अनिल कपूर पूरे फ़ॉर्म में हैं । दीवाना मस्ताना, बीवी नम्बर वन और नो एंट्री के अपने कोस्टार सलमान खान के साथ वह रेस ३ की रेस में शामिल हैं । हमारा दिल आपके पास है और ताल में उनकी नायिका ऐश्वर्य राय बच्चन के साथ उनकी फिल्म फन्ने खान २०१८ में ईद वीकेंड पर रिलीज हो रही है । इस जोड़ी की पिछली फिल्म हमारा दिल आपके पास है २००० में रिलीज हुई थी । कुछ इतने ही अंतराल के बाद, फिल्म टटोल धमाल में माधुरी दीक्षित के साथ अनिल कपूर की जोड़ी बनने जा रही है । अब वह अन्दाज़, बेनाम बादशाह, लोफर, झूठ बोले कौवा काटे और कारोबार की अपनी रोमांटिक जोड़ी जुही चावला के साथ भी एक फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा करने जा रहे हैं । यह दोनों सलाम ए इश्क़ (२००७) के दस साल बाद किसी फिल्म में काम कर रहे होंगे । विधुविनोद चोपड़ा की इस फिल्म की नायिका उनकी बेटी सोनम कपूर हैं । सूत्र बताते हैं कि फिल्म में बेटी सोनम कपूर की मौजूदगी के बावजूद अनिल कपूर की बासी कढ़ी में उबाल आयेगा । फिल्म में जुही चावला और अनिल कपूर सोनम के माता-पिता की भूमिका कर रहे हैं । इन दोनों के बीच फ़्लैश बैक में रोमांस देखा जा सकेगा । इससे साफ़ है कि अनिल कपूर पुराने रोमांस को ताज़ा करने जा रहे हैं । कोई आश्चर्य नहीं अगर अमृता सिंह और श्रीदेवी के साथ अनिल कपूर की फिल्म का ऐलान सुनाई दे ।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 12 December 2017
पुराना रोमांस ताज़ा करेंगे अनिल कपूर
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खबर चटपटी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
डॉन की जंगली बिल्ली नहीं बनेगी दीपिका पादुकोण
सोमवार की रात एक्सेप्टेबल एंटरटेनमेंट के रितेश सिदवानी काफ़ी ख़ुश थे । उनके ख़ुश होने का वाजिब कारण भी था । सामान्य बजट से बनी, साधारण स्टारकास्ट वाली फिल्म फुकरे रिटर्न्स ने तीन दिन में तीस करोड़ का जैकपॉट लगा दिया था । पत्रकारों के साथ बात करते हुए रितेश ने एक्सेल के फ्यूचर प्लानिंग के बारे में बताया । एक्सेल की बिलकुल भिन्न शैली में बनी फिल्म ३ स्टोरीज़ फ़रवरी में रिलीज होगी । इसके बाद, अक्षय कुमार के साथ गोल्ड और रणवीर सिंह और आलिया भट्ट जोड़ी की फिल्म गली ब्वॉयज रिलीज होनी है । इसी दौरान बात निकल पड़ी डॉन ३ की । क्या प्रियंका चोपड़ा के शाहरुख़ खान के साथ सम्बन्ध ख़राब होने का नतीजा है कि डॉन ३ में वह नहीं होंगी ? क्या प्रियंका चोपड़ा की जगह पद्मावती एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने ले ली है ? रितेश सिदवानी इन सभी ख़बरों को सिरे से ख़ारिज कर देते हैं । वह डॉन ३ के भविष्य पर कहते हैं, "अभी हम इस पर काम कर रहे हैं । जल्द ही कोई ऐलान करेंगे ।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
दक्षिण की फिल्मों में 'काला' मराठी रजनीकांत
बैंगलोर के मराठा परिवार में जन्मे शिवाजीराव गायकवाड़ ने घर में मराठी और स्कूल में कन्नड़ सीखी थी । माँ गृहिणी और पिता पुलिस कांस्टेबल थे । स्कूली शिक्षा के दौरान ही क़ुलीगिरी से लेकर बढ़ईगिरी तक की । बैंगलोर ट्रांसपोर्ट बस सर्विस में बस कंडक्टरी की । उसी दौरान रंगमंच पर सक्रिय हो गये । नये स्थापित मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाख़िला ले लिया । एक मित्र ने आर्थिक मदद की । एक नाटक के दौरान तमिल फिल्म डायरेक्टर के० बालाचन्दर ने उन्हें तमिल सीखने की सलाह दी । के० बालाचन्दर की तमिल फिल्म अपूर्वा रागंगल में श्रीविद्या के बुरे पति की भूमिका के साथ ही शिवाजीराव गायकवाड़ से रजनीकांत का जन्म हुआ । अपनी शुरूआती फिल्मों में रजनीकांत महिला चरित्रों का शारीरिक शोषण करते नज़र आये । फिल्म मून्द्रू मुदिचु में उन्हें केन्द्रीय भूमिका मिली । इस फिल्म में उनकी सिगरेट उछाल कर होंठों पर लगाने की उनकी शैली दर्शकों के बीच हिट हो गयी । एस पी मुथुरामन ने तमिल फिल्म भुवना वेलु केलवुक्किरी ने उनकी इमेज को पूरी तरह से बदल दिया । अन्धा क़ानून से उनका हिन्दी फिल्म डेब्यू हुआ । उन्हें पद्मभूषण (२०००) और पद्मिवभूषण (२०१६) पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है । उनकी आगामी फिल्मों में विज्ञान फंतासी फिल्म २.० और काला अगले साल २०१८ में रिलीज होंग । उनके तमिल राजनीति में भी उतरने की उम्मीद है । हिन्दुस्तानी सिनेमा के सुपर स्टार रजनीकांत १२ दिसम्बर को ६७ के हो जायेंगे । उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ ।
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जन्मदिन मुबारक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
ख़ुद से रेस करेंगे फन्ने खान अनिल कपूर !
निर्देशक रेमो डिसूज़ा की फिल्म रेस ३ में अनिल कपूर को शामिल कर लिये जाने के बाद मामला दिलचस्प हो गया है । हालांकि, रेस३ में अनिल कपूर का शामिल होना सामान्य सी बात है। क्योंकि, अनिल कपूर पहली दो रेस में हिस्सा ले चुके है । रेस फ़्रेंचाइज़ी में उनका कैरेक्टर हमेशा से अपेक्षाकृत छोटा, मगर ज़रूरी हिस्सा रहा है । लेकिन, अनिल कपूर का फिल्म में आना तब ख़ास हो जाता है, जब यह अनिल कपूर का ख़ुद से टकराव बन जाता है। । रेस ३ सलमान खान के परम्परागत ईद वीकेंड में रिलीज हो रही है । लेकिन, इसे टकराव की ईद बना दिया है ऐश्वर्य राय बच्चन की केन्द्रीय भूमिका वाली फिल्म फन्ने खान ने । पहली बार में यह ऐश्वर्य और सलमान का आमनासामना था । कभी यह लव बर्ड्स जोड़ी, अब सम्बन्ध टूटने बाद सामने आने तक से कतराती है । सो, रेस ३ और फन्ने खान टकराव को दो हंसों के जोड़े की फिल्मों टकराव के तौर पर देखा जा रहा था । लेकिन अब यह अनिल कपूर का ख़ुद से टकराव भी बन गया है । क्या २०१८ के ईद वीकेंड में बॉक्स ऑफिस पर सलमान खान और ऐश्वर्य राय के बीच फ़ेस ऑफ होगा और ख़ुद से टकरायेंगे अनिल कपूर ? फिंगर्स क्रॉस्ड !
