अपनी हॉरर फिल्मों 'राज़ ३', 'आत्मा', 'क्रीचर ३डी' और 'अलोन' के बाद मिनी टीवी सीरीज 'डर सबको लगता है' से सबको डराने के बाद बिपाशा बासु अब एक्शन अवतार में नज़र आने जा रही हैं। उनका यह एक्शन अवतार एक इंटेलिजेंस अफसर का होगा। हालाँकि, फिल्म की शैली कॉमेडी होगी। पहली बार निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे, संजय दत्त की फिल्म 'जिला गाजियाबाद' के पटकथाकार विनय सिन्हा की फिल्म 'भाई मस्ट बी क्रेजी' में बिपाशा बासु जंगल में एक डॉन का पीछा कर रही ख़ुफ़िया अधिकारी बनी हैं। डॉन की भूमिका में 'दस' में गंजे आतंकवादी जामवाल का किरदार करने वाले अभिनेता पंकज कपूर कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि फिल्म के क्लाइमेक्स में बिपाशा बासु के खतरनाक स्टंट देखने को मिलेंगे। सेक्सी और हॉरर मूवी क्वीन बिपाशा बासु की इस सीरियस रोल में लेने की वज़ह के बारे में विनय शर्मा कहते हैं, "मैं एक टफ अभिनेत्री चाहता था। बिपाशा इसमे फिट बैठती हैं।" इस फिल्म की प्रारंभिक शूटिंग नेपाल चीन सीमा से लगे जंगलों में होगी। लेकिन, फिल्म का मुख्य हिस्सा बैंकाक के कंचनबूरी जंगल शूट किया जायेगा। यह ४५ दिनों का शिड्यूल फरवरी से शुरू होगा।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday 5 January 2016
जब दलबीर कौर थिरकेगी स्क्रीन पर
पाकिस्तान की जेल में मारे गए एक भारतीय कैदी सरबजीत पर बायोपिक फिल्म 'सरबजीत' में सरबजीत की बहन दलबीर कौर के अपने भाई को पाकिस्तान की जेल से निकाल कर भारत लाने की कोशिशों की दास्ताँ हैं। फिल्म में दलबीर कौर का किरदार बॉलीवुड की ग्लैमरस अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन कर रही है हैं। ऐश्वर्या ने पिछले साल संजय गुप्ता की फिल्म 'जज़्बा' से ज़ोरदार वापसी की है। निर्देशक ओमंग कुमार की फिल्म में ऐश्वर्य को अभिनय के भिन्न रंग दिखाने का मौका मिलेगा। ओमंग कुमार ने प्रियंका चोपड़ा को लेकर 'मैरी कॉम' जैसी अवार्ड विनिंग फिल्म बनाई थी। इसलिए ऐश्वर्या के लिए भी बढ़िया मौका है। सरबजीत पंजाब के एक गाँव की कहानी है। ऐश्वर्या का किरदार देहाती किस्म का है। लेकिन, ओमंग अपनी फिल्म को बोरिंग नहीं बनाना चाहते। इसलिए फिल्म में नाच गीत हैं। पंजाबी प्रभाव वाले यह गीत फिल्म की कहानी उभरने वाले हैं। ऐसे ही एक गीत में ऐश्वर्या राय बच्चन, ऋचा चड्ढा और रणदीप हुडा पर फिल्माया गया है। पंजाबी भांगड़ा शैली के इस गीत के बोल 'तुगलक तुगलक तुन' हैं। इस गीत को सुनते समय 'जब वी मेट' के 'नगाड़ा नगाड़ा' गीत की याद आयेगी। इस गीत को 'रा...राजकुमार' के गीत 'गन्दी बात' के कोरियोग्राफर विष्णु देवा ने तैयार किया है। फिल्म का संगीत शैल-प्रीतेश का है और गीत संदीप सिंह ने लिखे हैं। इस गीत की शूटिंग अगले हफ्ते फिल्मसिटी में सेट तैयार कर की जाएगी।
Sunday 3 January 2016
बड़े परदे पर एक और वीडियो गेम्स का एक्शन
