पिछले दिनों यशराज फिल्म्स बैनर तले बनी धूम सीरीज की तीसरी फिल्म धूम ३ इसी साल दिसम्बर में दिसम्बर में क्रिसमस डे वीकेंड में रिलीज़ होगी. इस फिल्म में दो धूम फिल्मों के अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा अपनी अपनी भूमिका निबाह रहे हैं। पिछले दिनों इस फिल्म की शूटिंग शिकागो शहर में तीन महीने तक हुइ. इस शूटिंग की कुछ झलकियाँ जारी हुई है. पेश है इनमे से कुछ फोटो।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Monday 19 August 2013
शिकागो में तीन महीने तक धूम (3)
पिछले दिनों यशराज फिल्म्स बैनर तले बनी धूम सीरीज की तीसरी फिल्म धूम ३ इसी साल दिसम्बर में दिसम्बर में क्रिसमस डे वीकेंड में रिलीज़ होगी. इस फिल्म में दो धूम फिल्मों के अभिषेक बच्चन और उदय चोपड़ा अपनी अपनी भूमिका निबाह रहे हैं। पिछले दिनों इस फिल्म की शूटिंग शिकागो शहर में तीन महीने तक हुइ. इस शूटिंग की कुछ झलकियाँ जारी हुई है. पेश है इनमे से कुछ फोटो।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Sunday 18 August 2013
पैसे वालों की पिंकी बांधेगी तेजा की ज़ंजीर
अपूर्व लाखिया की फिल्म ज़ंजीर २.० रीमेक है १९७३ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन की हिट फिल्म ज़ंजीर का रीमेक है. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के इंस्पेक्टर विजय खन्ना दक्षिण के सुपर स्टार रामचरन तेजा बने हैं। प्राण के शेर खान संजय दत्त बने हैं तो अजित का रोल प्रकाश राज कर रहे हैं. प्रिया गिल २०१३ की मोना डार्लिंग हैं. महत्वपूर्ण है ज़ंजीर में जया बच्चन का माला का रोल। रीमेक फिल्म में इसे प्रियंका चोपरा कर रही हैं. लेकिन, जया बच्चन की माला और प्रियंका चोपरा की माला में फर्क है. जया बच्चन ज़ंजीर में एक चाकू छुरी तेज़ करने वाली लड़की की भूमिका में थी, जो सड़क पर ही मारा मारी करने को तैयार हो जाती थी. प्रियंका चोपरा की माला एक एन आर आई लड़की है. वह एक मर्डर की चश्मदीद गवाह है. जाहिर है कि १९७३ की माला और २०१३ की माला में फर्क होने के बावजूद समानता यह है कि दोनों ही मालाएं सड़क पर ही डांस गा सकती है. इस मामले में प्रियंका चोपरा की माला जया बच्चन की माला से ज्यादा सेक्सी हो गयी है. प्रकाश महरा की ज़ंजीर में जया बच्चन चक्कू छुरियां तेज़ करा लो की हांक लगा कर लोगों को आकर्षित करती थीं. पर इसमे सेक्स अपील जैसी कोई बात नहीं थी. इसका जिम्मा मोना डार्लिंग बनी बिंदु को सौंपा गया था. लेकिन, २०१३ की ज़ंजीर में माही गिल जैसी सेक्सी मोना होने के बावजूद प्रियंका चोपरा की माला को भी सेक्सी लगने की ज़रुरत पड़ गयी. वह पिंकी बन कर अपनी सेक्स अपील का प्रदर्शन कर रही है. वह फिल्म शूल की आइटम डांसर शिल्पा शेट्टी की सेंडिल में पैर डालते हुए मुंबई की न दिल्ली वालों की, पिंकी है पैसे वालों की जैसा ललचाऊ आइटम करके दर्शकों को सेक्स अपील की खुराक दे रही हैं.
