Monday, 10 August 2015

विषय एक फिल्म अनेक !

हालिया रिलीज़ फिल्म 'रहस्य' के निर्देशक मनीष गुप्ता ने विशाल भरद्वाज पर आरोप लगाया है कि विशाल मेरी फिल्म कोई नुक्सान पहुंचाने के लिए तलवार दम्पति के साथ सांठ गाँठ कर रहे थे।  दरअसल, विशाल भरद्वाज २००८ में हुए कुख्यात  आरुषि हत्याकांड पर फिल्म बनाना चाहते थे।  इसके लिए वह तलवार दम्पति और उनके वकील के लगातार संपर्क में थे।  लेकिंन, मनीष गुप्ता ने इस कांड  पर फिल्म 'रहस्य'  आठ महीनों में पूरी कर ली।  विशाल भरद्वाज रहस्य के पहले बना लिए जाने से मनीष से नाराज़ थे।  इसीलिए उन्होंने रहस्य को रुकवाने में तलवार दम्पति का साथ दिया।  यानि यह मामला साफ़ तौर पर एक विषय पर फिल्म बनाये जाने से पैदा दुश्मनी थी। इसके बावजूद फिल्म निर्देशक और गीतकार गुलज़ार की बेटी मेघना गुलजार इसी आरुषि मर्डर केस पर फिल्म 'तलवार' का निर्माण कर रही हैं।
२८ अगस्त को जब दर्शक कबीर खान की फिल्म 'फैंटम' देख रहे होंगे, उन्हें  फिल्म कहीं देखी हुई सी लगेगी।  दर्शकों को याद आयेगी निर्देशक नीरज पाण्डेय की अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'बेबी' की।  इन दोनों फिल्मों के कथानक में काफी समानता है।  केवल नीरज पाण्डेय और कबीर खान के स्टोरी ट्रीटमेंट में ही फर्क होगा।  फैंटम की पृष्ठभूमि भी मुंबई के २६/११
अटैक और वैश्विक आतंकवाद पर फिल्म है।  जहाँ बेबी का अजय राजपूत आतंकवादियों के पीछे इंस्तांबुल, नेपाल, अबु धाबी, आदि देशों तक पहुँचता था, वहीँ फैंटम का दनयाल खान भी यूरोप, अमेरिका और आतंकवाद की नर्सरी पश्चिम एशिया तक जाता दिखाया जायेगा।  'बेबी' की तापसी पन्नू की तरह फैंटम में भी कटरीना कैफ सैफ की मदद करने वाली स्पेशल एजेंट बनी हैं।  इन्ही सब समानताओं के कारण फैंटम की रिलीज़ अप्रैल से अगस्त कर दी गई।
'ओह माय गॉड' ! 'पीके' भी !!
अभी बहुत पीछे जाने की ज़रुरत नहीं।  आमिर खान और राजकुमार हिरानी की जोड़ी की फिल्म 'पीके' और अक्षय कुमार और उमेश शुक्ल की फिल्म ओएमजी :ओह माय गॉड की कहानी बिलकुल सामान थी।  फर्क केवल यह था कि जहाँ फिल्म का मुख्य चरित्र धार्मिक
कठमुल्लों को अदालत तक घसीट कर उनका पर्दाफाश करता हैं, वहीँ पीके  में यह काम एक एलियन पीके करता है।  ओएमजी गंभीर और विचारवान फिल्म थी। वहीँ पीके कॉमेडी में सनी एक हलकी फुल्की सामान्य कॉमेडी फिल्म थी।  विवादों और हिन्दू धर्म पर ज़्यादा प्रहार करने के कारण यह फिल्म हिट हो गई।
बॉलीवुड में कहानियों का टोटा हो गया लगता है।  तभी तो एक एक बाद एक सामान कथानकों पर फ़िल्में बनाई जाने लगी है।  अब यह बात दीगर है कि एक फिल्म के बाद दूसरी फिल्म  की रिलीज़ पर वक़्त लगाने और निर्देशक तथा कलाकारों की भिन्नता के कारण दर्शक ज़्यादा प्रभावित नहीं होते।  २००९ में रिलीज़ कबीर खान की जॉन अब्राहम, कटरीना कैफ और  नील नितिन मुकेश की फिल्म न्यू यॉर्क और रेंसिल डि सिल्वा की सैफ अली खान, करीना कपूर और विवेक ओबेरॉय की फिल्म कुर्बान की कहानी में भी काफी समानता थी।  अब यह बात दीगर है कि कुर्बान को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली।  न्यू यॉर्क ने पहले रिलीज़ हो कर विषय की नवीनता का फायदा  उठा लिया।

अनारकली बनाम मुग़ल ए आज़म
सामान विषय  पर फ़िल्में बॉलीवुड का कोई नया ट्रेंड नहीं।  कोई साठ साल पहले के आसिफ ने अपनी सलीम अनारकली की मोहब्बत की दास्ताँ पर फिल्म बनाने का ऐलान किया था।  इस फिल्म के लिए दिलीप कुमार, मधुबाला और पृथ्वीराज  कपूर को साइन किया गया।  मुग़ल ए आज़म अभी लेखन के स्तर पर थी कि फिल्म की कहानी लीक हो गई।  फिल्मिस्तान ने अनारकली के लिए जहांगीर के मुग़ल बादशाह  विरुद्ध विद्रोह की कहानी पर फिल्म लिखवा कर १९५३ में अनारकली टाइटल से रिलीज़ करवा दी। इस फिल्म में प्रदीप कुमार ने सलीम, बीना रॉय ने अनारकली और मुबारक ने अकबर का किरदार किया था।  नन्दलाल जसवंतलाल के निर्देशन मे  फिल्म अनारकली के सी रामचन्द्र और वसंत प्रकाश के संगीत से सजे गीत सुपर हिट हो गए। अनारकली उस साल १९५३ की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई।   एक ही कथानक के बावजूद के आसिफ ने मुग़ल ए आज़म बंद नहीं की। आसिफ को आम तौर पर फिल्म बनाने में काफी वक़्त लगता था। वह परफेक्शन पसंद फिल्मकार थे। इसलिए, उन्हें मुग़ल ए आज़म बनाने में काफी वक़्त लगा। मुग़ल ए आज़म ५ अगस्त १९६० को रिलीज़ हुई। नौशाद के संगीत से सजी यह फिल्म भी बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। 

के आसिफ ने तो अपना प्रोजेक्ट ख़त्म नहीं किया।  लेकिन, राजकुमार हिरानी को फिल्म मुन्नाभाई चले अमेरिका बनाने का इरादा छोड़ना पड़ा।  वह लगे रहो मुन्नाभाई के बाद संजय दत्त और अरशद वारसी की जोड़ी के साथ 'मुन्नाभाई चले अमेरिका बनाना चाहते थे।  विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'एकलव्य' के साथ फिल्म का टीज़र भी रिलीज़ किया गया।  लेकिन, तभी हिरानी को पता चला कि करण जौहर भी इसी से मिलते जुलते सब्जेक्ट पर के सीरियस फिल्म 'माय नाम इज़ खान' बनाने जा रहे हैं।  इस पर उन्होंने 'मुन्नाभाई चले अमेरिका' बनाने का इरादा छोड़ दिया।  कुछ ऐसा ही मधुर भंडारकर ने भी किया।  वह एक बार गर्ल के राजनीतिज्ञ बनने की कहानी पर फिल्म 'मैडमजी' बनाने जा रहे थे।  उनकी फिल्म में प्रियंका चोपड़ा मुख्य भूमिका में थी।  लेकिन, तभी उन्हें मालूम पड़ा कि केसी बोकाडिया की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' का विषय भी सामान है।  पिछले दिनों रिलीज़ फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' में मल्लिका शेरावत ने जो भूमिका की थी, वही प्रियंका चोपड़ा करने वाली थी।  

