‘द कोल्डेस्ट सिटी’ के लिए ‘जॉन विक’ के डायरेक्टर डेविड लीच को कुर्सी सौंपे जाने के बाद इस स्पाई थ्रिलर फिल्म में अभिनेत्री चार्लीज़ थेरोन के साथी का चुनाव भी कर लिया गया है। खबरों के अनुसार एक्स-मेन सीरीज की फिल्मों में प्रोफेसर चार्ल्स ज़ेवियर का किरदार करने वाले अभिनेता जेम्स मैकवॉय फिल्म में थेरोन के एक साथी होंगे। वैसे अभी यह तय नहीं है कि फिल्म में जेम्स की भूमिका वास्तव में क्या होगी। जेम्स ने कुछ दिन पहले ही एम नाईट श्यामलन की अनटाइटल फिल्म में जोअक़ुइन फ़ीनिक्स की जगह ली है। ‘द कोल्डेस्ट सिटी’ भी जेम्स बांड की तरह ब्रितानी सीक्रेट एजेंसी एमआई-६ के एजेंटों की कहानी है। यह फिल्म बर्लिन की दीवार गिराए जाने की पूर्व संध्या पर एमआई -६ के एजेंट के मारे जाने के बाद की घटनाओं पर केन्द्रित है। चार्लीज थेरोन सुपर स्पाई लोरेन ब्रोटन का किरदार कर रही हैं। मारे गये एजेंट के पास बर्लिन में तैनात तमाम अंडर कवर एजेंट्स के नामों की लिस्ट थी। लोरेन को किसी भी दशा में इस लिस्ट को पाना है। इसकी जांच करते करते लोरेन को पता चलता है कि बर्लिन दुश्मन देशों के जासूसों को ख़त्म करने की बड़ी व्यूह रचना की गई है। अब उसे अपनी जान जोखिम में डाल कर भी अपने साथियों को बचाना है। इस फिल्म की पटकथा कर्ट विमर ने लिखी है। यह फिल्म अगले साल २७ मई को रिलीज़ होगी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 31 October 2015
द कोल्डेस्ट सिटी में चार्लीज थेरोन के साथ जेम्स मेकवॉय
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 30 October 2015
'गुड्डू की गन' सीले कारतूस वाली
श्रीशक आनंद और शांतनु रॉय छिब्बर की लिखी और निर्देशित फिल्म 'गुड्डू की गन' से दो बातों की जानकारी होती है। पहली यह कि बिहारी वैलेंटाइन्स डे नहीं मनाते। जो मनाते हैं वह कैसे मनाते हैं यह गुड्डू की गन देख कर ही समझ जा सकता है। दूसरी यह कि अगर आप औरतों के हमबिस्तर होते समय यह नहीं समझते कि आप किसी भोली लड़की का दिल तोड रहे हैं तो आपका लिंग (फिल्म में इस शब्द का उपयोग किया गया है) सोने का हो जायेगा। यह अपनी पहले वाली स्थिति में तभी जायेगा, जब आपको सच्चा प्यार मिलेगा। इस थ्योरी को अगर द्विअर्थी संवादों और अश्लील घटनाओं के साथ फिल्माया जाये तो यह 'गुड्डू की गन' बन जाएगी। 'गुड्डू की गन' बिहार के गोवर्धन उर्फ़ गुड्डू की कहानी है, जो कलकत्ता के जिस घर में वाशिंग पाउडर बेचने जाता है, वहाँ की औरत को बिस्तर तक आसानी से ले जाता है। इस फिल्म से दो बाते साफ़ होती है। पहली यह कि बिहारी लोग औरतबाज़ हैं, उनका सेक्स का स्टैमिना काफी ज़्यादा है। दूसरा यह कि कलकत्ता या कहिये पूरे बंगाल की औरते, खासकर विवाहित औरते चरित्रहीन हैं और किसी भी फेरी वाले के साथ हमबिस्तर हो जाती हैं। इस घटिया थ्योरी को लेकर श्रेषक और शांतनु ने पूरी तरह से फूहड़ फिल्म 'गुड्डू की गन' बुनी है। फिल्म को देखा कर साफ हो जाता है कि कभी पहलाज निहलानी के जिस सेंसर बोर्ड पर कम्युनल होने का चार्ज लग रहा था, अब वह पूरी तरह से सेक्युलर बैटरी से चार्ज हो गया है। यह फिल्म मानसिक रूप से बीमार और औरतों में चमड़ी देखने वाले दर्शकों को ख़ास पसंद आने जा रही है। फिल्म के नायक गुड्डू की भूमिका कुणाल खेमू ने की है। विश्वास नहीं होता है कि इसी एक्टर ने बालपन में ज़ख्म जैसी फिल्म में मार्मिक अभिनय किया था। उनका कलयुग का डेब्यू भी ज़ोरदार था। लेकिन, कहते हैं न कि समय क्या क्या नहीं दिखा देता है। फिल्मों की लगातार असफलता ने कुणाल खेमू को गुड्डू की गन दिखाने को मज़बूर कर दिया। फिल्म से बांगला फिल्म एक्ट्रेस पायल सरकार का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ है। पता नहीं क्यों इस खूबसूरत एक्ट्रेस ने अपनी खूबसूरती और टैलेंट को इस घटिया फिल्म में जाया किया।
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में न 'मैं' न 'चार्ल्स'
आज के फिल्मकारों की फ़िल्में अब स्वान्तः सुखाय बनने लगी हैं। मल्टीप्लेक्स थिएटर और उनके बढी टिकट दरें किसी भी कूड़ा फिल्म को उसका पैसा वापस दिलवा देती हैं। ऐसे में कूड़ा फिल्मों का बनते रहना लाजिमी है। प्रवाल रमण के निर्देशन में चार्ल्स शोभराज की बायोपिक फिल्म 'मैं और शोभराज' ऎसी ही कूड़ा फिल्म हैं। इस फिल्म में चार्ल्स शोभराज के औरतों के प्रति अपराधों को ग्लोरीफाई नहीं, सेक्सीफाई किया है। हर औरत किरदार नंगा होने को तैयार है . चार्ल्स के जाल में फंसी औरतों का नंगापन पूरी फिल्म में हैं. पूरी फिल्म चार्ल्स शोभराज के एक शहर से दूसरे शहर भागते, पुलिस के उसके पीछे दौड़ते ही बीत जाती है. जब ख़त्म होती है तो यह साफ़ नहीं हो पाता कि शराब व्यवसाई पोंटी चड्डा के बैनर ने इस फिल्म को बनाया क्यों ? प्रवाल रमण पहले ही कह चुके थे कि वह चार्ल्स शोभराज को ग्लोरीफाई नहीं कर रहे . लेकिन, उन्होंने पुलिस को भी ग्लोरीफाई नहीं किया . नतीजे के तौर पर परवाल के न चाहते हुए भी चार्ल्स शोभराज का करैक्टर उभरा. भारत मे चार्ल्स को सज़ा दिलवा कर फिल्म ख़त्म हो जाती है, जबकि चार्ल्स शोभराज के अपराधों की लिस्ट उसके बाद भी बढती चली जाती है. अभिनय के लिहाज़ से चार्ल्स शोभराज की भूमिका में रणदीप हूडा और पुलिस अधिकारी आमोद कंठ की भूमिका में आदिल हुसैन खूब जमे हैं. ऋचा चड्डा तो जैसे समझती हैं कि वह दिखा देंगी तो लोग देखने चले आयेंगे. जबकि, दर्शक ऋचा के अभिनय वाली फिल्म देखने आते हैं. जैसे कि फिल्म राम-लीला में उनका किरदार . लेकिन, इस फिल्म में वह अभिनय से कोसों दूर रहती हैं. टिस्का चोपड़ा के करने के लिए कुछ ख़ास नहीं था. वैसे फिल्म में स्त्री पुरुष किरदारों की इफरात है. लेकिन, सब दर्शकों को कंफ्यूज करने के लिए हैं. फिल्म को उलझा देते हैं. फिल्म की सबसे बड़ी कमी है इसके ज्यादा इंग्लिश संवाद. ख़ास तौर पर चार्ल्स शोभराज के किरदार के मुंह से टूटी फूटी हिंदी ही बुलवाई गई है, जिसमे अंग्रेज़ी शब्द या कहिये वाक्य ज्यादा हैं. रणदीप हूडा अपने संवाद बोलते कुछ ऐसे हैं कि ज़्यादातर समझ में ही नहीं आते. प्रवाल रमण को इसे सिंक साउंड के ज़रिये हिंदी में कर देना चाहिए था. इसलीये यह फिल्म सिंगल स्क्रीन के लिए अपनी अपील खो बैठती है. महिला चरित्रों की कामुक छवि के ज़रिये दर्शक बटोरे जा सकते थे, लेकिन इसमे भी आधा अधूरा सा ही है. प्रवाल रमण ने फिल्म को खुद लिखा है. उन्होंने जैसा विसुअलाइज किया होगा, वैसा ही लिखा होगा. कुछ जगह वह फिल्म में दिलचस्पी पैदा करते हैं. मसलन, चार्ल्स का अपने अपराध स्वीकार करना. उसका बड़ी चालाकी से विदेसी टूरिस्ट को निशाना बनाना, आदि दृश्य . अगर प्रवाल फिल्म को चार्ल्स शोभराज की आज की स्थिति पर ख़त्म करते तो फिल्म अधूरी सी नहीं लगती। कुल मिलाकर फिल्म चार्ल्स ग्लोरीफाई तो नहीं करती, लेकिन मैं को भी नहीं उभारती. इसलिए लगता नहीं कि फिल्म को बहुत दर्शक मिल पाएंगे.
