प्रमुख म्यूजिक कंपनी यूनिवर्सल म्यूजिक के रोस्टर में पहला नाम न्यू यॉर्क/ न्यू जर्सी के पॉप सेंसेशन अमृत दासु उर्फ़ दासु का जुड़ गया है। दासु, एशिया के सबसे सफल म्यूजिक प्रोडूसर ऋषि रिच की खोज हैं। उन्होंने दासु की प्रतिभा को पहचाना और अपने प्रशिक्षण में ले लिया। इसी का नतीज़ा है कि आज दासु का संगीत की दुनिया से परिचय यूनिवर्सल म्यूजिक समूह के ज़रिये हो रहा है। दासु का पहला सिंगल 'दिल क्या करे (डिड आई लव यू ?) ऋषि रिच और दासु ने लिखा है। ऋषि रिच ने १९७५ के फिल्म जूली के हिट गीत दिल क्या करे का मुखड़ा लेकर गीत तैयार किया है। इस गीत के वीडियो में लीड एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत दासु के साथ गोवा की खूबसूरत लोकेशन में नज़र आती हैं। इस वीडियो का निर्देशन इमैजिक मीडिया की नमीता प्रेमकुमार ने किया है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday 22 January 2016
ऋषि रिच के साथ अमृत दासु के सिंगल में मल्लिका शेरावत
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गीत संगीत
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
कुंग फु पांडा ३ में श्रेक और डंकी
कुंग फु पांडा ३ के ट्रेलर से पता चलता है कि इस पांडा भालू की फिल्म में श्रेक और डंकी भी कैमिया रोल में हैं। २९ जनवरी को पूरी दुनिया में रिलीज़ होने जा रही जेनिफर यूह नेल्सन की इस फिल्म में पो पांडा का लम्बे समय से बिछड़े अपने पिता से मिलना होता है। दोनों बहुत खुश हैं और पांडाओं के निवास अन्य पांडाओं से मिलने जाते हैं। इन नए पाड़ा करैक्टर के कारण फिल्म में कई रोचक क्षण आते हैं। लेकिन, तमाम माहौल तब बदल जाता ही एक सुपरनेचुरल विलेन काई चीन के कुंग फु मास्टरों को हराता हुआ पूरे चीन को अपनी गिरफ्त में ले लेता है। ऐसे में पो को अपने गाँव वालों को अपने कुंग फु बैंड का सदस्य बनाने के लिए कुंग फु सिखाने का असंभव काम करना है। जोनाथन ऐबेल और ग्लेंन बर्जर की स्क्रिप्ट पर एनिमेटेड चरित्रों को आवाज़ जैक ब्लैकरिटर्न्स (पो), जेके सिमंस (काई), डस्टिन हॉफमैन (शिफू), डेविड क्रॉस (क्रेन), एंजेलिना जोली (शेरनी), केट हडसन (मेई मेई), मैड्स मिकेलसन , डैनी मैकब्राइड, लूसी लिउ (वाईपर), सेठ रोगन (मैंटिस), जैकी चैन (मंकी), जेम्स होन्ग (मिस्टर पिंग) और ब्रयान क्रांस्टन (ली) ने दी है। इस कंप्यूटर एनिमेटेड एक्शन एडवेंचर फिल्म में हास्य के बहुत से क्षण हैं, जो कुंग फु पांडा सीरीज की इस तीसरी फिल्म को यादगार बना देगी।
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Hollywood
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बॉक्स ऑफिस पर उठेगा या उठ जायेगा सनी का ढाई किलो का हाथ !
सनी देओल की फिल्म घायल वन्स अगेन १५ जनवरी को रिलीज़ होने वाली थी। २०११ में तीन देओलों सनी, बॉबी और धर्मेन्द्र की एक्शन कॉमेडी ड्रामा फिल्म यमला पगला दीवाना १४ जनवरी को रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म बड़ी हिट साबित हुई थी। इससे यह उम्मीद थी कि इस साल १५ जनवरी को रिलीज़ हो रही सनी देओल की फिल्म घायल वन्स अगेन भी बड़ी हिट साबित होगी। क्योंकि, यह फिल्म १९९० में रिलीज़ सनी देओल की सुपर हिट फिल्म घायल की सीक्वल फिल्म थी। लेकिन, कुछ तकनीकी कारणों से सनी की यह फिल्म ५ फरवरी तक के लिए टाल दी गई। ज़ाहिर है कि सनी देओल के प्रशंसकों को घोर निराशा हुई होगी। क्योंकि, वह सनी देओल के ढाई किलो के हाथ के फैन हैं और उसे बॉक्स ऑफिस पर उठते हुए देखना चाहते हैं।
मासूम क्रुद्ध छात्र 'अर्जुन'
सनी देओल ने १९८३ में फिल्म बेताब से डेब्यू किया था। यह थोड़ी रोमांटिक, थोड़ी एक्शन वाली फिल्म थी। इस फिल्म के बाद रिलीज़ फ़िल्में सनी, मंज़िल मंज़िल, सोहनी महिवाल और ज़बरदस्त भी कुछ ऐसे ही मसालों से भरी फ़िल्में थी। यह वह समय था, जब अमिताभ बच्चन के क्रुद्ध युवा की तूती बोला करती थी। ऐसे में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। उस समय अनिल कपूर, संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, आदि अभिनेता एक्शन के ज़रिये बॉलीवुड को लुभाने में जुटे थे। ऋषि कपूर रोमांटिक हीरो के रूप में उभरे थे। कुमार गौरव गुल हो गए थे। अपने शारीरिक गठन के कारण सनी देओल रोमांटिक भूमिकाओं में फिट नहीं बैठते थे। सोहनी महिवाल की असफलता सामने थी। ऐसे समय में, एक बार फिर बेताब के निर्देशक राहुल रवैल आगे आये। उन्होंने अपनी फिल्म अर्जुन में सनी देओल को कॉलेज के भोले भाले मासूम छात्र का चोला पहनाया, जो अपने परिवार और मित्रों पर अत्याचार के कारण हिंसा करने के लिए मज़बूर होता है।
इमेज बदलना था ज़रूरी
लेकिन, ठीक इसी समय अनिल कपूर भी सीधे सादे क्रुद्ध युवा को परदे पर पेश कर रहे थे। यह वह समय था, जब हर डेब्यू एक्टर क्रोधित हो कर हिंसा कर रहा था। हर एक्टर का सपना सुपर स्टार बनने का था। शोले और दीवार जैसी फिल्म के दौर में एक्शन हॉट केक की तरह बिक रहा था। संजय दत्त ने अपने गठीले शरीर को हथियार बना कर कभी डॉन या असामाजिक बन कर एक्शन किया। जीतेन्द्र ने पारिवारिक फिल्मों का रास्ता पकड़ा। गोविंदा और मिथुन चक्रवर्ती डांसिंग स्टार बने, जो मौका लगने पर एक्शन भी कर लेते थे। इसी दौर में राज बब्बर, रजनीकांत, शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, आदि अमिताभ बच्चन को चुनौती पेश कर रहे थे। उसी समय सनी देओल के पिता धर्मेन्द्र का सितारा भी बुलंद था। ज़ाहिर है कि सनी देओल को इन सभी से जुदा एंग्री यंगमैन बनना था।
