सेंसर और मॉरल पोलिसिंग से त्रस्त बॉलीवुड को अब नयी तरह की सेंसरशिप का सामना करना पड़ रहा है. इस सेंसरशिप की पहली शिकार अनुभव सिन्हा और मुश्ताक शेख निर्मित तथा बनारस
मीडियावर्क्स के बैनर तले बनी फिल्म ज़िद बनी है। यह
फिल्म अगले महीने नवंबर में प्रदर्शन के लिए तैयार है । जब सिनेमाघरों में पब्लिसिटी के लिए इस एरोटिक
साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म के पहले पोस्टर को भेजा गया तो उन्होंने इस पोस्टर को लगाने से साफ़ मना कर दिया। क्योंकि, वह किसी प्रकार के विवाद में फंसने को तैयार नहीं थे । इस सम्बन्ध में ऑल
इंडिया डिस्ट्रीब्यूटर के इन्दर राज कपूर ने बताया, " जी हाँ, यह सही है कि हमने कुछ पब्लिसिटी मैटेरियल वापस कर दिया है, क्यूंकि वह कुछ ज्यादा ही बोल्ड और विवादित लग रहे थे। वैसे इस बारे में हमने
निर्माताओ से बात की है और जल्द ही इसका कोई हल निकल आएगा ।" 'ज़िद' से प्रियंका चोपड़ा की तीसरी कजिन मनारा बॉलीवुड में डेब्यू कर रही है। यह एक बोल्ड विषय वाली फिल्म है। मनारा ज़िद के पोस्टरों में पूर्णतया नग्न दिखाई गयी हैं। दिवाली की छुट्टियों के दौरान दर्शक अपने परिजनों और मित्रों के साथ सिनेमा घरो में आते है। ज़िद के पोस्टर इन दर्शकों को रास नहीं आते । अब चूंकि त्यौहार का हफ्ता ख़त्म हो चूका है, इसलिए अब ज़िद के पोस्टर सिनेमाघरों में नज़र आने लगेंगे । मनारा और करणवीर शर्मा अभिनीत फिल्म ज़िद के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री हैं ।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 28 October 2014
फिल्म ज़िद के पोस्टर्स पर सिनेमा घरो में लगा सेंसर
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हैप्पी न्यू ईयर के कलेक्शन पर विवाद
शाहरुख़ खान की दिवाली पर रिलीज़ फिल्म हैप्पी न्यू ईयर के कलेक्शन पर विवाद शुरू हो गया है . ख़ास तौर पर दक्षिण से फिल्म के तेलुगु संस्करण के कलेक्शन को चुनौती दी जा चुकी है. दरअसल, शनिवार को ही हैप्पी न्यू ईयर के प्रोडुसरों ने यह दावा किया था कि हैप्पी न्यू ईयर ने पहले दिन ४४.९७ करोड़ का बिज़नेस किया है. इस फिल्म के हिंदी वर्शन के ४२.६२ करोड़, तेलुगु वर्शन के १.४३ करोड़ और तमिल वर्शन के ९२ लाख कलेक्ट करने का दावा किया गया था. बॉलीवुड के ट्रेड पंडितों के इस फिगर को सही बताने पर दक्षिण के ट्रेड एक्सपर्ट हैरान हैं. आंध्र बॉक्स ऑफिस का दावा है कि तेलुगु हैप्पी न्यू ईयर को पूरे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुल १४३ स्क्रीन्स तक नहीं मिल सके थे. ऐसे में यह फिल्म पहले दिन १४३ लाख का नेट कलेक्शन कैसे कर सकती है. वेबसाइट का दावा है कि ४६० स्क्रीन्स में रिलीज़ तेलुगु फिल्म पूजा तक बढ़िया भीड़ बटोरने के बावजूद १४३ करोड़ का नेट कलेक्शन नहीं कर सकी. व्यंग्य किया जा रहा है कि अपनी फिल्मों के कलेक्शन को लेकर लम्बी लम्बी छोड़ने के मामले में बॉलीवुड ने टॉलीवुड(तमिल) और कॉलीवुड (तेलुगु) फिल्म इंडस्ट्री को भी पीछे छोड़ दिया है. हालाँकि, फिल्म के तमिल संस्करण ने अच्छा बिज़नेस किया था, लेकिन, फिल्म को इतने कम स्क्रीन मिले थे कि वह चेन्नई एक्सप्रेस, धूम ३ और कृष ३ का रिकॉर्ड तोड़ पाने में नाकामयाब रही है.
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बॉक्स ऑफिस पर
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Sunday, 26 October 2014
रणवीर सिंह ने किराये पर क्यों लिया अपार्टमेंट ?
खबर है कि अभिनेता रणवीर सिंह ने गोरेगांव में एक अपार्टमेंट किराए पर लिया है। लेकिन, इस खबर से कुछ ज़्यादा झांकने की ज़रुरत नहीं। रणवीर ने यह अपार्टमेंट अपनी रियल लाइफ प्रेमिका दीपिका पादुकोण के साथ मौज मस्ती मनाने लिए नहीं लिया है। रणवीर सिंह मुंबई के ट्रैफिक जाम से परिचित हैं। इस समय वह संजयलीला भंसाली की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' से पूरी तरह से इंवॉल्व हो गए हैं। उन्होंने फिल्म में बाजीराव की भूमिका में स्वाभाविकता लाने के लिए अपने सर के बाल भी मुंडा दिए हैं। वह शूटिंग से पहले और पैक अप के बाद अपनी पहले की फिल्मों की शूटिंग की तरह सेट पर हंसी मज़ाक और प्रैंक नहीं करते, बल्कि, नितांत एकांत में चले जाते हैं और पूरी तरह से रोल में घुसे रहते हैं। इससे उनकी लव बर्ड दीपिका पादुकोण चिंतित हो जाते हैं। रणवीर सिंह ने इसी इन्वॉल्वमेंट की तहत गोरेगांव में फिल्मसिटी के नज़दीक एक अपार्टमेंट ५ हफ़्तों के लिए किराए में लिया है। बताते चलें कि बाजीराव मस्तानी की शूटिंग फिल्म सिटी में ही चल रही है। रणवीर नहीं चाहते थे कि मुंबई से गोरेगांव जाते और वापस आते अपना समय ट्रैफिक जाम में खराब करें। कमिटमेंट हो तो रणवीर जैसा !
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डेढ़ सौ टीवी सितारों का एक रियलिटी शो
क्या हिंदी रियलिटी टीवी शो का चेहरा बदलने जा रहा है ! कम से कम टेलीविज़न सोप ओपेरा क्वीन एकता कपूर का तो यही दावा है । वह एक शो 'बॉक्स क्रिकेट लीग' लांच करने जा रही हैं । सनी अरोरा के साथ बनाया जा रहा यह शो क्रिकेट पर स्पोर्ट्स रियलिटी शो है । इस शो में टेलीविज़न की १५० हस्तियां क्रिकेट का मुक़ाबला करेंगी । इन टेलीविज़न सेलिब्रिटीज में अभिनेता और अभिनेत्रियां दोनों शामिल होंगे । इस शो का दिलचस्प फॉर्मेट यह है कि इन १५ सेलिब्रिटीज को आठ टीमों में बांटा गया है । इस लीग में प्रत्येक टीम में महिला सदस्य भी होगी । लेकिन, वह पैविलियन में बैठ कर मैदान में खेल रहे अपने पुरुष साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए चीयर नहीं कर रही होंगी । बल्कि, एकता कपूर कहती हैं, "बॉक्स क्रिकेट लीग क्रिकेट, सेलिब्रिटीज और ड्रामा का फ्यूज़न है । हमने इस शो के लिए क्रिकेट के नियमों को थोड़ा तोडा मरोड़ा है । महिला सेलिब्रिटी भी मैदान पर अपने पुरुष साथियों के साथ क्रिकेट खेल रही होंगी । जब औरतें मैदान पर हो तो कुछ अभूतपूर्व होना ही है।" बीसीएल की खासियत यह भी है कि इसमे जहाँ मैदान पर क्रिकेट का रोमांच होगा, वहीँ परदे के पीछे का सास-बहु टाइप का षडयंत्र यानि 'लॉकर रूम ड्रामा' भी होगा। बकौल सीईओ बालाजी टेलीफिल्म्स समीर नायर, "लीग का इरादा एंटरटेनमेंट रियलिटी शो का चेहरा बिलकुल बदल देना है। अब तो हमारे ब्रांड से स्टार पावर भी जुड़ गयी है।"
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गुरमीत चौधरी की 'खामोशियाँ'
विक्रम भट्ट की फिल्म 'खामोशियाँ' उनकी परंपरा की होते हुए भी थोड़ी अलग है। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर खामोशियाँ इरोटिक लव ट्रायंगल है। इस फिल्म में भयावनी हवेली भी है, भय और रोमांच भी है। कश्मीर की गहरी घाटियों और ऊंचे पहाड़ों पर चिनार के पेड़ों के बीच शूट इस फिल्म कोई इमरान हाशमी, रणदीप हुडा या कुणाल खेमू मुख्य भूमिका में नहीं है। खामोशिया से टीवी स्टार गुरमीत चौधरी फिल्म डेब्यू कर रहे हैं। फिल्म से जुड़े एक शख्स का कहना था कि गुरमीत इस फिल्म की वन मैन आर्मी है। फिल्म को त्रिकोण बनाने के लिए अली फज़ल और सपना पब्बी को लिया गया है। सपना पब्बी को टीवी दर्शक अनिल कपूर के सीरियल '२४' में अनिल कपूर की पुत्री किरण राठोड़ के रूप में पहचानते हैं । भट्ट कैंप गुरमीत चौधरी को भारत के ह्यू जैकमैन की तरह प्रचारित करने जा रहा है। टीवी पर राम की भूमिका से मशहूर गुरमीत अच्छे डांसर भी हैं। वह एक डांस रियलिटी के विजेता हैं। इस फिल्म का निर्देशन मोहित सूरी के सहायक रहे करण दारा कर रहे हैं। फॉक्स स्टार स्टूडियोज और विशेष फिल्म्स की खामोशियाँ अगले साल १ मई को रिलीज़ होगी।
सपना पब्बी |
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ये ल्लों !!!
