Tuesday 28 January 2020

This Indian Army Day, Hear the real life stories of India’s true heroes on “Yoddha”


The audio series discusses the real life battles of soldiers who have fought and given their lives in service of the country
Until the independence of India, the head of Indian Army used to be the British. Army Day is observed on 15 January every year in India, in recognition of Field Marshal K.M. Cariappa's taking over as the first Commander-in-Chief of the Indian Army from General Sir Francis Butcher on 15 January 1949.
Keeping the pride of India and it’s glorious army in mind, Yoddha is a 30-episode series from Audible Suno created and performed by Neelesh Misra. This series celebrates the bravery of the Indian Armed Forces, chronicling soldiers’ fierce sense of duty against impossible odds. The stories also reveal their personal lives and sacrifice and the courage of their family members.
Some of the stories mentioned are:
Black Tornado
This is the story of the 2008 Mumbai attacks and of Sandeep Unnikrishnan, an officer in the Indian Army serving in the elite Special Action Group of the National Security Guards. He was martyred in action during the attacks. He was consequently awarded the Ashoka Chakra, India's highest peacetime gallantry award, on 26 January 2009.
Ghaatak:
This is the story of Subedar Major Yogendra Singh Yadav, a Junior Commissioned Officer (JCO) of the Indian Army, who was awarded the highest Indian military honor, the Param Vir Chakra for his bravery during the Kargil War. He was part of the leading team of Ghaatak Platoon, tasked to capture Tiger Hill on 4 July 1999. Aged 19 when he received the decoration, he is recorded as the youngest person to ever be awarded the Param Vir Chakra.
Turup ka Ekka:
This is the story of Lance Naik Albert Ekka, who was a soldier in the Indian Army. He was martyred in action in the Battle of Hilli, during the Indo-Pakistan War of 1971. He was posthumously awarded the Param Vir Chakra, India's highest award for valour in the face of the enemy. His commanding officer called him "Turup Ka Ikka/Ekka", meaning Ace of Trump card.
Belated Parcel:
This is the story of Major Satish Dahiya, a young officer from 30 Rashtriya Rifles who died fighting the militants in Kupwara's Handwara area, but not before killing Abu Darda, a top Lashkar commander. Two more militants were killed in the subsequent gunfight. Major Dahiya, who hailed from Haryana, is survived by his wife and their two-and-a half-year-old daughter. Majors wife received a surprise parcel sent by her husband on the unfortunate day of his death, which was Valentine’s, 14th February.

Monday 27 January 2020

Grammy Awards में Ralph and Russo गाउन में Hot Priyanka Chopra












Sunday 26 January 2020

मिशन मंगल के Jagan Shakti की दशा गंभीर, हॉस्पिटल में भर्ती



पिछले साल, स्वतंत्रता दिवस वीकेंड पर रिलीज़ अक्षय कुमार की फिल्म मिशन मंगल के निर्देशक जगन शक्ति को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. उनकी दशा गंभीर बताई जा रही है. खबर है कि उनके दिमाग में थक्का पाया गया है. जगन शक्ति की पहली फिल्म थी मिशन मंगल. भारत के मंगल पर भेजे गए यान पर फिल्म मिशन मंगल को २०१९ की बड़ी हिट फिल्मों में शुमार किया जाता है. इस फिल्म में अक्षय कुमार के अलावा विद्या बालन, सोनाक्षी सिन्हा, शर्मन जोशी, तपसी पन्नू और कीर्ति कुल्हारी भी थे. जगन शक्ति ने, आर बाल्की की फिल्म चीनी कम में सह निर्देशक के तौर पर काम किया था. मिशन मंगल की सफलता के बाद, वह अक्षय कुमार के साथ दूसरी फिल्म पर भी काम कर रहे थे. यह फिल्म, तेलुगु हिट फिल्म कथ्थी की हिंदी रीमेक है. इसका नाम इक्का रखे जाने की खबर भी थी. ईश्वर जगन शक्ति को ज़ल्द स्वस्थ करे ताकि हिंदी फिल्म दर्शक उनसे कुछ अच्छी हिंदी फ़िल्में देख सके.

कुछ बॉलीवुड की २६ जनवरी २०२०


राजकुमार हिरानी फिल्म में दो खान !
लम्बे समय सेशाहरुख़ खान की अगली फिल्म की चर्चा हो रही थी। जीरो के बादशाहरुख़ खान सुषुप्तावस्था में चले गए थे। वह डिजिटल सीरीज तो बना रहे थेलेकिन किसी नई फिल्म को हाँ नहीं कर रहे थे। हालाँकिइस बीच कई निर्देशकों की फिल्मों के नाम सामने आये। बताया जा रहा है कि अब शाहरुख़ खान ने राजकुमार हिरानी की फिल्म में काम करने को मंजूरी दे दी है। इस फिल्म में शाहरुख़ खान की जोड़ी करीना कपूर खान के साथ बन रही है। अगर ऐसा होता है तो यह दो खान यानि करीना और शाहरुख़ ९ साल बाद कोई फिल्म साथ करेंगे।  इन दोनों की पिछली फिल्म रा.वन थी। इस फिल्म के बादशाहरुख़ खान और करीना कपूर की जोड़ी नज़र नही आई।  हालाँकिशाहरुख़ खान की कुछ फिल्मों के नाम के साथ करीना कपूर का नाम जुड़ा। २०१७ मेंखबर थी कि आनंद एल राय अपनी फिल्म में शाहरुख़ खान की जोड़ीदार करीना कपूर को बनाना चाहते हैं। लेकिनकरीना कपूर ने फिल्म को इंकार कर दिया। शायद यह फिल्म जीरो थी। इस फिल्म के बादकरीना कपूर का नाम सैल्यूट के लिए भी सामने आया।  ऑस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा के जीवन पर इस फिल्म में करीना कपूर को राकेश शर्मा की रील लाइफ पत्नी की भूमिका करनी थी। करीना को यह भूमिकाआमिर खान के फिल्म से निकल जाने और शाहरुख़ खान द्वारा प्रियंका चोपड़ा के साथ काम करने से इंकार कर देने के बाद मिली थी। यह संयोग ही था कि जीरो की असफलता के बादसल्यूट भी बंद कर दी गई। राजकुमार हिरानी की दोनों खान वाली फिल्म का टाइटलकहानी और दूसरे कलाकारों के बारे में अभी जानकारी नहीं दी गई है।