कमीज फाड़ने वाला क्रुद्ध युवा
ऐसे समय में निर्देशक राजकुमार संतोषी की फिल्म घायल रिलीज़ हुई। यह संतोषी की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी। राजकुमार संतोषी ने बड़ी चतुराई से सनी देओल की सभी खामियों को छुपाते हुए खूबियों को उभारा। राहुल रवैल ने सनी देओल के चेहरे के भोलेपन को हथियार बनाया था। राजकुमार संतोषी ने इसे बरकरार रखते हुए सनी के गठीले शरीर का खूब दोहन किया। घायल में भी सनी देओल एक छात्र की भूमिका में थे, जिसके भाई को एक ड्रग माफिया द्वारा मार दिया जाता है और उसे भाई का हत्यारा बता का जेल भेज दिया जाता है। उस पर भाभी के साथ अवैध सम्बन्ध रखने का आरोप भी लगता है। तब उसका खून खौल उठता है और वह ड्रग माफिया का खात्मा करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाता है। यह पहली फिल्म थी, जिसमे सनी देओल की कमीज फड़वा कर उनकी गठीली छाती और बाजुओं को दिखाया गया था। दर्शक इस जांबाज़ क्रुद्ध युवा के दीवाने हो गए। घायल आमिर खान की फिल्म दिल के सामने भी सुपर हिट साबित हुई। फिल्म के लिए सनी देओल को नेशनल फिल्म अवार्ड में स्पेशल जूरी अवार्ड दिया गया।
ढाई किलो का हाथ- आदमी उठता नहीं उठ जाता है
लेकिन, सनी देओल का हाथ ढाई किलो का साबित हुआ तीन साल बाद। यह फिल्म भी राजकुमार संतोषी की ही थी। घर वालों के बलात्कार का शिकार नौकरानी को इन्साफ दिलाने वाली दामिनी की इस कहानी में सनी देओल दामिनी के शराबी वकील बने थे। सरकारी वकील चड्ढा के साथ नोंकझोंक के एक सीन में सनी देओल अपने ढाई किलो के हाथ का ज़िक्र करते हैं, जो पड़ता है तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है। सनी के इस डायलाग पर सिनेमाहॉल सीटियों और तालियों की आवाज़ से गूँज उठते थे। ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि और अमरीश पुरी जैसे दिग्गज़ों की मौजूदगी के बावजूद दामिनी सनी देओल की फिल्म बन गई। उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड मिला।
ट्रेड मार्क बन गया
इसके बाद सनी देओल का ढाई किलो का हाथ उनका ट्रेड मार्क बन गया। वह अपने ज़ोरदार मुक्कों की बरसात करते हुए दसियों गुंडों को हवा मे उड़ा देते थे। दर्शक उनकी इस जांबाजी को देखने के लिए ब्लैक में टिकट खरीदता था। उनकी, एक के बाद एक अंगरक्षक, हिम्मत, जीत, अजय, घातक, बॉर्डर, ज़िद्दी, ज़ोर, अर्जुन पंडित, आदि फ़िल्में हिट होती चली गई। इंतेहा हुई २००१ में, जब सनी देओल ने अपनी फिल्म से दूसरी बार आमिर खान को मात दी थी। ग़दर एक प्रेमकथा के सामने आमिर खान की फिल्म लगान रिलीज़ हुई थी। एक तरफ लगान में आमिर खान और उनके साथी क्रिकेट की गेंद हवा में उछाल रहे थे, उधर सनी देओल के ज़ोरदार मुक्कों से पाकिस्तानी हवा में उठ कर उठ जा रहे थे। अब सनी देओल ऐसे एंग्रीमैन बन गए थे, जिसके ढाई किलो के हाथ से आदमी हवा में उठता ही नहीं, उठ जाता है।
आज सनी देओल को इंडस्ट्री में ३३ साल हो गए हैं। उनके समकालीन दूसरे क्रुद्ध युवा थक कर चरित्र भूमिकाओं में आ गए हैं। सनी देओल भी अब युवा नहीं रहे। इस साल १९ अक्टूबर को वह ६० साल के हो जायेंगे। लेकिन, वह आज भी हीरो बन कर आ रहे हैं। बेशक उनकी भूमिकाये अब काफी परिपक्व हो गई है। लेकिन, उनका हाथ आज भी ढाई किलो का माना जाता है। दर्शकों को इंतज़ार रहता है सनी देओल की फिल्मों का, स्क्रीन पर उठे उनके ढाई किलो के हाथ का और इस हाथ के प्रहार से हवा में लहराते दुश्मनों का। दर्शकों में कुछ ऐसा ही
इंतज़ार घायल वन्स अगेन के लिए भी है। क्या वन्स अगेन घायल सनी देओल का मुक्का ढाई किलो का साबित होगा?
अल्पना कांडपाल
मासूम क्रुद्ध छात्र 'अर्जुन'
सनी देओल ने १९८३ में फिल्म बेताब से डेब्यू किया था। यह थोड़ी रोमांटिक, थोड़ी एक्शन वाली फिल्म थी। इस फिल्म के बाद रिलीज़ फ़िल्में सनी, मंज़िल मंज़िल, सोहनी महिवाल और ज़बरदस्त भी कुछ ऐसे ही मसालों से भरी फ़िल्में थी। यह वह समय था, जब अमिताभ बच्चन के क्रुद्ध युवा की तूती बोला करती थी। ऐसे में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। उस समय अनिल कपूर, संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, आदि अभिनेता एक्शन के ज़रिये बॉलीवुड को लुभाने में जुटे थे। ऋषि कपूर रोमांटिक हीरो के रूप में उभरे थे। कुमार गौरव गुल हो गए थे। अपने शारीरिक गठन के कारण सनी देओल रोमांटिक भूमिकाओं में फिट नहीं बैठते थे। सोहनी महिवाल की असफलता सामने थी। ऐसे समय में, एक बार फिर बेताब के निर्देशक राहुल रवैल आगे आये। उन्होंने अपनी फिल्म अर्जुन में सनी देओल को कॉलेज के भोले भाले मासूम छात्र का चोला पहनाया, जो अपने परिवार और मित्रों पर अत्याचार के कारण हिंसा करने के लिए मज़बूर होता है।
इमेज बदलना था ज़रूरी