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 29 October 2015
औंधे मुंह गिरी विन डीजल की फिल्म
हॉलीवुड का घरेलु
बॉक्स ऑफिस सन्नाटे में हैं । इतिहास ने एक बार फिर खुद को दोहराया । २०१५ के ४३ वे वीकेंड में रिलीज़ अभिनेता विन
डीजल की फिल्म ‘द लास्ट विच हंटर’ बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की उपेक्षा का शिकार हो गई।
इस फिल्म ने पहले वीकेंड में १०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । विन डीजल की
फिल्म का इतना ख़राब प्रदर्शन विन डीजल के समर्थकों के लिए बड़ा झटका था । इसी साल फ्युरियस ७ की बड़ी सफलता वाले विन डीजल
की फिल्म का ऐसा प्रदर्शन यह साबित करने के लिए काफी है कि विन डीजल को फ़ास्ट एंड
फ्युरियास सीरीज का परिवार काफी सपोर्ट करता है । ‘द लास्ट विच हंटर’ का बजट ७५ से ८० मिलियन डॉलर
के बीच था । इस लिहाज़ से फिल्म के डोमेस्टिक बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बल पर अपनी
लागत निकाल पाने की उम्मीद नहीं की जाती । ट्रेड पंडितों का अनुमान है कि दूसरे वीकेंड में
इसका बिज़नस ५३ प्रतिशत के आसपास तक गिर आयेगा । विन डीजल की फिल्म की असफलता का
नतीजा यह हुआ कि रिडले स्कॉट की स्पेस फिल्म ‘द मर्शियन’ फिर टॉप पर आ गई। इस
फिल्म ने पिछले हफ्ते टॉप पर रही फिल्म ‘गूसबम्प्स’ को पीछे धकेल दिया . द
मार्शियान’ ने अपने चौथे वीकेंड में १५.९ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । सोनी की
फिल्म ‘गूसबम्प्स’ का कलेक्शन ‘द मर्शियान’ के मुकाबले थोडा कम १५.५ मिलियन का रहा।
यहाँ, उल्लेखनीय बात यह है कि जैसे ही ‘द मर्शियान’ ११.४ मिलियन डॉलर का कलेक्शन
कर लेगी, रिडले स्कॉट की घरेलु बाज़ार में सबसे ज़्यादा ग्रॉस कलेक्शन करने वाली
फिल्म बन जायेगी। इस वीकेंड में तीसरे स्थान पर स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म ‘ब्रिज
ऑफ़ स्पाईज’ रही, जिसने ११.३ मिलियन का कलेक्शन किया। लेकिन, स्पीलबर्ग और हंक्स
जोड़ी की अब तक की फिल्मों के लिहाज़ से यह कलेक्शन उत्साहजनक नहीं कहा जा सकता ।
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Hollywood
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Wednesday, 28 October 2015
असफल अभिनेताओं की सेक्स कॉमेडी
गोलमाल ३ के बाद से ही एक्टर कुणाल खेमू असफलता से जूझ रहे हैं। उनकी एक के बाद एक फ़िल्में फ्लॉप हो रही हैं। गोलमाल ३ के बाद उन्होंने हर साल एक फ्लॉप फिल्म देने का रिकॉर्ड कायम किया है। उनकी ब्लड मनी, गो गोवा गॉन और जोए बी कार्वाल्हो फ्लॉप हो चुकी है। पिछले दिनों रिलीज़ उनकी फिल्म 'भाग जॉनी' को बॉक्स ऑफिस ने भागने पर मज़बूर कर दिया। डायरेक्टर जोड़ी श्रीशांक आनंद और शशांक रे छिब्बर की फिल्म 'गुड्डू की गन' में कुणाल गुड्डू का किरदार कर रहे हैं, जिसकी 'गन' सोने की हो गई है। इस सेक्स कॉमेडी फिल्म के ट्रेलर में ही अश्लील और द्विअर्थी संवादों की भरमार है। 'गुड्डू की गन' के अलावा कुणाल के पास दूसरी कोई फिल्म नहीं। ज़ाहिर है कि वह गुड्डू की गन की सेक्स कॉमेडी के ही भरोसे हैं।
फ्लॉप अभिनेता + बी ग्रेड एक्ट्रेस = सेक्स कॉमेडी
फ्लॉप अभिनेताओं और दोयम दर्जे की फिल्मों की एक्ट्रेस की मज़बूरी है सेक्स कॉमेडी फ़िल्में करना। ऎसी फ़िल्में करके वह एक सफल फिल्म अपने खाते में जोड़ सकते हैं। चूंकि, ऎसी फिल्मों को हर अभिनेता या अभिनेत्री करना नहीं चाहेगी, इसलिए ऐसे फ्लॉप कलाकार ख़ास तरह की फिल्मों के सदस्य बन जाते हैं। पुष्टि करेंगे विवेक ओबेरॉय, आफताब शिवदासानी और रितेश देशमुख ! उन्हें फ्लॉप फिल्मों का सामना करना पड़ा। उनकी शुरूआती ए ग्रेड फ़िल्में चली नहीं। बी ग्रेड फ़िल्में भी कुछ ख़ास कारनामा नहीं कर पाई। ऐसे में सेक्स कॉमेडी इनके लिए एक ही रास्ता थी। यह फ्लॉप एक्टरों की तिकड़ी इंद्रकुमार की फिल्म 'मस्ती' में नज़र आई। द्विअर्थी संवादों वाली इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली। 'मस्ती' ने फिल्म निर्माताओं के सामने सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का रास्ता खोल दिया और इन एक्टरों को फिल्म 'ग्रैंड मस्ती' दिलवा दी। मस्ती से पहले आफताब शिवदासानी मुस्कान, सुनो ससुरजी, फूटपाथ, डरना मना है, प्यासा, जानी दुश्मन : एक अनोखी कहानी, कर ले प्यार कर ले, आदि जैसी फ्लॉप फिल्मो की लम्बी लाइन लगा चुके थे। रितेश देशमुख की मस्ती से पहले केवल दो फ़िल्में ही रिलीज़ हुई थी। लेकिन, मस्ती के बाद भी वह एक भी सोलो हिट फिल्म नहीं दे सके। उनकी मालामाल वीकली जैसी फ़िल्में खालिस उनकी नहीं थी। लेकिन, विवेक ओबेरॉय का कंपनी, साथिया, युवा और क्यों हो गया न जैसी बड़ी और सफल फिल्मों के बावजूद सेक्स कॉमेडी करना समझ से बाहर है। जबकि, मस्ती रितेश देशमुख के करियर की तीसरी फिल्म थी। बॉलीवुड के असफल अभिनेताओं का सेक्स कॉमेडी करने का सबसे बड़ा उदाहरण इमरान खान हैं। जिन्होंने लगातार असफल फिल्मो से घबरा कर 'डेल्ही बेली' जैसी अश्लील फिल्म सेक्स कॉमेडी के नाम पर की। यह फिल्म हिट भी हुई।
यह क्या हो रहा है !
बॉलीवुड ने सेक्स कॉमेडी फिल्मों की शुरुआत चोरी करके की। निर्माता थे आज के क्रांतिकारी निर्देशक हंसल मेहता। फिल्म थी हॉलीवुड फिल्म 'अमेरिकन पाई' की कटपेस्ट फिल्म 'यह क्या हो रहा है'। यह फिल्म २००२ में रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म उस समय सेक्स बम जैसी नज़र आ रही पायल रोहतगी और सहेलियों की सेक्स अपील को भुनाने के ख्याल से बनाई गई थी। वैसे फिल्म में प्रशांत चिअनानी, आमिर अली माली, वैभव जालानी और यश पंडित जैसे दर्शकों के लिए कम जाने पहचाने चहरे। लेकिन, दर्शकों का ख्याल रखने के लिए पायल रोहतगी के साथ उनकी दीप्ति दरयानानी, समिता बंगार्गी और पुनर्नवा मेहता की सेक्सी ब्रिगेड थी। यह वही पुनर्नवा हैं, जो बाद में पाखी टायरवाला बनी। वह अब्बास टायरवाला की बीवी हैं। गुमनाम एक्टरों की गुमनाम रही ब्रिगेड के साथ बनी 'यह क्या हो रहा है' से हिंदी फिल्म दर्शकों का पहला परिचय सेक्स कॉमेडी से हुआ। यह एक अनोखा विषय था। इसलिए फिल्म चल निकली।
फ्लॉप डायरेक्टर भी
सेक्स कॉमेडी फ्लॉप फिल्म डायरेक्टर की पनाहगाह हो सकती है। यह क्या हो रहा है से पहले तक १३ फ्लॉप फ़िल्में दे चुके हंसल मेहता के बाद दीपक तिजोरी ने भी इसे पुख्ता किया। दीपक तिजोरी अच्छे अभिनेता हैं, इसे उन्होंने साबित किया। उन्हें महेश भट्ट की फिल्मों का सहारा मिला। आशिक़ी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, खिलाडी, बेटा, आदि फिल्मों में वह नायक के सहायक थे। बतौर नायक वह बिलकुल फ्लॉप साबित हुए। इसलिए जब उन्होंने बतौर डायरेक्टर हाथ आजमाने की सोची तो फिल्म सेक्स कॉमेडी बनाई । लेकिन, फिल्म असफल हुई। इसके बाद दीपक ने थ्रिलर, मर्डर मिस्ट्री फ़िल्में बनाई। ज़ोर, संध्या और चुरा लिया है तुमने जैसी फ्लॉप फिल्म देने के बाद मलयालम फिल्मों के संगीत सिवन ने एकता कपूर के लिए फिल्म 'क्या कूल हैं हम' बनाई। फिल्म सुपर डुपर हिट हुई। इस फिल्म में फ्लॉप तुषार कपूर और रितेश देशमुख की जोड़ी थी। लेकिन, इस सुपर हिट फिल्म का सीक्वल क्या सुपर कूल हैं हम चल नहीं सका। रजत कपूर फिल्म एक्टर डायरेक्टर हैं। वह हर प्रकार की हिंदी अंग्रेजी मिक्स फ़िल्में बना लेते हैं। उन्होंने सेक्स कॉमेडी मिक्स्ड डबल्स का निर्देशन किया। फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रणवीर शोरे, कोयल पूरी और रजत कपूर थे। फिल्म में एक व्यक्ति पत्नी को खुश करने के लिए पावर बढ़ाने वाली दवाएं लेता है। सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने में स्थापित निर्देशकों ने भी रूचि ली। अनंत बलानी एक ऐसे ही निर्देशक थे। उन्होंने सलमान खान और रवीना टंडन को लेकर 'पत्थर के फूल' का निर्देशन किया था। अलबत्ता, उन्होंने भिन्न शैली की फ़िल्में बनाई। जॉगर्स पार्क और एक दिन २४ घंटे के साथ उनकी सेक्स कॉमेडी फिल्म मुंबई मैटिनी भी रिलीज़ हुई। फिल्म में राहुल बोस और परीजाद जोरेबियन मुख्य भूमिका में थे, जिनका हिंदी फिल्मों में कोई नामलेवा नहीं।
सनी लियॉन है तो सेक्स कॉमेडी
सनी लियॉन बिग बॉस में इसीलिए लाई गई कि वह पोर्न फिल्म स्टार थी। उनसे बिग बॉस को सेक्स का छौंका मिलता। महेश भट्ट सनी लियॉन को बिग बॉस से अपनी बेटी की फिल्म जिस्म २ में ले आये। फिल्म फ्लॉप हुई। इंटरनेट पर सनी लियॉन को सेक्स करता देख चुका दर्शक उनके ऑन स्क्रीन आधे अधूरे सेक्स को ख़ाक देखता। सेक्स के बूते पर सनी लियॉन की फिल्म 'रागिनीं एमएमएस २' हिट हो गई। फिल्म निर्माताओं को भी सनी लियॉन जैसी अभिनेत्री मिल गई थी, जिसके नाम से अपनी सेक्स कॉमेडी फिल्मो को भुनाया जा सकता था। सनी लियॉन की फिल्म कुछ कुछ लोचा है पहली सेक्स कॉमेडी फिल्म थी। लेकिन, उनकी दूसरी सेक्स कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे' सेंसर के पचड़े में फंस गई। एक दूसरी अभिनेत्री हैं राधिका आप्टे। वह बॉलीवुड की सेक्स सिंबल बन कर उभर रही हैं। उनकी एक्स सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' रिलीज़ हो चुकी है। यह सभी अभिनेत्रियां पायल रोहतगी, नेहा धूपिया, आदि सेक्सी अभिनेत्रियों की परंपरा में हैं, जिन्होंने सेक्स कॉमेडी फिल्मे की।
वैसे सेंसर बोर्ड की कड़ाई के बावजूद बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं का सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का इरादा कमज़ोर नहीं हुआ है। गुड्डू की गन के अलावा एकता कपूर की केन घोष निर्देशित फिल्म ३ एक्स भी सेक्स कॉमेडी फिल्म है। क्या सुपर कूल हैं हम का तीसरा भाग बनाया जा रहा है। इंद्रकुमार ग्रैंड मस्ती की वापसी करवा रहे हैं। निर्माता करण जौहर एक सेक्स कॉमेडी फिल्म बनाने जा रहे थे। लेकिन, एआईबी रोस्ट के विवाद में घिरने के बाद उन्होंने इस इरादे को ड्राप कर दिया। इसकी को-प्रोडूसर एकता कपूर थी।
फ्लॉप अभिनेता + बी ग्रेड एक्ट्रेस = सेक्स कॉमेडी
यह क्या हो रहा है !