वीडियो गेम्स पर फिल्मो की सीरीज में डायरेक्टर डस्टिन कुर्ज़ेल की फिल्म 'असैसिन'स क्रीड' नया टाइटल जुड़ गया है। इसी टाइटल वाले पॉपुलर गेम्स पर इस फिल्म में डस्टिन कुर्ज़ेल एक बार फिर माइकल फॉस्बेंडर और मारिओं कोटिल्लार्ड के साथ काम कर रहे हैं। यह तिकड़ी अभी ११ दिसंबर को रिलीज़ फिल्म 'मैकबेथ' में एक साथ थे। एक्शन एडवेंचर 'असैसिन'स क्रीड' उसी यूनिवर्स पर है, जिसमे वीडियो गेम बनाया गया है। इस पहली फिल्म की कहानी भी वही है, जो आगे बढाती जायेगी। इस फिल्म में माइकल फॉस्बेंडर दोहरे चरित्र में होंगे। उनका पहला चरित्र १५ वी शताब्दी का तलवारबाज़ अगुइलर होगा तथा दूसरा करैक्टर आधुनिक समय का कैलम लिंच होगा। कथानक के अनुसार लिंच को पता चलता है कि उसके पूर्वज अगुइलर १५ वी शताब्दी के स्पेन के असैसिन योद्धा थे। कैलम, असैसिन के पुराने दुश्मन टेम्पलर्स को पराजित करने अगुइलर की स्मृतियों को पुनर्जीवित करता है ताकि असैसिन को पराजित करने वाली विद्या और कौशल को सीख सके। इस फिल्म में टेम्पलर्स की भूमिका ग्राहम करी ने की है। अन्य भूमिकाओं में ब्रेंडन ग्लीसन, जेरेमी आयरन्स, ब्रायन ग्लीसन, माइकल केनेथ विलियम्स, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
Saturday 2 January 2016
बॉलीवुड के लिए प्रतिभाओं की जनवरी
प्रतिभा के लिहाज़ से, बॉलीवुड के लिए जनवरी का महीना फलदार पेड़ की तरह है। इस महीने प्रतिभाशाली अभिनेता, अभिनेत्रियां और डायरेक्टर मिले। इनमे से बॉलीवुड के इम्तिहान में कुछ फेल भी हुए और कुछ फर्स्ट क्लास निकले । इस महीने पैदा निर्देशकों ने भारतीय सिनेमा को नयापन दिया। कॉमेडी को नई दिशा दी। एक्टर्स ने अपने सजीव अभिनय से चरित्रों को अविस्मरणीय बना दिया।
अभिनेत्रियां सेक्सी भी और इमोशनल भी
जनवरी में पैदा अभिनेत्रियां अभिनय कला के लिहाज़ से बेजोड़ हैं। वह ग्लैमरस भी हैं और सेक्सी भी। इन अभिनेत्रीयों ने हिंदी फिल्मों की नायिका को नायक की परछाई से अलग अपनी पहचान दी। इन अभिनेत्रियों के कारण फ़िल्में बिकती भी हैं और देखी भी जाती हैं।
विद्या बालन- साल के पहले दिन, १ जनवरी १९७९ को पैदा विद्या बालन की पहचान अभिनय सक्षम अभिनेत्री के बतौर हैं। उनका केरल से मुंबई तक का सफर टेलीविज़न से हो कर जाता है। सीरियल हम पांच की यह नायिका आज परिणीता, डर्टी पिक्चर, कहानी, आदि फिल्मों में अपने कुशल अभिनय से पहचानी जाती हैं। उनको ध्यान में रख कर फ़िल्में लिखी जाने लगी है।
दीपिका पादुकोण- ५ जनवरी १९८६ को जन्मी दीपिका पादुकोण अभिनय और ग्लैमर का संगम हैं। वह २००७ से लगातार हर साल कम से कम एक हिट फिल्म दे रही हैं। इस साल रिलीज़ फिल्म पीकू और तमाशा में उनके अभिनय की भी प्रशंसा हुई।
बिपाशा बासु- ७ जनवरी १९७९ को जन्मी बिपाशा बासु ने अपनी सेक्स अपील के बल पर ही ए ग्रेड फिल्मों को फतह किया। उन्होंने इरोटिक थ्रिलर फिल्म जिस्म (२००३) से अपने करियर की शुरुआत की। ऎसी फिल्मों की अभिनेत्रियां एक ख़ास खांचे वाली फिल्मों के लिए ही उपयुक्त मानी जाती हैं। लेकिन, बिपाशा बासु ने खुद को इस ठप्पे से बचाते हुए नो एंट्री, फिर हेरा फेरी, रेस, धूम २, कॉर्पोरेट, अपहरण और बचना ऐ हसीनों जैसी बड़े बजट की भिन्न कथानकों वाली फ़िल्में की।
जनवरी में जन्मी कुछ अन्य अभिनेत्रियो में से एक प्रीटी जिंटा की कभी तूती बोला करती थी। उन्होंने लगभग हर बड़े सितारे के साथ फ़िल्में की। दक्षिण में अपनी अभिनय प्रतिभा का परचम लहराने के बाद श्रुति हासन और एमी जैक्सन हिंदी फिल्मों को जीतने आ गई हैं। प्रीटी जिंटा और एमी जैक्सन ३१ जनवरी को पैदा हुई। श्रुति हासन ने २८ जनवरी को दुनिया में पहली सांस ली। इनके अलावा कल्कि कोएच्लिन और पल्लवी शारदा १० जनवरी को, मिनिषा लाम्बा २८ जनवरी और रिया सेन २४ जनवरी को पैदा हुई अभिनेत्रियां हैं।
लाजवाब अभिनय वाले अभिनेता !
