Tuesday, 6 March 2018

शेख मुख़्तार से लेकर दिलीप कुमार और जॉनी वॉकर तक की शम्मी

२४ अप्रैल १९२९- ६  मार्च २०१८ 
नर्गिस रबाडी यानि हम सबकी प्रिय एक्ट्रेस शम्मी का जन्म, १९२९ में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता पुजारी थे। जब शम्मी तीन साल की थी, उनके पिता का देहांत हो गया। माँ धार्मिक आयोजनों में खाना बना कर पैसे कमाया करती थी। शम्मी और उनकी बड़ी बहन मणि रबाड़ी (मशहूर फैशन डिज़ाइनर) स्कूल की पढ़ाई के बाद खिलौना फैक्ट्री में काम किया करती थी। १९४९ में शम्मी को फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश का मौका मिला शेख मुख़्तार के साथ तीन फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट करके। तीन साल के इस कॉन्ट्रैक्ट की एवाज़ में शेख मुख़्तार ने उन्हें ५०० रुपये प्रत्येक माह अदा किये। उनकी पहली फिल्म शेख मुख़्तार और बेगम पारा के साथ उस्ताद पेड्रो थी। इसी के साथ शम्मी ने मुकेश के साथ फिल्म मल्हार साइन की। शम्मी की यह दोनों फ़िल्में तारा हर्ष द्वारा निर्देशित थी। शेख मुख़्तार का कॉन्ट्रैक्ट ख़त्म होने के बाद, शम्मी ने दिलीप कुमार और मधुबाला के साथ संगदिल में काम किया।इसके बाद शम्मी को महिपाल, मनहर देसाई और करण दीवान धार्मिक और सामजिक फ़िल्में मिलने लगी। के आसिफ की फिल्म मुसाफिरखाना में जॉनी वाकर के साथ अभिनय करने का नतीज़ा यह हुआ कि शम्मी को इसी प्रकार की भूमिकाये मिलने लगी। कुछ फिल्मों में उन्होंने खल नायिका के तेवर वाली फ़िल्में भी की। हालाँकि, उस समय लोग कहा करते थे कि सभी रोल मत किया करों, सोच समझ कर फ़िल्में करो। लेकिन, शम्मी का मानना था कि एक कलाकार कलाकार होता है। रोल लीड है, खल चरित्र है या हास्य, यह कोई मायने नहीं रखता। उनके इसी नज़रिए का नतीजा था कि शम्मी को सम्मान और प्यार देने वाले लोगों की कभी कमी नहीं रही ।  शम्मी ने एस एस वासन की फिल्म समाज को बदल डालो और तीन बहुरानियाँ के लिए डबिंग भी की। जॉनी वॉकर के ऑफिस में शम्मी की मुलाकात फिल्म निर्माता निर्देशक सुल्तान अहमद से हुई। दोनों की दोस्ती पहले प्यार और फिर शादी में बदल गई। लेकिन, ज़ल्द ही यह शादी टूट भी गई। शम्मी ने एक बार कहा था कि सुल्तान अहमद ने फिल्म वालों से संपर्क के लिए मेरा इस्तेमाल किया। क्योंकि, उनके कहने पर ही अमिताभ बच्चन ने सुल्तान अहमद की फिल्म गंगा की सौगंध साइन की थी। शम्मी ने १९९० में टीवी सीरियल देख भाई देख, श्रीमान श्रीमती और कभी यह कभी वह, घर एक सपना, आदि में अभिनय किया। उन्हें श्रद्धांजलि। 


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