लेख का टाइटल विचित्र है, क्योंकि
अनुराग कश्यप की फिल्म का नाम ही ऐसा
विचित्र है। अभी तक वुमनिया टाइटल
से चर्चित अनुराग कश्यप की, पटकथा लेखक तुषार हीरानंदानी निर्देशित फिल्म
का टाइटल बदल कर सांड की आँख रख दिया गया है।
महिला शार्प शूटर हैं सांड की आँख
यह फिल्म पश्चिम उत्तर प्रदेश की दो महिला शार्प शूटर प्रकाशी तोमर और
चंद्रो तोमर की है,
जिन्होंने बूढी हो जाने के बाद पिस्तौल शूटिंग के कई मैडल जीते। इन दो महिलाओं के जीवन संघर्ष पर फिल्म में
तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर यह किरदार कर रही हैं। फिल्म की कहानी के अनुरूप वुमनिया टाइटल सटीक
लगता था। क्योकि,
महिला प्रधान कहानी पर फिल्म का नाम महिलाओं जैसा महिलाओं की पहचान करता
ही होना चाहिए। परन्तु यह सांड की आँख ! कुछ समझ में नहीं आता है।
क्यों हैं खफा अनुराग !
लेकिन, समझने के लिए है अनुराग कश्यप का
गुस्सा। दरअसल,
वुमनिया टाइटल, फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रीतिश नंदी ने
रजिस्टर करा रखा है। प्रीतिश नंदी इस
टाइटल के साथ कोई फिल्म बनाना चाहते थे।
जब, अनुराग
कश्यप अपनी फिल्म का टाइटल रजिस्टर कराने गए तो उन्हें मालूम हुआ कि इस
टाइटल को पीएनसी यानि प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशन ने रजिस्टर करा रखा है। बिना उनकी इज़ाज़त के,
न तो अनुराग इस टाइटल का उपयोग कर सकते थे, न ही फिल्म
को सेंसर पास कर सकता था।
हो के मज़बूर.....!
आज अनुराग कश्यप ने बदले टाइटल के साथ, अपनी फिल्म
का ऐलान करते हुए, अपनी भंडास सोशल मीडिया पर उड़ेली। इस से मालूम होता है कि अनुराग कश्यप इस टाइटल
को पाने के लिए प्रीतिश नंदी के पास गए थे।
लेकिन, बकौल अनुराग कश्यप प्रीतिश नंदी ने ऐवज में
एक करोड़ की मांग रख दी। हालाँकि,
वुमनिया शब्द का पहला उपयोग, अनुराग
कश्यप की ही फिल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के ओ वुमनिया में हुआ था। इस लिहाज़ से वह, इस पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स रखते थे। लेकिन, सेंसर
नियमों के कारण, वह बिना वुमनिया के रजिस्टर हुए,
इस टाइटल से फिल्म रिलीज़ नहीं करवा सकते थे।
शूटिंग कल से
इसलिए, अनुराग कश्यप ने,
वुमनिया को सांड की आँख में बदलते हुए, प्रीतिश
नंदी को ट्वीट किया, "आप
टाइटल पर बैठ कर गर्म कीजिये। उम्मीद है कि इस टाइटल से अपनी कंपनी के लिए
कुछ अच्छा सा निकालेंगे।" फिल्म की
शूटिगं कल से शुरू हो जाएगी।
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