२०१५ के पहले शुक्रवार को हॉलीवुड की स्पूकी फिल्म 'द वुमन इन ब्लैक २: एंजेल ऑफ़ डेथ' रिलीज़ हुई थी। उम्मीद की जा रही थी कि निर्देशक जेरेमी इरविन की यह फिल्म दर्शकों को धमाका कर और होब्बिट को हड़का कर वर्ल्ड बॉक्स ऑफिस पर कब्ज़ा जमा लेगी। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। पिछले साल १७ दिसंबर को रिलीज़ तथा अब तक वर्ल्ड बॉक्स ऑफिस पर ६६५ मिलियन डॉलर से ज़्यादा कलेक्शन कर चुकी होब्बिट सीरीज की आखिरी फिल्म 'द होब्बिट : द बैटल ऑफ़ द फाइव आर्मीज' बॉक्स ऑफिस के टॉप पर काबिज़ रही। काले लबादे में औरत से न दर्शक डरे, न होब्बिट हड़का। द वुमन इन ब्लैक २ ने वर्ल्ड बॉक्स ऑफिस पर केवल ७. ७५ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। यह फिल्म होब्बिट के तीसरे वीकेंड में भी ८.३८ मिलियन डॉलर कमा लेने के कारण दूसरे स्थान पर रह गयी। 'द वुमन इन ब्लैक २ का यह फर्स्ट वीकेंड कलेक्शन पूर्व की पिशाच फिल्मों 'पैरानॉर्मल एक्टिविटी:द मार्क्ड वंस' के ८.७ मिलियन और अपनी मूल फिल्म वुमन ब्लैक के ८.३ मिलियन से भी कम रहा। इससे तो यही साबित होता है कि विश्व के दर्शकों पर हॉलीवुड का हॉरर उतार पर है। इस वीकेंड में तीसरे स्थान पर ७.४६ मिलियन डॉलर के कलेक्शन के साथ इनटू द वुड्स रही।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday 4 January 2015
क्या उतार पर है पैशाचिक फिल्मों का जादू ?
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बॉक्स ऑफिस पर
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
महिला शक्ति की प्रतीक 'एजेंट कार्टर'
मार्वल स्टूडियोज ने २००८ 'आयरन मैन' से अपने ब्रांड करैक्टर पर फ़िल्में बनाने का सिलसिला शुरू किया था। यह स्टूडियो अब तक १० फ़िल्में बना चुका है। अब इस स्टूडियो के इतिहास में पहली बार एक महिला करैक्टर पर एक शो एजेंट कार्टर बनाया गया है। स्टार वर्ल्ड प्रीमियर एचडी इस शो का प्रसारण ९ जनवरी से रात दस बजे से करने जा रहा है। इस शो में अभिनेत्री हेली अटवेल स्ट्रेटेजिक साइंटिफिक रिज़र्व एजेंट पेगी कार्टर का किरदार कर रही हैं। एजेंट कार्टर फीचर फिल्मों कैप्टेन अमेरिका, द फर्स्ट एवेंजर और कैप्टेन अमेरिका से प्रेरित है। एजेंट कार्टर का करैक्टर मानवीय है। क्योंकि, मार्वल के दूसरे करैक्टर की तरह इस चरित्र के पास कोई सुपर पावर नहीं है। वह एजेंट ऑफ़ शील्ड की पहली सदस्य है। इस शो की कहानी चालीस के दशक की है। चालीस के दशक की औरत, पुरुष प्रधान समाज का वातावरण इस शो में दर्शाया गया है। इस शो का हर चरित्र एजेंट कार्टर के अलावा होवार्ड स्टार्क, एजेंट एक थॉम्पसन, एडविन जार्विस को अच्छी तरह से विकसित किया गया है। कहानी तेज़ रफ़्तार है। इस शो को देखना टेलेविज़न पर किसी फिल्म को देखने जैसा अनुभव देने वाला है। इन भूमिकाओं को डॉमिनिक कूपर, चाड माइकल मरे और जेम्स डीआरसी ने किया है। इस शो की खासियत यह है कि आपको मार्वल यूनिवर्स की पूर्व कथा जानने की ज़रुरत नहीं, क्योंकि,एजेंट कार्टर खुद में एक मज़बूत औरत की कहानी है । तो तैयार हो जाइये और बैठ जाइये टीवी के सामने ९ जनवरी को, देखने के लिए 'द कैप्टेन अमेरिका फर्स्ट एवेंजर के बाद के एक की कहानी जानने के लिए जब कैप्टेन अमेरिका उर्फ़ स्टीव रॉजर मरने से पहले एजेंट कार्टर को सम्पूर्ण सम्पूर्ण सीक्रेट एजेंट एजेंट बना देता है। उल्लेखनीय है कि एक डरपोक मना जाने वाला अमेरिकी सैनिक स्टीव रॉजर युद्ध के मैदान में मारा जाता है। उसका शव बर्फ में दब जाता है। रॉजर के इसी अवशेष से, अमेरिका को बचाने के लिए, कैप्टेन अमेरिका का जन्म होता है।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बेमिसाल धुनों के 'पंचम'