लेकिन, ठीक इसी समय अनिल कपूर भी सीधे सादे क्रुद्ध युवा को परदे पर पेश कर रहे थे। यह वह समय था, जब हर डेब्यू एक्टर क्रोधित हो कर हिंसा कर रहा था। हर एक्टर का सपना सुपर स्टार बनने का था। शोले और दीवार जैसी फिल्म के दौर में एक्शन हॉट केक की तरह बिक रहा था। संजय दत्त ने अपने गठीले शरीर को हथियार बना कर कभी डॉन या असामाजिक बन कर एक्शन किया। जीतेन्द्र ने पारिवारिक फिल्मों का रास्ता पकड़ा। गोविंदा और मिथुन चक्रवर्ती डांसिंग स्टार बने, जो मौका लगने पर एक्शन भी कर लेते थे। इसी दौर में राज बब्बर, रजनीकांत, शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना, आदि अमिताभ बच्चन को चुनौती पेश कर रहे थे। उसी समय सनी देओल के पिता धर्मेन्द्र का सितारा भी बुलंद था। ज़ाहिर है कि सनी देओल को इन सभी से जुदा एंग्री यंगमैन बनना था।
कमीज फाड़ने वाला क्रुद्ध युवा
ऐसे समय में निर्देशक राजकुमार संतोषी की फिल्म घायल रिलीज़ हुई। यह संतोषी की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी। राजकुमार संतोषी ने बड़ी चतुराई से सनी देओल की सभी खामियों को छुपाते हुए खूबियों को उभारा। राहुल रवैल ने सनी देओल के चेहरे के भोलेपन को हथियार बनाया था। राजकुमार संतोषी ने इसे बरकरार रखते हुए सनी के गठीले शरीर का खूब दोहन किया। घायल में भी सनी देओल एक छात्र की भूमिका में थे, जिसके भाई को एक ड्रग माफिया द्वारा मार दिया जाता है और उसे भाई का हत्यारा बता का जेल भेज दिया जाता है। उस पर भाभी के साथ अवैध सम्बन्ध रखने का आरोप भी लगता है। तब उसका खून खौल उठता है और वह ड्रग माफिया का खात्मा करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाता है। यह पहली फिल्म थी, जिसमे सनी देओल की कमीज फड़वा कर उनकी गठीली छाती और बाजुओं को दिखाया गया था। दर्शक इस जांबाज़ क्रुद्ध युवा के दीवाने हो गए। घायल आमिर खान की फिल्म दिल के सामने भी सुपर हिट साबित हुई। फिल्म के लिए सनी देओल को नेशनल फिल्म अवार्ड में स्पेशल जूरी अवार्ड दिया गया।
ढाई किलो का हाथ- आदमी उठता नहीं उठ जाता है
लेकिन, सनी देओल का हाथ ढाई किलो का साबित हुआ तीन साल बाद। यह फिल्म भी राजकुमार संतोषी की ही थी। घर वालों के बलात्कार का शिकार नौकरानी को इन्साफ दिलाने वाली दामिनी की इस कहानी में सनी देओल दामिनी के शराबी वकील बने थे। सरकारी वकील चड्ढा के साथ नोंकझोंक के एक सीन में सनी देओल अपने ढाई किलो के हाथ का ज़िक्र करते हैं, जो पड़ता है तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है। सनी के इस डायलाग पर सिनेमाहॉल सीटियों और तालियों की आवाज़ से गूँज उठते थे। ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि और अमरीश पुरी जैसे दिग्गज़ों की मौजूदगी के बावजूद दामिनी सनी देओल की फिल्म बन गई। उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड मिला।
ट्रेड मार्क बन गया
इसके बाद सनी देओल का ढाई किलो का हाथ उनका ट्रेड मार्क बन गया। वह अपने ज़ोरदार मुक्कों की बरसात करते हुए दसियों गुंडों को हवा मे उड़ा देते थे। दर्शक उनकी इस जांबाजी को देखने के लिए ब्लैक में टिकट खरीदता था। उनकी, एक के बाद एक अंगरक्षक, हिम्मत, जीत, अजय, घातक, बॉर्डर, ज़िद्दी, ज़ोर, अर्जुन पंडित, आदि फ़िल्में हिट होती चली गई। इंतेहा हुई २००१ में, जब सनी देओल ने अपनी फिल्म से दूसरी बार आमिर खान को मात दी थी। ग़दर एक प्रेमकथा के सामने आमिर खान की फिल्म लगान रिलीज़ हुई थी। एक तरफ लगान में आमिर खान और उनके साथी क्रिकेट की गेंद हवा में उछाल रहे थे, उधर सनी देओल के ज़ोरदार मुक्कों से पाकिस्तानी हवा में उठ कर उठ जा रहे थे। अब सनी देओल ऐसे एंग्रीमैन बन गए थे, जिसके ढाई किलो के हाथ से आदमी हवा में उठता ही नहीं, उठ जाता है।
आज सनी देओल को इंडस्ट्री में ३३ साल हो गए हैं। उनके समकालीन दूसरे क्रुद्ध युवा थक कर चरित्र भूमिकाओं में आ गए हैं। सनी देओल भी अब युवा नहीं रहे। इस साल १९ अक्टूबर को वह ६० साल के हो जायेंगे। लेकिन, वह आज भी हीरो बन कर आ रहे हैं। बेशक उनकी भूमिकाये अब काफी परिपक्व हो गई है। लेकिन, उनका हाथ आज भी ढाई किलो का माना जाता है। दर्शकों को इंतज़ार रहता है सनी देओल की फिल्मों का, स्क्रीन पर उठे उनके ढाई किलो के हाथ का और इस हाथ के प्रहार से हवा में लहराते दुश्मनों का। दर्शकों में कुछ ऐसा ही
इंतज़ार घायल वन्स अगेन के लिए भी है। क्या वन्स अगेन घायल सनी देओल का मुक्का ढाई किलो का साबित होगा?
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
वायआरऍफ़ मूवीज : अब डिश और स्लिंग इंटरनेशनल पर
यश राज फिल्मस द्वारा निर्मित फ़िल्में डिश और स्लिंग इंटरनेशनल पर ऑन डिमांड उपलब्ध हो गई है। स्लिंग इंटरनेशनल नार्थ अमेरिका बाजार का बड़ा खिलाड़ी है। इस पर वायआरएफ की फ़िल्में यशराज बैनर की फिल्मों के लिए बड़ा बाजार खोल सकती हैं। इस समय यशराज बैनर की ब्लॉकबस्टर फ़िल्में धूम ३, एक था टाइगर और जब तक है जान रोमांटिक और हल्केफुल्के मनोरंजन वाली चांदनी, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे और दिल तो पागल है के अलावा हालिया प्रशंसित और बहुचर्चित फ़िल्में दम लगा के हईशा और डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी भी कैटेलॉग में उपलब्ध हैं।
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आज जी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday 21 January 2016
इमरान हाश्मी के वॉयस मॉडुलेशन के साथ "राज रिलोडेड"