आशुतोश गोवारिकर की फिल्म खेले हम जी जान से और अनुराग कश्यप की बेदब्रत पैं निर्देशित चट्टगांव की कहानियाँ मानिनी चटर्जी की किताब डू ऑर डाई : द चिट्टगांव अपराइजिंग १९३-४० पर आधारित थी।  हालाँकि, आशुतोष गोवारिकर ने इस किताब पर फिल्म बनाने के अधिकार मानिनी से खरीद लिए थे।  लेकिन, अनुराग कश्यप ने भी इसी विषय पर फिल्म बनाना शुरू कर दिया।  अब यह बात दीगर है कि अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म खेले हम जी जान से पहले रिलीज़ हो कर बुरी तरह से असफल हो गई।  अनुराग कश्यप ने आरोप लगाया कि अमिताभ बच्चन ने अपने रसूख का फायदा उठा कर उनकी फिल्म रिलीज़ नहीं होने दी।  
कुछ और सामान विषय वाली फ़िल्में 
एक ही विषय पर दो फिल्मों का सिलसिला जारी है।  अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब और लव रंजन की फिल्म वाइल्ड वाइल्ड पंजाब के विषय पंजाबी युवा और उनकी परेशानियां हैं।  अभिषेक चौबे की फिल्म में शाहिद कपूर, करीना कपूर और अलिया भट्ट और लव रंजन की फिल्म में पंजाबी फिल्मों के सितारे गिप्पी ग्रेवाल मुख्य भूमिका के रहे हैं। इन दोनों ही फिल्मों की शूटिंग आसपास ही शुरू हुई है।  अब देखने वाली बात कि कौन फिल्म पहले रिलीज़ होती है।  
३१ जुलाई को अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' रिलीज़ होगी।  इस फिल्म की कहानी ३ जुलाई को रिलीज़ कमल हासन की फिल्म 'पापनाशम' से मिलती जुलती है।  क्योंकि यह दोनों ही फिल्मे २०१३ में हिट मलयाली फिल्म 'दृश्यम' पर आधारित हैं।  इस फिल्म पर  २०१४ में दो फ़िल्में कन्नड़ दृश्य और तेलुगु दृश्यम बनाई गई थी।  इस बारे में  अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' के निर्देशक निशिकांत कामथ कहते हैं, "मेरी फिल्म का ट्रीटमेंट 'पापनाशम्' से अलग होगा।  दृश्यम का विषय ऐसा है, जिस पर कितनी भी भाषाओँ में फ़िल्में बनाई जा सकती है। मलयाली दृश्यम पर तेलुगु और कन्नड़ में फ़िल्में बनाई गई और सभी फ़िल्में हिट हुई।"

राजेंद्र कांडपाल 




मिला जोवोविच की रेजिडेंट ईविल के फाइनल चैप्टर में वापसी

हॉलीवुड की हीरोइन सेंट्रिक  एक्शन फिल्मों की नायिका के रूप में अभिनेत्री मिला जोवोविच लाजवाब हैं।  रेसिडेटं ईविल सीरीज की फिल्मों की ऐलिस के किरदार ने उन्हें रेजिडेंट ईविल सीरीज की फिल्मों रेजिडेंट ईविल, रेजिडेंट ईविल अपोकलीप्स, रेजिडेंट ईविल: एक्सटिंक्शन, रेजिडेंट ईविल : आफ्टरलाइफ और रेजिडेंट ईविल: रेट्रीब्यूशन की नायिका बना दिया।  रेजिडेंट ईविल सीरीज की पिछली फिल्म रेट्रीब्यूशन २०१२ में रिलीज़ हुई थी।  शादी के बाद मिला गृहस्थी में रम गई।  वह माँ भी बन गई।  लेकिन, अब एक बार फिर वह स्मृति-लोप की बीमारी से ग्रस्त ऐलिस का किरदार करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।  वह रेजिडेंट ईविल सीरीज की आखिरी फिल्म 'द फाइनल चैप्टर' में अपने तमाम एक्शन दृश्यों को आत्म विश्वास से कर रही है।  दो बार की तलाक़शुदा अभिनेत्री मिला जोवोविच के वर्तमान पति पॉल डब्ल्यू एस एंडरसन ही उनके फाइनल चैप्टर के डायरेक्टर हैं।  इस फिल्म में ऐलिस को मानवता के आखिरी चिन्ह को ख़त्म करने के लिए तैयार रेड क्वीन को ख़त्म करने के लिए समय से टक्कर लेनी है।  रेजिडेंट ईविल : द फाइनल चैप्टर २ सितम्बर २०१६ को रिलीज़ होगी।  

बेन एफ्लेक करेंगे द बैटमैन को डायरेक्ट

मास्क वाले सुपर हीरो के प्रशंसकों के लिए यह खुश खबर है।  वार्नर ब्रदर्स और डिटेक्टिव कॉमिक्स यानि डीसी की मास्क वाले सुपर हीरो की फिल्म ' बैटमैन' के लिए राइटर, डायरेक्टर और रिलीज़ डेट तय कर ली गई है। बैटमैन की स्पिन-ऑफ फिल्म 'द बैटमैन' में अभिनेता बेन अफ्लेक बैटमैन सूट और नकाब पहने ही होंगे, वह इस फिल्म के डायरेक्टर भी होंगे।  बेन ने कैमरा के पीछे गॉन बेबी गॉन, द टाउन और एर्गो जैसी हिट फ़िल्में दी हैं। इस फिल्म को एर्गो और बैटमैन वर्सेज सुपरमैन : डौन ऑफ़ जस्टिस के लेखक क्रिस टेरियो लिख रहे हैं।  द बैटमैन को डायरेक्ट करना बेन अफ्लेक के लिए आसान काम नहीं होगा।  वह 'द बैटमैन' के एक्टर-डायरेक्टर तो हैं ही, वह अगले साल जनवरी में रिलीज़ को तैयार फिल्म 'द अकाउंटेंट' के पोस्ट प्रोडक्शन के अलावा 'डॉन  ऑफ़ जस्टिस', 'सुसाइड स्क्वाड', 'लाइव बइ नाईट' तथा 'जस्टिस लीग पार्ट १ और २ में भी व्यस्त होंगे।  यह सभी फ़िल्में २०१६ और २०१७ में रिलीज़ होनी हैं।  जस्टिस लीग फिल्मों के आसपास ही 'द बैटमैन' को रिलीज़ होना है।