भंसाली की गंगूबाई नहीं गायेगी गीत !
संजय लीला भंसाली की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी का फर्स्ट लुक जारी कर दिए गए हैं। इन दो फर्स्ट लुक पोस्टरों में आलिया भट्ट गंगूबाई की भूमिका में नज़र आ रही हैं। यह फिल्म काठियावाड़ की गंगूबाई की हैजो कमाठीपुरा के कोठों की संरक्षिका थी। कभीवह एक गैंगस्टर थी। लेकिनकमाठीपुरा के कोठों में ज़बरदस्ती लाई जाने वाली औरतों की दशा देख करउसने उन्हें संरक्षण देने का फैसला किया। एक समयमुंबई के कोठों में कोई भी लड़की ज़बरदस्ती नहीं बैठाई जा सकती थी। आलिया भट्टइसी गंगूबाई की भूमिका कर रही हैं। संजय लीला भंसाली की फिल्मों की खासियत इसके भव्य सेट्स और मधुर संगीत होते हैं।  ख़ामोशी द म्यूजिकल से लेकर पद्मावत तक फ़िल्में इसका प्रमाण हैं। गंगूबाई काठियावाड़ी में भी गीत हैं। कोठों और तवायफों की कहानी हैतो गीत संगीत तो लाजिमी हैं। लेकिनइन तमाम गीतों की खासियत यह है कि इनमे से कोई भी गीत आलिया भट्ट ने नहीं गाया है। बेशकइन गीतों के फ्रेम में आलिया भट्ट होगीलेकिन यह सभी गीत पार्श्व में बज रहे होंगे। यानि यह गीत गंगूबाई के मनोभावों को दर्शाने वाले होंगे। बताते हैं कि ब्लैक के बादगंगूबाई काठियावाड़ी भीसंजय लीला भंसाली की रीयलिस्टिक फिल्म है। संजय लीला भंसाली ने फिल्म को वास्तविकता के करीब लाने के लिए उस समय के  सेट्स के अलावा परिधानों पर भी काफी ध्यान दिया है।  गंगूबाई के वस्त्र काफी साधारण किस्म में किरदार के अनुरूप होंगे। ज़ाहिर है कि आलिया भट्ट के लिए ग्लैमरस दिखने का कोई मौक़ा नही होगा। इस फिल्म को सिंक तकनीक से शूट किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि शूटिंग के दौरान जो संवाद बोले जायेगेवह डब नहीं किये जाएंगे। इसलिए आलिया भट्ट को अपनी संवाद अदायगी परफेक्ट रखनी होगी। गंगूबाई काठियावाड़ी ११ सितम्बर को प्रदर्शित होगी। आलिया भट्ट के एक अन्य फिल्म रणबीर कपूर के साथ ब्रह्मास्त्र भी इसी साल रिलीज़ होनी है। 
अलाया एफ में शाहरुख़ खान जैसी एनर्जी
सैफ अली खान३१ जनवरी को रिलीज़ हो रही फिल्म जवानी जानेमन में में एक पिता की भूमिका में नज़र आने वाले हैं। यह भूमिकासैफ की उम्र और उनकी इमेज के लिहाज़ से काफी उपयुक्त है।नितिन कक्कड़ निर्देशित इस दिलचस्प पारिवारिक ड्रामा फिल्म से पूजा बेदी की बेटी अलाया एफ बॉलीवुड में अपनी एंट्री कर रही है। वह इस फिल्म में सैफ अली खान की बेटी की भूमिका कर रही हैं। इस फिल्म के जारी ट्रेलर से सैफ और अलाया की केमिस्ट्री खूब लगती है। सैफ अली खानफिल्म में अपनी युवा सह अभिनेत्री अलाया से काफी प्रभावित हैं। वह कहते हैं, "अलाया ने इस फिल्म को सबसे आसान और स्पेशल बना दिया। मैंने शाहरुख खान के साथ काम किया है। वह  बहुत ही अमेजिंग था। अलाया में भी वही एनर्जी है । हमने कई बड़े सीन्स एक बार में ही कर लिए और उसे कोई परेशानी नहीं हुई। यह अविश्वसनीय था।अलाया ऍफ़ यानि अलाया फ़र्नीचरवालासंदोकान अभिनेता कबीर बेदी की नातिन हैं। कबीर बेदी को जितनी प्रसिद्धि विदेश में मिलीउतनी बॉलीवुड में नहीं मिली। हलचलहथकड़ीकच्चे धागेमंज़िलें और भी हैं और नागिन जैसी फिल्मों के खूबसूरत अभिनेता कबीर बेदी कीराकेश रोशन की फिल्म खून भरी मांग की नकारात्मक भूमिका से शुरुआत काफी सफल रही। इस लिहाज़ सेउनकी सोशलाइट प्रोतिमा बेदी से बेटी पूजा बेदी को सफलता नहीं मिली। पूजा बेदी ने आमिर खान की फिल्म जो जीता वह सिकंदर में मर्लिन मोनरो की तरह हवा में स्कर्ट लहरा कर हलचल तो मचाई। लेकिनबतौर नायिका पहली फिल्म विषकन्या में तमाम अंग प्रदर्शन के बावजूद दर्शकों को निराश किया। इसके बादलूटेरेफिर तेरी कहानी याद आई और आतंक ही आतंक के बादपूजा बेदी गुमनामी में गुम हो गई। अब  भविष्य बताएगा कि सैफ द्वारा शाहरुख़  खान की एनर्जी वाली अभिनेत्री बताई जाने वाली अलाया एफ बॉलीवुड में क्या गुल खिलाती है !
