डेज़ी शाह ने अपने फिल्म करियर की शुरुआत सलमान खान जैसे बॉक्स ऑफिस के सुल्तान की फिल्म जय हो से की थी। इरोटिक ड्रामा फिल्म हेट स्टोरी ३ में वह करण सिंह ग्रोवर और शरमन जोशी के साथ उत्तेजक हावभाव दिखा रही थी। इस फिल्म में सलमान खान के साथ करियर की शुरुआत करने वाली एक दूसरी एक्ट्रेस ज़रीन खान भी थी। अब वह एक बिलकुल नए एक्टर ऋषि भूटानी के साथ राम रतन कर रही है। वह फिल्म में राम (ऋषि भूटानी) की रतन बनी हैं। सलमान खान के साथ फिल्म करने के बाद बिलकुल नए एक्टर के साथ फिल्म करना क्या सन्देश देता है ? बताती हैं डेज़ी शाह, "मैंने इस फिल्म को दो कारणों से किया है। पहला इस फिल्म का विषय काफी अनोखा है। दूसरा बड़ा कारण फिल्म के निर्देशक गोविन्द सकारिया हैं, जिन्होंने गुजराती में कई हिट फिल्में दी हैं। फिल्म के निर्माता भी काफी सहयोग करने वाले लोग हैं। ऎसी फिल्म कौन नहीं करना चाहेगा।" ६ अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म राम रतन का ट्रेलर पिछले दिनों रिलीज़ हुआ, जहाँ फिल्म के सभी सितारे मौजूद थे। राम रतन एक कॉमेडी थ्रिलर फिल्म है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 16 September 2017
राम की रतन डेज़ी शाह
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खबर है
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बॉलीवुड को भाते हैं गैंगस्टर किरदार
बॉलीवुड में बहुत सी फ़िल्में माफिया या डॉन पर बनाई हैं। हाजी मस्तान, वरदराजन मुदलियार, दाऊद इब्राहिम और यहाँ तक छोटा शकील, छोटा राजन, अरुण गवली, मान्या सुर्वे, माया डोलास, आदि बड़े-छोटे डॉन पर हिंदी फ़िल्में भरी पड़ी हैं। बॉलीवुड को अंडरवर्ल्ड भाता है। एक तो इसमें थ्रिल होता है। अभिनेता अभिनेत्री को कुछ कर दिखाने का मौक़ा भी मिलता है। एक्शन के लिहाज़ से बंदूकों की धाँय धाँय और तेज़ रफ़्तार गाड़ियां सांस रोक देने के लिए काफी होती है। संजय दत्त जैसे अभिनेता हैं, जिनके पसंदीदा करैक्टर डॉन हैं।
दाऊद इब्राहिम पर ज़्यादा फ़िल्में---लेकिन !
बॉलीवुड ने काफी फ़िल्में दाऊद इब्राहिम पर काफी फ़िल्में बनाई हैं। हाजी मस्तान के इस चेले में अपने गुरु की तरह बॉलीवुड की चमक धमक और फिल्म एक्ट्रेस का ग्लैमर रास आता था। हाजी मस्तान की पसंदीदा एक्ट्रेस मधुबाला थी। इसीलिए हाजी मस्तान ने मधुबाला की हमशक्ल सोना को अपनी प्रेमिका बनाया था। इसका ज़िक्र निर्देशक मिलन लुथरिया की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई में मिलता है। दाऊद इब्राहिम की पसंदीदा एक्ट्रेस मन्दाकिनी थी। बताते हैं कि दाऊद ने मन्दाकिनी से शादी भी की थी। दाऊद के दाहिने हाथ अबू सलेम के फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी से सम्बन्ध तो ताजातरीन हैं। अनुराग बासु की फिल्म गैंगस्टर अबू सालेम और मोनिका बेदी रोमांस दिखाती थी। जहाँ, दाऊद के साथ संबंधों के कारण ही मन्दाकिनी का बॉलीवुड करियर ख़त्म हो गया, वहीँ मोनिका बेदी को अबू सालेम के कारण जोड़ी नंबर वन जैसी बड़ी फिल्म मिली। रामगोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के संबंधों पर थी। दाऊद इब्राहिम का किरदार निभाने में अक्षय कुमार तक पीछे नहीं हटे। ज़्यादातर फिल्मों में दाऊद इब्राहिम अपराधी दिखाया गया है, लेकिन वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में उसका रोमांटिक पहलू सामने आता था।
सिर्फ डॉन तक
आम तौर पर डॉन या माफिया पर फिल्म उसके पेशे या पेशागत सम्बन्धो तक ही सीमित होती है। इन गैंगस्टर के परिवार सामने नहीं लाये जाते। क्योंकि, हिंदी फिल्म दर्शक इन गैंगस्टर्स से उनके अखबार में छापे कारनामों के कारण ही जानता है। अख़बारों में इनके परिवार का कोई ज़िक्र नहीं होता या बहुत कम होता है। १९९९ में रिलीज़ विनय शुक्ल की फिल्म गॉडमदर का ज़िक्र ज़रूरी है। इस फिल्म के लिए शबाना आजमी को श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार मिला था। इस फिल्म में शबाना आजमी ने गुजरात की गैंगस्टर संतोखबेन जडेजा का किरदार किया था। संतोख का पति सरमन एक मामूली मिल मजदूर था। लेकिन, हड़ताल के दौरान मुठभेड़ में सरमन के हाथों एक गैंगस्टर की हत्या हो जाती हैं। इसके बाद वह इस गैंग को सम्हाल लेता है। सरमन की हत्या के बाद संतोखबेन गैंग को सम्हालती है। लेकिन, इस फिल्म में सरमन के बजाय संतोखबेन जडेजा के कारनामे ही दिखाए गये थे। क्योंकि, विनय शुक्ल को संतोख के व्यक्तित्व ने ही प्रभावित किया था। यहाँ, परिवार का कोई महत्व नहीं था।
परिवार नदारद