बॉलीवुड ने सेक्स कॉमेडी फिल्मों की शुरुआत चोरी करके की। निर्माता थे आज के क्रांतिकारी निर्देशक हंसल मेहता। फिल्म थी हॉलीवुड फिल्म 'अमेरिकन पाई' की कटपेस्ट फिल्म 'यह क्या हो रहा है'। यह फिल्म २००२ में रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म उस समय सेक्स बम जैसी नज़र आ रही पायल रोहतगी और सहेलियों की सेक्स अपील को भुनाने के ख्याल से बनाई गई थी। वैसे फिल्म में प्रशांत चिअनानी, आमिर अली माली, वैभव जालानी और यश पंडित जैसे दर्शकों के लिए कम जाने पहचाने चहरे। लेकिन, दर्शकों का ख्याल रखने के लिए पायल रोहतगी के साथ उनकी दीप्ति दरयानानी, समिता बंगार्गी और पुनर्नवा मेहता की सेक्सी ब्रिगेड थी। यह वही पुनर्नवा हैं, जो बाद में पाखी टायरवाला बनी। वह अब्बास टायरवाला की बीवी हैं। गुमनाम एक्टरों की गुमनाम रही ब्रिगेड के साथ बनी 'यह क्या हो रहा है' से हिंदी फिल्म दर्शकों का पहला परिचय सेक्स कॉमेडी से हुआ। यह एक अनोखा विषय था। इसलिए फिल्म चल निकली।
फ्लॉप डायरेक्टर भी
सेक्स कॉमेडी फ्लॉप फिल्म डायरेक्टर की पनाहगाह हो सकती है। यह क्या हो रहा है से पहले तक १३ फ्लॉप फ़िल्में दे चुके हंसल मेहता के बाद दीपक तिजोरी ने भी इसे पुख्ता किया। दीपक तिजोरी अच्छे अभिनेता हैं, इसे उन्होंने साबित किया। उन्हें महेश भट्ट की फिल्मों का सहारा मिला। आशिक़ी, दिल है कि मानता नहीं, सड़क, खिलाडी, बेटा, आदि फिल्मों में वह नायक के सहायक थे। बतौर नायक वह बिलकुल फ्लॉप साबित हुए। इसलिए जब उन्होंने बतौर डायरेक्टर हाथ आजमाने की सोची तो फिल्म सेक्स कॉमेडी बनाई । लेकिन, फिल्म असफल हुई। इसके बाद दीपक ने थ्रिलर, मर्डर मिस्ट्री फ़िल्में बनाई। ज़ोर, संध्या और चुरा लिया है तुमने जैसी फ्लॉप फिल्म देने के बाद मलयालम फिल्मों के संगीत सिवन ने एकता कपूर के लिए फिल्म 'क्या कूल हैं हम' बनाई। फिल्म सुपर डुपर हिट हुई। इस फिल्म में फ्लॉप तुषार कपूर और रितेश देशमुख की जोड़ी थी। लेकिन, इस सुपर हिट फिल्म का सीक्वल क्या सुपर कूल हैं हम चल नहीं सका। रजत कपूर फिल्म एक्टर डायरेक्टर हैं। वह हर प्रकार की हिंदी अंग्रेजी मिक्स फ़िल्में बना लेते हैं। उन्होंने सेक्स कॉमेडी मिक्स्ड डबल्स का निर्देशन किया। फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रणवीर शोरे, कोयल पूरी और रजत कपूर थे। फिल्म में एक व्यक्ति पत्नी को खुश करने के लिए पावर बढ़ाने वाली दवाएं लेता है। सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने में स्थापित निर्देशकों ने भी रूचि ली। अनंत बलानी एक ऐसे ही निर्देशक थे। उन्होंने सलमान खान और रवीना टंडन को लेकर 'पत्थर के फूल' का निर्देशन किया था। अलबत्ता, उन्होंने भिन्न शैली की फ़िल्में बनाई। जॉगर्स पार्क और एक दिन २४ घंटे के साथ उनकी सेक्स कॉमेडी फिल्म मुंबई मैटिनी भी रिलीज़ हुई। फिल्म में राहुल बोस और परीजाद जोरेबियन मुख्य भूमिका में थे, जिनका हिंदी फिल्मों में कोई नामलेवा नहीं।
सनी लियॉन है तो सेक्स कॉमेडी
सनी लियॉन बिग बॉस में इसीलिए लाई गई कि वह पोर्न फिल्म स्टार थी। उनसे बिग बॉस को सेक्स का छौंका मिलता। महेश भट्ट सनी लियॉन को बिग बॉस से अपनी बेटी की फिल्म जिस्म २ में ले आये। फिल्म फ्लॉप हुई। इंटरनेट पर सनी लियॉन को सेक्स करता देख चुका दर्शक उनके ऑन स्क्रीन आधे अधूरे सेक्स को ख़ाक देखता। सेक्स के बूते पर सनी लियॉन की फिल्म 'रागिनीं एमएमएस २' हिट हो गई। फिल्म निर्माताओं को भी सनी लियॉन जैसी अभिनेत्री मिल गई थी, जिसके नाम से अपनी सेक्स कॉमेडी फिल्मो को भुनाया जा सकता था। सनी लियॉन की फिल्म कुछ कुछ लोचा है पहली सेक्स कॉमेडी फिल्म थी। लेकिन, उनकी दूसरी सेक्स कॉमेडी फिल्म 'मस्तीज़ादे' सेंसर के पचड़े में फंस गई। एक दूसरी अभिनेत्री हैं राधिका आप्टे। वह बॉलीवुड की सेक्स सिंबल बन कर उभर रही हैं। उनकी एक्स सेक्स कॉमेडी फिल्म 'हंटर' रिलीज़ हो चुकी है। यह सभी अभिनेत्रियां पायल रोहतगी, नेहा धूपिया, आदि सेक्सी अभिनेत्रियों की परंपरा में हैं, जिन्होंने सेक्स कॉमेडी फिल्मे की।
वैसे सेंसर बोर्ड की कड़ाई के बावजूद बॉलीवुड के फिल्म निर्माताओं का सेक्स कॉमेडी फ़िल्में बनाने का इरादा कमज़ोर नहीं हुआ है। गुड्डू की गन के अलावा एकता कपूर की केन घोष निर्देशित फिल्म ३ एक्स भी सेक्स कॉमेडी फिल्म है। क्या सुपर कूल हैं हम का तीसरा भाग बनाया जा रहा है। इंद्रकुमार ग्रैंड मस्ती की वापसी करवा रहे हैं। निर्माता करण जौहर एक सेक्स कॉमेडी फिल्म बनाने जा रहे थे। लेकिन, एआईबी रोस्ट के विवाद में घिरने के बाद उन्होंने इस इरादे को ड्राप कर दिया। इसकी को-प्रोडूसर एकता कपूर थी।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Tuesday, 27 October 2015
'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ने फिर जीता पीपल चॉइस अवार्ड
टोरंटो और ज़ुरीक जैसे अंतराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों की तारीफें बटोरने बटोरने के बाद फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' एक फिर दर्शकों का दिल जीत पाने में कामयाब रही है । हाल ही रोम फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' ने पीपल चॉइस अवार्ड विजेता का खिताब अपने नाम किया। बता दें की यह फिल्म इससे पहले भी टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में पीपल चॉइस अवार्ड में दूसरा स्थान हासिल कर चुकी है। पिछले हफ्ते रोम फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित हुई इस फिल्म को दर्शकों और फिल्म समीक्षकों ने खूब सराहा है और साथ ही 8 मिनट स्टैंडिंग ओवेशन देकर फिल्म को सलामी दी। फिल्म को फिल्म फेस्टिवल सबसे उच्चतम सम्मान बी एन्न एल पीपल चॉइस अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस फिल्म के स्टार कास्ट में सारा जेन, तनिष्ठा चैटर्जी, अनुष्का मनचन्दा, संध्या मृदुल, अमृत मघेरा, पवलीन गुजराल और राजश्री देशपंडे जैसे बहुमुखी कलकार शामिल हैं। फिल्म 'एंग्री इंडियन गौडेसेस' का निर्देशन अंतराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर निर्देशक पैन नलीन ने किया है।इस फिल्म के निर्माता जंगल बुक एंटरटेनमेंट हैं। इस बारे हुए निर्देशक पैन नलिन ने कहा है 'इस बात से सभी सहमत होंगे की अगर विश्व भर में कोई सबसे अच्छा अवार्ड है तो वो सिर्फ पीपल चॉइस अवार्ड है। रोम और इटली के लोगों ने हमे पीपल चॉइस अवार्ड हकदार समझा और उसी से हमें सम्मानित किया। मुझे बेहद खुसी है की गोआ के छोटे गाव से यह फिल्म पूरे दुनिया भर में प्रसिद्धि बटोर रही है।'
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फिल्म फेस्टिवल
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
सुपर हीरो है टाइगर श्रॉफ का 'फ्लाइंग जट्ट'
अपनी
पहली ही फिल्म 'हीरोपंती'
में हीरोगिरी
दिखाने के बाद टाइगर श्रॉफ अब 'फ्लाइंग जट्ट' बनने को तैयार हैं। रेमो डिसूज़ा निर्देशित इस फिल्म का हीरो यानि
फ्लाइंग जट्ट कोई आम पंजाबी लड़का नहीं, बल्कि पंजाबी सुपर हीरो है। यह भारत ही नहीं दुनिया का सबसे नौजवान सुपर
हीरो है। इस भूमिका को लेकर टाइगर श्रॉफ
बेहद उत्साहित है। टाइगर ने फिल्म के लिए
ज़बरदस्त ट्रेनिंग शुरू कर दी है। क्योंकि,
यह रोल टाइगर के
लिए लाइफ टाइम रोल साबित हो सकता है । टाइगर श्रॉफ फ्लाइंग जट्ट में अब तक के सबसे कठिन एक्शन सीन
करते हुए नजर आयेंगे। इन दृश्यों के लिए जूनियर श्रॉफ ने बारह बारह घंटो तक लगातार
शूटिंग की है। इस शूट से पहले भी वह पांच पांच घंटा प्रैक्टिस किया
करते थे। फिल्म का प्रोडक्शन हाउस भी अपने सुपर मैन का ख़ास ध्यान रख रहा है। बैटमैन, स्पाइडरमैन और सुपरमैन फ़िल्में गवाह
हैं कि इन फिल्मों के सुपर हीरो किरदारों
की पोशाक ही उनकी पहचान बनी। इन सभी हॉलीवुड सुपर हीरो की ख़ास पोशाकें हैं। इसी
लिए फिल्म 'फ्लाइंग
जट्ट' के
प्रोडूसर और डायरेक्टर रेमो डिसूजा ने सुपर हीरो
की पोशाक पर काफी ध्यान दिया। उनका इरादा फ्लाइंग जट को ऎसी पोशाक पहनाना था, जो
हॉलीवुड के किसी सुपर हीरो ने न पहनी हो। पहले इस पोशाक के लिए हिन्दुस्तानी
ड्रेस डिज़ाइनर को आजमाया गया। बात न बन पाने पर हॉलीवुड स्टूडियो से देसी सुपर
हीरो के लिए पोशाक बनवाने के लिए संपर्क किया। कोई ११ पोशाकों को देखने के बाद एक
पोशाक, जो सबसे भिन्न और देसी पंजाबी सुपर हीरो को अलग लुक देने वाली थी, पसंद की गई। इस
पोशाक की कीमत १० लाख रुपये है। आजकल इस पोशाक को सबकी नज़रों से दूर एक गार्ड की
तैनाती कर रखवाली करवाई जा रही। निर्माताओं को यह भय उतना नहीं है कि इस पोशाक को
कोई चुरा न ले, बल्कि चिंता इस बात की है कि कोई इस पोशाक की नक़ल न कर ले। बॉलीवुड भी तो जग्गा जासूस जैसी दूसरी सुपर हीरो फ़िल्में बनाने में जुटा हुआ है।
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Sunday, 25 October 2015
चार्ल्स शोभराज सेलेब्रिटी क्राइम वाला अपराधी था- रणदीप हूडा
रफ्ता रफ्ता ही सही एक्टर रणदीप हूडा का करियर चलता चला जा रहा है। कॉकटेल, जिस्म २, किक, हाईवे और रंग रसिया जैसी फिल्में इसे रफ़्तार देती हैं। अब वह लम्बे समय बाद कॉनमैन के रूप में मुख्य भूमिका कर रहे हैं। वह सोच समझ कर चुनिंदा फ़िल्में करने के शौक़ीन हैं। 'मैं और चार्ल्स' में वह चार्ल्स शोभराज का कॉन किरदार कर रहे हैं। व्यस्ततता के कारण शादी नहीं की, लेकिन घोड़े पालने का शौक है। पेश है इसी शुक्रवार रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' को लेकर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश -
क्या 'मैं और चार्ल्स' चार्ल्स शोभराज की बायोपिक है ?
- यह बायोपिक नहीं है।
१९८६ में दिल्ली में तिहाड़ जेल से एक आदमी १७५ लोगों को धराशायी कर उनके ऊपर से
चाबी लेकर फरार हो गया था। वह कैसे भागा, क्यों भागा, हमने इसी को दिखाया है। इसमें उसका पूरा जीवन नहीं दिखेगा। इसमें केवल
उसके २०-२५ साल के जीवन को दिखाया गया है। उसके जेल से भागने, पकड़े जाने और कोर्ट में पेशी के दौरान की कहानी
है। काफी अध्ययन करके वास्तविकता निकालने की कोशिश की गई है।
ऐसा व्यक्ति जो
पर्यटकों की हत्या करता है। क्या वह नफ़रत के लायक नहीं है ?
