Thursday 5 September 2019

शिक्षक दिवस पर



रिशिना कंधारी- मेरा मानना ​​है कि सुधीर पांडे सर और सुलभा आर्या मेरे लिए चलता फ़िरता संस्थान हैं। वे हमें थिएटर, फिल्म और टीवी उद्योग में अपने 30+ वर्षों के अनुभव से बहुत सी कहानियाँ सुनाते रहते हैं। हर कहानी, जो वे हमें बताते हैं, उनसे कुछ नया सीखने को मिलता है। मुझे उन सभी का अवलोकन करना बहुत पसंद है। अपने नियमित शूटिंग के दौरान मैं किरन कर्माकर सर का सूक्ष्मता से निरीक्षण करती हूं, जिससे मुझे अपने अभिनय कौशल को सुधारने और रीटेक को कम करने में मदद मिलती है। यहां तक ​​कि जब भी मैं कहीं भी फंसती हूं, तो स्वाति शाह दी अपनी सलाह साझा करके मेरी बहुत मदद करती हैं। ऐसे वरिष्ठ अभिनेताओं के साथ काम करना बहुत अच्छी सीख है।

सिमरन परीन्जा- किरण कर्माकर सर के बारे में सबसे अच्छी बात जो मैं स्वीकार करती हूं, वह यह है कि जब एक से अधिक रिटेक देने की बात आती है, तो वह आलस नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि मैं ही वह हूं जो कई बार रीटेक करने पर आलसी हो जाती है, लेकिन किरण सर इसे कभी भी उबाऊ काम नहीं मानते। इसके बजाय वह फिर से अधिक इम्प्रोवाइजेशन और समान ऊर्जा के साथ प्रदर्शन करते है। इसके अलावा, मैं उनके रचनात्मक विचारों और धाराप्रवाह उच्चारण के लिए उनकी प्रशंसा करती हूं, जो वह शूटिंग के दौरान उपयोग करते हैं। इसके अलावा, स्वाति मैम मेरी माँ की तरह है। वह अपनी बेटी की तरह मेरा मार्गदर्शन करती हैं। कुछ दिनों पहले मैं अस्वस्थ थी और सूरज थापर सर जो मेरे पिता का किरदार निभा रहे हैं, उन्होंने सेट पर डॉक्टर को बुलाया। सभी ने मेरा ध्यान रखा और मैम ने बीमार होने पर अपना ध्यान रखने के लिए मुझे अच्छी तरह से समझाया। 

मुदित नायर- जब भी मैं सुधीर पांडे सर और किरण कर्माकर सर के साथ एक सीन कर रहा होता हूं, मैं उनके प्रदर्शन को देखता हूं। वे दोनों बेहद प्रतिभाशाली हैं और अपनी कला पर उनका बेहतरीन नियंत्रण है। मैं वास्तव में अभिनय प्रेरणा के लिए उन दोनों को देखता हूं। किरण सर मुझे अक्सर छोटे सुझाव और प्रतिक्रिया देते हैं, जो मुझे मेरे दृश्यों को सुधारने में मदद करता है। मैं और सुधीर सर अक्सर अभिनय, उनकी तकनीकों और किसी विशेष दृश्य के प्रति दृष्टिकोण आदि के बारे में चर्चा करते हैं। मुझे लगता है कि मैं एक बेहतरीन समय बिता रहा हूं क्योंकि मैं उद्योग में सर्वश्रेष्ठ काम कर रहा हूं और सीख रहा हूं। इसके अलावा, सुलभ मैम बेहद विनम्र, और सहज कलाकार हैं। वह मेरे जन्म से पहले से अभिनय कर रही है। तो फिर से उसके साथ काम करना एक सम्मान की बात है। इन सभी वरिष्ठ अभिनेताओं- सुधीर पांडे सर, सुलभा आर्या, मैं और मेरे साथ काम करने वाले अन्य लोग स्वयं में अभिनय विद्यालय हैं और मुझे लगता है कि जैसे मैं अपना जीवन जी रहा हूं।

Esha Gupta felicitated with Green Crusader Award by Bhamla Foundation



An ardent environmentalist, Esha Gupta is a voice synonymous with conservation of earth. The gorgeous actress has often expressed concerns on the alarming issues of the environment and made sure to have them relayed to local authorities. A huge believer of sustainable development, Esha has passionately helmed the cause of going green, much before it became cool to do so.