Friday, 17 July 2015

गौर हरी दास जी की धर्मपत्नी ने बहुत कुछ सिखाया: कोंकणा सेन

फीचर  फ़िल्म 'गौर हरी दास्ताँ -द फ्रीडम' फ़ाइल में कोंकणा सेन आज़ादी के गुमनाम नायक गौर हरी दास की पत्नी लक्ष्मी दास जी का चरित्र निभा रही है। कोंकणा को लक्ष्मी दास जी के किरदार से जुडी तमाम बारीकियों और जीवन शैली को खुद लक्ष्मी दास जी ने बताया है। सूत्रों ने बताया है कि लक्ष्मी दास जी सभी कॉस्ट्यूम ट्रायल के समय कोंकणा के साथ पूरे समय मौजूद थी।
आज के समय में जहाँ डिज़ाइनर और स्टाइलिश कॉस्ट्यूम के साथ किरदार को प्रभावशाली बनाये जाने की कोशिश की जाती है,वहीँ दूसरी और इस फ़िल्म में वास्तविकता को आधार बनाते हुए,कोंकणा के चरित्र को बखूबी दर्शाया गया है।कोंकणा ने भावुक होते हुए बताया कि स्क्रिप्ट पढ़ने के तुरंत बाद से ही वह लक्ष्मी दास जी से मिलने के लिए उत्सुक हो गयीं थी।लक्ष्मी दास जी ने उन्हें पूरा घर घुमाया,और अपनी हर आदत और नजरिया कोंकणा के साथ बांटा।यहाँ तक कि उनका किचन में बर्तन पकड़ने का अंदाज़ और अपने पति ले लिए चाय बनाने का तरीका तक उन्होंने बहुत गहनता से अध्ययन किया।इस संजीदा अभिनेत्री ने यह भी बताया कि उनका सबसे बड़ा गुण मृदुभाषिता है जो उन्होंने इस पूरी फ़िल्म के दौरान अपनी संवाद अदायगी में उपयोग की है।तीन दिनों तक कोंकणा के लक्ष्मीदास जी के घर बिताया गया समय बहुत दिलचस्प रहा।खादी और सूती कपड़ों से बनी साड़ियों का चयन इस किरदार को खूबसूरत रंग देने के लिए खुद लक्ष्मी दास जी ने किया है।

मिस्टर इंडिया मेलबोर्न में फहराएंगे तिरंगा

लगातार चौथे वर्ष इंडियन फ़िल्म फेस्टिवल ऑफ़ मेलबोर्न, भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़ोर शोर से मनाने के लिए तैयार है।मेलबोर्न में अगस्त माह में होने वाले इस फेस्टिवल की थीम समानता है। विद्या बालन एक बार फिर  इस फेस्टिवल का मुख्य आकर्षण होंगी।सुपरस्टार, मिस्टर इंडिया अनिल कपूर,15 अगस्त को इस फ़ेस्टिवल में भारतीय तिरंगे को फहराएंगे।इस महोत्सव में मेलबोर्न की विशिष्ट शख्सियतें मौजूद रहेंगी।अनिल कपूर अपनी नयी फ़िल्म 'दिल धड़कने दो' और इंडियन सिनेमा की धड़कन माने जाने वाली फ़िल्म 'मिस्टर इंडिया' प्रस्तुत करेंगे। इस महोत्सव के मास्टर स्ट्रोक सेक्शन में ऑस्ट्रेलियाई विभूति पॉल कॉक्स द्वारा भारत पर बनायीं गयी डाक्यूमेंट्री, सत्यजीत रॉय की चारुलता और फ़िल्म नायक प्रदर्शित की जायेगी।अनिल कपूर ने बताया कि भारतीय सिनेमा का विश्व के विभिन्न देशों में प्रतिनिधित्व् करना हमेशा से ही उनके लिए गौरव की बात रही है।और इसका महत्व तब और बढ़ जाता है जब आपको स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने देश के तिरंगे को फहराने का मौका मिलता है।अनिल मेलबोर्न में सिनेमा प्रेमियों से रुबरु होने के लिए बेहद उत्साहित है।


क्या इस 'बजरंगी' को पसंद करेंगे 'भाईजान' ?

सलमान खान और कबीर खान ईद से पहले इसी सवाल का जवाब ढूँढ़ते होंगे ? 
एक महा हनुमान भक्त, जो मांस मछली नहीं खाता, मस्जिद और मजार में नहीं घुसना चाहता, लेकिन एक पाकिस्तानी लड़की के लिए अवैध तरीके से पाकिस्तान घुसने से नहीं हिचकता . पाकिस्तान में भी वह हनुमान जी की दुहाई देता रहता है . इसमे कहीं साम्प्रदायिकता नहीं. कहीं पाकिस्तान को गाली नहीं दी गई है. कहीं पाकिस्तान की सहलाई भी नहीं गई है . कबीर खान ने एक बहुत अच्छी कहानी, बड़े शानदार तरीके से कही है . इसमे न कहीं सेकुलरिज्म है, न कही हिन्दुवाद, न इस्लाम का अतिरेक. थोड़ा ड्रामा ज्यादा है. लेकिन, जहाँ हीरो की छवि से अलग फिल्म बनानी हो तो इतना ड्रामा रखना ही होगा.लेकिन अनावश्यक ड्रामेबाजी/भाषणबाजी नहीं है . यही फिल्म का पॉजिटिव पॉइंट है . ज़ाहिर है कि बजरंगी भाईजान मास्टरपीस फिल्म है . किसी भी समय में हिट होने वाली फिल्म है .
अगर इस गुलाल उड़ाते बजरंगी को भाईजान ने पसंद कर लिया तो सलमान खान की बजरंगी भाईजान बॉक्स ऑफिस पर आमिर खान की फिल्म 'पीके' को ज़बरदस्त किक मारने जा रही है. इसीलिए यह सवाल बड़ा हो जाता है कि क्या इस बजरंगी को पसंद करेंगे भाईजान ?

