Friday, 22 March 2019

१९७१ के युद्ध की ‘विजय’ कहानी में अजय देवगन


टी-सीरीज के भूषण कुमार ने, भारतीय वायुसेना के सफल बालकोट हमले की बहती गंगा में हाथ धो लिया। फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता के बाद, दर्शकों में देशभक्ति के जज्बे को भांपते  हुए, भूषण कुमार ने सेलेक्ट मीडिया होल्डिंग्स के साथ मिल कर, फिल्म भुज: द प्राइड ऑफ़ इंडिया बनाने के ऐलान कर दिया है। भुज भी वॉर जोनर की फिल्म होगी।

भुज के गौरव विजय कार्णिक
भुज द प्राइड ऑफ़ इंडिया की कहानी स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक के देश भक्त से भरे जज्बे पर फिल्म है। इस फिल्म में अजय देवगन के स्क्वाड्रन लीडर की भूमिका करने की खबर है। फिल्म को अभिषेक दुढ़इया लिख रहे हैं। वही इस फिल्म का निर्देशन भी करेंगे। लेकिन, यहाँ सवाल है कि युवा विजय कर्णिक की भूमिका के लिए ५० साल के होने जा रहे अजय देवगन ही क्यों ?

धैर्य साहस और सूझबूझ के विजय
इसका जवाब है विजय कर्णिक का जज्बा। १९७१ के भारत-पाक युद्ध के दौरान, स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक, भुज गुजरात के वायु सेना के बेस कैंप में तैनात थे। पाकिस्तानी जहाजों के हमले से भुज की हवाई पट्टी बुरी तरह से क्षत्रिग्रस्त हो गई थी। विजय कार्णिक ने इस हवाई पट्टी को, युद्ध के दौरान ही अदम्य साहस का परिचय देते हुए, स्थानीय महिलाओं की मदद से जहाजों के उड़ने के योग्य बना डाला। यह उनका साहस था कि उन्होंने युद्ध के दौरान आम जनता को शामिल कर सेना की हवाई पट्टी की मरम्मत कराई।

इसलिए अजय देवगन !
यह कहानी तमाम युद्ध फिल्मों से अलग है। भुज की कहानी उरी की सर्जिकल स्ट्राइक की तरह पाकिस्तान पर हवाई हमले की नहीं है। लेकिन, इस कहानी में भी जांबाजी और साहस है। स्क्वाड्रन लीडर की यह कहानी कठिन समय में, धैर्य बिना खोये और नियमों की परवाह किये बिना मिलिट्री ऑपरेशन में सिविलियन को शामिल कर भारतीय वायु सेना को ताकत देने की कहानी है। ऎसी वीरता, धैर्य और साहस से भरी भूमिका को करने की क्षमता सिर्फ अजय देवगन में ही है।

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