Saturday, 18 June 2016

बालवीर का प्रपोजल सही मौके पर आया – निगार जेड खान

निगार जेड खान को लिपस्टिक, प्रतिमा और कसम से जैसे सीरियलों के निगेटिव  किरदारों से शोहरत मिली है। उन्हें कई रियलिटी शो में भी देखा गया।  उनका बहन गौहर खान के साथ शो खान सिस्टर्स ख़ास लोकप्रिय हुआ।  पिछले साल जुलाई में दुबई के एक पाकिस्तानी व्यापारी के साथ शादी कर सेटल निगार खान अब सब टीवी के शो बालवीर में प्रचण्डिका का निगेटिव किरदार कर रही हैं।  लेकिन, यह किरदार उनके तमाम निगेटिव किरदारों से अलग है।  कैसे, आइये जानते हैं उन्ही से- 
शादी के बाद बालवीर सीरियल ! क्या कारण थे ?
ईमानदारी से कहूं तो यह मेरा अभिनय के प्रति लगाव था शादी के बाद हर अभिनेत्री ब्रेक लेती है मैं समझती हूँ कि शादी के बाद अपना ध्यान दूसरी बातों से हटा लेना चाहिए मेरे शौहर तो ख़ास तौर पर मेरी देखभाल के अधिकारी है मुझे ख़ुशी है कि मैंने थोड़े समय के लिए अभिनय से अपना ध्यान हटाया इससे किसी अभिनेत्री को आराम करने का मौका भी मिल जाता है, वह फिर ताज़ादम होकर अपने काम में मन लगा सकती है सौभाग्य से बालवीर का प्रपोजल सही मौके पर आया हालाँकि, मुझे पहले से ही वैम्पिश रोल के ऑफर मिल रहे थे लेकिन, अबू धाबी में रहने के कारण मैं २६ दिनों का कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं कर सकती थी सब टीवी और प्रोडक्शन हाउस ने मेरे रोल की शूटिंग महीने में दस दिन में पूरा कर लेने का आश्वासन दे कर मुझे कॉन्ट्रैक्ट साइन करने में मदद की
शो में अपने करैक्टर के बारे में बताइये !
बलवीर में मैं प्रचंडिका का किरदार कर रही हूँ यह करैक्टर टीवी के तमाम निगेटिव किरदारों से अलग है यह उत्तेजनारहित और शांत है प्रचंडिका ठेठ बुरी औरतों की तरह नहीं, जो अपना क्रोध और भय दिखाती रहती हैं यह बहुत स्टाइलिश है वह पारे की तरह है  जहाँ शांत है, वहीँ दुष्ट भी वह बालवीर की ज़िन्दगी में समस्याएं पैदा करती रहती है  
अपने लुक के बारे में बताएं !
मेरे लुक को लेकर पूरी टीम ने दो महीने तक विचार किया मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी में पहली बार बैंगनी लिपस्टिक लगाईं है मैं मुतमईन नहीं थी कि मैं इसे कर ले जाऊंगी पर मुझे अब लगता है कि मैं इसे कर सकती थी
आप सब टीवी जैसे कॉमेडी सीरियलों वाले चैनल में काम कर रही हैं क्या कभी कॉमेडी सीरियल में काम करेंगे ?
मैंने पहले काफी कॉमेडी की है वास्तव में मैंने कुछ साल पहले एक कॉमेडी रियलिटी शो भी किया था मुझे इसमे बड़ा मजा आया पर फिक्शन कितना एन्जॉय करूंगी, पता नहीं में स्लैपस्टिक कॉमेडी नहीं कर सकती मुझे यह पसंद नहीं बतौर अभिनेत्री मैं कैमिया कर सकती हूँ इसलिए अगर इस तरह से कोई कॉमेडी शो मिलेगा तो करूंगी हाँ, मैंने सब टीवी के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय और दर्शकों के पसंदगी   वाला शो यस बॉस किया था
आप दुबई में सेटल हैं दुबई-मुंबई के बीच भागदौड़ कैसे कर ले जाती हैं ?
मुझे इन दोनों जगहों में भागना-दौड़ना अच्छा लगता है सच मैं मुंबई को बहुत मिस करती हूँ मैंने इंडिया से एक ही समय में तीन तीन शो किये हैं अगर मुझ पर छोड़ा जाए तो मैं मुंबई-दुबई के चक्कर लगाते हुए अपना काम करते रहना पसंद करूंगी मुझे इससे प्यार है
बड़ी स्क्रीन के बारे में क्या सोचा है ?

नहीं, वास्तव में मैंने इंडस्ट्री में पिछले १५ सालों से रहते हुए भी बड़े परदे के लिए कभी प्लान नहीं किया मुझे कई ऑफर आये अगर मुझे कोई पसंदीदा करैक्टर मिलेगा, तभी मैं बड़े परदे के लिए काम करना चाहूंगी मैं खुद को एक्टर साबित करना चाहती हूँ, न कि छोटे कपड़ों में सेक्सी फिगर का प्रदर्शन करना मैं इसके बिलकुल खिलाफ हूँ।  


अल्पना कांडपाल 

Friday, 17 June 2016

संगम की नायिका ने कैबरे किया था

निर्माता, निर्देशक और अभिनेता राजकपूर की फिल्म संगम १८ जून १९६४ को रिलीज़ हुई थी।  यह आर के फिल्म्स की ही नहीं, अभिनेता राजकपूर की भी पहली रंगीन फिल्म थी।  उससे पहले तक राजकपूर की सभी फ़िल्में श्वेत श्याम थी।  इस लिहाज़ से, राजकपूर की छोटे भाई शम्मी कपूर उनसे पहले रंगीन फिल्म जंगली (१९६१) के नायक बन चुके थे।  इस रोमांटिक ट्रायंगल फिल्म को इन्दर राज आनंद ने लिखा था।  फिल्म में राजकपूर, राजेंद्र कुमार और वैजयंतीमाला का संगम हुआ था।  इस फिल्म का संगीत  शंकर जयकिशन ने दिया था।  टैक्नीकलर में बनाई गई फिल्म संगम की लम्बाई २३८ मिनट यानि चार घंटे से सिर्फ २ मिनट कम अवधि की थी । यह पहली बॉलीवुड फिल्म थी, जिसमे दो मध्यांतर हुए।  फिल्म की तमाम शूटिंग वेनिस, पेरिस और स्विट्ज़रलैंड जैसी विदेशी लोकेशन पर हुई थी। देसी लोकेशन पर फिल्म को प्रयाग में शूट  किया गया था।  संगम के बाद ही बॉलीवुड की तमाम फिल्मों की शूटिंग विदेशी लोकेशन पर होने लगी।  आज़ादी के बाद, इस फिल्म में पहली बार चुम्बन का दृश्य दिखलाया गया।  यह शायद इकलौती ऎसी फिल्म है, जिसके ज़्यादातर गीतों पर बॉलीवुड  फिल्मों के टाइटल रखे गए।  बोल राधा बोल (ऋषि कपूर और जूही चावला), हर दिल जो प्यार करेगा (सलमान खान, प्रीटी जिंटा और रानी मुख़र्जी), महबूबा (संजय दत्त, अजय देवगन और मनीषा कोइराला), मेरे सनम (आशा पारेख, विश्वजीत और प्राण), दोस्त (धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और शत्रुघ्न सिन्हा), बुड्ढा मिल गया (नवीन निश्चल, ओम प्रकाश और अर्चना) आदि फिल्मों के टाइटल संगम के गीतों से ही उधार लिए गए थे।  संगम में राजकपूर के करैक्टर का नाम गोपाल था।  गोपाल राजकपूर का पारिवारिक ड्राइवर और केयर टेकर का नाम था।  राजेंद्र कुमार की भूमिका के लिए सबसे पहले दिलीप कुमार और फिर देव आनंद को एप्रोच किया गया था।  इनके मना करने पर ही राजेंद्र कुमार सुंदर के रोल  में लिए गए। दिलीप कुमार गोपाल या सुन्दर में से किसी भी रोल के लिए तैयार  थे, बशर्ते कि फिल्म की फाइनल एडिटिंग दिलीप कुमार ही करेंगे।  राजकपूर को यह मंजूर नहीं हुआ।  संगम के निर्माण में एक करोड़ खर्च हुए थे।   लेकिन, संगम ने बॉक्स ऑफिस पर १६ करोड़ की कमाई कर राजकपूर को मालामाल कर दिया। दसारी  नारायण राव ने संगम को तेलुगु और कन्नड़ में स्वप्ना टाइटल के साथ रीमेक किया।  १९८८ में संगम का रीमेक सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ राम अवतार बनाया गया।  