क्या यह इत्तेफ़ाक़ है कि अभिनेत्रियों की तरह जनवरी में बहुमुखी प्रतिभा के अभिनेताओं ने जन्म लिया। इन अभिनेताओं को अपने अभिनय के बूते हिंदी फिल्मों को नए प्रकार का नायक दिया। बॉक्स ऑफिस को एक्टर-स्टार दिया। गायक मुकेश के पोते नील नितिन मुकेश ने जॉनी गद्दार से दर्शकों को आकर्षित किया था। उन पर नेगेटिव किरदार ख़ास फबते हैं। ७ खून माफ़ और डेविड से दर्शकों को अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले नील नितिन मुकेश को दक्षिण के दर्शक सुपर हिट फिल्म कठ्ठी के विलेन के बतौर जानते हैं। श्रेयस तलपडे (२७ जनवरी) और चन्दन रॉय सान्याल (३० जनवरी) लीक से हट कर भूमिकाओं से अपनी पहचान बना चुके हैं। इनके अलावा आदित्य पंचोली (४ जनवरी), उदय चोपड़ा (५ जनवरी), इमरान खान, अध्ययन सुमन और अश्मित पटेल (१३ जनवरी), सिद्धार्थ मल्होत्रा (१६ जनवरी), सुशांत सिंह राजपूत (२१ जनवरी) और बॉबी देओल (२७ जनवरी) इसी महीने पैदा हुए।
नाना पाटेकर- १ जनवरी १९५१ को जन्मे नाना पाटेकर ने खुद की पहचान बीआर चोपड़ा की फिल्म 'आज की आवाज़' के विलेन के रूप में बनाई। अंकुश, तृषाग्नि, सलाम बॉम्बे, आदि कुछ फिल्मों में खुद को हरफनमौला अभिनेता साबित करने वाले नाना पाटेकर ने विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म परिंदा के अन्ना सेठ की भूमिका में दर्शकों की रीढ़ में सिहरन पैदा कर दी। वह प्रहार के नायक और निर्देशक थे। तिरंगा, क्रांतिवीर, अग्निसाक्षी, टैक्सी नंबर ९२११, ब्लफ मास्टर, वेलकम, आदि उनकी अभिनय प्रतिभा और बॉक्स ऑफिस पर पकड़ को साबित करने वाली फ़िल्में थी।
इरफ़ान खान - नाना पाटेकर जैसी प्रतिभा ७ जनवरी १९६७ को पैदा इरफ़ान खान में भी नज़र आई। उन्होंने सलाम बॉम्बे से पीकू और जज़्बा तक खुद की प्रतिभा बार बार साबित की। इसी का नतीज़ा है कि वह हॉलीवुड फिल्मों में स्वीकार किये गए। इसी साल उन्हें जुरैसिक वर्ल्ड में देखा गया।
ह्रितिक रोशन- १० जनवरी १९७४ को जन्मे ह्रितिक रोशन सुन्दर सूरत और गठीले शरीर के कारण बॉक्स ऑफिस के पसंदीदा हैं। वह अपनी अभिनय प्रतिभा से भी फिल्म मिशन कश्मीर, फ़िज़ा, लक्ष्य, गुज़ारिश, ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा और अग्निपथ के दर्शकों को प्रभावित कर चुके हैं। उनकी सिंधु सभ्यता की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'मोहन जोदड़ो' की दर्शकों को प्रतीक्षा है।
अलग तरह की फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक
जनवरी में ऐसे निर्देशक जन्मे, जिन्होंने बॉलीवुड में मील का पत्थर साबित होने वाली फ़िल्में बनाई। फिल्मों को उत्कृष्ट तकनीक और गुणवत्ता प्रदान की। ख़ास बात यह थी कि हर डायरेक्टर की अपनी अलग दृष्टि थी। इससे हिंदी फिल्म दर्शकों को भिन्न शैली वाली फिल्में देखने को मिली।
फराह खान और फरहान अख्तर- इन दोनों हस्तियों की जन्म की तरीख बेशक ९ जनवरी है। लेकिन, दोनों की फ़िल्में बनाने की शैली काफी भिन्न है। फराह खान हलकी फुलकी कॉमेडी, कमोबेश स्पूफ फ़िल्में बनाती हैं। उन्होंने 'मैं हूँ न' और 'हैप्पी न्यू ईयर' जैसी सुपर हिट फ़िल्में बनाई हैं। वहीँ, फरहान अख्तर दिल चाहता है, लक्ष्य, डॉन और डॉन २ जैसी फिल्मों के निर्देशक हैं। यह सभी फ़िल्में भिन्न शैली की हैं। फराह खान ने फिल्म 'शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी' में नायिका की भूमिका की थी। फरहान अख्तर के खाते में दर्जन भर दूसरी फिल्मों के अलावा ' भाग मिल्खा भाग' जैसी यादगार फिल्म दर्ज़ है।
रमेश सिपप्पी - २३ जनवरी १९४७ को जन्मे रमेश सिप्पी ने जब 'अंदाज़' और 'सीता और गीता' जैसी सुपर हिट फिल्मों के ज़रिये बॉक्स ऑफिस पर अपनी पहचान बनाई उस समय वह मात्र २४ साल के थे। दर्शकों की नब्ज़ पहचानने वाल रमेश सिप्पी ने उस दौर में 'शोले' जैसी हिंसक फिल्म का निर्माण किया, जब रोमांटिक फिल्मों का दौर ख़त्म नहीं हुआ था। लेकिन, शोले जैसी उत्कृष्ट तकनीक वाली फिल्म बना कर, रमेश सिप्पी ने हिंदी फिल्मों को एक्शन धारा की ओर मोड़ा ही, उच्च तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित किया।
सुभाष घई- २४ जनवरी ९४५ को जन्मे सुभाष घई को राजकपूर के बाद दूसरा शोमैन कहा गया। सुभाष घई की कालीचरण, विश्वनाथ और गौतम गोविंदा से लेकर क़र्ज़ और ताल तक फ़िल्में अपने मधुर संगीत और स्वप्निल भव्य सेट्स के कारण भी जानी जाती हैं। उन्होंने एक्शन फिल्मों के युग में भी हीरो, सौदागर, परदेस और ताल जैसी संगीतमय रोमांस फ़िल्में बनाई। यह फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल भी हुई।
विक्रम भट्ट- २७ जनवरी १९६९ को जन्मे विक्रम भट्ट ने जनम और गुलाम जैसी हिट फिल्मों से अपने करियर शुरू किया। लेकिन, उन्हें हॉरर फिल्मों को जीवन देने वाला निर्देशक माना गया हॉरर फिल्म राज़ (२००२) के बाद। इस फिल्म ने भट्ट कैंप के लिए फ्रैंचाइज़ी फिल्मों का दरवाज़ा खोल दिया। फिल्म १९२० के बाद विक्रम भट्ट हॉरर फिल्मों के मसीहा बन गए। उन्होंने हॉन्टेड फिल्म को ३डी में बना कर हॉरर फिल्मों के लिए भी उत्कृष्ट तकनीक के रास्ते खोल दिए।
