  एक समय, वह श्रीदेवी और जया प्रदा के साथ बॉलीवुड में छाई हुई थी।  
कभी बोलती थी इनकी तूती
नवंबर में बर्थडे मनाने वाली बहुत सी अभिनेत्रियों की बॉलीवुड में तूती बोला करती थी।  क्या याद है नशीली आँखों वाली माला सिन्हा। नेपाली सूरत वाली इस अभिनेत्री की खासियत थी स्वाभाविक और मार्मिक अभिनय करना।  वह अपनी शोखी से फिल्मों में ग्लैमर भरा करती थी। पचास से सत्तर के दशक की पारिवारिक फिल्मों की नायिका माला सिन्हा को धुल का फूल, प्यासा, अनपढ़, दिल तेरा दीवाना, गुमराह, हिमालय की गोद में और आँखे जैसी फिल्मों से याद किया जाता है।  उन्होंने किदार शर्मा  की फिल्म 'रंगीन राते' से शम्मी कपूर के साथ डेब्यू किया था।  माला सिन्हा ने दिलीप कुमार, राजकपूर, राजेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार, धर्मेन्द्र, मनोज कुमार,  आदि लगभग सभी नामचीन बॉलीवुड स्टार्स के साथ फ़िल्में की।  दक्षिण की फिल्मों में नाम कमा चुकी रति अग्निहोत्री ने १९८१ में कमल हासन के साथ के० बालाचंदर की फिल्म 'एक दूजे के लिए' से  बॉलीवुड डेब्यू किया।  रति ने हिट फिल्म के बावजूद कमल हासन के साथ दूसरी फिल्म नहीं की।  लेकिन, वह उस दौर के टॉप अभिनेताओं अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, शशि कपूर, धर्मेन्द्र, आदि की फिल्मों की नायिका बनी ।  वह उस दौर की टॉप की एक्ट्रेस में शुमार की जाती थी। मिस इंडिया जूही चावला ने फ्लॉप फिल्म 'सल्तनत' से अपने करियर की शुरुआत की थी।  लेकिन, आमिर खान के साथ 'क़यामत से क़यामत तक' के हिट हो जाने के बाद वह टॉप की एक्ट्रेस में शुमार की जाने लगी।  विद्या सिन्हा ने अमोल पालेकर के साथ रजनीगंधा और छोटी सी बात जैसी हिट फ़िल्में दी थी।  यह लीक से हट कर विषय पर ख़ास निर्माताओं की फिल्म थी।  लेकिन, विद्या सिन्हा ने मुक्ति, कर्म, किताब, पति पत्नी और वह, तुम्हारे लिए, आदि फ़िल्में भी की।  चेतना और दस्तक फिल्मों ने रेहाना सुल्तान को स्वाभाविक अभिनय करने वाली अभिनेत्री के बतौर स्थापित कर दिया।  उन्हें फिल्म दस्तक के लिए नेशनल फिल्म अवार्ड्स भी मिला।  
दक्षिण का ग्लैमर
दक्षिण के भिन्न शहरों में नवंबर में जन्मे खूबसूरत चेहरों ने दक्षिण की तमिल,  तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में तहलका मचाया ही. बॉलीवुड में अपनी मौजूदगी भी दर्ज़ कराई।  अब यह बात दीगर है कि इनमे से ज़्यादा को सफलता नहीं मिली। 'बाहुबली द बेगिनिंग' में राजमाता शिवकामी देवी का प्रभावशाली  किरदार करने वाली अभिनेत्री राम्या कृष्णन ने विनोद खन्ना की फिल्म दयावान में एक डांसर की भूमिका से अपने हिंदी फिल्म करियर की शुरुआत की थी  ।  उन्होंने अमिताभ बच्चन के अपोजिट बड़े मिया छोटे मिया समेत  नौ हिंदी फ़िल्में की। बाहुबली में राम्या कृष्णन के साथ अनुष्का शेट्टी ने देवसेना का किरदार किया  था।  उन्हें हिंदी दर्शकों ने उनकी डब फिल्म 'रुद्रमादेवी' की टाइटल भूमिका में भी देखा।  नेत्रा रघुरामन  ने तक्षक, भोपाल एक्सप्रेस और अवगत जैसी आठ फ़िल्में की।  कीर्ति रेड्डी का बॉलीवुड डेब्यू अभिषेक बच्चन के साथ 'तेरा  जादू चल गया' जैसी हिट फिल्मों से हुआ।  लेकिन, 'प्यार इश्क़ और मोहब्बत' के बाद वह हिंदी फिल्मो से दूर चली गई। दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीत चुकी तेलंगाना में जन्मी तब्बू ने हिंदी के अलावा इंग्लिश, तमिल तेलुगु और मलयालम फ़िल्में भी की हैं।  लेकिन, उन्हें हिंदी फिल्मों चांदनी बार, अस्तित्व, मक़बूल, आदि ने ही मशहूर बनाया। चेन्नई में जन्मी २०११ के किंगफ़िशर कैलेंडर का चेहरा एंजेला जॉनसन हिंदी फिल्मों में पैर जमाने के लिए हिंदी सीख रही हैं।
नवंबर में यह भी
नीलम कोठारी को दर्शक अस्सी के दशक में डांसर एक्टर गोविंदा की इलज़ाम, लव ८६, सिन्दूर, खुदगर्ज़, हत्या, फ़र्ज़ की जंग और ताक़तवर जैसी हिट फिल्मों की जोड़ीदार के रूप में याद किया जाता है।  आजकल वह ज्वेलरी डिजाइनिंग पर काम कर रही हैं।  सी हॉक्स और हिना जैसी पॉपुलर टेलीविज़न सीरीज से मशहूर सिमोन सिंह को कभी ख़ुशी कभी गम, एक रिश्ता : द बांड ऑफ़ लव, हाँ मैंने भी प्यार किया, सुर, आदि फिल्मों में छोटी मोटी भूमिकाये ही मिली।  पिछले दिनों उन्हें टीवी सीरियल 'एक हसीना थी' में साक्षी गोयनका की सशक्त भूमिका में देखा गया।  नवंबर में जन्मी फिल्म अभिनेत्रियों में प्रियंका (निशा) कोठारी (जेम्स, सरकार, द किलर, शिवा, डार्लिंग), चित्रांशी रावत (चक दे इंडिया), एषा गुप्ता (जन्नत २ और राज़ ३), माही गिल (देव डी, साहब बीवी और गैंगस्टर), कोयल पूरी (मिक्स्ड डबल्स), यामी गौतम (विक्की डोनर), सेलिना जेटली (खेल, नो एंट्री), आरती छाबरिया (तुमसे अच्छा कौन है, आवारा पागल दीवाना), शिल्पा शिरोड़कर (भ्रष्टाचार, किसन कन्हैया, हम, त्रिनेत्र), कैनाज़ मोतीवाला (रागिनी एमएमएस), सुहासिनी मुले (भुवन शोम, भवानी भवाई), डायना पेंटी (कॉकटेल) और भैरवी गोस्वामी (भेजा फ्राई), आदि भी हैं।
थिएटर से शुरुआत

