कोई तीन चार साल पहले की बात है. पद्मावत निर्देशक संजय लीला भंसाली १९५२ की क्लासिक म्यूजिकल फिल्म बैजू बावरा को रंगबिरंगे कैनवास पर फिर उतारना चाहते थे. १९५२ की फिल्म बैजू बावरा का निर्माण और निर्देशन विजय भट्ट ने किया था. बैजू बावरा और तानसेन की संगीतमय प्रतिस्पर्द्धा दर्शाने वाले विषय को विजय भट्ट ने प्रेम कहानी में बुना था- बैजू और गौरी की प्रेम कथा. यह फिल्म नौशाद के कर्णप्रिय हिट संगीत के कारण मेगा हिट फिल्म साबित हुई थी. इस फिल्म के बाद, भारत भूषण और मीना कुमारी स्थापित हो गए थे. मीना कुमारी को गौरी की भूमिका के कारण श्रेष्ठ अभिनेत्री का पहला फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था.
सात दशक तक रीमेक नहीं - इसके बावजूद कि बैजू बावरा (१९५२) म्यूजिकल हिट फिल्म थी. इस फिल्म का रीमेक करने का खेल सात दशकों तक किसी के दिल में नहीं आया. २०१० में फिल्म निर्माता निर्देशक कृष्णा शाह ने बैजू द जिप्सी शीर्षक के साथ बैजू बावरा का रीमेक शुरू किया. इस फिल्म में आमिर खान को बैजू की भूमिका के लिए लिया गया था. फिल्म के लिए एआर रहमान संगीत देने वाले थे. पर यह फिल्म जल्द ही ठन्डे बस्ते में डाल दी गई.
दिलीप कुमार नर्गिस होते बैजू-गौरी - इसके बाद, दस साल तक बैजू बावरा की दास्ताँ पर कोई खबर नहीं सुनाई दी. दरअसल, बैजू बावरा का नया संस्करण कास्टिंग बदलने का शिकार होता चला गया. कास्टिंग बदलने की घटना तो १९५२ के बैजू के साथ भी हुई थी. विजय भट्ट अपनी फिल्म का बैजू दिलीप कुमार और गौरी नर्गिस को बनाना चाहते थे. उस समय यह जोड़ी काफी प्रसिद्ध भी थी. पर विजय भट्ट के बजट ने सब चौपट कर दिया; काफी विचार विमर्श के बाद, बैजू और उसके साथ गौरी को भी बदल दिया गया. अब विजय भट्ट के बैजू भारत भूषण और गौरी मीना कुमारी थी; अब यह बात दूसरी है कि दिलीप कुमार और नर्गिस की हिट जोड़ी न होने का बावजूद बैजू बावरा मेगा हिट हुई और भारत भूषण और मीना कुमारी नए सितारे बन कर उभरे.
बदलते रहे बैजू- गौरी - १९५२ की फिल्म की तरह, संजय लीला भंसाली की बैजू बावरा भी सितारे बदलने का शिकार होती चली गई. अब यह तो नहीं मालूम कि उस समय संजय लीला भंसाली के दिमाग में क्या चल रहा था. परन्तु, ऐसा लगता था कि वह सितारों के बलबूते अपनी बैजू बावरा को हिट बनाना कहते थे. तभी तो वह शाहरुख़ खान को बैजू और सलमान खान को तानसेन बना कर पेश करना चाहते थे. निश्चित रूप से उस समय भंसाली म्यूजिकल क्लासिक नहीं बॉक्स ऑफिस हिट फिल्म बनना चाह रहे थे. पर यह कवायद परवान नहीं चढ़ सकी.
हिट जोड़ियाँ बना कर - इसमें कोई शक नहीं कि संजय लीला भंसाली की निगाहें बॉक्स ऑफिस पर ही टिकी हुई थी. तभी तो वह जोड़ियों के सहारे फिल्म का निर्माण शुरू करना चाहते थे. जबकि मूल बैजू बावरा हिट जोड़ी के साथ नहीं, हिट जोड़ी देने वाली फिल्म थी. यही कारण था कि संजय लीला भंसाली के दिल में रणबीर कपूर को बैजू और दीपिका पादुकोण को गौरी बनाने का विचार आया. उस समय तक रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण का रोमांस दर्शकों के दिलो में ताजा था. पर यह जोड़ी भी नहीं बन सकी. फिर खबर आई कि संजय के मन में कार्तिक आर्यन को बैजू बनाने का विचार आया है. पर यह समाचार भी हवा में उड़ गया.