२००२ में शुरू राज़ सीरीज की फिल्मों की चौथी कड़ी राज़ रीलोडेड का प्री प्रोडक्शन तेज़ी पर है। यह तय हो गया है कि राज़ सीरीज की चौथी कड़ी में इमरान हाश्मी ही नायक होंगे। यह उनकी राज़ सीरीज में चौथी फिल्म होगी। इस फिल्म में इमरान हाश्मी बहुत ही चैलेंजिंग किरदार निभाते हुए नज़र आएंगे। राज़ सीरीज की फिल्मों में भटकती आत्माओं या दुष्ट आत्माओं का रोल अहम होता है। राज़ रीलोडेड भी इसी कड़ी में है। अलबत्ता, यह पहली बार होगा कि पिछली दो फिल्मों में आम आदमी का किरदार करने वाले एक्टर इमरान हाशमी इस फिल्म में एक वैम्पायर यानि पिशाच की भूमिका में होंगे। पिशाचों के बारे में कहा जाता है कि वह इंसानी खून पीते हैं। इस लिहाज़ से इमरान हाश्मी को अपने सामान्य चेहरे पर एक पिशाच का चेहरा लगाना होगा। लेकिन, इसमे ख़ास होगी उनकी आवाज़। राज़ : द मिस्ट्री कॉन्टीन्यूज में कंगना रनौत के शरीर में बुरी आत्मा प्रवेश करती थी। कंगना ने ऐसे सीक्वेंस के लिए काफी मेहनत की थी। कुछ ऎसी ही मेहनत इमरान हाश्मी को राज़ रीलोडेड में अपने किरदार के लिए करनी पड़ रही है। फिलहाल इमरान हाश्मी फिल्म अज़हर में व्यस्त हैं। इस फिल्म का काम पूरा होते ही वह विक्रम भट्ट निर्देशित इस फिल्म में व्यस्त हो जायेंगे। अपने किरदार को और मजबूत बनाने के लिए वॉइस मॉडुलेशन वर्कशॉप जायेंगे। यह जरुरी भी है क्यूंकि किरदार की विशेष वॉइस टोन है । फिल्म से जुड़े सूत्रों का कहना है, " अगर तकनीकी तौर पर बात करे तो यह किरदार इन्सान का नहीं है। इसलिए इमरान नहीं चाहते की उनकी आवाज उनकी दूसरे फिल्मो जैसी लगे। इसलिए वे अपने आवाज पर काम करेंगे और वॉइस मॉडुलेशन के लिए प्रोफेशनल वॉइस कोच से ट्रेनिंग लेंगे। इमरान वॉइस वर्कशॉप फिल्म के शूटिंग के पूर्व से शुरुआत करेंगे और शूटिंग के दौरान भी वे वॉइस मॉडुलेशन वर्कशॉप जायेंगे तथा फिल्म की डबिंग के समय भी वॉइस एक्सपर्ट इमरान के साथ होंगे।" इमरान हाश्मी की पिछली हिट फिल्म राज़ सीरीज की तीसरी फिल्म राज़ ३ डी थी। यह फिल्म २०१२ में रिलीज़ हुई थी। इसके बाद से अब तक इमरान हाशमी रश, एक थी डायन, घनचक्कर, राजा नटवरलाल, उंगली, मिस्टर एक्स और हमारी अधूरी कहानी जैसी सात असफल फ़िल्में दे चुके हैं। उन्हें एक हिट फिल्म की सख्त ज़रुरत है। क्या राज़ रीलोडेड उनके करियर को रीलोड कर पाएगी ?
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday 20 January 2016
क्या सचमुच नायिका के 'सॉफ्ट टॉयज' हैं नायक !
ग्रेट ग्रैंड मस्ती की स्टार कास्ट देखिये। मस्ती और ग्रैंड मस्ती के विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी और रितेश देशमुख अपनी अपनी भूमिकाओं में हैं। लेकिन, इनकी फीमेल काउंटरपार्ट बदल चुकी हैं। उर्वशी रौतेला, मिष्ठी, श्रद्धा दास, पूजा चोपडा, सोनल चौहान और सोनाली राउत इन तीन नायकों की पत्नियों और प्रेमिकाओं के किरदार में हैं। दर्शकों में मस्ती सीरीज की फिल्मों के जितने जाने पहचाने चेहरे विवेक, रितेश और आफताब के हैं, उतनी यह आधा दर्जन अभिनेत्रियां नहीं हैं। लेकिन, इसके बावजूद यह अभिनेत्रियां अपने नायकों की मोहताज़ नही । विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी और रितेश देशमुख जहाँ द्विअर्थी संवादों और अपनी हास्य अभिनय शैली से दर्शकों को हँसाते हैं, वही उर्वशी रौतेला, सोनल चौहान और सोनाली राउत अपनी सेक्स अपील से फिल्म के प्रति दर्शकों में आकर्षण पैदा करती हैं।
सपोर्ट में हैं
वज़ीर के दर्शक जानते हैं कि फिल्म में फरहान अख्तर की पत्नी के किरदार में अभिनेत्री अदिति राव हैदरी के करने के लिए कुछ नहीं था। पूरी फिल्म अमिताभ बच्चन और फरहान अख्तर के किरदारों के कन्धों पर चल रही थी। लेकिन, तमाम दूसरी फिल्मों के ठीक यही कहानी नहीं। राजा कृष्ण मेनन की एक्शन थ्रिलर फिल्म 'एयरलिफ्ट' अक्षय कुमार के किरदार रंजीत कत्याल की जांबाजी पर केंद्रित है। लेकिन, फिल्म में उनकी पत्नी अमृता का किरदार कर रही निम्रत कौर रोती-सुबकती परंपरागत भारतीय नारी नहीं। वह अक्षय कुमार को अपने भावाभिनय से सपोर्ट करती हैं। इसके ठीक विपरीत आर बाल्की की फिल्म 'की एंड का' में करीना कपूर एक वर्किंग वुमन बनी हैं। रोजगार के लिहाज़ से इस बेमेल जोड़े की कहानी में अर्जुन कपूर शेफ के किरदार में हैं, जो अपनी कामकाजी पत्नी के लिए खाना बना कर उसका इंतज़ार करता है।
सेक्स बम के साथ सॉफ्ट टॉयज
क्या कूल हैं हम ३ में एक गीत रचा गया था मैं हूँ तेरी सॉफ्ट टॉय। फिल्म की निर्माता एकता कपूर को यह गीत हर प्रकार से बढ़िया लगा। लेकिन, वह इस गीत को महिला दृष्टिकोण से रखना चाहती थी। इसलिए उन्होंने बोल बदलवा कर तुम हो मेरे सेक्स टॉय करवा दिया। क्या कूल हैं हम ३ में सेक्स बम नायिका मंदाना करीमी के सेक्स टॉयज तुषार कपूर और आफताब शिवदासानी हैं, जो पोर्न फिल्मों के एक्टर हैं। यह दोनों एक्टर अपने पोर्न एक्शन मंदाना करीमी के किरदार के इर्दगिर्द ही आजमाते हैं। पोर्न-कॉम हो या सेक्स कॉमेडी या सेक्स इरोटिका फ़िल्में इनके पुरुष किरदार महिला किरदारों के सॉफ्ट टॉयज जैसे ही होते हैं। इन पुरुष किरदारों का हर हावभाव महिला किरदारों द्वारा ही आजमाया गया होता है। सनी लियॉन की फ़िल्में इसका खास उदाहरण है। लियॉन की सभी फ़िल्में उनके किरदार/किरदारों