फिल्म निर्माता बन नयी पारी की शुरुआत करेंगे इमरान हाश्मी

​इमरान हाश्मी एक सफल अभिनेता तो है ही साथ ही वे "किस ऑफ़ लाइफ" इस किताब से लेखक भी बन गए है,अब इमरान हाशमी अपने होम प्रोडक्शन इमरान हाश्मी फिल्म्स बैनर तले फिल्म का निर्माण कर बतौर फिल्म निर्माता नयी पारी शुरू करेंगे। 
इमरान हाशमी "मासेस के हीरो " के रूप में जाना जाता है हाल ही में प्रदर्शित हुई फिल्म अजहर ने यह साबित भी कर दिया।  फिल्म ने ८५ प्रतिशत से ज्यादा कारोबार मल्टीप्लेक्स में ८५ किया है। 
अभिनेता इमरान हाश्मी बेहद खुश है की टोनी पहले इंसान है जिन्हे इमरान ने बतौर निर्देशक इमरान हाश्मी फिल्म के लिए अप्रोच किया गया है। 
​इमरान और टोनी 
 
​जल्दी ही एक साथ
 एक रोमांचक 
​वेंचर के ​
लिए एक साथ
​ ​
​आएंगे
, जिसका विवरण 
​का ​
खुलासा 
​होना बाकी
 है।
फिल्म 
​का निर्माण 
 इमरान हाशमी फिल्म्स 
​तथा
 टोनी डिसूजा और नितिन के 
​ऑडबॉल
 मोशन पिक्चर्स के बैनर तले 
​निर्माण
 किया जाएगा।

फिल्म ध्रुवा के लिए जापानी मार्शियल आर्ट फॉर्म आइकिदो की ट्रेनिंग लेंगे राम चरण

टॉलीवुड सुपरस्टार राम चरण अपनी आगामी फिल्म ध्रुवा में आई पी एस  अफसर का किरदार निभाएंगे जिसके लिए वे अभी से ही कड़ी मेहनत कर रहे हैं, अपने किरदार को परफेक्ट बनाने के लिए वे जापानी मार्शियल आर्ट फॉर्म आइकिदो की ट्रेनिंग लेंगे. इस कला का मुख्य लक्ष्य  ये है की प्रैक्टिशनर्स   खुद के  बचाव  के लिए इस  कला का इस्तेमाल कर सकते है. राम चरण अपनी आगामी फिल्म में आई पी एस  अफसर का किरदार निभा रहे है और यह आर्ट फॉर्म इस किरदार के लिए बहुत ही सटीक होगा.
रामचरण अपने हर काम को परफेक्ट करने में विश्वास रखते है इसीलिए उन्होंने इस आर्ट फॉर्म को सीखने के लिए स्पेशल ट्रेनर को अपॉइन्ट कर रहे है.

बॉक्स ऑफिस पर 'उड़' न सकेगा यह 'पंजाब' !

पिछले दिनों अनुराग कश्यप और एकता कपूर के साथ बॉलीवुड के तमाम सितारे क्रिएटिव फ्रीडम का रोना रो रहे थे।  यह लोग बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंचे और कोर्ट को अस्थाई सेंसर बोर्ड बना कर फिल्म से सेंसर द्वारा लगाए गए गालियों के कट हटवा लाये।  इसलिए उड़ता पंजाब की समीक्षा की शुरुआत फिल्म में गालियों से।  खूब गालियाँ है।  चरसी भी गाली बक रहे हैं और पुलिस वाले भी।  लड़कियाँ औरते भी और आदमी तो बकेंगे ही।  पर एक बात समझ में नहीं आई।  निर्माताओं ने अंग्रेजी सब टाइटल में अंग्रेजी में Mother Fucker को Mother F***er और Sister Fucker को Sister F***ker कर दिया है। क्यों ? अंग्रेजी में माँ को चो... में परेशानी क्यों हुई कश्यप और चौबे को !
जहाँ तक पूरी उड़ता पंजाब की बात है, इसे फिल्म के फर्स्ट हाफ, अलिया भट्ट और दिलजीत दोसांझ के बढ़िया अभिनय के लिए देखा जा सकता है।  अलिया ने बिहारन मजदूरनी और दिलजीत दोसांझ ने एक सब इंस्पेक्टर के रोल को बखूबी जिया है।  शाहिद कपूर के लिए करने को कुछ ख़ास नहीं था।  अनुराग कश्यप ने उन्हें स्टार स्टेटस दिलाने के लिए साइन किया होगा।  करीना कपूर बस ठीक हैं।
अभिषेक चौबे ने अपने निर्देशन के लिए फिल्म की पटकथा सुदीप शर्मा के साथ खुद लिखी है।  मध्यांतर से पहले फिल्म पंजाब के युवाओं में ड्रग्स के चलन, पुलिस भ्रष्टाचार को बखूबी दिखाती है।  लेकिन, फिल्म में सभी डार्क करैक्टर देख कर पंजाब के प्रति निराशा होती है।  पता नहीं कैसे उड़ता पंजाब की यूनिट पंजाब में फिल्म शूट कर पाई! इंटरवल के बाद अभिषेक चौबे की फिल्म से पकड़ छूट जाती है।  पूरी फिल्म एक बहुत साधारण थ्रिलर फिल्म की तरह चलती है।  लेखक के लिए पंजाब की ड्रग समस्या का हल बन्दूक ही लगाती है।  क्या ही अच्छा होता अगर दिलजीत दोसांझ और करीना कपूर के करैक्टर अख़बार, चैनलों और अदालतों के द्वारा पंजाब के ड्रग माफिया का सामना करते।  लेकिन, अनुराग कश्यप इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाते।  संभव है कि लेखक जोड़ी की कल्पनाशीलता आम मसाला फिल्म लिखने से आगे नहीं बढ़ पाई हो।  फिल्म के कुछ दृश्य सचमुच स्तब्ध करने वाले हैं।  मसलन, अलिया भट्ट के करैक्टर को नशीले इंजेक्शन लगा लगा कर बलात्कार करने, ड्रग फैक्ट्री में नशीली दवाओं के निर्माण, करीना कपूर के करैक्टर की हत्या, आदि के दृश्य।  लेकिन, करीना कपूर की हत्या के बाद फिल्म हत्थे से उखड जाती है।  अभी तक सबूत जुटा रहा दिलजीत दोसांझ का करैक्टर एंग्री यंग मैन बन कर अपनो का ही खून बहा देता।
अनुराग कश्यप एंड कंपनी फिल्म के रशेज देख कर जान गई थी कि फिल्म में बहुत जान नहीं है। इसलिए, गालियों को बनाए रखने का शोशा छोड़ा।  कोई शक नहीं अगर सेंसर बोर्ड भी इस खेल में शामिल हो गया हो।  इसके एक सदस्य अशोक पंडित तो खुला खेल खेल रहे थे।
सुदीप शर्मा के संवाद ठीक ठाक है।  पंजाबी ज्यादा है।  अंग्रेजी सब टाइटल की ज़रुरत समझ में नहीं आई।  राजीव रवि के कैमरा और मेघा सेन की कैंची ने अपना काम बखूबी किया है।

लास्ट मूमेंट बताया गया कि लिप-लॉक करना है- संगीता चौहान

कई विज्ञापन फिल्मों में अपनी आकर्षक मुस्कान का प्रदर्शन कर चुकी संगीता चौहान आजकल अपनी एक बड़ी फिल्म की रिलीज़ की तैयारी में व्यस्त है । लव यू अलिया टाइटल वाली इस कन्नड़ फिल्म में संगीता को भूमिका चावला, वी रविचंद्रन और सुदीप जैसे बड़े सितारों के साथ अभिनय का मौका मिला है । फिल्म के डायरेक्टर इन्द्रजीत लंकेश साउथ के बड़े निर्देशकों में शुमार किये जाते हैं । लव यू अलिया कन्नड़ के अलावा हिंदी में भी डब कर रिलीज़ की जा रही है । पेश है संगीता चौहान से एक बातचीत-
लव यू अलिया क्या कोई सन्देश देने वाली फिल्म है ?
आजकल के परिवार में साथ खाने और बैठ कर बातचीत करने के रिश्ते ख़त्म हो चुके है । यह सम्बन्ध ट्वीट और मेसेज भेजने तक ही सीमित हैं । लव यू अलिया आधुनिक परिवार के सदस्यों के डिनर टेबल पर बैठ कर बातचीत करने और आपसी संबंधो, आदि पर गहराई से नज़र डालती है ।
अलिया के बारे में कुछ बताये ?  
अलिया तलाकशुदा माता-पिता की संतान है । उसे शादी जैसी संस्था पर कतई विश्वास नहीं । वह शादी करना नहीं चाहती । परिस्थितियां उसे महसूस कराती है । मैं इस मुख्य किरदार को करके खुद को । भाग्यशाली समझती हूँ । अलिया एक सीधी साडी लड़की है, जिसे संबंधों से जुड़ना पड़ता है और तब उसकी ज़िन्दगी में जटिलताएं पैदा होने लगती है । आपने अब तक जितने करैक्टर देखें हैं, अलिया उनसे काफी अलग है ।
इन्द्रजीत लंकेश दक्षिण के प्रतिष्ठित नाम है । उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
मैं उनकी कार्य शैली से बेहद प्रभावित हुई हूँ । उन्हें दक्षिण की फिल्मों का यश चोपड़ा कहा जा सकता है । मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे यह रोल मिला और लंकेश ने मुझ पर विश्वास किया ।  
क्या इस फिल्म के लिए कोई ख़ास ट्रेनिंग ली ?
मैंने नीरज कबी के साथ एक्टिंग की वर्कशॉप की । नीरज एक्टर भी हैं और एक्टिंग टीचर भी ।
शूटिंग के दौरान का कोई कठिन दौर ?
फिल्म में एक लिप-लॉक का सीन है । मुझे इसकी इत्तला बैंकाक में शूटिंग के दौरान आखिरी मौके पर दी गई । शुरू में मैं समझ नहीं पा रही थी कि इसे कैसे करूंगी । लेकिन, फिर कर लिया ।
आपकी दूसरी फ़िल्में ?
यह मेरी दूसरी फिल्म है । मेरी पहली फिल्म शार्पशूटर थी । मैंने अभी हिंगलिश में एक शॉर्ट फिल्म शूट की है । इसकी निर्देशक हीना डीसूजा हैं । इस फिल्म का वर्किंग टाइटल काफी जटिल था । इसलिए अभी टाइटल फाइनल होना है ।
आप इंडस्ट्री में किसे आदर्श मानती है ?
विद्या बालन मेरी रोल मॉडल हैं । उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर अपना एक यह मुकाम बनाया है । संघर्षों के बावजूद उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी । अभिनेताओं में आर माधवन और आमिर खान मेरे पसंदीदा है । 

