Saturday, 9 December 2017

हीरो से ज़ीरो ७२ साल के शत्रुघ्न सिन्हा

पटना से मुम्बई तक का सफ़र पुणे फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट से होकर गुज़रता है । इंस्टीट्यूट की शॉर्ट फिल्म एंग्री यंगमैन को दूसरा अभिनेता ले उड़ा । कटा गाल भी आड़े आया । काफ़ी फिल्मों में नायक की कमनीय काया वाली नायिका पर कुदृष्टि डालनी पड़ी । नतीजे में हीरों के हाथो पिटाई भी हुई । हीरो सुपर स्टार बन गया । राम के छोटे भैया को अयोध्या की तर्ज़ पर बॉलीवुड की गद्दी नहीं मिली । जिस एंटी हीरो को ६०-७० के दशक में सींचा उसे दो फिल्मों में करके खान हीरो बॉक्स ऑफिस का बादशाह बन गया । आजीवन सह नायक बनते रह गये । राजनीति में गये तो प्रसाद मिला । पर फिल्म से मिली लाउड अभिनय शैली को रील लाइफ़ में आज़माने ने सब गुड़ गोबर कर दिया । नतीजन, राजनीति की दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेक दिये गये । अब छटपटा रहे हैं, चिल्ला रहे हैं- मैं हूँ हीरो । हाल यह है कि कोई ज़ीरो मानने कोसी तैयार नहीं है । यह दुखद कथा है रामपुर का लक्ष्मण के राम और पटना के भरत, मगर लव- कुश के पापा शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ़ शॉटगन सिन्हा की जो आज (९ दिसम्बर को) ७२ साल का होने से काफ़ी पहले शटअप सिन्हा बन चुके हैं । उनकी ७३ वीं सालगिरह पर कामना है कि २०१९ के चुनाव के बाद उनका राजनीतिक कद इतना बचा रहे कि वह कह सकें- मैं हूँ हीरो । 

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