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खबर चटपटी
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वापस नहीं आयेगा ह्यू जैकमेन का लोगन !
आस्ट्रेलियाई एक्टर और पर्दे पर वॉल्वेरीन चरित्र लोगन को साकार करने वाले ह्यू जैकमेन ने फिर से उँगलियों पर पंजा पहनने की सम्भावनाओं को नकार दिया है । जैकमेन की वापसी की ख़बरें डिज़्नी द्वारा फाक्स को ख़रीदे जाने की ख़बरों के बीच उभरी थी कि भविष्य की मार्वेल की सुपर हीरोज़ फिल्म अवेंजर्स ४ में दूसरे सुपर हीरो के साथ वॉल्वेरीन भी नज़र आ सकता है । इसी में ह्यू जैकमेन के फिर पंजे पहनने की बात जोड़ दी गयी थी । लेकिन, जैकमेन ने ऐसी सभी सम्भावनाओं को नकार दिया है । उन्हें अवेंजर्स के साथ वॉल्वेरीन का विचार तो बढ़िया लगता है । लेकिन, ख़ुद के म्यूटेंट्स बनने की सम्भावना से इनकार है । उन्होंने यह बात अपनी नई म्यूज़िकल फिल्म द ग्रेटेस्ट शोमैन के प्रचार के दौरान इंटरव्यू में कही । द ग्रेटेस्ट शोमैन दिसम्बर में रिलीज हो रही है । ह्यू जैकमेन की आख़िरी वॉल्वेरीन फिल्म लोगन इस साल की शुरूआत में रिलीज हुई थी । इस फिल्म तक ह्यू जैकमेन ने पूरे १७ साल ८ फिल्मों में हाथों में पंजे पहन कर निकाल दिये ।
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हॉलीवुड
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Monday, 11 December 2017
सऊदी अरब ने हटाया सिनेमाघरों पर लगा प्रतिबन्ध
सऊदी अरब ने ३५ साल बाद सिनेमाघरों पर लगाये गये प्रतिबन्ध को उठा लिया है । सऊदी में सिनेमा पर प्रतिबन्ध तब लगा, जब हॉलीवुड की ईटी द एक्स्ट्रा टेरेस्ट्रियल और द स्टार वार्स रिटर्न ऑफ द जेडाई जैसी हॉलीवुड फिल्में दिखाई जा रही थी । धार्मिक सत्ता ने फिल्मों को इस्लाम विरोधी बताया । मुल्लाओं ने दबाव बना कर सऊदी अरब में फिल्मों को प्रतिबन्धित करवा दिया । सऊदी अरब के वर्तमान शासक प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान उदारवादी हैं । उन्होंने महिलाओं को टेक्सियाँ चलाने की छूट दी है । अब जबकि सिनेमाघरों पर से प्रतिबन्ध हटा लिया गया है कि सऊदी अरब में पहला मल्टीप्लेक्स थियेटर मार्च २०१८ में फिल्मों का प्रदर्शन शुरू कर देगा । सऊदी सत्ता का इरादा देश में दो हज़ार स्क्रीन खुलवाने का है । यहाँ २०३० तक ३०० सिनेमाघर खुल जायेंगे । अधिकारियों को उम्मीद है कि इस क़दम के बाद देश में २४ बिलियन डॉलर का निवेश होगा और ३० हज़ार लोगों को स्थायी रोज़गार मिलेगा । जहाँ तक सेंसर की बात है, शरिया क़ानून चलेगा । कोई भी अनइस्लामिक और शरिया विरोधी फिल्म का प्रदर्शन नहीं कर सकेगा ।
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१९२० के लन्दन में फिर जा पहुँची १९२१
निर्देशक विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म १९२१ का ट्रेलर पिछले दिनों रिलीज कर दिया गया । फिल्म की मुख्य भूमिका में ज़रीन खान और करण कुन्द्रा के साथ अनुपम खेर हैं । विक्रम भट्ट द्वारा निर्मित और लिखित १९२१, उनकी २००८ में शुरू १९२० फ़्रेंचाइज़ी की चौथी फिल्म है । पहली फिल्म १९२० (१२ सितम्बर २००८) की कहानी रजनीश दुग्गल, अदा शर्मा और अँजुरी अलघ तथा भुतहा बंगले के इर्दगिर्द बुनी गयी थी । कम बजट की इस फिल्म को बड़ी सफलता मिली थी । २०१२ में १९२०-ईविल रिटर्न्स रिलीज हुई । फिल्म के निर्माता विक्रम भट्ट ज़रूर थे । लेकिन, निर्देशन भूषण पटेल ने किया था । फिल्म की स्टारकास्ट भी पूरी तरह से बदली हुई थी । विक्की आहूजा, पिया बाजपेयी, शरद केलकर, आफ़ताब शिवदसानी और विद्या मलवाडे मुख्य स्टार कास्ट में शामिल नाम थे । इस फिल्म का पहली फिल्म से कोई सरोकार नहीं था, सिवाय सन १९२० के । फ़्रेंचाइज़ी की तीसरी फिल्म १९२०- लन्दन (२०१६) के भी निर्देशक और स्टार कास्ट बिलकुल बदले हुए थे । लंदन टाइटल के बावजूद फिल्म का भुतहा बंगला भी अब लन्दन से उठ कर जूनागढ़ गुजरात आ गया था । धर्मेन्द्र सुरेश देसाई के निर्देशन में शरमन जोशी, मीरा चोपड़ा (प्रियंका चोपड़ा की कज़िन) और विशाल करवाल भूत भूत, आत्मा आत्मा खेल रहे थे । अब चौथी फिल्म एक बार फिर लन्दन जा पहुँची है । १९२१ अगले साल १२ जनवरी को डराने आ रही है
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आमिर खान के बदले शाहरुख़ खान उड़ेंगे अंतरिक्ष में !