Thursday, 16 July 2015

चार सुपर हीरो मतलब फैंटास्टिक फोर

१९८६ में कॉन्स्टन्टिन फिल्म के बर्नड एईशिन्गर ने कम बजट की फिल्म बनाने के लिए चार सुपर हीरो रीड रिचर्ड्स, बेन ग्रिम, सुसान स्टॉर्म और जॉनी स्टॉर्म की कहानी को मार्वेल से खरीद लिया था। इस फिल्म के पूरा होने के बाद पूरी कास्ट ने प्रमोशनल टूर भी किये। लेकिन, रिलीज़ से पहले ही निर्माताओं पर फिल्म के घटिया निर्माण के आरोप लगाने लगे कि लाइसेंस बनाए रखने के लिए फिल्म बनाई गई है। इस पर मार्वल कॉमिक्स ने कॉन्स्टन्टिन फिल्म से फिल्म के नेगटिव खरीद लिए ताकि आगे चल कर बड़े बजट की फिल्म बनाई जा सके। इस प्रकार से १९९४ की फिल्म ‘द फैंटास्टिक फोर’ हॉलीवुड के इतिहास की ऎसी फिल्म बन गई, जो न तो सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई, न ही होम विडियो पर . अलबत्ता, पायरेटेड सीडी पर इसे रिलीज़ होता देखा गया। आइये चार सुपर हीरो पर बनी फिल्मों के बारे में -  
द फैंटास्टिक फोर (१९९४)
चार सुपर हीरो वाली पहली फिल्म ‘द फैंटास्टिक फोर’ बड़े परदे का मुंह नहीं देख सकी। इस फिल्म को डीवीडी और दूसरे फॉर्मेट पर ज़रूर रिलीज़ किया गया। यह फिल्म छोटे बजट की फिल्म बनाने में माहिर रॉजर कार्मन और बर्नड एईशिन्गर ने बनाई थी। इस फिल्म में फैंटास्टिक फोर के उत्पति और उनकी पृथ्वी को बचाने के लिए डॉक्टर डूम से लड़ी गई पहली लड़ाई का चित्रण हुआ था।  ओले सस्सून फिल्म के डायरेक्टर थे। अलेक्स हाइड-वाइट ने रीड रिचर्ड/मिस्टर फैंटास्टिक, जे अंडरवुड ने जॉनी स्टॉर्म/ह्यूमन टॉर्च, रेबेका स्टाब ने शु स्टॉर्म/इनविजिबल वुमन और बिचैल बैले स्मिथ ने बेन ग्रिम के किरदार किये थे। अन्य भूमिकाओं में विलेन डॉक्टर विक्टर वोन डूम अभिनेता जोसफ कल्प, अलिसिया मास्टर्स अभिनेत्री कैट ग्रीन, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। चार अंतरिक्ष यात्रियों के प्रायोगिक स्पेसक्राफ्ट पर धूमकेतु से कॉस्मिक रेज़ की बारिश होती है। इस कॉस्मिक हमले से चारों यात्री बच तो जाते हैं, लेकिन उनके शरीर मे चौंकाने वाले परिवर्तन होने लगते हैं तथा उनमे अलौकिक शक्तियां पैदा हो जाती हैं।  इन शक्तियों के द्वारा फैंटास्टिक फोर पृथ्वी को बचाने में मददगार हो सकते हैं। लेकिन, शर्त यह है कि दोनों को मिल कर यह काम करना होगा।  
फैंटास्टिक ४ (२००५)
कॉन्स्टन्टिन फिल्म से फैंटास्टिक फोर के नेगेटिव प्राप्त करने के बाद मार्वेल ने फिल्म के निर्माण पर अपना ध्यान लगाना शुरू किया। १९९७ में क्रिस कोलंबस और माइकल फ्रांस की स्क्रिप्ट पर पीटर सिगल ने काम शुरू किया। सिगल के बाद फिलिप मॉर्टन और सैम हैम ने स्क्रिप्ट पर काम किया। मार्वल ने राजा गोस्नेल को ४ जुलाई २००१ को फिल्म रिलीज़ करने के प्रोग्राम के साथ फिल्म ‘फैंटास्टिक ४’ के निर्देशन का भार सौंप दिया। मगर राजा ने फिल्म स्कूबी-डू के लिए यह फिल्म छोड़ दी। फिर पीटोन रीड ने कमान संभाली। वह फिल्म को साठ के दशक की पीरियड फिल्म बनाना चाहते थे। जल्द ही पीटोन भी चले गए। अप्रैल २००४ में टिम स्टोरी को डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठाया गया। टिम की फिल्म में मिस्टर फैंटास्टिक, इनविजिबल वुमन, ह्यूमन टोर्च, द थिंग और डूम का किरदार क्रमशः लोन ग्रफड, जेसिका अल्बा, क्रिस इवांस, माइकल चिक्लिस और जूलियन मैकमोहन कर रहे थे। यह फिल्म ८ जुलाई २००५ को रिलीज़ हुई। 
फैंटास्टिक ४: राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर (२००७)
फैंटास्टिक ४ ने बॉक्स ऑफिस पर ३०० करोड़ डॉलर से ज्यादा ग्रॉस किया था, इसलिए ट्वंटीथ सेंचुरी फॉक्स ने टिम स्टोरी को फिल्म के सीक्वल ‘राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ के डायरेक्शन का भार फिर सौंप दिया। सीक्वल फिल्म की कहानी कॉमिक बुक ‘द गेलक्टस ट्राइलॉजी’ और वारेन एलिस कि कॉमिक बुक 'अल्टीमेट एक्सटिंक्शन’ पर आधारित थी।  सिल्वर सर्फर की कॉस्मिक एनर्जी पृथ्वी पर बुरा प्रभाव डालने लगती है। जिसके फलस्वरूप प्लेनेट के चारों ओर क्रेटर्स बनने लगते हैं। इसी दौरना रीड और सुसान की शादी होने वाली है। अमेरिकी सेना फैंटास्टिक फोर और डूम से मदद मांगती है। इस फिल्म में सभी प्रमुख भूमिकाएं ‘फैंटास्टिक ४’ के कलाकारों ने ही की थी। यह फिल्म १५ जून २००७ को रिलीज़ हुई।    
फैंटास्टिक ४: राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन ने ट्वेंटीथ सेंचुरी फॉक्स को बेहद निराश किया था। इसलिए सिल्वर सर्फर के स्पिन-ऑफ को फिलहाल के लिए रोक दिया गया। 
बजट और बॉक्स ऑफिस
फैंटास्टिक फोर सीरीज की ६ जुलाई २००५ को रिलीज़ पहली अधिकृत फिल्म ‘फैंटास्टिक फोर’ १०० मिलियन डॉलर के बजट से तैयार हुई थी। इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड ३३०.५८ मिलियन डॉलर का ग्रॉस कलेक्शन किया। दूसरी फिल्म ‘फैंटास्टिक फोर: राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ १३ जून २००७ को रिलीज़ हुई। १३० मिलियन डॉलर के बजट से तैयार ‘राइज ऑफ़ द सिल्वर सर्फर’ ने वर्ल्डवाइड २८९ मिलियन डॉलर का ग्रॉस किया। ज़ाहिर है कि दूसरी फिल्म का कलेक्शन काफी कम था। वैसे यह फिल्म सीरीज मार्वल कॉमिक्स की सबसे ज्यादा ग्रॉस करने वाली चौथी सीरीज मानी जाती है।फैंटास्टिक फोर सीरीज की फिल्मों को बड़े खराब रिव्यु मिले। ज़्यादातर समीक्षकों ने फिल्म को डेढ़ से दो स्टार तक ही दिए।  
फैंटास्टिक फोर (२०१५)
ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स ने अगस्त २००९ में यानि सिल्वर सर्फर की रिलीज़ के चार साल बाद फैंटास्टिक फोर की रिबूट फिल्म पर काम शुरू करवा दिया।  टिम स्टोरी के बजाय जॉश ट्रैंक को डायरेक्शन की कमान सौंपी गई।  फिल्म को लिखने के लिए माइकल ग्रीन, जेरेमी स्लाटर, सेठ ग्राहम-स्मिथ एंड सिमोन किनबर्ग को लगाया गया।  जनवरी २०१४ में फिल्म के लिए कलाकारों का चयन शुरू हो गया।  चूंकि, फैंटास्टिक फोर की कहानी रिबूट थी तथा इसका समकालीन महत्त्व था, इसलिए पुरानी कास्ट को बिलकुल बदल दिया गया। माइल्स टेलर को मिस्टर फैंटास्टिक, केट मारा को इनविजिबल वुमन, माइकल बी जॉर्डन को ह्यूमन टॉर्च. जैमी बेल को द थिंग और टॉबी केबेल को डूम के किरदार में  ले लिया गया। इस फिल्म की टैग लाइन कहती है - अगर आप दुनिया बदलना चाहते हैं तो आपको उसकी सुरक्षा के लिए भी तैयार रहना होगा। फैंटास्टिक फोर की रिबूट फिल्म की कहानी चार युवा टेलिपोर्ट की है, जो अंतरिक्ष में घूमते हुए दूसरे और खतरनाक ग्रह में चले जाते हैं, जिसके प्रभाव से उनके शरीर में  भयानक बदलाव हो जाते हैं।  लेकिन, इन चारों को अपने इन शारीरिक परिवर्तनों पर काबू पाते हुए, डॉक्टर डूम के खतरे से पृथ्वी को बचाना है।  यहाँ शर्त यही  है कि वह अपनी ताक़त का उपयोग मिल कर एक साथ ही कर सकते हैं।  यह फिल्म ७ अगस्त को रिलीज़ होगी।  
फैंटास्टिक फोर (२०१५) की संभावित सफलता के प्रति ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स के इत्मीनान का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्टूडियो ने फिल्म की एक फोटो ज़ारी होने से पहले ही फिल्म का सीक्वल बनाने का ऐलान कर दिया था। हालाँकि, २०१५ की फैंटास्टिक फोर ७ अगस्त को रिलीज़ होनी है, लेकिन स्टूडियो ने फैंटास्टिक फोर के अनाम सीक्वल की रिलीज़ की तारीख़ ९ जून २०१७ निर्धारित कर दी है।  