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Friday, 24 October 2014
इतना भी "हैप्पी (नहीं है) न्यू ईयर"
फराह खान से अच्छी फिल्म की उम्मीद करना बेकार है। वह मनोरंजक फिल्म बनाने का दावा करती हैं। पर आज दीवाली के दूसरे दिन रिलीज़ उनकी शाहरुख़ खान, दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्चन, सोनू सूद, बोमन ईरानी और विवान शाह की फिल्म हैप्पी न्यू ईयर आखिर के चालीस मिनटों में ही मनोरंजन करती लगती है, जब घटनाएँ तेज़ी से घटती है, इमोशन के रंग और देश भक्ति का तिरंगा बुलंद होता है। अन्यथा यह पूरी फिल्म इंटरवल से पहले तीस मार खान के आस पास रहती है. बेहद सुस्त रफ़्तार से एक एक चरित्र का परिचय देती है। फिल्म शुरू होने के करीब एक घंटे बाद दीपिका पादुकोण 'मोहिनी मोहिनी' की पुकार के बीच अपने शरीर के तमाम विटामिन प्रदर्शित करती आती हैं। वह फिल्म में बार डांसर बनी हैं, लेकिन, किसी बड़े नाईट क्लब जैसे माहौल में कैबरेनुमा डांस करती प्रकट होती है।
कहानी बस इतनी है कि छह लूज़र्स यानि असफल वर्ल्ड डांस कम्पटीशन की आड़ में ३०० करोड़ के हीरे लूटने के लिए दुबई के अटलांटिस द पाम जाते हैं। इन लोगों में चार्ली अपने पिता का बदला लेने के लिए यह डकैती डालना चाहता है। इसमे चार्ली की मदद उसके पिता के मित्र और साथ काम करने वाले करते हैं। बेहद बकवास सी फिल्म की कहानी को बचकाने तरीके से आगे बढ़ाती हैं फराह खान। फिल्म में देखे जाने योग्य अगर कुछ है तो भव्यता। फराह ने सेट्स पर जम कर पैसा बहाया है। यही सेट्स ही दर्शकों को आकर्षित करते हैं। दुबई को होटल अटलांटिस द पाम के खूबसूरत दृश्य इस होटल और फिल्म की खूबसूरती है। पूरी फिल्म की शूटिंग और फिल्म का प्रीमियर भी इसी होटल में हुआ है।
कहानी की लिहाज़ से कूड़ा इस डकैती फिल्म में पुलिस फराह खान के निर्देशन की तरह नदारद रहती हैं। हालाँकि, धूम ३ से अलग इस फिल्म में हीरो की चोरी करते दिखाया गया है। दर्शकों की इसमे दिलचस्पी रहती है। फराह खान ने कई हिंदी फिल्मों, अपनी पहले की फिल्मों के दृश्यों और संवादों का सहारा लेकर मनोरंजन करने की कोशिश की है। वह विशाल डडलानी और अनुराग कश्यप के समलैंगिक जजों के चरित्रों के जरिये घटिया हास्य पैदा करने की असफल कोशिश करती हैं। इसके बावजूद फिल्म घिसटते हुए चलती है। रफ़्तार दूसरे अर्ध में ही आती है, जब छह लूज़र्स डकैती डालने जाते हैं। ख़ास तौर पर आखिर के चालीस मिनट में दर्शक खुद को अब तक की फिल्म से अलग माहौल में पाता है। इसी हिस्से में फिल्म मनोरंजक भी लगती है।
अभिनय के लिहाज़ से हर एक्टर लाउड अभिनय करता है । शाहरुख़ खान के हिस्से में जो इमोशनल सीन आये थे, वैसे सीन वह काफी कर चुके हैं। यह पहली फिल्म है, जहाँ हॉलिडे क्राउड के बीच भी दीपिका पादुकोण बहुत कम तालियां और सीटियां पाती हैं। वह अपना सब कुछ दिखा देने के बावजूद अपने लिए कुछ ख़ास नहीं जुटा पातीं। फिल्म की नवीनता यही है कि पहली बार हीरो नहीं हीरोइन कहानी को मोड़ देती है। सोनू सूद ने खुद को बेकार कर दिया है। चार्ली उन्हें उभरने नहीं देता। अभिषेक बच्चन से अभिनय कराने की करामात फराह कैसे दिखा सकती थीं। सो नहीं दिखा पायीं। दोहरी भूमिका के बावजूद अभिषेक उभर नहीं पाते। बोमन ईरानी लाउड थे, लाउड हैं और लाउड रहेंगे। विवान शाह को अपने पप्पा नसीरुद्दीन शाह और ममा रत्ना पाठक शाह से अभिनय के ककहरे सीखने चाहिए।
विशाल-शेखर का संगीत तेज़ धुनों वाला है. फिल्म में अच्छा लगता है। हो सकता है कि दीपिका पादुकोण पर फिल्माया मनुआ लागे गीत कुछ दिनों तक लोगों की जुबान पर रहे। मानुष नंदन की फोटोग्राफी बढ़िया है। मयूर पूरी के संवाद ठीक ठाक हैं। मादर…छोड़ न यार जैसे संवाद कई बार दोहराये गए हैं। फिल्म की पटकथा एल्थिया कौशल के साथ फराह खान ने लिखी है। ऐसा लगता है अटलांटिस पहुँच कर ही पटकथा लिखी गयी है. फिल्म के काफी दृश्य ओसन ११ और सीरीज की याद ताज़ा कर देते हैं।
अगर आप तीन घंटा लम्बी इस फिल्म के शुरू के १३६ मिनट मिनट आखिर के ४० मिनटों की खातिर झेलना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपकी है। लेकिन, यह तय है कि खान की यह फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस के आसपास तक नहीं। हैप्पी न्यू ईयर को मैं हूँ न और ओम शांति ओम के बाद सबसे कमज़ोर और तीस मार खान के बात एक और बोर फिल्म कहना ठीक होगा। इसलिए दिवाली के बावजूद उतनी सफल होने नहीं जा रही। सोमवार से फिल्म में ज़बरदस्त ड्राप आएगा।
कहानी बस इतनी है कि छह लूज़र्स यानि असफल वर्ल्ड डांस कम्पटीशन की आड़ में ३०० करोड़ के हीरे लूटने के लिए दुबई के अटलांटिस द पाम जाते हैं। इन लोगों में चार्ली अपने पिता का बदला लेने के लिए यह डकैती डालना चाहता है। इसमे चार्ली की मदद उसके पिता के मित्र और साथ काम करने वाले करते हैं। बेहद बकवास सी फिल्म की कहानी को बचकाने तरीके से आगे बढ़ाती हैं फराह खान। फिल्म में देखे जाने योग्य अगर कुछ है तो भव्यता। फराह ने सेट्स पर जम कर पैसा बहाया है। यही सेट्स ही दर्शकों को आकर्षित करते हैं। दुबई को होटल अटलांटिस द पाम के खूबसूरत दृश्य इस होटल और फिल्म की खूबसूरती है। पूरी फिल्म की शूटिंग और फिल्म का प्रीमियर भी इसी होटल में हुआ है।
कहानी की लिहाज़ से कूड़ा इस डकैती फिल्म में पुलिस फराह खान के निर्देशन की तरह नदारद रहती हैं। हालाँकि, धूम ३ से अलग इस फिल्म में हीरो की चोरी करते दिखाया गया है। दर्शकों की इसमे दिलचस्पी रहती है। फराह खान ने कई हिंदी फिल्मों, अपनी पहले की फिल्मों के दृश्यों और संवादों का सहारा लेकर मनोरंजन करने की कोशिश की है। वह विशाल डडलानी और अनुराग कश्यप के समलैंगिक जजों के चरित्रों के जरिये घटिया हास्य पैदा करने की असफल कोशिश करती हैं। इसके बावजूद फिल्म घिसटते हुए चलती है। रफ़्तार दूसरे अर्ध में ही आती है, जब छह लूज़र्स डकैती डालने जाते हैं। ख़ास तौर पर आखिर के चालीस मिनट में दर्शक खुद को अब तक की फिल्म से अलग माहौल में पाता है। इसी हिस्से में फिल्म मनोरंजक भी लगती है।
अभिनय के लिहाज़ से हर एक्टर लाउड अभिनय करता है । शाहरुख़ खान के हिस्से में जो इमोशनल सीन आये थे, वैसे सीन वह काफी कर चुके हैं। यह पहली फिल्म है, जहाँ हॉलिडे क्राउड के बीच भी दीपिका पादुकोण बहुत कम तालियां और सीटियां पाती हैं। वह अपना सब कुछ दिखा देने के बावजूद अपने लिए कुछ ख़ास नहीं जुटा पातीं। फिल्म की नवीनता यही है कि पहली बार हीरो नहीं हीरोइन कहानी को मोड़ देती है। सोनू सूद ने खुद को बेकार कर दिया है। चार्ली उन्हें उभरने नहीं देता। अभिषेक बच्चन से अभिनय कराने की करामात फराह कैसे दिखा सकती थीं। सो नहीं दिखा पायीं। दोहरी भूमिका के बावजूद अभिषेक उभर नहीं पाते। बोमन ईरानी लाउड थे, लाउड हैं और लाउड रहेंगे। विवान शाह को अपने पप्पा नसीरुद्दीन शाह और ममा रत्ना पाठक शाह से अभिनय के ककहरे सीखने चाहिए।
विशाल-शेखर का संगीत तेज़ धुनों वाला है. फिल्म में अच्छा लगता है। हो सकता है कि दीपिका पादुकोण पर फिल्माया मनुआ लागे गीत कुछ दिनों तक लोगों की जुबान पर रहे। मानुष नंदन की फोटोग्राफी बढ़िया है। मयूर पूरी के संवाद ठीक ठाक हैं। मादर…छोड़ न यार जैसे संवाद कई बार दोहराये गए हैं। फिल्म की पटकथा एल्थिया कौशल के साथ फराह खान ने लिखी है। ऐसा लगता है अटलांटिस पहुँच कर ही पटकथा लिखी गयी है. फिल्म के काफी दृश्य ओसन ११ और सीरीज की याद ताज़ा कर देते हैं।
अगर आप तीन घंटा लम्बी इस फिल्म के शुरू के १३६ मिनट मिनट आखिर के ४० मिनटों की खातिर झेलना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपकी है। लेकिन, यह तय है कि खान की यह फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस के आसपास तक नहीं। हैप्पी न्यू ईयर को मैं हूँ न और ओम शांति ओम के बाद सबसे कमज़ोर और तीस मार खान के बात एक और बोर फिल्म कहना ठीक होगा। इसलिए दिवाली के बावजूद उतनी सफल होने नहीं जा रही। सोमवार से फिल्म में ज़बरदस्त ड्राप आएगा।
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday, 22 October 2014
ऑस्ट्रेलिया के फिल्म फेस्टिवल में आकांक्षा की 'मैं तमन्ना' !
मैं तमन्ना कहानी है एक लड़की के मानसिक और शारीरिक शोषण की। तमन्ना एक सच्ची घटना की केंद्र लड़की का काल्पनिक नाम है। इस लड़की की पीड़ा को आकांक्षा निमोनकर ने निकट से देखा है। आकांक्षा कहती हैं, "मुझे जब इस लड़की के बारे में जानकारी हुई तो मैं आक्रोश से भर उठी। मैंने तय कर लिया कि मैं तमन्ना के शोषण को हर प्लेटफार्म पर उठाऊंगी। मैं तमन्ना इसी आक्रोश का नतीजा है। " बालिका शोषण पर फिल्म मैं तमन्ना ने सोशल साइट्स यूट्यूब औरमैटिनी मसाला में भरपूर समर्थन पाया है। इस फिल्म को बंगलोरे फिल्म फेस्टिवल तथा अन्य फेस्टिवल में अवार्ड्स मिले हैं। अब यह फिल्म ७ नवंबर से १६ नवंबर तक सिडनी में होने वाले इंटरनेशनल फिल्म एंड एंटरटेनमेंट फेस्टिवल ऑस्ट्रेलिया में शार्ट फिल्म की श्रेणी में दिखायी जाएगी। इस फेस्टिवल में बिपाशा बासु, ज़रीन खान, नेहा शर्मा, आफताब शिवदासानी, आशा सचदेव, प्रकाश राज, एषा गुप्ता और विपिन शर्मा जैसी फिल्मी हस्तियां और मॉडल रैंप पर चलेंगे। चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज पर मैं तमन्ना की लेखिका और निर्माता अभिनेत्री आकांक्षा निमोनकर हैं।
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पुरस्कार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Tuesday, 21 October 2014
एक्टर के लिए फिजिकल अपीयरेंस मायने रखती है - अली फज़ल
लखनऊ के अभिनेता अली फज़ल आजकल सातवें आसमान पर हैं। फुकरे से उन्हें चर्चा मिली। फिल्म बॉबी जासूस में विद्या बालन के हीरो बन कर वह प्रशंसकों की बड़ी जमात जुटा चुके हैं। वह एक हॉलीवुड फिल्म भी साइन कर चुके हैं। पर यह उनका आखिरी गोल नहीं। वह अनप्रेडिक्टेबल किरदार करना चाहते हैं। पेश है उनसे हुई बातचीत-
१- सोनाली केबल में आपका रोल क्या है ? क्या कोई नयी लीक बनाना चाह रहे हैं ?