क्या भारत में दर्शक पायेगी पाकिस्तान की गुल मकई ?
पाकिस्तानी बच्चियों की पढ़ाई और महिला स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाली मलाला यूसफजाई के जीवन संघर्ष पर फिल्म गुल मकई ३१ जनवरी को रिलीज़ हो रही है । यूनाइटेड नेशन्स एजेंसी के गुडविल एम्बेसडर अमजद खान की लिखी और निर्देशित यह फिल्म पाकिस्तान में रिलीज़ होने से रोक दी गई है । भारत में यह फिल्म एक साल से ज्यादा की देरी के बाद प्रदर्शित हो रही है । क्या नोबल पुरस्कार विजेता मलाला पर यह फिल्म भारतीय दर्शकों को आकर्षित कर पायेगी ? गुल मकई के खिलाफ तीन बाते जाती हैं । पहली बात तो यह कि तानाजी द अनसंग वारियर के बाद, डांस का धमाल स्ट्रीट डांसर ३डी और कबड्डी का पंगा बॉक्स ऑफिस पर छाया होगा । दूसरी बात, नोबल पुरस्कार प्राप्त मलाला ने पिछले साल कश्मीर के हालातों पर ट्वीट किया कि कश्मीर में लड़कियाँ घर से बाहर निकलने में डरती हैं। उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स से भी हस्तक्षेप की अपील की । इससे मलाल भारत में छपाक की दीपिका पादुकोण की तरह अलोकप्रिय हो चुकी हैं । तीसरी महत्वपूर्ण बात यह कि गुल मकई को ३१ जनवरी को बॉक्स ऑफिस पर हैप्पी हार्डी एंड हीर, पागलेआज़म, जवानी जानेमन और यहाँ सभी ज्ञानी हैं के साथ पंचकोणीय मुकाबले का सामना करना है । गुल मकई के लिए खास तौर पर खतरा साबित होंगी दो फ़िल्में हिमेश रेशमिया की म्यूजिकल रोमांस फिल्म हैप्पी हार्डी एंड हीर तथा सैफ अली खान की कॉमेडी फिल्म जवानी जानेमन ! यह दोनों ही फ़िल्में हलकी फुलकी और हास्य रोमांस से भरपूर फिल्म हैं । जबकि, गुल मकई कमोबेश काफी सुस्त, दुःख और विषाद से भरपूर फिल्म होगी । ऐसे में गुल मकई को अगर दूसरी छपाक कह दिया जाए तो गलत नहीं होगा ।
एमजीआर बने रोजा बॉय अरविन्द स्वामी
तमिलनाडू के भूतपूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एम जी रामचंद्रन (एमजीआरके १०३वे जन्मदिवस पर हिंदी सहित तीन भाषाओं में बनाई जा रही फिल्म थालावी का एमजीआर लुक जारी किया गया। इस फिल्म में तमिल सिनेमा के अभिनेता अरविन्द स्वामी एमजीआर की भूमिका में नजर आने वाले हैं । थालैवी के फर्स्ट लुक में अरविन्द स्वामी ही एमजीआर लुक में है। अरविंद का यह लुक इस फिल्म का इंतज़ार कर रहे दर्शकों को बेहद पसंद आ रहा है । कुछ समय पहले फिल्म से कंगना रनौत के जयललिता लुक को जारी किया गया थाजिसे भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया था और उनके लुक की काफी चर्चा भी हुई थी। अब एक बार फिर से अरविन्द स्वामी के लुक ने तहलका मचा दिया है । बता दें कि फिल्म थालैवी जयललिता की जिंदगी के कई अहम पन्नों को दर्शाएगी । इन पन्नों में एमजीआर का किरदार महत्वपूर्ण है । जयललिता के स्टारडम और उनकी  जिंदगी में एम जी आर की क्या भूमिका रही हैयह बात जगजाहिर है। ऐसे में किसी भी ऐसे एक्टर को कास्ट करना जो कि किरदार में फिट न बैठे सही नहीं था। यही वजह है कि अरविंद स्वामी का चुनाव किया गया है। अरविंद स्वामी ने रोजा और बॉम्बे जैसी फिल्मों में अभिनय से हिंदी दर्शकों का दिल जीता है। थालावी से एक बार फिर से वह हिंदी सिनेमा में प्रवेश करेंगे। इस फिल्म का निर्माण विष्णु वर्धन इंदूरी और शैलेश आर सिंह कर रहे हैं । फिल्म के निर्देशक एएल विजय हैं । थालावी इस २६ जून को रिलीज होगी ।