गजेन्द्र को लेकर ऍफ़टीटीआई में 'महाभारत'

फिल्म और टीवी के अभिनेता गजेन्द्र चौहान ने जब बीआर चोपड़ा के सीरियल 'महाभारत' में युधिष्ठिर का किरदार किया था, तब उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी कि कभी उनकों लेकर 'महाभारत' छिड़ेगी।  फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन के पद पर गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति के बाद इंस्टिट्यूट में महाभारत छिड़ गया है।  इंस्टिट्यूट के छात्र एक महीने से हड़ताल पर है।  जिस संस्थान में लाइट कैमरा साइलेंस की गूँज उठनी चाहिए, वहां ख़ामोशी छाई हुई है।  छात्र नहीं चाहते कि इस संस्थान का चेयरमैन फिल्म की ख़ास योग्यता न रखने वाला व्यक्ति तैनात हो।  ऋषि कपूर, रणबीर कपूर यहाँ तक कि अनुपम खेर, आदि भी गजेन्द्र चौहान के विरोध में लाम बंद हैं।  लेकिन, क्या सचमुच गजेन्द्र चौहान इतने नाकाबिल हैं कि उनके काम को परखे बिना, उनकी काबिलियत पर सवालिया निशान लगा दिया जाये? क्या फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओ का प्रशिक्षण देने संस्थान के लिए ढेरों फ़िल्में बनाने वाले, उनमे अभिनय करने वाले व्यक्ति को तैनात होना चाहिए क्या आज भी संसथान की ज़रुरत अदूर गोपालकृष्णन, श्याम बेनेगल, गिरीश कर्नाड, यु आर अनंतमूर्ति और सईद मिर्ज़ा जैसे फिल्मकार हैं ? क्या उनका चुनाव मनमाने तरीके से हुआ था ?
गजेन्द्र चौहान के चेयरमैन पद पर चुनाव को लेकर भ्रम ज्यादा है । कुछ अखबार कह रहे हैं कि चेयरमैन पद के लिए कुछ और नामो पर विचार नहीं किया गया, जबकि कुछ अखबार कह रहे हैं कि रजनीकांत और अमिताभ बच्चन पर गजेन्द्र को वरीयता दी गई । इससे साफ़ है कि फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया विवादों से ज्यादा घिरा हुआ है। हर कोई अपनी नाक घुसेड सकता है । वास्तविकता तो यह है कि संसथान में में पढ़ाई का माहौल बिलकुल नहीं है । इस इंस्टिट्यूट में आखिरी दीक्षांत समारोह १९९७ में हुआ था, जिसमे ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार को बुलाया गया था।  लेकिन, इस समारोह की ट्रेजिडी यह हुई कि छात्रों के हंगामे के कारण इसे रद्द कर देना पडा।  उसके बाद से इस ५५ साल के इंस्टिट्यूट में १७ सालों में कोई दीक्षांत समारोह नहीं हुआ है। १९९७ से पहले दीक्षांत सामारोह १९८९ में हुआ था।  इस संसथान की समस्याएं इक्का-दुक्का नहीं । यहाँ समस्याओं का जमावड़ा लगा हुआ है।  कोर्स का बैकलॉग तो है ही, सिलेबस भी आउटडेटेड हो चुका है। छात्रों की भरमार है। बताते हैं कि इस इंस्टिट्यूट में १५०-२०० अतिरिक्त छात्र डेरा जमाये बैठे हैं। यह कथित छात्र यहाँ क्या कर रहे हैं, कोई पूछने वाला नहीं हैं । छात्रों की संख्या के अनुपात में टीचर बहुत कम है। चार सौ छात्रों के लिए केवल तीस टीचर ही हैं। लगभग ७० प्रतिशत गेस्ट फैकल्टी होती है।  जबकि फिल्म मेकिंग ऎसी विधा है, जिसके लिए वन टू वन कांटेक्ट भी बेहद ज़रूरी हो जाता है। श्रेष्ठ फैकल्टी तो बेहद ज़रूरी है । लेकिन, जो है उसकी क्या हालत है ? फैकल्टी और छात्रों के बीच हमेशा दुश्मनी का नाता बना रहता है। हर समय म्यान से तलवारे खिंची रहती हैं। सुब्रहमन्यम स्वामी तो यहाँ के छात्रों को नक्सल बताते हैं । यह संस्थान ६ साल का कोर्स चलाता है । यह भी बुरी हालत में है । पिछले साल यह घोषणा हुई थी कि १९९५ से २००६ के बीच के कोर्स पूरा कर चुके छात्रों को डिप्लोमा दिया जाएगा। यहाँ पिछले चार सालों से एडमिशन बिलकुल बंद थे। इससे संस्थान की वित्तीय दशा बदतर हो गई। 
स्पष्ट रूप से ऍफ़टीआईआई की समस्या प्रशासनिक और आर्थिक है। अधिक टीचर, गेस्ट टीचर और सुविधाओं की जरूरत ज़्यादा है।  यह पिछले दो दशकों से केवल तीन पूर्ण कालिक महिला शिक्षक ही तैनात रहे हैं। इस समय पूर्ण कालिक शिक्षकों की संख्या २१ हैं, जो सभी पुरुष हैं। संस्थान में २००२ से कोई डायरेक्टर नहीं है। इंस्टिट्यूट के पिछले डायरेक्टर मोहन अगाशे ने २००२ में इस्तीफ़ा दे दिया था। अजीब बात नहीं कि इतने लम्बे समय से डायरेक्टर की महत्वपूर्ण पोस्ट को न भरे जाने पर किसी छात्र ने कोई प्रोटेस्ट नहीं किया था। दो साल पहले प्रशासन ने फैकल्टी को यह सलाह दी थी कि वह बैंकों से सैलरी लोन के रूप में ले, जिसका ब्याज संस्थान द्वारा दिया जायेगा। ज़ाहिर है कि सस्थान की समस्या प्रशासनिक और आर्थिक समस्या से निबटने के लिए किसी विशुद्ध फिल्मकार के बजाय थोड़ा हट कर चेयरमैन की ज़रुरत है। प्रोफेशनल व्यक्ति अपना फिल्म मेकिंग का काम तो बखूबी कर सकता है, लेकिन अन्य कामों के लिए समय और साधन की ज़रुरत होती है । इन्हें किया जाना तभी संभव है, जब केंद्र या राज्य सरकार में सुनवाई हो । इसके लिए किसी दक्षिण झुकाव वाले चेयरमैन से ज्यादा आरएसएस कथित आदमी गजेन्द्र चौहान प्रभावी हो सकते हैं । 
इसके लिए इंस्टिट्यूट में विश्वास का माहौल कायम करना होगा। संसथान से बॉलीवुड के सक्रिय लोगों को दूर रखना होगा । संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा दिए जाने की बात चल रही है।  अगर ऐसा हुआ तो ऍफ़टीआईआई के छात्रों को वर्ल्ड क्लास कैनवास मिलेगा। शिक्षकों और गेस्ट टीचर की संख्या बढ़ाने के धन की सख्त ज़रुरत है।  जो संस्थान अपनी फैकल्टी को तनख्वाह न दे पा रहा हो, वह कैसे सर्वाइव कर सकता है।  इसके लिए गजेन्द्र सिंह चौहान सक्षम साबित हो सकते हैं। उनके राजनीतिक सूत्र संस्थान को आर्थिक रूप से ठोस बना सकते हैं। जहां तक प्रशासन की बात है, इसके लिए किसी का ज़्यादा फ़िल्में करना या बनाना आवश्यक नहीं। तभी तो श्याम बेनेगल कहते हैं, "गजेन्द्र चौहान की काबिलियत को परखा जाना चाहिए।" यह तभी संभव है जब गजेन्द्र चौहान अपनी कुर्सी पर बैठे।  इसके लिए ज़रूरी है कि छात्र बिना किसी राजनीतिक पूर्वाग्रह के चौहान से बात करे।  वैसे बताते हैं कि गजेन्द्र के विरोध में कुछ राजनीतिक विचारधारा के छात्र ही है, जिन्हे पढ़ाई से कोई सरोकार नहीं है। 
 