मैं सोनाली केबल में रिया चक्रवर्ती के साथ लीड रोल कर रहा हूँ। मेरे करैक्टर का नाम रघु पवार है। मैं फिल्म में महाराष्ट्रियन बना हूँ। इसकी माँ एमएलए है। यह फिल्म डेविड और गोलिअथ की कहानी है। यह केबल पर केंद्रित दिलचस्प फिल्म है। फिल्म में मेरा किरदार केबल सेंटर में काम करने वाले लोगों की आवाज़ कहा जा सकता है।
२- क्या आपको लगता है कि दर्शक लीक से हट कर फिल्मों को पसंद करता है ? मेरा मतलब नॉन मसाला फिल्मों से है।
अब दर्शक बिग्गीस पर प्रश्न उठाने लगे है। अब अंडरडॉग्स बिग कॉर्पोरेट के सामने खड़े हो रहे हैं। हमारा दर्शक हर दिन के साथ स्मार्ट यानि समझदार होता जा रहा है। अब देखिये, एक ओर जहाँ ग्रैंड मस्ती हिट हो जाती हैं, वहीँ क्वीन और फुकरे भी हिट हो जाती है।
३- आप बॉबी जासूस में विद्या बालन और सोनाली केबल में रिया चक्रवर्ती के हीरो बने हैं। आप हीरोइन सेंट्रिक फ़िल्में ही क्यों कर रहे हैं ? क्या यह आपको ज़्यादा सूट करती हैं ?
मैं ऐसी फिल्म करता हूँ, जिसमे में कुछ अलग कर सकूँ। मेरी अगली दो फ़िल्में नायक प्रधान हैं। लेकिन, इन फिल्मों को आपका देखने का नजरिया है। आप जिस प्रकार देखें।
४- खबर है कि रिया ने आदित्य रॉय कपूर के कारण पहले फिल्म में किस देने से मना कर दिया था। लेकिन, आदित्य से ब्रेकअप के बाद, उससे बदला लेने के लिए सोनाली केबल में स्मूचिंग तक कर रही हैं। क्या कहना चाहेंगे आप ?
(हँसते हैं) नहीं, यह सही नहीं है। हम दोनों ही असहज महसूस कर रहे थे। फिर एक्टर होने के कारण हमने प्रोफेशनल डिसिशन लिया। बस इतना ही।
५- आप लखनऊ से हैं। जब आप फिल्मों में किस करते हैं तो परिवार को कैसा लगता है।
अभी है फिल्म रिलीज़ नहीं ही है। (हँसते हैं ) ईमानदारी से कहूँ मैं नहीं जानता कि वह कैसे रियेक्ट करेंगे।
६- लखनऊ से मुंबई तक के अपने सफर के बारे कुछ बताइये ?
मैं लखनऊ बहुत थोड़े समय के लिए रहा। देहरादून में दून कॉलेज में पढ़ा। मुंबई आकर मैंने कॉलेज ज्वाइन किया। सेंट ज़ेवियर कॉलेज में इकोनॉमिक्स पढ़ रहा था। कॉलेज के सेकंड ईयर में मुझे ३ इडियट्स मिल गयी।
७- पहली फिल्म लगी तो उसका अनुभव कैसा रहा ?
मैं सोच रहा था कि मैं भाग कर कहीं छुप जाऊं। मुझे नहीं मालूम कि मैं खुद को परदे पर देखने में डर क्यों रहा था। मैंने कभी अपनी कोई फिल्म नहीं देखी है। मैं चाहता हूँ कि मैं फिल्म देखूं। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाता।
८- फ़ास्ट एंड फुरियस ७ पा कर कैसा लग रहा है ? क्या बॉलीवुड के एक्टर्स का गोल हॉलीवुड की फिल्म पाना होना चाहिए ?
हॉलीवुड मेरा फाइनल गोल नहीं। वर्ल्ड सिनेमा के लिए, मैं सोचता हूँ कि मैं हमेशा तैयार हूँ। यह बढ़ा खूबसूरत अनुभव होता है कि हम कैसे छुट्टियों पर जाते हैं। हम एफ्फेल टावर को यहाँ क्रिएट नहीं कर सकते हैं न ! तो आप क्या करते हैं कि एफिल टावर को क्लिक कर अपने पास यादगार की तौर पर रख लेते हैं। बस ऐसा ही कुछ है यह।
९- आप अपनी अब तक की एक्ट्रेस के बारे में बताएं। आप सबसे ज़्यादा किस से इम्प्रेस हुए और क्यों ?
जिस दिन मुझे कोई मेरी पसंदीदा एक्ट्रेस मिल जाएगी, मैं उससे शादी कर लूँगा। इस लिए फिलहाल कोई भी पसंदीदा एक्ट्रेस नहीं है। लेकिन, जिन अभिनेत्रियों के साथ मैंने काम किया है, मुझे उनसे यादगार अनुभव मिले हैं।
१०- आप किस प्रकार के रोल्स करना चाहते हैं ?
रोल्स (!)…पहली बात तो मैं इसे समझ नहीं पाता। मुझे ऐसे किरदार पसंद नहीं, जिनके बारे में दर्शकों को अंदाजा हो जाए। मैं अनप्रेडिक्टेबल किरदार करना चाहता हूँ। क्योंकि, खुद इंसान भी बहुत अनप्रेडिक्टेबल है।
११- एक एक्टर के लिए फिजिकल अपीयरेंस कितनी मायने रखती है ?
फिजिकल अपीयरेंस बहुत इम्पोर्टेन्ट है। फिटनेस और अपीयरेंस का खेल है सारा।
१२- आप खुद को स्पोंटेनियस एक्टर मानते हैं या मेथड एक्टर ?
कोई भी नहीं या दोनों ही। मैं अपनी स्क्रिप्ट में म्यूजिक सुनाने की कोशिश करता हूँ। अगर में इसे सुनता हूँ, तभी फिल्म साइन करता हूँ। अगर नहीं सुनता तो सब भगवान पर छोड़ देता हूँ। (हँसते हैं)
१३- क्या बॉलीवुड के लिए लखनऊ बढ़िया लोकेशन साबित हो रही है ?
निश्चित रूप से आजकल लखनऊ सबसे पसंदीदा लोकेशन बन गयी है।
१४- क्या आप किसी बूढ़े का किरदार करना चाहेंगे ?
ओह.…बिलकुल। आप मुझे इस किरदार में जल्द ही देखेंगे।
१५- आप की किस ख़ास डायरेक्टर या एक्टर के साथ काम करने की इच्छा है ?
नहीं. कोई ख़ास नहीं। बहुत से हैं। एक एक कर सभी के साथ काम करूंगा।
१६- सोनाली केबल बड़े प्रोडूसर रोहन सिप्पी की छोटे बजट की फिल्म है। क्या इससे काम मिलना आसान हो जाता है?
एक्टर को दिखाना नहीं करना होता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि फिल्म छोटी है या बड़ी। प्रोडूसर का बड़ा होना मायने रखता है। क्योंकि, बड़े प्रोडूसर की फ़िल्में ज़्यादा जगहों पर रिलीज़ होती हैं, ज़्यादा ऑडियंस तक पहुंचती हैं। बस इतना ही।
राजेंद्र कांडपाल
१- सोनाली केबल में आपका रोल क्या है ? क्या कोई नयी लीक बनाना चाह रहे हैं ?
मैं सोनाली केबल में रिया चक्रवर्ती के साथ लीड रोल कर रहा हूँ। मेरे करैक्टर का नाम रघु पवार है। मैं फिल्म में महाराष्ट्रियन बना हूँ। इसकी माँ एमएलए है। यह फिल्म डेविड और गोलिअथ की कहानी है। यह केबल पर केंद्रित दिलचस्प फिल्म है। फिल्म में मेरा किरदार केबल सेंटर में काम करने वाले लोगों की आवाज़ कहा जा सकता है।
२- क्या आपको लगता है कि दर्शक लीक से हट कर फिल्मों को पसंद करता है ? मेरा मतलब नॉन मसाला फिल्मों से है।
अब दर्शक बिग्गीस पर प्रश्न उठाने लगे है। अब अंडरडॉग्स बिग कॉर्पोरेट के सामने खड़े हो रहे हैं। हमारा दर्शक हर दिन के साथ स्मार्ट यानि समझदार होता जा रहा है। अब देखिये, एक ओर जहाँ ग्रैंड मस्ती हिट हो जाती हैं, वहीँ क्वीन और फुकरे भी हिट हो जाती है।
३- आप बॉबी जासूस में विद्या बालन और सोनाली केबल में रिया चक्रवर्ती के हीरो बने हैं। आप हीरोइन सेंट्रिक फ़िल्में ही क्यों कर रहे हैं ? क्या यह आपको ज़्यादा सूट करती हैं ?
मैं ऐसी फिल्म करता हूँ, जिसमे में कुछ अलग कर सकूँ। मेरी अगली दो फ़िल्में नायक प्रधान हैं। लेकिन, इन फिल्मों को आपका देखने का नजरिया है। आप जिस प्रकार देखें।
४- खबर है कि रिया ने आदित्य रॉय कपूर के कारण पहले फिल्म में किस देने से मना कर दिया था। लेकिन, आदित्य से ब्रेकअप के बाद, उससे बदला लेने के लिए सोनाली केबल में स्मूचिंग तक कर रही हैं। क्या कहना चाहेंगे आप ?
(हँसते हैं) नहीं, यह सही नहीं है। हम दोनों ही असहज महसूस कर रहे थे। फिर एक्टर होने के कारण हमने प्रोफेशनल डिसिशन लिया। बस इतना ही।
५- आप लखनऊ से हैं। जब आप फिल्मों में किस करते हैं तो परिवार को कैसा लगता है।
अभी है फिल्म रिलीज़ नहीं ही है। (हँसते हैं ) ईमानदारी से कहूँ मैं नहीं जानता कि वह कैसे रियेक्ट करेंगे।
६- लखनऊ से मुंबई तक के अपने सफर के बारे कुछ बताइये ?
मैं लखनऊ बहुत थोड़े समय के लिए रहा। देहरादून में दून कॉलेज में पढ़ा। मुंबई आकर मैंने कॉलेज ज्वाइन किया। सेंट ज़ेवियर कॉलेज में इकोनॉमिक्स पढ़ रहा था। कॉलेज के सेकंड ईयर में मुझे ३ इडियट्स मिल गयी।
७- पहली फिल्म लगी तो उसका अनुभव कैसा रहा ?
