Friday, 22 January 2016

बॉक्स ऑफिस पर उठेगा या उठ जायेगा सनी का ढाई किलो का हाथ !

सनी देओल की फिल्म घायल वन्स अगेन १५ जनवरी को रिलीज़ होने वाली थी। २०११ में तीन देओलों सनी, बॉबी और धर्मेन्द्र की एक्शन कॉमेडी ड्रामा फिल्म यमला पगला दीवाना १४ जनवरी को रिलीज़ हुई थी।  यह फिल्म बड़ी हिट साबित हुई थी।  इससे यह उम्मीद थी कि इस साल १५ जनवरी को रिलीज़ हो रही सनी देओल की फिल्म  घायल वन्स अगेन भी बड़ी हिट साबित होगी।  क्योंकि, यह फिल्म १९९० में रिलीज़ सनी देओल की सुपर हिट फिल्म घायल की सीक्वल फिल्म थी।  लेकिन, कुछ तकनीकी कारणों से सनी की यह फिल्म ५ फरवरी तक के लिए टाल दी गई।  ज़ाहिर है कि सनी देओल के प्रशंसकों को घोर निराशा हुई होगी।  क्योंकि, वह सनी देओल के ढाई किलो के हाथ के फैन हैं और उसे बॉक्स ऑफिस पर उठते हुए देखना चाहते हैं।
मासूम क्रुद्ध छात्र 'अर्जुन'
सनी देओल ने १९८३ में फिल्म बेताब से डेब्यू किया था।  यह थोड़ी रोमांटिक, थोड़ी एक्शन वाली फिल्म थी।  इस फिल्म के बाद रिलीज़ फ़िल्में सनी, मंज़िल मंज़िल, सोहनी महिवाल और ज़बरदस्त भी कुछ  ऐसे ही  मसालों से भरी फ़िल्में थी।  यह वह  समय  था, जब अमिताभ बच्चन के क्रुद्ध युवा की तूती बोला करती थी।  ऐसे में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था।  उस समय अनिल कपूर,  संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, आदि अभिनेता एक्शन के ज़रिये बॉलीवुड को लुभाने में जुटे थे।  ऋषि कपूर रोमांटिक हीरो के रूप में उभरे थे।  कुमार गौरव गुल हो गए थे। अपने शारीरिक गठन के कारण सनी देओल रोमांटिक भूमिकाओं में फिट नहीं बैठते थे। सोहनी महिवाल की असफलता सामने थी।  ऐसे समय में, एक बार फिर बेताब के निर्देशक राहुल रवैल आगे आये।  उन्होंने अपनी फिल्म अर्जुन में सनी देओल को कॉलेज के भोले भाले मासूम छात्र का  चोला  पहनाया, जो  अपने परिवार और मित्रों पर अत्याचार के कारण हिंसा करने के लिए मज़बूर होता है।
इमेज बदलना था ज़रूरी
लेकिन, ठीक इसी समय अनिल कपूर भी सीधे सादे क्रुद्ध युवा को परदे पर पेश कर रहे थे।  यह वह समय था, जब हर डेब्यू एक्टर क्रोधित हो कर हिंसा कर रहा था।  हर एक्टर का सपना सुपर स्टार बनने का था।  शोले और दीवार जैसी फिल्म के दौर में एक्शन हॉट केक की तरह बिक रहा था।  संजय दत्त ने अपने गठीले  शरीर को हथियार बना कर कभी डॉन या असामाजिक बन कर एक्शन किया।  जीतेन्द्र ने पारिवारिक फिल्मों का रास्ता पकड़ा।  गोविंदा और मिथुन चक्रवर्ती डांसिंग स्टार बने, जो मौका लगने पर एक्शन भी कर लेते थे।  इसी दौर में राज बब्बर, रजनीकांत,  शत्रुघ्न सिन्हा,  विनोद खन्ना, आदि अमिताभ बच्चन को चुनौती पेश कर रहे थे।  उसी समय सनी देओल के पिता धर्मेन्द्र का  सितारा भी बुलंद था।  ज़ाहिर है कि सनी देओल को इन सभी से जुदा एंग्री यंगमैन बनना था।
कमीज फाड़ने वाला क्रुद्ध युवा