हिंदी की रियल लाइफ गैंगस्टर पर फिल्मों में गैंगस्टर का परिवार ख़ास नहीं होता। दाऊद इब्राहिम से प्रेरित अजय देवगन के मलिक के किरदार के साथ मनीषा कोइराला की सरोजा का किरदार नज़र आता है। लेकिन, रामगोपाल वर्मा इसमें ज़्यादा गहराई से नहीं घुसते। अपूर्व लखिया ने फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला में गैंगस्टर माया डोलास (विवेक ओबेरॉय) की माँ रत्नप्रभा (अमृता सिंह) को थोड़ा महत्व दिया था। अलबत्ता, २२ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही अपनी फिल्म हसीना पारकर में वह परिवार को ख़ास महत्त्व देते हैं। हसीना पारकर डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन थी। यह तो काफी लोगों को मालूम है कि दाऊद के कराची भाग जाने के बाद उसने दाऊद के कारोबार को सम्हाला। अपूर्व लखिया की इस फिल्म में दर्शकों से दाऊद के पूरे परिवार का परिचय होता लगता है। फिल्म में अभिनेत्री श्रद्धा कपूर हसीना पारकर बनी हैं तो दाऊद इब्राहिम उनके भाई सिद्धांत कपूर बने हैं। इस फिल्म में हसीना पारकर के शौहर इब्राहिम पारकर के चरित्र को भी काफी उभरा गया है। नवोदित अभिनेता अंकुर भाटिया ने इब्राहिम पारकर का किरदार किया है।
अपूर्व लखिया इस लिहाज़ से अलग है कि वह अपनी फिल्मों में गैंगस्टर किरदारों तक सीमित नहीं रहते। उनकी फिल्मों में गैंगस्टर परिवार भी मायने रखते हैं। हसीना पारकर में गैंगस्टर परिवार काफी ख़ास है। अपूर्व ने इन किरदारों को किस प्रकार पेश किया है, वह काफी महत्वपूर्ण है। अगर, अपूर्व अपनी बात दर्शकों तक पहुंचा पाए तो कोई शक नहीं अगर गैंगस्टर परिवार भी बॉलीवुड की फिल्मों में जगह बना ले जाएँ।
दाऊद इब्राहिम पर ज़्यादा फ़िल्में---लेकिन !
बॉलीवुड ने काफी फ़िल्में दाऊद इब्राहिम पर काफी फ़िल्में बनाई हैं। हाजी मस्तान के इस चेले में अपने गुरु की तरह बॉलीवुड की चमक धमक और फिल्म एक्ट्रेस का ग्लैमर रास आता था। हाजी मस्तान की पसंदीदा एक्ट्रेस मधुबाला थी। इसीलिए हाजी मस्तान ने मधुबाला की हमशक्ल सोना को अपनी प्रेमिका बनाया था। इसका ज़िक्र निर्देशक मिलन लुथरिया की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई में मिलता है। दाऊद इब्राहिम की पसंदीदा एक्ट्रेस मन्दाकिनी थी। बताते हैं कि दाऊद ने मन्दाकिनी से शादी भी की थी। दाऊद के दाहिने हाथ अबू सलेम के फिल्म अभिनेत्री मोनिका बेदी से सम्बन्ध तो ताजातरीन हैं। अनुराग बासु की फिल्म गैंगस्टर अबू सालेम और मोनिका बेदी रोमांस दिखाती थी। जहाँ, दाऊद के साथ संबंधों के कारण ही मन्दाकिनी का बॉलीवुड करियर ख़त्म हो गया, वहीँ मोनिका बेदी को अबू सालेम के कारण जोड़ी नंबर वन जैसी बड़ी फिल्म मिली। रामगोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन के संबंधों पर थी। दाऊद इब्राहिम का किरदार निभाने में अक्षय कुमार तक पीछे नहीं हटे। ज़्यादातर फिल्मों में दाऊद इब्राहिम अपराधी दिखाया गया है, लेकिन वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में उसका रोमांटिक पहलू सामने आता था।
सिर्फ डॉन तक
आम तौर पर डॉन या माफिया पर फिल्म उसके पेशे या पेशागत सम्बन्धो तक ही सीमित होती है। इन गैंगस्टर के परिवार सामने नहीं लाये जाते। क्योंकि, हिंदी फिल्म दर्शक इन गैंगस्टर्स से उनके अखबार में छापे कारनामों के कारण ही जानता है। अख़बारों में इनके परिवार का कोई ज़िक्र नहीं होता या बहुत कम होता है। १९९९ में रिलीज़ विनय शुक्ल की फिल्म गॉडमदर का ज़िक्र ज़रूरी है। इस फिल्म के लिए शबाना आजमी को श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार मिला था। इस फिल्म में शबाना आजमी ने गुजरात की गैंगस्टर संतोखबेन जडेजा का किरदार किया था। संतोख का पति सरमन एक मामूली मिल मजदूर था। लेकिन, हड़ताल के दौरान मुठभेड़ में सरमन के हाथों एक गैंगस्टर की हत्या हो जाती हैं। इसके बाद वह इस गैंग को सम्हाल लेता है। सरमन की हत्या के बाद संतोखबेन गैंग को सम्हालती है। लेकिन, इस फिल्म में सरमन के बजाय संतोखबेन जडेजा के कारनामे ही दिखाए गये थे। क्योंकि, विनय शुक्ल को संतोख के व्यक्तित्व ने ही प्रभावित किया था। यहाँ, परिवार का कोई महत्व नहीं था।
परिवार नदारद
हिंदी की रियल लाइफ गैंगस्टर पर फिल्मों में गैंगस्टर का परिवार ख़ास नहीं होता। दाऊद इब्राहिम से प्रेरित अजय देवगन के मलिक के किरदार के साथ मनीषा कोइराला की सरोजा का किरदार नज़र आता है। लेकिन, रामगोपाल वर्मा इसमें ज़्यादा गहराई से नहीं घुसते। अपूर्व लखिया ने फिल्म शूटआउट एट लोखंडवाला में गैंगस्टर माया डोलास (विवेक ओबेरॉय) की माँ रत्नप्रभा (अमृता सिंह) को थोड़ा महत्व दिया था। अलबत्ता, २२ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही अपनी फिल्म हसीना पारकर में वह परिवार को ख़ास महत्त्व देते हैं। हसीना पारकर डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन थी। यह तो काफी लोगों को मालूम है कि दाऊद के कराची भाग जाने के बाद उसने दाऊद के कारोबार को सम्हाला। अपूर्व लखिया की इस फिल्म में दर्शकों से दाऊद के पूरे परिवार का परिचय होता लगता है। फिल्म में अभिनेत्री श्रद्धा कपूर हसीना पारकर बनी हैं तो दाऊद इब्राहिम उनके भाई सिद्धांत कपूर बने हैं। इस फिल्म में हसीना पारकर के शौहर इब्राहिम पारकर के चरित्र को भी काफी उभरा गया है। नवोदित अभिनेता अंकुर भाटिया ने इब्राहिम पारकर का किरदार किया है।