मैं सोच रहा था कि मैं भाग कर कहीं छुप जाऊं। मुझे नहीं मालूम कि मैं खुद को परदे पर देखने में डर क्यों रहा था। मैंने कभी अपनी कोई फिल्म नहीं देखी है। मैं चाहता हूँ कि मैं फिल्म देखूं। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाता।
८- फ़ास्ट एंड फुरियस ७ पा कर कैसा लग रहा है ? क्या बॉलीवुड के एक्टर्स का गोल हॉलीवुड की फिल्म पाना होना चाहिए ?
हॉलीवुड मेरा फाइनल गोल नहीं। वर्ल्ड सिनेमा के लिए, मैं सोचता हूँ कि मैं हमेशा तैयार हूँ। यह बढ़ा खूबसूरत अनुभव होता है कि हम कैसे छुट्टियों पर जाते हैं। हम एफ्फेल टावर को यहाँ क्रिएट नहीं कर सकते हैं न ! तो आप क्या करते हैं कि एफिल टावर को क्लिक कर अपने पास यादगार की तौर पर रख लेते हैं। बस ऐसा ही कुछ है यह।
९- आप अपनी अब तक की एक्ट्रेस के बारे में बताएं। आप सबसे ज़्यादा किस से इम्प्रेस हुए और क्यों ?
जिस दिन मुझे कोई मेरी पसंदीदा एक्ट्रेस मिल जाएगी, मैं उससे शादी कर लूँगा। इस लिए फिलहाल कोई भी पसंदीदा एक्ट्रेस नहीं है। लेकिन, जिन अभिनेत्रियों के साथ मैंने काम किया है, मुझे उनसे यादगार अनुभव मिले हैं।
१०- आप किस प्रकार के रोल्स करना चाहते हैं ?
रोल्स (!)…पहली बात तो मैं इसे समझ नहीं पाता। मुझे ऐसे किरदार पसंद नहीं, जिनके बारे में दर्शकों को अंदाजा हो जाए। मैं अनप्रेडिक्टेबल किरदार करना चाहता हूँ। क्योंकि, खुद इंसान भी बहुत अनप्रेडिक्टेबल है।
११- एक एक्टर के लिए फिजिकल अपीयरेंस कितनी मायने रखती है ?
फिजिकल अपीयरेंस बहुत इम्पोर्टेन्ट है। फिटनेस और अपीयरेंस का खेल है सारा।
१२- आप खुद को स्पोंटेनियस एक्टर मानते हैं या मेथड एक्टर ?
कोई भी नहीं या दोनों ही। मैं अपनी स्क्रिप्ट में म्यूजिक सुनाने की कोशिश करता हूँ। अगर में इसे सुनता हूँ, तभी फिल्म साइन करता हूँ। अगर नहीं सुनता तो सब भगवान पर छोड़ देता हूँ। (हँसते हैं)
१३- क्या बॉलीवुड के लिए लखनऊ बढ़िया लोकेशन साबित हो रही है ?
निश्चित रूप से आजकल लखनऊ सबसे पसंदीदा लोकेशन बन गयी है।
१४- क्या आप किसी बूढ़े का किरदार करना चाहेंगे ?
ओह.…बिलकुल। आप मुझे इस किरदार में जल्द ही देखेंगे।
१५- आप की किस ख़ास डायरेक्टर या एक्टर के साथ काम करने की इच्छा है ?
नहीं. कोई ख़ास नहीं। बहुत से हैं। एक एक कर सभी के साथ काम करूंगा।
१६- सोनाली केबल बड़े प्रोडूसर रोहन सिप्पी की छोटे बजट की फिल्म है। क्या इससे काम मिलना आसान हो जाता है?
एक्टर को दिखाना नहीं करना होता है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि फिल्म छोटी है या बड़ी। प्रोडूसर का बड़ा होना मायने रखता है। क्योंकि, बड़े प्रोडूसर की फ़िल्में ज़्यादा जगहों पर रिलीज़ होती हैं, ज़्यादा ऑडियंस तक पहुंचती हैं। बस इतना ही।
राजेंद्र कांडपाल
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साक्षात्कार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
दीपावली बॉक्स ऑफिस का 'बाज़ीगर'
शाहरुख़ खान का दीपावली से गहरा नाता है । वह २ नवंबर १९६५ को लक्ष्मी पूजा के एक हफ्ते बाद पैदा हुए थे। उन्होंने १९९१ में अपने फिल्म करियर की शुरुआत की थी । पहली दो फ़िल्में दीवाना और राजू बन गया जेंटलमैन हिट हुईं, लेकिन अब्बास मुस्तान की एंटी-हीरो फिल्म बाज़ीगर ने शाहरुख़ खान को सुपर स्टार बना दिया । यह फिल्म १२ नवंबर १९९३ को रिलीज़ हुई थी । १३ नवंबर को लक्ष्मी पूजा थी । इसके साथ ही रमजान के बाद पड़ने वाली हर दीवाली बॉलीवुड को मालामाल करने वाली दिवाली बन गयी, ख़ास तौर पर शाहरुख़ खान के लिए । हालाँकि, १९९२ में ही दिवाली वीकेंड में रिलीज़ अजय देवगन और करीना कपूर की फिल्म जिगर तथा संजय दत्त, फ़िरोज़ खान और मनीषा कोइराला की फिल्म यलगार को, दो बड़ी फिल्मों के टकराव की आशंका के बीच ज़बरदस्त सफलता मिली थी । बाज़ीगर की सफलता के बाद हर साल की दिवाली शाहरुख़ खान के घर खुशियों की जगमग बारात लाने वाली दिवाली बन गयी । इस साल दिवाली पर रिलीज़ होने जा रही शाहरुख़ खान की फिल्म हैप्पी न्यू ईयर, दिवाली में रिलीज़ होने वाली उनकी ग्यारहवीं फिल्म होगी। यह शाहरुख़ खान के साथ दीपिका पादुकोण की दिवाली में रिलीज़ होने वाली दूसरी फिल्म होगी।
१- बाज़ीगर - १९९३- अब्बास मुस्तान - शाहरुख़ खान, काजोल और शिल्पा शेट्टी - यह एक युवक के अपने पिता को धोखा देकर बिज़नेस हड़प लेने वाली आदमी से बदले की कहानी थी . इस फिल्म ने ९० करोड़ अधिक का बिज़नेस कर लिया है .
२- दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे - १९९५- आदित्य चोपड़ा- शाहरुख़ खान और काजोल- यह फिल्म आदित्य चोपड़ा की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी। इस फिल्म से पहली बार एक एनआरआई दूल्हा स्क्रीन पर आया। केवल चार करोड़ में बनी इस फिल्म ने पूरी दुनिया में सफलता के झंडे गाड़ते हुए अब तक १२२ करोड़ कमा डाले हैं।
३- दिल तो पागल है- १९९७- यश चोपड़ा- शाहरुख़ खान, करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित - एक डांस ट्रुप के दोस्तों बीच रोमांस का प्रेम त्रिकोण फिल्म थी । इस फिल्म ने ५८ करोड़ से ज़्यादा कलेक्शन किया ।
४- कुछ कुछ होता है- १९९८- करण जौहर- शाहरुख़ खान, रानी मुख़र्जी और काजोल- यह फिल्म शाहरुख़ खान और काजोल की जोड़ी की चौथी फिल्म थी । इस रोमांस फिल्म में सलमान खान ने मेहमान भूमिका की थी। निर्देशक करण जौहर की यह पहली फिल्म थी । इस फिल्म ने ४५ करोड़ से अधिक का बिज़नेस किया ।
५- मोहब्बतें- २०००- आदित्य चोपड़ा- शाहरुख़ खान, ऐश्वर्या राय और अमिताभ बच्चन- एक गुरुकुल, उसके सख्त मुखिया, उसकी बेटी के एक गिटार टीचर से रोमांस की कहानी को तीन युवा जोड़ियों के रोमांस के साथ पिरोया गया था। १८ करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ७४ करोड़ से अधिक का कलेक्शन किया।
६- वीर-ज़ारा- २००४- यश चोपड़ा - शाहरुख़ खान, प्रिटी जिंटा और रानी मुख़र्जी- यश चोपड़ा ने अपनी इस रोमांस फिल्म में सरहद पार का रोमांस दिखाया था। एक हिंदुस्तान का फ़ौजी एक पाकिस्तानी लड़की के प्रेम में पाकिस्तान चला जाता है, जहाँ उसे जेल में बंद कर दिया जाता है। एक पाकिस्तानी वकील इस फ़ौजी का मुक़दमा लड़ कर उसे जेल से रिहा करवाती है। २५ करोड़ से बनी इस फिल्म ने ९४.२ करोड़ का बिज़नेस किया। ७- डॉन- २००६- फरहान अख्तर- शाहरुख़ खान, प्रियंका चोपड़ा और करीना कपूर- यह फिल्म अमिताभ बच्चन, ज़ीनत अमान और प्राण की १९७८ में रिलीज़ ब्लॉकबस्टर फिल्म डॉन का रीमेक थी। ३५ करोड़ से बनी इस फिल्म ने १०५ करोड़ का बिज़नेस किया।
८- ओम शांति ओम- २००७- फराह खान- शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण - एक फिल्म अभिनेत्री और उसके प्रेमी के पुनर्जन्म की रोमांटिक कहानी को बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त सफलता मिली थी। यह दीपिका पादुकोण की बतौर एक्ट्रेस पहली फिल्म थी। यह फिल्म ३५ करोड़ में बनी थी। फिल्म ने दिवाली वीकेंड का ज़बरदस्त फायदा उठा था। यह फिल्म १४९ करोड़ कमा चुकी है।
९- रा.वन- २०११- अनुभव सिन्हा- शाहरुख़ खान और करीना कपूर- यह एक बुरे रोबोट और अच्छे रोबोट रा.वन और जी.वन के टकराव की विज्ञानं फंतासी थी। हालाँकि, इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड १७७ करोड़ से ज़्यादा कमाए। लेकिन, ११४ के भरी भरकम बजट के कारण रा.वन शाहरुख़ खान के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं हुई। .
१०- जब तक है जान- २०१२- यश चोपड़ा- शाहरुख़ खान, कटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा - यह यश चोपड़ा के निर्देशन में उनकी आखिरी फिल्म थी। यह फिल्म एक फौजी के दो लड़कियों के साथ रोमांस की कहानी थी। जब तक है जान के निर्माण में ६० करोड़ खर्च हुए थे। इस फिल्म ने १२२ करोड़ कमाए।
१- बाज़ीगर - १९९३- अब्बास मुस्तान - शाहरुख़ खान, काजोल और शिल्पा शेट्टी - यह एक युवक के अपने पिता को धोखा देकर बिज़नेस हड़प लेने वाली आदमी से बदले की कहानी थी . इस फिल्म ने ९० करोड़ अधिक का बिज़नेस कर लिया है .
२- दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे - १९९५- आदित्य चोपड़ा- शाहरुख़ खान और काजोल- यह फिल्म आदित्य चोपड़ा की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी। इस फिल्म से पहली बार एक एनआरआई दूल्हा स्क्रीन पर आया। केवल चार करोड़ में बनी इस फिल्म ने पूरी दुनिया में सफलता के झंडे गाड़ते हुए अब तक १२२ करोड़ कमा डाले हैं।
३- दिल तो पागल है- १९९७- यश चोपड़ा- शाहरुख़ खान, करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित - एक डांस ट्रुप के दोस्तों बीच रोमांस का प्रेम त्रिकोण फिल्म थी । इस फिल्म ने ५८ करोड़ से ज़्यादा कलेक्शन किया ।
४- कुछ कुछ होता है- १९९८- करण जौहर- शाहरुख़ खान, रानी मुख़र्जी और काजोल- यह फिल्म शाहरुख़ खान और काजोल की जोड़ी की चौथी फिल्म थी । इस रोमांस फिल्म में सलमान खान ने मेहमान भूमिका की थी। निर्देशक करण जौहर की यह पहली फिल्म थी । इस फिल्म ने ४५ करोड़ से अधिक का बिज़नेस किया ।
५- मोहब्बतें- २०००- आदित्य चोपड़ा- शाहरुख़ खान, ऐश्वर्या राय और अमिताभ बच्चन- एक गुरुकुल, उसके सख्त मुखिया, उसकी बेटी के एक गिटार टीचर से रोमांस की कहानी को तीन युवा जोड़ियों के रोमांस के साथ पिरोया गया था। १८ करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ७४ करोड़ से अधिक का कलेक्शन किया।
६- वीर-ज़ारा- २००४- यश चोपड़ा - शाहरुख़ खान, प्रिटी जिंटा और रानी मुख़र्जी- यश चोपड़ा ने अपनी इस रोमांस फिल्म में सरहद पार का रोमांस दिखाया था। एक हिंदुस्तान का फ़ौजी एक पाकिस्तानी लड़की के प्रेम में पाकिस्तान चला जाता है, जहाँ उसे जेल में बंद कर दिया जाता है। एक पाकिस्तानी वकील इस फ़ौजी का मुक़दमा लड़ कर उसे जेल से रिहा करवाती है। २५ करोड़ से बनी इस फिल्म ने ९४.२ करोड़ का बिज़नेस किया। ७- डॉन- २००६- फरहान अख्तर- शाहरुख़ खान, प्रियंका चोपड़ा और करीना कपूर- यह फिल्म अमिताभ बच्चन, ज़ीनत अमान और प्राण की १९७८ में रिलीज़ ब्लॉकबस्टर फिल्म डॉन का रीमेक थी। ३५ करोड़ से बनी इस फिल्म ने १०५ करोड़ का बिज़नेस किया।
८- ओम शांति ओम- २००७- फराह खान- शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण - एक फिल्म अभिनेत्री और उसके प्रेमी के पुनर्जन्म की रोमांटिक कहानी को बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त सफलता मिली थी। यह दीपिका पादुकोण की बतौर एक्ट्रेस पहली फिल्म थी। यह फिल्म ३५ करोड़ में बनी थी। फिल्म ने दिवाली वीकेंड का ज़बरदस्त फायदा उठा था। यह फिल्म १४९ करोड़ कमा चुकी है।
९- रा.वन- २०११- अनुभव सिन्हा- शाहरुख़ खान और करीना कपूर- यह एक बुरे रोबोट और अच्छे रोबोट रा.वन और जी.वन के टकराव की विज्ञानं फंतासी थी। हालाँकि, इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड १७७ करोड़ से ज़्यादा कमाए। लेकिन, ११४ के भरी भरकम बजट के कारण रा.वन शाहरुख़ खान के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं हुई। .
१०- जब तक है जान- २०१२- यश चोपड़ा- शाहरुख़ खान, कटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा - यह यश चोपड़ा के निर्देशन में उनकी आखिरी फिल्म थी। यह फिल्म एक फौजी के दो लड़कियों के साथ रोमांस की कहानी थी। जब तक है जान के निर्माण में ६० करोड़ खर्च हुए थे। इस फिल्म ने १२२ करोड़ कमाए।
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इस शुक्रवार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
पहली बार विलन नहीं बने हैं गोविंदा
शाद अली की फिल्म 'किल दिल' में गोविंदा भैयाजी की भूमिका कर रहे है. यह भाड़े पर हत्याएं करवाने का काम करता है। वह दो आवारा बच्चो देव और टूटू को पालता है और उन्हें शूटर बनाता है। उनके बड़े होने पर उनसे हत्याएं करवाता है। किल दिल में गोविंदा के किरदार भैयाजी को उनका विलेन किरदार बताया जा रहा है। प्रचारित किया जा रहा है कि गोविंदा ने अपने तीस साल लम्बे करियर में पहली बार किल दिल में एक विलन का किरदार किया है। यह तथ्यात्मक नहीं है। गोविंदा ने २००० में रिलीज़ चंद्रू नार्वेकर उर्फ़ एन चंद्रा की फिल्म 'शिकारी' में महेंद्र प्रताप सिंह और ओम श्रीवास्तव की दोहरी भूमिका की थी। ओम प्रकाश की भूमिका में गोविंदा एक के बाद कत्ल करते दिखाए गए थे। इस फिल्म में गोविंदा की दो नायिकाएं तब्बू और करिश्मा कपूर थीं। उन दिनों गोविंदा करिश्मा कपूर के साथ रोमकॉम फिल्मों से काफी सफल हो रहे थे। उन्होंने, करिश्मा कपूर और तब्बू के साथ साजन चले ससुराल जैसी सुपरडुपर हिट फिल्म दी थी। इसलिए, उनके द्वारा फिल्म में एक हत्यारे का किरदार करने के लिए काफी आलोचना हुई थी। गोविंदा, तब्बू और करिश्मा कपूर के साथ गोविंदा की बढ़िया कॉमेडी देखने की आस में सिनेमाघर पहुंचे दर्शकों को शिकारी देख कर स्तब्ध रह जाना पड़ा था। हालाँकि, शिकारी में गोविंदा के खल अभिनय की प्रशंसा हुई थी। लेकिन, दर्शकों ने इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बिलकुल नकार दिया था। वैसे अगर गोविंदा के निगेटिव किरदारों की बात की जाये तो उन्होंने छोटे सरकार, हथकड़ी और नॉटी एट फोर्टी में भी नेगेटिव किरदार किये थे।
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ये ल्लों !!!
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Monday, 20 October 2014
लारा दत्ता की वापसी और उनकी चार फ़िल्में
पूर्व मिस यूनिवर्स और फिल्म अभिनेत्री लारा दत्ता ने अपने पति टेनिस स्टार महेश भूपति के साथ फिल्म निर्माण संस्था बिग डैडी प्रोडक्शंस की स्थापना की थी। उन्होंने इस बैनर के तहत चलो दिल्ली जैसी हिट कॉमेडी रोड मूवी का निर्माण किया था। चलो दिल्ली की सफलता से उत्साहित हो कर लारा दत्ता ने इस फिल्म का सीक्वल चलो चाइना बनाने का ऐलान भी किया था। अभी यह फिल्म शुरूआती दौर में है। लेकिन, इस बीच लारा दत्ता ने अभिनय में वापसी का निर्णय ले लिया। वह फिल्म अभी नहीं तो कभी नहीं में केके मेनन की नायिका बन कर रुपहले परदे पर वापसी करेंगी । यह फिल्म बिग डैडी प्रोडक्शंस और वीरेंदर अरोरा और अर्जुन कपूर के सहयोग से बनाई जाएगी। अभी नहीं तो कभी नहीं में नौ मुख्य चरित्र हैं। इनके लिए राजीव खण्डेलवाल और पंकज कपूर का चुनाव भी हो चूका है। बाकी कलाकारों का चुनाव जल्द कर लिए जाएगा। यह लोग भिन्न शैली की कुछ दूसरी फ़िल्में भी बनाएंगे। इनमे तमन्ना रेडियो कंपनी के अलावा रोमांटिक कॉमेडी फिल्म मैचफ़िक्सिंग ख़ास है। एक थ्रिलर फिल्म के निर्माण की योजना भी है। फिलहाल, इस फिल्म की स्क्रिप्ट सेलेक्ट कर ली गयी है। इसे एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त निर्देशक बनाएगा। इतना ही नहीं इन लोगों का इरादा अन्य निर्माता कंपनियों और स्टूडियोज के साथ मिल कर भी अच्छी और हट कर विषय पर फ़िल्में बनाना है। यह फ़िल्में केवल बौद्धिक संतुष्टि देने वाली नहीं होंगी, बल्कि यह बॉक्स ऑफिस पर भी सफल होंगी।
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फिल्म पुराण
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वेलकम टू कराची दो भारतीयों की व्यंग्यात्मक कहानी
वेलकम टू कराची निर्माता वाशु भगनानी की वही फिल्म है, जो पिछले दिनों अभिनेता इरफ़ान खान के लंदन की लोकेशन पर शूटिंग के लिए न पहुँचने पर चर्चा में आयी थी। इरफ़ान के फिल्म से बाहर हो जाने के बाद, वाशु भगनानी ने उनकी जगह अपने बेटे जैकी भगनानी को ले लिया था। अब जैकी किस प्रकार से और किस हद तक खुद को इरफ़ान का बदल साबित कर पाते हैं, इसका पता तो फिल्म की रिलीज़ के बाद चलेगा। फिलहाल, इस फिल्म की शूटिंग तेज़ी पर है। वेलकम टू कराची दो भारतीयों की व्यंग्यात्मक कहानी है, जो उचित पासपोर्ट और पहचान पत्र न होने के कारण कराची में फंस जाते हैं। फिल्म में दूसरे भारतीय अरशद वारसी बने हैं। अरशद वारसी और जैकी भगनानी ने रेमो डिसूज़ा की फिल्म फालतू में एक साथ काम किया था। वेलकम टू कराची का निर्देशन आशीष आर मोहन कर रहे हैं। आशीष की पिछली निर्देशित फिल्म अक्षय कुमार की मुख्य भूमिका वाली खिलाडी ७८६ थी। वेलकम टू कराची की शूटिंग के दौरान का यह चित्र अरशद वारसी ने अपने ट्विटर अकाउंट में डाला है।
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फिल्म पुराण
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Sunday, 19 October 2014
सोनी की दिवाली चित्रों में
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फोटो फीचर
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क्या है ऋतिक रोशन की शर्मिंदगी की वजह !