कुछ समय पहले, यह ख़बर थी कि सिद्धार्थ रॉय कपूर के नये बैनर की फिल्म सेल्यूट में आमिर खान अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की भूमिका कर रहें हैं । लेकिन, अब पुख़्ता ख़बर यह है कि आमिर खान सेल्यूट नहीं कर रहे । क्यों छोड़ी आमिर खान ने फिल्म ? क्या सिद्धार्थ से क्रिएटिव डिफ़रेंस होने के कारण ? आमिर खान को सेल्यूट की स्क्रिप्ट नहीं पसन्द आयी थी ? आमिर खान और सिद्धार्थ रॉय कपूर के रिश्तों को जानने वाले दावा करते हैं कि अगर सेल्यूट की स्क्रिप्ट बिलकुल नापसन्द होती, तो भी आमिर खान सेल्यूट करते । दरअसल, आमिर खान अद्वैत चन्दन के साथ अपने बैनर में एक फ़्रेंचाइज़ी सिरीज़ शुरू करने जा रहे हैं ।इसके लिये उन्हें अगले दस साल इन्वेस्ट करने होंगे । ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान के बाद वह इस सिरीज़ पर काम करना शुरू कर देंगे । इसलिये उनका सेल्यूट को न करना बनता था । ख़बर यह भी है कि आमिर खान की जगह शाहरुख़ खान लेंगे । अब पुष्टि हो गयी है कि फिल्म के लिये प्रियंका चोपड़ा को साइन कर कक लिया गया । इस प्रकार से, तमाम अफ़वाहों के बावजूद प्रियंका चोपड़ा और शाहरुख़ खान की डॉन जोड़ी का पुनर्मिलन होने जा रहा हैं ।
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क्या सुसाइड बॉम्बर के पिता बनेंगे संजय दत्त
भूमि के बुरे प्रदर्शन के बावजूद संजय दत्त की फिल्मों का सिलसिला चालू है । पहले यह ख़बर थी कि संजय दत्त की गिरीश मलिक के निर्देशन में बनाई जा रही फिल्म तोरबाज को बन्द कर दिया गया है । लेकिन, पिछले दिनों गिरीश मलिक ने इन ख़बरों का ज़ोरदार खंडन कर दिया । उन्होंने साफ़ किया कि हम फिल्म की शूटिंग दुनिया के भिन्न देशों में सर्दियों में ही करना चाहते थे । तोरबाज अफ़ग़ानिस्तान की पृष्ठभूमि में बच्चों के सुसाइड बॉम्बर बनने की कहानी पर है । फिल्म में संजय दत्त एक किशोर बच्चे के पिता बने हैं । वह बच्चा भी सुसाइड बॉम्बर बन जाता है । संजय दत्त उसे किस प्रकार बचा पाते हैं, यही फिल्म का कथा- सार है । तोरबाज की शूटिंग मुख्य रूप से अफ़ग़ानिस्तान में की जायेगी । इस फिल्म से नर्गिस फाखरी की वापसी हो रही है । उनकी आख़िरी रिलीज फिल्म बैंजो (२०१६) थी । तोरबाज में नर्गिस का किरदार अफ़ग़ानिस्तान में एनजीओ चलाता है और संजय दत्त की मदद करता है । इस फिल्म की शूटिंग १० दिसम्बर से किर्गिस्तान में शुरू हो गयी है । फिल्म अगले साल के मध्य में रिलीज होगी । ध्यान रहे कि गिरीश मलिक की बतौर निर्देशक पहली फिल्म जल (२०१३) कच्छ में पानी की समस्या पर फिल्म थी ।
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भारत में मानेगा हॉलीवुड की प्रियंका चोपड़ा का क्रिसमस और नया साल
अपनी टेलिविज़न सिरीज़ क्वांटिको और दो हॉलीवुड फिल्मों की छोटी भूमिकाओं व्यस्त हॉलीवुड फिल्म और टेलिविज़न अभिनेत्री और भारतीय फिल्म निर्माता प्रियंका चोपड़ा के पसन्द करने वालों के लिये ख़ुशख़बरी है । प्रियंका चोपड़ा, इस साल क्रिसमस और न्यू ईयर ईव हिन्दुस्तान में ही मनायेंगीं । हिन्दी फिल्मों के लिहाज़ से प्रियंका चोपड़ा के खाते में फिल्मों का सन्नाटा है । वह कोई हिन्दी फिल्म नहीं कर रहीं । उनकी पिछली हिन्दी फिल्म जय गंगाजल २०१६ में रिलीज हुई थी । फ़िलहाल, वह किसी हिन्दी फिल्म की शूटिंग नहीं कर रही । पिछले दो सालों में वह पाँच क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों का निर्माण कर चुकी हैं । इनमें भोजपुरी भाषा की बम बम बोल रह काशी, मराठी की वेंटिलेटर और के रे रासकल्ला, पंजाबी में सरवन्न और सिक्किमी पाहुना के नाम शामिल है । अगले साल उनकी हॉलीवुड फिल्म अ किड लाइव जेक रिलीज होगी । २०१९ में भी एक हॉलीवुड फिल्म इज नोट इंटरव्यू रोमांटिक रिलीज होगी । बाक़ी के लिये हैप्पी क्रिसमस और न्यू ईयर ।
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हस्तियां
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क्रिसमस वीकेंड का १२ हिन्दी, तेलुग, तमिल, कन्नड़ और मलयालम फिल्में करेंगी स्वागत
क्रिसमस का स्वागत करने के लिये भारत का फिल्म उद्योग पूरी तरह से तैयार है । क्रिसमस वीक पर हिन्दी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयाली भाषा की फिल्में रिलीज होंगी । सलमान खान और कैटरीना कैफ़ की अली अब्बास ज़फ़र निर्देशित एक्शन फिल्म टाइगर ज़िन्दा है रिलीज होने वाली इकलौती हिन्दी फिल्म होगी । कन्नड़ भाषा की भी एक फिल्म अंजनिपुत्र (२१ दिसम्बर) रिलीज हो रही है ।लेखक निर्देशक ए हर्षा की रोमांटिक एक्शन फिल्म में पुनीत राजकुमार और रश्मिका मंदना की लीड है । हिट तमिल फिल्म पूजाओं की इस रीमेक फिल्म का निर्माण २७ करोड़ के भारी बजट से हुआ है । रिलीज हो रही दो तमिल फिल्मों में सक्का पोडू पोडू राजा कॉमेडी फिल्म है । इस फिल्म का निर्देशन सेतुरामन ने किया है और संथानम, वैभवी शांडिल्य और विवे की मुख्य भूमिका है । वेलईक्करन मोहनराजा निर्देशित एक्शन- थ्रिलर फिल्म है । शिवकार्तिकेयन, नयनतारा, फ़हद फासिल, स्नेहा और प्रकाशराज की भूमिकाएँ महत्वपूर्ण हैं । तेलुगु फिल्म एमसीए यानी मिडिल क्लास अब्बाई निर्देशक वेणु श्री राम की कॉमेडी फिल्म है, जिसमें नानी, सई पल्लवी और भूमिका चावला की मुख्य भूमिकाएँ हैं । रोमांटिक एक्शन थ्रिलर फिल्म हैलो का निर्माण अक्किनेनी नागार्जुना ने किया है । फिल्म में अखिल अक्किनेनी, कल्याणी प्रियदर्शन,रम्या कृष्णा और जगपति बाबू मुख्य भूमिका में हैं । मलयाली भाषा की पाँच फिल्में रिलीज हो रही हैं ।