आर बाल्की की फिल्म 'की एंड का' कहानी है किआ और कबीर के रोमांस और शादी की और शादी के बाद की अड़चनों की। किआ वर्किंग वुमन है। वह बहुत महत्वाकांक्षी है। कबीर एक शेफ है। वह प्रगतिशील विचारों का और किआ की महत्वाकांक्षा का समर्थन करता है। वह घर में बैठ कर, किआ के लिए खाना बना कर उस का इंतज़ार करता है । फिल्म है स्त्री और पुरुष होने की। लड़की यानि की और लड़का यानि का। फिल्म में इन दोनों को करीना कपूर खान और अर्जुन कपूर पेश कर रहे हैं। करीना और अर्जुन की उम्र में पांच साल का फर्क है। स्क्रीन पर भी यह फर्क नज़र आता है। दोनों के विचारों में फर्क है। लेकिन, करीना के किरदार के अर्जुन के किरदार से उम्र में बड़ा होने और उसके वर्किंग वुमन होने से इन दोनों की वैवाहिक ज़िंदगी में कोई विपरीत असर नहीं पड़ता। फिल्म में किआ और कबीर के बीच भरपूर रोमांस हैं। करीना ने बेझिझक अर्जुन से प्रेमालाप किया है। तमाम दृश्यों में करीना कपूर अर्जुन कपूर में खोई नज़र आती हैं। फिल्म के बारे में बाल्की बताते हुए कहते हैं, "हिंदी भाषा में मनुष्यों के लिए ही नहीं मृत वस्तुओं को भी लिंग में विभाजित किया गया है। प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक वस्तुओं का लिंग विभेद किया गया है। लेकिन, यह फिल्म, जोड़े के विवाह की तरह, यह रेखांकित करती है कि की और का का लिंग भेद मायने नहीं रखता।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday, 6 January 2016
लड़की और लड़का की कहानी नहीं 'की एंड का'
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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