The stunner has been the face of various earth conservation activities like recycling, waste management, beach cleaning, preservation of green cover and saving mangroves. In view of Esha's sizeable contribution to the environment, Bhamla Foundation has presented her with Green Crusader Award. Known for its involvement in social and environmental issues, the foundation also felicitated Esha for her involvement in green activitism.

Esha says "Such awards give us motivation n reminder of how much more our planet needs us. But always gives me courage to not stop fighting for our home. Protecting Mother Nature isn’t about a nation. It’s our duty to protect our planet as human beings if we want our kids to have the same. In fact, a better future than what we have had. And that is only possible if we don’t make it political but humanitarian. "I have always spoken for the once who can’t speak for themselves. I believe it’s still not that late to save our planet earth if we work together" says Esha

कॉलेज की दोस्ती के छिछोरे


नितेश तिवारी की फिल्म छिछोरे, ठेठ बॉलीवुड फिल्म लगती है। कॉलेज के सात दोस्त, इनमे से एक लड़की। लड़की भी ऎसी कि पूरा कॉलेज उसका दीवाना है। लेकिन उसका प्यार होता है एक शर्मीले लडके से। फिल्म में कॉलेज के छात्रों के बीच की दोस्ती, प्यार, तकरार, लड़ाई-झगड़ा और सुलह सफाई का माहौल देखने को मिलता है। ट्रेलर से कॉलेज के दोस्तों पर छिछोरे में नयापन नहीं लगता। ऐसा नयापन, जो फिल्म को हिट बना सके।

किताबी ज्ञान के खिलाफ ३ इडियट्स
राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों पर थी। इस फिल्म ठेठ कॉलेज के माहौल था। लेकिन, फिल्म की ख़ास चीज थी, इंजीनियरिंग शिक्षा के किताबी ज्ञान होने की खिलाफत का जज़्बा । रेंचो के करैक्टर के माध्यम से जुगाड़ को किताबी शिक्षा से ज्यादा महत्त्व दिया गया था। हास्य-व्यंग्य के प्रभाव के कारण फिल्म काफी प्रभावशाली बन पड़ी थी।

कॉलेज रोमांस की फ़िल्में
वैसे कॉलेज के छात्रों पर बनी ज़्यादातर फ़िल्में कॉलेज रोमांस को उभारने वाली फ़िल्में थी। अब चाहे वह करण जौहर की फिल्म कुछ कुछ होता है हो या हालिया रिलीज़ शाहिद कपूर और किअरा अडवाणी की कॉलेज रोमांस फिल्म कबीर सिंह। इन फिल्मों में थोड़े बहुत बदलाव के साथ रोमांस उभर कर आता था। ऎसी फिल्मों में जाने तू या जाने ना, फालतू, यारियां, स्टूडेंट ऑफ़ द इयर १ और २ जैसी कई फिल्मों के नाम शामिल किये जा सकते हैं।

कॉलेज की राजनीति
कॉलेज की छात्र राजनीति दर्शाने वाली फिल्मों की भी कोई कमी नहीं। गुलजार निर्देशित फिल्म मेरे अपने में, कॉलेज के छात्रों की राजनीति और टकराव के बाद उपजी हिंसा का बेहतरीन प्रदर्शन किया गया था। गुलाल, दिल दोस्ती एटसेट्रा, मणि रत्नम की फिल्म युवा, आरक्षण, हासिल, आदि फिल्मों में भी छात्र राजनीति का हिंसक चित्रण होता था। रंग दे बसंती के छात्र भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ खड़े होते थे। फुकरे के कॉलेज के लडके आसान पैसे कमाने के लिए गलत रास्ता चुनते हैं और डॉन के चक्कर में फंस जाते है।

छिछोरे मे नया क्या ?
उपरोक्त फिल्मों से अलग, कॉलेज छात्रों की दिल-दोस्ती का चित्रण करने वाली फिल्म छिछोरे में ऐसा क्या है कि दर्शक इस फिल्म को देखने सिनेमाघरों तक पहुंचे ? नेट पर उपलब्ध फिल्म की कहानी की जानकारी पर विश्वास करें कि सात दोस्त, जो देश-विदेश के अलग अलग हिस्सों में रहते हैं, अपने कॉलेज के दो दोस्त सुशांत सिंह राजपूत और श्रद्दा कपूर के बच्चे को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। क्या कॉलेज के छात्रों का यह जज्बा दर्शकों को प्रभावित कर सकेगा ?  

Article 15 के बाद जातपात को सनसनी बनाती प से Pyaar फ से Faraar


घुँघरू टूट गए - फिल्म WAR