एक्शन थ्रिलर मास्टरपीस में ममूथी के अलावा उन्नती मुकुन्दन, वरलक्ष्मी शरदकुमार, पूनम बाजवा, आदि की भूमिकाएँ हैं । मिथुन मैनुअल थॉमस निर्देशित आड़ू २ कॉमेडी फिल्म है । जयसूर्या, धर्मजन बोलगाट्टी, साइजू कुरूप, आदि की भूमिका है । दिलीप मेनन की आना अलारालोडरल में विनीत श्रीनिवासन, अनु सितारा और हरीश पेरूमन्ना, आशिक अबू निर्देशित मायानदी में तोविनो थॉमस, ऐश्वर्या लेक्षी और हरीश उथ्थमन और विमानम में पृथ्वीराज सुकुमारन, दुर्गा कृष्णा, आदि की उल्लेखनीय भूमिकाएँ हैं । विमानम के निर्देशक प्रदीप एम नायर की यह पहली फिल्म है ।
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बॉक्स ऑफिस पर
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Sunday, 10 December 2017
फल विक्रेता युसुफ खान बन गया एक्टर दिलीप कुमार
फलों की दुकान से अभिनय के नगीने को ढूँढ़ पाना किसी पारखी ज़ौहरी का ही करम हो सकता है । युसुफअली खान की दुकान से फल ख़रीदने आई बॉम्बे टाकीज की मालकिन देविका रानी ने युसुफअली खान में छिपी प्रतिभा को पहचाना और ज्वार भाटा का जगदीश बना दिया । इसके साथ ही अभिनय के बेताज बादशाह दिलीप कुमार का जन्म हुआ । दिलीप कुमार मैथड एक्टिंग के मसीहा थे । हालाँकि, दिलीप कुमार से भी पहले दुनिया में बतौर मैथड एक्टर हॉलीवुड के मर्लन ब्रांडो का डंका बजा करता था । लेकिन, मर्लन ब्रांडो और दिलीप कुमार की मैथड एक्टिंग में बड़ा फ़र्क़ था । मर्लन ब्रांडो ने मैथड एक्टिंग सीखी । लेकिन, दिलीप कुमार ने अपनी शैली ख़ुद तैयार की । हिन्दी फिल्मों के ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार की अभिनय शैली का कई अभिनेताओं ने अनुसरण किया । राजेन्द्र कुमार तो ट्रेजिडी फिल्मों के जुबली कुमार बन गये । मनोज कुमार ने भी दिलीप कुमार को कॉपी किया । राजेश खन्ना भी काफ़ी फिल्मों में दिलीप कुमार से प्रभावित नज़र आये । अमिताभ बच्चन पर तो कॉपीकैट दिलीप कुमार का ठप्पा लग गया । काफ़ी फिल्मों में अमिताभ ने दिलीप कुमार की नक़ल में सीन किये । १९४४ से १९७६ तक दिलीप कुमार ने ३२ साल तक हिन्दी फिल्मों में नायक के किरदार किये । बैराग (१९७६) के बाद उन्होंने हिन्दी फिल्मों से अस्थाई रूप से संन्यास ले लिये । जब पाँच साल बाद, वह मनोज कुमार की फिल्म क्रांति (१९८१) से वापस हुए तो सांगा/ क्रांति की चरित्र भूमिका में । फिल्म ज़बर्दस्त हिट हुई । इसके बाद दिलीप कुमार ने १२ हिन्दी फिल्मोंमें चरित्र भूमिकाएँ की ।सौदागर (१९९१) के बाद दिलीप कुमार ने फिल्में करना बन्द कर दी । ११ दिसम्बर को उनका ९५वां जन्मदिन है । उनके स्वस्थ और लम्बे जीवन की कामना है ।
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चपल अभिनय करने वाली सुजाता
दक्षिण भारत की तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों के लिये नायिका की सेक्स अपील ख़ास होती है । तमाम नई- पुरानी, छोटी- बड़ी अभिनेत्रियों ने अपने मांसल सौन्दर्य को रूपहले पर्दे पर ज़रूर परोसा । श्रीलंका में जन्मी मलयालम, तमिल, तेलुगु फिल्मों की नायिका अभिनेत्री सुजाता ऐसी एक्ट्रेस थी, जिन्होंने कभी भी अभिनय पर ग्लैमर को तरजीह नहीं दी । वह हर प्रकार की भूमिकाएँ कर पाने में सक्षम अभिनेत्री थी । उनका मलयालम फिल्म तपस्विनी से फिल्म डेब्यू हुआ था । तमिल फिल्मों में उनका डेब्यू के० बालाचन्दर निर्देशित फिल्म अवल ओरू थोडार कथाई से हुआ था । यह कमल हासन की भी डेब्यू फिल्म थी । इस फिल्म में सुजाता ने अपने बड़े परिवार के पालन पोषण के लिये अपना जीवन न्योछावर कर देने वाली नायिका की भूमिका की थी । इस फिल्म को कई भाषाओं में डब किया गया और रीमेक बनाये गये । हिन्दी में जीवन रेखा टाइटल के साथ बनाई गई फिल्म में रेखा ने जीतेन्द्र और शबाना आज़मी के साथ सुजाता वाली भूमिका की थी । सुजाता ने कमल हासन के अलावा दूसरे बड़े सितारों एनटी रामाराव, शिवाजी गणेशन, रजनीकांत, अनन्तनाग, श्रीनाथ, अक्किनेनी नागेश्वर राव, कृष्णम राजू, शोभन बाबू और कृष्णा के साथ १०५ फिल्में की । उनकी इकलौती हिन्दी फिल्म एक ही भूल थी । आज के ही दिन गाले श्रीलंका में १९५२ में जन्मी सुजाता का ६ अप्रैल २०११ को चेन्नई में ह्रदयाघात से देहांत हो गया ।
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जन्मदिन मुबारक,
साउथ सिनेमा
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साधारण कहानियों को मिली बड़ी सफलता
क्या आम आदमी की सिल्वर स्क्रीन पर वापसी हो रही है ? क्या कम बजट से बनी छोटे सितारों वाली फिल्मों को बड़ी सफलता मिल रही है ? कभी, हृषिकेश मुख़र्जी, बासु चटर्जी, बासु भट्टाचार्य, गुलजार, आदि फिल्मकारों का ज़माना था। अब यह फिल्मकार नहीं हैं। लेकिन, कई देशी विदेशी स्टुडिओज और संस्थाएं हैं, जो हिंदी फिल्मों में पैसे लगा रहे हैं। सितारों के बजाय कहानी को भी बड़ा सितारा समझा जा रहा है। २०१७ में रिलीज़ आम आदमी पर, सितारा नहीं बने एक्टरों और कम बजट से बनी फिल्मों को मिली सफलता ने साबित कर दिया कि दर्शक अब सितारों की साधारण फिल्मों का मोहताज़ नहीं रहा । वह साधारण कहानियों में भी अपने सितारे ढूंढ लेता है।