-अगर इस तरह से सोचें
तो वो नफरत के लायक हैं। फिल्म में भी हम उसके जुर्म को कोई अच्छा नहीं बताने जा
रहे हैं। लेकिन गौर करने की बात है कि उस पर जो भी हत्या और फ्राड के आरोप लगे,
वो पूरी तरह से साबित नहीं हो पाये। उसके
पास किसी भी देश का पासपोर्ट नहीं था। हिंदुस्तान के सामने उसको लेकर एक समस्या यह
भी थी कि उसे जेल से निकालने के बाद किस देश को सौंपा जाएगा। इस लिए उसे जेल में
ही रखा गया हो सकता है। नेपाल में भी एक पुराने प्लास्टिक के पैकेट और एक बुढ़े
पुलिस अधिकारी के साक्ष्य पर ज्यादा छानबीन किये बिना उसे दोषी ठहरा दिया गया।
आपने शोभराज के
किरदार को जी लिया है। आपके ख्याल से क्या उपेक्षा की कसक और महत्वपूर्ण होने के
लोभ का परिणाम है शोभराज ?
- हां हम कह सकते हैं।
उसके दिल में इन दोनों बातों को लेकर कसक थी। वो गरीबी में बहुत रहा। उसे
यूरोपियनों से चिढ़ थी। शोभराज बहुत ही मार्केटिंग वाला आदमी है। वो जो भी काम करता
था, उसे ग्लोरीफाई करके
करता था। वह न्यूज में बने रहने का आदी रहा। उसे हम सेलीब्रिटी क्राइम वाला
व्यक्ति कह सकते हैं। वो अपने बारे में छपी खबरों को पढ़कर सुकून महसूस करता था।
क्या आपको उससे हमदर्दी ?
-जी मैंने ये किरदार
किया है और अगर मुझमें उसके प्रति हमदर्दी नहीं होगी, तो मैं करुंगा कैसे। फिर मैं उससे जुड़ूंगा नहीं
तो अपने रोल के प्रति न्याय कैसे कर पाउंगा।
तो क्या आप चाहते
हैं कि उसे माफ कर दिया जाए ?
-देखिये अभी वो ७०-७५
साल का है। उस उम्र में बाहर ही जीने के लिए कितनी देखभाल की जरूरत होती है,
तो जेल में वो उम्र काटना तो बेहद ही
कष्टदायी है। ३०-३५ साल से वो जेल में है। १४ साल की उम्र कैद होती है। ऐसे में
मैं सोचता हूं कि उसकी सजा अब माफ कर देनी चाहिए।
अब आपके कंधे पर
फिल्म की जिम्मेदारी की अपेक्षा की जा रही है ?
-कंधे की जिम्मेदारी
निर्माता-निर्देशक की होती है। एक कलाकार
के तौर पर मैं हमेशा शिद्दत से काम करता रहा हूं। अगर मुझको लेकर जिम्मेदारी महसूस
की जा रही है, तो मैं इससे बहुत
खुश हूं। इससे मैं भागने वाला भी नहीं हूँ। अब मुझे ऐसी फिल्में भी मिल रही हैं ।
आप बड़े नाम के साथ काम करते हैं तो एक स्टार के तौर पर जीत होती है।
पीछे मुड़कर देखते
हैं तो ऐसा कुछ दिखता है , जिसे करने से आपकी जर्नी कुछ शॉर्टकट होती ?
-मुझे शुरू से ही
अपने कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की ज्यादा जरूरत नहीं थी। अगर मैं दूसरों की पीठ पर
बैठकर उनके कंधे से बंदूक चलाया होता, तो थोड़ा जल्दी आगे आ जाता । पर ये जो संघर्ष है। मानसून वेडिंग जो
बाहर की फिल्म थी, के बाद ४-५ साल कोई
काम नहीं मिला। २००५ में सफर शुरू हुआ और अब तक १०सालों में बहुत मेहनत, लगन, भड़ास और निराशा को अपने अंदर दबाकर हर रोज जूझता रहा हूं। अगर ये सब
नहीं हुआ होता, तो शायद आज मैं ऐसा
नहीं बन पाता । अब कुछ बदलाव आया है। पहले ज्यादा मुंहफट, गुस्सैल और बेवकूफ भी था। लेकिन अब थोड़ा संजीदा
हो गया हूं।
कोई फिल्म साइन करने
से पहले क्या देखते हैं ?
-सबसे पहले ये देखता
हूं कि क्या ये लोग इस काम के स्टार्ट होने के बाद अगले ६ महीने तक झेल पाएंगे।
इनके साथ काम करके मेरी कला, मेरी पहचान किस तरफ जाएगी। फिर अपने सहायक से सलाह करके निर्णय लेता
हूं। मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं ज्यादा चूजी हूं। क्योंकि जैसा काम करता हूं,
वैसी फिल्में कम बनती हैं। इसलिए जो काम मेरे पास आते हैं, उसी में से अपनी पसंद के आस-पास वाला काम कर लेता
हूं।
आपके प्रशंसक आपको
गंभीर कलाकार मानते हैं। क्या आप इस दबाव में ऐसा ही करते रहने वाले हैं या रिस्क
भी उठानां है ?
-अब तक निभाये मेरे
किरदार को अगर आप देखें तो वे कहीं ना कहीं रिस्क लेने वाले ही हैं। और मुझे लगता
है, जो मेरे प्रशंसक हैं,
उन्हें वही रिस्क अच्छा लगता है। मैं अपना
काम अपने प्रशंसकों की सोच को आगे रखकर नहीं करने वाला हूं। कहीं मेरी अपनी सोच है,
जिंदगी है, जिसे मैं हर हाल में बरकरार रखने वाला हूं।
क्योंकि अगर यही टूट गया, तो मुझमे बचेगा क्या। आप मेरी फिल्मों को देख लीजिए, आप मुझे किसी एक जोनर में नहीं रख पाएंगे।
सफलता के बावजूद
कुवाँरेपन का कारण क्या है ?
-मेरी शादी मेरे काम
से हो गयी है। मैं अपने काम में इतना बिजी रहता हूं कि दूसरी तरफ ध्यान ही नहीं
जाता कि निजी जिंदगी में क्या है, किसकी कमी है। यह बात दूसरे लोगों के लिए भले ही फ्रस्टेशन की हो,
लेकिन मैं नहीं चाहता कि कोई आए और मैं
अपना पागलपन उस पर थोप कर उसकी जिंदगी को मायूस कर दूं। इससे ये मत सोचिये की मेरी
लाइफ नीरस है। मैं बहुतों से मिलता हूं, घुड़सवारी करता हूं। मेरी पोलो की टीम है, जिसे चलाता हूं। कभी छुट्टी पर नहीं गया हूं ।
हमेशा काम में ही उलझा रहता हूं। मेरी यही रुचि है, मुझे इसी में मजा आता है।
कमर्शियल और आर्ट की
दीवार टूट रही है। क्या सहयोगी बन रहा है ?
-दुनिया बदल रही है।
आज इंटरनेट घर-घर पहुंच रहा है। दूसरे देशों और भाषाओं की फिल्में डब होके घर-घर
में देखी जा रही हैं। इससे लोगों का नये
विषयों से जुड़ाव हो रहा है। एक ही ढर्रे की फिल्मों से नया कुछ टेस्ट मिल रहा है।
मेरे जैसे कलाकार कमर्शियल और आर्ट के बीच की खाई को पाटने में ब्रिज बन रहे हैं।
मैं चाहता हूं कि इस दीवार को तोडऩे में मेरा काम सहयोगी बने।
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साक्षात्कार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 24 October 2015
मुझे 'बांड गर्ल' मत कहिये - मोनिका बेल्लुच्चि
सैम मेंडिस की बांड
फिल्म 'स्पेक्ट्र' में डेनियल क्रैग के साथ लुसिआ स्शर्रा का किरदार कर रही मोनिका बेल्लुच्चि को खुद को बांड गर्ल कहलाना पसंद नहीं। मैट्रिक्स सीरीज की फिल्मों 'रीलोडेड' और 'रेवोलुशन्स' की इतालवी नायिका मोनिका ५१ साल की हैं। उन्हें उस समय आश्चर्य हुआ था, जब उन्हें स्पेक्ट्र के लिए संपर्क किया गया। क्योंकि, बांड फिल्मों में जवान अभिनेत्रियों की दरकार होती है, जो अपनी सेक्स अपील से दर्शकों को लुभाएं। इसमे कोई शक नहीं कि वह जेम्स बांड सीरीज की लम्बी श्रंखला की फिल्मों की सबसे उम्रदराज एक्ट्रेस हैं। वह कहती है, "मैं 'जेम्स बांड वुमन' हूँ। मैं सही मायनों में महिला हूँ, न कि बांड गर्ल । इसीलिए, मैं जब भी स्पेक्ट्र के लिए अपना परिचय देती हूँ तो 'जेम्स बांड लेडी' या 'जेम्स बांड वुमन' ही कहती हूँ।" मोनिका ऐसे समय में बांड सीरीज की फिल्म में काम कर रही हैं तो यह पुरानी अभिनेत्रियों की समस्या के लिहाज़ से बढ़िया होगा। वह कहती हैं, "मैं फ्रांस में रहती हूँ। देखती रहती हूँ पुराने ज़माने की नताली बाये, कैथरीन डेनेउव, इसाबेल्ले हूप्पेर्ट, क्रिस्टीन स्कोत्त थॉमस, शेर्लोट राम्पलिंग को। इनका शानदार करियर रहा है। लेकिन, आज क्या है ?" अगले महीने २० नवंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'स्पेक्ट्र' में मोनिका राजनेताओं के उस हत्यारे की पत्नी का किरदार निभा रही हैं, जिसे बांड ने मार डाला है।
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Hollywood
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कैट हडसन को लगे बिल मूरे बहुत सेक्सी
'द ऑलमोस्ट फेमस' और 'हाउ टू लूज़ अ गाए इन टैन डेज़' जैसी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री कैट हडसन एक बार फिर अभिनेता बिल मूरे के साथ अपनी आने वाली फ़िल्म 'रॉक द कासबह' से दर्शकों के दिलों को जीतने के लिए तैयार हैं।फ़िल्म में मूरे एक जुनूनी म्यूजिक मैनेजर की भूमिका में है, जो अनजान सीमा क्षेत्रों में घूमता हुआ जादुई आवाज़ वाली एक टैलेंन्टेड लड़की को खोज निकालता है। इस फ़िल्म का निर्देशन ऑस्कर विजेता निर्देशक बैरी लेविंसन (फ़िल्म रेन मैन) ने किया है। वह बेहद दमदार कास्ट (केट हडसन और बिल मुरे) के साथ इस दिलचस्प कहानी को दर्शकों के सामने परोसने जा रहे है । हाल ही के एक इंटरव्यू में कैट ने बिल मूरे के साथ काम करते हुए, अपने अनुभवों और फ़िल्म में आपसी ट्यूनिंग पर बातचीत की । कैट हडसन ने बताया, " मुझे बिल मूरे को किस करना बहुत पसंद था । वह अभी भी बहुत सेक्सी है और हमारे सम्बन्ध काफी अच्छे हैं ।फ़िल्म की पृष्ठभूमि युद्ध में लिप्त अफगानिस्तान की है। पर इसे मोरैको में फिल्माया गया है । यह मेरे जीवन का एक बेहद मज़ेदार अनुभव रहा। मोरैको अपने आप में एक बेहद मस्त जगह है ।वहां कुछ ऐसे स्थान है जो मुझे हमेशा ही अपनी तरफ खींचते हैं ।" फ़िल्म 'रॉक द कासबह' पीवीआर पिक्चर्स द्वारा 22 अक्टूबर को भारत में रिलीज़ की जा रही है।
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Hollywood
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फिल्म 'तंत्र शक्ति' में पचास भूतों से लड़ेगी राय लक्ष्मी !