ऋतिक रोशन परफेक्शन के मामले में किसी दूसरे अभिनेता से पीछे नहीं। वह अपनी हर फिल्म के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, लुक पर भी काफी ध्यान देते है। कहने का मतलब यह कि ऋतिक रोशन अपने किरदार को कभी हलके में नहीं लेते । आशुतोष गोवारिकर की फिल्म मोहनजोदाड़ो
में वह एक वीर योद्धा बने है। फिल्म में हू-ब -हू योद्धा नजर आने लिए वह अब नए प्रकार की
फिटनेस ट्रेनिंग कर रहे है । ऋतिक सामान्य तौर पर शाम को अपना वर्क आउट किया
करते थे । लेकिन अब वह सुबह सुबह वर्क आउट कर रहे है । इसके साथ ही उन्होंने वर्क आउट
में कुछ बदलाव भी किये है । पहले ऋतिक हाई प्रोटीन डाइट
में लिया करते थे, लेकिन अब वे ज्यादातर वेजिटेबलस सेवन कर है । इसके बावजूद, ऋतिक रोशन इधर खासे शर्मिंदा हैं। बैंग बैंग को मिली ज़बरदस्त सफलता के बाद ऋतिक रोशन बॉलीवुड के हॉटेस्ट मेन बन गए है । इस फिल्म के बाद ऋतिक की फीमेल फैंस तादाद में गज़ब इज़ाफ़ा हुआ है । आजकल ऋतिक रोशन के ईमेल बॉक्स फीमेल फैंस के लव मेल से भरे रहते है । कई फीमेल फैंस ने तो प्रोपोज़ करना भी शुरू का दिया है, क्योंकि सुज़ैन से अलगाव होने के बाद जवान लड़कियों की उम्मीदें उनसे कुछ ज़्यादा बढ़ गयी हैं । फीमेल फैंस के खतों की बाढ़ से ऋतिक खुश तो बहुत हैं । लेकिन, शर्मिंदा भी बहुत महसूस कर रहे हैं। ऋतिक को समझ में नहीं आ रहा कि वह किस किस मेल के क्या जवाब दे । जो मेल उनके काम की तारीफ करने वाले है तो ऋतिक को उनका जवाब देने में उन्हें कोई संकोच नहीं। लेकिन, प्यार का इजहार करने वाली महिला प्रशंसकों की इ- चिठ्ठियों को वह क्या जवाब दें । यही है ऋतिक रोशन की शर्मिंदगी की वजह ।
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
कभी यह 'सुपर' नाना और 'नानी' जवान थे
इंद्रकुमार की फिल्म 'सुपर नानी' नानी बनी रेखा और उनके नाती शरमन जोशी के संबधों पर केंद्रित है । लेकिन, इन दोनों से जुड़े कुछ दूसरे करैक्टर भी हैं । शरमन की लव बर्ड बनीं श्वेता कुमार ख़ास हैं तो रणबीर कपूर के पप्पा रणधीर कपूर भी खासम-ख़ास है । जब रणधीर से सुपर नानी रेखा के सामने उनकी भूमिका के बारे में पूछा गया तो रणधीर कपूर का मज़ाकिया जवाब था, "वह सुपर नानी हैं तो मैं सुपर नाना हूँ ।" फिर वह गंभीर हो कर बोले, "मैं और रेखा बहुत अच्छे दोस्त हैं । फिल्म में मेरी जोड़ी रेखा के साथ है । वैसे हम लोगों ने अब तक २७ फिल्मों में अभिनय किया है ।" १९७० में फिल्म सावन भादो से हिंदी फिल्मों में कदम रखने वाली रेखा की रणधीर कपूर के साथ बतौर नायिका पहली फिल्म रामपुर का लक्ष्मण सुपर हिट हुई थी। इस सफलता के बाद इन दोनों ने दफा ३०२, धरम करम, खलीफा, आज का महात्मा, राम भरोसे, कच्चा चोर, आखिरी डाकू, कस्मे वादे, खज़ाना, मदर और सेंसर जैसी फिल्मों में काम किया। इन दोनों कलाकारों का अभिनय का अपना अंदाज़ था। रेखा उस समय खुद को सेक्स बम के बतौर साबित कर रही थीं। रणधीर कपूर को उछल-कूद वाली खिलंदड़ी भूमिकाएं रास आ रही थीं। इसीलिए, यह जोड़ी इतनी ज़्यादा बार एक साथ दिखीं। इन दोनों की एक साथ की कुछ फ़िल्में सफल हुईं, तो कुछ बिलकुल असफल। २००१ में रिलीज़ देवानंद की फिल्म सेंसर के १४ साल बाद यह दोनों फिर एक साथ हैं. रेखा ने अभी १० अक्टूबर को साठोत्तरी पर कदम रखा है। रणधीर कपूर अगले साल १५ फरवरी को ६८वें साल में कदम रखेंगे। रणधीर कपूर निजी जीवन में नाना बन चुके हैं। रेखा ने शादी ही नहीं की, अन्यथा शायद वह भी नानी बन गयी होतीं। तो इन दोनों के प्रशंसक दर्शकों को परदे पर इस सुपर नाना-नानी को देखते हुए, उनकी जवानी के दिन तो याद आएंगे ही।
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फिल्म पुराण
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Saturday, 18 October 2014
अगले दो साल तक सलमान खान मनाएंगे ईद
सलमान खान को ईद से बना खान कहना ज़्यादा ठीक होगा। उनकी कुछ पिछली ब्लॉकबस्टर फ़िल्में - वांटेड, बॉडीगार्ड, दबंग और किक ईद वीकेंड में ही रिलीज़ हुई थीं। इसी साल रिलीज़ फिल्म किक तो सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गयी है। यही कारण है कि जब भी कोई फिल्म निर्माता सलमान को लेकर फ़िल्में बनाता है, उनके साथ ईद मनाने की सोचने लगता है। इस सोच से यशराज फिल्म्स जैसा प्रतिष्ठित बैनर भी अलग नहीं। यशराज फिल्म्स सलमान खान के साथ एक फिल्म सुलतान बनाने जा रहा है। इस फिल्म का निर्देशन अली अब्बास ज़फर करेंगे। इस फिल्म में सलमान खान की जोड़ी पहली बार दीपिका पादुकोण के साथ बन सकती है। वैसे अभी यह अनुमान ही हैं। क्योंकि, दीपिका पादुकोण के द्वारा साजिद नाडियाडवाला के अनुरोध के बावजूद फिल्म 'किक' में आइटम नंबर करने से इंकार कर देने के कारण सलमान खान के दीपिका से नाराज़ होने की खबरें आ रही थीं। यशराज फिल्म्स सुल्तान को ईद २०१६ में रिलीज़ करने जा रहा है। लेकिन, इससे पहले एक दूसरी फिल्म ईद २०१५ में रिलीज़ हो जाएगी। यह फिल्म है कबीर 'एक था टाइगर' खान की फिल्म बजरंगी भाईजान। इस फिल्म में सलमान खान के बजरंगी भाईजान की जान करीना कपूर हैं।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
क्या शाहरुख़ हैप्पी नहीं हैं इस बार 'न्यू ईयर' से !
कुछ समय पहले अख़बारों की सुर्खियां थी कि हॉलीवुड का सुपर स्टार ब्रैड पिट बॉलीवुड के सुपर स्टार शाहरुख़ खान से भयभीत है। देश के अख़बारों में यह पीआर सुर्खियां इस लिए ख़ास बनीं कि अभिनेता ब्रैड पिट की वॉर ड्रामा फिल्म फ्यूरी की रिलीज़ हैप्पी न्यू ईयर के सामने से हटा दी गयी थी । हालाँकि, यह खबर इसलिए मायने नहीं रखती, क्योंकि हॉलीवुड की फिल्मों की वर्ल्डवाइड रिलीज़ की तारिख काफी पहले तय कर दी गयी होती है। इन्हे रिलीज़ का समय भी हिंदी फिल्मों की रिलीज़ को देख कर तय नहीं किया जाता। अन्यथा, बेन अफ्लेक की फिल्म गॉन गर्ल २४ अक्टूबर को रिलीज़ नहीं हो रही होती। वैसे अपने सुपर स्टार को मॉरल बूस्ट देने के लिहाज़ से यह किया जाना ठीक भी था। परन्तु, न जाने क्यों शाहरुख़ खान थोड़ा असुरक्षित नज़र आ रहे हैं। उनकी फिल्म के साथ रेखा की फिल्म सुपर नानी तथा रणदीप हुडा और नंदना सेन की लम्बे समय से रुकी फिल्म रंग रसिया रिलीज़ हो रही थी। परन्तु इन दोनों फिल्मों की रिलीज़ की तारीखें बदल दी गयीं। इसे काफी उछाला गया, हालाँकि इसकी ज़रुरत नहीं थी । रेखा में वह बात नहीं रही कि उनकी फिल्म खान की फिल्म के लिए चुनौती साबित हो सकें। रंग रसिया की रिलीज़ तो वैसे भी एक दो सालों से लगातार टलती चली आ रही है। एक बार और सही। खान की असुरक्षा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह हर चैनल पर अपनी फिल्म की पूरी बरात गाजे बाजे के साथ ले ही जाते हैं, एक शो भी बना डाला है। दरअसल, शाहरुख़ खान के सामने चुनौतियाँ ही चुनौतियाँ हैं। दूसरे खानों की फिल्मों का बॉक्स ऑफिस परफॉरमेंस उनकी फिल्म के लिए चुनौती बना हुआ है। उन्हें श्रेष्ठतम पहला दिन बनाने, वीकेंड बनाने और पूरा वीक श्रेष्ठतम करने की चुनौती है। अभी तक उनकी कोई फिल्म ऐसा कर पाने में सफल नहीं हुई है। ऋतिक रोशन की पिछली बार दिवाली पर रिलीज़ फिल्म कृष ३ उनके सामने बड़ी चुनौती है। उस पर कोढ़ पर खाज का काम किया है २ अक्टूबर को रिलीज़ ऋतिक की फिल्म बैंग बैंग के कलेक्शन के आंकड़ों ने। कभी बॉक्स ऑफिस के बादशाह के खिताब से मशहूर शाहरुख़ खान को इन सभी चुनौतियों का जवाब देना है। यही कारण है कि शाहरुख़ खान ब्रैड पिट की फिल्म की रिलीज़ टलने पर जीत का जश्न मनाते हैं और सुपर नानी और रंग रसिया के हट जाने पर चैन की सांस लेते हैं।