अपूर्व लखिया इस लिहाज़ से अलग है कि वह अपनी फिल्मों में गैंगस्टर किरदारों तक सीमित नहीं रहते। उनकी फिल्मों में गैंगस्टर परिवार भी मायने रखते हैं। हसीना पारकर में गैंगस्टर परिवार काफी ख़ास है। अपूर्व ने इन किरदारों को किस प्रकार पेश किया है, वह काफी महत्वपूर्ण है। अगर, अपूर्व अपनी बात दर्शकों तक पहुंचा पाए तो कोई शक नहीं अगर गैंगस्टर परिवार भी बॉलीवुड की फिल्मों में जगह बना ले जाएँ।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 15 September 2017
अमेरिकी टेलीविज़न पर माशा एंड द बेयर
यूनिवर्सल किड्स (स्प्राउट की रिब्रांड) रशियन एनिमेटेड सीरीज माशा एंड द बेयर को अमेरिकी टेलीविज़न में प्रसारित करेगी। २००९ में रुसी टेलीविज़न पर प्रसारित माशा एंड बेयर रूस की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर बच्चों की फ्रैंचाइज़ी है। माशा एंड बेयर का एक मूल सीजन और दो स्पिनऑफ प्रसारित हो चुके हैं। इस सीरीज को दुनिया के कई देशों इटली, जर्मनी, ब्राज़ील, कनाडा, मेक्सिको और पिछले दिनों ही चीन में वितरित किया जा चुका है। इसके एपिसोड यूट्यूब पर सबसे पॉपुलर हैं। इस फ्रैंचाइज़ी का एपिसोड रेसिपी फॉर डिजास्टर यूट्यूब पर सर्वाधिक लोकप्रिय ६ सबसे ज़्यादा देखे गए वीडियो में शामिल है। इसे २४ करोड़ ५० लाख लोग देख चुके हैं। वैसे इस सीरीज का २०१५ में नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर हो चूका है। इसके खिलौने भी जारी किये जा चुके हैं। यह फ्रैंचाइज़ी अपने निर्माताओं को २२५ मिलियन डॉलर कमा के दे चुकी
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वीडियो
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सलमान खान को ब्रिटेन के हाउस ऑफ़ कॉमन्स में ग्लोबल डाइवर्सिटी अवार्ड दिया गया
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फोटो फीचर
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फेमिना सैलून एंड स्पा के कवर पर इवेलिन शर्मा
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कवर
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'साहो' के एक्शन पर २५ करोड़
बाहुबली फिल्मों के बाद, फिल्म के नायक प्रभाष का नाम हिंदी दर्शकों के लिए अपरिचित नहीं रह गया है। दर्शकों को प्रभाष की अगली फिल्म का इंतज़ार है। वह प्रभाष की फिल्म में कुछ नया देखने की अपेक्षा भी करता है। ख़ास तौर पर एक्शन दृश्य। प्रभाष की अगली फिल्म साहो का ऐलान हो चूका है। फिल्म में उनकी नायिका के बतौर श्रद्धा कपूर को लिया गया हैं। श्रद्धा कपूर को हिंदी दर्शक काफी पसंद करते हैं। वह साहो के साथ एक्शन की रोमांटिक जोड़ी बना सकती हैं। यह तो वक़्त बतायेगा की प्रभाष-श्रद्धा कपूर जोड़ी पूरे फिल्म उद्योग में कैसा रंग जमाती है! फिलहाल, प्रभाष एक्शन पर ध्यान दे रहे हैं। साहो में हैरतंगेज़ एक्शन होंगे। इसके लिए हॉलीवुड के स्टंट कोरियोग्राफर केनी बेट्स को फिल्म से जोड़ा गया है। केनी ट्रांसफार्मर्स फिल्मों के अलावा मिस्टर एंड मिसेज स्मिथ, पर्ल हारबर, रश ऑवर ३, आदि फिल्मों के स्टंट कोरियोग्राफ कर चुके हैं। इस एक्शन के लिए २५ करोड़ का बजट रखा गया है। साहू से नील नितिन मुकेश का तेलुगु फिल्म डेब्यू हो रहा है। वह फिल्म में मुख्य विलेन का किरदार करेंगे। युवा निर्देशक सुजीत द्वारा निर्देशित साहो का कुल बजट १५० करोड़ है।
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साउथ सिनेमा
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अनोखा है अमेज़न का फैशन इमेजिन स्टूडियो
न्यूयॉर्क और लंदन में फैशन स्टूडियोज लांच करने के बाद अमेज़न की निगाहें भारत के फैशन बाजार पर हैं। अमेज़न ने १३ सितम्बर को गुडगाँव में ४४ हजार वर्गफुट में अपने आप में अलग एक फैशन इमेजिन स्टूडियो खोला है। यह भारत का ऐसा पहला स्टूडियो है। इस मौके पर एक भोज ब्लिंक का आयोजन किया गया। इसे फैशन इंडस्ट्री से जुडी सुहिल सेठी, तरुण तहिलयानी, एडी सिंह, कल्याणी चावला, अर्चना विजय, अपर्णा बजाज, डिज़ाइनर सुमीत वर्मा, आशिमा लेना, जेजे वाल्या, रीना ढाका, वरुण बहल, मनीष अरोरा, रोहित गांधी जैसी हस्तियों के आलावा रोहित गांधी, राहुल खन्ना, ध्रुव कपूर, अमित अग्रवाल, आदि ने हिस्सा लिया। इस मौके पर विज़ुअल्स के द्वारा अमेज़न के फैशन डिज़ाइन को भी प्रदर्शित किया गया।
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कुछ ख़ास हैं यशराज फिल्म्स की पांच फ़िल्में
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ऑस्ट्रेलिया से आई एक इंडियन डांसर !