हैप्पी और हार्डी के किरदार में हिमेश रेशमिया की वापसी
कभी हिमेश रेशमिया के संगीत की तूती बोला करती थी । सलमान खान की फिल्मों में उनका संगीत अनिवार्य हुआ करता था । फिर हिमेश को एक्टिंग का चस्का लगा । पहली फिल्म आप का सुरूर (२००७) हिट साबित हुई । हिमेश को लगा कि वह गरीब प्रोडूसरों के शाहरुख़ खान बन सकते हैं । सो फिल्म संगीत देने या पार्श्व गायन करने के बजायबतौर एक्टर दनादन फ़िल्में करनी शुरू कर दी । नतीजे के तौर पर उनकी पूरी गाडी डिरेल हो गई । क़र्ज़रेडियोकज़रारे और दमादम एक एक बाद एक फ्लॉप हो गई । खिलाड़ी ७८६ में वह अक्षय कुमार के साथ सह नायक थे । फिरद एक्स्पोज और तेरा सुरूर भी फ्लॉप हो गई । तेरा सुरूर २०१६ में रिलीज़ हुई थी । इसके बादउनके अभिनेताफिल्म निर्माताकहानीकार और कंपोजर सदमे में चला गया । इसके बादउन्होंने इक्का दुक्का गीत ही गाये । अबहिमेश रेशमिया की एक बार फिर वापसी होने जा रही हैं । उनकी यह वापसी बतौर अभिनेताफिल्म निर्मातासंगीतकारगायक और लेखक वापसी होने जा रही है । वह राका के निर्देशन में फिल्म में इन सभी भूमिकाओं में होंगे । वह फिल्म में एक नहीं दो भूमिकाये करेंगे । इसमे से एक में हिमेश का सिख किरदार होगा । फिल्म में उनकी दो नायिकाएं सोनिया मान और श्रुति खामकर होंगी । यह फिल्म राका की डेब्यू फिल्म है । फिल्म में वह पहली बार अभिनय भी कर रहे हैं । हैप्पी हार्डी एंड हीर की कहानी हैप्पी और हीर की प्रेम कहानी है । इस प्रेम कहानी में तीसरा किरदार उस समय आ जाता हैजब लन्दन में गई हीर की जिंदगी में एक अमीर व्यवसाई आ जाता है । यह दोनों भूमिकाये हिमेश रेशमिया ने की हैं । सवाल यह किया जा रहा है कि हीर किसे चुनेगी- हैप्पी को या हार्डी को ? लेकिनट्रेड यह जानना चाहेगा कि क्या दर्शक हैप्पीहार्डी और हीर को चुनते हैं या नहीं !  
ब्लैक मैजिक वाला कॉलेज रोमांस
क्या आप कल्पना कर सकते हैं एक ऐसे कॉलेज की, जहां ब्लैक मैजिक सिखाया जाता हो। संभव है कि ऐसा कोई वास्तविक कॉलेज न हो, लेकिन रील की दुनिया में ऐसा सम्भव है। जी हांएक  फिल्म तेरे इश्क़ की मुझको आदत है का विषय कुछ इसी लाईन पर है। इस फिल्म को ब्लैक मैजिक रोमांस भी कहा जा सकता है । पिछले दिनों, मुंबई में इस फिल्म की घोषणा की गई ।  निर्माता राजू रबारी रुदान, भाविन शिंदे और निर्देशक रहमत अली खान की इस फिल्म में वसीम खानप्रेरणा खावससत्या अग्निहोत्रीआर्या रायहिना खानआंचल दलजीतअभिषेक सिंहप्रथम घटकलशाहनवाज़ खानअसीर अहमदजगत राम बाजपाई जैसे कलाकार नजर आयेंगे। इस फिल्म की शूटिंग मार्च से शुरू होगी और इसे साल के अंत तक रिलीज़ किये जाने की योजना है। इस फिल्म को एक तरफा प्यार की त्रिकोणीय रोमांस फिल्म बताया जा रहा है । यह फिल्म स्थापित करने का प्रयास करती है कि प्यार कभी अधूरा नहीं होता और न ही मोहब्ब्त में उम्र कोई मायने रखती है। इस फिल्म से गजियाबाद की प्रेरणा दोहरी भूमिका से डेब्यू कर रही हैं । उनके साथ फिल्म की दो अहम भूमिकाएं वासिम खान (देव) और सत्या अग्निहोत्री (राहुल) कर रहे हैं ।

