शशांक घोष के निर्देशन में सोनम कपूर की फिल्म खूबसूरत की १९८० में रिलीज़ ऋषिकेश मुख़र्जी के निर्देशन में रेखा की फिल्म खूबसूरत की तुलना कतई नहीं की जानी चाहिए। क्योंकि, इस लिहाज़ से सोनम कपूर रेखा की पासंग भी नहीं हैं। लेकिन, अगर शशांक की सोनम कपूर को बतौर एक्टर आकलन किया जाए तो सोनम कपूर बेहद कमज़ोर अभिनेत्री साबित होती हैं. उनकी कन्वेंटी हिंदी कोफ़्त पैदा करती है। ऐसा लगता है जैसे वह च्युइंगगम चबाते हुए अपने संवाद बोल रही हैं. खूबसूरत सोनम कपूर के करैक्टर डॉ मिली चक्रवर्ती पर केंद्रित है। वह आईपीएल टीम की फिजिओ हैं. उन्हें एक महाराजा का इलाज़ करने के लिए कहा जाता है. पूरी फिल्म की डॉ सोनम कपूर किधर भी न तो डॉ लगती हैं, डॉक्टरी करती हैं. रंग बिरंगी पोशाकें पहन कर, बचकानी हरकते करके वह खुद को मासूम तो साबित नहीं कर पाती, बेवक़ूफ़ ज़रूर लगती हैं. इस फिल्म को लिखने में महिलाओं की मुख्य भागीदारी है। डी एन मुख़र्जी की कहानी का स्क्रीनप्ले इंदिरा बिष्ट ने लिखी है और पात्रों को संवाद जूही चतुर्वेदी की कलम से निकले है. इनके संवादों की सिर्फ एक बानगी देखिये, जब सोनम कपूर फवाद खान से पूछती हैं, "क्या तुम्हे गंदे गंदे ख्याल नहीं आते." संगीत स्नेह खानवलकर का है। सीमाब सेन ने पार्श्व संगीत दिया है. सभी बेहद कमज़ोर साबित हुए हैं. फवाद खान पाकिस्तान के जाने माने अभिनेता हैं। लेकिन, उनके अभिनय में कच्चापन साफ़ नज़र आता है. वह सोनम कपूर के सामने सहमे सहमे से लगते हैं. वह किसी स्टेट के प्रिंस तो किसी कोण से नहीं नज़र आते। सोनम और फवाद के बीच कोई रोमांटिक केमिस्ट्री नहीं बन पाती। इन दोनों का चुम्बन भी बेहद ठंडा लगता है। रत्ना पाठक किसी भी कोण से रानी नहीं लगती हैं. उनका अभिनय भी बेहद खराब है। किरण खेर को देख कर ऊब लगती है. नाहक लाउड अभिनय करती हैं। प्रसेनजित चटर्जी, राजा हुसैन, गार्गी पटेल, मेहमान भूमिका में अदिति राव हैदरी और साइरस साहूकार को जाया किया गया है.
खूबसूरत का निर्माण अनिल कपूर की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ने वाल्ट डिज्नी ने किया है। अनिल कपूर का पुत्री मोह तो समझ में आता है. लेकिन,वाल्ट डिज्नी की समझ पर तरस आता है. यह स्टुडिओ पूरे विश्व में कैसे इतना मशहूर बन गया है.
बहरहाल, इस फिल्म को आप देखना चाहें तो अपने रिस्क पर देखें। सर दर्द की गोलियां सप्लाई नहीं की जा सकतीं हैं
खूबसूरत का निर्माण अनिल कपूर की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ने वाल्ट डिज्नी ने किया है। अनिल कपूर का पुत्री मोह तो समझ में आता है. लेकिन,वाल्ट डिज्नी की समझ पर तरस आता है. यह स्टुडिओ पूरे विश्व में कैसे इतना मशहूर बन गया है.
बहरहाल, इस फिल्म को आप देखना चाहें तो अपने रिस्क पर देखें। सर दर्द की गोलियां सप्लाई नहीं की जा सकतीं हैं
No comments:
Post a Comment