प्रियदर्शन- ३० जनवरी १९५७ को जन्मे प्रियदर्शन ने मलयालम फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की। दो दर्जन से ज़्यादा मलयालम फ़िल्में बनाने के बाद प्रियदर्शन फिल्म 'मुस्कराहट' से हिंदी फिल्मों में आये। इस फिल्म ने प्रियदर्शन को हिंदी दर्शको का प्रिय बना दिया। गर्दिश और विरासत जैसी भिन्न शैली वाली फिल्मों के बाद फिल्म 'हेरा फेरी' (२०००) ने प्रियदर्शन को अलग तरह की कॉमेडी फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया, जिसकी फ़िल्में संदेसा भी देती थी। 'भूल भुलैया' में प्रियदर्शन कॉमेडी और सुपर नेचुरल पावर का अनोखा मिश्रण कर रहे थे।
अभिनेत्रियां सेक्सी भी और इमोशनल भी
जनवरी में पैदा अभिनेत्रियां अभिनय कला के लिहाज़ से बेजोड़ हैं। वह ग्लैमरस भी हैं और सेक्सी भी। इन अभिनेत्रीयों ने हिंदी फिल्मों की नायिका को नायक की परछाई से अलग अपनी पहचान दी। इन अभिनेत्रियों के कारण फ़िल्में बिकती भी हैं और देखी भी जाती हैं।
विद्या बालन- साल के पहले दिन, १ जनवरी १९७९ को पैदा विद्या बालन की पहचान अभिनय सक्षम अभिनेत्री के बतौर हैं। उनका केरल से मुंबई तक का सफर टेलीविज़न से हो कर जाता है। सीरियल हम पांच की यह नायिका आज परिणीता, डर्टी पिक्चर, कहानी, आदि फिल्मों में अपने कुशल अभिनय से पहचानी जाती हैं। उनको ध्यान में रख कर फ़िल्में लिखी जाने लगी है।
दीपिका पादुकोण- ५ जनवरी १९८६ को जन्मी दीपिका पादुकोण अभिनय और ग्लैमर का संगम हैं। वह २००७ से लगातार हर साल कम से कम एक हिट फिल्म दे रही हैं। इस साल रिलीज़ फिल्म पीकू और तमाशा में उनके अभिनय की भी प्रशंसा हुई।
बिपाशा बासु- ७ जनवरी १९७९ को जन्मी बिपाशा बासु ने अपनी सेक्स अपील के बल पर ही ए ग्रेड फिल्मों को फतह किया। उन्होंने इरोटिक थ्रिलर फिल्म जिस्म (२००३) से अपने करियर की शुरुआत की। ऎसी फिल्मों की अभिनेत्रियां एक ख़ास खांचे वाली फिल्मों के लिए ही उपयुक्त मानी जाती हैं। लेकिन, बिपाशा बासु ने खुद को इस ठप्पे से बचाते हुए नो एंट्री, फिर हेरा फेरी, रेस, धूम २, कॉर्पोरेट, अपहरण और बचना ऐ हसीनों जैसी बड़े बजट की भिन्न कथानकों वाली फ़िल्में की।
जनवरी में जन्मी कुछ अन्य अभिनेत्रियो में से एक प्रीटी जिंटा की कभी तूती बोला करती थी। उन्होंने लगभग हर बड़े सितारे के साथ फ़िल्में की। दक्षिण में अपनी अभिनय प्रतिभा का परचम लहराने के बाद श्रुति हासन और एमी जैक्सन हिंदी फिल्मों को जीतने आ गई हैं। प्रीटी जिंटा और एमी जैक्सन ३१ जनवरी को पैदा हुई। श्रुति हासन ने २८ जनवरी को दुनिया में पहली सांस ली। इनके अलावा कल्कि कोएच्लिन और पल्लवी शारदा १० जनवरी को, मिनिषा लाम्बा २८ जनवरी और रिया सेन २४ जनवरी को पैदा हुई अभिनेत्रियां हैं।
लाजवाब अभिनय वाले अभिनेता !
