इस बार, ओह माय गॉड जैसी उत्कृष्ट हास्य फिल्म
बनाने वाले उमेश शुक्ल दो बूढ़े किरदारों पर केन्द्रित हास्य फिल्म १०२- नॉट आउट
लेकर आ रहे है। इस फिल्म के दो बूढ़े किरदारों को परदे पर अमिताभ बच्चन और ऋषि
कपूर कर रहे हैं। फिल्म में यह दोनों पिता-पुत्र की भूमिका में हैं। अमिताभ बच्चन
१०२ साल के बूढ़े हैं,
जो १६ साल और
जीना चाहते हैं,
ताकि एक चीनी
के सबसे ज्यादा उम्र के बूढ़े का खिताब छीन सके। ऋषि कपूर उनके ७५ साल के बूढ़े
बेटे हैं। अमिताभ बच्चन बेटे बने ऋषि कपूर को ओल्ड स्कूल मानते हैं, जो मस्त ज़िन्दगी नहीं जी रहा। क्या बूढ़े
किरदारों में सिमटी इस फिल्म को आज की युवा पीढ़ी पसंद करेगी ?
सारांश के रिटायर स्कूल मास्टर अनुपम खेर
महेश भट्ट की
फिल्म सारांश में,
उस समय २८
साल के अनुपम खेर ने ६० साल के रिटायर्ड स्कूल मास्टर प्रधान की भूमिका की थी।
प्रधान और उसकी बूढी पत्नी (रोहिणी हट्टंगड़ी) बेटे की आकस्मिक मौत के कारण टूट चुके हैं। उन्हें अपने
बेटे के बिना जीवन बेकार नज़र आता है। दोनों मरने की असफल कोशिश भी करते हैं। तभी
उन दोनों को एक शक्तिशाली नेता के गुंडों से भिड़ना पड़ता है, जो एक लड़की को मार डालना चाहते हैं। इस
फिल्म ने अनुपम खेर को न केवल पुरस्कार दिलवाए, बल्कि वह अपने प्रभावशाली अभिनय के कारण हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में
स्थापित हो गए। ऎसी है बूढ़े किरदारों की बॉक्स ऑफिस पर ताकत !
बॉलीवुड ने
बूढ़े किरदारों पर केन्द्रित फ़िल्में बहुत कम बनाई हैं। पारिवारिक फिल्मों के दौर
में परिवार के हिस्से के रूप में बूढ़े किरदार हुआ करते थे। लेकिन, सिर्फ बूढों पर केन्द्रित फ़िल्में बहुत
कम बनी है। बूढों की समस्या, उनके मनोविज्ञान को समझ पाना आसान नहीं होता। उससे ज्यादा कठिन होता
है, बूढ़े किरदारों पर फिल्म के मनोविज्ञान को
सटीक तरह से परदे पर उतारना। इसके बावजूद बूढ़े किरदारों पर केन्द्रित फ़िल्में
बनी- कुछ कॉमेडी,
कुछ रोमांटिक
कॉमेडी, कुछ सीरियस और कुछ सामाजिक समस्यामूलक। आइये एक नज़र डालते हैं, ऎसी ही कुछ फिल्मों पर-
कपूर एंड संस - शकुन बत्रा निर्देशित इस फिल्म की कहानी बूढ़े दादा जी और उनके दो पोतों की व्यवसायिक दुश्मनी की थी। दादाजी अपने पोतों के इस रवैये से बेहद दुखी रहा करते थे। इस फिल्म में ऋषि कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा और फव्वाद खान ने दादाजी और दो पोतों की भूमिका की थी। कॉमेडी जॉनर की इस फिल्म को बढ़िया संगीत के कारण सफलता मिली थी।
बागबान-
निर्देशक रवि चोपड़ा की फिल्म बागबान बैंक से रिटायर मैनेजर की कहानी थी, जो अपनी सारी कमाई अपने बच्चों पर खर्च कर
देता है। लेकिन,
अच्छी तरह
कमा खा रहे लडके,
अपनी औरतों
के कहने पर बैंक मेनेजर और उसकी बीवी को अलग कर देते हैं। इस फिल्म में अमिताभ
बच्चन और हेमा मालिनी के मुख्य किरदारों के साथ परेश रावल और लिलेट दुबे की अहम्
भूमिका थी। किसी भी व्यक्ति को अपने जीवन की पूरी कमाई अपने बच्चों पर खर्च कर
देने के बजाय खुद के भविष्य के लिए बचाए रखनी चाहिए, का सन्देश देने वाली इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया था।