बॉलीवुड की फिल्मों में पिता और बेटी के दिलचस्प रिश्ते


ओम राउत की ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म तानाजी द अनसंग वारियर में, उदयभान सिंह राठौर की नकारात्मक भूमिका के बाद, अभिनेता सैफ अली खान अब कॉमेडी करने जा रहे हैं।  वह नितिन कक्कड़ की फिल्म जवानी जानेमन में हास्यास्पद परिस्थितियों से गुजरने वाले अमर खन्ना की भूमिका कर रहे हैं, जो औरतों से फ़्लर्ट करता फिरता है।  उसके जीवन में नाटकीय परिस्थितियां उस समय पैदा हो जाती हैं, जब एक जवान लड़की उसकी ज़िन्दगी में आती है।  वह उस समय हास्यास्पद हो जाता है, जब वह लड़की उसे बताती है कि वह उसकी बेटी है। इसके बाद, फिल्म एक बेटी और एक पिता की कहानी बन जाती है। लंदन में अपनी बेटी से सामंजस्य बैठाते हुएअमर उससे भावनात्मक रूप से जुड़ जाता है।

रिश्तों के बीच पिता और पुत्री
हिंदी फिल्मों में मानवीय सम्बन्ध हमेशा से मायने रखते रहे हैं।  कभी प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी, माँ-बाप और बच्चे, कभी बेटा-माँ, बेटा-पिता, बेटी-माँ, बेटी-पिता और पर भाई-बहन के रूप में सम्बन्ध परदे पर दिखाए जाते रहे हैं। इन संबंधों का महत्व, साठ-सत्तर के दशक की फिल्मों में ज़्यादा नज़र आता था, लेकिन बॉलीवुड फिल्मों में  एंग्री यंग-मैन के छाने के बावजूद, मानवीय सम्बन्ध नज़र आते रहे। मसलन, अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्म शोले में जय-वीरू  दोस्ती थी। अमिताभ बच्चन की एक्शन फिल्मों मे तो माँ का  हमेशा महत्व रहा है।  दीवार का 'मेरे पास माँ है' संवाद आज भी लोगों की जुबान पर है। नितिन कक्कड़ की कॉमेडी फिल्म जवानी जानेमन में बाप और बेटी की रिश्तों का चित्रण हुआ है। इसलिए इस लेख मे एक बाप और एक बेटी के रिश्तों के भिन्न रंगों पर आधारित फिल्मों पर नज़र डालते हैं।

समलैंगिक बेटी का पिता
जवानी जानेमन से पहले, बाप और बेटी के रिश्तों पर आधारित फिल्म, पिछले साल प्रदर्शित अनिल कपूर और सोनम कपूर की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा थी। इस फिल्म की कहानी स्वीटी के रोमांस पर फिल्म है।  पिता चाहता है कि बेटी शादी कर ले, चाहे वह मुसलमान ही क्यों न हो ! लेकिन, सम्बन्धो में तनाव और खिंचाव उस समय पैदा हो जाता है, जब लड़की अपने समलैंगिक संबंधों का खुलासा करती है। अब यह बात दीगर है कि शैली चोपड़ा धर की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा का कथानक दर्शकों को बिलकुल रास नहीं आया। फिल्म पहले दिन से ही दर्शकों की नाराज़गी का शिकार हो गई।

बदल रहे हैं पिता और पुत्री के रिश्ते
यहाँ याद आती है १९६४ में रिलीज़ एलवी प्रसाद की फिल्म बेटी-बेटे की।  यह फिल्म एक विधुर बाप और उसके तीन बच्चों के संबंधों पर थी। लेकिन सबसे बड़ी बेटी से उसका गहरा भावनात्मक लगाव था।  कर्ज में डूबा वह व्यक्ति एक दुर्घटना में अपनी आँखें खो बैठता है।  बच्चों पर बोझ न बनना पड़े, यह सोच कर वह घर छोड़ कर चले जाता है। बेटी अपने दोनों भाइयों को पालती और पढ़ाती-लिखाती है। साठ के दशक में ऎसी बहुत सी फ़िल्में बनाई गई। परन्तु समय के साथ रिश्ते में बदलाव नए शुरू हो गए। रिश्तों में अब वह घनिष्ठता नहीं रह गई थी।  ख़ास तौर पर बॉलीवुड बहुत बदल गया। उसकी फिल्मों के सम्बन्ध समलैंगिक रिश्तों तक आ पहुंचे। एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा में पिता-पुत्री के समबन्धों के बीच ऐसे रिश्तों की झलक देखने को मिली थी।


बेटी के लिए पिता के भिन्न रूप
बॉलीवुड फिल्मों में पिता के भिन्न रूप नज़र आते हैं।  ज़्यादातर वह बच्चों का संरक्षक है।  वह अपने बच्चों का भला चाहता है। इसके लिए वह कभी सख्त भी हो जाता है।  पिता का मित्र रूप तो कई फिल्मों में  देखने को मिलता है।  करण जौहर और आदित्य चोपड़ा की फिल्मों में पिता और बेटी के रिश्तों को ख़ास महत्व दिया गया है।  आदित्य चोपड़ा की फिल्म मोहब्बतें में गुरुकुल का प्राचार्य नारायण शंकर को ऐसा लगता है कि बेटी मेघा को आर्यन से प्रेम नहीं करना चाहिए। वह सख्ती बरतता है। बेटी आत्महत्या कर लेती है।  करण जौहर की फिल्म कुछ कुछ होता है में बेटी और पिता के सम्बन्ध कुछ अनोखे थे।  बेटीअपने पिता को उसके  पुराने प्रेम से मिलाती है। आदित्य चोपड़ा की पहली फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे का पिता अमरीश पूरी अपनी बेटी काजोल के प्रेम शाहरुख़ खान को नापसंद करता है।  सुभाष घई की फिल्म यादें, महेश मांजरेकर की फिल्म पिता, ओमंग कुमार की फिल्म भूमि, आदि जैसी कुछ फिल्मों का पिता अपनी बेटी के लिए कुछ भी कर सकता है।  वह जान दे सकता है और ले भी सकता है।  फिल्म पिता और भूमि में संजय दत्त ने और यादें में जैकी श्रॉफ ने ऐसे ही पिता की भूमिका की थी। कुछ ऐसी फ़िल्में भी बनी, जिनमे पिता और पुत्री के सम्बन्ध अनोखी डोर से बंधे थे।