आज मशहूर फिल्म संगीतकार राहुल देव ,बर्मन उर्फ़ पंचम की पुण्य तिथि है। २१ साल पहले, केवल ५५ साल की छोटी उम्र में पंचम का देहांत हो गया था। राहुल देव बर्मन, हालाँकि एक बड़े संगीतकार सचिन देव बर्मन के घर में पैदा हुए थे, इसलिए उनका संगीत पर अच्छी पकड़ होना स्वाभाविक था। लेकिन, साथ ही संगीत के वट वृक्ष सचिन दा की छाया में पलने की त्रासदी भी थी। राहुल जो भी धुन तैयार करते उसमे उनके पिता के संगीत की छाप देखी जाती। वास्तविकता तो यह है कि राहुल देव बर्मन को पंचम नाम ही पंचम सुर पर मिला था। क्योंकि, जब वह रोते थे तो उनके पास पडोसी कहते थे कि वह पंचम सुर में रो रहे हैं। सचिन देव बर्मन को शास्त्रीय और लोक संगीत का ज़बरदस्त ज्ञान था। वह बॉलीवुड फिल्मों के लिए १९४६ से संगीत दे रहे थे। ऐसे में जबकि पिता बॉलीवुड म्यूजिक के टॉप पर हो, बेटे आरडी बर्मन को कौन पूछता। हालाँकि, पंचम को प्रारंभिक फ़िल्में भी अपने पिता के कारण ही मिली थी। बताते हैं कि 'ऐ मेरी टोपी पलट के आ' गीत की रचना पंचम ने ही की थी, जिसे सचिन दा ने फिल्म फंटूश में उपयोग किया था। इसके अलावा, फिल्म प्यासा' के 'सर जो तेरा चकराए' की संरचना भी नन्हे राहुल देव बर्मन की उँगलियों ने ही पैदा की थी। बतौर असिस्टेंट संगीत निर्देशक आरडी बर्मन ने अपने पिता को फिल्म 'चलती का नाम गाडी', 'कागज़ के फूल', 'तेरे घर के सामने', 'बंदिनी', 'ज़िद्दी', आदि में सहयोग किया। पंचम को पहली फिल्म दी बचपन के दोस्त महमूद ने। लेकिन, पंचम को यह फिल्म अपने पिता के कारण ही मिली थी। महमूद ने जब बतौर निर्माता फिल्म बनाने का निर्णय लिया, तब फिल्म 'छोटे नवाब' का संगीत देने के लिए सचिन दा के पास गए। सचिन दा के पास तारीखे नहीं थी। महमूद ने पंचम से संगीत देने के लिए कहा। झिझकते हुए पंचम ने फिल्म का संगीत दिया। १९६१ में रिलीज़ फिल्म 'छोटे नवाब' फ्लॉप हुई। पंचम के संगीत की प्रशंसा की गयी। लेकिन, उनके सबसे लोकप्रिय गीत 'घर आजा घिर आये बदरा' में पिता के संगीत की छाप देखी गयी। राहुल देव बर्मन को बॉलीवुड का पंचम बनाया नासिर हुसैन की फिल्म 'तीसरी मंज़िल' ने। इस फिल्म के जैज़ म्यूजिक ने फिल्म को सुपर हिट बनाया ही, आरडी बर्मन को भी हिट कर दिया। हालाँकि, छोटे नवाब से तीसरी मंज़िल के बीच राहुल ने 'पड़ोसन', 'कटी पतंग', 'द ट्रैन', 'हलचल', 'कारवां', 'बुड्ढा मिल गया', 'सीता और गीता', 'हरे रामा हरे कृष्णा', आदि कोई २९२ हिंदी फिल्मों में सुपर हिट धुनें दी। उन्होंने ३१ बांगला, ३ तेलुगु, और दो-दो तमिल ओड़िया फिल्मों का संगीत भी दिया। एक मराठी फिल्म के संगीतकार के बतौर भी पंचम का नाम दर्ज़ है। उनके तैयार तमाम गीतों के रीमिक्स कर हज़ारो बेसुरे संगीतकार और गायक लाखों कमा रहे हैं।
राजेंद्र कांडपाल