नवंबर की पौंध कुछ अभिनेत्रियां वाया नाटक फिल्मों में आई। टिस्का चोपड़ा ने पहले  नाटक किये।  वह १९९३ में रिलीज़ अजय देवगन की फिल्म 'प्लेटफार्म' में रोशनी चोपड़ा नाम से फिल्मों में आई।  उन्होंने दर्शकों ध्यान खींचा तारे ज़मीन पर, दिल तो बच्चा है जी और फ़िराक़ जैसी फिल्मों की चरित्र भूमिकाओं से। टिस्का चोपड़ा से पहले मीता वशिष्ट नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से नाटक और फिर टीवी पर मशहूर हुई।  टीवी पर क्यूंकि सास भी कभी बहु थी उनका मशहूर सीरियल था। उन्हें अभी फिल्म रहस्य में एक ग्रे शेड वाली भूमिका में देखा गया।  थिएटर ग्रुप जन नाट्य मंच से अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली नंदिता दास ने १० भाषाओँ में ३० फ़िल्में की है।  उन्होंने १९४७ अर्थ, बवंडर, अक्स, एक दिन २४ घंटे, जैसी फिल्मों से उन्होंने पहचान गया।  वह बतौर निर्देशक फ़िराक़ फिल्म में विवादित हुई।
पॉर्न स्टार भी
तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा की बी-ग्रेड सॉफ्ट पॉर्न फिल्मों की नायिका शकीला भी नवंबर में पैदा हुई।  इस एक्ट्रेस ने २० साल की उम्र में तमिल सॉफ्ट पॉर्न फिल्म 'प्लेगर्ल्स' करके तहलका मचा दिया।  उनकी एक हिंदी फिल्म 'आखिरी गुलाम' १९८९ में रिलीज़ हुई थी।  बॉलीवुड की बेबाक और बड़बोली आइटम गर्ल राखी सावंत और पिछले दशक की मज़ा मज़ा, चेतना, फन कैन बी डेंजरस समटाइम, तौबा तौबा और लैला जैसी सेक्सी फिल्मों से तहलका मचा देने वाली पायल रोहतगी भी नवंबर की पैदाईश हैं।  टीवी एक्ट्रेस रूपा गांगुली, टीना 'उतरन' दत्ता, सुकृति कांडपाल और प्रियल गोर भी नवंबर में पैदा हुई थी।  बॉलीवुड की तमाम अभिनेत्रियों को अपने स्टेप्स पर थिरकाने वाली सरोज खान २२ नवंबर को जन्मी थी।  पुराने ज़माने की फिल्मों की गायिका गीता दत्त भी नवंबर में ही जन्मी। 
पाकिस्तान से आई ज़ेबा बख्तियार  का जन्म ५ नवंबर को हुआ।  पाकिस्तानी टीवी के शो 'अनारकली' से उन्हें इतनी शोहरत मिली कि वह बॉलीवुड में राजकपूर की रणधीर कपूर निर्देशित फिल्म 'हिना' में ऋषि कपूर की नायिका बना दी गई।  लेकिन, फिल्म 'जय विक्रान्ता ' के बाद बॉलीवुड से गायब हो गई।