इसी साल शूटआउट एट वडाला के पिंकी बदमाश आइटम से सनी लियॉन और सोफी चौधरी को टक्कर देने वाली प्रियंका चोपरा खालिस पिंकी बन कर दर्शकों की नींद उड़ाने आ रही है. इसमे उनकी मदद मुन्नी बदनाम हुई जैसा सेक्सी गीत गाने वाली ममता शर्मा और हलकट जवानी और चकनी चमेली जैसे आइटम गीतों के कोरियोग्राफर गणेश अचार्य कर रहे हैं. क्या प्रियंका चोपरा इस साल के सेक्सिएस्ट हिट आइटम की ज़ंजीर से तेजा की ज़ंजीर को हिट बनाने जा रही हैं!
इसी साल शूटआउट एट वडाला के पिंकी बदमाश आइटम से सनी लियॉन और सोफी चौधरी को टक्कर देने वाली प्रियंका चोपरा खालिस पिंकी बन कर दर्शकों की नींद उड़ाने आ रही है. इसमे उनकी मदद मुन्नी बदनाम हुई जैसा सेक्सी गीत गाने वाली ममता शर्मा और हलकट जवानी और चकनी चमेली जैसे आइटम गीतों के कोरियोग्राफर गणेश अचार्य कर रहे हैं. क्या प्रियंका चोपरा इस साल के सेक्सिएस्ट हिट आइटम की ज़ंजीर से तेजा की ज़ंजीर को हिट बनाने जा रही हैं!
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday 16 August 2013
कूड़ा एक्सप्रेस से लौटेंगे न दुबारा तक दर्शक
एक हफ्ते के अन्दर बॉलीवुड के दो बड़े सितारा अभिनेताओं ने बता दिया कि वह किस प्रकार से अपनी सुपर स्टार इमेज के जरिये अपनी कूड़ा फिल्मों को अच्छा इनिशियल दिलवा कर अपने प्रशंसक दर्शकों को बेवक़ूफ़ बना रहे है. ईद के दिन शाहरुख़ खान की चेन्नई एक्सप्रेस रिलीज़ हुई थी. पिछले चार सालों से सलमान खान बॉक्स ऑफिस पर अपनी कूड़ा फ़िल्में गिरा कर दर्शकों को दुह रहे थे. इसीलिए जब ईद २०१३ पर ९ अगस्त को शाहरुख़ खान की फिल्म रिलीज़ होने का ऐलान हुआ तो उनके प्रशंसकों और बॉलीवुड के आम दर्शकों में उम्मीद जगी कि इस खान से कोई क्वालिटी फिल्म देखने को मिलेगी. लेकिन हुआ क्या चेन्नई एक्सप्रेस ने सलमान खान की पहले की कूड़ा फिल्मों की तर्ज़ पर कूड़ा उंडेलते हुए सलमान खान की फिल्मों का बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे तेज़ १०० करोड़ कमा लिये. लेकिन, चेन्नई एक्सप्रेस पैसेंजर ट्रेन की तरह घटिया चाल और कूड़ा करकट फैली हुई थी. यही कारण था कि रिलीज़ के चौथे दिन इस फिल्म का कलेक्शन ६१ प्रतिशत से ज्यादा गिर गया और तीन दिनों से बॉक्स ऑफिस पर एक्सप्रेस रफ़्तार भर रही फिल्म पैसेंजर रफ़्तार से चलने लगी. जिस फिल्म के लिए रोज आंकड़ों की बाजीगरी की जा रही थी, वह अब २०० करोड़ तक कब पहुंचेगी, यह कहना मुश्किल लग रहा है.