दिसम्बर में रिलीज़ होने जा रही श्रीकांत और लक्ष्मी राय की तमिल हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'सोव्कारपेत्तई' वास्तव में दो और भाषाओँ तेलुगु और हिंदी में भी रिलीज़ की जायेगी। तेलुगु में इसे 'शिव गंगा' और हिंदी में 'तंत्र शक्ति' टाइटल से रिलीज़ किया जायेगा। इस फिल्म में तमिल फिल्मों की सेक्सी नायिका राय लक्ष्मी मुख्य भूमिका कर रही हैं। यह उनकी तीसरी हॉरर फिल्म है। इससे पहले वह 'कंचना' और 'अरनमनाई' जैसी हॉरर फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। यह वही राय लक्ष्मी है, जो सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म 'अकिरा' और दीपक शिवदासानी की फिल्म 'जूली २' में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। श्रीकांत की यह पहली हॉरर फिल्म है। श्रीकांत तमिल फिल्मों के रोमांटिक हीरो रहे हैं। समय के साथ उनका रोमांटिक हीरो धुंधला पड़ गया। अब श्रीकांत सशक्त भूमिकाओं के ज़रिये अपनी वापसी करना चाहते हैं। इस फिल्म में श्रीकांत अपने करियर की पहली दोहरी भूमिका कर रहे हैं। फिल्म की एक भूमिका में वह अघोरी का किरदार कर रहे हैं। सोव्कारपेत्तई में पहली बार श्रीकांत और राय लक्ष्मी की जोड़ी बनाई गई है। इस फिल्म की खासियत है क्लाइमेक्स। इस क्लाइमेक्स में श्रीकांत और राय लक्ष्मी के किरदार श्मशान में पचास भूतों से लड़ाई करते दिखाए गये हैं। सूत्र बताते हैं कि तमिल फिल्मों में कभी इतने बड़े पैमाने पर ऐसे दृश्य नहीं फिल्माए गए। फिल्म में दर्शकों को तमिल- तेलुगु फिल्मों की सेक्सी नायिका का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री राय लक्ष्मी बड़े डरावने चहरे के साथ नज़र आयेंगी। फिल्म का निर्देशन वादिवुदियान कर रहे हैं।
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साउथ सिनेमा
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Friday, 23 October 2015
क्या हिंदी फिल्मों में पैर जमा पायेगा दक्षिण का यह 'बाहुबली' स्टार !
तेलुगु फिल्मों के एक्टर प्रभास के जन्मदिन पर उनका ज़िक्र इसलिए कि हिंदी बेल्ट के दर्शकों से उनका परिचय एस एस राजामौली की फिल्म 'बाहुबली: द बेगिनिंग' के बाहुबली शिवुडु की भूमिका से हो चुका है। इससे पहले प्रभास ने प्रभुदेवा की अजय देवगन अभिनीत फिल्म 'एक्शन जैक्सन' में कैमिया किया था। प्रभास दक्षिण के ऐसे सितारे साबित हुए हैं, जिन्होंने शिवाजी गणेशन और जैमिनी गणेशन से लेकर कमल हासन और रजनीकांत की फिल्मों की असफलता के इतिहास को धोने की कोशिश की है। प्रभास की फिल्म 'बाहुबली' के डब संस्करण ने रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट' के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से छह गुना ज़्यादा कलेक्शन किया। इसीलिए, यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या २३ अक्टूबर १९७९ को जन्मे प्रभास बॉलीवुड में दक्षिण के सितारों की असफलता के दाग को धो पाएंगे ? क्या वह हिंदी फिल्मों में सफल साबित होंगे ? अगर बाहुबली की सफलता को देखें और इस फिल्म के आखिरी दृश्य ने हिंदी दर्शकों में बाहुबली की दूसरी कड़ी के लिए जैसी उत्सुकता पैदा की है, उसे देखते हुए सोचा जाना स्वाभाविक है कि बाहुबली की सीक्वल फिल्म 'बाहुबली द कनक्लुजन' जब रिलीज़ होगी तो पिछले सारे रिकॉर्ड भंग कर देगी। इसमे कोई शक नहीं कि बाहुबली का क्रेज बन चूका है। इसकी आखिरी क़िस्त का बड़ी हिट होना सुनिश्चित है। लेकिन, इससे प्रभास की हिंदी फिल्मों में सफलता का निष्कर्ष निकालना ज़ल्दबाज़ी होगी। प्रभास का दक्षिण की फिल्मों में करियर ख़त्म हो चूका था। बाहुबली से तो उन्होंने बाउंस बैक किया है। वह इस समय ३२ साल के है। बाहुबली की सफलता बॉलीवुड के बैनर धर्मा प्रोडक्शंस की देन भी है। लेकिन, करण जौहर प्रभास को लेकर कोई बड़ी फिल्म बनाना चाहेंगे, यह खतरा मोल लेने वाला विचार ही है। खुद राजामौली भी जब बाहुबली को हिंदी में बनाना चाहते थे तो उन्होंने ह्रितिक रोशन और जॉन अब्राहम से पहला और आखिरी संपर्क किया था। जहाँ तक बॉलीवुड के फिल्मकारों की बात है तो वह खान अभिनेताओं के अलावा अक्षय कुमार, अजय देवगन, हृतिक रोशन, आदि को लेकर कोई फिल्म बनाएगा। तमाम साउथ हिट फिल्मों के रीमेक बॉलीवुड के बड़े सितारों के साथ ही तो बनाये जा रहे हों। फिर भी, प्रभास के चहरे में उत्तर के चेहरों वाली बात है। उनकी हिंदी बेहद कमज़ोर है। उसे इसे अच्छी तरह मांजना होगा। तभी वह बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस पर पकड़ रखने वाले सितारों के सामने अपना प्रभाव जमा पाएंगे।
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साउथ सिनेमा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हिंदी फिल्मों में बैंड बाजा बारात ! शादी से पहले शादी के बाद !!
सिनेमेटोग्राफर
बिनोद प्रधान की डेब्यू फिल्म 'द वेडिंग पुलाव' की
थीम में शादी है। लेकिन, दिगंत
और अनुष्का की यह कहानी न तो शादी से पहले की है, न शादी के बाद की
है। बल्कि, यह फिल्म शादी के दौरान
की है। अनुष्का और दिगंत साथ काम करते हैं,
अच्छे दोस्त है। अनजाने में एक दूसरे को चाहने लगते हैं, लेकिन
इसका एहसास नहीं। एक दिन अनुष्का को दिगंत
की शादी का इनविटेशन मिलता है। वह उसमे
शामिल होने जाती है। इस शादी के दौरान
दोनों को अजीब अनुभव होता है। अनुष्का के साथ उसका बॉयफ्रेंड है। दिगंत अनुष्का के बॉय फ्रेंड को देख कर जलने
लगता है। अनुष्का को लगता है कि दिगंत की
शादी न होने पाये। ऐसा क्यों ? यही
शादी के दौरान का वेडिंग पुलाव है।
शादी
के दौरान हुआ प्यार
हिंदी
फिल्मों की यही महिमा है। कभी शादी के
पहले,कभी शादी के बाद तो कभी शादी के दौरान भी। बैंड बाजा बारात के श्रुति (अनुष्का शर्मा) और
बिट्टू (रणवीर सिंह) दिल्ली के वेडिंग प्लानर हैं। दूसरों की शादी कराते हैं। कई कई दिन लगातार एक दूसरे के साथ दिन रात रहते
हैं। दोनों में प्यार हो जाता है। अब इन वेडिंग प्लानर की शादी तो होनी ही है न !
कुछ ऐसा ही एहसास यह जवानी है दीवानी के कबीर (रणबीर कपूर) को भी होता है, जब
वह अपनी दोस्त अदिति (कल्कि कोएचलिन) की शादी में जाता है। हालाँकि, नैना
(दीपिका पादुकोण) उससे बहुत पहले से प्यार करती है। लेकिन, कबीर को तो दुनिया घूमने का
चस्का है। उसे नैना का प्यार नज़र नहीं
आता। जब दोनों फिर अदिति की शादी में
मिलते हैं, तब कबीर को एहसास होता है कि वह अब तक क्या क्या खो
चूका था। शादी के दौरान का एहसास तनु
वेड्स मनु में दोनों मुख्य किरदारों को भी होता है। मनु (आर माधवन) शादी के लिए तनु (कंगना रनौत) को देखने आता है।
लेकिन, तनु तो राजा अवस्थी (जिमी शेरगिल) की दीवानी
है। कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों बार
बार मिलते हैं। तनूजा को एहसास होता है
मनु के प्यार का। इस प्रकार का शादी के
दौरान का प्रेम बहुत सी मेरे यार की शादी है,
हम आपके हैं कौन, दिलवाले
दुल्हनिया ले जायेंगे, बिट्टू बॉस जैसी तमाम हिंदी
फिल्मों के केंद्र में रहा है। ब्राइड एंड
प्रेज्यूडिस की श्रीमती बक्शी की अपनी चार बेटियों के लिए दूल्हे की तलाश एक शादी
में ही पूरी होती है।
शादी
के बाद
किसी
शादी को निभाना एक बड़ी बात होती है। पति
पत्नी के बीच मतभेद पैदा होते हैं। कभी
सुलझ जाते हैं, कभी टूट कर सुलझते हैं। हालिया फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में
तनु (कंगना रनौत) और मनु (आर माधवन) के संबंधों में खटास आ जाती है। वह मनु को पागलखाने में छोड़ कर वापस भारत आ
जाती है। मनु तनु की हमशक्ल लड़की से शादी
करने लगता है। इसी दौरान दोनों को एहसास हो जाता है कि वह दोनों गलती पर थे। दो फिल्मों मैं मेरी पत्नी और वह तथा रब ने बना
दी जोड़ी में विवाहित जोड़ियों की समस्या बेमेल विवाह की है। जहाँ रब ने बना दी जोड़ी में सुरिंदर (शाहरुख़
खान) उम्र में तानी (अनुष्का शर्मा) से बड़ा है।
तानी को हमेशा यह एहसास रहता है कि उसकी शादी एक बड़ी उम्र के आदमी से कर दी
गई। सुरिंदर उसे खुश रखना चाहता है। जबकि तानी उसमे सुपर मैन देखना चाहती है। वही मैं मेरी पत्नी और वह का मिथिलेश (राजपाल
यादव) छोटे कद है, जबकि
वीणा (रितुपर्णा सेनगुप्ता) लम्बे कद की है।
वीणा को पति के छोटे कद से परेशानी नहीं।
लेकिन, मिथिलेश में हीन भावना है। वह लम्बे कद की सुन्दर
पत्नी को लेकर सशंकित रहता है। कुछ समय
पहले रिलीज़ फिल्म दम लगा के हईशा में प्रेम (आयुष्मान खुराना) और संध्या (भूमि पेडणेकर) की कहानी भी कुछ ऐसी
ही है, जिसमे मोटी पत्नी वाले पति को मोटी पत्नी के साथ
शर्म आती है।
शादी
के बाद शादी से पहले का
कई
फिल्मों में शादी के बाद के जीवन में शादी के पहले वाला आ जाता है।
बीआर चोपड़ा ने ऎसी ही भटकी नारियों के जीवन पर फिल्म बनाई थी गुमराह। इस फिल्म में कमला (माला सिन्हा) और राजेंद्र
(सुनील दत्त) प्यार करते हैं। लेकिन कमला की शादी बैरिस्टर अशोक (अशोक कुमार)
से हो जाती है। सब ठीक हो रहा होता है कि
एक दिन कमला की विवाहित ज़िन्दगी में राजेंद्र फिर आ जाता है। वह अपने पुराने प्यार की दुहाई देता है। कुछ ऐसी ही कहानी धड़कन के अंजलि (शिल्पा
शेट्टी), राम (अक्षय कुमार) और देव (सुनील शेट्टी) की भी थी।
यश चोपड़ा की फिल्म 'सिलसिला' में अमित (अमिताभ बच्चन) और
चांदनी (रेखा) एक दूसरे से प्यार करते हैं।
लेकिन, अमित की
शादी शोभा (जया बच्चन) से और चांदनी की शादी डॉक्टर आनंद (संजीव कुमार) से हो जाती
है। कुछ समय बाद दोनों मिलते हैं। अमित और चांदनी का पुराना रोमांस सर उठाता है। दोनों शादियां टूटने की कगार पर आ जाती हैं।
शादी
जीतती है
जस्ट
मैरिड का अभय (ज़ायद खान) और रीतिका (दिया मिर्ज़ा) नवविवाहित जोड़ा है। दोनों के बीच मतभेद पैदा होने लगते हैं। लेकिन, वह उनको सुलझाने की कोशिश करने
लगते हैं। संजयलीला भंसाली की फिल्म 'हम
दिल दे चुके सनम' की नंदिनी (ऐश्वर्य राय) समीर (सलमान खान) से प्रेम करती है। पिता उसकी शादी ज़बरदस्ती वनराज (अजय देवगन) से
करा देता है। नंदिनी शादी की पहली रात ही
वनराज को अपने प्यार के बारे में बता देती है।
वनराज निर्णय लेता है कि वह नंदिनी और समीर को मिलाएगा। इसी प्रकार से 'नमस्ते लंदन' की
ब्रिटेन में रहने वाली जसमीत (कैटरीना कैफ) चार्ली से प्रेम करती है। पिता जसमीत की शादी गाँव में रहने वाले अर्जुन
(अक्षय कुमार) से तय कर देता है। जसमीत यह
शादी नहीं चाहती। अर्जुन जसमीत के साथ
लंदन आ जाता है। लंदन में जसमीत को अर्जुन
की अच्छाइयों का पता चलता है। इन सभी
फिल्मों में तयशुदा शादी जीतती है। लव ब्रेकअप ज़िन्दगी का जय और नैना को जोड़ा और
उनके दोस्त यह महसूस करते हैं कि शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। गुलज़ार की फिल्म इजाज़त के महेंद्र (नसीरुद्दीन
शाह) और माया (अनुराधा पटेल) प्यार करते हैं।
पर माया शादी नहीं करना चाहती।
महेंद्र की शादी सुधा (रेखा) से हो जाती है। लेकिन, महेंद्र माया को भूल नहीं
पाता। नतीज़तन, महेंद्र