जैसन वूरहीस के लिए रिंग्स हादसा

हॉरर फ्रैंचाइज़ी ‘परानोर्मल एक्टिविटी’ सीरीज की तीसरी फिल्म ‘परानोर्मल एक्टिविटी: द घोस्ट डायमेंशन’ की रिलीज़ डेट २३ अक्टूबर के ठीक पहले इस फ्रैंचाइज़ी के प्रोडक्शन हाउस पैरामाउंट पिक्चरस द्वारा चौंकाने वाला निर्णय लिया गया। खबर है कि इस स्टूडियो की ‘रिंग्स’ फ्रैंचाइज़ी की तीसरी फिल्म अब १३ नवम्बर को रिलीज़ नहीं होगी। बल्कि अब इसे अगले साल फूल्स डे पर १ अप्रैल को रिलीज़ किया जायेगा । यह खबर कम से कम जैसन वूरहीस के लिए बुरी है। जैसन वूरहीस इस सीरीज की फिल्मों का मास्क वाला मुख्य करैक्टर है। इस करैक्टर को सबसे पहले १९८० में फिल्म ‘फ्राइडे द थर्टीज’ में देखा गया था। इस फिल्म की सफलता, ख़ास तौर पर डरावने मास्क वाल जैसन वूरहीस के डर ने उसे दूसरी डरावनी फिल्मों का हीरो बना दिया। पैरामाउंट को ‘परानोर्मल एक्टिविटी: द घोस्ट डायमेंशन’ के दो हफ़्तों बाद ही दूसरी हॉरर फिल्म का रिलीज़ किया जाना ठीक नहीं लगा। रिंग्स का एक अप्रैल तक के लिए टलना जैसन के लिए इसलिए भी बुरी खबर है कि इस करैक्टर के साथ लोकप्रिय टीवी सीरीज ‘फ्राइडे द थर्टीज सीरीज भी अगले साल १५ मई से शुरू नहीं होने जा रही। यह तीसरा मौका है, जब इस सीरीज को प्रसारण से पहले ही टाल दिया गया। अब यह सीरीज १३ जनवरी २०१७ से प्रसारित होगी। यह खबर जैसन वूरहीस के लिए बुरी इस लिहाज़ से भी है कि अब रिंग्स को निकोलस हौल्ट और फ़ेलिसिटी जोंस की फिल्म कोलाइड और फॉक्स स्टूडियो की ओलंपिक्स बायोपिक ‘एडी द ईगल से टकराना होगा। वहीँ  रिंग्स सीरीज को भी सोनी के स्टेफेन किंग के टेलीविज़न संस्करण ‘द डार्क टावर, वार्नर ब्रदर्स की डिजास्टर सीरीज जिओस्टोर्म और फॉक्स की नासा थीम पर हिडन फिगर्स’ का सामना करना होगा। 