अल्पना कांडपाल 

Thursday, 16 June 2016

First Look of Bhushan Kumar’s Befikra starring Tiger Shroff and Disha Patani

When it comes to singles Bhushan Kumar seems to have gotten unstoppable. The producer is now coming out with his third single in just a month. T-Series recently launched two singles ‘Dillagi’ and ‘Tum Ho To Lagta hai’ which has been rising on the charts gaining its postion in the list of millions of view. While these songs are still trending the producer is now coming out with yet another single titled “Befikra” with the sensational pair, Tiger Shroff and Disha Patani. 
The song which is a peppy track has been shot in the beautiful city of love, Paris under the direction of Sam Bombay. The music to the song has been given by Meet Bros, the musical duo have even given their voice to the song along with Aditi Singh Sharma and lyrics has been penned down by Kumaar.

नई फिल्मों के पोस्टरों में फिल्म की नायिका को तरजीह






Wednesday, 15 June 2016

बारह साल पहले एक थी सुरैया !

सुरैया का एक्टिंग करियर १९४१ में नानूभाई वकील की फिल्म ‘ताज महल’ में बालिका मुमताज महल के रोल से शुरू हुआ था। वह अपने मामा और चरित्र अभिनेता एम ज़हूर के साथ ताज महल की शूटिंग देखने के लिए मोहन स्टूडियो गई थी। नानूभाई वकील ने उन्हें देखा और नन्ही मुमताज का रोल दे दिया। इसके साथ ही सुरैया के बतौर अभिनेत्री करियर की शुरुआत हो गई। 
सुरैया अपने बचपन के दोस्तों राजकपूर और मदन मोहन के आल इंडिया रेडियो के बच्चों के प्रोग्राम में हिस्सा लिया करती थी। वहीँ, उन्हें संगीतकार नौशाद ने पहली बार सुना। उन्होंने सुरैया से पहली बार ए आर कारदार की फिल्म ‘शारदा’ के लिए पंछी जा पीछे रहा है मेरा बचपन गीत गवाया था। इस गीत को उस समय की बड़ी अभिनेत्री महताब पर फिल्माया गया था। महताब उम्र में सुरैया से काफी बड़ी थी।  वह सशंकित थी कि इस १३ साल की बच्ची की आवाज़ उन पर कैसे सूट करेगी। लेकिन,  नौशाद ने सुरैया से ही गीत गवाया।  इसके साथ ही सिंगिंग स्टार सुरैया का जन्म हुआ।  
स्टेशन मास्टर और तमन्ना जैसी फिल्मों के बाद सुरैया को गायिका अभिनेत्री के बतौर बड़ा ब्रेक मिला फिल्म हमारी बात में।  १९४५ में रिलीज़ फिल्म फूल ने सुरैया को बतौर गायिका अभिनेत्री ज़बरदस्त शोहरत दी। सुरैया की गायन की अग्नि परीक्षा हुई, नौशाद की संगीत से सजी फिल्म अनमोल घडी (१९४६) से। इस फिल्म में नूरजहाँ नायिका थी। फिल्म में नूरजहाँ ने जवां है मोहब्बत, आवाज़ दे कहाँ है, आ जा मेरी बर्बाद मोहब्बत के सहारे, मेरे बचपन के साथी और क्या मिल गया भगवान जैसे आल टाइम सुपर हिट गीत गाये थे . लेकिन, बाज़ी मारी सुरैया ने सोचा था क्या, क्या हो गया गीत से।  लोग इस गीत को सुनने के लिए बार बार फिल्म देखने आते थे और जैसे ही गीत ख़त्म होता हॉल से बाहर निकल जाते थे। 
सुरैया की तक़दीर बदली देश के विभाजन ने। देश विभाजन के दौरान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कई हस्तियाँ पाकिस्तान चली गई थीं।  इनमे नूरजहाँ भी एक थी। नूरजहाँ पाकिस्तान चली गई। लेकिन, सुरैया ने भारत रहना ही मंज़ूर किया। इसके बाद सुरैया का करियर बिलकुल बदल गया।  चूंकि, वह गा भी सकती थी, इसलिए वह फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद बन गई। उस समय की बड़ी अभिनेत्रियों नर्गिस और कामिनी कौशल पर सुरैया को तरजीह मिलने लगी। क्योंकि, यह अभिनेत्रियाँ अपने गीत नहीं गा सकती थी। जबकि, सुरैया की खासियत यह थी कि वह नूरजहाँ की तरह अच्छा गा सकती थी और नर्गिस और कामिनी कौशल की तरह बढ़िया अभिनय भी कर सकती थी। 
सुरैया को उनकी तीन फिल्मों ने हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी स्टार बना दिया। दो फ़िल्में प्यार की जीत (१९४८) और बड़ी बहन (१९४९) में सुरैया के नायक रहमान थे। तीसरी फिल्म दिल्लगी (१९४९) में वह श्याम की नायिका थी। यह तीनों फ़िल्में बड़ी म्यूजिकल हिट फ़िल्में थी। प्यार की जीत और बड़ी बहन के संगीतकार हुस्नलाल भगतराम थे, जबकि दिल्लगी का संगीत नौशाद ने दिया था। दिल्लगी के बाद नौशाद और सुरैया की जोड़ी जम गई। १९४७ से १९५० के बीच इन दोनों ने कोई ३० फ़िल्में बतौर संगीतकार और गायिका जोड़ी की। लेकिन, सुरैया की यह सफलता बहुत थोड़े दिन रही।  एक उभरती गायिका लता मंगेशकर ने सुरैया के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। यह सिलसिला शुरू हुआ नौशाद के संगीत निर्देशन में फिल्म अंदाज़ के गीत उठाये जा उनके सितम गीत से। सुरैया की हिट फिल्म ‘बड़ी बहन’ में लता मंगेशकर ने भी गीत गए थे। जहाँ सुरैया ने खुद पर फिल्माए गए गीत ओ लिखने वाले ने और बिगड़ी बनाने वाले गाये थे, वहीँ लता मंगेशकर ने सुरैया के साथ फिल्म की  सह नायिका गीता बाली के लिए दो गीत चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है और चले जाना नहीं गाये थे। इन चारों गीतों को ज़बरदस्त सफलता मिली। सुरैया जैसी स्थापित गायिका की मौजूदगी में मिली इस कामयाबी ने लता मंगेशकर को बतौर गायिका स्थापित कर दिया। इसके साथ ही सुरैया का सितारा भी धुंधलाने लगा। फिसलते करियर के दौरान भी सुरैया ने कुछ ऐसी फ़िल्में की, जिहोने सुरैया को शोहरत और सम्मान दोनों दिए। 
मिर्ज़ा ग़ालिब (१९५४) में सुरैया ग़ालिब की प्रेमिका और तवायफ मोती बाई के किरदार में थी। यह फिल्म सुपर हिट फिल्म तो साबित हुई ही, इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ फिल्म का स्वर्ण कमल जीता। इस फिल्म में सुरैया ने गुलाम मोहम्मद के संगीत निर्देशन में दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है और ये न थी हमारी किस्मत जैसे सदाबहार हिट गीत गाये।  इस फिल्म का सुरैया के लिए क्या महत्त्व रहा होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उनकी प्रशसा करते हुए कहा था कि तुमने मिर्ज़ा ग़ालिब की रूह को जिंदा कर दिया। सुरैया की आखिरी फिल्म रुस्तम सोहराब १९६३ में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में सुरैया के नायक पृथ्वीराज कपूर थे, जो बीस साल पहले की सुरैया की फिल्म इशारा में उनके नायक थे। इस फिल्म का गीत ये कैसी अजाब दास्ताँ हो गई सुरैया का गाया आखिरी गीत भी साबित हुआ। 
सुरैया ने अपने २० साल के फिल्म करियर में अपने समय के सभी बड़े अभिनेताओं मोतीलाल और अशोक कुमार से ले कर भारत भूषण तक के साथ अभिनय किया तथा के एल सहगल और तलत महमूद से लेकर मोहम्मद रफ़ी और मुकेश तक सभी गायकों के साथ युगल गीत गाये। उन्होंने लता मंगेशकर के साथ भी दो युगल गीत गाये। इनमे एक गीत संगीतकार हुस्नलाल भगतराम का संगीतबद्ध फिल्म बालम (१९४९) का ओ परदेसी मुसाफिर तथा दूसरा नौशाद का संगीतबद्ध फिल्म दीवाना (१९५२) का मेरे लाल मेरे चंदा तुम जियों हजारों साल था। दिलचस्प तथ्य यह था कि सुरैया ने गायन की कोई क्लासिकल ट्रेनिंग नहीं ली थी।  इसके बावजूद उन्होंने सचिन देव बर्मन का संगीतबद्ध क्लासिकल गीत गीत मन मोर हुआ मतवाला गाया था। यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह है कि बचपन के दोस्त मदन मोहन केवल एक फिल्म ख़ूबसूरत (१९५२) के लिए गीत गवाए। 
सुरैया के प्रति दर्शकों में पागलपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छात्र उनकी फिल्म का पहले दिन का पहला शो देखने के लिए क्लास तथा ऑफिसों में काम करने वाले लोग दफ्तर छोड़ कर सिनेमाघरों के बाहर खड़े नज़र आते थे। अभिनेता धर्मेन्द्र ने एक बातचीत में बताया था कि उन्होंने सुरैया की फिल्म दिल्लगी ४० बार देखी थी। सुरैया जमाल शेख बॉलीवुड की ऎसी गायिका अभिनेत्री थी, जो अपने रिटायरमेंट लेने तक अभिनय करती रही और अपने गीत गाती रही। उनका आखिरी गाया गीत रुस्तम शोहराब फिल्म का 'ये कैसी अजाब दास्ताँ हो गई' था, जो उन पर ही फिल्माया गया था। इसके साथ ही सुरैया का बतौर एक्टर और सिंगर करियर ख़त्म हो गया।  ३१ जनवरी २००४ को वह एक थी सुरैया हो गई।  