और सुधा की शादी टूट जाती है। बरसों बाद महेंद्र और सुधा एक रेलवे स्टेशन पर मिलते
हैं। दोनों महसूस करते हैं कि उन्होंने
ऐसा कुछ है, जो खो दिया है। आदित्य और सुहानी की शादी भी टूटने
की कगार पर आ जाती है। लेकिन, दोनों
समझदारी से काम लेते हैं। शादी के साइड इफेक्ट्स में सिड (फरहान अख्तर) और तृषा
(विद्या बालन) की शादी का ज़िम्मेदारी का
एहसास होते ही दरकने लगती है।
कुछ
विवाह ऐसे भी
विवाह
के प्रेम (शाहिद कपूर) और पूनम (अमृता राव) की शादी उस समय खतरे में पड़ जाती है, जब
शादी के दिन आग लगाने से पूनम का पूरा शरीर जल जाता है। इसके बावजूद प्रेम पूनम से शादी करता है।
घरौंदा में सुदीप (अमोल पालेकर) और छाया (ज़रीना वहाब) प्यार करते हैं और शादी करना
चाहते हैं। लेकिन, घरौंदा
न होने के कारण शादी नहीं कर पा रहे हैं।
इस पर सुदीप छाया से एक बूढ़े मोदी (डॉक्टर श्रीराम लागू) से शादी करने को
कहता है, जो बीमार रहता है और जल्द ही मर जायेगा। लेकिन, शादी के बाद छाया पति के लिए
बदलने लगती है। मेरे ब्रदर की दुल्हन में कुश (इमरान खान) अपने भाई लव (अली ज़फर)
की दुल्हन डिम्पी (कैटरीना कैफ) को देखने जाता है। लेकिन, खुद उसके प्यार में पड़ जाता है।
घर शादी शुदा जोड़े विकास (विनोद मेहरा) और आरती (रेखा) की कहानी थोड़ी अनोखी
थी। आरती का बलात्कार हो जाता है। दोनों पति पत्नी इस हादसे से उबरने की कोशिश
करते हैं। हम आपके हैं कौन में नायक विजय (अनिल कपूर) मेघा (काजोल) से कॉन्ट्रैक्ट करके शादी करता
है। लेकिन, कॉन्ट्रैक्ट के दौरान
उन्हें पता लगता है कि वह एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं।
शादी, शादी
के दौरान, शादी के बाद और शादी से पहले के कथानक पर कभी कभी, चलते
चलते, कभी अलविदा न कहना, हाउसफूल ३, आदि
ढेरों फ़िल्में बनाई गई हैं। इन फिल्मों
में शादी से पहले का प्रेम शादी के बाद के प्रेम से हारता है। यानि, हिंदी फिल्मों की नारी कभी भी
पति और परिवार के विरुद्ध नहीं जा सकती।
आज भी ऐसे कथानक किसी न किसी रूप में हैं, जिनमे शादी जीतती है।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
विदेशी टीवी पर देसी सितारे
आजकल अमेरिका से भारत तक, बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा तहलका मचाये हुए हैं। वह एबीसी नेटवर्क के शो 'क्वांटिको' में एफबीआई रिक्रूट अलेक्स परिश का किरदार कर रही हैं। इस शो में दर्जन के करीब कई दूसरे किरदार भी हैं । लेकिन, फिलहाल फोकस प्रियंका चोपड़ा के करैक्टर पर ही है, जिस पर आतंकवादी हमले में शामिल होने का संदेह किया जा रहा है। उसे इन आतंकियों को पकड़ने का मौका दिया जाता है। इस सीरियल में प्रियंका को एक्शन भी करना है और इमोशन भी दिखाना है । फिलहाल मीडिया में उनकी चर्चा हो रही है अपने गरम दृश्यों के लिए । बताते हैं कि क्वांटिको में मिस चोपड़ा ने और भी काफी गर्मागर्म सीन किये हैं और बिकिनी पहनी है। लेकिन, भारतीय दर्शकों तक यह दृश्य पूरी तरह से नहीं पहुँच पाएंगे। जैसा कि उनके कार में सेक्स करने का सीन टोंड डाउन कर दिए गया था। लेकिन, शेष पूरी दुनिया ने प्रियंका चोपड़ा के इस कामुक अंदाज़ को देखा। प्रियंका चोपड़ा कहती हैं, "मैं एक एक्टर और एंटरटेनर हूँ। इसलिए मैं लगातार नई चुनौतियों को खोजते रहती हूँ। मैं अपनी क्रिएटिविटी के लिए कोई सीमा तय करना नहीं चाहती।"
क्वांटिको जैसा प्रचार नहीं !
ऐसा नहीं कि प्रियंका चोपड़ा से पहले कोई भारतीय सितारा विदेशी टीवी पर नहीं झिलमिलाया। इस समय भी, क्वांटिको की धूम मची हुई है, बहुत से भारतीय सितारे विदेशी टेलीविज़न दर्शकों को अपनी प्रतिभा का कायल बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं। अलबत्ता, एबीसी के शो क्वांटिको की तरह इतना ज़बरदस्त प्रचार किसी दूसरे शो को नहीं मिला या इतना ज़ोरदार प्रचार नहीं किया गया। विशाल भरद्वाज की २०११ में रिलीज़ फिल्म '७ खून माफ़' में प्रियंका चोपड़ा के शौहर वसीउल्लाह खान का किरदार निभाने वाले इरफ़ान खान दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर एक जापानी शो करने जा रहे हैं। इस शो में इरफ़ान एक जज की भूमिका करेंगे। इरफ़ान कहते हैं, "मैं इस करैक्टर की छानबीन करने के लिए उत्साहित हूँ।" इस सीरियल को कैनेडियन डायरेक्टर रॉब डब्ल्यू किंग और डच डायरेक्टर पीटर वेर्होएफ कर रहे हैं। क्या इस शो को इतना प्रचार मिला? जुरासिक वर्ल्ड के बाद इरफ़ान खान दुनिया के दर्शकों के जाने पहचाने बन गए हैं। इरफ़ान ने 'द माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'द नेमसेक', आदि ढेरों विदेशी फिल्में की हैं। आजकल वह हॉलीवुड फिल्म 'इन्फर्नो' की शूटिंग में बिजी हैं। वह २०१० में सीरीज 'इन ट्रीटमेंट' कर चुके हैं। लेकिन, उनके किसी टीवी प्रोजेक्ट को इतनी धुंआधार पब्लिसिटी नहीं मिली, जितनी एबीसी के 'क्वांटिको' को मिली। बीबीसी टीवी सीरीज 'इंडियन समर्स' का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। क्वांटिको के मुकाबले कितने भारतीय दर्शकों को इस सीरीज की जानकारी हो सकी थी !
और भी हैं बॉलीवुड सितारे
इरफ़ान खान ही नहीं बहुत से दूसरे बॉलीवुड सितारे हैं जो विदेशी टीवी पर चमक रहे हैं। अनुपम खेर तो विदेशी छोटे परदे पर बहुत लोकप्रिय हैं। वह अपनी पत्नी किरण खेर के साथ 'ईआर' के सिंगल एपिसोड में अभिनय कर चुके हैं । नेटफ्लिक्स पर साइंस फिक्शन ड्रामा 'सेंस ८' में तो अनुपम खेर के अलावा टीना देसाई, पूरब कोहली, मीता वशिष्ट और दर्शन जरीवाला जैसे इंडियन एक्टर्स की भरमार है। यह थ्रिलर सीरियल दुनिया के आठ भिन्न देशों के व्यक्तियों को एक कहानी में जोड़ने वाला है। शबाना आज़मी, पिछले दिनों बीबीसी वन की मिनी सीरीज कैपिटल की लंदन में शूटिंग कर चुकी हैं। यह सीरीज जॉन लान्चेस्टर के इसी टाइटल वाले चर्चित उपन्यास पर आधारित है। हॉलीवुड और ब्रिटेन की कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी शबाना आज़मी की यह पहली टीवी सीरीज होगी। लंचबॉक्स की एक्टर निम्रत कौर ने आतंकवाद पर ड्रामा 'होमलैंड' में एक पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट तस्नीम कुरैशी का किरदार किया हैं। अनिल कपूर तो काफी मशहूर हैं। वह २०१० में एक्शन-थ्रिलर ' २४' में राष्ट्रपति ओमर हसन की भूमिका कर चुके थे। इसी के बाद उन्होंने इस सीरीज को हिंदी में बनाया। अब वह इसका दूसरा पार्ट बनाने जा रहे है। वह एक एडल्ट एनिमेटेड सीरीज 'फैमिली गय में ग्रिफिन फैमिली के एक किरदार के लिए वॉयस ओवर कर रहे हैं। अनिल कपूर कहते हैं, "ग्रिफिन फैमिली का हिस्सा बन कर मैं उत्तेजित हूँ।"
एशियाई चरित्रों के लिए
अमेरिकी सीरीज में हिंदुस्तान के कलाकार खास तौर पर पाकिस्तानी या एशियाई भूमिका के कारण लिए जाते हैं। क्योंकि, उनकी शक्ल सूरत और हाव भाव इन किरदारों के आसपास के होते हैं। प्रियंका चोपड़ा क्वांटिको के लिए इसी लिए चुनी गई कि उनका अलेक्स परिश का किरदार भारतीय और कोकेशियान मिश्रित रक्त वाला है। इसी प्रकार से, अनिल कपूर का सीरीज '२४' में ओमर हसन, निम्रत कौर का 'होमलैंड' में तस्नीम खान का किरदार एशियाई लुक वाला हैं। अक्षय खन्ना को शीत युद्ध के दौर का ड्रामा 'द अमेरिकन्स' में काम करने का मौका मिला तो वह एक पाकिस्तानी अफसर बनाये गए, जो रूस का जासूस है । लिलेट दुबे १९३२ के भारत में ब्रितानी साम्राज्यवादी शासन के खात्मे पर ब्रिटिश सीरीज 'इंडियन समर्स' में रोशना दलाल का किरदार कर रही हैं । इस सीरीज का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। इस सीरीज में रोशन सेठ और निकेश पटेल जैसे कुछ दूसरे भारतीय चेहरे भी नज़र आएंगे । लिलेट दुबे कहती हैं, "एक्टर्स भी चाहते हैं कि उनके काम को दूसरे देशों में भी देखा जाये।"
कबीर बेदी जैसा कोई नहीं
विदेशी टीवी पर हिंदुस्तानी एक्टर्स का अभिनय करना आज की बात नहीं। हिंदुस्तानी एक्टर्स ने विदेशी टीवी पर हमेशा से धूम मचाई है, बशर्ते कि रोल एशियाई हो। चालीस साल पहले, जब भारत में टेलीविज़न आज का जितना पॉपुलर नहीं था, कबीर बेदी ने इटैलियन मिनी टीवी सीरीज 'संदोकन' से सुदूर इटली में धूम मचा दी थी। जब वह इटली की सडकों गुजरते थे तो औरते उनके पीछे दौड़ लगाती थी। उनसे लिपटने को बेकरार होती थी। इस सीरीज में कबीर बेदी ने एक भारतीय राजकुमार संदोकान का किरदार किया था, जिस का राज्य ब्रितानी हुकूमत छीन लेती है। वह बदला लेने के लिए समुद्री डाकुओं का नेता बन जाता है और ब्रितानी सेना पर हमले करता रहता है। इस सीरीज में कबीर बेदी काफी सेक्सी लगे थे। इसी लिए इतालवी औरतों में लोकप्रिय हुए। संदोकान को इतालवी भाषा में १३० मिनट की टीवी मूवी की तरह २२ दिसंबर १९७७ को प्रसारित किया गया। उन्होंने एक मिनी सीरीज 'रिटर्न ऑफ़ संदोकन' भी की। कबीर बेदी जैसी लोकप्रियता शायद आज की प्रियंका चोपड़ा के लिए स्वप्न सामान ही होगी। कबीर बेदी ने अमेरिकी ओपेरा 'द बोल्ड एंड द ब्यूटीफुल' में प्रिंस ओमर रशीद का किरदार भी किया। ज़ाहिर है कि भारत के काबिल एक्टर्स की विदेशों में मांग है, लेकिन ख़ास देसी भूमिकाओं में। 'द बिग बैंग थ्योरी' के कुणाल नैयर, गेम ऑफ़ थ्रोन्स' की इंदिरा वर्मा और 'द गुड वाइफ' की आर्ची पंजाबी इसे पुख्ता करती हैं। एक्टर इरफ़ान खान की विदेशी सीरीज और फिल्मों में जैसी मांग है, उससे वह हिंदुस्तानी मॉर्गन फ्रीमैन साबित होते हैं।
अल्पना कांडपाल
ऐसा नहीं कि प्रियंका चोपड़ा से पहले कोई भारतीय सितारा विदेशी टीवी पर नहीं झिलमिलाया। इस समय भी, क्वांटिको की धूम मची हुई है, बहुत से भारतीय सितारे विदेशी टेलीविज़न दर्शकों को अपनी प्रतिभा का कायल बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं। अलबत्ता, एबीसी के शो क्वांटिको की तरह इतना ज़बरदस्त प्रचार किसी दूसरे शो को नहीं मिला या इतना ज़ोरदार प्रचार नहीं किया गया। विशाल भरद्वाज की २०११ में रिलीज़ फिल्म '७ खून माफ़' में प्रियंका चोपड़ा के शौहर वसीउल्लाह खान का किरदार निभाने वाले इरफ़ान खान दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर एक जापानी शो करने जा रहे हैं। इस शो में इरफ़ान एक जज की भूमिका करेंगे। इरफ़ान कहते हैं, "मैं इस करैक्टर की छानबीन करने के लिए उत्साहित हूँ।" इस सीरियल को कैनेडियन डायरेक्टर रॉब डब्ल्यू किंग और डच डायरेक्टर पीटर वेर्होएफ कर रहे हैं। क्या इस शो को इतना प्रचार मिला? जुरासिक वर्ल्ड के बाद इरफ़ान खान दुनिया के दर्शकों के जाने पहचाने बन गए हैं। इरफ़ान ने 'द माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'द नेमसेक', आदि ढेरों विदेशी फिल्में की हैं। आजकल वह हॉलीवुड फिल्म 'इन्फर्नो' की शूटिंग में बिजी हैं। वह २०१० में सीरीज 'इन ट्रीटमेंट' कर चुके हैं। लेकिन, उनके किसी टीवी प्रोजेक्ट को इतनी धुंआधार पब्लिसिटी नहीं मिली, जितनी एबीसी के 'क्वांटिको' को मिली। बीबीसी टीवी सीरीज 'इंडियन समर्स' का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। क्वांटिको के मुकाबले कितने भारतीय दर्शकों को इस सीरीज की जानकारी हो सकी थी !