आइये जानते हैं ऐसी कुछ फिल्मों के बारे में-
ख़ामोशी- द म्यूजिकल - संजय लीला भंसाली की बतौर निर्देशक इस पहली फिल्म में गूंगे-बहरे पिता जोसफ और बेटी एनी के बीच संगीत का  नाता था। कुछ परिस्थितियां इन दोनो को संगीत से अलग कर देती है। लेकिन फिर मिलाता संगीत ही है। इस भूमिका को नाना पाटेकर और मनीषा कोइराला ने किया था।
डैडी- महेश भट्ट की फिल्म डैडी का पिता शराबी है।  वह अच्छा गायक है। लेकिन, शराब की लत ने उसकी गायिकी पर बुरा प्रभाव डाला था।  बेटी को जब इस बारे में पता चलता है तो वह पिता की न केवल शराब छुड़ाती है, बल्कि उसे गाने के लिए भी स्टेज पर उतारती है। पिता-पुत्री की इस भूमिका को अनुपम खेर और पूजा भट्ट ने किया था।
आरक्षण -  प्रकाश झा की फिल्म आरक्षण, जातिगत आरक्षण के खिलाफ फिल्म थी।  इस फिल्म का पिता जातिगत भेदभाव को सही मानता है। लेकिन, बेटी को एक अनुसूचित जाति के लडके से ही प्यार है।  फिल्म में पिता -पुत्री की भूमिका अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण ने की थी। पिता कब्ज़ का मरीज और झक्की है। इन दोनों के सम्बन्ध बेहद मज़ेदार थे। 
पीकू- शूजित सरकार की फिल्म पीकू में एक बार फिर अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण की पिता -पुत्री जोड़ी बनाई गई थी। 
डैडी-  महेश भट्ट निर्देशित फिल्म डैडी की कहानी एक बेटी के अपनी पिता की खोज में नैरोबी पहुँच जाने की कहानी थी। लेकिन, युवा बेटी को देख कर पिता खुश नहीं होता। क्योंकि, अब उसकी स्वतंत्रता में खलल पड़ेगा। इस फिल्म की कहानी से मिलती-जुलती कहानी जवानी जानेमन की भी है। डैडी के पिता और पुत्री अनुपम खेर और मयूरी कांगो थे।
चीनी कम - आर बाल्की निर्देशित फिल्म चीनी कम एक ६० साल के शेफ और उससे ३० साल जूनियर के बीच प्रेम की कहानी में, उस समय मज़ेदार मोड़ आता है, जब शेफ लड़की के पिता से शादी की अनुमति लेने के लिए   मिलने जाता है।  फिल्म में पिता परेश रावल और बेटी तब्बू के बीच का रिश्ता बड़ा दिलचस्प था।
चाची  ४२०-  कमल हासन, खुद की निर्देशित फिल्म चाची ४२० में एक ऐसे पिता की भूमिका में थे, जो अपनी बेटी से मिलने के लिए औरत बन कर उसके नाना के घर काम करने लगता है।  इस फिल्म में कमल हासन की बेटी की भूमिका फातिमा सना शेख ने की थी।
क्या कहना - कुंदन शाह निर्देशित फिल्म क्या कहना में पिता अपनी कुंवारी माँ बनने जा रही बेटी का साथ देता है।  यह भूमिकाएं अनुपम खेर और प्रीटी ज़िंटा ने की थी। 
दंगल-  निर्देशक नितेश तिवारी की बायोपिक फिल्म दंगल का पहलवान पिता, बेटा न होने के कारण अपनी दो बेटियों को अखाड़े में उतारता है। उसकी दोनों बेटियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगता में पदक जीत कर लाती हैं।  पिता और दो बेटियों की भूमिकाएं आमिर खान, फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा ने की थी। 

बॉलीवुड फिल्मों के पिता अनुपम खेर
अनुपम खेर का हिंदी फिल्म डेब्यू आगमन फिल्म से हुआ था। महेश भट्ट निर्देशित फिल्म सारांश में उन्होंने पहली बार एक बूढ़े पिता की भूमिका की थी।  इस फिल्म के बाद, अनुपम खेर पिता की भूमिका के लिए सुरक्षित कर लिए गए। दिलचस्प बात यह थी कि अनुपम खेर ने यश चोपड़ा की फिल्म विजय में, अपने से सात साल बड़ी हेमा मालिनी के पिता की भूमिका की थी।  वह इसी फिल्म में १३ साल बड़े राजेश खन्ना के ससुर बने थे। वह उम्र अनिल कपूर और तीन साल बड़े ऋषि कपूर के नाना बने थे। अनुपम खेर ने हेमा मालिनी के अलावा दूसरी युवा अभिनेत्रियों और अभिनेताओं के ऑन-स्क्रीन पिताओं की भूमिकाये की हैं। कहा जाता है कि जिस किसी फिल्म में अनुपम खेर पिता बन जाते हैं, वह हिट हो जाती है।