हत्या पर केंद्रित होती है क्राइम थ्रिलर फ़िल्में

अनुराग कश्यप एक बार फिर अपनी पसंदीदा शैली थ्रिलर रमन राघव २.० लेकर आ रहे हैं। आज की मुंबई की पृष्ठभूमि पर यह फिल्म वास्तव में १९६० में हुए एक सीरियल किलर रमन राघव के करैक्टर से प्रेरित फिल्म है। रमन राघव २.० एक क्राइम थ्रिलर फिल्म है, क्योंकि इस फिल्म के केंद्र में एक हत्यारा है और उसके द्वारा की गई हत्याओं का रहस्य है। इस फिल्म में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने रमन की भूमिका की है। आम तौर पर थ्रिलर फ़िल्में दर्शकों की पसंदीदा होती हैं।  लेकिन, अगर यह क्राइम थ्रिलर है तो कहने ही क्या ? पहली ही रील में हत्या दर्शकों को  सिनेमाघरों में अपनी सीटों से चिपकाए रहती है।  आइये जानते हैं ऎसी कुछ अलग किस्म की क्राइम थ्रिलर फिल्मों के बारे में-   
तलाश: द आंसर लाइज विदिन- आमिर खान, करीना कपूर और रानी मुख़र्जी की साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म तलाश: द आंसर लाइज विदिन एक हत्या का रहस्य सुलझाने की ज़िम्मेदारी ओढ़े इंस्पेक्टर सुरजन शेखावत, उसके परिवार और एक कॉल गर्ल के इर्द गिर्द घूमती थी। इसी रहस्य को खोलने में वह एक कॉल गर्ल के नज़दीक आता है। जब हत्या का रहस्य खुलता है तो सभी चौंक पड़ते हैं। फिल्म की निर्देशक रीमा कागती थीं। 
मनोरमा सिक्स फीट अंडर- अभय देओल, गुल पनाग और राइमा सेन की इस फिल्म मनोरमा सिक्स फ़ीट अंडर को बहुत चर्चा नहीं मिली। यह फिल्म एक नौसिखिउए जासूस की थी, जो राजस्थान में एक हत्या के रहस्य से पर्दा उठाते हुए विचित्र परिस्थितियों में फंस जाता है। इस फिल्म के निर्देशक नवदीप सिंह थे। 
गुप्त: द हिडन ट्रुथ- बॉबी देओल, काजोल और मनीषा कोइराला की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में साहिल सिन्हा (बॉबी देओल) पर अपने सौतेले पिता की हत्या का आरोप है। वह, जब इस इस हत्या की तह में जाने की कोशिश करता है तो नई मुसीबत में फंस जाता है। इस फिल्म का निर्देशन राजीव राय ने किया था। 
इत्तफाक- राजेश खन्ना और नंदा अभिनीत इस फिल्म में एक पेंटर पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा है  उसे पागलखाने भेजा जाता है कि वह वहां से भाग निकलता है वह भागते हुए एक घर में आ छुपता है लेकिन, उसे क्या मालूम कि यहाँ उस पर दूसरे खून का आरोप लगने वाला है इस फिल्म के निर्देशक यश चोपड़ा थे
द स्टोनमैन मर्डर्स- अस्सी के दशक की रियल लाइफ घटनाओं पर फिल्म द स्टोनमैन मर्डर्स पत्थर मार कर अपने शिकार की हत्या करने वाले हत्यारे की गिरफ्तारी पर फिल्म थी इस फिल्म में के के मेनन और अरबाज खान मुख्य भूमिका में थे फिल्म के निर्देशक मनीष गुप्ता थे 
अजनबी- अक्षय कुमार, बॉबी देओल, करीना कपूर और बिपाशा बासु अभिनीत फिल्म अजनबी में राज मल्होत्रा पर हत्या का आरोप लगता है वह शक के आधार पर एक जोड़े का पीछा करता है। इस फिल्म के निर्देशक थ्रिलर फिल्मों के उस्ताद अब्बास मुस्तान की जोड़ी थी
गुमनाम- मनोज कुमार, नंदा, हेलेन, प्राण और महमूद निर्देशित फिल्म गुमनाम एक वीराने बंगले में छोड़ दिए लोगों और उनकी एक के बाद एक होती हत्याओं पर फिल्म थी इस फिल्म का निर्देशन राजा नवाथे ने किया था फिल्म का संगीत सुपर हिट हुआ था 
तीसरी मंजिल- शम्मी कपूर और आशा पारेख की फिल्म तीसरी मंजिल सुनीता की बहन को तीसरी मंजिल से फेंक कर मार देने के दृश्य से शुरू होती थी सुनीता अपनी बहन के कातिल को ढूढ़ना चाहती हैउसे बताया जाता है कि उसकी बहन एक होटल के बैंड प्लेयर रॉकी से प्रेम करती थी  जब हत्या का रहस्य खुलता है, तब दर्शक चौंक पड़ते हैं इस फिल्म का निर्देशन विजय आनंद ने किया था 
१०० डेज- माधुरी दीक्षित के किरदार देवी को होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है. वह भी अपनी बहन के हत्यारे की खोज में लगी है . इस फिल्म का निर्देशन पार्थो घोष ने किया था
खिलाडी- अक्षय कुमार, आयशा जुल्का, सबीहा और दीपक तिजोरी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म चार दोस्तों राज, बोनी, शीतल और नीलम की कहानी है शीतल की हत्या हो जाती है किसने की है यह हत्या? अब्बास मुस्तान की जोड़ी को बतौर निर्देशक स्थापित कर देने वाली इस फिल्म में रहस्य का पर्दाफाश चौंकाने वाला था
कौन- केवल मनोज बाजपेई, उर्मिला मातोंडकर और सुशांत सिंह के करैक्टर के इर्दगिर्द घूमती यह फिल्म एक साइको किलर की तलाश कराती थी मनोज बाजपेई का करैक्टर कुछ इसी प्रकार की हरकते करता था, जो उर्मिला के घर घुस आया है इस फिल्म का निर्देशन रामगोपाल वर्मा ने किया था 
एक रुका हुआ फैसला- पंकज कपूर, के के रैना, एम् के रैना, अन्नू कपूर, आदि सशक्त अभिनेताओं की यह फिल्म अपने आप में अनोखी फिल्म थी बारह सदस्यों की जूरी को अपने पिता के कातिल युवक को दोषी ठहराए जाने पर निर्णय लेना है ज़्यादातर एक कमरे में फिल्माई गई इस फिल्म का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था 
समय: व्हेन टाइम स्ट्राइक्स- सुष्मिता सिंह, जैकी श्रॉफ और सुशांत सिंह की मुख्य भूमिका वाली फिल्म में महिला पुलिस अधिकारी एक सीरियल किलर की तलाश कर रही है फिल्म का निर्देशन रोबी ग्रेवाल ने किया था
धुंद- अशोक कुमार, संजय खान, जीनत अमान, डैनी डैंग्जोप्पा और नवीन निश्चल की फिल्म धुंद में एक अपाहिज की हत्या हो जाती है  शक के घेरे में उसकी पत्नी है इस फिल्म का निर्देशन बीआर चोपड़ा ने किया था   
रहस्य- के के मेनन, आशीष विद्यार्थी, टिस्का चोपड़ा और अश्विनी कलसेकर अभिनीत रहस्य डॉक्टर दम्पति की बेटी की हत्या पर फिल्म थी, जिसका दोषी डॉक्टर दम्पति को ही बताया जा रहा है इस फिल्म का निर्देशन मनीष गुप्ता ने किया था
बीस साल बाद- विश्वजीत, वहीदा रहमान, मदन पूरी, मनमोहन कृष्ण, सज्जन और असित सेन अभिनीत फिल्म बीस साल बाद एक हवेली के वंशजो की हो रही हत्याओं पर केन्द्रित फिल्म थी यह बॉलीवुड की पहली हॉरर फिल्म मानी जाती है इस फिल्म से डायरेक्टर बिरेन नाग का डेब्यू हुआ था .
खामोश- नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, अमोल पालेकर, सोनी राजदान और पंकज कपूर की फिल्म खामोश एक उभरती अभिनेत्री की हत्या की गुत्थी सुलझाने की कहानी थी इस फिल्म में अमोल पालेकर, सोनी राजदान और शबाना आज़मी ने खुद के काल्पनिक किरदार किये थे फिल्म के निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा थे 
हॉलीवुड से प्रेरित क्राइम थ्रिलर 
बॉलीवुड की ज्यादा क्राइम थ्रिलर फ़िल्में हॉलीवुड की फिल्मों पर आधारित थी मसलन मनोरमा सिक्स फीट अंडर हॉलीवुड की रोमन पोलंस्की निर्देशित जैक निकल्सन और फाए डनअवे अभिनीत फिल्म चाइनाटाउन (१९७४०) पर, इत्तफाक हॉलीवुड फिल्म साइनपोस्ट पर, अजनबी निर्देशक एलन जे पकुला निर्देशित अमेरिकन थ्रिलर कंसेंटिंग एडल्ट्स पर, एक रुका हुआ फैसला सिडनी लुमेट निर्देशित अमेरिकन फिल्म १२ एंग्री में पर, समय: व्हेन टाइम स्ट्राइक्स ब्रैड पिट और मॉर्गन फ्रीमैन अभिनीत फिल्म Se7en (सेवेन) पर, बीस साल बाद आर्थर कानन डायल की फिल्म द हाउंड ऑफ़ बास्कर्विलेस पर आधारित थी वहीँ द स्टोनमैन मर्डर्स और रहस्य (मोटे तौर पर आरुषी हत्याकांड) रियल लाइफ घटना पर फ़िल्में थी गुमनाम अगाथा क्रिस्टी के मशहूर थ्रिलर उपन्यास एंड देन देयर वर नन, धुंद भी अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास द अनएक्सपेक्टेड गेस्ट पर आधारित थी
बढ़िया हिट संगीत 