तेरे बिना और बंटाई के बाद, फिल्म हसीना पारकर का तीसरा गाना पिया आ गर्मागर्म गीत है। इस गीत पर भारतीय- ऑस्ट्रेलियाई सुंदरी सराह अंजुलि थिरक रही हैं। उनके हावभाव काफी उत्तेजक और गर्म हैं। यह गीत कदमों को थिरकाने वाला है। माना जा रहा है कि यह गीत इस साल के सबसे पसंदीदा डांस नम्बरों मे शुमार होगा। वह कुछ अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में काम कर चुकी हैं। लेकिन, हसीना पारकर के इस सिज़लिंग डांस नंबर से उनका बॉलीवुड डेब्यू हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि बॉलीवुड में सारा को लेकर चर्चा गर्म है। संभव है कि २२ सितम्बर को हसीना पारकर रिलीज़ होने के बाद अगर सारा का सिद्धांत कपूर के साथ किया गया डांस नंबर चर्चित हो गया तो सारा की बॉलीवुड में पौबारह हो जाएगी।
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राजकुमार राव की फिल्म न्यूटन में ईवीएम !
राजकुमार राव की फिल्म ‘न्यूटन’ चुनावों
के बारे में भी बात करतीं हैं। निर्माताओं के सामने फिल्म के एक विशेष
दृश्य के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) लाने की चुनौती थी । न्यूटन एक सरकारी अफसर है, जो
छत्तीसगढ़ के हिंसाग्रस्त जंगलों में निर्बाध चुनाव कराने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। चूंकि, निर्माता असली ईवीएम मशीनों को
फिल्म की शूटिंग के लिए नहीं ला सकतें थे । इसलिए इन ईवीएम मशीन्स की हूबहू प्रतिकृति बनाई गई । इस काम को करने के लिए फिल्म न्यूटन की आर्ट डायरेक्टर एंजेलिका मोनिका भौमिक मुंबई में मंत्रालय के ऑफिस गयी। उन्होंने मशीनों के बारे में जानकारी ली और इसे इस्तमाल करने का तरीका
सीख लिया। एंजेलिका बताती है, "हमारी प्रोडक्शन टीम मंत्रालय में सरकारी अधिकारियों
से मिली और यह मशीन कैसी होती हैं और इसके इस्तेमाल का तरीका क्या है, की जानकारी ली। मशीनों की सटीक प्रतिकृति बनाने के लिए उनके कुछ फोटो निकालें।
और हमने ईवीएम मशीन की १५ प्रतिकृतियां बनायीं।“ इरोस इंटरनैशनल और आनंद एल राय
प्रस्तुत दृश्यम प्रोडक्शन के सहयोग से कलर यलो प्रोडक्शन की फिल्म न्यूटन अमित मसुरकर व्दारा लिखित और
निर्देशित हैं। यह
फिल्म २२ सितम्बर को सिनेमाघरों में रिलीज होंगीं।
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पूजा हेगड़े ने अपने मेकअप आर्टिस्ट को दी जन्मदिन की पार्टी
हृथिक रोशन के साथ फिल्म मोहनजोदड़ो से हिंदी फिल्म डेब्यू करने वाली अभिनेत्री पूजा हेगडे के पास इन दिनों कोई हिंदी फिल्म नहीं है। मोहनजोदड़ो की असफलता के कारण पूजा के हिंदी बेल्ट फतह करने की उनकी मुहीम को करारा झटका लगा। लेकिन, वह साउथ की फिल्मों में व्यस्त हैं। आजकल वह एक साऊथ इंडियन
फिल्म की शूटिंग कर रहीं हैं। पूजा हेगडे ने शूटिंग के दौरान अपनी मेकअप
आर्टिस्ट क्विन के लिये उनके जन्मदिन पर खास पार्टी का आयोजन किया। दरअसल, मूसलाधार बारिश की वजह से फिल्म की आउटडोअर शूटिंग को रद्द करना
पडा था। लेकिन इतनी बारिश के बावजूद पूजा हेगडे ने क्विन की पार्टी करना कैंसिल नहीं किया।
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साउथ सिनेमा
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बिपाशा बासु का गर्म अंदाज़
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अभिषेक बच्चन के साथ गेम खेलेंगे अमिताभ बच्चन
जल्द ही अभिषक बच्चन कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर बैठ कर अमिताभ बच्चन के पूछे सवालों के जवाब देते नज़र आएंगे। करोड़पति की हॉट सीट अभिषेक बच्चन के एक ख़ास उद्देश्य से जुडी होगी। अभिषेक गूँज फाउंडेशन और उसके संस्थापक अंशु गुप्ता के कामों के प्रशंसक रहे हैं। यह फाउंडेशन कपड़ों और पुनः उपयोग की जा सकने वाली सैनिटरी नेपकिन्स का उत्पादन करता है। यह प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों की भी मदद करता है। इस फाउंडेशन के उद्देश्यों
को और आगे ले जाने व ज्यादा लोगों को इस कार्य में जोड़ने की अपनी कोशिशों में, अभिषेक बच्चन कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर अंशु गुप्ता के साथ बैठ कर अमिताभ बच्चन के सवालों का जवाब देंगे। केबीसी की टीम ने इस सीजन के वार्डरोब से परिधानों को
वितरित करने के रूप में अपना छोटा सा सहयोग देकर उन्हें अपना समर्थन दिया।
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Television
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क्या हो सकता है पानी का आकार !
टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग से पहले गुइलर्मो डेल टोरो की फिल्म द शेप ऑफ़ वाटर का ट्रेलर जारी हुआ। यह फिल्म पानी की १९६० के दशक के अमेरिका की मानसिक रूप से बीमार पृष्ठभूमि पर कहानी है। अति उच्च सुरक्षा वाली सरकार की गुप्त प्रयोगशाला में अकेली एलिसा काम करती है। वह गूंगी है। उसके चारों ओर एकांत है और सन्नाटे का साम्राज्य है। एलिसा और उसकी सहकर्मी ज़ेल्डा की ज़िन्दगी उस समय बदल जाती है, जब वह एक महत्वपूर्ण पानी की आकृति की खोज कर लेती है। फिल्म में एलिसा का किरदार सैली हॉकिंस ने किया है और ज़ेल्डा ओक्टाविआ स्पेंसर बनी हैं। पानी की आकृति खुद डेल टोरो बने हैं। यह फिल्म ८ दिसंबर को अमेरिका में रिलीज़ होगी।
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टिफ में एंजेलिना जोली की फिल्म
पिछले दिनों, टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हॉलीवुड अभिनेत्री एंजेलिना जोली अपने छह बच्चों के साथ पहुंची थी। इस फेस्टिवल में जोली द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म फर्स्ट दे किल्ड माय फादर की स्क्रीनिंग हुई थी। काली ड्रेस में शानदार नज़र आ रही एंजेलिना अपने बच्चों और फिल्म की स्टार कास्ट के साथ बेहद खुश नज़र आ रही थी। जोली की यह फिल्म कंबोडिया में खमेर रूज़ शासन के दौरान जनता पर ढाये गए अत्याचार की आप बीती है। यह फिल्म कंबोडिया की मानवाधिकार कार्यकर्ता लौंग ऊंग के संस्मरणों पर आधारित है। फिल्म फर्स्ट दे किल्ड माय फादर नेटफ्लिक्स पर आज (१५ सितम्बर) को रिलीज़ हो रही है।
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Thursday, 14 September 2017
डॉक्टरों के अवैध ड्रग एक्सपेरिमेंट पर उम्मीद
उम्मीद के डायरेक्टर रजत एस मुख़र्जी मलाल है कि सेंसर बोर्ड सच को दिखाना नहीं चाहता। रजत का यह मलाल इस वजह से है कि उनकी फिल्म उम्मीद को यू/ए सर्टिफिकेट भी नहीं दिया गया। उम्मीद डॉक्टरी पेशे पर है। इस पेशे में अनैतिकता पर है। उम्मीद बताती है कि कैसे डॉक्टर अपने मरीजों पर गलत तरीके से दवाओं का परीक्षण करते हैं। रजत मुख़र्जी कहते हैं, "हमें सेंसर की तरफ से पत्र आया है। लेकिन, यू/ए सर्टिफिकेट न दिए जाने का कारण नहीं दिया है। हमसे कुछ ज़रूरी कट्स लगाने के लिए कहा गया है।" फिल्म उद्योग से प्रसून जोशी से काफी उम्मीदें थी। अगर रजत की नाउम्मीदी को देखें तो शुरुआत हो चुकी है। कहते हैं रजत, "अब कोई चारा नहीं है। हमें प्रसून जोशी की तैनाती से काफी उम्मीदें थी।" उम्मीद का विषय उम्दा लगता है। फिल्म में बताया गया है कि हमारे देश में हर साल ४८ हजार बच्चे लकवाग्रस्त हो जाते हैं, साढ़े ग्यारह हजार बच्चे मर जाते हैं। हमारे देश में अनैतिक रूप से दवाओं के परीक्षण की घटनाएँ बढती जा रही हैं। विदेशी दवा कंपनियां में भारत में अपनी दवाओं का परीक्षण डॉक्टरों के माध्यम से करवाते हैं। रजत मुख़र्जी आगे बताते हैं, "हमारी फिल्म का विषय रियल लाइफ घटना पर आधारित है। हम ऎसी परेशानियों को जानते-समझते थे। इसके बावजूद हमने फिल्म बनाने का फैसला किया। हमने सेंसर बोर्ड से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। फिलहाल, इस फिल्म की रिलीज़ अगली तारिख तक टाल दी गई है। उम्मीद के सितारों में पल्लवी दास, मोहन कपूर, यतिन कार्येकर, अंजलि पाटिल, मिलिंद गुणाजी, दलीप ताहिल, फ्रेडी दारूवाला, शिशिर मिश्र, हर्ष छाया और अचिंत कौर के नाम उल्लेखनीय है।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
नीरज मालवीय की शार्ट !