शाहरुख़ खान हैप्पी न्यू ईयर को पहले दिवाली के दिन २३ अक्टूबर को रिलीज़ करना चाहते थे। इरादा फिल्म को हिन्दुओं के पवित्र दिन के प्रति अपना आदर भाव व्यक्त करना भी था। मगर, शाहरुख़ खान को दिवाली के दिन फिल्म रिलीज़ करने के नुक्सान गिनाये गए। इस दिन बड़ी आबादी घरों की सफाई, पूजा, आदि में व्यस्त होती है। कलेक्शन पर प्रभाव पड़ सकता पड़ सकता है। शाहरुख़ खान इस नुक्सान को झेल नहीं सकते थे। क्योंकि, उनके सामने सलमान खान और आमिर खान के पहले दिन, वीकेंड और पूरे वीक के कलेक्शन की चुनातियां थीं। हालाँकि, पिछले साल फिल्म कृष ३ को धनतेरस के दिन ३१ अक्टूबर को रिलीज़ किया गया था। हालाँकि, राकेश रोशन पहले इस विज्ञानं फंतासी फिल्म को दिवाली के दिन या इसके दूसरे दिन रिलीज़ करने की सोच रहे थे। कृष ३ ने पहले दिन २५. ५ करोड़ का बिज़नेस किया था। कृष ३ का कलेक्शन दिवाली के दूसरे दिन उछल कर ३५.९१ करोड़ हो गया था। ऐसा इसी कारण से हुआ था कि कृष ३ एक अच्छी बनी फिल्म थी। वहीँ, शाहरुख़ खान ने दिवाली पर यानि २३ अक्टूबर को फिल्म रिलीज़ करने का इरादा करते करते फिल्म की रिलीज़ दूसरे दिन कर दी। साफ़ तौर पर उनकी निगाहें, पूरी तरह से छुट्टियों वाले दिन पर थी। कहा जा सकता है कि शाहरुख़ खान दूसरे खानों की फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को पछाड़ने के लिए ऐसा कर रहे थे। लेकिन,यहाँ यह भी तो कहा जा सकता है कि खान हैप्पी न्यू ईयर से मुतमईन नहीं हैं। अगर फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आयी तो दिवाली की छुट्टी के बाद के दिनों में दर्शक मुंह मोड़ सकता है। इसीलिए शाहरुख खान चैनल चैनल तक दौड़ लगाए हुए हैं।
शाहरुख़ खान हैप्पी न्यू ईयर को पहले दिवाली के दिन २३ अक्टूबर को रिलीज़ करना चाहते थे। इरादा फिल्म को हिन्दुओं के पवित्र दिन के प्रति अपना आदर भाव व्यक्त करना भी था। मगर, शाहरुख़ खान को दिवाली के दिन फिल्म रिलीज़ करने के नुक्सान गिनाये गए। इस दिन बड़ी आबादी घरों की सफाई, पूजा, आदि में व्यस्त होती है। कलेक्शन पर प्रभाव पड़ सकता पड़ सकता है। शाहरुख़ खान इस नुक्सान को झेल नहीं सकते थे। क्योंकि, उनके सामने सलमान खान और आमिर खान के पहले दिन, वीकेंड और पूरे वीक के कलेक्शन की चुनातियां थीं। हालाँकि, पिछले साल फिल्म कृष ३ को धनतेरस के दिन ३१ अक्टूबर को रिलीज़ किया गया था। हालाँकि, राकेश रोशन पहले इस विज्ञानं फंतासी फिल्म को दिवाली के दिन या इसके दूसरे दिन रिलीज़ करने की सोच रहे थे। कृष ३ ने पहले दिन २५. ५ करोड़ का बिज़नेस किया था। कृष ३ का कलेक्शन दिवाली के दूसरे दिन उछल कर ३५.९१ करोड़ हो गया था। ऐसा इसी कारण से हुआ था कि कृष ३ एक अच्छी बनी फिल्म थी। वहीँ, शाहरुख़ खान ने दिवाली पर यानि २३ अक्टूबर को फिल्म रिलीज़ करने का इरादा करते करते फिल्म की रिलीज़ दूसरे दिन कर दी। साफ़ तौर पर उनकी निगाहें, पूरी तरह से छुट्टियों वाले दिन पर थी। कहा जा सकता है कि शाहरुख़ खान दूसरे खानों की फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को पछाड़ने के लिए ऐसा कर रहे थे। लेकिन,यहाँ यह भी तो कहा जा सकता है कि खान हैप्पी न्यू ईयर से मुतमईन नहीं हैं। अगर फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आयी तो दिवाली की छुट्टी के बाद के दिनों में दर्शक मुंह मोड़ सकता है। इसीलिए शाहरुख खान चैनल चैनल तक दौड़ लगाए हुए हैं।
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इस शुक्रवार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
खून चूसने वाले "ड्रैकुला" की "अनटोल्ड" स्टोरी
इस शुक्रवार भारत में मशहूर ड्रैकुला करैक्टर पर फिल्म 'ड्रैकुला अनटोल्ड' रिलीज़ होने जा रही है । ड्रैकुला करैक्टर पर अब तक बनी कोई २०० से ज़्यादा फिल्मों से ड्रैकुला अनटोल्ड इस लिहाज़ से बिलकुल अलग है कि गैरी शोर का यह ड्रैकुला खूबसूरत औरतों को अपने मोह जाल में फांस कर अपने वीरान और डरावने किलेनुमा घर में लाकर, फिर उनकी गर्दन में अपने नुकीले दांत चुभो कर खून चूस कर मार डालने वाला ड्रैकुला नहीं है । मैट सज़मा और बर्क शार्पलेस के लिखे इस काउंट ड्रैकुला का मानवीय पहलू है ड्रैकुला अनटोल्ड । इस शताब्दी के आखिर में युवा लार्ड व्लाड और उसका परिवार शांतिपूर्वक रह रहा है । व्लाद की ज़िन्दगी में उस समय बदलाव आ जाता है , जब उसके पास एक तुर्क सेनापति आकर व्लाद के पुत्र सहित एक हजार युवा अपनी सेना के लिए मांगता है । व्लाद तुर्क सेनापति की चालबाजी भांप जाता है । ऐसे में उसके पास अपने राज्य और परिवार को बचाने के लिए भयानक शक्तियों का सहारा लेना है, उसे खून चूसने वाले काउंट ड्रैकुला का रूप धरना ही है, चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो ।
ब्राम स्टोकर ने १८९७ में वलाशिया के व्लाद द इम्पालेर से मोटे तौर पर प्रभावित हो कर पहली किताब लिखी थी । इसके बाद सदियों तक उनके उपन्यास के मुख्य चरित्र काउंट ड्रैकुला पर फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया । आम तौर पर ड्रैकुला खून पीने वाला पिशाच था । वह सुन्दर युवतियों को अपने व्यक्तित्व के मोह जाल में फंसा कर अपनी बग्घी पर बैठा कर अपने किले पर ले आता था । वहां वह उनकी गर्दन पर दांत घुसेड़ कर खून चूसा करता था । ब्राम स्टोकर के उपन्यास पर पहली फिल्म १९२२ में जर्मनी में एफडब्ल्यू मरनौव ने बनायी थी । यह मूक फिल्म नोस्फेरातु अ सिम्फनी ऑफ़ हॉरर कॉपीराइट के उल्लंघन में फंस गयी । द ब्राम ने कोर्ट में मुक़दमा किया । कोर्ट ने द ब्राम के पक्ष में निर्णय दिया और फिल्म के सारे प्रिंट नष्ट करने के आदेश दे दिए । अदालत के आदेशों से प्रिंट जला दिए जाने के बावजूद कुछ प्रिंट बच भी गये । नोस्फेरातु के ड्रैकुला की कहानी ट्रान्सीलवानिया और जर्मनी की थी । ड्रैकुला का नाम भी बदल कर काउंट ऑर्लोक कर दिया गया था । इस भूमिका को मैक्स श्रेक ने किया था ।
१९३१ में बनायी गयी पहली ड्रैकुला फिल्म १२ फरवरी १९३१ को रिलीज़ हुई थी । यह फिल्म अंग्रेजी के अलावा हंगरी भाषा में भी बनायी गयी थी ।इस फिल्म में काउंट ड्रैकुला की भूमिका हंगेरियन-अमेरिकी मूल के अभिनेता बेला लुगोसी ने की थी । न्यूयॉर्क के रॉक्सी थिएटर में रिलीज़ फिल्म ड्रैकुला दर्शकों के बीच सनसनी बन गयी थी । इस फिल्म की रिलीज़ के ४८ घंटे पहले ही पचास हजार टिकट बिक गए थे ।
ड्रैकुला की सफलता के बाद ड्रैकुला और उसके परिवार और अन्य मित्रों को केंद्र में रख कर कई फ़िल्में बनायी गयीं । कुछ अन्य मशहूर ड्रैकुला तथा ड्रैकुला के परिवार से जुडी फ़िल्में और उनके ड्रैकुला और अन्य अभिनेताओं का विवरण निम्न प्रकार है -
१- ड्रैकुलाज डॉटर (१९३६)- इस फिल्म में ड्रैकुला की बेटी काउंटेस मारिया ज़लेस्का का किरदार ग्लोरिया होल्डन ने किया था ।
२- सोन ऑफ़ ड्रैकुला (१९४३) इस फिल्म में ड्रैकुला के बेटे काउंट अलुकार्ड का रोल अभिनेता लोन चेन जूनियर ने किया था ।
३- हॉउस ऑफ़ फैंकस्टीन (१९४४)- इस फिल्म में जॉन करिडीन ने काउंट ड्रैकुला की भूमिका की थी ।
४- हाउस ऑफ़ ड्रैकुला (१९४५)- इस फिल्म के ड्रैकुला भी जॉन करिडीन ही थे ।
५- अब्बोट एंड कोस्टेलो मीट फ्रैंकेंस्टीन (१९४८)- बेल लुगोसी एक बार फिर काउंट ड्रैकुला की भूमिका में थे ।
६- ड्रैकुला (१९७९) - इस फिल्म में फ्रैंक लांगेला काउंट ड्रैकुला के रोल में थे ।
यह सभी फ़िल्में यूनिवर्सल स्टूडियोज द्वारा बनायी गयी थीं ।
१९५८ से हैमर फिल्म प्रोडक्शंस ने ड्रैकुला करैक्टर के साथ कई वहशी फ़िल्में बनाने का सिलसिला शुरू किया । इस कंपनी द्वारा बनायीं गयी कुछ फ़िल्में निम्न प्रकार हैं -
१- ड्रैकुला (१९५८)- इस ब्रितानी फिल्म में काउंट ड्रैकुला की भूमिका करके अभिनेता क्रिस्टोफर ली अपने चरित्र से पहचाने जाने लगे । इस फिल्म को अमेरिका में हॉरर ऑफ़ ड्रैकुला शीर्षक से रिलीज़ किया गया था ।
२- द ब्रिज ऑफ़ ड्रैकुला (१९६०)- इस फिल्म में डेविड पील ने ड्रैकुला के शिष्य बैरन मेस्टर का रोल किया था ।
३- ड्रैकुला प्रिंस ऑफ़ डार्कनेस (१९६६)- क्रिस्टोफर ली ड्रैकुला के किरदार में थे ।
४- ड्रैकुला हैज राइजेन फ्रॉम द ग्रेव (१९६८)- इस फिल्म के ड्रैकुला भी ली ही थे ।
५- टास्ते द ब्लड ऑफ़ ड्रैकुला ( १९६९) - यह भी क्रिस्टोफर ली की ड्रैकुला फिल्म थी ।
६- स्कार्स ऑफ़ ड्रैकुला (१९७०) - क्रिस्टोफर ली थे ड्रैकुला।
७- ड्रैकुला ए डी १९७२ (१९७२) - क्रिस्टोफर की ड्रैकुला भूमिका वाली फिल्म ।
८- द सैटेनिक राइट्स ऑफ़ ड्रैकुला (१९७३)- क्रिस्टोफर ली की यह फिल्म अमेरिका में काउंट ड्रैकुला एंड हिज वैम्पायर ब्राइड शीषर्क से रिलीज़ हुई थी ।
९- द लीजेंड ऑफ़ द सेवन गोल्डन वैम्पायर्स (१९७३) - जॉन फ़ोर्बेस-रॉबर्टसन के ड्रैकुला चरित्र वाली यह फिल्म द सेवन ब्रोठेर्स मीट ड्रैकुला और ड्रैकुला एंड द सेवन गोल्डन वैम्पायर्स शीर्षक से भी रिलीज़ हुई थीं ।
उपरोक्त फिल्मों के अलावा कई अन्य फिल्म निर्माताओं, स्टूडियोज और देशों में ड्रैकुला के डरावने चरित्र पर फ़िल्में बनी। इन फिल्मों में ड्रैकुला का मुक़ाबला बैटमैन जैसे सुपर ह्यूमन करैक्टर से भी हुआ। ब्लेड ट्रिनिटी, हाउस ऑफ़ फ्रैंकेंस्टीन, हाउस ऑफ़ द वुल्फ वीमेन, वैम्पायर हंटर, वैन हेल्सिंग, आदि फ़िल्में भी ड्रैकुला करैक्टर वाली थीं ।