चेन्नई एक्सप्रेस का पैसेंजर निकलना अक्षय कुमार की फिल्म इन मुंबई दुबारा के लिए वरदान से कम नहीं था. क्योंकि,चेन्नई एक्सप्रेस के मुकाबले अपॉन अ टाइम …को स्क्रीन कम मिल पाने के कारण ही वन्स अपॉन की रिलीज़ छह दिन आगे बढ़ा कर १५ अगस्त कर दी गयी थी. वैसे इसके बावजूद वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा को पहले दिन बहुत कम स्क्रीन मिले. दूसरे दिन यानि आज मात्र २७०० प्लस स्क्रीन में ही रिलीज़ हो पायी है. लेकिन, १५ अगस्त को खचाखच भरे सिनेमाघरों के दर्शकों ने फिल्म के लिए मुसीबत पैदा कर दी. वन्स अपॉन के लिए दर्शकों में बेहद उत्साह था. एक तो हिट फिल्म का सीक्वल होने तथा दूसरा अक्षय कुमार की फिल्म होने के कारण। अक्षय कुमार से दर्शकों को ख़ास अपेक्षा थी, क्योंकि उन्होंने दर्शकों को O M G ओह माय गॉड और स्पेशल २६ जैसी बढ़िया फ़िल्में दी थीं. मगर, एक हफ्ते से भी कम समय में अक्षय कुमार की फिल्म ने भी यह साबित कर दिया की बॉलीवुड के सुपर स्टार फेस्टिवल क्राउड को मूर्ख बना कर अपनी कूड़ा फिल्मों को सौ करोडिया बनाने का गेम खेल रहे है.
फेस्टिवल में कूड़ा फैलाने से नाराज़ दर्शकों ने चेन्नई एक्सप्रेस के कलेक्शन में भारी गिरावट पैदा कर सुपर स्टार्स को चेतावनी दे दी है. पूरी उम्मीद है कि दर्शक वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा को दर्शक दुबारा देखने ना जाएँ। ऐसे में अक्षय कुमार की फिल्म का वीकेंड भी खराब जा सकता है. पर यह कठोर चेतावनी होगी, दर्शकों की तरफ से बॉलीवुड के तमाम अभिनेताओं को.
चेन्नई एक्सप्रेस और वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा के द्वारा ईद-इंडिपेंडेंस डे वीकेंड में फैलायी गयी कूडागिरी के मद्देनज़र सोचने की जितनी ज़रुरत सुपर स्टार्स को है, उससे कहीं ज्यादा सोचने की ज़रुरत दर्शकों को है कि वह कूड़ा फिल्मों का वहिष्कार करें। उन्हें वह ओपनिंग नहीं दे, जिससे बिग स्टार्स उत्साहित हो कर अपना कूड़ा माल बॉक्स ऑफिस पर गिरा रहे हैं. अगर ऐसा हो गया तो निश्चित मानिये अगले तीन चार सालों में दर्शकों का फेस्टिवल वीकेंड सचमुच फेस्टिवल वाले उत्साह से भरा होगा.
चेन्नई एक्सप्रेस का पैसेंजर निकलना अक्षय कुमार की फिल्म इन मुंबई दुबारा के लिए वरदान से कम नहीं था. क्योंकि,चेन्नई एक्सप्रेस के मुकाबले अपॉन अ टाइम …को स्क्रीन कम मिल पाने के कारण ही वन्स अपॉन की रिलीज़ छह दिन आगे बढ़ा कर १५ अगस्त कर दी गयी थी. वैसे इसके बावजूद वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा को पहले दिन बहुत कम स्क्रीन मिले. दूसरे दिन यानि आज मात्र २७०० प्लस स्क्रीन में ही रिलीज़ हो पायी है. लेकिन, १५ अगस्त को खचाखच भरे सिनेमाघरों के दर्शकों ने फिल्म के लिए मुसीबत पैदा कर दी. वन्स अपॉन के लिए दर्शकों में बेहद उत्साह था. एक तो हिट फिल्म का सीक्वल होने तथा दूसरा अक्षय कुमार की फिल्म होने के कारण। अक्षय कुमार से दर्शकों को ख़ास अपेक्षा थी, क्योंकि उन्होंने दर्शकों को O M G ओह माय गॉड और स्पेशल २६ जैसी बढ़िया फ़िल्में दी थीं. मगर, एक हफ्ते से भी कम समय में अक्षय कुमार की फिल्म ने भी यह साबित कर दिया की बॉलीवुड के सुपर स्टार फेस्टिवल क्राउड को मूर्ख बना कर अपनी कूड़ा फिल्मों को सौ करोडिया बनाने का गेम खेल रहे है.