नीरज मालवीय के लिए यॉक बिलकुल अलग सा अनुभव रहा। राम मिलायी जोड़ी, एक हजारों में मेरी बहना है, एक मुट्ठी आसमान, तेरे शहर में और मेरे अंगने जैसे टीवी सीरियलों में अभिनय कर चुके नीरज कुछ हट कर करना चाहते थे। शॉर्ट फिल्म यॉक उन्हें कुछ अलग सा प्रोजेक्ट लगा। क्योंकि, यह उनकी पहली शार्ट फिल्म थी, नीरज को फिल्म का विषय बड़ा अच्छा लगा था। नीरज कहते हैं, "जब मैं अंश मेहता (फिल्म के डायरेक्टर) से मिला, उन्होंने मुझे कहानी सुनाई तो मैं उत्तेजित हुआ। बड़ा प्यारा प्रोजेक्ट है यह।" राजन शाही की यह फिल्म इंटरनेट के दर्शकों के लिए हैं। आजकल शॉर्ट फिल्मों का ट्रेंड चल निकला है। इंटरनेट पर ऎसी फिल्मों को देखने में दर्शकों की रूचि भी काफी होती है। यह फिल्म इस शुक्रवार इंटरनेट पर देखी जा सकेगी।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
एक गृहणी के रेडियो जॉकी बनने की तुम्हारी सुलु
बारह साल बाद, अभिनेत्री विद्या बालन एक बार फिर रेडियो जॉकी के किरदार में नज़र आयेंगी। तुम्हारी सुलु में विद्या बालन के हंसमुख गृहणी की भूमिका कर रही हैं, जो खाली वक़्त में रेडियो जॉकी बन जाती है। २००६ में रिलीज़ फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई में विद्या बालन ने एक रेडियो जॉकी जाह्नवी का किरदार किया था। यह किरदार अपनी आवाज़ से लोगों को दीवाना बना लेता है। तुम्हारी सुलु में वह एक बार फिर लोगों को अपनी आवाज़ से दीवाना बनाने की फ़िराक़ में हैं। पिछले दिनों इस फिल्म का टीज़र जारी किया गया था। इस टीज़र में विद्या बालन अपनी आवाज़ को सेक्सी बनाने की कोशिश करती नज़र आ रही थी। यह टीज़र फिल्म में विद्या के सुलोचना के किरदार के प्रति उत्सुकता पैदा करने वाला है। फिल्म में विद्या बालन के पति का किरदार मानव कौल और सुलु की महिला बॉस नेहा धूपिया बनी हैं। सुरेश त्रिवेणी निर्देशित तुम्हारी सुलु १ दिसंबर को रिलीज़ होगी।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
सेक्सी नहीं, बड़ी खतरनाक हैं बॉलीवुड की हसीनाएं
श्रद्धा कपूर नाज़ुक बदन हैं। वह आशिक़ की माशूका लगती हैं। उन पर रोमांटिक भूमिकाएं फबती भी हैं। इसीलिए उनकी फिल्म का टाइटल हसीना उनकी इमेज पर फबता लगता है। लेकिन, जैसे ही इस टाइटल के साथ पारकर जुड़ता है, यह हसीना एक खतरनाक गैंगस्टर बन जाती हैं। अपूर्व लखिया की फिल्म हसीना पारकर में श्रद्धा कपूर टाइटल रोल कर रही हैं। हसीना दाऊद इब्राहिम की बहन थी, जिसने दाऊद के कराची पाकिस्तान भाग जाने के बाद मुंबई में उसका कारोबार चलाया। श्रद्धा ने इस गोली चलाने के लिये हमेशा तैयार किरदार के लिए काफी मेहनत की है। फिल्म की शूटिंग के दौरान लोगों को उन्हें पहचानने में दिक्कत होती रही। श्रद्धा कपूर का एक माफिया का किरदार करना काफी बोल्ड फैसला लगता है।
लेकिन, बॉलीवुड की तमाम हसीन-तरीन नायिकाएं अब रफ़ टफ गैंगस्टर किरदारों की ओर आकर्षित होने लगी हैं। तमाम नाज़ुक बदन बॉलीवुड सेक्स बम अब बुलेट चलाने कल लिए तैयार हैं। वह केवल लेडी माफिया बन कर गोलियां नहीं चला रही, बल्कि एजेंट भी बन रही है। वह एक आम लड़की भी है, जो अन्याय के खिलाफ तन कर कड़ी हो जाती है। नायिका प्रधान फिल्म नाम शबाना में तपसी पन्नू का किरदार शबाना खान को एक इंटेलिजेंस एजेंसी हथियारों के सौदागरों को ख़त्म करने के लिए भाड़े में लेती है। शबाना एक बेहद खतरनाक किरदार है। वह छूटते ही गोलियां चलाने और जुडो-कराटे के गुर से दुश्मन की गर्दन तोड़ देने से परहेज नहीं करती है। एआर मुरुगोदास की इमेज एक्शन फिल्मों के डायरेक्टर वाली है। उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को नायिका बना कर फिल्म अकिरा का निर्माण किया था। सोनाक्षी सिन्हा का किरदार अकिरा शर्मा बचपन से ही गलत कामों का विरोध करने वाली लड़की थी, जिसे इसके लिए बाल संरक्षण गृह भेज दिया जाता है। सोनाक्षी सिन्हा ने इस रफ़टफ किरदार को बेहद प्रभावशाली ढंग से किया था।
पिछले दिनों यह खबर थी कि दीपिका पादुकोण विशाल भरद्वाज की फिल्म सपना दीदी में माफिया डॉन का किरदार कर रही हैं। सपना का असली नाम रहीमा खान था, जो सपना दीदी के नाम से मशहूर थी। यह महिला डॉन अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए डॉन दाऊद इब्राहिम की हत्या शारजाह में एक मैच के दौरान करने की योजना बनाती हैं। यह बात दीगर है कि दाऊद को इस खबर का पता चला गया। उसने इससे पहले ही सपना दीदी की हत्या करवा दी। यह फिल्म एस हुसैन ज़ैदी की किताब माफिया क्वींस ऑफ़ मुंबई के एक अध्याय पर आधारित है। हालाँकि, विशाल भरद्वाज ने फिल्म के रहीमा खान पर होने से इंकार किया है। यहाँ ख़ास खबर यह कि विशाल भरद्वाज इस किरदार के लिए रानी मुख़र्जी को लेना चाहते थे। लेकिन, रानी मुख़र्जी ने माफिया क्वीन बनने से साफ़ इंकार कर दिया। दीपिका पादुकोण ने फिल्म गोलियों की रासलीला रामलीला में भी बन्दूक चलाने की शौक़ीन लीला का खतरनाक मगर ग्लैमरस किरदार किया था। रेस ३ में दीपिका पादुकोण की अलीना भी बन्दूक चलाने में माहिर थी। हॉलीवुड फिल्म ट्रिपल एक्स : रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज में भी दीपिका का सेरेना उंगेर का किरदार काफी खतरनाक था। गैंग्स ऑफ़ वासेपुर सीरीज में ऋचा चड्ढा का नगमा का किरदार इस लिहाज़ से भी बोल्ड है कि वह अपने बेटे को तक हथियार उठाने और खून बहाने के लिए उकसाती है। ऋचा चड्ढा इस छोटे रोल में भी उभर कर आती है।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाली बन्दूक वाली