पर केंद्रित होती है। क्या कूल हैं हम ३ के ठीक अगले शुक्रवार रिलीज़ होगी सनी लियॉन एडल्ट कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे' । इस फिल्म में सनी लियॉन का दोहरा किरदार है। फिल्म का शीर्षक बेशक तुषार कपूर और वीर दास के किरदारों के कारण मस्तीज़ादे रखा गया है। लेकिन, इन किरदारों की मस्ती सनी लियॉन की लिली लेले और लैला लेले के कारण हैं। कार धुलाई करती सनी लियॉन फिल्म के ट्रेलर में ही दर्शकों की धुलाई करती नज़र आ रही हैं। तुषार कपूर और वीर दास तो द्विअर्थी सनी केले और आदित्य चोतिया ही हैं। इस साल रिलीज़ होने जा रही सनी लियॉन की दूसरी फिल्म वन नाईट स्टैंड भी सनी लियॉन की इरोटिका फंतासी फिल्म बताई जा रही है। इस फिल्म का कितना दारोमदार सनी लियॉन पर होगा कि फिल्म एक पहेली लीला में उनके नायक रजनीश दुग्गल बीच रास्ते में फिल्म छोड़ कर चले गए। अब उनकी जगह पुराने जमाने की हीरोइन रति अग्निहोत्री के फ्लॉप बेटे तनुज विरवानी आ गए। हालाँकि, रजनीश दुग्गल फिल्म 'बेईमान लव' में सनी लियॉन के साथ गर्मागर्म रोमांस कर रहे हैं। यह पूरी फिल्म वुमन सेंट्रिक है।
एक्शन को ताक़त देते किरदार
हिंदी फिल्मों का चेहरा काफी बदला है। एक्शन है तो इमोशन भी खूब है। नारी किरदार मज़बूत हैं। साला खडूस को ही लीजिये। एक्टर माधवन बॉक्सिंग कोच की भूमिका में हैं। उन्हें चुका हुआ माना जा चुका है, जो किसी को चैंपियन नहीं बना सकता। उसे खुद को काबिल साबित करना है। रीतिका सिंह का किरदार बॉक्सर बनने की इच्छुक लड़की का है। वह रीतिका को चैंपियन बॉक्सर बना कर ही दम लेता है। इस कहानी में रीतिका सिंह का दमदार किरदार और अभिनय माधवन के बॉक्सिंग कोच की बखूबी मदद करता है। घायल वन्स अगेन में सनी देओल अपने एक्शन अवतार में हैं। दर्शक उनके ढाई किलो के घूंसे की ताक़त देखना चाहता है। लेकिन, घायल की तरह घायल वन्स अगेन में भी सोहाअली खान का किरदार रिया भावुक अभिनय के ज़रिये अजय मेहरा (सनी देओल) की नाराज़गी को जायज साबित करता है।
एक दूसरे की सपोर्टिंग जोड़ियां
रोमांस फिल्मों में इस हाथ ले उस हाथ दे वाला मामला रहता है। दोनों को एक दूसरे को सपोर्ट करना है। किसी को किसी को दबाने की गुंजायश नहीं रहती है। अब यह बात ज़रूर है कि कोई चेहरा दर्शकों की आँखों पर चढ़ कर दिल में उतर जाता है। राजीव एस रुइया की ड्रामा फिल्म डायरेक्ट इश्क़ में रजनीश दुग्गल और निधि सुब्बैया, वैभव मिश्रा की रोमांस फिल्म लवशुदा में गिरीश कुमार नवनीत कौर ढिल्लों, राधिका राव और विनय सप्रू की रोमांस फिल्म सनम तेरी कसम में मावरा हुसैन और हर्षवर्द्धन राणे, आनंद राउत की रोमांस ड्रामा फिल्म लखनवी इश्क़ में अध्ययन सुमन और करिश्मा कोटक, सन्देश नायक की रोमांस ड्रामा फिल्म लव शगुन में अनुज सचदेव और निधि सुबैया, मोज़ेज़ सिंह की ड्रामा फिल्म जुबां में विक्की कौशल और साराह जेन डियास, शॉन अरनहा की रोमांस कॉमेडी तेरा सुरूर २ में हिमेश रेशमिया और डेज़ी शाह, आदि जोड़ियां का रोमांस क्या गुल खिलायेगा ! हो सकता है कोई जोड़ी या इन जोड़ियों में कोई एक दर्शकों की आँखों में चढ़ कर दिल में उतर जाये। वैसे दिलचस्प होगा दीपक तिजोरी की रोमांटिक फिल्म दो लफ्ज़ो की कहानी में रणदीप हुडा की साउथ की स्टार काजल अग्रवाल के साथ जोड़ी को देखना। कोरियाई फिल्म पर आधारित इस फिल्म में पार्किंग के अटेंडेंट पूर्व बॉक्सर और एक अंधी होती जा रही लड़की के रोमांस की कहानी है। लड़की बॉक्सर को उसके पहले वाला अटैंडेंट समझती है।
रोमांटिक जोड़ा लेकिन...... !
अभिषेक कपूर की फिल्म 'फितूर' में नया त्रिकोण है। चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास ग्रेट एक्सपेक्टेशंस पर आधारित फिल्म 'फितूर' में आदित्य रॉय और कैटरीना कैफ की जोड़ी है। जोड़ी के लिहाज़ से कैटरीना और आदित्य रॉय कपूर की जोड़ी बेमेल नहीं। लेकिन, यह जोड़ी तब्बू के नितांत अकेली और चिड़चिड़ी पर अमीर औरत के किरदार बेगम हज़रत के सपोर्टिंग है। इन दोनों का रोमांस तब्बू के रूखे किरदार के इर्दगिर्द है। शकुन बत्रा की फिल्म कपूर एंड संस एक बर्बाद परिवार की कहानी है, जिसमे दो भाइयों का किरदार फवाद खान और सिद्धार्थ मल्होत्रा कर रहे हैं। इस फिल्म में अलिया भट्ट के किरदार का अनोखा त्रिकोण है।
अल्पना कांडपाल
सपोर्ट में हैं
वज़ीर के दर्शक जानते हैं कि फिल्म में फरहान अख्तर की पत्नी के किरदार में अभिनेत्री अदिति राव हैदरी के करने के लिए कुछ नहीं था। पूरी फिल्म अमिताभ बच्चन और फरहान अख्तर के किरदारों के कन्धों पर चल रही थी। लेकिन, तमाम दूसरी फिल्मों के ठीक यही कहानी नहीं। राजा कृष्ण मेनन की एक्शन थ्रिलर फिल्म 'एयरलिफ्ट' अक्षय कुमार के किरदार रंजीत कत्याल की जांबाजी पर केंद्रित है। लेकिन, फिल्म में उनकी पत्नी अमृता का किरदार कर रही निम्रत कौर रोती-सुबकती परंपरागत भारतीय नारी नहीं। वह अक्षय कुमार को अपने भावाभिनय से सपोर्ट करती हैं। इसके ठीक विपरीत आर बाल्की की फिल्म 'की एंड का' में करीना कपूर एक वर्किंग वुमन बनी हैं। रोजगार के लिहाज़ से इस बेमेल जोड़े की कहानी में अर्जुन कपूर शेफ के किरदार में हैं, जो अपनी कामकाजी पत्नी के लिए खाना बना कर उसका इंतज़ार करता है।
सेक्स बम के साथ सॉफ्ट टॉयज