फेस्टिवल में कूड़ा फैलाने से नाराज़ दर्शकों ने चेन्नई एक्सप्रेस के कलेक्शन में भारी गिरावट पैदा कर सुपर स्टार्स को चेतावनी दे दी है. पूरी उम्मीद है कि दर्शक वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा को दर्शक दुबारा देखने ना जाएँ। ऐसे में अक्षय कुमार की फिल्म का वीकेंड भी खराब जा सकता है. पर यह कठोर चेतावनी होगी, दर्शकों की तरफ से बॉलीवुड के तमाम अभिनेताओं को.
चेन्नई एक्सप्रेस और वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा के द्वारा ईद-इंडिपेंडेंस डे वीकेंड में फैलायी गयी कूडागिरी के मद्देनज़र सोचने की जितनी ज़रुरत सुपर स्टार्स को है, उससे कहीं ज्यादा सोचने की ज़रुरत दर्शकों को है कि वह कूड़ा फिल्मों का वहिष्कार करें। उन्हें वह ओपनिंग नहीं दे, जिससे बिग स्टार्स उत्साहित हो कर अपना कूड़ा माल बॉक्स ऑफिस पर गिरा रहे हैं. अगर ऐसा हो गया तो निश्चित मानिये अगले तीन चार सालों में दर्शकों का फेस्टिवल वीकेंड सचमुच फेस्टिवल वाले उत्साह से भरा होगा.
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday 15 August 2013
वन्स अपॉन अ टाइम भी यह डॉन रोमांटिक नहीं हो सकता
बॉलीवुड के फिल्मकारों को पूरा हक है कि वह रावण पर फिल्म बनायें। लेकिन, यह ध्यान रखें कि रावण को राम नहीं बनाया जा सकता। इसलिए, जब रावण पर फिल्म बनानी है तो रावण के चरित्र को सावधानीपूर्वक बनाना पडेगा. ध्यान रखना होगा कि करैक्टर में ऎसी खामियां न रह जाएँ कि रावण न राम रहे , न रावण ही. मिलन लुथरिया निर्देशित रजत अरोरा की लिखी फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम दुबारा में अक्षय कुमार के करैक्टर के साथ ऐसा ही कुछ हुआ है.
वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा २०१० की मिलन लुथरिया की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई का सीक्वल है. २०१० की फिल्म हाजी मस्तान और दाऊद इब्राहीम के रिलेशन पर थी. इसका सीक्वल दाऊद इब्राहीम और एक काल्पनिक करैक्टर की एक ही लड़की से प्रेम की वास्तविक-काल्पनिक प्रेम कहानी है. शोहेब खान गद्दार रावल को मारने इंडिया आता है. यहाँ आकर वह एक लड़की के प्रेम में पड़ जाता है. उसी लड़की से उसका बचपन का दोस्त असलम भी प्रेम करता है.
फिल्म की निर्माता एकता कपूर और निर्देशक मिलन लुथरिया के साथ अक्षय कुमार भी यह कहते घूम रहे थे कि यह फिल्म दाऊद पर नहीं। लेकिन, वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई का सीक्वल होने और अक्षय कुमार के करैक्टर शोहेब के मेकअप और गेटअप से दाऊद का धोखा होने से यह फिल्म दाऊद इब्राहीम पर फिल्म ही बैठती है. जितना आम दर्शक को मालूम है दाऊद एक अव्वल नंबर का ऐय्याश और क्रूर गैंगस्टर था. उसका शगल फिल्म अभिनेत्रियों के साथ ऐय्याशी करना था. उसने मुंबई में धमाके कर सैकड़ों बेगुनाह लोगों की जान ली थीं. ऐसे घटिया चरित्र को फिल्म का नायक बनाना मिलन लुथरिया और एकता कपूर की भारी भूल थी. उस पर उसे अपनी इमेज से बिलकुल अलग रोमांटिक दिखाया गया है. अक्षय कुमार पर रोमांस जम सकता है, लेकिन अक्षय कुमार के दाऊद पर यह रोमांस बिलकुल