शौक़ीन/द
शौकींस - अक्षय कुमार और लिसा हैडन की रोमांटिक भूमिका वाली तीन लम्पट बूढों अनुपम
खेर, अन्नू कपूर और पियूष मिश्र की एक मॉडल को
पटाने की कोशिश की कहानी वाली फिल्म द शौक़ीन, बासु चटर्जी की, १९८२ में रिलीज़ कॉमेडी फिल्म शौक़ीन का रीमेक थी। १९८२ में मिथुन
चक्रवर्ती और रति अग्निहोत्री की रोमांटिक जोडी थी। फिल्म में अशोक कुमार, उत्पल दत्त और एके हंगल के किरदार रति
अग्निहोत्री को पटाने की फिराक में रहते हैं। अक्षय कुमार वाली द शौकींस बॉक्स
ऑफिस पर फ्लॉप हुई थी।
शरारत -
अभिषेक बच्चन की एक उद्योगपति के बिगडैल बेटे की भूमिका वाली गुरुदेव भल्ला की
बतौर डायरेक्टर डेब्यू फिल्म शरारत में, राहुल खन्ना (अभिषेक बच्चन) को ट्रैफिक लाइट के साथ छेड़छाड़ कर कई
दुर्घटनाये करवाने के आरोप में सज़ा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस की सज़ा दी
जाती है। उसे एक ओल्ड ऐज होम में कुछ बूढों की देखभाल करने की सज़ा दी जाती। इस
सज़ा के बाद राहुल खन्ना में भारी परिवर्तन हो जाता है। इस फिल्म में बूढों की
भूमिका अमरीश पूरी,
हेलेन, एके हंगल, टीनू आनंद,
दारा सिंह, डेज़ी ईरानी, शुभा खोटे, विजू खोटे,
आदि ने निभाई
थी।
लाइफ इन
अ....मेट्रो- अनुराग बासु ने साया, मर्डर और गैंगस्टर जैसी थ्रिलर फिल्मों के निर्माण के बाद मेट्रो
शहरों की ज़िन्दगी को उकेरने वाली फिल्म लाइफ इन अ..मेट्रो का निर्माण किया था। इस
फिल्म में भिन्न सामजिक वर्ग के लोगों की कहानी थी। इनमे से एक उम्रदराज़ जोड़ा
अमोल और शिवानी का भी था। सत्तर साल का अमोल अपने ४० साल पहले के प्यार शिवानी के
साथ बाकी समय गुजरने के लिए वापस मुंबई आता है। इस फिल्म में अमोल और शिवानी की
भूमिका धर्मेन्द्र और नफीसा अली ने की थी. इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता
मिली थी।
चीनी कम - आर
बल्कि की फिल्म चीनी कम एक बूढ़े शेफ के एक कम उम्र लड़की से रोमांस और शादी की
दिलचस्प कहानी थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने शेफ, तबू ने उसकी प्रेमिका और परेश रावल ने
तब्बू के पिता की भूमिका की थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और परेश रावल के बीच
बहुत दिलचस्प नोकझोंक वाले दृश्य और संवाद थे। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल
हुई थी।
लीला- निर्देशक सोमनाथ सेन की फिल्म लीला (डिंपल कपाडिया) एक कवि की प्रोफेसर पत्नी की कहानी है, जो अपने पति की महिलाओं के बीच भारी लोकप्रियता का खामियाजा पति की उपेक्षा के रूप में पाती है । इसी कुंठा के बीच जी रही लीला को एक व्याख्यान के सिलसिले में कैलिफ़ोर्निया जाना पड़ता है । वहां उसे एक युवा मिलता है । वह लीला को उसकी कुंठा से उबारने की सफल कोशिश करता है । लीला उस युवा कृष (अमोल म्हात्रे) को प्रेम करने लगती है । हालाँकि, इस फिल्म की गर्मागर्म चर्चा, डिंपल कपाडिया और अमोल म्हात्रे के कामुक रोमांस के कारण हुई । लेकिन, यह फिल्म एक उपेक्षित अधेड़ महिला की कुंठा का बढ़िया चित्रण कराती थी ।
दिल चाहता