राष्ट्रीय सहारा २६ जनवरी २०२०





हिंदी फिल्मों में जन-गण का मन


१० जनवरी को रिलीज़ निर्देशक मेघना गुलजार की फिल्म छपाक, तेज़ाब के हमले की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर फिल्म है। यह फिल्म इस लड़की के हमले के घावों से उबरने की कहानी है। फिल्म में ग्लैमर के खिलाफ, एक एसिड विक्टिम की भूमिका कर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने हिम्मत दिखाई थी। एक आम लड़की के संघर्ष वाले कथानक के कारण यह फिल्म जनमानस को आंदोलित कर सकती थी, लेकिन दीपिका पादुकोण के एक गलत कदम ने इसे जनमानस से दूर कर दिया। दीपिका पादुकोण, जेएनयू के आंदोलित छात्रों के साथ क्यों खडी हुई ? इसका खुलासा तो खुद दीपिका ही कर सकती हैं। लेकिन, आम जन तक इसका गलत सन्देश गया। इसे देश विरोधी ताकतों के साथ खड़ा होना माना गया। छपाक, दीपिका पादुकोण के इस कदम के कारण फ्लॉप हुई, कहना बिल्कुल ठीक नहीं होगा। मगर, फिल्म को दूसरी फिल्मों की तरह दर्शकों ने सामान्य तरीके से नहीं देखा ।

आम आदमी, परिवार और समस्या
बॉक्स ऑफिस पर छपाक का हश्र, बॉलीवुड के लिए सबक जैसा हो सकता है कि फिल्म निर्माण के खतरों के मद्देनज़र फिर नए खतरे मोल लेना आत्मघाती हो सकता है। लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि बॉलीवुड ऐसे खतरे लेने के लिए तैयार है। ऐसी तमाम फ़िल्में बनाई जा रही हैं, जो एक आम आदमी, एक आम परिवार और एक आम समस्या पर है। इसी शुक्रवार रिलीज़ कंगना रानौत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ऐसी एक फिल्म कही जा सकती है । इस फिल्म में एक कबड्डी खिलाड़ी माँ बनने के बावजूद कबड्डी के मैदान पर उतरती ही नहीं है, अपनी टीम को विजय भी दिलाती है । इससे मिलती-जुलती कहानी किसी भी माँ या बहन की हो सकती है । यह फिल्म सडकों पर डांस करने वाले ग्रुप के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता जीतने की कहानी पर फिल्म स्ट्रीट डांसर के सामने रिलीज़ हो रही है । स्ट्रीट डांस उम्मीदों से भरे भारतीय युवा की जीतने की ललक की कहानी है ।

सामान्य समस्या और प्रेरणा
हालाँकि, गुल मकई हिन्दुस्तान की किसी लड़की की कहानी नहीं, लेकिन लड़कियों की शिक्षा और आज़ादी की भारत में भी विद्यमान पाकिस्तानी पृष्ठभूमि पर फिल्म है । यह फिल्म नोबल पुरस्कार प्राप्त मलाल युसफजाई के जीवन पर है । यहाँ सब ज्ञानी है में हास्य के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि सुख का खजाना मकान के नीचे गड़ा हुआ नहीं है, बल्कि हमारे अन्दर ही है । गुल मकई की तरह, विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा, उन कश्मीरी पंडितों की दशा पर है, जिन्हें १९८९ में इस्लामी आतंकवादियों ने घर छोड़ने के लिए मज़बूर कर दिया था । द कश्मीर फाइल्स भी कश्मीरी पंडितों पर आतंकवादियों के अत्याचार की कहानी है । बायोपिक फिल्म बैंडिट शकुंतला की कहानी एक पूर्व डकैत के, आत्मसमर्पण के बाद मुख्य धारा में जुड़ने और समाजसेवा करने की प्रेरक कहानी है ।

रियल लाइफ के लोग
पंगा की तरह, हवाएं भी आम आदमी के सपनों की कहानी है । आदित्य अपना सब कुछ छोड़ कर, भारत में घूमने निकल पड़ता है । रास्ते में, उसे ऐसे लोग मिलते हैं, जिनसे मिल कर वह खुद को अपने परिवार से जोड़ पाता है और फिल्म डायरेक्टर बनने का अपना सपना पूरा करने को तैयार होता है । गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल, भारतीय वायु सेना का फाइटर प्लेन उड़ाने वाली गुंजन सक्सेना की प्रेरक कहानी है । फिल्म शेरशाह भी भारतीय सेना के कैप्टेन विक्रम बत्रा की साहसिक कहानी है । भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया वायु सेना के ऑफिसर के युद्ध के मैदान में गांव के लोगों के साथ मिल कर हवाई पट्टी की मरम्मत करने की प्रेरक कहानी है । इरफ़ान खान की फिल्म अंग्रेजी मीडियम, २०१७ में रिलीज़ फिल्म हिंदी मीडियम की स्पिनऑफ फिल्म है । यानि एक बार फिर केंद्र में आम आदमी जद्दोजहद ही है । निर्देशक श्री वरुण की फिल्म दया बाई की कहानी एक ईसाई महिला की दया बाई बन कर जनजाति के लोगों की सेवा करने की प्रेरक कहानी है । अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म गुलाबो सिताबो लखनऊ की पृष्ठभूमि पर आम आदमी के दैनिक जीवन में संघर्ष की कहानी है ।