नहीं जमता. सो अक्षय कुमार बिलकुल हत्थे से उखड़े नज़र आते हैं. अलबत्ता कहीं कहीं उनका काम अच्छा है. इमरान खान को एक्टिंग आती ही नहीं। इसलिए वह अपने करैक्टर को बस निबाह ले जाते हैं. सोनाक्षी सिन्हा अब रूटीन होती जा रही हैं. उनके करैक्टर में बिलकुल जान नहीं थी, इसलिए उनकी एक्टिंग में जान का सवाल ही नहीं था. अन्य पात्रों में सोनाली बेन्द्रे, कुरुष देबू, सोफी चौधरी, टिकू , आदि सामान्य है. इस बेजान चरित्रों वाली फिल्म में केवल डेढ़ टांग का करैक्टर ही आकर्षित करता है, वह भी पितोबश त्रिपाठी के बेहतरीन अभिनय के कारण।
फिल्म की सबसे बड़ी कमी फिल्म की बेजान कहानी और ढीली ढाली स्क्रिप्ट है. शोहेब का करैक्टर न तो गैंगस्टर लगता है, न रोमांटिक। यह मिलन की बेबसी थी कि उसे एक रियल लाइफ गैंगस्टर को रोमांटिक दिखाना था. अब ऎसी मजबूरी में स्क्रिप्ट की मजबूती की डिमांड तो बनती ही थी. रजत अरोरा और उनकी स्क्रिप्ट टीम मेहनत करती नज़र नहीं आती. कोई भी फ्रेम प्रभावित नहीं करता। रोमांटिक फिल्मों के लिए चरित्रों के बीच की केमिस्ट्री और इंटेंसिटी महत्वपूर्ण होती है. फिल्म के तीनों मुख्य चरित्रों को ठीक ढंग से बुना ही नहीं गया है. सोनाक्षी सिन्हा का यस्मिन का चरित्र ना जाने किस दुनिया का है, जो फिल्म अभिनेत्री तो बन जाती है, लेकिन यह नहीं जानती की शोहेब एक डॉन है. इमरान खान तो त्रिकोण बनाने अनावश्यक टपकाए गए हैं. सो वह टपक कर बह जाते है. इन तीनों कलाकारों को वर्कशॉप करनी चाहिए थी ताकि एक दूसरे के चरित्रों की समझ हो जाती। फिल्म के करैक्टर अंडरवर्ल्ड के हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि भाषा को घटिया स्टार तक गिरा दिया जाये. फिल्म में महिलाओं के लिए अपमानजनक संवादों की भरमार है. डेढ़ टांग और उसकी प्रेमिका के बीच कार में सेक्स के दृश्यों को ख्वामख्वाह तूल दी गयी है. यह अरुचिकर हैं. प्रीतम ने पहली बार फिल्म से ज्यादा बेकार संगीत दिया है. फिल्म का कोई ऐसा डिपार्टमेंट नहीं जिसकी तारीफ की जा सके या कुछ कहा जाये. फिल्म की लम्बाई उकताने वाली है.
बॉलीवुड का दुर्भाग्य है कि गैंगस्टर से आगे कुछ सोच नहीं पाता. उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि वह दाऊद की छाया से बाहर नहीं निकल पा रहा. उससे भी बड़ा दुर्भाग्य दर्शकों का है कि उन्हें फेस्टिव सीजन में वन्स अपॉन और चेन्नई एक्सप्रेस जैसी रद्दी फिल्मों में अपना पैसा गलाना पड़ रहा है. अब यह देश का भी दुर्भाग्य है कि उसका जन गण देश के दुश्मन के अवतार के लिए तालियाँ और सीटियाँ बजा रहा है.
वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा २०१० की मिलन लुथरिया की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई का सीक्वल है. २०१० की फिल्म हाजी मस्तान और दाऊद इब्राहीम के रिलेशन पर थी. इसका सीक्वल दाऊद इब्राहीम और एक काल्पनिक करैक्टर की एक ही लड़की से प्रेम की वास्तविक-काल्पनिक प्रेम कहानी है. शोहेब खान गद्दार रावल को मारने इंडिया आता है. यहाँ आकर वह एक लड़की के प्रेम में पड़ जाता है. उसी लड़की से उसका बचपन का दोस्त असलम भी प्रेम करता है.