और भी हैं बॉलीवुड सितारे
इरफ़ान खान ही नहीं बहुत से दूसरे बॉलीवुड सितारे हैं जो विदेशी टीवी पर चमक रहे हैं। अनुपम खेर तो विदेशी छोटे परदे पर बहुत लोकप्रिय हैं। वह अपनी पत्नी किरण खेर के साथ 'ईआर' के सिंगल एपिसोड में अभिनय कर चुके हैं । नेटफ्लिक्स पर साइंस फिक्शन ड्रामा 'सेंस ८' में तो अनुपम खेर के अलावा टीना देसाई, पूरब कोहली, मीता वशिष्ट और दर्शन जरीवाला जैसे इंडियन एक्टर्स की भरमार है। यह थ्रिलर सीरियल दुनिया के आठ भिन्न देशों के व्यक्तियों को एक कहानी में जोड़ने वाला है। शबाना आज़मी, पिछले दिनों बीबीसी वन की मिनी सीरीज कैपिटल की लंदन में शूटिंग कर चुकी हैं। यह सीरीज जॉन लान्चेस्टर के इसी टाइटल वाले चर्चित उपन्यास पर आधारित है। हॉलीवुड और ब्रिटेन की कई फिल्मों में अभिनय कर चुकी शबाना आज़मी की यह पहली टीवी सीरीज होगी। लंचबॉक्स की एक्टर निम्रत कौर ने आतंकवाद पर ड्रामा 'होमलैंड' में एक पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट तस्नीम कुरैशी का किरदार किया हैं। अनिल कपूर तो काफी मशहूर हैं। वह २०१० में एक्शन-थ्रिलर ' २४' में राष्ट्रपति ओमर हसन की भूमिका कर चुके थे। इसी के बाद उन्होंने इस सीरीज को हिंदी में बनाया। अब वह इसका दूसरा पार्ट बनाने जा रहे है। वह एक एडल्ट एनिमेटेड सीरीज 'फैमिली गय में ग्रिफिन फैमिली के एक किरदार के लिए वॉयस ओवर कर रहे हैं। अनिल कपूर कहते हैं, "ग्रिफिन फैमिली का हिस्सा बन कर मैं उत्तेजित हूँ।"
एशियाई चरित्रों के लिए
अमेरिकी सीरीज में हिंदुस्तान के कलाकार खास तौर पर पाकिस्तानी या एशियाई भूमिका के कारण लिए जाते हैं। क्योंकि, उनकी शक्ल सूरत और हाव भाव इन किरदारों के आसपास के होते हैं। प्रियंका चोपड़ा क्वांटिको के लिए इसी लिए चुनी गई कि उनका अलेक्स परिश का किरदार भारतीय और कोकेशियान मिश्रित रक्त वाला है। इसी प्रकार से, अनिल कपूर का सीरीज '२४' में ओमर हसन, निम्रत कौर का 'होमलैंड' में तस्नीम खान का किरदार एशियाई लुक वाला हैं। अक्षय खन्ना को शीत युद्ध के दौर का ड्रामा 'द अमेरिकन्स' में काम करने का मौका मिला तो वह एक पाकिस्तानी अफसर बनाये गए, जो रूस का जासूस है । लिलेट दुबे १९३२ के भारत में ब्रितानी साम्राज्यवादी शासन के खात्मे पर ब्रिटिश सीरीज 'इंडियन समर्स' में रोशना दलाल का किरदार कर रही हैं । इस सीरीज का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। इस सीरीज में रोशन सेठ और निकेश पटेल जैसे कुछ दूसरे भारतीय चेहरे भी नज़र आएंगे । लिलेट दुबे कहती हैं, "एक्टर्स भी चाहते हैं कि उनके काम को दूसरे देशों में भी देखा जाये।"
कबीर बेदी जैसा कोई नहीं
विदेशी टीवी पर हिंदुस्तानी एक्टर्स का अभिनय करना आज की बात नहीं। हिंदुस्तानी एक्टर्स ने विदेशी टीवी पर हमेशा से धूम मचाई है, बशर्ते कि रोल एशियाई हो। चालीस साल पहले, जब भारत में टेलीविज़न आज का जितना पॉपुलर नहीं था, कबीर बेदी ने इटैलियन मिनी टीवी सीरीज 'संदोकन' से सुदूर इटली में धूम मचा दी थी। जब वह इटली की सडकों गुजरते थे तो औरते उनके पीछे दौड़ लगाती थी। उनसे लिपटने को बेकरार होती थी। इस सीरीज में कबीर बेदी ने एक भारतीय राजकुमार संदोकान का किरदार किया था, जिस का राज्य ब्रितानी हुकूमत छीन लेती है। वह बदला लेने के लिए समुद्री डाकुओं का नेता बन जाता है और ब्रितानी सेना पर हमले करता रहता है। इस सीरीज में कबीर बेदी काफी सेक्सी लगे थे। इसी लिए इतालवी औरतों में लोकप्रिय हुए। संदोकान को इतालवी भाषा में १३० मिनट की टीवी मूवी की तरह २२ दिसंबर १९७७ को प्रसारित किया गया। उन्होंने एक मिनी सीरीज 'रिटर्न ऑफ़ संदोकन' भी की। कबीर बेदी जैसी लोकप्रियता शायद आज की प्रियंका चोपड़ा के लिए स्वप्न सामान ही होगी। कबीर बेदी ने अमेरिकी ओपेरा 'द बोल्ड एंड द ब्यूटीफुल' में प्रिंस ओमर रशीद का किरदार भी किया। ज़ाहिर है कि भारत के काबिल एक्टर्स की विदेशों में मांग है, लेकिन ख़ास देसी भूमिकाओं में। 'द बिग बैंग थ्योरी' के कुणाल नैयर, गेम ऑफ़ थ्रोन्स' की इंदिरा वर्मा और 'द गुड वाइफ' की आर्ची पंजाबी इसे पुख्ता करती हैं। एक्टर इरफ़ान खान की विदेशी सीरीज और फिल्मों में जैसी मांग है, उससे वह हिंदुस्तानी मॉर्गन फ्रीमैन साबित होते हैं।
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हिंदी फिल्मों में डांडिया और गरबा की धूम
नवरात्रि उत्सव मनाने के लिए देवी प्रतिमा के सामने होने वाला डांडिया डांस पंडालों से गुजर कर बॉलीवुड फिल्मों तक जा पहुंचा है। आज की आधुनिक माहौल वाली हिंदी फिल्मों में भी डांडियां डिस्को डांडिया के रूप में भी मौजूद है। यहाँ तक कि दक्षिण की फिल्मों में भी डांडिया और गरबा का मिला जुला डांस सीक्वेंस रखा जाता है। १९९९ की कथीर निर्देशित तमिल फिल्म 'कांधलर धिनम' यानि वैलेंटाइन डे में गरबा और डांडिया का मिला जुला रूप देखा जा सकता है। इस फिल्म को तेलुगु में 'प्रेमीकुला रोजु' और हिंदी में 'दिल ही दिल में' टाइटल के साथ डब कर रिलीज़ किया गया था। सोनाली बेंद्रे और कुणाल सिंह की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म के हिंदी संस्करण के 'चाँद उतर आया है ज़मीन पे गरबे की रात में' गीत में डांडिया और गरबा का मिश्रण सोनाली बेंद्रे और कुणाल सिंह पर फिल्माया गया। हालाँकि, 'दिल ही दिल में' फ्लॉप रही थी। लेकिन, तमिल 'कांधलर धिनम' को ज़बरदस्त सफलता मिली थी।
संजयलीला भंसाली की फिल्मों में डांडिया और गरबा
फिल्मकार संजयलीला भंसाली की फ़िल्में आम तौर पर रोमांटिक होती है। इसलिए, उनकी फिल्मों में डांडिया या गरबा या इसका मिला जुला रूप होना स्वाभाविक है। उनकी फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' के 'ढोली तारो' गीत में सलमान खान और ऐश्वर्या राय के बीच का रोमांस बखूबी उभर कर आया है। इस गीत को इस्माइल दरबार ने संगीतबद्ध किया है। इस जोड़े की जादूगरी है कि यह गीत आज भी डांडिया और गरबा पंडालों की शान बना हुआ है। संजयलीला भंसाली ने फिल्म ' गोलियों की रासलीला राम-लीला' के 'नगाड़ा संग ढोल ' गीत में दीपिका पादुकोण पर गरबा का खूबसूरत चित्रण किया है। भारी घेरदार लहंगा पहने दीपिका पादुकोण का यह डांस फिल्म को क्लाइमेक्स की ओर बढ़ता है। इसी गीत में दीपिका और रणवीर सिंह एक दूसरे को आमने सामने से देखते हैं। चूंकि, संजयलीला भंसाली को गरबा और डांडिया से लगाव है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि उनकी नई फिल्म' बाजीराव मस्तानी' में भी कोई एक गीत डांडिया-गरबा शैली में होगा।
बॉलीवुड सुपर स्टार्स का डांडिया और गरबा
बॉलीवुड के तमाम सुपर स्टार डांडिया और गरबा कर चुके हैं। सलमान खान का ज़िक्र तो किया ही जा चूका है। सलमान खान के बाद, उनके दोस्त आमिर खान ने भी फिल्म 'लगान' में गरबा शैली में ग्रेसी सिंह के साथ 'राधा कैसे न जले' गीत में नृत्य किया। धीमी गति की डांस शैली मैं यह गीत आमिर और ग्रेसी सिंह के बीच छेड़-छाड़ और मान-मनुहार का बढ़िया चित्रण करता है। इस गीत के संगीतकार ए आर रहमान हैं। आमिर खान १९८९ में रिलीज़ फिल्म 'लव लव लव' में 'डिस्को डांडिया' गीत पर नृत्य कर चुके थे। आमिर खान के साथ जूही चावला पर फिल्माया गया यह गीत भी डांडिया पंडालों में हिट है। फिल्म 'आप मुझे अच्छे लगाने लगे' में फिल्म के नायक नायिका नवरात्र उत्सव में अपने घर वालों से छुप कर मिलने आते हैं। इस गीत में इंडस्ट्री के एक दूसरे सुपर स्टार ह्रितिक रोशन अभिनेत्री अमीषा पटेल के साथ 'ओ री गोरी' गीत पर नृत्य करते हैं। इसी गीत में अमीषा के भाई आ जाते हैं और इन दोनों को भागना पड़ता है। राजश्री प्रोडक्शंस की सूरज बड़जात्या निर्देशित फिल्म 'मैं प्रेम की दीवानी हूँ' में नायिका करीना कपूर स्टेज पर ऋतिक रोशन के लिए 'बनी बनी मैं तो बनी' गीत पर गरबा करते हुए अपने प्यार का इज़हार करती है। इस गीत में पारम्परिक धुनों और आधुनिक ताल का मिश्रण सुनने को मिलता हैं। अमिताभ बच्चन और रेखा की मनमोहन देसाई निर्देशित फिल्म 'सुहाग' में भी इन दोनों सुपर स्टारों पर एक डांडिया गीत 'नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम' फिल्माया गया था। यह दुगा पूजा पंडाल में फिल्माया गया गीत है। 'प्रतिकार' फिल्म के 'चिट्ठी मुझे लिखना' गीत को डांडिया शैली में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित के साथ फिल्माया गया। बाद इस गीत से पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहसिन खान और सोनू वालिया भी आ जुड़ते हैं। श्रीदेवी पर फिल्माया गया फिल्म 'चाँद का टुकड़ा' का 'आज राधा को शाम याद आ गया' को डांडिया गीत बताया जाता है। लेकिन, यह विशुद्ध डांडिया नहीं है।