आम तौर पर थ्रिलर फिल्मों में संगीत का ख़ास महत्त्व नहीं होता। मगर, बॉलीवुड ने कुछ बढ़िया हिट संगीत वाली सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों का निर्माण किया है क्राइम थ्रिलर फ़िल्में भी इसका अपवाद नहीं । एक रुका हुआ फैसला, द स्टोनमैन मर्डर्स और इत्तफाक में कोई नाच गीत नहीं थे। लेकिन, तीसरी मंज़िल में आरडी बर्मन, गुमनाम में शंकर जयकिशन, बीस साल बाद में हेमंत कुमार, खिलाडी में जतिन-ललित, धुंद में रवि, गुप्त में विजू शाह और अजनबी में अनु मालिक का संगीत हिट हुआ था । 

अल्पना कांडपाल 

Tuesday, 14 June 2016

The official poster of Disney's Pete's dragon

Here's presenting the official poster of Pete's Dragon starring Bryce Dallas Howard, Oakes Fegley, Wes Bentley, Karl Urban, Oona Laurence, Isiah Whitlock, Jr. and Robert Redford. Pete's Dragon, a re-imagining of Disney’s cherished family film, is the adventure of an orphaned boy named Pete and his best friend Elliot, who just so happens to be a dragon.Pete's Dragon releases in India in August 2016.

लास्ट मूमेंट बताया गया कि लिप-लॉक करना है- संगीता चौहान

कई विज्ञापन फिल्मों में अपनी आकर्षक मुस्कान का प्रदर्शन कर चुकी संगीता चौहान आजकल अपनी एक बड़ी फिल्म की रिलीज़ की तैयारी में व्यस्त है । लव यू अलिया टाइटल वाली इस कन्नड़ फिल्म में संगीता को भूमिका चावला, वी रविचंद्रन और सुदीप जैसे बड़े सितारों के साथ अभिनय का मौका मिला है । फिल्म के डायरेक्टर इन्द्रजीत लंकेश साउथ के बड़े निर्देशकों में शुमार किये जाते   हैं । लव यू अलिया कन्नड़ के अलावा हिंदी में भी डब कर रिलीज़ की जा रही है । पेश है संगीता चौहान से एक बातचीत-
लव यू अलिया क्या कोई सन्देश देने वाली फिल्म है ?
आजकल के परिवार में साथ खाने और बैठ कर बातचीत करने के रिश्ते ख़त्म हो चुके  है । यह सम्बन्ध ट्वीट और मेसेज भेजने तक ही सीमित हैं । लव यू अलिया आधुनिक परिवार के सदस्यों के डिनर टेबल पर बैठ कर बातचीत करने और आपसी संबंधो, आदि पर गहराई से नज़र डालती है ।
अलिया के बारे में कुछ बताये
अलिया तलाकशुदा माता-पिता की संतान है । उसे शादी जैसी संस्था पर कतई विश्वास नहीं । वह शादी करना नहीं चाहती । परिस्थितियां उसे महसूस कराती है । मैं इस मुख्य किरदार को करके खुद को । भाग्यशाली समझती हूँ । अलिया एक सीधी साडी लड़की है, जिसे संबंधों से जुड़ना पड़ता है और तब उसकी ज़िन्दगी में जटिलताएं पैदा होने लगती है । आपने अब तक जितने करैक्टर देखें हैं, अलिया उनसे काफी अलग है ।
इन्द्रजीत लंकेश दक्षिण के प्रतिष्ठित नाम है । उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
मैं उनकी कार्य शैली से बेहद प्रभावित हुई हूँ । उन्हें दक्षिण की फिल्मों का यश चोपड़ा कहा जा सकता है । मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे यह रोल मिला और लंकेश ने मुझ पर विश्वास किया । 
क्या इस फिल्म के लिए कोई ख़ास ट्रेनिंग ली ?
मैंने नीरज कबी के साथ एक्टिंग की वर्कशॉप की । नीरज एक्टर भी हैं और एक्टिंग टीचर भी ।
शूटिंग के दौरान का कोई कठिन दौर ?
फिल्म में एक लिप-लॉक का सीन है । मुझे इसकी इत्तला बैंकाक में शूटिंग के दौरान आखिरी मौके पर दी गई । शुरू में मैं समझ नहीं पा रही थी कि इसे कैसे करूंगी । लेकिन, फिर कर लिया ।
आपकी दूसरी फ़िल्में ?
यह मेरी दूसरी फिल्म है । मेरी पहली फिल्म शार्पशूटर थी । मैंने अभी हिंगलिश में एक शॉर्ट फिल्म शूट की है । इसकी निर्देशक हीना डीसूजा हैं । इस फिल्म का वर्किंग टाइटल काफी जटिल था । इसलिए अभी टाइटल फाइनल होना है ।
आप इंडस्ट्री में किसे आदर्श मानती है ?