फिल्म की निर्माता एकता कपूर और निर्देशक मिलन लुथरिया के साथ अक्षय कुमार भी यह कहते घूम रहे थे कि यह फिल्म दाऊद पर नहीं। लेकिन, वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई का सीक्वल होने और अक्षय कुमार के करैक्टर शोहेब के मेकअप और गेटअप से दाऊद का धोखा होने से यह फिल्म दाऊद इब्राहीम पर फिल्म ही बैठती है. जितना आम दर्शक को मालूम है दाऊद एक अव्वल नंबर का ऐय्याश और क्रूर गैंगस्टर था. उसका शगल फिल्म अभिनेत्रियों के साथ ऐय्याशी करना था. उसने मुंबई में धमाके कर सैकड़ों बेगुनाह लोगों की जान ली थीं. ऐसे घटिया चरित्र को फिल्म का नायक बनाना मिलन लुथरिया और एकता कपूर की भारी भूल थी. उस पर उसे अपनी इमेज से बिलकुल अलग रोमांटिक दिखाया गया है. अक्षय कुमार पर रोमांस जम सकता है, लेकिन अक्षय कुमार के दाऊद पर यह रोमांस बिलकुल नहीं जमता. सो अक्षय कुमार बिलकुल हत्थे से उखड़े नज़र आते हैं. अलबत्ता कहीं कहीं उनका काम अच्छा है. इमरान खान को एक्टिंग आती ही नहीं। इसलिए वह अपने करैक्टर को बस निबाह ले जाते हैं. सोनाक्षी सिन्हा अब रूटीन होती जा रही हैं. उनके करैक्टर में बिलकुल जान नहीं थी, इसलिए उनकी एक्टिंग में जान का सवाल ही नहीं था. अन्य पात्रों में सोनाली बेन्द्रे, कुरुष देबू, सोफी चौधरी, टिकू , आदि सामान्य है. इस बेजान चरित्रों वाली फिल्म में केवल डेढ़ टांग का करैक्टर ही आकर्षित करता है, वह भी पितोबश त्रिपाठी के बेहतरीन अभिनय के कारण।
फिल्म की सबसे बड़ी कमी फिल्म की बेजान कहानी और ढीली ढाली स्क्रिप्ट है. शोहेब का करैक्टर न तो गैंगस्टर लगता है, न रोमांटिक। यह मिलन की बेबसी थी कि उसे एक रियल लाइफ गैंगस्टर को रोमांटिक दिखाना था. अब ऎसी मजबूरी में स्क्रिप्ट की मजबूती की डिमांड तो बनती ही थी. रजत अरोरा और उनकी स्क्रिप्ट टीम मेहनत करती नज़र नहीं आती. कोई भी फ्रेम प्रभावित नहीं करता। रोमांटिक फिल्मों के लिए चरित्रों के बीच की केमिस्ट्री और इंटेंसिटी महत्वपूर्ण होती है. फिल्म के तीनों मुख्य चरित्रों को ठीक ढंग से बुना ही नहीं गया है. सोनाक्षी सिन्हा का यस्मिन का चरित्र ना जाने किस दुनिया का है, जो फिल्म अभिनेत्री तो बन जाती है, लेकिन यह नहीं जानती की शोहेब एक डॉन है. इमरान खान तो त्रिकोण बनाने अनावश्यक टपकाए गए हैं. सो वह टपक कर बह जाते है. इन तीनों कलाकारों को वर्कशॉप करनी चाहिए थी ताकि एक दूसरे के चरित्रों की समझ हो जाती। फिल्म के करैक्टर अंडरवर्ल्ड के हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि भाषा को घटिया स्टार तक गिरा दिया जाये. फिल्म में महिलाओं के लिए अपमानजनक संवादों की भरमार है. डेढ़ टांग और उसकी प्रेमिका के बीच कार में सेक्स के दृश्यों को ख्वामख्वाह तूल दी गयी है. यह अरुचिकर हैं. प्रीतम ने पहली बार फिल्म से ज्यादा बेकार संगीत दिया है. फिल्म का कोई ऐसा डिपार्टमेंट नहीं जिसकी तारीफ की जा सके या कुछ कहा जाये. फिल्म की लम्बाई उकताने वाली है.