ऐसे समय में निर्देशक राजकुमार संतोषी की फिल्म घायल रिलीज़ हुई।  यह  संतोषी की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी।  राजकुमार संतोषी ने बड़ी चतुराई से सनी देओल की सभी खामियों को छुपाते हुए खूबियों को उभारा।  राहुल रवैल ने सनी देओल के चेहरे के  भोलेपन को हथियार बनाया था।   राजकुमार संतोषी ने इसे बरकरार रखते हुए सनी के गठीले शरीर का खूब दोहन किया।  घायल में भी सनी देओल एक छात्र की भूमिका में थे, जिसके भाई को एक ड्रग माफिया द्वारा मार  दिया जाता है और उसे भाई का हत्यारा बता का जेल भेज दिया जाता है।  उस  पर भाभी के साथ अवैध सम्बन्ध रखने का आरोप भी लगता है।  तब उसका खून खौल उठता है और वह ड्रग माफिया का खात्मा करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाता है।  यह पहली फिल्म थी, जिसमे सनी देओल की कमीज फड़वा कर उनकी गठीली छाती और बाजुओं को दिखाया गया था।  दर्शक इस जांबाज़ क्रुद्ध युवा के दीवाने हो गए।  घायल आमिर खान की फिल्म दिल के सामने भी सुपर हिट साबित हुई। फिल्म के लिए सनी देओल को नेशनल फिल्म अवार्ड में स्पेशल जूरी अवार्ड दिया गया।
ढाई किलो का हाथ- आदमी उठता नहीं उठ जाता है
लेकिन, सनी देओल का हाथ ढाई किलो का साबित हुआ तीन साल बाद।  यह फिल्म भी राजकुमार संतोषी की ही थी।  घर  वालों के बलात्कार का शिकार नौकरानी को इन्साफ दिलाने वाली दामिनी की इस  कहानी में सनी देओल दामिनी के शराबी वकील बने थे।  सरकारी वकील चड्ढा के साथ नोंकझोंक के एक सीन में सनी देओल अपने ढाई किलो के हाथ का ज़िक्र करते हैं, जो पड़ता है तो आदमी उठता नहीं उठ जाता है।  सनी के इस डायलाग पर सिनेमाहॉल सीटियों और तालियों की आवाज़ से गूँज उठते थे।  ऋषि कपूर, मीनाक्षी शेषाद्रि और अमरीश पुरी जैसे दिग्गज़ों की मौजूदगी के बावजूद दामिनी सनी देओल की फिल्म बन गई।  उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड मिला।
ट्रेड मार्क बन गया
इसके बाद सनी देओल का ढाई किलो का हाथ उनका ट्रेड मार्क बन गया।  वह अपने ज़ोरदार मुक्कों की बरसात  करते हुए दसियों  गुंडों को हवा मे उड़ा देते थे।  दर्शक उनकी इस जांबाजी को देखने के लिए ब्लैक में टिकट खरीदता था।  उनकी, एक के बाद एक अंगरक्षक, हिम्मत, जीत, अजय, घातक, बॉर्डर, ज़िद्दी, ज़ोर, अर्जुन पंडित, आदि फ़िल्में हिट होती चली गई।   इंतेहा हुई २००१ में, जब सनी देओल ने अपनी फिल्म से दूसरी बार आमिर खान को मात दी थी।  ग़दर एक प्रेमकथा के सामने आमिर खान की फिल्म लगान रिलीज़ हुई थी।  एक तरफ लगान में आमिर  खान  और उनके  साथी क्रिकेट की गेंद हवा में उछाल रहे थे, उधर सनी देओल के ज़ोरदार मुक्कों से पाकिस्तानी हवा  में उठ कर उठ जा रहे थे।  अब सनी देओल ऐसे एंग्रीमैन बन गए थे, जिसके ढाई किलो के हाथ से आदमी हवा में उठता ही नहीं, उठ जाता है।
आज सनी देओल को इंडस्ट्री में ३३ साल हो गए हैं। उनके समकालीन दूसरे क्रुद्ध युवा थक कर चरित्र भूमिकाओं में आ गए हैं।  सनी देओल भी अब युवा नहीं रहे।  इस साल १९ अक्टूबर को वह ६० साल के हो जायेंगे।  लेकिन, वह आज भी हीरो बन कर आ रहे हैं।  बेशक उनकी भूमिकाये अब काफी परिपक्व हो  गई है।  लेकिन, उनका हाथ आज भी ढाई किलो का माना जाता है।  दर्शकों को इंतज़ार रहता है सनी देओल की फिल्मों का, स्क्रीन पर  उठे उनके ढाई किलो के हाथ का और इस हाथ के प्रहार से हवा में लहराते दुश्मनों का।  दर्शकों में कुछ ऐसा ही
इंतज़ार घायल वन्स अगेन के लिए भी है।  क्या वन्स अगेन घायल सनी देओल का मुक्का ढाई किलो का साबित होगा?

अल्पना कांडपाल 

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