बॉलीवुड के सितारे बने आम आदमी
यह कहना ज़रा मुश्किल है कि परदे पर आम आदमी की कहानी को जब सितारा अभिनेता या अभिनेत्री करते हैं तो वह ख़ास हो जाता है या आम आदमी पर फ़िल्में करके सितारा ख़ास बन जाता है। लेकिन, २०१७ में ऐसा हुआ है, जब सितारों ने रूपहले परदे पर आम आदमी को साकार करा और खुद के लिए प्रशंसा बटोरी। आम आदमी तो ख़ास हुआ ही। निर्देशक श्रीनारायण सिंह की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा को बड़ी सफलता मिली थी। फिल्म के अपने गाँव में संडास लाने वाले केशव का किरदार अक्षय कुमार कर रहे थे। क्या अक्षय कुमार के कारण गांवों में आम औरतों की समस्या को प्रचार मिला या आम कथानक ने अक्षय कुमार को ख़ास बना दिया! अक्षय कुमार की ही फिल्म जॉली एलएलबी २ लखनऊ की पृष्ठभूमि पर कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील की थी। जो अन्याय से भिड़ जाता था। वरुण धवन अपनी फिल्म बद्री की दुल्हनिया में झाँसी के बद्री को हीरो बना देते हैं। हालाँकि, यह एक सामान्य प्रेम कथा थी। लेकिन, क्या झांसी के कथानक ने मेट्रो दर्शकों को भी आकर्षित नहीं किया था ! तुम्हारी सुलु की सुलोचना साबित करना चाहती है कि उसे मौका मिले तो वह भी कुछ कर सकती है। फिल्म में सुलोचना उर्फ़ सुलु के किरदार को विद्या बालन ने किया था।
छोटे शहरों के हीरो आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव
कभी राजकपूर ने रूपहले परदे पर आम आदमी को जिया था। उनके बाद १९७० के दशक में अमोल पालेकर ने इस आम आदमी को खास बनाया। इस समय राजकुमार राव और आयुष्मान खुराना दो ऐसे अभिनेता हैं, जो परदे पर आम आदमी की आम सी कहानियां ख़ास बना रहे हैं। यह आम आदमी छोटे शहर का भी है और सिस्टम का एक अदना सिपाही होते हुए भी व्यवस्था के खिलाफ भी उठ खड़ा होता है। राजकुमार राव की फिल्म ट्रैप्ड का शौर्य अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करने से पहले घर खरीदना चाहता है। उस खाली घर को देखने गया शौर्य पूरी एक रात घर में फंस जाता है। न्यूटन की कहानी एक पोलिंग पार्टी के साथ नक्सल इलाके में गए क्लर्क न्यूटन कुमार की कहानी है, जो नक्सलियों के भय से वोट देने नहीं आ रहे ग्रामीणों को घर से बाहर आने के लिए प्रेरित करता है। बहन होगी तेरी का शिवकुमार पड़ोस की लड़की से प्रेम करने के बावजूद बहन कहने को मज़बूर है क्योंकि छोटे शहर की मान्यता है कि पड़ोस की हर लड़की बहन होती है। बरेली की बर्फी और शादी में ज़रूर आना के प्रीतम और सत्येंद्र का चरित्र की अपनी चाहत और समस्याएं आम आदमी की बड़ी आम सी चाहते और समस्याएं है। बरेली की बर्फी में राजकुमार राव के साथ आयुष्मान खुराना भी थे। आयुष्मान खुराना ने अपनी पहली ही फिल्म दम लगा के हईशा से परदे पर आम आदमी को उतारना शुरू कर दिया था। आयुष्मान खुराना की २०१७ में रिलीज़ फिल्मों बरेली की बर्फी का चिराग, मेरी प्यारी बिंदु का अभिमन्यु रॉय और शुभ मंगल सावधान का मुदित शर्मा छोटे शहर, गांव या कसबे का आम आदमी है। उसको भी वही चीज़े परेशान करती हैं, जो एक भारतीय युवा को परेशान कर सकती है। यह दोनों अभिनेता अपने अभिनय की संजीदगी से किरदार को दर्शकों के दिलों के पास ले आते हैं।
एक आम महिला के ख़ास संघर्ष की कहानी
२०१७ में रिलीज़ स्वरा भास्कर की फिल्म अनारकली ऑफ़ आरा, तापसी पन्नू की नाम शबाना, सौंदर्य शर्मा की रांची डायरीज, ज़ायरा वसीम की सीक्रेट सुपरस्टार, कीर्ति कुल्हारी की इंदु सरकार, विद्या बालन की तुम्हारी सुलु और सुषमा देशपांडे की अज्जी की कहानियां सामान्य नारी की छोटी छोटी समस्या, आकांक्षाएं, संघर्ष और विजय पाने की हैं। अनारकली ऑफ़ आरा की फोक गायिका अनारकली को राजनीतिक लोगों के बदले का शिकार होना पड़ता है। वह संघर्ष कर खुद को निर्दोष साबित करती है। नाम शबाना की नायिका को मुसलमान होने के कारण लोग संदेह से देखते हैं। लेकिन, यही शबाना देश की सुरक्षा एजेंसी की मदद कर खुद को साबित करती हैं। रांची डायरीज की रांची की गुड्डी की इच्छा बड़ी पॉप गायिका बनने के लिए संघर्ष की है। सीक्रेट सुपर स्टार की वड़ोदरा की मुस्लिम किशोरी इंसिया भी पॉप गायिका बनने के लिए संघर्ष करके सफलता पाती है। इंदु सरकार एक आम महिला है। लेकिन, परिस्थितियां उसे शीर्ष सत्ता के खिलाफ खडी कर देती हैं। आम ग्रहणी सुलोचना करना तो बहुत कुछ चाहती है। लेकिन, पूरी तरह से नहीं कर पाती है। ऐसे ही वह रात की शिफ्ट में रेडियो जॉकी का काम करती है। मगर, कठिनाइयां उसे कदम खींचने को मज़बूर कर देती हैं। इसके बावजूद वह हार नहीं मानती। अज्जी कहानी एक बूढी औरत की है, जो बलात्कार की शिकार अपनी नातिन को इन्साफ दिलाने के लिए खतरों और धमकियों के बावजूद अपराधियों को दंड दिला पाने में सफल होती है। यह सभी फ़िल्में एक कमज़ोर और अबला औरत को ताक़तवर और सबल साबित करने वाली हैं।
माध्यम वर्ग की समस्या