बॉलीवुड का दुर्भाग्य है कि गैंगस्टर से आगे कुछ सोच नहीं पाता. उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि वह दाऊद की छाया से बाहर नहीं निकल पा रहा. उससे भी बड़ा दुर्भाग्य दर्शकों का है कि उन्हें फेस्टिव सीजन में वन्स अपॉन और चेन्नई एक्सप्रेस जैसी रद्दी फिल्मों में अपना पैसा गलाना पड़ रहा है. अब यह देश का भी दुर्भाग्य है कि उसका जन गण देश के दुश्मन के अवतार के लिए तालियाँ और सीटियाँ बजा रहा है.
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday 14 August 2013
इस इंडिपेंडेंस डे दाऊद के लिए बजेंगी तालियाँ !
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इस शुक्रवार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Sunday 11 August 2013
एक्सपंड हुआ The Expendables ३ बाहर हुए ब्रूस विलिस
राइटर, डायरेक्टर और एक्टर के रूप में सिल्वेस्टर स्टेलोन की २०१० में रिलीज़ एक्शन पैक्ड फिल्म The Expendables में हॉलीवुड के सितारों की भीड़ थी तथा ८० मिलियन डॉलर में बनी इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड बॉक्स ऑफिस पर २७४ मिलियन डॉलर से ज्यादा कमाए थे. इससे उत्साहित हो कर स्टेलोन ने फिल्म के सीक्वल The Expendables २ को २०१२ में प्रदर्शित किया. पर इस सीक्वल फिल्म का निर्देशन साइमन वेस्ट ने किया था. इस फिल्म का बजट १०० मिलियन का था और फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ३०० मिलियन डॉलर से ज्यादा का कलेक्शन किया था. ऐसे सिल्वेस्टर स्टेलोन का फिल्म के तीसरे भाग को बनाना स्वाभाविक था. लेकिन, स्टेलोन का Tweet पढ़ कर लोग उस समय चौंक गए, जिसमे स्टेलोन ने ब्रूस विलिस को लालची बताया था. उसी समय यह कयास लगाया जाने लगा था कि The Expendables ३ में ब्रूस विलिस नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि पहले के दो हिस्सों में ब्रूस विलिस का रोल महत्वपूर्ण था. अब यह खबर है कि ब्रूस विलिस ने १ मिलियन डॉलर प्रतिदिन की मांग की थी। सिल्वेस्टर अपने दोस्त को इतनी ज्यादा रकम देने को तैयार नहीं थे. इसलिए, ब्रूस फिल्म की कास्ट से बाहर हो गए और उनकी जगह मेल गिब्सन आ गये. इन दोनों ने १९९५ में रिलीज़ फिल्म असेसिन में साथ काम किया था. The Expendables ३ के निर्देशन की कमान पैट्रिक Hughes के हाथ में होगी. यह फिल्म अगले साल १५ अगस्त को रिलीज़ होगी.
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday 9 August 2013
पेसंजरों के इंतज़ार में चेन्नई एक्सप्रेस !
राष्ट्रीय पर्वों के अलावा ईद, होली, दीवाली और क्रिसमस ऐसे त्यौहार होते हैं, जिनके वीकेंड में अपनी फ़िल्में रिलीज़ करवा कर तमाम खान और कुमार १०० करोडिया हीरो बन जाते है और सीना ताने घूमते हैं कि वह इतनी इतनी सौ करोडिया फिल्म के हीरो हैं. यह अभिनेता बिना यह सोचे कि कचरे के ढेर पर खड़े होकर हॉलिडे वीकेंड का फायदा उठाते हुए उन्होंने दर्शकों को मूर्ख बनाया है. पिछले चार सालों से सलमान खान ईद पर अपना कचरा फिल्म परोस कर सौ करोडिया हीरो बने हुए थे. इस बार शाहरुख़ खान की बारी है.
