पटना से मुम्बई तक का सफ़र पुणे फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट से होकर गुज़रता है । इंस्टीट्यूट की शॉर्ट फिल्म एंग्री यंगमैन को दूसरा अभिनेता ले उड़ा । कटा गाल भी आड़े आया । काफ़ी फिल्मों में नायक की कमनीय काया वाली नायिका पर कुदृष्टि डालनी पड़ी । नतीजे में हीरों के हाथो पिटाई भी हुई । हीरो सुपर स्टार बन गया । राम के छोटे भैया को अयोध्या की तर्ज़ पर बॉलीवुड की गद्दी नहीं मिली । जिस एंटी हीरो को ६०-७० के दशक में सींचा उसे दो फिल्मों में करके खान हीरो बॉक्स ऑफिस का बादशाह बन गया । आजीवन सह नायक बनते रह गये । राजनीति में गये तो प्रसाद मिला । पर फिल्म से मिली लाउड अभिनय शैली को रील लाइफ़ में आज़माने ने सब गुड़ गोबर कर दिया । नतीजन, राजनीति की दूध से मक्खी की तरह निकाल कर फेक दिये गये । अब छटपटा रहे हैं, चिल्ला रहे हैं- मैं हूँ हीरो । हाल यह है कि कोई ज़ीरो मानने कोसी तैयार नहीं है । यह दुखद कथा है रामपुर का लक्ष्मण के राम और पटना के भरत, मगर लव- कुश के पापा शत्रुघ्न सिन्हा उर्फ़ शॉटगन सिन्हा की जो आज (९ दिसम्बर को) ७२ साल का होने से काफ़ी पहले शटअप सिन्हा बन चुके हैं । उनकी ७३ वीं सालगिरह पर कामना है कि २०१९ के चुनाव के बाद उनका राजनीतिक कद इतना बचा रहे कि वह कह सकें- मैं हूँ हीरो ।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 9 December 2017
हीरो से ज़ीरो ७२ साल के शत्रुघ्न सिन्हा
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जन्मदिन मुबारक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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