Friday 8 January 2016

नंदा : हिंदी फिल्मों की छोटी बहन जो नायिका बनी

आज गुजरे जमाने की अभिनेत्री नंदा का जन्मदिन हैं।  वह अभिनेता मास्टर विनायक के घर १९३९ में जन्मी थी।  मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक वी शांताराम उनके चाचा थे।  इसलिए फिल्म परिवार से सरोकार होने के कारण बेबी नंदा को फ़िल्में मिलना कठिन नहीं था। वी शांताराम ने ही उन्हें १९५६ में रिलीज़ फिल्म 'तूफ़ान और दिया' से बड़ा ब्रेक दिया।  लेकिन, इस फिल्म ने नंदा को फ़िल्मी बहन के रूप में स्थापित कर दिया।  भाभी, बरखा, छोटी बहन, आदि फ़िल्में उनकी बहन की इमेज को पुख्ता करती चली गई। बहन की  इतनी पुख्ता इमेज से बाहर आना आसान नहीं था।  उस दौर की नाज़िमा, नाज़, फरीदा जलाल, आदि अभिनेत्रियां एक बार  बहन का ठप्पा लगते ही, बहन और भाभी के रोल के लीये सुरक्षित हो गई।  लेकिन, नंदा ने इस  इमेज से निकल कर खुद को हिंदी फिल्मों की नायिका का बतौर स्थापित किया।  उसने कहा था, काला बाजार, कानून, हम दोनों, गुमनाम, तीन देवियाँ, आदि फिल्मों से उन्हें मदद मिली।  हालाँकि, इन फिल्मों में से ज़्यादा में वह सपोर्टिंग रोल में थी।  लेकिन, शशि कपूर के साथ १९६५ में रिलीज़ फिल्म 'जब जब फूल खिले' ने उन्हें बतौर नायिका स्थापित कर दिया।  उन्होंने  शशि कपूर के साथ फिल्म जब जब फूल खिले के अलावा मोहब्बत इसको कहते हैं, नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे, राजा साहब और रूठा न करो जैसी हिट फ़िल्में की।  इस जोड़ी की तीन अन्य फिल्मो चार दिवारी, मेहंदी लगी मेरे हाथ और जुआरी को प्रशंसा तो मिली पर बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। नंदा उस जमाने की ग्लैमरस अभिनेत्रियों में शुमार की जाती थी। यह उनके बेजोड़ अभिनय का जादू था कि वह फिल्म इत्तेफ़ाक़ के निगेटिव किरदार में भी पसंद की गई। नंदा अपने समय की नूतन के बाद दूसरी सबसे ज़्यादा पारिश्रमिक पाने वाली एक्ट्रेस थी।  उनका निर्माता निर्देशक मनमोहन देसाई के साथ लम्बा रोमांस चला।  लेकिन, मनमोहन देसाई के यकायक आत्महत्या कर लेने के बाद वह नितांत अकेली रह गई।








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