रोहित शेट्टी से यह उम्मीद तो नहीं कि जाती कि वह कार ब्लास्ट करने के अलावा किसी सर पैर की कहानी पर फिल्म बनायेंगे. लेकिन दर्शक उम्मीद करता है कि बॉलीवुड का बादशाह खान कुछ अलग सा देंगे। आज ईद पर रिलीज़ हो रही तथा ईद ईव पर पेड प्रीव्यू में दिखायी जा चुकी, शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस दोनों उम्मीदें तोड़ती है. रोहित शेट्टी ने ने इस बार बेसिर पैर की कहानी तक नहीं ली है. क्योंकि, फिल्म में कहानी नदारद है. युनुस सजावल की, शायद लोकेशन पर ही लिखी गयी, स्क्रिप्ट पर रोहित शेट्टी ने कैमरा चलवा दिया है. कहानी कही जाए तो बस इतनी सी है कि राहुल अपनी दादी के कहने पर अपने दादा जी की अस्थियाँ रामेश्वरम में विसर्जित करने का धोखा देने के लिए चेन्नई एक्सप्रेस पर बैठ जाता है. वह अपने दादा जी की अस्थियाँ कैसे बहा पाता है, यह फिल्म का ऊटपटांग ट्रैक है. कभी चेन्नई एक्सप्रेस में तो कभी लाल रंग की जीप में खान और पादुकोण भागते नज़र आते हैं. क्लाइमेक्स में आकर तो चेन्नई एक्सप्रेस बुरी तरह से डिरेल हो जाती है. कहा जा सकता है कि खान इस डिरेलमेंट में थोडा घायल हो सकते हैं.
फिल्म का कोई भी फ्रेम नया नहीं। लगता है जैसे रोहित शेट्टी ने अपना दिमाग बादशाह खान के हवाले कर दिया था तथा सेट पर स्पॉट बॉय से चाय परोसवाने और जोक क्रैक करने का काम कर रहे थे. शाहरुख़ खान और दीपिका पदुकोन ने अपने उम्दा अभिनय से इस कहानी के बिना घिसटती फिल्म को रफ़्तार देने की कोशिश की है. दीपिका का नाम वाकई खान से पहले रखने वाला है. वह अपने रोल को पूरी शिद्दत और भाव भंगिमाओं के साथ निभाती है. शाहरुख़ खान बहुत बढ़िया और उदाहरण योग्य हास्य अभिनय करते हैं. दक्षिण के निकितन धीर और सत्यराज के रोल टेलर मेड थे. उन्हें अपनी रियल लाइफ जैसा ही कुछ करना था, इसे वह बखूबी कर ले गए है.
फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में एक्सप्रेस ट्रेन के कोई लक्षण नहीं। विशाल शेखर का स्टीरिओ सिस्टम इस लायक नहीं कि अमिताभ भट्टाचार्य के बोल सुनाई पड़ सके. फरहाद और साजिद की जोडी अपने संवादों से दर्शकों को हंसा पाने में काफी हद तक कामयाब होती है. स्टीवन बर्नार्ड ने फिल्म को कसने की कोशिश की है. लेकिन, अच्छी स्क्रिप्ट की नामौजूदगी में वह फिल्म को कुछ ख़ास रफ़्तार नहीं दे सके. रोहित शेट्टी ने जय सिंह निज्जर के साथ फाइट कम्पोजीशन की है. इनमे कोई नयापन नहीं है.फिल्म पर भारी पड़ सकते हैं फिल्म के तमिल बहुल संवाद और पृष्ठभूमि।
फिल्म की निर्माता के बतौर गौरी खान तथा UTV के रोंनी स्क्रूवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर का नाम दिया गया है. फिल्म के निर्माण में ९० करोड़ खर्च होना बताया गया है. इतनी रकम की रिकवरी के लिए चेन्नई एक्सप्रेस के लिए वीकेंड इम्पोर्टेन्ट है. फिल्म को ३७०० से ज्यादा प्रिंट्स में रिलीज़ किया गया है. सब कुछ सोमवार पर निर्भर करेगा कि फिल्म किस हद तक ईद क्राउड को खींच पाती है.
पेसंजरों के इंतज़ार में चेन्नई एक्सप्रेस !
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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