क्या कूल हैं हम ३ में एक गीत रचा गया था मैं हूँ तेरी सॉफ्ट टॉय। फिल्म की निर्माता एकता कपूर को यह गीत हर प्रकार से बढ़िया लगा। लेकिन, वह इस गीत को महिला दृष्टिकोण से रखना चाहती थी। इसलिए उन्होंने बोल बदलवा कर तुम हो मेरे सेक्स टॉय करवा दिया। क्या कूल हैं हम ३ में सेक्स बम नायिका मंदाना करीमी के सेक्स टॉयज तुषार कपूर और आफताब शिवदासानी हैं, जो पोर्न फिल्मों के एक्टर हैं। यह दोनों एक्टर अपने पोर्न एक्शन मंदाना करीमी के किरदार के इर्दगिर्द ही आजमाते हैं। पोर्न-कॉम हो या सेक्स कॉमेडी या सेक्स इरोटिका फ़िल्में इनके पुरुष किरदार महिला किरदारों के सॉफ्ट टॉयज जैसे ही होते हैं। इन पुरुष किरदारों का हर हावभाव महिला किरदारों द्वारा ही आजमाया गया होता है। सनी लियॉन की फ़िल्में इसका खास उदाहरण है। लियॉन की सभी फ़िल्में उनके किरदार/किरदारों पर केंद्रित होती है। क्या कूल हैं हम ३ के ठीक अगले शुक्रवार रिलीज़ होगी सनी लियॉन एडल्ट कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे' । इस फिल्म में सनी लियॉन का दोहरा किरदार है। फिल्म का शीर्षक बेशक तुषार कपूर और वीर दास के किरदारों के कारण मस्तीज़ादे रखा गया है। लेकिन, इन किरदारों की मस्ती सनी लियॉन की लिली लेले और लैला लेले के कारण हैं। कार धुलाई करती सनी लियॉन फिल्म के ट्रेलर में ही दर्शकों की धुलाई करती नज़र आ रही हैं। तुषार कपूर और वीर दास तो द्विअर्थी सनी केले और आदित्य चोतिया ही हैं। इस साल रिलीज़ होने जा रही सनी लियॉन की दूसरी फिल्म वन नाईट स्टैंड भी सनी लियॉन की इरोटिका फंतासी फिल्म बताई जा रही है। इस फिल्म का कितना दारोमदार सनी लियॉन पर होगा कि फिल्म एक पहेली लीला में उनके नायक रजनीश दुग्गल बीच रास्ते में फिल्म छोड़ कर चले गए। अब उनकी जगह पुराने जमाने की हीरोइन रति अग्निहोत्री के फ्लॉप बेटे तनुज विरवानी आ गए। हालाँकि, रजनीश दुग्गल फिल्म 'बेईमान लव' में सनी लियॉन के साथ गर्मागर्म रोमांस कर रहे हैं। यह पूरी फिल्म वुमन सेंट्रिक है।
एक्शन को ताक़त देते किरदार
हिंदी फिल्मों का चेहरा काफी बदला है। एक्शन है तो इमोशन भी खूब है। नारी किरदार मज़बूत हैं। साला खडूस को ही लीजिये। एक्टर माधवन बॉक्सिंग कोच की भूमिका में हैं। उन्हें चुका हुआ माना जा चुका है, जो किसी को चैंपियन नहीं बना सकता। उसे खुद को काबिल साबित करना है। रीतिका सिंह का किरदार बॉक्सर बनने की इच्छुक लड़की का है। वह रीतिका को चैंपियन बॉक्सर बना कर ही दम लेता है। इस कहानी में रीतिका सिंह का दमदार किरदार और अभिनय माधवन के बॉक्सिंग कोच की बखूबी मदद करता है। घायल वन्स अगेन में सनी देओल अपने एक्शन अवतार में हैं। दर्शक उनके ढाई किलो के घूंसे की ताक़त देखना चाहता है। लेकिन, घायल की तरह घायल वन्स अगेन में भी सोहाअली खान का किरदार रिया भावुक अभिनय के ज़रिये अजय मेहरा (सनी देओल) की नाराज़गी को जायज साबित करता है।
एक दूसरे की सपोर्टिंग जोड़ियां
रोमांस फिल्मों में इस हाथ ले उस हाथ दे वाला मामला रहता है। दोनों को एक दूसरे को सपोर्ट करना है। किसी को किसी को दबाने की गुंजायश नहीं रहती है। अब यह बात ज़रूर है कि कोई चेहरा दर्शकों की आँखों पर चढ़ कर दिल में उतर जाता है। राजीव एस रुइया की ड्रामा फिल्म डायरेक्ट इश्क़ में रजनीश दुग्गल और निधि सुब्बैया, वैभव मिश्रा की रोमांस फिल्म लवशुदा में गिरीश कुमार नवनीत कौर ढिल्लों, राधिका राव और विनय सप्रू की रोमांस फिल्म सनम तेरी कसम में मावरा हुसैन और हर्षवर्द्धन राणे, आनंद राउत की रोमांस ड्रामा फिल्म लखनवी इश्क़ में अध्ययन सुमन और करिश्मा कोटक, सन्देश नायक की रोमांस ड्रामा फिल्म लव शगुन में अनुज सचदेव और निधि सुबैया, मोज़ेज़ सिंह की ड्रामा फिल्म जुबां में विक्की कौशल और साराह जेन डियास, शॉन अरनहा की रोमांस कॉमेडी तेरा सुरूर २ में हिमेश रेशमिया और डेज़ी शाह, आदि जोड़ियां का रोमांस क्या गुल खिलायेगा ! हो सकता है कोई जोड़ी या इन जोड़ियों में कोई एक दर्शकों की आँखों में चढ़ कर दिल में उतर जाये। वैसे दिलचस्प होगा दीपक तिजोरी की रोमांटिक फिल्म दो लफ्ज़ो की कहानी में रणदीप हुडा की साउथ की स्टार काजल अग्रवाल के साथ जोड़ी को देखना। कोरियाई फिल्म पर आधारित इस फिल्म में पार्किंग के अटेंडेंट पूर्व बॉक्सर और एक अंधी होती जा रही लड़की के रोमांस की कहानी है। लड़की बॉक्सर को उसके पहले वाला अटैंडेंट समझती है।
रोमांटिक जोड़ा लेकिन...... !
अभिषेक कपूर की फिल्म 'फितूर' में नया त्रिकोण है। चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास ग्रेट एक्सपेक्टेशंस पर आधारित फिल्म 'फितूर' में आदित्य रॉय और कैटरीना कैफ की जोड़ी है। जोड़ी के लिहाज़ से कैटरीना और आदित्य रॉय कपूर की जोड़ी बेमेल नहीं। लेकिन, यह जोड़ी तब्बू के नितांत अकेली और चिड़चिड़ी पर अमीर औरत के किरदार बेगम हज़रत के सपोर्टिंग है। इन दोनों का रोमांस तब्बू के रूखे किरदार के इर्दगिर्द है। शकुन बत्रा की फिल्म कपूर एंड संस एक बर्बाद परिवार की कहानी है, जिसमे दो भाइयों का किरदार फवाद खान और सिद्धार्थ मल्होत्रा कर रहे हैं। इस फिल्म में अलिया भट्ट के किरदार का अनोखा त्रिकोण है।
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
क्या मिलाप जावेरी बना पाएंगे डायरेक्टर को एक्टर ?