है- फरहान अख्तर की बतौर निर्देशक पहली फिल्म दिल चाहता है तीन दोस्तों की दोस्ती की कहानी थी। फिल्म में तीन दोस्त आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना बने थे। यह
तीनो किरदार रोमांस में डूबे किरदार थे। लेकिन, इन तीनों में ख़ास रोमांस था अक्षय खन्ना का, जो एक बड़ी उम्र की तलाक़शुदा और शराबिन
औरत (डिंपल कपाडिया) के प्रेम में पड़ जाता है। हालाँकि, फिल्म की पूरी कहानी इस रोमांस के इर्दगिर्द नहीं घूमती। लेकिन, यह रोमांस तीन दोस्तों की दोस्ती और जीवन
में क्रांतिकारी परिवर्तन लाता है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल रही थी।
शीरीं फरहाद
की तो निकल पड़ी - निर्देशक बेला भंसाली सहगल की यह फिल्म एक अधेड़ जोड़े के रोमांस
की कहानी थी। रोमांटिक कॉमेडी जॉनर की इस
फिल्म में अधेड़ जोड़े फराह खान और बोमन ईरानी बने थे। हालाँकि, यह फिल्म दर्शकों पर अपना
प्रभाव छोड़ पाने में असफल हुई थी। लेकिन, इस फिल्म के ज़रिये, लेखक संजय लीला भंसाली ने अधेड़ उम्र के
रोमांस को दिखाने का अनोखा साहस किया था।
फिल्म में डेज़ी ईरानी और शम्मी जैसी वरिष्ठ कलाकार भी महत्वपूर्ण भूमिका में थे।
हनीमून ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड- रीमा कागती की इस फिल्म में, हनीमून मनाने को निकले युवा जोड़ों के बीच बोमन ईरानी और शबाना आजमी की अधेड़ जोड़ी भी हनीमून मनाने निकली है। इन दोनों का यह दूसरा हनीमून है। यह दोनों किरदार, साथ के युवा जोड़ो के मज़ाक का केंद्र बन जाते हैं। लेकिन, यह दोनों इन फब्तियों से विचलित हुए बिना, खुद की झिझक को दूर करते है और सामान्य जीवन की ओर अपना कदम बढाते हैं ।
प्यार में
ट्विस्ट - रोहित शेट्टी के भाई ह्रदय
शेट्टी की रोमकॉम फिल्म प्यार में ट्विस्ट खालिस हिंदी फिल्मों के अंदाज़ में बनाई
गई फिल्म थी। अधेड़ यश खुराना और उसी की हम
उम्र शीतल का जब तब टकराव और नोक झोंक होती रहती है, जो अंततः प्यार में बदल जाती है।
इसमें ऐसा कुछ नहीं था, जो दर्शनीय हो,
सिवाय ऋषि
कपूर और डिंपल कपाडिया की बॉबी और सागर जोड़ी के।
दर्शकों की पसंद बूढ़े किरदार !
बूढ़े
किरदारों पर फ़िल्में,
युवा दर्शकों
द्वारा भी पसंद की जाती हैं। बशर्ते कि उनमे मनोरंजन भरपूर हो। यही कारण है कि
बूढ़े किरदारों पर बनी कॉमेडी फिल्मों को
ज्यादा सफलता मिली। यह सिलसिला अभी जारी है। नसीरुद्दीन शाह की मुख्य भूमिका वाली
फिल्म होप और हम श्रीवास्तव परिवार के इर्दगिर्द घूमती है, जो अपने सबसे उम्रदराज़ सदस्य की सनक भरी
आदतों से प्रभावित होता रहता है। नागेश (नसीरुद्दीन शाह) को पुरानी कॉपीइंग मशीन
मिस्टर सनेक्कन का जूनून सवार है। यह फिल्म पुराने और नए मूल्यों के टकराव, भिन्न जनरेशन के विचारों और आइडियलस को
दर्शाने वाली है। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर विज्ञापन फिल्म निर्माता सुदीप
बंदोपाध्याय ने किया है। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह के साथ सोनाली कुलकर्णी, कबीर साजिद, नवीन कस्तूरिया और आमिर बशीर जैसे मंझे कलाकारों ने अभिनय किया है।
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