लेकिन, बॉलीवुड की तमाम हसीन-तरीन नायिकाएं अब रफ़ टफ गैंगस्टर किरदारों की ओर आकर्षित होने लगी हैं। तमाम नाज़ुक बदन बॉलीवुड सेक्स बम अब बुलेट चलाने कल लिए तैयार हैं। वह केवल लेडी माफिया बन कर गोलियां नहीं चला रही, बल्कि एजेंट भी बन रही है। वह एक आम लड़की भी है, जो अन्याय के खिलाफ तन कर कड़ी हो जाती है। नायिका प्रधान फिल्म नाम शबाना में तपसी पन्नू का किरदार शबाना खान को एक इंटेलिजेंस एजेंसी हथियारों के सौदागरों को ख़त्म करने के लिए भाड़े में लेती है। शबाना एक बेहद खतरनाक किरदार है। वह छूटते ही गोलियां चलाने और जुडो-कराटे के गुर से दुश्मन की गर्दन तोड़ देने से परहेज नहीं करती है। एआर मुरुगोदास की इमेज एक्शन फिल्मों के डायरेक्टर वाली है। उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को नायिका बना कर फिल्म अकिरा का निर्माण किया था। सोनाक्षी सिन्हा का किरदार अकिरा शर्मा बचपन से ही गलत कामों का विरोध करने वाली लड़की थी, जिसे इसके लिए बाल संरक्षण गृह भेज दिया जाता है। सोनाक्षी सिन्हा ने इस रफ़टफ किरदार को बेहद प्रभावशाली ढंग से किया था।
पिछले दिनों यह खबर थी कि दीपिका पादुकोण विशाल भरद्वाज की फिल्म सपना दीदी में माफिया डॉन का किरदार कर रही हैं। सपना का असली नाम रहीमा खान था, जो सपना दीदी के नाम से मशहूर थी। यह महिला डॉन अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए डॉन दाऊद इब्राहिम की हत्या शारजाह में एक मैच के दौरान करने की योजना बनाती हैं। यह बात दीगर है कि दाऊद को इस खबर का पता चला गया। उसने इससे पहले ही सपना दीदी की हत्या करवा दी। यह फिल्म एस हुसैन ज़ैदी की किताब माफिया क्वींस ऑफ़ मुंबई के एक अध्याय पर आधारित है। हालाँकि, विशाल भरद्वाज ने फिल्म के रहीमा खान पर होने से इंकार किया है। यहाँ ख़ास खबर यह कि विशाल भरद्वाज इस किरदार के लिए रानी मुख़र्जी को लेना चाहते थे। लेकिन, रानी मुख़र्जी ने माफिया क्वीन बनने से साफ़ इंकार कर दिया। दीपिका पादुकोण ने फिल्म गोलियों की रासलीला रामलीला में भी बन्दूक चलाने की शौक़ीन लीला का खतरनाक मगर ग्लैमरस किरदार किया था। रेस ३ में दीपिका पादुकोण की अलीना भी बन्दूक चलाने में माहिर थी। हॉलीवुड फिल्म ट्रिपल एक्स : रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज में भी दीपिका का सेरेना उंगेर का किरदार काफी खतरनाक था। गैंग्स ऑफ़ वासेपुर सीरीज में ऋचा चड्ढा का नगमा का किरदार इस लिहाज़ से भी बोल्ड है कि वह अपने बेटे को तक हथियार उठाने और खून बहाने के लिए उकसाती है। ऋचा चड्ढा इस छोटे रोल में भी उभर कर आती है।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाली बन्दूक वाली
हथियार उठा ले तो हीरोइन का पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है। अंकुर की रोती-बिलखती शोषित लक्ष्मी, जब विनय शुक्ल की फिल्म गॉडमदर में संतोख बेन जडेजा का रील लाइफ किरदार रांभी बन कर बन्दूक उठाती है, तो दोनों ही भूमिकाएं करने वाली शबाना आज़मी को पांचवां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल जाता है। फिल्म अभिनेत्री को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाने में नायिका के हाथ में बन्दूक का ख़ास योगदान है। गॉडमदर की शबाना आज़मी से तीन साल पहले सीमा बिस्वास ने शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन में फूलन देवी को ऑन स्क्रीन किया था। इस किरदार के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली ही, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल गया। यह उनका इकलौता राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड है।
बन्दूक से खेलने वाली नायिकाओं के किरदार करने वाली अभिनेत्रियों में एक हसीना थी की प्रतिमा काज़मी, इश्क़िया की विद्या बालन, गुलाब गैंग की माधुरी दीक्षित, डिपार्टमेंट की मधु शालिनी, शबरी में एशा कोपिकर, कहानी और कहानी २ : दुर्गा रानी सिंह की विद्या बालन के नाम उल्लेखनीय हैं। फिल्म फस गया रे में नेहा धूपिया का हर वक़्त बन्दूक थामे रहने वाला किरदार भी काफी रोचक बन पड़ा था। सुपारी में नंदिता दास गैंगस्टर बनी थी, लेकिन, उन्होंने पूरी फिल्म में गोली नहीं चलाई थी।
कुछ साल पहले यह खबर थी कि अजय देवगन ने अपनी पत्नी काजोल के लिये एक विदेशी ड्रामा पेनोजो पर फिल्म बनाने के अधिकार खरीदें हैं। पेनोजो एक महिला की कहानी है, जिसका पति एक माफिया के लिए काम करता था। पति की हत्या के बाद वह माफिया के गैंग में शामिल हो जाती है और अपने पति के हत्याओं का पता लगा कर अपना बदला लेती है। इस नाटक के फिल्म रूपांतरण पर राम माधवानी काम करने जा रहे थे। लेकिन, अभी तक इस फिल्म का निर्माण ही शुरू नहीं हो सका है। अलबत्ता, फिल्म दिलवाले में काजोल का मीरा का किरदार काफी कुछ मिलता जुलता है।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बॉलीवुड में खानदान का सिक्का चलता है मगर.....!