२९ जनवरी को रिलीज़ हो रही सनी लियॉन की दोहरी भूमिका वाली सेक्स कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे' में स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलाग राइटर मिलाप जावेरी एक होटल में ठहरे मस्तीबाज़ मेहमान के किरदार में नज़र आएंगे, जो लैला लेले यानि सनी लियॉन के साथ मज़ा कर रहा होगा । संयोग यह है कि जिस मस्तीजादे फिल्म में मिलाप पहली बार कैमिया कर रहे हैं, उस फिल्म के डायरेक्टर भी मिलाप जावेरी ही हैं। मस्तीज़ादे में कैमिया करते ही मिलाप जावेरी उन सेलेब्रिटी डायरेक्टर्स की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं, जो फिल्म डायरेक्शन भी करते हैं और एक्टिंग भी कर लेते हैं ।
मिलाप जावेरी के कैमरा फेस करने का किस्सा दिलचस्प है। वह इस रोल को करना नहीं चाहते थे। वह लेखक मुश्ताक़ शेख को अपना लकी चार्म मानते हैं। होटल के मस्तीबाज़ गेस्ट का किरदार मुश्ताक़ को ही करना था। लेकिन, वह किन्ही कारणों से उपलब्ध नहीं हो पाये तो मिलाप ने डायरेक्टर की कुर्सी पर अपने असिस्टेंट को बैठाया। सीन कैसे लिया जाना है बताया और जा खड़े हुए कैमरा के सामने। लेकिन, आम तौर पर ऐसा नहीं होता। वर्ल्ड सिनेमा में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जिनमे डायरेक्टर एक्टर बने या एक्टर डायरेक्टर बने या डायरेक्टर ने कैमिया किया।
अपनी फिल्म में डायरेक्टर बना एक्टर
वर्ल्ड सिनेमा में ऐसे बहुत से फिल्म निर्देशक हैं, जो अपनी फिल्मों में नियमित नज़र आते हैं। मेल ब्रुक्स, जेम्स कैमरून, वेस क्रेवन, क्लिंट ईस्टवूड, अल्फ्रेड हिचकॉक, पीटर जैक्सन, टेरी जोंस, फ्रिट्ज लैंग, रोमन पोलान्सकी, टाइलर पैरी, मार्टिन स्कॉर्सेस, केविन स्मिथ, आदि ढेरों डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका की या छोटी बड़ी भूमिका में कैमिया किया। भारतीय फिल्मकारों में सुभाष घई और प्रकाश झा हमेशा अपनी फिल्मों में कमरे के सामने अपनी झलक दिखलाते हैं। प्रकाश झा जय गंगाजल में प्रियंका चोपड़ा के अपोजिट एक भ्रष्ट पुलिस वाले का किरदार कर रहे हैं। दक्षिण के निर्देशकों में एस एस राजामौली और के एस रविकुमार अपनी फिल्मों में ज़रूर नज़र आते हैं। रविकुमार ने तो अपनी कई फिल्मों में सह भूमिकाएं की। कुणाल कोहली ने अपने निर्देशन में फिल्म फिर से... में नायक की भूमिका की है। महेश मांजरेकर एक्टर डायरेक्टर हैं। वह कांटे फिल्म में एक लम्बी भूमिका कर चुके हैं।
एक्टर जिन्होंने अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय किया
अभिनेता चार्ली चैपलिन ने अभिनय करने के अलावा फिल्मों में अभिनय भी किया। उन्होंने अपनी निर्देशित सभी फिल्मों में अभिनय भी किया। इसी परंपरा में वुडी एलन, एलन अल्डा, बेन अफ्लेक, वारेन बेट्टी, रॉबर्टो बेनिग्नि, निकोलस केज, केविन कोस्ट्नर, बिली क्रिस्टल, जॉनी डेप्प, डैनी डेविटो, आदि अभिनेताओं ने अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय भी किया। भारतीय फिल्मकारों में देव आनंद, राजकपूर, गुरुदत्त, विजय आनंद, आदि ने खुद द्वारा निर्देशित अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका की। साउथ के अभिनेता कमल हासन और एस जे सूर्या खुद की निर्देशित फिल्मों में अभिनय भी करते हैं।
कभी कभी खुद के निर्देशन में अभिनय करने वाले
वर्ल्ड सिनेमा के माइकल बे,लक बेसन, फ्रांसिस फोर्ड कोप्पोला, रिचर्ड कर्टिस, जीन-लुक गोडार्ड, जॉर्ज लुकास, डेविड लिंच, रों होवार्ड, आदि निर्देशक कभीं कभी अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय कर लिया करते थे। भारतीय निर्देशकों में मधुर भंडारकर ने फिल्म फैशन में छोटी भूमिका की थी। शेखर कपूर ने फिल्म बैंडिट क्वीन में लारी ड्राइवर का किरदार किया था। गौतम मेनन ने मिन्नाले, काका काका, वेट्टैयादु विळैयादु, आदि फिल्मों में भूमिकाये की हैं। फराह खान भी अपनी इक्का दुक्का फिल्मों में नज़र आई हैं। अनुराग कश्यप भी अपनी निर्देशित फिल्मों में कोई छोटा बड़ा रोल कर लिया करते हैं।
दूसरे डायरेक्टर की फिल्म में डायरेक्टर बना एक्टर
हिंदी फिल्मों में डायरेक्टर्स की ऎसी जमात है, जो अभिनय में भी माहिर है। तारे ज़मीन पर के क्रिएटिव डायरेक्टर अमोल गुप्ते ने खुद के द्वारा निर्देशित फिल्म स्टैनले का डब्बा में एक टीचर का किरदार किया था। लेकिन, वह ऐसे अभिनेता हैं, जिनसे दूसरे डायरेक्टर भी अभिनय कराना पसंद करते हैं। अमोल ने विशाल भरद्वाज की फिल्म कमीने और रोहित शेट्टी के निर्देशन में फिल्म 'सिंघम २' में मुख्य विलेन का किरदार किया था। २०१५ की शुरू में रिलीज़ अनुराग कश्यप की पीरियड फिल्म 'बॉम्बे वेल्वेट' के मुख्य विलेन का किरदार किया था। फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया अच्छे एक्टर माने जाते हैं। उन्होंने अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में दुष्ट किरदार कर खुद के लिए प्रशंसा बटोरी। वह निखिल अडवाणी की फिल्म 'हीरो' में पुरानी हीरो में शम्मी कपूर वाले पुलिस किरदार को किया था। वह केतन मेहता की फिल्म मांझी द माउंटेनमैन और हंसल मेहता की फिल्म शाहिद में ख़ास भूमिकाएं कर चुके हैं। फरहान अख्तर मूल रूप में डायरेक्टर हैं। उनके निर्देशन में आमिर खान और शाहरुख़ खान भी अभिनय कर चुके हैं। रॉक ऑन फिल्म से वह अभिनय के मैदान में उतरे। वह अब तक १२ फ़िल्में कर चुके हैं। जिनमे नायक की भूमिकाएं भी शामिल हैं। महेश भट्ट भी केतन मेहता की फिल्म टूटे खिलौने, बुद्धदेव दासगुप्ता की फिल्म अंधी गली, सुखवंत ढड्ढा की फिल्म लहू लुहान, मनोज कुमार के भाई राजीव गोस्वामी के निर्देशन में देशवासी, हरीश भोसले के निर्देशन में हक़ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। दूसरे निर्देशक की फिल्मों में अभिनय करने वालों में सुधीर मिश्रा ( ट्रैफिक सिग्नल), फराह खान (शीरीं फरहाद की निकल पड़ी), अनुराग कश्यप (और देवदास,भूतनाथ रिटर्न्स, शागिर्द), महेश मांजरेकर (दबंग), आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