बजरंगी भाईजान के साथ बाजीराव मस्तानी का ट्रेलर

संजयलीला भंसाली की पीरियड ड्रामा रोमांस फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' का टीज़र आज रिलीज़ किया गया।  इस फिल्म का थिएट्रिकल ट्रेलर १७ जुलाई को सलमान खान और करीना कपूर की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' के साथ १९ जुलाई को रिलीज़ होगा। यह ट्रेलर ३ मिनट २ सेकंड्स का होगा। रणवीर सिंह के साथ प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण की केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' १८ दिसम्बर को रोहित शेट्टी निर्देशित शाहरुख़ खान और काजोल की फिल्म 'दिलवाले'  के सामने रिलीज़ होगी।  इस प्रकार से संजयलीला भंसाली की फिल्म का सीधा टकराव भंसाली के पसंदीदा हीरो शाहरुख़ खान की फिल्म के साथ हो रहा है। यहाँ ख़ास उल्लेखनीय है कि संजयलीला भंसाली बाजीराव मस्तानी को २००३ में ऐश्वर्या राय और सलमान खान की उस समय की हॉट जोड़ी के साथ बनाना चाहते थे। लेकिन, इनके ब्रेक-अप के बाद उन्होंने सलमान खान के साथ करीना कपूर को ले कर फिल्म बनाने का इरादा बनाया। फिल्म में रानी मुख़र्जी पेशवा बाजीराव की पत्नी काशीबाई की भूमिका कर रही थी। लेकिन, इसी दौरान सलमान खान और करीना कपूर द्वारा दूसरी फिल्म साइन कर लेने के कारण नाराज़ भंसाली ने यह प्रोजेक्ट स्क्रैप कर दिया। क्योंकि, वह इस ताज़ातरीन जोड़ी को पहली बार खुद पेश करना चाहते थे। इसके बाद भंसाली ने ब्लैक, सावरिया, गुज़ारिश और गोलियों की रासलीला : राम-लीला जैसी मशहूर फ़िल्में बना डाली। अब यह संयोग नहीं तो और क्या है कि भंसाली की फिल्म का ट्रेलर उसी जोड़े की फिल्म के साथ रिलीज़ हो रहा है, जिसे उन्होंने निकाल बाहर किया था। दूसरी ओर उनकी फिल्म उनके प्रिय एक्टर शाहरुख़ खान की फिल्म के अपोजिट रिलीज़ हो रही है। भंसाली ने शाहरुख़ खान के साथ देवदास जैसी हिट फिल्म बनाई थी। बाजीराव मस्तानी से दीपिका पादुकोण अपनी डेब्यू फिल्म तथा चेन्नई एक्सप्रेस और हैप्पी न्यू ईयर जैसी सुपर हिट फिल्मों के हीरो शाहरुख़ खान की फिल्म के अपोजिट ताल ठोंक रही होंगी। अब देखने वाली बात होगी कि गोलियों की रासलीला : राम-लीला जैसी हिट फिल्म के निर्देशक संजयलीला भंसाली की फिल्म की नायिका दीपिका पादुकोण, उन्हें चेन्नई एक्सप्रेस जैसी बड़ी हिट फिल्म देने वाले डायरेक्टर रोहित शेट्टी की फिल्म के सामने कैसा प्रदर्शन कर पाती है! 


अब दो हफ्ता पहले जाँनिसार !

गमन, आगमन और उमरावजान जैसी फिल्मों के निर्माता मुज़फ्फर अली पूरे बीस साल बाद वापसी कर रहे हैं।  उमरावजान की तरह उनकी अगस्त में रिलीज़ होने को तैयार फिल्म 'जाँनिसार' भी पीरियड रोमांस ड्रामा होगी।  यह फिल्म १८५७ यानि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद के भारत पर फिल्म होगी।  इस फिल्म से पाकिस्तान के एक्टर इमरान अब्बास के साथ स्टाइल और फैशन आइकॉन पेरनिया कुरैशी का फिल्म डेब्यू हो रहा है।  यह अमीर और नूर की म्यूजिकल रोमांस कहानी है।  जानिसार को २१ अगस्त को रिलीज़ किया जाना तय था।  लेकिन, १४ अगस्त को धर्मा प्रोडक्शंस की बिग बजट फिल्म 'ब्रदर्स' की रिलीज़ तय हो गई।  ब्रदर्स में अक्षय कुमार और जैक्विलिन फर्नांडीज़ के अलावा सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकी श्रॉफ मुख्य भूमिका में है।  ब्रदर्स की रिलीज़ के कारण सिंगल स्क्रीन थिएटर लगभग फुल हैं।  मल्टीप्लेक्सों ने भी अपने ज़्यादातर  स्क्रीन ब्रदर्स के लिए बुक कर दिए हैं।  इसलिए, इसमे शक था कि जानिसार को पर्याप्त स्क्रीन मिल पायेगा।  इस पर तमाम बातचीत के बाद यह तय पाया गया कि फिल्म की रिलीज़ दो हफ्ता पहले यानि ७ अगस्त को कर दी जाये। इससे जानिसार को एक हफ्ता ही सही, ठीक-ठाक स्क्रीन्स मिल सकती हैं।  जानिसार को दो हफ्ते पहले रिलीज़ करने के सम्बन्ध में मुज़फ्फर अली कहते हैं, "हम तो फ़कीर लोग हैं।  जो अपने फन (आर्ट) पैर जान लगाते हैं।  मैं नहीं जानता कि इंडिपेंडेंट सिनेमा को सर्वाइव करने में इतनी परेशानियां हो सकती हैं।  कोई भी सपोर्ट नहीं करता।  इसीलिए मैं बिना किसी स्टूडियो के सपोर्ट के खुद अपनी फिल्म रिलीज़ कर रहा हूँ।  मुझे उम्मीद है कि सिंगल स्क्रीन थिएटर और मल्टीप्लेक्स दर्शकों को मेरी फिल्म देखने का मौका देंगे। "  