द कोल्डेस्ट सिटी में चार्लीज थेरोन के साथ जेम्स मेकवॉय

‘द कोल्डेस्ट सिटी’ के लिए ‘जॉन विक’ के डायरेक्टर डेविड लीच को कुर्सी सौंपे जाने के बाद इस स्पाई थ्रिलर फिल्म में अभिनेत्री चार्लीज़ थेरोन के साथी का चुनाव भी कर लिया गया है। खबरों के अनुसार एक्स-मेन सीरीज की फिल्मों में प्रोफेसर चार्ल्स ज़ेवियर का किरदार करने वाले अभिनेता जेम्स मैकवॉय फिल्म में थेरोन के एक साथी होंगे। वैसे अभी यह तय नहीं है कि फिल्म में जेम्स की भूमिका वास्तव में क्या होगी। जेम्स ने कुछ दिन पहले ही एम नाईट श्यामलन की अनटाइटल फिल्म में जोअक़ुइन फ़ीनिक्स की जगह ली है। ‘द कोल्डेस्ट सिटी’ भी जेम्स बांड की तरह ब्रितानी सीक्रेट एजेंसी एमआई-६ के एजेंटों की कहानी है। यह फिल्म बर्लिन की दीवार गिराए जाने की पूर्व संध्या पर एमआई -६ के एजेंट के मारे जाने के बाद की घटनाओं पर केन्द्रित है। चार्लीज थेरोन सुपर स्पाई लोरेन ब्रोटन का किरदार कर रही हैं। मारे गये एजेंट के पास बर्लिन में तैनात तमाम अंडर कवर एजेंट्स के नामों की लिस्ट थी। लोरेन को किसी भी दशा में इस लिस्ट को पाना है। इसकी जांच करते करते लोरेन को पता चलता है कि बर्लिन दुश्मन देशों के जासूसों को ख़त्म करने की बड़ी व्यूह रचना की गई है। अब उसे अपनी जान जोखिम में डाल कर भी अपने साथियों को बचाना है। इस फिल्म की पटकथा कर्ट विमर ने लिखी है। यह फिल्म अगले साल २७ मई को रिलीज़ होगी। 

Friday 30 October 2015

'गुड्डू की गन' सीले कारतूस वाली

श्रीशक आनंद और शांतनु रॉय छिब्बर की लिखी और निर्देशित फिल्म 'गुड्डू की गन' से दो बातों की जानकारी होती है।  पहली यह कि बिहारी वैलेंटाइन्स डे नहीं मनाते।  जो मनाते हैं वह कैसे मनाते हैं यह गुड्डू की गन देख कर ही समझ जा सकता है। दूसरी यह कि अगर आप औरतों के हमबिस्तर होते समय यह नहीं समझते कि आप किसी भोली लड़की का दिल तोड रहे हैं तो आपका लिंग (फिल्म में इस शब्द का उपयोग किया गया है) सोने का हो जायेगा।  यह अपनी पहले वाली स्थिति में तभी जायेगा, जब आपको सच्चा प्यार मिलेगा।  इस थ्योरी को अगर द्विअर्थी संवादों और अश्लील घटनाओं के साथ फिल्माया जाये तो यह 'गुड्डू की गन' बन जाएगी।  'गुड्डू की गन' बिहार के गोवर्धन उर्फ़ गुड्डू की कहानी है, जो कलकत्ता के जिस घर में वाशिंग पाउडर बेचने जाता है, वहाँ की औरत को बिस्तर तक आसानी से ले जाता है। इस फिल्म से दो बाते साफ़ होती है।  पहली यह कि बिहारी लोग औरतबाज़ हैं, उनका सेक्स का स्टैमिना काफी ज़्यादा है।  दूसरा यह कि कलकत्ता या कहिये पूरे बंगाल की औरते, खासकर विवाहित औरते चरित्रहीन हैं और किसी भी फेरी वाले के साथ हमबिस्तर हो जाती हैं।  इस घटिया थ्योरी को लेकर श्रेषक और शांतनु ने पूरी तरह से फूहड़ फिल्म 'गुड्डू की गन' बुनी है।  फिल्म को देखा कर साफ हो जाता है कि कभी पहलाज निहलानी के जिस सेंसर बोर्ड पर कम्युनल होने का चार्ज लग रहा था, अब वह पूरी तरह से सेक्युलर बैटरी से चार्ज हो गया है। यह फिल्म मानसिक रूप से बीमार और औरतों में चमड़ी देखने वाले दर्शकों को ख़ास पसंद आने जा रही है।  फिल्म के नायक गुड्डू की भूमिका कुणाल खेमू ने की है।  विश्वास नहीं होता है कि इसी एक्टर ने बालपन में ज़ख्म जैसी फिल्म में मार्मिक अभिनय किया था।  उनका कलयुग का डेब्यू भी ज़ोरदार था।  लेकिन, कहते हैं न कि समय क्या क्या नहीं दिखा देता है।  फिल्मों की लगातार असफलता ने कुणाल खेमू को  गुड्डू की गन दिखाने को मज़बूर कर दिया।  फिल्म से बांगला फिल्म एक्ट्रेस पायल सरकार का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ है।  पता नहीं क्यों इस खूबसूरत एक्ट्रेस ने अपनी खूबसूरती और टैलेंट को इस घटिया फिल्म में जाया किया।

फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में न 'मैं' न 'चार्ल्स'

आज के फिल्मकारों की फ़िल्में अब स्वान्तः सुखाय बनने लगी हैं। मल्टीप्लेक्स थिएटर और उनके बढी टिकट दरें किसी भी कूड़ा फिल्म को उसका पैसा वापस दिलवा देती हैं। ऐसे में कूड़ा फिल्मों का बनते रहना लाजिमी है।  प्रवाल रमण के निर्देशन में चार्ल्स शोभराज की बायोपिक फिल्म 'मैं और शोभराज' ऎसी ही कूड़ा फिल्म हैं। इस फिल्म में चार्ल्स शोभराज के औरतों के प्रति अपराधों को ग्लोरीफाई नहीं, सेक्सीफाई किया है। हर औरत किरदार नंगा होने को तैयार है . चार्ल्स के जाल में फंसी औरतों का नंगापन पूरी फिल्म में हैं. पूरी फिल्म चार्ल्स शोभराज के एक शहर से दूसरे शहर भागते, पुलिस के उसके पीछे दौड़ते ही बीत जाती है. जब ख़त्म होती है तो यह साफ़ नहीं हो पाता कि शराब व्यवसाई पोंटी चड्डा के बैनर ने इस फिल्म को बनाया क्यों ? प्रवाल रमण पहले ही कह चुके थे कि वह चार्ल्स शोभराज को ग्लोरीफाई नहीं कर रहे . लेकिन, उन्होंने पुलिस को भी ग्लोरीफाई  नहीं किया . नतीजे के तौर पर परवाल के न चाहते हुए भी चार्ल्स शोभराज का करैक्टर उभरा. भारत मे चार्ल्स को सज़ा दिलवा कर फिल्म ख़त्म हो जाती है, जबकि चार्ल्स शोभराज के अपराधों की लिस्ट उसके बाद भी बढती चली जाती है. अभिनय के लिहाज़ से चार्ल्स शोभराज की भूमिका में रणदीप हूडा और पुलिस अधिकारी आमोद कंठ की भूमिका में आदिल हुसैन खूब जमे हैं. ऋचा चड्डा तो जैसे समझती हैं कि वह दिखा देंगी तो लोग देखने चले आयेंगे. जबकि, दर्शक ऋचा के अभिनय वाली फिल्म देखने आते हैं. जैसे कि फिल्म राम-लीला में उनका किरदार . लेकिन, इस फिल्म में वह अभिनय से कोसों दूर रहती हैं. टिस्का चोपड़ा के करने के लिए कुछ ख़ास नहीं था. वैसे फिल्म में स्त्री पुरुष किरदारों की इफरात है. लेकिन, सब दर्शकों को कंफ्यूज करने के लिए हैं. फिल्म को उलझा देते हैं. फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसके ज्यादा इंग्लिश संवाद. ख़ास तौर पर चार्ल्स शोभराज के किरदार के मुंह से टूटी फूटी हिंदी ही बुलवाई गई है, जिसमे अंग्रेज़ी शब्द या कहिये वाक्य ज्यादा हैं. रणदीप हूडा अपने संवाद बोलते कुछ ऐसे हैं कि ज़्यादातर समझ में ही नहीं आते. प्रवाल रमण को इसे सिंक साउंड के ज़रिये हिंदी में कर देना चाहिए था. इसलीये यह फिल्म सिंगल स्क्रीन के लिए अपनी अपील खो बैठती है. महिला चरित्रों की कामुक छवि के ज़रिये दर्शक बटोरे जा सकते थे, लेकिन इसमे भी आधा अधूरा सा ही है. प्रवाल रमण ने फिल्म को खुद लिखा है. उन्होंने जैसा विसुअलाइज किया होगा, वैसा ही लिखा होगा. कुछ जगह वह फिल्म में दिलचस्पी पैदा करते हैं. मसलन, चार्ल्स का अपने अपराध स्वीकार करना. उसका बड़ी चालाकी से विदेसी टूरिस्ट को निशाना बनाना, आदि दृश्य . अगर प्रवाल फिल्म को चार्ल्स शोभराज की आज की स्थिति पर ख़त्म करते तो फिल्म अधूरी सी नहीं लगती। कुल मिलाकर फिल्म चार्ल्स ग्लोरीफाई तो नहीं करती, लेकिन मैं को भी नहीं उभारती. इसलिए लगता नहीं कि फिल्म को बहुत दर्शक मिल पाएंगे.