क्या यह इत्तेफ़ाक़ है कि अभिनेत्रियों की तरह जनवरी में बहुमुखी प्रतिभा के अभिनेताओं ने जन्म लिया। इन अभिनेताओं को अपने अभिनय के बूते हिंदी फिल्मों को नए प्रकार का नायक दिया। बॉक्स ऑफिस को एक्टर-स्टार दिया। गायक मुकेश के पोते नील नितिन मुकेश ने जॉनी गद्दार से दर्शकों को आकर्षित किया था। उन पर नेगेटिव किरदार ख़ास फबते हैं। ७ खून माफ़ और डेविड से दर्शकों को अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले नील नितिन मुकेश को दक्षिण के दर्शक सुपर हिट फिल्म कठ्ठी के विलेन के बतौर जानते हैं। श्रेयस तलपडे (२७ जनवरी) और चन्दन रॉय सान्याल (३० जनवरी) लीक से हट कर भूमिकाओं से अपनी पहचान बना चुके हैं। इनके अलावा आदित्य पंचोली (४ जनवरी), उदय चोपड़ा (५ जनवरी), इमरान खान, अध्ययन सुमन और अश्मित पटेल (१३ जनवरी), सिद्धार्थ मल्होत्रा (१६ जनवरी), सुशांत सिंह राजपूत (२१ जनवरी) और बॉबी देओल (२७ जनवरी) इसी महीने पैदा हुए।
नाना पाटेकर- १ जनवरी १९५१ को जन्मे नाना पाटेकर ने खुद की पहचान बीआर चोपड़ा की फिल्म 'आज की आवाज़' के विलेन के रूप में बनाई। अंकुश, तृषाग्नि, सलाम बॉम्बे, आदि कुछ फिल्मों में खुद को हरफनमौला अभिनेता साबित करने वाले नाना पाटेकर ने विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म परिंदा के अन्ना सेठ की भूमिका में दर्शकों की रीढ़ में सिहरन पैदा कर दी। वह प्रहार के नायक और निर्देशक थे। तिरंगा, क्रांतिवीर, अग्निसाक्षी, टैक्सी नंबर ९२११, ब्लफ मास्टर, वेलकम, आदि उनकी अभिनय प्रतिभा और बॉक्स ऑफिस पर पकड़ को साबित करने वाली फ़िल्में थी।
इरफ़ान खान - नाना पाटेकर जैसी प्रतिभा ७ जनवरी १९६७ को पैदा इरफ़ान खान में भी नज़र आई। उन्होंने सलाम बॉम्बे से पीकू और जज़्बा तक खुद की प्रतिभा बार बार साबित की। इसी का नतीज़ा है कि वह हॉलीवुड फिल्मों में स्वीकार किये गए। इसी साल उन्हें जुरैसिक वर्ल्ड में देखा गया।
ह्रितिक रोशन- १० जनवरी १९७४ को जन्मे ह्रितिक रोशन सुन्दर सूरत और गठीले शरीर के कारण बॉक्स ऑफिस के पसंदीदा हैं। वह अपनी अभिनय प्रतिभा से भी फिल्म मिशन कश्मीर, फ़िज़ा, लक्ष्य, गुज़ारिश, ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा और अग्निपथ के दर्शकों को प्रभावित कर चुके हैं। उनकी सिंधु सभ्यता की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'मोहन जोदड़ो' की दर्शकों को प्रतीक्षा है।
अलग तरह की फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक
जनवरी में ऐसे निर्देशक जन्मे, जिन्होंने बॉलीवुड में मील का पत्थर साबित होने वाली फ़िल्में बनाई। फिल्मों को उत्कृष्ट तकनीक और गुणवत्ता प्रदान की। ख़ास बात यह थी कि हर डायरेक्टर की अपनी अलग दृष्टि थी। इससे हिंदी फिल्म दर्शकों को भिन्न शैली वाली फिल्में देखने को मिली।
फराह खान और फरहान अख्तर- इन दोनों हस्तियों की जन्म की तरीख बेशक ९ जनवरी है। लेकिन, दोनों की फ़िल्में बनाने की शैली काफी भिन्न है। फराह खान हलकी फुलकी कॉमेडी, कमोबेश स्पूफ फ़िल्में बनाती हैं। उन्होंने 'मैं हूँ न' और 'हैप्पी न्यू ईयर' जैसी सुपर हिट फ़िल्में बनाई हैं। वहीँ, फरहान अख्तर दिल चाहता है, लक्ष्य, डॉन और डॉन २ जैसी फिल्मों के निर्देशक हैं। यह सभी फ़िल्में भिन्न शैली की हैं। फराह खान ने फिल्म 'शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी' में नायिका की भूमिका की थी। फरहान अख्तर के खाते में दर्जन भर दूसरी फिल्मों के अलावा ' भाग मिल्खा भाग' जैसी यादगार फिल्म दर्ज़ है।
