२९ जनवरी को रिलीज़ हो रही सनी लियॉन की दोहरी भूमिका वाली सेक्स कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे' में स्टोरी, स्क्रीनप्ले और डायलाग राइटर मिलाप जावेरी एक होटल में ठहरे मस्तीबाज़ मेहमान के किरदार में नज़र आएंगे, जो लैला लेले यानि सनी लियॉन के साथ मज़ा कर रहा होगा । संयोग यह है कि जिस मस्तीजादे फिल्म में मिलाप पहली बार कैमिया कर रहे हैं, उस फिल्म के डायरेक्टर भी मिलाप जावेरी ही हैं। मस्तीज़ादे में कैमिया करते ही मिलाप जावेरी उन सेलेब्रिटी डायरेक्टर्स की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं, जो फिल्म डायरेक्शन भी करते हैं और एक्टिंग भी कर लेते हैं ।
मिलाप जावेरी के कैमरा फेस करने का किस्सा दिलचस्प है। वह इस रोल को करना नहीं चाहते थे। वह लेखक मुश्ताक़ शेख को अपना लकी चार्म मानते हैं। होटल के मस्तीबाज़ गेस्ट का किरदार मुश्ताक़ को ही करना था। लेकिन, वह किन्ही कारणों से उपलब्ध नहीं हो पाये तो मिलाप ने डायरेक्टर की कुर्सी पर अपने असिस्टेंट को बैठाया। सीन कैसे लिया जाना है बताया और जा खड़े हुए कैमरा के सामने। लेकिन, आम तौर पर ऐसा नहीं होता। वर्ल्ड सिनेमा में ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं, जिनमे डायरेक्टर एक्टर बने या एक्टर डायरेक्टर बने या डायरेक्टर ने कैमिया किया।
अपनी फिल्म में डायरेक्टर बना एक्टर
वर्ल्ड सिनेमा में ऐसे बहुत से फिल्म निर्देशक हैं, जो अपनी फिल्मों में नियमित नज़र आते हैं। मेल ब्रुक्स, जेम्स कैमरून, वेस क्रेवन, क्लिंट ईस्टवूड, अल्फ्रेड हिचकॉक, पीटर जैक्सन, टेरी जोंस, फ्रिट्ज लैंग, रोमन पोलान्सकी, टाइलर पैरी, मार्टिन स्कॉर्सेस, केविन स्मिथ, आदि ढेरों डायरेक्टर हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका की या छोटी बड़ी भूमिका में कैमिया किया। भारतीय फिल्मकारों में सुभाष घई और प्रकाश झा हमेशा अपनी फिल्मों में कमरे के सामने अपनी झलक दिखलाते हैं। प्रकाश झा जय गंगाजल में प्रियंका चोपड़ा के अपोजिट एक भ्रष्ट पुलिस वाले का किरदार कर रहे हैं। दक्षिण के निर्देशकों में एस एस राजामौली और के एस रविकुमार अपनी फिल्मों में ज़रूर नज़र आते हैं। रविकुमार ने तो अपनी कई फिल्मों में सह भूमिकाएं की। कुणाल कोहली ने अपने निर्देशन में फिल्म फिर से... में नायक की भूमिका की है। महेश मांजरेकर एक्टर डायरेक्टर हैं। वह कांटे फिल्म में एक लम्बी भूमिका कर चुके हैं।
एक्टर जिन्होंने अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय किया
अभिनेता चार्ली चैपलिन ने अभिनय करने के अलावा फिल्मों में अभिनय भी किया। उन्होंने अपनी निर्देशित सभी फिल्मों में अभिनय भी किया। इसी परंपरा में वुडी एलन, एलन अल्डा, बेन अफ्लेक, वारेन बेट्टी, रॉबर्टो बेनिग्नि, निकोलस केज, केविन कोस्ट्नर, बिली क्रिस्टल, जॉनी डेप्प, डैनी डेविटो, आदि अभिनेताओं ने अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय भी किया। भारतीय फिल्मकारों में देव आनंद, राजकपूर, गुरुदत्त, विजय आनंद, आदि ने खुद द्वारा निर्देशित अपनी फिल्मों में मुख्य भूमिका की। साउथ के अभिनेता कमल हासन और एस जे सूर्या खुद की निर्देशित फिल्मों में अभिनय भी करते हैं।
कभी कभी खुद के निर्देशन में अभिनय करने वाले