कुछ समय पहले अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी बॉलीवुड में डायनेस्टी रूल का मुद्दा उठा था । उस समय फिल्म इंडस्ट्री दो धड़ों में बंट गई थी। लेकिन क्या सचमुच इंडस्ट्री में खानदान की चलती है ? नाम लें तो पृथ्वीराज कपूर से राज कपूर और फिर ऋषि कपूर और रणबीर कपूर इंडस्ट्री का ऐसा पहला खानदान है। नरगिस, शोभना समर्थ, देओल, बच्चन, खान, अख्तर, आदि बहुत से खानदान ऐसे हैं, जिनके बच्चों का इस इंडस्ट्री में राज है। मगर, क्या यह सभी अपने खानदान के बलबूते ही इतनी शोहरत पा सके। इंडस्ट्री में अपनी जगह बना सके ! पृथ्वीराज कपूर थिएटर से फिल्मों में आये थे। यह भारतीय सिनेमा का शुरूआती युग था। पृथ्वीराज कपूर अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व और अभिनय क्षमता के बल पर भारतीय सिनेमा के पहले कपूर परिवार की नींव रख पाने में सफल हुए। लेकिन, उन्होंने अपने बेटों राजकपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर को इंडस्ट्री पर फाॅर्स नहीं किया। राजकपूर ने क्लैपर बॉय से अपने फिल्म करियर की शुरुआत की। खुद को हीरो देखने की ललक में निर्देशक किदार शर्मा का चांटा खाया। इसके बाद ही वह राजकपूर बन पाए। शम्मी कपूर और शशि कपूर ने भी सफलता पाई। लेकिन, पृथ्वीराज कपूर के बेटों या राजकपूर के भाइयों की तरह नहीं। फिल्मों के शुरूआती दौर में नरगिस, शोभना समर्थ, भट्ट, आदि ने सफलता चाहे पा ली हो। लेकिन, बाद की पीढ़ियों को ऎसी सफलता आसानी से नहीं मिली।
राजकपूर ने बेटे ऋषि कपूर को लेकर पहले मेरा नाम जोकर और फिर बॉबी बनाई। हीरो बनाने के लिए तो उन्होंने रणधीर कपूर और राजीव कपूर के लिए भी फ़िल्में बनाई। लेकिन, फिल्म इंडस्ट्री में जगह किसने बनाई। राजीव कपूर का आज कोई नामलेवा नहीं है। शशि कपूर के बेटे फ्लॉप हुए, बेटी संजना ने थिएटर में नाम कमाया। शम्मी कपूर के बेटे का नाम तो कोई भी नहीं जानता होगा। रणधीर कपूर की बेटियां करिश्मा कपूर और करीना कपूर को इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने में भरपूर मेहनत करनी पड़ी। रणबीर कपूर बड़ी फ्लॉप फिल्मों के बावजूद आज भी इंडस्ट्री में बने हुए हैं तो केवल अपनी प्रतिभा के बलबूते। अगर प्रतिभा पैमाना नहीं होती मेगा स्टार अमिताभ बच्चन के पुत्र अभिषेक बच्चन यो बेकार न बैठे होते। नरगिस के बेटे संजय दत्त अपनी प्रतिभा के कारण ही फिल्मों में बने हुए हैं। शोभना समर्थ की बेटियां नूतन और तनूजा अपनी प्रतिभा के बलबूते ही इंडस्ट्री में जमी रह सकी । नूतन के बेटे मोहनीश बहल फिल्मों में नाकाम रहे। तनूजा की दो बेटियों में काजोल सफल हुई, जबकि तनिष्ठा को असफलता का मुंह देखना पड़ा। नानाभाई भट्ट के बेटे महेश भट्ट ने बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाई, लेकिन उनकी एक बेटी पूजा भट्ट को शुरूआती सफलता ही मिली। आलिया भट्ट अपनी जगह बनाने कोशिश में हैं।
ज़ाहिर है कि बॉलीवुड में प्रतिभा की पूछ है। शाहरुख़ खान, प्रियंका चोपड़ा, कंगना रनौत, आदि बहुत से एक्टर इसका प्रमाण है। इसके बावजूद कपूरों, देओलों, खानों के बेटो बेटियों के फिल्मों में आने की खबरें सुर्ख हैं। इसे डायनेस्टी रूल नहीं तो क्या कहा जाएगा ? राजनीति के खानदान और फिल्मों के खानदानों में काफी फर्क है। फिल्मों के खानदानियों को जनता के दिलों में अपनी जगह बनानी होती है। जो जगह नहीं बना पाता उसे इंडस्ट्री किनारे कर देती है। इसके बावजूद किसी ख़ास खानदान के बेटे बेटियों के आने का सिलसिला क्यों कायम है? दरअसल, दर्शक खुद चाहता है इन नए चेहरों को देखना। उन्हें शाहरुख़ खान के बेटे, श्रीदेवी की बेटी और सनी देओल के बेटे का इंतज़ार है। वह देखना चाहता है कि क्या शाहरुख़ खान का बेटा बाप की ही तरह प्रतिभाशाली है ? क्या श्रीदेवी की बेटी भी माँ की तरह ग्लैमरस और अभिनयशील है ? क्या सनी देओल के बेटे का घूँसा भी ढाई किलो का साबित होगा? इसी तुलना के मद्देनज़र तमाम स्टार संस और डॉटर इंडस्ट्री में आते हैं। कुछ जगह बना पाते हैं, कुछ देर-सबेर बाहर हो जाते हैं।
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फिल्म पुराण
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