अल्पना कांडपाल



एक थी शीला रमानी

गुज़ारे जमाने की अभिनेत्री शीला रमानी कावसजी का निधन हो गया।  वह ८३ साल की थीं।  आज के पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में २ मार्च १९३२ को पैदा शीला रमानी को पचास के दशक की शुरुआत में मिस शिमला का खिताब मिला।  उन्हें हिंदी फिल्मों में लाने का श्रेय चेतन आनंद को जाता है, जिन्होंने शीला को १९५४ में रिलीज़ देव आनंद और कल्पना कार्तिक की फिल्म 'टैक्सी ड्राईवर' में एक एंग्लो इंडियन क्लब डांसर सिल्वी का किरदार दिया।  इस फिल्म के बाद वह नवकेतन बैनर का स्थाई चेहरा बन गई।  उन्होंने देव आनंद और गुरुदत्त जैसे अभिनेताओं के साथ यादगार भूमिकाएं की।  फिल्मों में उन्होने आम तौर पर उच्च वर्ग की मॉडर्न लड़की का किरदार किया।  देव आनंद के साथ उनकी फिल्म फंटूश काफी सफल रही। शीला रमानी का करियर पचास और साठ के दशक में खूब चमका।  उन्होंने सुरंग (१९५३०, तीन बत्ती चार रास्ता (१९५३), नौकरी (१९५४०), फंटूश (१९५६), रेलवे प्लेटफार्म (१९५५) और अनोखी (१९५६) जैसी उल्लेखनीय फ़िल्में की। उन्होंने जंगले किंग और द रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन जैसी बी ग्रेड फ़िल्में भी की।  द रिटर्न ऑफ़ सुपरमैन के बाद शीला रमानी कावसजी ने फिल्मों को अलविदा कह दिया।  उन्होंने अपने मामा शेख लतीफ़ के कहने पर एक पाकिस्तानी फिल्म अनोखी में मुख्य किरदार किया।  पहली सिन्धी फिल्म 'अबना' की वह नायिका थी।  इस फिल्म में साधना ने उनकी छोटी बहन का किरदार किया था।  उन्होंने इन्दोर के पास महू के एक पारसी व्यापारी जाल कावसजी से शादी रचाई।  अंतिम समय में वह महू में अपने दो पुत्रों के साथ रह रही थी।  वह  
पिछले कुछ सालों से अल्झाइमर से पीड़ित थी।  दो दिन पहले वह कोमा में चली गई थी।  

Wednesday, 15 July 2015

पीटर डिंकलेज को पसंद आई 'पिक्सेल्स' की रोमांचक कहानी

 हैरी पॉटर एंड  चैम्बर ऑफ़ सीक्रेट्सहैरी पॉटर एंड  सोर्सेरेरस स्टोनहोम अलोनमिसिज़ डाउट फायर आदि उत्कृट फिल्मों के निर्देशक क्रिस कोलंबस अपनी रोमांच एक्शन फ़िल्म 'पिक्सेल्सके द्वारा बहुत कुछ  नया और विलक्षण प्रस्तुत करने जा रहे हैं इस  फ़िल्म में  पीटर  डिंकलेजएडम सैंडलरकेविन जेम्स,  जोश गैड जैसे मशहूर एक्टर अभिनय कर रहे है । हाल  ही  में  एक साक्षात्कार  में डिंकलेज  ने बताया   कि दर्शकों के सामने कुछ नया और हटकर प्रस्तुत करना उनका काम है। वह एक जैसी भूमिकाएं  बार  बार   कर के वह खुद को और अपने दर्शकों को बोर नहीं करना चाहते । इसलिए जब उन्हें पिक्सेल्स जैसी फ़िल्म   मिली तो वह तुरंत समझ गए कि यह वही फ़िल्म है जिसका वह बहुत लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे।इस फ़िल्म की रोमांचक कहानी,एक्शन और थ्रिलर समझने के तुरंत बाद ही उन्होंने इस फ़िल्म के लिए अपनी पूर्ण सहमति  दे डाली। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि 'पिक्सेल्सकी पूरी टीम के साथ काम करना वाकयी बेहद दिलचस्प और रोमांच से भरा रहा। 'सोनी पिक्चर्स इंडियाकी डी फ़िल्म 'पिक्सेल्स' 31 जुलाई को   भारतीय दर्शकों के बीच एंटरटेनमेंट की बड़ी डोज़ लेकर  रही है । 


सैम रैमी शुरू करेंगे ईविल डेड का नया चैप्टर !

सैम रैमी अपनी कल्ट फिल्म ईविल डेड के चैप्टर फिर पलटना चाहते हैं। ईविल डेड सीरीज की पिछली फिल्म आर्मी ऑफ़ डार्कनेस १९९२ में रिलीज़ हुई थी। जाहिर है कि ईविल डेड सीरीज की पिछली फिल्म को रिलीज़ हुए २३ साल हो गए हैं। पर सैम रैमी ईविल डेड पर कोई फिल्म नहीं बनाने जा रहे हैं।  स्टार्ज़ टीवी पर ऐश वर्सेज ईविल डेड के १० एपिसोड ब्रूस कैम्पबेल के साथ सैम रैमी क्रिएट करेंगे। यह सीरीज ३१ अक्टूबर से प्रसारित होगी। ईविल डेड के टीवी रूपांतरण में ब्रूस कैम्पबेल राक्षसों के शिकारी ऐश का किरदार कर रहे हैं। जेना : वारियर प्रिंसेस की नायिका अभिनेत्री लूसी लॉलेस रूबी नोबी का किरदार करेंगी। द ईविल डेड (१९८१), द ईविल डेड २ (१९८७) और आर्मी ऑफ़ डार्कनेस (१९९२) में ऐश का किरदार करने वाले ५७ वर्षीय ब्रूस कैम्पबेल के लिए ऐश का किरदार करना अपने कम्फर्ट जोन में जाने जैसा है।  वह कहते हैं, "यह रोल अपने पुराने और आरामदेह जूते पहनने जैसा है। मैंने और रैमी ने ईविल डेड की वापसी पर विचार किया तो हमें लगा कि ईविल डेड पर कोई एक फिल्म देखने के बजाय प्रशंसकों के लिए १० एपिसोड देखना उपहार पाने जैसा होगा।"   

क्या एक्स मेन फिल्मे करेंगी जेनिफ़र लॉरेंस

ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स की म्युटेंट स्टोरी ‘एक्स-मेन: अपोकैलिप्स’ मई में रिलीज़ होने जा रही है। इस फिल्म में जेनिफ़र लॉरेंस के मशहूर मिस्टीक करैक्टर के अलावा माइकल फॉस्बेंडर और जेम्स मैकवॉय क्रमशः म्युटेंट मैग्नेटो और प्रोफेसर एक्स किरदार भी दर्शकों में उत्तेजना फैलाने आ रहे हैं।  एक्स-मेन सीरीज में अभी दो सीक्वल और बनाये जाने हैं।  इन दोनों फिल्मों में अपनी अपनी  भूमिकाओं के लिए फॉस्बेंडर और मॅकवॉय को साइन कर लिया गया है।  लेकिन, जेनिफर लॉरेंस अभी असमंजस में हैं। वह समझ नहीं पा रही है कि वह आगामी दो एक्स-मेन फिल्मों में पूरे शरीर को नीली ड्रेस से ढक कर दर्शकों के सामने आये या नहीं ! द सिल्वरलाइनिंग  प्लेबैक के लिए ऑस्कर जीत चुकी जेनिफर को द हंगर गेम्स सीरीज से खासी शोहरत मिली।  एक्स-मेन सीरीज को २०११ में रिलीज़ फिल्म एक्स-मेन: फर्स्ट क्लास से ज्वाइन करने वाली जेनिफर का रोल द हंगर गेम्स सीरीज की पहली दो फिल्मों की ज़बरदस्त सफलता के बाद एक्स-मेन: डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट में बढ़ा दिया गया।  इस फिल्म के बाद जेनिफर लॉरेंस को हंगर गेम्स: मॉकिंगजे पार्ट १ और पार्ट २ में मौका मिला और म्युटेंट फिल्म एक्स-मेन अपोकलिप्स भी मिल गई।  जेनिफर लॉरेंस इस समय २० मिलियन डॉलर की फीस पा रही हैं।  बताया जा रहा है कि विज्ञानं फंतासी फिल्म पैसेंजर के बाद तो उनकी फीस इसे ज़्यादा भी की जा सकती है।  इसीलिए एक्स-मेन सीरीज की बाकी दो फिल्मों में मिस्टीक की भूमिका करने के बारे में पूछे जाने वाले सवालों पर जेनिफर कहती है, "मैंने  फॉक्स से कभी यह नहीं कहा कि मुझे कोई ऑफर नहीं दिया जाए । ताकि, मैं न कह सकूँ।" जेनिफर का सीधा जवाब न देना यह बताता है कि जेनिफर को फॉक्स स्टूडियोज से २० मिलियन डॉलर के ऑफर का इंतज़ार है।   