वर्ल्ड सिनेमा के माइकल बे,लक बेसन, फ्रांसिस फोर्ड कोप्पोला, रिचर्ड कर्टिस, जीन-लुक गोडार्ड, जॉर्ज लुकास, डेविड लिंच, रों होवार्ड, आदि निर्देशक कभीं कभी अपनी निर्देशित फिल्मों में अभिनय कर लिया करते थे। भारतीय निर्देशकों में मधुर भंडारकर ने फिल्म फैशन में छोटी भूमिका की थी। शेखर कपूर ने फिल्म बैंडिट क्वीन में लारी ड्राइवर का किरदार किया था। गौतम मेनन ने मिन्नाले, काका काका, वेट्टैयादु विळैयादु, आदि फिल्मों में भूमिकाये की हैं। फराह खान भी अपनी इक्का दुक्का फिल्मों में नज़र आई हैं। अनुराग कश्यप भी अपनी निर्देशित फिल्मों में कोई छोटा बड़ा रोल कर लिया करते हैं।
दूसरे डायरेक्टर की फिल्म में डायरेक्टर बना एक्टर
हिंदी फिल्मों में डायरेक्टर्स की ऎसी जमात है, जो अभिनय में भी माहिर है। तारे ज़मीन पर के क्रिएटिव डायरेक्टर अमोल गुप्ते ने खुद के द्वारा निर्देशित फिल्म स्टैनले का डब्बा में एक टीचर का किरदार किया था। लेकिन, वह ऐसे अभिनेता हैं, जिनसे दूसरे डायरेक्टर भी अभिनय कराना पसंद करते हैं। अमोल ने विशाल भरद्वाज की फिल्म कमीने और रोहित शेट्टी के निर्देशन में फिल्म 'सिंघम २' में मुख्य विलेन का किरदार किया था। २०१५ की शुरू में रिलीज़ अनुराग कश्यप की पीरियड फिल्म 'बॉम्बे वेल्वेट' के मुख्य विलेन का किरदार किया था। फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया अच्छे एक्टर माने जाते हैं। उन्होंने अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में दुष्ट किरदार कर खुद के लिए प्रशंसा बटोरी। वह निखिल अडवाणी की फिल्म 'हीरो' में पुरानी हीरो में शम्मी कपूर वाले पुलिस किरदार को किया था। वह केतन मेहता की फिल्म मांझी द माउंटेनमैन और हंसल मेहता की फिल्म शाहिद में ख़ास भूमिकाएं कर चुके हैं। फरहान अख्तर मूल रूप में डायरेक्टर हैं। उनके निर्देशन में आमिर खान और शाहरुख़ खान भी अभिनय कर चुके हैं। रॉक ऑन फिल्म से वह अभिनय के मैदान में उतरे। वह अब तक १२ फ़िल्में कर चुके हैं। जिनमे नायक की भूमिकाएं भी शामिल हैं। महेश भट्ट भी केतन मेहता की फिल्म टूटे खिलौने, बुद्धदेव दासगुप्ता की फिल्म अंधी गली, सुखवंत ढड्ढा की फिल्म लहू लुहान, मनोज कुमार के भाई राजीव गोस्वामी के निर्देशन में देशवासी, हरीश भोसले के निर्देशन में हक़ जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। दूसरे निर्देशक की फिल्मों में अभिनय करने वालों में सुधीर मिश्रा ( ट्रैफिक सिग्नल), फराह खान (शीरीं फरहाद की निकल पड़ी), अनुराग कश्यप (और देवदास,भूतनाथ रिटर्न्स, शागिर्द), महेश मांजरेकर (दबंग), आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
निर्देशक का कैमरे के सामने जाना कोई नई बात नहीं। यह पब्लिसिटी का मामला है। करण जौहर जैसा निर्देशक अगर एक्टिंग के मैदान में कूदेगा तो फिल्म को अच्छा प्रचार मिलेगा ही। टी- सीरीज के भूषण कुमार इसे मार्केटिंग मानते हैं तो टिप्स के कुमार तौरानी का मानना है कि केवल एक्टर्स के ही लॉयल फैन नहीं होते। डायरेक्टर के भी संख्या में प्रशंसक होते हैं, जो उन्हें परदे में भी देखना चाहते हैं। तिग्मांशु धूलिया जैसा सक्षम अभिनेता अपने अभिनय के बल पर दर्शकों के ज़ेहन में रहता है। हालाँकि गौरी शिंदे इसे हाइप नहीं, स्क्रिप्ट का तकाज़ा मानती हैं। कुल मिला कर यह कि कारण चाहे कोई भी हो डायरेक्टर भी एक्टर बनाने का माद्दा रखता है।
अल्पना कांडपाल