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'अथर्वा द ओरिजिन में शाहरुख़ खान
रमेश थमिलमणि के ग्राफ़िक नावेल 'अथर्वा द ओरिजिन' में बॉलीवुड फिल्म अभिनेता शाहरुख़ खान मुख्य किरदार में नज़र आएंगे। पृथ्वी के जन्म पर केंद्रित इस उपन्यास में मनुष्य की जीवन यात्रा का चित्रण किया गया है। पृथ्वी के भावी राजा अपनी कठिन और लम्बी जीवन यात्रा पर निकला है। इस यात्रा में वह अनोखे जानवरों का सामना करता है और जादुई ज़मीन के दर्शन करता है। अभी इस उपन्यास का एक मिनट का ट्रेलर देख कर इस प्रोजेक्ट के कंटेंट का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट पर विरजू स्टूडियो काम कर रहा है। इस उपन्यास का रेखांकन रमेश आचार्य ने किया है। अजंता एलोरा गुफाओं के चित्रण ग्राफ़िक नावेल के प्रारंभिक स्वरुप कहे जा सकते है। १९६४ में पहली बार अधिकारिक रूप से ग्राफ़िक नावेल शब्द का उपयोग किया गया। १९७८ में विल आइजनर के प्रकाशन अ कॉन्ट्रैक्ट विथ गॉड के साथ यह उपन्यास हो गए। उम्मीद की जानी चाहिए कि अथर्वा द ओरिजिन के बाद यह उपन्यास भारत में भी प्रकाशित होने लगेंगे।
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Saturday 3 January 2015
सोनाली बेंद्रे के प्रोफेशनलिज्म की दास्ताँ !
फिल्म अभिनेत्री कमाल की प्रोफेशनल हैं। फिल्म हो या टीवी, काम के प्रति उनका समर्पण साफ़ झलकता है। आजकल वह लाइफ ओके के सीरियल 'अजीब दास्तान है ये' में शोभा सचदेव का किरदार कर रही हैं। फिल्म का पूरा कथानक सोनाली के किरदार के इर्दगिर्द घूमता रहता है। सोनाली की इस अभिनय प्रतिभा के बदौलत ही दर्शक इस सीरियल को पसंद कर रहे हैं। स्वाभाविक है कि सीरियल के लिए सोनाली बेंद्रे ख़ास है। खुद सोनाली भी इसे अच्छी तरह से जानती हैं। पिछले दिनों वह आँख के इन्फेक्शन से परेशान थी। काफी जलन होने के कारण सोनाली को देखने में भी परेशानी हो रही थी। इसके बावजूद सोनाली बेंद्रे खुद कार चलाते हुए डॉक्टर के पास गयी। डॉक्टर को दिखाया, दवा ली और सीधा ' अजीब दास्ताँ है ये' के सेट पर पहुँच गयी। फिर, सेट पर उनकी आँखें काफी सूज रही थी। इसके बावजूद सोनाली ने अपना शॉट पूरा किया। इसके बाद ही वह घर गयी। उनके इस प्रोफेशनलिज्म की खुले दिल से प्रशंसा उनके सीरियल के को-स्टार्स ने भी की। प्रोफेशनल हो तो सोनाली जैसी।
राजेंद्र कांडपाल
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समीर सोनी की माय बर्थडे सांग
एक्टर समीर सोनी अब निर्देशक भी बन गए हैं। फिल्म 'प्यार में कभी कभी' से डेब्यू करने वाले संजय की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी एंटीक्लॉक फिल्म्स के अंतर्गत फिल्म माय बर्थडे सांग समीर की पहली फिल्म होगी। इस फिल्म में संजय सूरी के अलावा कनाडा की एक्टर नोरा फतेही, सुपर्णा कृष्णा, अयाज़ खान, एलेना कज़न, मिस ऑस्ट्रेलिया इंडिया ज़ेनिआ स्टार, आदि मुख्य भूमिका में हैं। माय बर्थडे सांग को समीर सोनी ने ही लिखा है। यह एक थ्रिलर ड्रामा फिल्म होगी।
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Friday 2 January 2015
सोनी पल के सीरियल सिंहासन बत्तीसी के १०० एपिसोड पूरे
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