अपनी फिल्म में डायरेक्टर बना एक्टर
वर्ल्ड सिनेमा में ऐसे बहुत से फिल्म निर्देशक हैं, जो अपनी फिल्मों में नियमित नज़र आते हैं। मेल ब्रुक्स, जेम्स कैमरून, वेस क्रेवन, क्लिंट ईस्टवूड, अल्फ्रेड हिचकॉक, पीटर जैक्सन, टेरी जोंस, फ्रिट्ज लैंग, रोमन पोलान्सकी, टाइलर पैरी, मार्टिन स्कॉर्सेस, केविन स्मिथ, आदि ढेरों डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका की या छोटी बड़ी भूमिका में कैमिया किया। भारतीय फिल्मकारों में सुभाष घई और प्रकाश झा हमेशा अपनी फिल्मों में कमरे के सामने अपनी झलक दिखलाते हैं। प्रकाश झा जय गंगाजल में प्रियंका चोपड़ा के अपोजिट एक भ्रष्ट पुलिस वाले का किरदार कर रहे हैं। दक्षिण के निर्देशकों में एस एस राजामौली और के एस रविकुमार अपनी फिल्मों में ज़रूर नज़र आते हैं। रविकुमार ने तो अपनी कई फिल्मों में सह भूमिकाएं की। कुणाल कोहली ने अपने निर्देशन में फिल्म फिर से... में नायक की भूमिका की है। महेश मांजरेकर एक्टर डायरेक्टर हैं। वह कांटे फिल्म में एक लम्बी भूमिका कर चुके हैं।
एक्टर जिन्होंने अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय किया
अभिनेता चार्ली चैपलिन ने अभिनय करने के अलावा फिल्मों में अभिनय भी किया। उन्होंने अपनी निर्देशित सभी फिल्मों में अभिनय भी किया। इसी परंपरा में वुडी एलन, एलन अल्डा, बेन अफ्लेक, वारेन बेट्टी, रॉबर्टो बेनिग्नि, निकोलस केज, केविन कोस्ट्नर, बिली क्रिस्टल, जॉनी डेप्प, डैनी डेविटो, आदि अभिनेताओं ने अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय भी किया। भारतीय फिल्मकारों में देव आनंद, राजकपूर, गुरुदत्त, विजय आनंद, आदि ने खुद द्वारा निर्देशित अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका की। साउथ के अभिनेता कमल हासन और एस जे सूर्या खुद की निर्देशित फिल्मों में अभिनय भी करते हैं।
कभी कभी खुद के निर्देशन में अभिनय करने वाले
वर्ल्ड सिनेमा के माइकल बे,लक बेसन, फ्रांसिस फोर्ड कोप्पोला, रिचर्ड कर्टिस, जीन-लुक गोडार्ड, जॉर्ज लुकास, डेविड लिंच, रों होवार्ड, आदि निर्देशक कभीं कभी अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय कर लिया करते थे। भारतीय निर्देशकों में मधुर भंडारकर ने फिल्म फैशन में छोटी भूमिका की थी। शेखर कपूर ने फिल्म बैंडिट क्वीन में लारी ड्राइवर का किरदार किया था। गौतम मेनन ने मिन्नाले, काका काका, वेट्टैयादु विळैयादु, आदि फिल्मों में भूमिकाये की हैं। फराह खान भी अपनी इक्का दुक्का फिल्मों में नज़र आई हैं। अनुराग कश्यप भी अपनी निर्देशित फिल्मों में कोई छोटा बड़ा रोल कर लिया करते हैं।
दूसरे डायरेक्टर की फिल्म में डायरेक्टर बना एक्टर
हिंदी फिल्मों में डायरेक्टर्स की ऎसी जमात है, जो अभिनय में भी माहिर है। तारे ज़मीन पर के क्रिएटिव डायरेक्टर अमोल गुप्ते ने खुद के द्वारा निर्देशित फिल्म स्टैनले का डब्बा में एक टीचर का किरदार किया था। लेकिन, वह ऐसे अभिनेता हैं, जिनसे दूसरे डायरेक्टर भी अभिनय कराना पसंद करते हैं। अमोल ने विशाल भरद्वाज की फिल्म कमीने और रोहित शेट्टी के निर्देशन में फिल्म 'सिंघम २' में मुख्य विलेन का किरदार किया था। २०१५ की शुरू में रिलीज़ अनुराग कश्यप की पीरियड फिल्म 'बॉम्बे वेल्वेट' के मुख्य विलेन का किरदार किया था। फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया अच्छे एक्टर माने जाते हैं। उन्होंने अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में दुष्ट किरदार कर खुद के लिए प्रशंसा बटोरी। वह निखिल अडवाणी की फिल्म 'हीरो' में पुरानी हीरो में शम्मी कपूर वाले पुलिस किरदार को किया था। वह केतन मेहता की फिल्म मांझी द माउंटेनमैन और हंसल मेहता की फिल्म शाहिद में ख़ास भूमिकाएं कर चुके हैं। फरहान अख्तर मूल रूप में डायरेक्टर हैं। उनके निर्देशन में आमिर खान और शाहरुख़ खान भी अभिनय कर चुके हैं। रॉक ऑन फिल्म से वह अभिनय के मैदान में उतरे। वह अब तक १२ फ़िल्में कर चुके हैं। जिनमे नायक की भूमिकाएं भी शामिल हैं। महेश भट्ट भी केतन मेहता की फिल्म टूटे खिलौने, बुद्धदेव दासगुप्ता की फिल्म अंधी गली, सुखवंत ढड्ढा की फिल्म लहू लुहान, मनोज कुमार के भाई राजीव गोस्वामी के निर्देशन में देशवासी, हरीश भोसले के निर्देशन में हक़ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। दूसरे निर्देशक की फिल्मों में अभिनय करने वालों में सुधीर मिश्रा ( ट्रैफिक सिग्नल), फराह खान (शीरीं फरहाद की निकल पड़ी), अनुराग कश्यप (और देवदास,भूतनाथ रिटर्न्स, शागिर्द), महेश मांजरेकर (दबंग), आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
निर्देशक का कैमरे के सामने जाना कोई नई बात नहीं। यह पब्लिसिटी का मामला है। करण जौहर जैसा निर्देशक अगर एक्टिंग के मैदान में कूदेगा तो फिल्म को अच्छा प्रचार मिलेगा ही। टी- सीरीज के भूषण कुमार इसे मार्केटिंग मानते हैं तो टिप्स के कुमार तौरानी का मानना है कि केवल एक्टर्स के ही लॉयल फैन नहीं होते। डायरेक्टर के भी संख्या में प्रशंसक होते हैं, जो उन्हें परदे में भी देखना चाहते हैं। तिग्मांशु धूलिया जैसा सक्षम अभिनेता अपने अभिनय के बल पर दर्शकों के ज़ेहन में रहता है। हालाँकि गौरी शिंदे इसे हाइप नहीं, स्क्रिप्ट का तकाज़ा मानती हैं। कुल मिला कर यह कि कारण चाहे कोई भी हो डायरेक्टर भी एक्टर बनाने का माद्दा रखता है।
अल्पना कांडपाल
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Milap Zaveri,
फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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