विद्या बालन मेरी रोल मॉडल हैं । उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर अपना एक यह मुकाम बनाया है । संघर्षों के बावजूद उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी । अभिनेताओं में आर माधवन और आमिर खान मेरे पसंदीदा है । 

Saturday, 11 June 2016

नशीली दवाओं चंगुल में फंसा बॉलीवुड

अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब आजकल के पंजाब प्रान्त में युवाओं के बीच नशीली दवाओं की समस्या पर फिल्म है।  इस फिल्म में करीना कपूर और शाहिद कपूर लम्बे समय बाद किसी  फिल्म में आ ज़रूर रहे हैं, लेकिन उनके साथ साथ कोई सीन नहीं होंगे।   लेकिन,दर्शकों के लिए समस्या यह नहीं होगी।  वह देखना चाहेंगे कि उनके द्वारा चार साल तक की गई कथित मेहनत ने स्क्रिप्ट में क्या आकार लिया है।  क्या यह फिल्म पंजाबी युवाओं के नशीली दवाओं के जाल में फंसने की घटनाओंं को वास्तविक तथ्यों पर उभार पाए होंगे ? बॉलीवुड ने तो नशीली दवाओं को युवाओं के शौक और मज़े के तौर पर ही दिखाया है।
ड्रग्स पर 'गुमराह' करती फिल्म
निर्माता यश जौहर और निर्देशक महेश भट्ट ने १९९३ में नशीली दवाओं की तस्करी के विषय पर एक फिल्म गुमराह बनाई थी।  इस फिल्म में श्रीदेवी ने एक सिंगर रोशनी का किरदार किया था,  जिसे राहुल प्रमोट करता है और विदेशों में शो करवाता है।  ऐसे ही एक शो के लिए जाते समय रोशनी हांगकांग एयरपोर्ट पर नशीली दवाओं की तस्करी के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया जाता है।  उसे फांसी की सज़ा हो जाती है। ऐसे में जगन्नाथ उसकी मदद करता है।  संजय दत्त ने जगन्नाथ और राहुल रॉय ने प्रमोटर राहुल का किरदार किया था। इस फिल्म को रॉबिन भट्ट और सुजीत सेन ने लिखा था।   लेकिन, वह पकड़ नहीं बन पाई थी।  फिल्म में न तथ्य थे, न विषय की गहराई से समझ थी।  यह फिल्म श्रीदेवी और संजय दत्त की फ्लॉप फिल्मों में शुमार की जाती है।
नेपाल से गोवा तक ड्रग्स
१८ साल बाद निर्देशक रोहन सिप्पी को गोवा में नशीली दवाओं का धंधा नज़र आया।  उस दौर में गोवा इस खासियत के कारण मशहूर हो रहा था।  फिल्म में नशीली दवाओं के तस्करों की तरकीबों, पुलिस की कोशिशों और नशे के दुष्परिणाम का चित्रण काफी अच्छी तरह से हुआ था।  इस फिल्म में दीपिका पादुकोण पर  हरे राम हरे कृष्णा का दम मारो दम गीत का रीमिक्स वर्शन फिल्माया गया था ।  इसके बावजूद फिल्म फ्लॉप हुई।  जिस हरे राम हरे कृष्णा के गीत पर रोहन सिप्पी ने गोवा पर अपनी फिल्म का नाम रख था, देव आनंद और ज़ीनत  अमान की यह फिल्म नेपाल में हिप्पियों और नशे के जाल पर केंद्रित थी।  इस संगीतमय फिल्म ने हिंदुस्तानी दर्शकों को काफी प्रभावित किया था  फिल्म सुपर हिट साबित हुई।  लेकिन, इसके  बाद कोई ऎसी सफल फिल्म नहीं बनाई जा सकी।
ड्रग्स से लग जाते हैं 'पंख'
सुदीप्तो चट्टोपाध्याय निर्देशित फिल्म को नशीली दवाओं पर केंद्रित फिल्म कहना ठीक नहीं होगा।  इस फिल्म में एक बच्चे के मनोविज्ञान का भी चित्रण किया गया था।  जेरी एक बर्बाद परिवार से है।  वह फिल्मों में लड़कियों का किरदार करता है।  माँ के साथ ख़राब सम्बन्ध उसे नशे में धकेल देते हैं।  नशीली दवाओं की डोज़ लेकर वह बिपाशा बासु की फंतासी करता है।  यह फिल्म बाल मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रशंसनीय थी।  नशा तो एक पहलू था ही।
नशीली दवाओं के आदती किरदार
बॉलीवुड की काफी फिल्मों के किरदार नशा लेने वाले दिखाये गए हैं।  मधुर भंडारकर की फैशन इंडस्ट्री पर फिल्म फैशन की कहानी मेघना माथुर यानि प्रियंका चोपड़ा पर केंद्रित थी।  फिल्म का शोनाली का किरदार पतन को जा रही मॉडल का था, जो हताशा में नशीली दवाओं में डूब जाता है।  इस भूमिका के लिए कंगना रनौत को सपोर्टिंग एक्ट्रेस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।  अनुराग कश्यप की आधुनिक देवदास पर फिल्म देव डी में देवदास का किरदार पारो की शादी हो जाने के बाद ड्रग्स लेने लगता है।  अनुराग कश्यप के चले बिजॉय नांबियर की फिल्म शैतान के नशीली दवाओं और शराब में डूबे पांच दोस्त नशे में चूर हो कर अपनी कार से एक स्कूटर सवार को  ठोंक डालते हैं।  इसके बाद शुरू होता है उनका पश्चाताप और एक के बाद ज़िंदगियों का ख़त्म होना।  कंगना रनौत की फिल्म रिवाल्वर रानी में एक्टर बनने मुंबई आया वीर दास का किरदार हमेशा कोकीन सुडकता रहता है।  हँसी तो फसी में परिणीति चोपड़ा का किरदार डिप्रेशन से उबरने के लिए ड्रग्स लेता है।  रागिनी एमएमएस में एक जोड़ा नशे वाली सिगरेट पीता है।  इसके बाद वह लोग सेक्स करने शावर के नीचे  जाते हैं।  तभी लड़का  प्रेत बन जाता है।  लड़की नशीली सिगरेट को इसका कारण बताती है।  गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी हर समय चरस पीते रहते हैं। विशाल भरद्वाज की फिल्म ७ खून माफ़ में सुसन्ना (प्रियंका चोपड़ा) के दूसरे पति बने जॉन अब्राहम ड्रग्स लेते थे ।  उसकी  ज़्यादतियों से तंग आकर सुसन्ना ड्रग की ओवर डोज़ देकर  मार देती है।
ड्रग्स ने बनाया ज़ोंबी
कृष्णा डी के और राज निदिमोरु की निर्देशक जोड़ी की फिल्म गो गोवा गॉन में कुणाल खेमू और  वीर दास के करैक्टर गोवा की एक रेव पार्टी में जाते हैं।  नशे में डूबने के बाद  जब वह सुबह उठते हैं तो पाते हैं कि नशे ने वहा मौजूद तमाम लोगों को ज़ोंबी बना दिया है।  इसके बाद शुरू होती है कॉमिक भागदौड़ और जोम्बियों की मारकाट।  सैफ अली खान ज़ोंबी के वायरस के शिकार ज़ोंबी हंटर बने थे।
ड्रग्स पर हॉलीवुड
नशीली दवाओं के  अंतर्राष्ट्रीय रैकेट को हॉलीवुड की कई फिल्मों में दिखाया गया है। इनमे डायरेक्टर रिडले स्कॉट की डंजेल वाशिंगटन और रशेल क्रोव की फिल्म अमेरिकन गैंगस्टर, डायरेक्टर ब्रायन डी पाल्मा की अल पचीनो अभिनीत स्कारफेस,  निर्देशक डैनी बॉयल की ट्रेनस्पॉटिंग, फर्नांडो मेिरेलस की फिल्म सिटी ऑफ़ गॉड, स्टीवन सोडरबर्ग निर्देशित ट्रैफिक, कोएन ब्रदर्स निर्देशित ऑस्कर अवार्ड विजेता फिल्म नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन, डैरेन अरोनोफस्की निर्देशित रिक्विम फॉर अ ड्रीम, निर्देशक टेरी विलियम की फियर एंड लोथिंग इन लॉस वेगासक्वेंटिन टारनटिनो की फिल्म पल्प फिक्शन, टेड डेमे की ब्लो, रिचर्ड लिंकलेटर के डैजड एंड कन्फ्यूज्ड और डायरेक्टर जोशुआ मर्स्टन की मारिया फुल ऑफ़ ग्रेस के नाम उल्लेखनीय हैं। 
ममता कुलकर्णी 
नाना पाटेकर की हिट फिल्म तिरंगा से अपने करियर की शुरुआत करने वाली ममता कुलकर्णी ने अपनी सेक्स अपील के बलबूते शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान और सैफ अली खान के साथ फिल्में की। वह जब तब अपने नखरों और हरकतों के कारण चर्चित होती रही।  एक दिन ममता कुलकर्णी यकायक गायब हो गई।हाल ही में महाराष्ट्र में ठाणे पुलिस के ममता कुलकर्णी के पति विकी गोस्वामी के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी करने की खबर आई है।  ममता और उनके पति नशीली दवाओं  की तस्करी में लिप्त बताये जाते हैं।  