कुछ सामान्य कहानियां भी
कुछ कहानियाँ ऐसी होती है, जिसकी कल्पना आम जन नहीं कर सकता । फिर भी ऐसी फ़िल्में जन-गण का प्रतिनिधित्व करती हैं। खास तौर पर युवा पीढ़ी का । इन्दू की जवानी गाज़ियाबाद की इन्दू की है, जो डेटिंग एप के चक्कर में पड़ कर अजीबोगरीब परिस्थितियों में फंस जाती है । मिमी की कहानी एक ऎसी माँ की है, जो अपनी कोख में दूसरे के बच्चे को पालती है । गंगुबाई काठियावाड़ी की कहानी एक तवायफ की होने के बावजूद, उसके ज़बरन देह व्यापार में धकेली गई औरतों-लड़कियों को बचाने की प्रेरक कहानी है । 

Saturday 25 January 2020

Sanjay Leela Bhansali की फिल्म पद्मावत के दो साल



यह मानों कल की ही बात लगती है जब बहुप्रतिभाशाली निर्देशक संजय लीला भंसाली की आइकोनिक फिल्म 'पद्मावत' सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी। सिर्फ इस फिल्म की कहानी ने ही सिल्वर स्क्रीन पर अपना जादू नही चलाया, बल्कि संजय लीला भंसाली के दृष्टिकोण और फिल्म के म्यूज़िक ने हर किसी पर अपना जादू बिखेरा।

पद्मावत में स्टोरी से लेकर, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर की दमदार परफॉरमेंस, फिल्म के म्यूज़िक और इमोशंस ने हर सिनेमा प्रेमी को इस फिल्म के द्वारा एक अद्भुत और अनोखा एक्सपीरियंस करवाया।

साफ़ तौर पर इस दमदार फिल्म ने दर्शकों के दिल में अपना एक गहरा प्रभाव छोड़ा। इस फिल्म ने एक नहीं बल्कि तीन राष्ट्रीय अवॉर्ड अपने नाम किए। पद्मावत को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्शन, बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर और बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया।

इस फिल्म ने भारत और विदेशों में बॉक्स-ऑफिस पर एक बहुत ही अच्छा रिकॉर्ड कायम किया। यह फिल्म संजय लीला भंसाली की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी।

यह कोई आश्चर्य की बात नही हैं कि आज के समय में भी इस ब्लॉकबस्टर पैकेज फिल्म को सबसे प्रतिष्ठित फिल्म के रूप में याद किया जाता है।

Friday 24 January 2020

'मैदान' में तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता !


मैदान में दिलचस्प नज़ारा बना हुआ है। भारतीय फुटबॉल के स्वर्ण युग (१९५२-५९) के दौर में फुटबॉल कोच सैयद अब्दुल रहीम के जीवन पर फिल्म मैदान में, बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने कोच की भूमिका की है। एक समय तीन राष्ट्रीय फिल्म विजेताओं का मैदान बनी यह फिल्म बदलाव के बावजूद तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेताओं का मैदान ही बनी हुई है।

अजय देवगन के अपोजिट कीर्ति
जब मैदान की शूटिंग शुरू हुई थी, उस समय फिल्म में अब्दुल रहीम की पत्नी की भूमिका कीर्ति सुरेश कर रही थी। यह कीर्ति की पहली हिंदी फिल्म थी। लेकिन, अब वह फिल्म में नहीं है। हालाँकि, कीर्ति ने मैदान में अपने हिस्से का काफी शूट कर लिया था। इस फिल्म में माँ की भूमिका के लिए अपना वजन काफी कम भी कर लिया था। लेकिन, यह कम वजन उनके रोल पर भारी पड़ा।

कीर्ति की जगह प्रियमणि
फिल्म के निर्देशक के साथ खुद कीर्ति ने महसूस किया कि अजय देवगन के मुक़ाबले वह काफी छोटी नज़र आ रही है। जबकि, फिल्म की भूमिका में थोड़ी परिपक्व अभिनेत्री की ज़रुरत महसूस होती थी। इसलिए, उन्हें फिल्म से बाहर हो जाना पड़ा। अब कीर्ति की जगह दक्षिण की एक अन्य फिल्म एक्ट्रेस प्रियमणि ने ले ली है। प्रियमणि को दर्शकों ने रावण और रक्त चरित्र में देखा है। वह वेब सीरीज द फॅमिली मैन में भी नज़र आ रही है।

तीन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता 
जब कीर्ति सुरेश मैदान में थी, तब फिल्म में तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता थे। अजय देवगन ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ज़ख्म और द लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह के लिए जीते हैं।  फिल्म के निर्देशक अमित रविन्दरनाथ शर्मा ने फिल्म बधाई हो के निर्माता के तौर पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है। कीर्ति सुरेश ने तमिल-तेलुगु फिल्म महानटी में फिल्म अभिनेत्री सावित्री की भूमिका के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता है।

शशिकला की भूमिका में प्रियमणि
कीर्ति सुरेश, मैदान से तो बाहर हो गई है। लेकिन, इस समय भी मैदान पर तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता डटे हुए हैं। कीर्ति की जगह लेने वाली प्रियमणि भी राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता एक्ट्रेस हैं। उन्होंने तमिल फिल्म पारूथिवीरन (२००७) के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता है। मैदान २७ नवंबर २०२० को प्रदर्शित होगी। लेकिन, हिंदी दर्शक उन्हें इससे पहले २६ जून को ही  जयललिता पर बायोपिक फिल्म थलेवि में जयललिता की सहेली शशिकला की भूमिका में देख लेंगे।