          

एक्ट्रेस,मॉडल और शेफ अनुराधा चटर्जी खोपकर ने अपना किचन १६२३ शुरू किया।

अनुराधा चटर्जी खोपकर जिन्हे हम कई प्ले ,म्यूजिक वीडियो और फिल्म में देख चुके हैं, अब नए अवतार यानि कि शेफ के रूप में नज़र आएँगी। जी हाँ अनुराधा ने एक्टिंग और डांस के बाद ऑस्ट्रेलिया जाकर कुकिंग की एडवांस ट्रेनिंग ली और शेफ बनकर हिंदुस्तान आयीं । अपने पति रोहित खोपकर के साथ मिलकर किचन १६२३ शुरू किया। अनुराधा की माँ रमा अधिकारी ने उनका खूब साथ दिया। इस किचन में करुणा मार्केटिंग देखेंगी और रफत एडम प्रोडक्शन देखेंगी। इस किचन आपको सभी खाने की चीज़ें मिलेंगी ,सिर्फ आप फ़ोन करके आर्डर कीजिये  और आपका पार्सल आपके घर पहुँच जायेगा। अँधेरी में इसका एक टेस्ट सेशन रखा गया जहाँ फिल्म कलाकार राकेश कुकरेती आये। अनुराधा ने हिंदुस्तान आकर इंडिगो में कुछ समय काम भी किया। अनुराधा को केक ,कुकीज़ ,सैंडविच ,अलग किस्म की चाय और सभी प्रकार के खाने बनाने का हुनर है। हम उन्हें आल थे बेस्ट कहते हैं नए काम के लिए। 
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ऐसे है 'बाजीराव मस्तानी' की मस्तानी, काशीबाई और बाजीराव

'मस्तानी' दीपिका पादुकोण 

'काशीबाई' प्रियंका चोपड़ा 

'बाजीराव' रणवीर सिंह 

आज दर्शक 'बाहुबली' ऋतिक रोशन और जॉन अब्राहम को देखते !

आज जब साउथ की फिल्म 'बाहुबली' पूरी दुनिया में बॉक्स ऑफिस पर कीर्तिमान स्थापित कर रही है, बॉलीवुड के दो एक्टरों के चेहरों पर उदासी छाई होगी।  फिल्म में  बाहुबली और भल्लालदेवा की भूमिका के लिए बाहुबली के निर्देशक एस एस राजामौली की पहली पसंद प्रभाष और राणा दग्गुबती नहीं थे। उस समय  राजामौली अपनी इस फिल्म को तमिल और तेलुगु के साथ साथ हिंदी में भी बनाना चाहते थे।  वह दो बाहुबली भाइयों की इस दास्तान को सुन्दर कद काठी के बॉलीवुड अभिनेताओं जॉन अब्राहम और ऋतिक रोशन के साथ बनाना चाहते थे। इसलिए, उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट जॉन अब्राहम और ऋतिक रोशन के पास भेज दी।  कहा तो यह जाता है  कि तारीखों की समस्या के कारण यह दोनों अभिनेताओं इस फिल्म को नहीं कर सके।  लेकिन, अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि राजामौली को इन दोनों ही अभिनेताओं ने जवाब देने तक की ज़हमत नहीं उठाई।  इस पर निराश हो कर राजामौली ने प्रभाष और राणा दग्गुबती को लेकर फिल्म शुरू कर दी।  आज चार भाषाओँ में रिलीज़ फिल्म 'बाहुबली' रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड तोड़ और बना रही है।  यह फिल्म सबसे तेज़ केवल दो दिनों में १०० करोड़ कलेक्शन करने वाली फिल्म बन गई है।  यह फिल्म इंटरनेशनल बॉक्स ऑफिस पर टॉप टेन फिल्मों में शामिल हो गई है।  ऐसे  समय में निश्चय ही ऋतिक रोशन  और जॉन अब्राहम पछता रहे होंगे कि उन्होंने बाहुबली राजामौली को जवाब तक न देने की हिमाकत कैसे कर दी।

Monday, 13 July 2015

ऑल इस वेल के गीत में हिमेश रेशमिया और अरिजीत सिंह एक साथ

अभिषेक बच्चन और असिन की फिल्म ऑल इज वेल का गाना 'चार शनिवार'  बहुत पसंद किया जा रहा है।  अब इस फिल्म का एक दूसरा  गाना "बातों को" लांच होने जा रहा है  । यह एक रोमांटिक सांग है, जिसे हिमेश रेशमिया ने कंपोज़ किया है।  इस गाने के बोल शब्बीर अहमद ने लिखे हैं।  इस गीत को अरिजीत सिंह ने आवाज़ दी है। यह पहली बार होगा कि अरिजीत सिंह और हिमेश रेशमिया एक साथ काम कर रहे हैं। इस बाबत फिल्म के प्रोडूसर भूषण कुमार का कहते हैं, " बातों को तेरी" यह एक अद्भुत गीत है। .इसीलिए हमने फैसला किया है  कि हम अपनी फिल्म के  प्रमोशन की शुरुआत इस गाने के लांच के साथ ही करेंगे।" फिल्म के डायरेक्टर उमेश शुक्ला के लिए यह गीत ख़ास है।  वह बताते हैं, " हम जब हिमेश से मिले तो उन्होंने हमें सुनाने  लिए चार पांच गाने पहले से ही तैयार रखे थे। उन्होंने जैसे ही हमें "बातों को " की धुन सुनाई , यह हमारे दिल को छू गई। हमने सोचा कि इस स्पेशल सांग साथ जस्टिस कर सकने के लिए हमें स्पेशल आवाज़ की ज़रूरत थी।  इसीलिए हमने अरिजीत को चुना। अरिजीत सिंह और हिमेश रेशमियां की इस जोड़ी ने गाने में जान डाल दी ।"

अब पंजाब क्रिकेट लीग

संगीत और फिल्मों के बाद पंजाबी तड़का क्रिकेट में भी।  जी हाँ, पंजाबी मनोरंजन का चेहरा बदलने के लिए बॉक्स क्रिकेट लीग पंजाब आ रहा है।  इस लीग से पंजाब की फिल्म, संगीत और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियां जुड़ेंगी।  यह हस्तियां भारत के अलावा यूके, यूएसए और कनाडा से भी होंगी। पिछले साल टेलीविज़न की  १५० हस्तियों को लेकर ड्रामा, क्रिकेट और सेलिब्रिटी का गठजोड़ बॉक्स क्रिकेट लीग में नज़र आया था । अब बॉक्स क्रिकेट लीग को पंजाब का तड़का दिया गया है।  इस लीग में एषा देओल, गीता बसरा और अन्य पंजाबी हस्तियों की पांच क्रिकेट टीम इंडोर क्रिकेट खेलती नज़र आएंगी। इस लीग के लिए एक्सम टेलीमीडिया द्वारा बालाजी टेलीफिल्म्स से अधिकार प्राप्त किये गए हैं। देखने वाली बात होगी कि यह क्रिकेट लीग पंजाबी मनोरंजन को किस मुकाम तक ले जाती है।