मशहूर बांग्ला लेखक और फिल्म निर्देशक अनिल गांगुली ने अपने करियर में कोई १९ फिल्मों का निर्देशन किया। उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती को लेकर कई एक्शन फ़िल्में बनाई। लेकिन, उन्हें याद किया जाता है नारी प्रधान कथानक वाली उनकी फिल्मों के लिए। कोरा कागज़ और तपस्या ने उन्हें हिंदी फिल्म उद्योग में स्थापित कर दिया। उनकी इन दोनों फिल्मों को सम्पूर्ण मनोरंजक फिल्मों का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। इन फिल्मों ने जया भादुड़ी (बच्चन) और राखी विश्वास (गुलज़ार) की प्रतिभा को उभरने का मौका दिया। इन दोनों ही फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता मिली। सुलक्षणा पंडित की मुख्य भूमिका वाली फिल्म संकोच ने उन्हें नारी प्रधान विषय पर पकड़ रखने वाला डायरेक्टर बना दिया। उन्होंने मिथुन चक्रवर्ती के अलावा राजेश खन्ना, अनिल कपूर, जीतेन्द्र, संजीव कुमार, धर्मेन्द्र, अक्षय कुमार, ऋषि कपूर, आदि बॉलीवुड के बड़े अभिनेताओं के साथ फ़िल्में बनाई। लेकिन, तपस्या और कोरा कागज़ के बाद उनकी यादगार फिल्म अनिल कपूर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म साहेब और ऋषि कपूर के साथ प्यार के काबिल ही थी। उनकी आखिरी फिल्म अंगारा १९९६ में रिलीज़ हुई थी। चूंकि, अनिल गांगुली पिछले २० सालों से फिल्मों से दूर हो गए थे, इसीलिए १५ जनवरी को उनकी मृत्यु की खबर नहीं बन सकी। उनकी बेटी रूपाली गांगुली थिएटर और टीवी एक्ट्रेस हैं। उन्हें श्रद्धांजलि।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Monday, 18 January 2016
नहीं रहे कोरा कागज़ और तपस्या के अनिल गांगुली
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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