भारतीय आबादी की अपनी सोच है और तदनुसार ही समस्या है। वह उनके लिए संघर्ष करता है। कभी सफल होता है, कभी सफल होता है। लेकिन, फिर उठ खड़ा होता है। फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड का अर्जुन कपूर का बिहारी किरदार माधव झा इंग्लिश नहीं जानता, जबकि वह जिस लड़की से प्रेम करता है वह अंग्रेजी बोलती है। अंग्रेजी न जानना जैसी समस्या छोटे शहर के हर युवा की समस्या है। इग्लिश मीडियम, माध्यम वर्ग की अपने बच्चे को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाने की ज़द्दोज़हद का चित्रण करती है। फिल्म में एक बच्चे के माँ पिता की भूमिका पाकिस्तान की एक्ट्रेस सबा कमर और इरफ़ान खान ने क्या खूब की थी। रिबन के कल्कि कोएच्लिन और सुमित व्यास के चरित्र अपने बच्चे की ख़ुशी से जितना खुश हैं, उतना ही आशंकित है भविष्य को लेकर कि नौकरी और बच्चे की परवरिश साथ कैसे चलेगी। लखनऊ सेंट्रल में जेल में बंद कैदी अपना बैंड बना पाने में सफल होते हैं। क़रीब क़रीब सिंगल के योगी और जया दो ध्रुव की तरह है। इसके बावजूद वह एक ऑनलाइन डेटिंग एप्प के कारण मिलते हैं। उनमे झड़प होती है। उनके बीच के मतभेद ऋषिकेश यात्रा के दौरान ज़्यादा बढ़ जाते हैं। कड़वी हवा में आम आदमी भी प्रदूषण से परेशान है। पंचलैट के गाँव वाले बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं। यह सभी फ़िल्में रियल लाइफ समस्याओं का चित्रण करने वाली फ़िल्में हैं।
२०१७ में रिलीज़ यह सभी फ़िल्में ऐसी समस्याओं का चित्रण करती है, जो हर ख़ास और आम की है। आम आदमी की यह समस्याएं किसी न किसी कारण से बढती चली जाती हैं। इनका निदान उसे ही करना है। ऐसी फिल्मों को ख़ास व्यक्तित्व वाले एक्टर सपोर्ट करते ही हैं, फिल्म निर्माता और निर्देशक भी रूचि दिखाते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि दर्शक कथ्य और अभिनय वाली इन चुस्त फिल्मों को पसंद भी करते हैं। यही कारण है कि आम आदमी द्वारा आम आदमी की इन फिल्मों को आम आदमियों ने भी खूब पसंद किया और देखा। हिंदी सिनेमा के लिहाज़ से सुखद संकेत है।
बॉलीवुड के सितारे बने आम आदमी
यह कहना ज़रा मुश्किल है कि परदे पर आम आदमी की कहानी को जब सितारा अभिनेता या अभिनेत्री करते हैं तो वह ख़ास हो जाता है या आम आदमी पर फ़िल्में करके सितारा ख़ास बन जाता है। लेकिन, २०१७ में ऐसा हुआ है, जब सितारों ने रूपहले परदे पर आम आदमी को साकार करा और खुद के लिए प्रशंसा बटोरी। आम आदमी तो ख़ास हुआ ही। निर्देशक श्रीनारायण सिंह की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा को बड़ी सफलता मिली थी। फिल्म के अपने गाँव में संडास लाने वाले केशव का किरदार अक्षय कुमार कर रहे थे। क्या अक्षय कुमार के कारण गांवों में आम औरतों की समस्या को प्रचार मिला या आम कथानक ने अक्षय कुमार को ख़ास बना दिया! अक्षय कुमार की ही फिल्म जॉली एलएलबी २ लखनऊ की पृष्ठभूमि पर कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील की थी। जो अन्याय से भिड़ जाता था। वरुण धवन अपनी फिल्म बद्री की दुल्हनिया में झाँसी के बद्री को हीरो बना देते हैं। हालाँकि, यह एक सामान्य प्रेम कथा थी। लेकिन, क्या झांसी के कथानक ने मेट्रो दर्शकों को भी आकर्षित नहीं किया था ! तुम्हारी सुलु की सुलोचना साबित करना चाहती है कि उसे मौका मिले तो वह भी कुछ कर सकती है। फिल्म में सुलोचना उर्फ़ सुलु के किरदार को विद्या बालन ने किया था।
छोटे शहरों के हीरो आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव
कभी राजकपूर ने रूपहले परदे पर आम आदमी को जिया था। उनके बाद १९७० के दशक में अमोल पालेकर ने इस आम आदमी को खास बनाया। इस समय राजकुमार राव और आयुष्मान खुराना दो ऐसे अभिनेता हैं, जो परदे पर आम आदमी की आम सी कहानियां ख़ास बना रहे हैं। यह आम आदमी छोटे शहर का भी है और सिस्टम का एक अदना सिपाही होते हुए भी व्यवस्था के खिलाफ भी उठ खड़ा होता है। राजकुमार राव की फिल्म ट्रैप्ड का शौर्य अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करने से पहले घर खरीदना चाहता है। उस खाली घर को देखने गया शौर्य पूरी एक रात घर में फंस जाता है। न्यूटन की कहानी एक पोलिंग पार्टी के साथ नक्सल इलाके में गए क्लर्क न्यूटन कुमार की कहानी है, जो नक्सलियों के भय से वोट देने नहीं आ रहे ग्रामीणों को घर से बाहर आने के लिए प्रेरित करता है। बहन होगी तेरी का शिवकुमार पड़ोस की लड़की से प्रेम करने के बावजूद बहन कहने को मज़बूर है क्योंकि छोटे शहर की मान्यता है कि पड़ोस की हर लड़की बहन होती है। बरेली की बर्फी और शादी में ज़रूर आना के प्रीतम और सत्येंद्र का चरित्र की अपनी चाहत और समस्याएं आम आदमी की बड़ी आम सी चाहते और समस्याएं है। बरेली की बर्फी में राजकुमार राव के साथ आयुष्मान खुराना भी थे। आयुष्मान खुराना ने अपनी पहली ही फिल्म दम लगा के हईशा से परदे पर आम आदमी को उतारना शुरू कर दिया था। आयुष्मान खुराना की २०१७ में रिलीज़ फिल्मों बरेली की बर्फी का चिराग, मेरी प्यारी बिंदु का अभिमन्यु रॉय और शुभ मंगल सावधान का मुदित शर्मा छोटे शहर, गांव या कसबे का आम आदमी है। उसको भी वही चीज़े परेशान करती हैं, जो एक भारतीय युवा को परेशान कर सकती है। यह दोनों अभिनेता अपने अभिनय की संजीदगी से किरदार को दर्शकों के दिलों के पास ले आते हैं।
एक आम महिला के ख़ास संघर्ष की कहानी