रमेश सिपप्पी - २३ जनवरी १९४७ को जन्मे रमेश सिप्पी ने जब 'अंदाज़' और 'सीता और गीता' जैसी सुपर हिट फिल्मों के ज़रिये बॉक्स ऑफिस पर अपनी पहचान बनाई उस समय वह मात्र २४ साल के थे। दर्शकों की नब्ज़ पहचानने वाल रमेश सिप्पी ने उस दौर में 'शोले' जैसी हिंसक फिल्म का निर्माण किया, जब रोमांटिक फिल्मों का दौर ख़त्म नहीं हुआ था। लेकिन, शोले जैसी उत्कृष्ट तकनीक वाली फिल्म बना कर, रमेश सिप्पी ने हिंदी फिल्मों को एक्शन धारा की ओर मोड़ा ही, उच्च तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित किया।
सुभाष घई- २४ जनवरी ९४५ को जन्मे सुभाष घई को राजकपूर के बाद दूसरा शोमैन कहा गया। सुभाष घई की कालीचरण, विश्वनाथ और गौतम गोविंदा से लेकर क़र्ज़ और ताल तक फ़िल्में अपने मधुर संगीत और स्वप्निल भव्य सेट्स के कारण भी जानी जाती हैं। उन्होंने एक्शन फिल्मों के युग में भी हीरो, सौदागर, परदेस और ताल जैसी संगीतमय रोमांस फ़िल्में बनाई। यह फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल भी हुई।
विक्रम भट्ट- २७ जनवरी १९६९ को जन्मे विक्रम भट्ट ने जनम और गुलाम जैसी हिट फिल्मों से अपने करियर शुरू किया। लेकिन, उन्हें हॉरर फिल्मों को जीवन देने वाला निर्देशक माना गया हॉरर फिल्म राज़ (२००२) के बाद। इस फिल्म ने भट्ट कैंप के लिए फ्रैंचाइज़ी फिल्मों का दरवाज़ा खोल दिया। फिल्म १९२० के बाद विक्रम भट्ट हॉरर फिल्मों के मसीहा बन गए। उन्होंने हॉन्टेड फिल्म को ३डी में बना कर हॉरर फिल्मों के लिए भी उत्कृष्ट तकनीक के रास्ते खोल दिए।
प्रियदर्शन- ३० जनवरी १९५७ को जन्मे प्रियदर्शन ने मलयालम फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की। दो दर्जन से ज़्यादा मलयालम फ़िल्में बनाने के बाद प्रियदर्शन फिल्म 'मुस्कराहट' से हिंदी फिल्मों में आये। इस फिल्म ने प्रियदर्शन को हिंदी दर्शको का प्रिय बना दिया। गर्दिश और विरासत जैसी भिन्न शैली वाली फिल्मों के बाद फिल्म 'हेरा फेरी' (२०००) ने प्रियदर्शन को अलग तरह की कॉमेडी फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया, जिसकी फ़िल्में संदेसा भी देती थी। 'भूल भुलैया' में प्रियदर्शन कॉमेडी और सुपर नेचुरल पावर का अनोखा मिश्रण कर रहे थे।
गणतंत्र दिवस वीकेंड पर 'एयरलिफ्ट'
०२ अगस्त १९९० को इराक ने कुवैत पर आक्रमण किया था। उस हमले के बाद की घटनाओं पर है यह फिल्म। इस फिल्म में रंजीत कत्याल की पत्नी उससे युद्धग्रस्त कुवैत से निकलने के लिए कहती है। तब रंजीत उसे समझाता है कि वह तभी जायेगा, जब यहाँ सब ठीक कर लेगा । यहाँ याद आते हैं आमिर खान, जो अपनी हिन्दू पत्नी किरण के कहने के बाद देश में घुटन महसूस करने लगते हैं । जबकि, एक कुवैती भारतीय इसे ठीक नहीं समझता। इस फिल्म का ट्रेलर गणतंत्र दिवस वीकेंड के लिए बेहद मौजू फिल्म साबित हो सकती है। अक्षय कुमार के संवाद तालियां बजवा लेंगे। लेकिन, ख़ास बात यह है कि इसी दिन एकता कपूर की पोर्न कॉमेडी फिल्म 'क्या कूल हैं हम ३' भी रिलीज़ हो रही है। सेक्स के पीछे पगलाए देश के युवाओं से उम्मीद कम है कि वह सेक्स कॉमेडी के बजाय एक देशभक्ति से भरपूर थ्रिलर देखने जायेंगे। बहरहाल, २२ जनवरी को यह साफ़ हो जायेगा कि देश में मैले में मुंह डालने वाले कितने सूअर हैं। फिलहाल देखिये ट्रेलर -