Thursday, 9 June 2016

प्रियंका चोपड़ा की पहली भोजपुरी फिल्म

क्वांटिको के बाद बेवाच मूवी की शूटिंग कर मार्च के आखिर में स्वदेश लौटी प्रियंका चोपड़ा अब तक ३० ब्रांड एनडोर्समेंट, चार फिल्म निर्माताओं से बातचीत और दो पत्रिकाओं के लिए फोटोशूट करवा चुकी है। हॉलीवुड में अपना झंडा गड़वा चुकी प्रियंका चोपड़ा अब क्षेत्रीय सिनेमा के लिए कुछ करना चाहती हैं। उनके बैनर पर्पल पेबल पिक्चरस के अंतर्गत बनाई गई पहली भोजपुरी फिल्म बम बम बोल रहा काशी इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म का निर्देशन संतोष मिश्र कर रहे हैं। फिल्म में भोजपुरी फिल्मों बड़े सितारे दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली पाण्डेय मुख्य भूमिका में है। इस फिल्म के ९ जून के पटना प्रीमियर में प्रियंका चोपड़ा भी शामिल हो रही हैं। इससे साफ़ है कि वह अपनी पहली भोजपुरी फिल्म के प्रति कितना गंभीर है। प्रियंका चोपड़ा के बैनर से एक मराठी और एक पंजाबी फिल्म का निर्माण भी किया जायेगा।  प्रियंका का मानना है कि कहानी में गहराई होनी चाहिए। दर्शक ऎसी फिल्म पसंद करेगा। इसे ध्यान में रख कर ही प्रियंका क्षेत्रीय भाषाओँ में फ़िल्में बना रही हैं। 


आम्रपाली में लता मंगेशकर की जगह मधुश्री

बलदेव सिंह बेदी १९६६ की म्यूजिकल, ऐतिहासिक रोमांस ड्रामा फिल्म आम्रपाली का रीमेक बनाने जा रहे है। पचास साल पहले रिलीज़ ऍफ़ सी मेहरा की फिल्म में नगरवधु आम्रपाली का किरदार वैजयंतीमाला ने किया था। सुनील दत्त उनके प्रेमी अजातशत्रु बने थे। रीमेक में आम्रपाली का किरदार कौन अभिनेत्री करेगी, अभी तय नहीं हुआ है। लेकिन, पता चला है कि १९६६ की फिल्म में अजातशत्रु का किरदार करने वाले सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त नई आम्रपाली में इस किरदार को करेंगे। पुरानी आम्रपाली के तमाम गीत गायिका लता मंगेशकर ने गाये थे। आज के जमाने की आम्रपाली के सभी गीत मधुश्री गा रही हैं। मधुश्री इस फिल्म के दो गीतों की रिकॉर्डिंग भी कर चुकी है। पहला गीत रशीद खान के साथ मधुश्री का गाया आम्रपाली के बचपन से युवा होने तक के सफ़र को बताने वाला गीत है। दूसरा गीत हल्दी रस्म पर है। आम्रपाली के गीतों को अपनी आवाज़ देने के बारे में मधुश्री कहती हैं, “मैं बहुत उत्साहित हूँ कि मैं आम्रपाली के सभी गीत गा रही हूँ। मैंने पुरानी आम्रपाली के गीत सुने है।  लता जी ने तमाम गीत बहुत शानदार गाये हैं।  मुझे उनके काम को अंजाम देना है।  यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।” आम्रपाली का संगीत रॉबी बादल तैयार कर रहे हैं। 