डांडिया और गरबा में भक्ति भाव
सुहाग का गीत देवी मंदिर में फिल्माया गया गीत है। इसमें भक्ति के साथ साथ फिल्म को अहम् मोड़ भी दिया गया है। कुछ ऐसे ही गीत दूसरी फिल्मों में भी फिल्माए गए हैं। शोले के दौरान सुपर हिट साबित होने वाली, कम बजट की फिल्म 'जय संतोषी माँ' का शीर्षक गीत भक्ति गीत है जिसे सामने खड़े श्रद्धालुओं पर फिल्माया गया है। फिल्म 'क्रांतिवीर' का एक गीत 'जय अम्बे जगदम्बे माँ' गीत भी भक्ति गीत के तौर पर फिल्माया गया है। आम तौर पर ऐसे गीत दर्शकों की धार्मिक भावनाओं के लिए एक आइटम के तौर पर फिल्माए गए हैं। 'काई पो चे' का परी हूँ मैं गीत रीमिक्स कर पूजा पंडाल में राजकुमार राव और अमृता पूरी पर फिल्माया गया था। गुरिंदर चड्ढा की फिल्म 'ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस' में 'डोला डोला' गीत पर ऐश्वर्या राय अपने को-स्टार माइक एंडरसन के साथ डांडिया धुन पर थिरकी थी। केतन देसाई की फिल्म 'मिर्च मसाला' में गरबा शैली का एक नृत्य स्मिता पाटिल, दीप्ति नवल और पाठक बहनों सुप्रिया और रत्ना पाठक पर फिल्माया गया।
शाहरुख खान ने अभी तक किसी फिल्म में गरबा या डांडिया शैली में कोई डांस नहीं किया है। लेकिन, सूत्र
बताते यहीं कि वह निर्देशक राहुल ढोलकिया की आगामी फिल्म 'रईस' में गरबा करते नज़र आएंगे। यह फिल्म गुजरात के एक गैंगस्टर पर रियल लाइफ फिल्म है। इस गीत को शाहरुख खान ने घुटनो पर चोट के बावजूद पूरा किया। फिल्म में उनकी नायिका पाकिस्तान की माहिर खान हैं।
हिंदी फिल्मों में डांडिया या गरबा गीत भक्ति, इश्क मोहब्बत और ग्लैमर का प्रतीक हैं। इन गीतों में गाढ़े और चटख रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। भारी वस्त्राभूषण इसकी खासियत होते। गहरे रंग दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। तेज़ और मिश्रित बीट पर नृत्य क्लब और पूजा पंडालों में जल्द पॉपुलर हो जाते हैं। इसके बावजूद बॉलीवुड यह दावा नहीं करता कि वह विशुद्ध डांडिया या गरबा दिखा रहा है। ज़्यादातर फिल्मों में तो इन दोनों नृत्य शैलियों की घालमेल हुई है। इसके बावजूद यह गीत दर्शनीय बन पाते हैं। तभी तो तमाम सुपर स्टार अभिनेता अभिनेत्री इन गीतों पर थिरकने से मना नहीं कर पाते।
राजेंद्र कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
'शानदार' नहीं है विकास बहल की फिल्म
जब कोई खुद की सफलता पर अति मुग्ध हो जाता है. जिस पर फैंटम फिल्म के अनुराग कश्यप और करण जौहर का प्रभाव हो, वह विकास बहल हो जाता है और 'शानदार' बनाता है . फिल्म में अनुराग कश्यप का प्रभाव है तो संजय कपूर का किरदार हमेशा बन्दूक हाथ में लिए रहता है . दादी फायरिंग करने की कल्पना करती रहती है . वह जवान शाहिद कपूर को देख कर मुग्ध हो जाती है. करण जौहर के प्रभाव से गे और लेस्बियन किरदार हैं. खुद करण जौहर बकवास किस्म का काफी विथ करण खेल रहे हैं . इस फिल्म में विशाल भरद्वाज की फिल्म 'मटरू की बिजली का मंडोला' वाली बकवास भी है.एक से एक बेसिर पैर के सीन हैं .खुद को महान एक्टर समझ चुके शाहिद कपूर हैं. उन्हें अभिनय करते देख कर पता चलता रहता है कि वह अपने ज़बरदस्त (!) अभिनय की चाशनी टपका रहे हैं . जिसे एक रत्ती भी अभिनय नहीं आता, वह आलिया भट्ट हैं. कोई नदारद है तो वह है विकास बहल. विश्वास नहीं होता कि 'क्वीन' जैसी ज़बरदस्त फिल्म बनाने वाला विकास बहल ऎसी बकवास और उकताऊ फिल्म बना सकता है . फिल्म का केवल एक उजागर पक्ष है, वह है शाहिद कपूर की सौतेली बहन और पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक की बेटी सना कपूर. इस लड़की में सम्भावनाये हैं. पंकज कपूर कहीं कहीं जमे हैं . विकास बहल ने अलिया जगजिंदर के साथ सो गई जैसे प्रसंग रच कर हास्य पैदा करने की असफल कोशिश की है. अलिया भट्ट रात में सो नहीं पाती, वह रजाई ओढ़ बत्ती जला कर केला खाती है. इसका क्या मक़सद विकास ने बताया नहीं. संगीत अच्छा है, लेकिन गीत ठूंसे हुए हैं.
फिल्म देखनी है ! देख आओ. देख लेना कि अंटी में फालतू पैसे हैं !
फिल्म देखनी है ! देख आओ. देख लेना कि अंटी में फालतू पैसे हैं !
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फिल्म समीक्षा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
रवि किशन अंजना सिंह फिर साथ साथ
भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन व हॉट केक अंजना सिंह चार साल के अंतराल के बाद एक बार फिर दिखेंगे फ़िल्म लव और राजनीति में । निर्देशक हर्ष राज की यह फ़िल्म अब प्रदर्शन के लिए तैयार है । इस फ़िल्म में अंजना सिंह पहली बार एक पॉलिटिशियन की भूमिका में दिखेंगी । उल्लेखनीय है की अंजना ने अपनी फ़िल्मी कैरियर की शुरुवात रवि किशन के साथ ही 2011 में फ़िल्म फौलाद से की थीं । उस फ़िल्म के बाद रवि किशन और अंजना सिंह ने अलग अलग 30 से भी अधिक फिल्में की लेकिन एक दूसरे के अपोजिट काम करने का मौक़ा नहीं मिला । हालांकि दोनो ने ही आज के दौर के चर्चित निर्देशक व लेखक संतोष मिश्रा की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म कइसन पियवा के चरित्तर बा में साथ साथ काम किया था पर उस फ़िल्म में रवि किशन के अपोजिट थी भोजपुरी फिल्मो की रानी कही जाने वाली रानी चटर्जी । अंजना के अनुसार रवि किशन जैसे ऊर्जावान अभिनेता के साथ काम करने वाले हर कलाकारों में नयी ऊर्जा का संचार होता है और उनके लिए यह ख़ुशी की बात है की देर से ही सही एक बार फिर उन्हें रवि किशन के साथ काम करने का मौक़ा मिला ।
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प्राची देसाई पहली 'रॉकऑन' से दूसरी 'रॉक ऑन' तक
ज़ी टीवी के लोकप्रिय सीरियल 'कसम से' की बानी वालिया के किरदार से ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल करने के बाद प्राची देसाई ने फिल्मों की और छलांग लगा दी। इसमे उनकी मदद की उनकी फिल्म एंड टीवी प्रोडूसर दोस्त एकता कपूर ने। उनको पहली फिल्म मिली रॉक बैंड मैजिक के चार दोस्तों की कहानी 'रॉक ऑन' में एक दोस्त आदित्य (फरहान अख्तर) की पत्नी साक्षी की भूमिका वाली । इस फिल्म में उन्हें साड़ी पहन कर गृहस्थन बनना था। जो उनकी 'कसम से' इमेज के अनुरूप भी था। फिल्म हिट हुई। लेकिन, प्राची देसाई ठीक वैसी हिट नहीं हो पाई, जैसी उन्हें 'रॉक ऑन' के बाद 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' के भी हिट होने पर हो जाना चाहिए था। आज प्राची देसाई 'रॉक ऑन' से 'रॉक ऑन २' तक का सफर तय करने जा रही हैं। इस बीच उन्होंने 'लाइफ पार्टनर', 'आई मी और मैं' तथा 'पोलिसगिरी' जैसी फ्लॉप फ़िल्में की। केवल 'बोल बच्चन' उनकी हिट फिल्म थी। उसमे भी असिन हिस्सा बाँट कर रही थी। एक दूसरी हिट फिल्म 'एक विलेन' में उन्होंने एक सेक्सी आइटम किया था। इस असफलता ने उन्हें ग्लैमर का तड़का कुछ ज़्यादा लगाने के लिए प्रेरित किया है या कहिये कि मज़बूर किया है । 'रॉक ऑन २' में भी वह 'रॉक ऑन' वाली साक्षी ही हैं। लेकिन, रंग ढंग बदले हुए हैं। उन्होंने साड़ी के बजाय शॉर्ट्स पहने हैं। वह ज़्यादा स्टाइलिश और सजीली लग रही हैं। कभी अपने लम्बे बालों के लिए मशहूर प्राची देसाई ने 'रॉक ऑन २' की साक्षी को स्टाइलिश बनाने के लिए अपने बाल भी छोटे करवा लिए हैं (देखें फोटो) । यह प्राची देसाई की मज़बूरी ही है। क्योंकि, 'रॉक ऑन २' में श्रद्धा कपूर भी आ गई हैं। दर्शकों की श्रद्धा प्राची देसाई से ज़्यादा इस 'कपूर' पर है । सूत्र बताते हैं कि श्रद्धा कपूर की भूमिका प्राची के मुकाबले में ज़्यादा मज़बूत और महत्वपूर्ण है । देखिये, 'रॉक ऑन' से शुरुआत करने वाली प्राची देसाई 'रॉक ऑन २' में क्या गुल खिलाती है !
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