२०१७ में रिलीज़ स्वरा भास्कर की फिल्म अनारकली ऑफ़ आरा, तापसी पन्नू की नाम शबाना, सौंदर्य शर्मा की रांची डायरीज, ज़ायरा वसीम की सीक्रेट सुपरस्टार, कीर्ति कुल्हारी की इंदु सरकार, विद्या बालन की तुम्हारी सुलु और सुषमा देशपांडे की अज्जी की कहानियां सामान्य नारी की छोटी छोटी समस्या, आकांक्षाएं, संघर्ष और विजय पाने की हैं। अनारकली ऑफ़ आरा की फोक गायिका अनारकली को राजनीतिक लोगों के बदले का शिकार होना पड़ता है। वह संघर्ष कर खुद को निर्दोष साबित करती है। नाम शबाना की नायिका को मुसलमान होने के कारण लोग संदेह से देखते हैं। लेकिन, यही शबाना देश की सुरक्षा एजेंसी की मदद कर खुद को साबित करती हैं। रांची डायरीज की रांची की गुड्डी की इच्छा बड़ी पॉप गायिका बनने के लिए संघर्ष की है। सीक्रेट सुपर स्टार की वड़ोदरा की मुस्लिम किशोरी इंसिया भी पॉप गायिका बनने के लिए संघर्ष करके सफलता पाती है। इंदु सरकार एक आम महिला है। लेकिन, परिस्थितियां उसे शीर्ष सत्ता के खिलाफ खडी कर देती हैं। आम ग्रहणी सुलोचना करना तो बहुत कुछ चाहती है। लेकिन, पूरी तरह से नहीं कर पाती है। ऐसे ही वह रात की शिफ्ट में रेडियो जॉकी का काम करती है। मगर, कठिनाइयां उसे कदम खींचने को मज़बूर कर देती हैं। इसके बावजूद वह हार नहीं मानती। अज्जी कहानी एक बूढी औरत की है, जो बलात्कार की शिकार अपनी नातिन को इन्साफ दिलाने के लिए खतरों और धमकियों के बावजूद अपराधियों को दंड दिला पाने में सफल होती है। यह सभी फ़िल्में एक कमज़ोर और अबला औरत को ताक़तवर और सबल साबित करने वाली हैं।
माध्यम वर्ग की समस्या
भारतीय आबादी की अपनी सोच है और तदनुसार ही समस्या है। वह उनके लिए संघर्ष करता है। कभी सफल होता है, कभी सफल होता है। लेकिन, फिर उठ खड़ा होता है। फिल्म हाफ गर्लफ्रेंड का अर्जुन कपूर का बिहारी किरदार माधव झा इंग्लिश नहीं जानता, जबकि वह जिस लड़की से प्रेम करता है वह अंग्रेजी बोलती है। अंग्रेजी न जानना जैसी समस्या छोटे शहर के हर युवा की समस्या है। इग्लिश मीडियम, माध्यम वर्ग की अपने बच्चे को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाने की ज़द्दोज़हद का चित्रण करती है। फिल्म में एक बच्चे के माँ पिता की भूमिका पाकिस्तान की एक्ट्रेस सबा कमर और इरफ़ान खान ने क्या खूब की थी। रिबन के कल्कि कोएच्लिन और सुमित व्यास के चरित्र अपने बच्चे की ख़ुशी से जितना खुश हैं, उतना ही आशंकित है भविष्य को लेकर कि नौकरी और बच्चे की परवरिश साथ कैसे चलेगी। लखनऊ सेंट्रल में जेल में बंद कैदी अपना बैंड बना पाने में सफल होते हैं। क़रीब क़रीब सिंगल के योगी और जया दो ध्रुव की तरह है। इसके बावजूद वह एक ऑनलाइन डेटिंग एप्प के कारण मिलते हैं। उनमे झड़प होती है। उनके बीच के मतभेद ऋषिकेश यात्रा के दौरान ज़्यादा बढ़ जाते हैं। कड़वी हवा में आम आदमी भी प्रदूषण से परेशान है। पंचलैट के गाँव वाले बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं। यह सभी फ़िल्में रियल लाइफ समस्याओं का चित्रण करने वाली फ़िल्में हैं।
२०१७ में रिलीज़ यह सभी फ़िल्में ऐसी समस्याओं का चित्रण करती है, जो हर ख़ास और आम की है। आम आदमी की यह समस्याएं किसी न किसी कारण से बढती चली जाती हैं। इनका निदान उसे ही करना है। ऐसी फिल्मों को ख़ास व्यक्तित्व वाले एक्टर सपोर्ट करते ही हैं, फिल्म निर्माता और निर्देशक भी रूचि दिखाते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि दर्शक कथ्य और अभिनय वाली इन चुस्त फिल्मों को पसंद भी करते हैं। यही कारण है कि आम आदमी द्वारा आम आदमी की इन फिल्मों को आम आदमियों ने भी खूब पसंद किया और देखा। हिंदी सिनेमा के लिहाज़ से सुखद संकेत है।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हिन्दी फिल्मों के पहले एंटी हीरो अशोक कुमार
ब्रिटिश इंडिया के भागलपुर के बंगाली परिवार में जन्में चार बच्चों में सबसे बड़े थे कुमुदलाल गांगुली । उनसे छोटी बहन सीता देवी की शादी शशधर मुखर्जी से हुई थी । कुमुदलाल ने क़ानून की पढ़ाई की थी वक़ील बनने के लिये । लेकिन दिल लगा रहता था सिनेमा में । वह फिल्म के हीरो नहीं, बढ़िया सिनेमा तकनीशियन बनना चाहते थे । इसलिये जब वह क़ानून की पढ़ाई में फ़ेल हुए तो पिता के कोप से बचने के लिये मुम्बई आ गये बहन के पास। बहनोई शशधर मुखर्जी बॉम्बे टाकीज के टक्नीशियन थे । बॉम्बे टाकीज में उनकी प्रतिष्ठा थी । सो उन्होंने कुमुद को बॉम्बे टाकीज का लैब टेक्नीशियन बना दिया । पाँच साल तक काम करते रहे । एक दिन, बॉम्बे टाकीज में विस्फोट हुआ । बॉम्बे टाँकीज के मालिक हिमांशु राय की बीवी देवियाँ रानी जीवन नैया (१९३६) में अपने नायक नज़मुल हसन के सांथ भाग गयी । कुछ दिन बाद देवियाँ रानी वापस लौट आयी । लेकिन नाराज़ हिमांशु राय ने नज़मुल हसन को नौकरी से बर्खास्त कर दिया । फर्मान जारी कर दिया कि जीवन नैया में देविका रानी के हीरो कुमुदलाल होंगे । इस फिल्म के साथ ही बॉलीवुड के सदाबहार हीरो अशोक कुमार का जन्म हुआ । अशोक कुमार, हिन्दी फिल्मों के पहले एंटी हीरो थे । फिल्म थी डायरेक्टर ज्ञान मुखर्जी की फिल्म क़िस्मत । यह बॉक्स ऑफिस पर एक करोड़ कमाने वाली पहली फ़िल्म थी । उन्होंने अपने ६१ साल लम्बे फिल्म करियर में ३२८ फिल्मों में हर प्रकार की भूमिका की । वह जिस आसानी और ख़ूबी से फिल्म के नायक बनते थे, उसी शिद्दत से वह खलनायक भी बन जाते थे और चरित्र नायक भी । कॉमेडी भूमिका में उनका कोई सानी नहीं था । वह हिन्दुस्तान के पहले रैपर थे । आशीर्वाद फिल्म में उनका गाया रेलगाड़ी गीत फिल्मों का पहला रैप सांग था । उन्हें १९८८ में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला । १९९९ में पद्मभूषण बने । १३ अक्टूबर १९११ को जन्में हिन्दी फिल्मों के दादा मुनी अशोक कुमार का निधन ९० साल की उम्र में आज ही के दिन २००१ में हुआ था । उन्हें श्रद्धांजलि ।