टीनएज म्युटेंट निंजा टर्टलस आउट ऑफ़ द शैडोज
२०१४ में बॉक्स ऑफिस पर ४९३ मिलियन डॉलर की मोटी कमाई करने वाली फिल्म 'टीनएज म्युटेंट निंजा टर्टलस' को भला कौन भूल सकता है। हालाँकि, समीक्षकों ने फिल्म की आलोचना की थी, इसके बावजूद इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की थी । इसीलिए, अब एक बार फिर इस फिल्म के सीक्वल 'आउट ऑफ़ द शैडोज' को रिलीज़ किये जाने की तैयारी जोरों पर है। पिछले दिनों इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया गया था। इस ट्रेलर में अप्रैल ओ'नील के किरदार में मेगन फॉक्स, वरन फेनविक के किरदार में विल अर्नेट, कैसी जोंस के किरदार में स्टेफेन अमल, एरिक सैक्स के किरदार में विलियम फिचनर और बैक्सटर स्टॉकमैन के किरदार में टाइलर पैरी नज़र आते हैं। फिल्म की कहानी के अनुसार द टर्टलस टीसीआरआई के विज्ञानी डॉक्टर बैक्सटर स्टॉकमैन के मुकाबले में आ जाते हैं। पुराना दुश्मन श्रेडर भी वापस आ गया है। उसने स्टॉकमैन को अपने अनुकूल नए म्युटेंटस बेबॉप और रॉकस्टेडी बनाने के निर्देश दिए हैं। न्यू यॉर्क सिटी पर नया खतरा मंडरा रहा है। दुनिया को ख़त्म होने से बचाने के लिए द टर्टलस अपने मानव साथियों अप्रिल ओ'नील और वरन फेनविक के साथ मुकाबले में आ जाते हैं। उनका साथ सजग कैसी जोन्स दे रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अपने पूर्ववर्ती जोनाथन लिएब्समैन की तरह इस फिल्म के निर्देशक डेव ग्रीन बढ़िया एक्शन फिल्म दे पाने में कामयाब होंगे। यह फिल्म ३ जून २०१६ को रिलीज़ होगी।
Friday 1 January 2016
पहले शुक्रवार की मनहूसियत
आज २०१६ की पहली तारिख (१ जनवरी) भी है और पहला शुक्रवार भी. इस पहले शुक्रवार को बॉलीवुड की कोई छोटी बड़ी फिल्म रिलीज़ नहीं होती. इस साल भी कोई भी हिंदी फिल्म आज रिलीज़ नहीं हुई है. बॉलीवुड किसी साल के पहले शुक्रवार को खुद के लिए बदकिस्मत मानता है. यानि पहले शुक्रवार रिलीज़ कोई भी फिल्म हिट नहीं होती। हालाँकि, २०११ में रिलीज़ निर्देशक राजकुमार गुप्ता की फिल्म 'नो वन किल्ड जेसिका' रानी मुख़र्जी और विद्या बालन की जोड़ी और बोल्ड संवादों के कारण हिट हो गई। लेकिन, उसी शुक्रवार रिलीज़ दूसरी फ़िल्म सयाली भगत की 'इम्पेशेंट विवेक' बुरी तरह से पिटी थी। इतना ही नहीं बॉलीवुड फिल्मों की बदकिस्मती में पहले शुक्रवार का बड़ा योगदान होता है। पहले शुक्रवार रिलीज़ हो कर आमिर खान की फिल्म 'मेला' बुरी पिटी थी। इसी फिल्म की असफलता के बाद बॉलीवुड पहले शुक्रवार से दहल गया था। पहले शुक्रवार असफल फिल्मों में इमरान हाश्मी की फिल्म 'जवानी दीवानी' (२००६), अर्जुन रामपाल, अमीषा पटेल और ज़ायेद खान की फिल्म 'वादा' (२००५), इश्क़ है तुमसे (२००४) और अक्षय कुमार की फिल्म तलाश (२००३) ख़ास हैं। पिछले साल तीन फ़िल्में 'इंटरनेशनल हीरो', 'टेक इट इजी' और 'मुंबई कैन डांस साला', २०१४ में जोए बी कार्वाल्हो और शोले ३डी, २०१३ में टेबल नंबर २१, मटरू की बिजली का मंडोला और देहरादून डायरी, २०१२ में निर्देशक जोड़ी अब्बास मुस्तान की अभिेषक बच्चन अभिनीत फिल्म 'प्लेयर्स' फ्लॉप हुई थी। हालाँकि, अगर इन रिलीज़ सभी फिल्मों पर एक नज़र डालें तो यह सभी फ़िल्में खराब बनी फ़िल्में थी। यह फ़िल्में चाहे किसी शुक्रवार रिलीज़ होती, असफल ही होती। अगर ऐसा न होता तो नो वन किल्ड जेसिका क्यों हिट होती?
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