पहले गंगुबाई - पिछले साल से, संजय लीला भंसाली की बैजू बावरा पर गंभीर विचार शुरू हो गया था. हालाँकि, उस समय भी संजय लीला भंसाली, कभी इंशाल्लाह और कभी गंगुबाई काठियावाड़ी के इर्दगिर्द घूम रहे थे. इंशाल्लाह ठन्डे बस्ते में डालने के बाद भंसाली ने गंगुबाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया. अब यह फिल्म प्रदर्शित हो कर हिट फिल्मों की श्रेणी में बताई जा रही है.
नाटकीयता का शिखर - संजय लीला भंसाली की फिल्मों में नाटकीयता शिखर पर होती है. बैजू बावरा में कितनी नाटकीयता है, इसका पता तो फिल्म प्रदर्शित होने के बाद ही चल सकेगा. लेकिन कास्ट के चुनाव में नाटकीयता हर कदम पर होती रही है. अब फिल्म में रणवीर सिंह के बैजू और दीपिका पादुकोण के गौरी होने का अंतिम निर्णय हो चुका है. लेकिन, कुछ समय पहले यह समाचार चर्चा में था कि पत्नी दीपिका पादुकोण ने पति रणवीर सिंह के बैजू से अधिक पारिश्रमिक न दिए जाने के कारण, संजय लीला भंसाली की गौरी बनने से इंकार कर दिया है.
अलिया भट्ट भी गौरी - दीपिका पादुकोण के कथित रूप से फिल्म से बाहर निकल जाने के समाचार के बीच एक समाचार यह भी उछाला गया कि अब रणवीर सिंह के बैजू की गौरी भंसाली की गंगुबाई यानि अलिया भट्ट होंगी. पर नाटकीयता की हद तो तब हो गई, जब यह सुनाई देने लगा कि संजय ने रणवीर सिंह को भी बाहर कर दिया है और नए बैजू अजय देवगन होंगे. अजय देवगन ने संजय लीला भंसाली की फिल्म हम दिल दे चुके सनम में सह भूमिका के अलावा हालिया रिलीज़ फिल्म गंगुबाई काठियावाड़ी में गंगू के करीम लाला की मेहमान भूमिका की है.
दीपिका ने छोडी फिल्म - फिर २०२२ शुरू होते होते रणवीर सिंह आ गए. पर दीपिका ने रणवीर के बराबर पैसे न दिए जाने के कारण फिल्म छोड़ देने, उनकी जगह अलिया भट्ट एक समय ऐसा आया कि अफवाह उड़ने लगी कि संजय लीला भंसाली के बैजू अजय देवगन होंगे.
बैजनाथ, बैजू और बैजू बावरा - संजय लीला भंसाली के बैजू की संगीतमय यात्रा प्रारंभ होने जा रही है. बैजू बावरा की यह सगीतमय यात्रा बदलाव की यात्रा है. संजय ने कास्टिंग तो बदली ही. टाइटल में भी स्थिर नहीं रहे. सावधानीवश उन्होंने फिल्म के रीमेक के लिए बैजनाथ, बैजू और बैजू तानसेन टाइटल रजिस्टर करवाये थे। शाहरुख़ खान बैजनाथ नहीं बन सके. रणबीर कपूर भी बैजू नहीं बने. इसी गड़बड़झाले में बैजू तानसेन भी बिला गए. अब जबकि रणवीर सिंह बैजू बन रहे हैं तो संजय लीला भंसाली की फिल्म का शीर्षक १९५२ की फिल्म बैजू बावरा वाला ही है. क्या संजय की बैजू बावरा, विजय भट्ट की बैजू बावरा के समकक्ष आ पाएगी. प्रतीक्षा कीजिये २०२३ तक.