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday, 9 December 2017
हीरो से ज़ीरो ७२ साल के शत्रुघ्न सिन्हा
पटना से मुम्बई तक का सफ़र पुणे फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट से होकर गुज़रता है । इंस्टीट्यूट की शॉर्ट फिल्म एंग्री यंगमैन को दूसरा अभिनेता ले उड़ा । कटा गाल भी आड़े आया । काफ़ी फिल्मों में नायक की कमनीय काया वाली नायिका पर कुदृष्टि डालनी पड़ी । नतीजे में हीरों के हाथो पिटाई भी हुई । हीरो सुपर स्टार बन गया । राम के छोटे भैया को अयोध्या की तर्ज़ पर बॉलीवुड की गद्दी नहीं मिली । जिस एंटी हीरो को ६०-७० के दशक में सींचा उसे दो फिल्मों में करके खान हीरो बॉक्स ऑफिस का बादशाह बन गया । आजीवन सह नायक बनते रह गये । राजनीति में गये तो प्रसाद मिला । पर फिल्म से मिली लाउड अभिनय शैली को रील लाइफ़ में आज़माने ने सब गुड़ गोबर कर दिया । नतीजन, राजनीति की दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेक दिये गये । अब छटपटा रहे हैं, चिल्ला रहे हैं- मैं हूँ हीरो । हाल यह है कि कोई ज़ीरो मानने कोसी तैयार नहीं है । यह दुखद कथा है रामपुर का लक्ष्मण के राम और पटना के भरत, मगर लव- कुश के पापा शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ़ शॉटगन सिन्हा की जो आज (९ दिसम्बर को) ७२ साल का होने से काफ़ी पहले शटअप सिन्हा बन चुके हैं । उनकी ७३ वीं सालगिरह पर कामना है कि २०१९ के चुनाव के बाद उनका राजनीतिक कद इतना बचा रहे कि वह कह सकें- मैं हूँ हीरो ।
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जन्मदिन मुबारक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 8 December 2017
ऑंखें से रिश्ता क़ायम कर लेने वाली शर्मीला
कहा जाता था कि वह आँखों से रिश्ता क़ायम कर लेती हैं । उनकी आँखे बोलती थी, चेहरे पर इमोशन खेलता था । कैमरा उन्हें देख कर जीवंत हो उठता था । इस बंगाली एक्ट्रेस ने कश्मीर की कली बन कर हिन्दी दर्शकों की नींदें चुराई । हिन्दी फिल्मों के दर्शकों को टूपीस बिकिनी में नायिका की सेक्स अपील में झाँकना सिखाया । सेक्सी नायिका से इमोशनल हीरोइन का ४० साल लम्बा सफ़र तय करने वाली, रवीन्द्रनाथ टैगोर की ख़ानदानी और अब पटौदी ख़ानदान की बहू, माँ, सास और नानी बनने वाली शर्मीला टैगोर आज ही की तारीख़ को १९४४ में जन्मी थी । हैप्पी बर्थडे शर्मीली टैगोर ।
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जन्मदिन मुबारक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
विश्व के पहले सबसे हैंडसम हीरो थे धर्मेन्द्र
विश्व का सबसे हैंडसम भारतीय फिल्म स्टार । शुरूआत महिला प्रधान फिल्मों की नायिकाओं से रोमांस करने वाले सह नायक से की । फिर रोमांटिक नायक का सफ़र शुरू किया । फिर एक्शन का क़िला फ़तह किया । एक्शन कॉमेडी बायें हाथ का खेल था । इतने सारे भिन्न किरदार ! एक दो नहीं, पूरी २८८ फिल्मों में । ८ दिसम्बर १९३५ को पंजाब के जाट परिवार में जन्मा तथा फ़िल्मफ़ेयर की प्रतियोगिता जीतने के बावजूद लम्बा संघर्ष करने वाला यह व्यक्तित्व था धर्म सिंह देओल का, जिसे हिन्दी फिल्म प्रेमी धर्मेन्द्र के नाम से प्यार करते हैं । हैप्पी बर्थडे बॉलीवुड के इकलौते हीमैन ।
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Dharmendra,
जन्मदिन मुबारक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
यों गंजे नहीं थे अमरीश पुरी
स्टीवन स्पीलबर्ग की एडवेंचर फैंटेसी फिल्म इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम में कापालिक मोलाराम के विलेन किरदार के लिये अभिनेता अमरीश पुरी को अपने सिर के बाल उतरवाने पड़े थे । छोटी भूमिका के बावजूद इस गेटअप में अमरीश पुरी के मोलाराम को बड़ी सफलता और पहचान मिली । इस फिल्म के बाद अमरीश पुरी ने अपनी फिल्मों में विग पहन कर किरदार करना तो पसन्द किया । लेकिन, फिर बाल सिर पर नहीं जमने दिये ।
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झिलमिल अतीत
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११ दिसम्बर को जी क्लासिक पर दिलीप कुमार
जी क्लासिक पर ११ दिसम्बर २०१७ को पूरे दिन दिलीप कुमार की क्लासिक फिल्में दिखाई जायेंगी । सोमवार को बॉलीवुड फिल्मों के दुखांत नायक युसुफ खान उर्फ़ दिलीप कुमार ९४ साल के हो जायेंगे । उनकी ९५वीं वर्षगाँठ मनाने के लिये जी क्लासिक सुबह ६.० बजे देवदास का प्रसारण कर यह सिलसिला शुरू करेगा । इसके बाद गंगा जमुना सुबह ११ बजे, कर्मा दोपहर ३.१५ बजे, क्रांति शाम ७.० बजे और रात १० बजे सौदागर का प्रसारण करेगा।
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Dilip Kumar,
क्लासिक फ़िल्में,
जन्मदिन मुबारक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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