Wednesday, 8 June 2016

टाइटल अजीबो गरीब

इस हफ्ते रिलीज़ होने जा रही, निर्माता सुजॉय सरकार की फिल्म 'TE3N ' बॉलीवुड के विचित्र टाइटल वाली फिल्मों की लम्बी सीरीज में विचित्र टाइटल वाली  ताज़ातरीन फिल्म हैं।  इस फिल्म का टाइटल हिंदी में नहीं। अंग्रेजी टाइटल में टीई और एन के बीच इंग्लिश का ३ है।  इससे यह आभास तो होता ही  है कि फिल्म का टाइटल TEEN (टीन यानि किशोर/किशोरी) होगा।  लेकिन, अंकों में लिखा ३ थोड़ा धोखा भी देता है और उत्सुकता भी जगाता है।  यह फिल्म  वास्तव में तीन चरित्रों की एक गुमशुदा लड़की को खोजने की सस्पेंस थ्रिलर  कहानी है।  
विचित्र साइलेंस 
विचित्र टाइटल वाली फिल्मों का सिलसिला मूक फिल्मों के युग से ही शुरू हो गया था।  १९२० में रिलीज़ श्रीराम पाटनकर की फिल्म द एनचांटेड पिल्स उर्फ़ विचित्र गुटिका टाइटल इसका उदाहरण है।  जे जे मदन की १९२३ में रिलीज़ फिल्म का टाइटल पत्नी प्रताप था।  फिल्मों को आवाज़ मिलने से पहले के साल यानि १९३० में अलबेलो सवार, भोला शिकार, चतुर सुंदरी, डॉटर ऑफ़ अख्तर नवाज़ आउटलॉ, जवान मर्द उर्फ़ डैशिंग हीरो, स्पार्कलिंग युथ उर्फ़ जगमगाती जवानी और रसीली रानी जैसे टाइटल वाली मूक फ़िल्में रिलीज़ हुई।  
बोली भी तो विचित्र---!
चलती फिरती फिल्मों के साल यानि १९३१ में मीठी छुरी जैसे टाइटल वाली साइलेंट फिल्म तथा फौलादी फरमान, गायब ए गरुड़ उर्फ़ ब्लैक ईगल, थर्ड वाइफ और तूफानी तरुणी जैसे टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ हुई। साफ़ तौर पर, युग चाहे मूक रहा हो या सवाक  फिल्मों का, समाजिक फ़िल्में बनती हो या एक्शन फंतासी फ़िल्में, विचित्र शीर्षकों पर फिल्मों के नाम रखने का सिलसिला लगातार चला आ रहा है।  कभी निर्माता अपनी फिल्मों का कथ्य समझाने के लिए या दर्शकों में उत्सुकता पैदा करने के लिए फ़िल्मों के शीर्षक अजीबो गरीब रख देता है।  कॉमेडी शैली की फिल्मों के शीर्षक तो अपने आप में हास्य पैदा करने वाले होते हैं।  
हंसोड़ विचित्रता 
यह जताने के लिए कि कोई फिल्म कॉमेडी है, विचित्र या ऊटपटांग टाइटल रखा जाना स्वभाविक है।  हू हू हा हा ही ही, अपलम चपलम, तेल मालिश बूट पॉलिश, मुर्दे की जान खतरे में, मिस कोका कोला, मैं शादी करने चला, लडके बाप से बढ़ के, लड़की पसंद है, कुंवारी या विधवा, इसकी टोपी उसके सर, हम तो मोहब्बत करेगा, फॉर लेडीज ओनली, गुरु सुलेमान चला पहलवान, घर में राम गली में श्याम, दो नंबर के अमीर, दो लडके दोनों कड़के,  दामाद  चाहिए,  हंसो हंसो ऐ दुनिया वालों, चलती का नाम गाडी, बढती का नाम दाढ़ी, मुर्दे की जान खतरे में, अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान, गुरु सुलेमान चेला पहलवान, बाप नंबरी तो बेटा दस नम्बरी, धोती लोटा और चौपाटी, आदि टाइटल फिल्म के कॉमेडी होने की ओर इशारा कर रहे हैं।  इस लिहाज़ से दादा कोंडके का जवाब नहीं।  उनकी फिल्मों के टाइटल और संवाद द्विअर्थी हुआ करते थे।  उन्होंने हिंदी में तेरे मेरे बीच में, अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में, आगे की सोच जैसी द्विअर्थी टाइटल और संवाद वाली सफल फ़िल्में बनाई।  वही थोड़ा रूमानी हो जाएँ आम कॉमेडी फिल्मों से हट कर कॉमेडी फिल्म का टाइटल है।  
सामजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल 
सामाजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल फिल्म के कंटेंट की ओर भी इशारा करते हैं।  ख़ास तौर पर दहेज़ जैसी  महिला समस्या को लेकर ऐसे टाइटल वाली फ़िल्में खूब बनी।  बन्दूक दहेज़ के  सीने पे,  ज्वाला दहेज़ की, दूल्हा बिकता है, सस्ती दुल्हन महंगा दूल्हा, आदि विचित्र शीर्षकों वाली फ़िल्में दहेज़ की गम्भीर समस्या पर थी।  इनके अलावा एक फूल तीन कांटे, फैशनेबुल वाइफ,  अकेली मत जइयो, आप तो ऐसे न थे, बाली उमर को सलाम, बिन माँ के बच्चे, ग्यारह हजार लड़कियां, कब तक चुप रहूंगी, कितना बदल गया इंसान, मैं और मेरा हाथी, मैं नशे में हूँ, मेरा पति सिर्फ मेरा है, प्यार करने वाले कभी कम न होंगे, प्यार किया है प्यार करेंगे, क़ैद में है बुलबुल, यहाँ से शहर को देखो, उधार का सिन्दूर, समाज को बदल डालो, आदि फ़िल्में किसी न किसी सामाजिक समस्या पर फ़िल्में थी।  
यह लड़की लड़ैत है 
कुछ फिल्मों के विचित्र टाइटल नायिका के लड़ैत यानि एक्शन हीरोइन होने की ओर इशारा करते हैं। सीतापुर की गीता, सिपाही की सजनी, सिन्दूर और बन्दूक, टार्ज़न की बेटी, मिस फ्रंटियर मेल, मिस कोका कोला, मेहनि बन गई खून, मैं चुप नहीं रहूंगी, मैं अबला नहीं हूँ,  हातिमताई  की बेटी, एलीफैंट क्वीन, दिलरुबा तांगेवाली, डाकू की लड़की, कार्निवाल क्वीन, बसंती तांगेवाली, बम्बई की बिल्ली, बागी हसीना, आलम आरा की बेटी, अफलातून औरत,  जंगल की बेटी, आदि फिल्मों की नायिका समाज से सताई हुई, बलात्कार या अन्याय की शिकार और तंग आ कर हथियार उठा लेने वाली औरत थी।  
विचित्र कामुकता 
कामुक या सेक्सी फिल्मों के टाइटलों में भी विचित्रता दिखाई देती है।  लेकिन, यह टाइटल बताते हैं कि फिल्म सेक्सी है।  नायिका का  उदार अंग प्रदर्शन और बिस्तर के दृश्यों की गारंटी होते हैं यह अजीबोगरीब टाइटल।  जवानी की भूल, जंगल ब्यूटी, एक्ट्रेस क्यों  बनी,  बैडरूम स्टोरी, भटकती जवानी, मन तेरा तन मेरा, आदि टाइटल वाली फिल्मों की नायिका कपडे  उतार फेंकने में उदार थी।  यह टाइटल फिल्म के सी-ग्रेड की होने की ओर भी इशारा करते हैं।  
हॉलीवुड फिल्मों को विचित्र टाइटल 
आजकल हॉलीवुड की ज़्यादातर फ़िल्में हिंदी में डब कर रिलीज़ की जाने लगी है।  इनके हिंदी टाइटल आम तौर पर मूल टाइटल को हिंदी में लिख कर ही रख दिए जाते जाते हैं।  लेकिन, मज़ा तब आता है, जब यह खालिस हिंदी में रखे जाते हैं।  ऐसे में  वुल्फ ऑफ़ वाल स्ट्रीट, दलाल स्ट्रीट का भेदिया बन जाता है।  अमेरिकन हसल को अमेरिकी धोखा कहा जाता है।  हॉरर फिल्म द कजउरिंग का टाइटल शैतान का बुलावा और मैन ऑफ़ स्टील आदमी इस्पात का हो जाता है।  कुछ दूसरी हॉलीवुड फिल्मों के विचित्र हिंदी टाइटल वाली फिल्मों का ज़िक्र आगे किया गया है। इनमे रैट ए टू ई (बिंदास बावर्ची, अप (उड़न छू), द लीजन (मौत के फरिश्ते), स्टुअर्ट लिटिल २ (छोटे मियां क्या कहना), मॉन्स्टर इंक (डर की दूकान), पोम्पेइ (क़यामत की रात), हेल बॉय (नरक पुत्र) फाइनल डेस्टिनेशन ३ (मौत का झूला), घोस्ट राइडर (महाकाल बदले की आग), डीप ब्लू सी (मौत का समुन्दर), चार्लीज़ एंजल्स (त्रिशक्ति), रेजिडेंट ईविल (प्रलय-अब होगा सर्वनाश, वर्ल्ड वॉर जेड (प्रेतों का आतंक) कैप्टेन अमेरिका (महादबंग), आयरन मैन  ३ (फौलादी रक्षक), द हीट (गरमी),  इन्सेप्शन (सपनो का मायाजाल चक्रव्यूह), डंस्टन चेक्स इन (एक बन्दर होटल के अंदर), स्टार वार्स: अटैक ऑफ़ द क्लोन्स (हमशक्लों का हमला), लारा क्रॉफ्ट: तुंब रेडर (शेरनी नंबर १),  किस ऑफ़ द ड्रैगन (मौत का चुम्मा), आई एम लीजेंड (ज़िंदा हूँ मैं), नाईट ऐट द म्यूजियम (म्यूजियम के अंदर फँस गया सिकन्दर), द सिक्स्थ डे (मुक़ाबला अर्नाल्ड का) और प्लेनेट ऑफ़ एप्स (वानर राज)   विचित्र टाइटल उल्लेखनीय हैं।  
विचित्र भोजपुरी 


भोजपुरी फिल्मों  के टाइटल की विचित्रता बेजोड़ है।  सीरियस से सीरियस फिल्म के टाइटल पढ़ कर आपकी हंसी नहीं रुक सकती।  अब पढ़िए न लैला   माल बा छैला  धमाल बा, अज़ब देवर की गज़ब भौजाई , मिया अनाड़ी बा बीवी खिलाड़ी बा, ए बलमा बिहार वाला, ल ही डांटा हिलवल आधा घंटा, ठोंक देब, रिक्शावाला आई लव यु, सैया जिगरबाज, पेप्सी पी के लागेलू सेक्सी, मेहरारू बिना रतिया कैसे कटी, सास रानी बहु नौकरानी, लहरिया लूट ए राजाजी, आदि भोजपुरी फिल्मों के नाम।  


Monday, 6 June 2016

डिज्नी के साथ मयूर पूरी की हैटट्रिक

संवाद लेखक मयूर पूरी डिज्नी के साथ हैट्रिक को तैयार है । द जंगल बुक और कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर के बाद, डिज्नी ने मयूर पूरी से अपनी तीसरी फिल्म फाइंडिंग डोरी के हिंदी संवाद लिखने का जिम्मा सौंपा है । १७ जून को रिलीज़ होने जा रही इस एनिमेटेड करैक्टर वाली फिल्म में निमो और मर्लिन अपने माता पिता से मिलने के प्रयास में लगी डोरी की मदद करते हैं । फाइंडिंग निमो की इस सीक्वल फिल्म में निमो, मर्लिन और डोरी से साथ कई दूसरे करैक्टर नए शामिल हैं । बिछुड़े हुए परिवार से मिलाने की इस कहानी से मनमोहन देसाई की फिल्मों की याद आ सकती है । एंड्रू स्टेंटन निर्देशित फाइंडिंग डोरी की डबिंग डायरेक्टर एलिजा लुईस है । फाइंडिंग डोरी के इंग्लिश संवाद एलेन डीजेनरेस, अल्बर्ट ब्रुक्स,  डीएन कीटन, टय बर्रेल, एड ओ'नील और इदरीस एल्बा ने क्रमशः डोरी, मार्लिन, जेनी, बैली, हेंक और फ्लूक के एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ दी है।   

करणवीर बोहरा की फिल्म में जूही चावला का कैमिया

टीवी एक्टर करणवीर बोहरा और प्रिया बनर्जी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म हमे तुमसे प्यार कितना में जूही चावला कैमिया करेंगी । इस फिल्म के निर्माता महेंद्र बोहरा हैं, जिन्होंने जूही चावला के साथ कुछ फ़िल्में बतौर सह निर्माता पहले भी बनाई हैं। इस निर्माता-अभिनेत्री की जोड़ी के संबंधों में आज भी वही गर्माहट हैं। सच्चाई तो यह है कि महेंद्र बोहरा के लिए जूही चावला लकी मैस्कॉट हैं । करणवीर ने जूही चावला के साथ किस्मत कनेक्शन फिल्म में छोटी भूमिका साथ की थी । हमें तुमसे प्यार कितना में करण का निगेटिव रोल है । इस रोल के लिए करण शाहरुख़ खान की फिल्म बाज़ीगर के अलावा डर से भी टिप्स ली हैं । संयोग ही है कि डर में शाहरुख़ खान की नायिका जूही चावला ही थी । इस फिल्म के डायरेक्टर ललित मोहन हैं ।