ड्रैकुला अनटोल्ड में ड्रैकुला बन जाने वाले व्लाद थर्ड तेपिस का रोल ल्यूक इवांस ने किया है । इस फिल्म में साराह गडोन ने व्लाद की पत्नी मिरेन ने की है । अन्य भूमिकाओं में डॉमिनिक कूपर, चार्ल्स डांस, चार्ली कॉक्स, विलियम हॉस्टन, आर्ट पार्किंसन के नाम उल्लेखनीय है। ड्रैकुला अनटोल्ड के निर्माण में ७० मिलियन डॉलर खर्च हुए है। यूनिवर्सल पिक्चर्स की यह फिल्म ९२ मिनट लम्बी है।
अल्पना कांडपाल
ब्राम स्टोकर ने १८९७ में वलाशिया के व्लाद द इम्पालेर से मोटे तौर पर प्रभावित हो कर पहली किताब लिखी थी । इसके बाद सदियों तक उनके उपन्यास के मुख्य चरित्र काउंट ड्रैकुला पर फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया । आम तौर पर ड्रैकुला खून पीने वाला पिशाच था । वह सुन्दर युवतियों को अपने व्यक्तित्व के मोह जाल में फंसा कर अपनी बग्घी पर बैठा कर अपने किले पर ले आता था । वहां वह उनकी गर्दन पर दांत घुसेड़ कर खून चूसा करता था । ब्राम स्टोकर के उपन्यास पर पहली फिल्म १९२२ में जर्मनी में एफडब्ल्यू मरनौव ने बनायी थी । यह मूक फिल्म नोस्फेरातु अ सिम्फनी ऑफ़ हॉरर कॉपीराइट के उल्लंघन में फंस गयी । द ब्राम ने कोर्ट में मुक़दमा किया । कोर्ट ने द ब्राम के पक्ष में निर्णय दिया और फिल्म के सारे प्रिंट नष्ट करने के आदेश दे दिए । अदालत के आदेशों से प्रिंट जला दिए जाने के बावजूद कुछ प्रिंट बच भी गये । नोस्फेरातु के ड्रैकुला की कहानी ट्रान्सीलवानिया और जर्मनी की थी । ड्रैकुला का नाम भी बदल कर काउंट ऑर्लोक कर दिया गया था । इस भूमिका को मैक्स श्रेक ने किया था ।
१९३१ में बनायी गयी पहली ड्रैकुला फिल्म १२ फरवरी १९३१ को रिलीज़ हुई थी । यह फिल्म अंग्रेजी के अलावा हंगरी भाषा में भी बनायी गयी थी ।इस फिल्म में काउंट ड्रैकुला की भूमिका हंगेरियन-अमेरिकी मूल के अभिनेता बेला लुगोसी ने की थी । न्यूयॉर्क के रॉक्सी थिएटर में रिलीज़ फिल्म ड्रैकुला दर्शकों के बीच सनसनी बन गयी थी । इस फिल्म की रिलीज़ के ४८ घंटे पहले ही पचास हजार टिकट बिक गए थे ।
ड्रैकुला की सफलता के बाद ड्रैकुला और उसके परिवार और अन्य मित्रों को केंद्र में रख कर कई फ़िल्में बनायी गयीं । कुछ अन्य मशहूर ड्रैकुला तथा ड्रैकुला के परिवार से जुडी फ़िल्में और उनके ड्रैकुला और अन्य अभिनेताओं का विवरण निम्न प्रकार है -
१- ड्रैकुलाज डॉटर (१९३६)- इस फिल्म में ड्रैकुला की बेटी काउंटेस मारिया ज़लेस्का का किरदार ग्लोरिया होल्डन ने किया था ।
२- सोन ऑफ़ ड्रैकुला (१९४३) इस फिल्म में ड्रैकुला के बेटे काउंट अलुकार्ड का रोल अभिनेता लोन चेन जूनियर ने किया था ।
३- हॉउस ऑफ़ फैंकस्टीन (१९४४)- इस फिल्म में जॉन करिडीन ने काउंट ड्रैकुला की भूमिका की थी ।
४- हाउस ऑफ़ ड्रैकुला (१९४५)- इस फिल्म के ड्रैकुला भी जॉन करिडीन ही थे ।
५- अब्बोट एंड कोस्टेलो मीट फ्रैंकेंस्टीन (१९४८)- बेल लुगोसी एक बार फिर काउंट ड्रैकुला की भूमिका में थे ।
६- ड्रैकुला (१९७९) - इस फिल्म में फ्रैंक लांगेला काउंट ड्रैकुला के रोल में थे ।
यह सभी फ़िल्में यूनिवर्सल स्टूडियोज द्वारा बनायी गयी थीं ।
१९५८ से हैमर फिल्म प्रोडक्शंस ने ड्रैकुला करैक्टर के साथ कई वहशी फ़िल्में बनाने का सिलसिला शुरू किया । इस कंपनी द्वारा बनायीं गयी कुछ फ़िल्में निम्न प्रकार हैं -
१- ड्रैकुला (१९५८)- इस ब्रितानी फिल्म में काउंट ड्रैकुला की भूमिका करके अभिनेता क्रिस्टोफर ली अपने चरित्र से पहचाने जाने लगे । इस फिल्म को अमेरिका में हॉरर ऑफ़ ड्रैकुला शीर्षक से रिलीज़ किया गया था ।
२- द ब्रिज ऑफ़ ड्रैकुला (१९६०)- इस फिल्म में डेविड पील ने ड्रैकुला के शिष्य बैरन मेस्टर का रोल किया था ।
३- ड्रैकुला प्रिंस ऑफ़ डार्कनेस (१९६६)- क्रिस्टोफर ली ड्रैकुला के किरदार में थे ।
४- ड्रैकुला हैज राइजेन फ्रॉम द ग्रेव (१९६८)- इस फिल्म के ड्रैकुला भी ली ही थे ।
५- टास्ते द ब्लड ऑफ़ ड्रैकुला ( १९६९) - यह भी क्रिस्टोफर ली की ड्रैकुला फिल्म थी ।
६- स्कार्स ऑफ़ ड्रैकुला (१९७०) - क्रिस्टोफर ली थे ड्रैकुला।
७- ड्रैकुला ए डी १९७२ (१९७२) - क्रिस्टोफर की ड्रैकुला भूमिका वाली फिल्म ।
८- द सैटेनिक राइट्स ऑफ़ ड्रैकुला (१९७३)- क्रिस्टोफर ली की यह फिल्म अमेरिका में काउंट ड्रैकुला एंड हिज वैम्पायर ब्राइड शीषर्क से रिलीज़ हुई थी ।
९- द लीजेंड ऑफ़ द सेवन गोल्डन वैम्पायर्स (१९७३) - जॉन फ़ोर्बेस-रॉबर्टसन के ड्रैकुला चरित्र वाली यह फिल्म द सेवन ब्रोठेर्स मीट ड्रैकुला और ड्रैकुला एंड द सेवन गोल्डन वैम्पायर्स शीर्षक से भी रिलीज़ हुई थीं ।
उपरोक्त फिल्मों के अलावा कई अन्य फिल्म निर्माताओं, स्टूडियोज और देशों में ड्रैकुला के डरावने चरित्र पर फ़िल्में बनी। इन फिल्मों में ड्रैकुला का मुक़ाबला बैटमैन जैसे सुपर ह्यूमन करैक्टर से भी हुआ। ब्लेड ट्रिनिटी, हाउस ऑफ़ फ्रैंकेंस्टीन, हाउस ऑफ़ द वुल्फ वीमेन, वैम्पायर हंटर, वैन हेल्सिंग, आदि फ़िल्में भी ड्रैकुला करैक्टर वाली थीं ।
ड्रैकुला अनटोल्ड में ड्रैकुला बन जाने वाले व्लाद थर्ड तेपिस का रोल ल्यूक इवांस ने किया है । इस फिल्म में साराह गडोन ने व्लाद की पत्नी मिरेन ने की है । अन्य भूमिकाओं में डॉमिनिक कूपर, चार्ल्स डांस, चार्ली कॉक्स, विलियम हॉस्टन, आर्ट पार्किंसन के नाम उल्लेखनीय है। ड्रैकुला अनटोल्ड के निर्माण में ७० मिलियन डॉलर खर्च हुए है। यूनिवर्सल पिक्चर्स की यह फिल्म ९२ मिनट लम्बी है।
अल्पना कांडपाल
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
अबु सलेम और मोनिका बेदी का लव चक्र
धुंआधार गोलीबारी और खून खराबे से भरपूर गैंगस्टर फिल्मों की लम्बी फेहरिस्त के बाद, बॉलीवुड ने गैंगस्टर रोमांस पर हाथ आजमाया। गैंगस्टर, वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा , आदि फिल्मों की फेहरिस्त में एक नया नाम लव चक्र का भी जुड़ गया है। स्टूडियो साउंड एन विज़न की धीरज प्रोडक्शन के साथ पहली फिल्म लव चक्र की कहानी एक युवा लड़की की है, जो एक गैंगस्टर के प्रेम जाल में फंस कर अपराध की दुनिया के दुष्चक्र का शिकार हो जाती है । प्यारेलाल शर्मा की लिखी इस कहानी में अंकिता तारे मोनिका बेदी का रील लाइफ किरदार कर रही हैं। अंकिता तारे मिस महाराष्ट्र हैं। उनके साथ अन्य भूमिकाओं में गगन निमेष, भावना करेकर, उपासना हालदार, विनोद त्रिपाठी और एहसान के नाम ख़ास हैं। पिछले दिनों इस फिल्म का १० दिनों का शूटिंग नासिक में पूरा किया गया।
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आज जी
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अब 'सिंह' करेगा 'ब्लिंग' !
अभी सोशल साइट्स पर अभिनेत्री कीर्ति शेनन के बॉक्सिंग ग्लव्स से प्रहार करते फोटो जारी हुए हैं। यह चित्र कीर्ति की निर्माणाधीन फिल्म 'सिंह इज़ ब्लिंग' के हैं। करियर के लिहाज से कीर्ति की यह लम्बी छलांग है। उन्होंने अपना करियर जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ के साथ फिल्म हीरोपंथी से शुरू किया था। फिल्म हिट हुई थी। लेकिन, महत्वपूर्ण थी कीर्ति की प्रशंसा। उनके अभिनय और नृत्य प्रतिभा को सराहा गया। इसीलिए, उन्हें जल्द ही अक्षय कुमार के साथ फिल्म करने का मौका मिल गया। 'सिंह इज़ ब्लिंग' अक्षय कुमार की फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन प्रभुदेवा कर रहे हैं। 'सिंह इज़ ब्लिंग' की खासियत यह है कि २००८ में रिलीज़ कटरीना कैफ के साथ कॉमेडी फिल्म 'सिंह इज़ किंग' के बाद अक्षय कुमार मिलते जुलते टाइटल वाली फिल्म में सिख किरदार कर रहे हैं। जी हाँ, 'सिंह इज़ ब्लिंग' में अक्षय कुमार सिख युवक का रोल कर रहे है। सामान्य तौर पर बॉलीवुड फिल्मों के दर्शकों ने सिख किरदार को बतौर हीरो स्वीकार किया है। ग़दर-एक प्रेमकथा से लेकर सिंह इज़ किंग तक सिख हीरो वाली फ़िल्में इसका प्रमाण हैं। अक्षय कुमार एक बार फिर निर्देशक प्रभुदेवा के निर्देशन में काम करेंगे। इन दोनों की जोड़ी वाली २०१२ में रिलीज़ फिल्म राउडी राठौर को बड़ी सफलता मिली थी। इसका मतलब हुआ सोने पर सुहागा। अक्षय कुमार 'सिंह इज़ ब्लिंग' में सिख किरदार प्रभुदेवा के निर्देशन में कर रहे हैं। यानि, 'सिंह इज़ ब्लिंग' को बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त ब्लिंग करना है !
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ये ल्लों !!!
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