कांस फिल्म फेस्टिवल २०१७ में अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में चीनी फिल्म डायरेक्टर ली रुइजुन की फिल्म वॉकिंग पास्ट द फ्यूचर शामिल की गई है। फेस्टिवल के आयोजकों का यह अपनी शर्मिंदगी कम करने का प्रयास माना जा रहा है। ध्यान रहे कि जब फेस्टिवल में इस सेक्शन के अंतर्गत दिखाई जाने वाली फिल्मों की लिस्ट जारी हुई थी तो इसमे कोई चीनी फिल्म शामिल नहीं थी। पिछले साल के फिल्म फेस्टिवल में भी कोई चीनी फिल्म शामिल नहीं थी। इसे चीनी फिल्मकारों को कमतर आंकने का आयोजकों का प्रयास माना जा रहा था। लेकिन, अब वाकिंग पास्ट द फ्यूचर के शामिल हो जाने के बाद सब ठीक हो गया लगता है। इस फिल्म की नायिका चीन की बड़ी एक्ट्रेस यांग ज़िशान हैं। फिल्म एक युवती की कहानी है जो अपने माता पिता को अपने गृह राज्य गांसू में अच्छी सुविधा मुहैया कराने के लिए दक्षिण शहर शेनज़्हेन में पिछले बीस सालों से नौकरी कर रही है। निर्देशक ली की यूरोपियन फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने वाली तीसरी फिल्म है। ली की फिल्म फ्लाई विथ द क्रेन २०१२ का ६९वे वेनिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हुआ था। २०१३ बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में ली की फिल्म रिवर रोड दिखाई गई थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday 28 April 2017
कांस फिल्म फेस्टिवल में चीनी फिल्म
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday 27 April 2017
ले मश्क : रहमान की सुगन्धित संगीत यात्रा !
हिंदुस्तान के ऑस्कर पुरस्कार विजेता संगीतकार एआर रहमान अब एक नई भूमिका में नज़र आने वाले हैं । वह सिनेमेटिक वर्चुअल रियलिटी इमर्सिव तकनीक पर आधारित लघु फिल्म ले मस्क से बतौर निर्देशक डेब्यू कर रहे है। यह एक १९९२ से प्रचलित तकनीक है। परन्तु, भारत में यह विधा ख़ास लोकप्रिय नहीं है । रहमान की फिल्म की शूटिंग रोम में हुई है। नोरा अरनेजडर, गय बर्नेट, मरियम ज़ोहरबयान और मुनिरी ग्रेस अभिनीत फिल्म ले मस्क अनाथ जूलिएट की यात्रा कथा है, जो ढेरो धनसम्पति की उत्तराधिकारी है, जिसे संगीत और मुस्कान सेंट से प्रेम है। उसकी ज़िन्दगी में बड़ा मोड़ तब आता है, जब उसके पास एक गुमनाम चिट्ठी आती है, जो उसके रहस्यपूर्ण अतीत के पन्ने खोल देती है। कल इस फिल्म के दो पोस्टर रिलीज़ हुए। इनमे से एक पोस्ट में नोरा लाल में सुगंध में डूबी संगीत का आनंद लेती नज़र आ रही हैं। इस फिल्म को रहमान ने ही लिखा है और इसका संगीत तैयार किया है।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
दीपिका पादुकोण का राब्ता ट्रैक
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नहीं रहे विनोद खन्ना
यह ७ फरवरी १९६९ का शुक्रवार था। निर्माता सुनील दत्त की ए सुब्बा राव निर्देशित फिल्म मन का मीत रिलीज़ हो रही थी। सुनील दत्त ने मन का मीत अपने भाई सोम दत्त को नायक बनाने के लिए बनाई थी। इस फिल्म से चार नए चेहरे- सोम दत्त के अलावा लीना चंद्रावरकर, संध्या और विनोद खन्ना का फिल्म डेब्यू हो रहा था। सिनेमाघरों के बाहर दर्शकों की भीड़ जुटी थी तो इसलिए कि फिल्म के पोस्टरों में लीना चंद्रावरकर की उघड़ी छाती वाले पोस्टर आँखों को सुख दे रहे थे और वह इस अभिनेत्री का मीट यानि जिस्म देखना चाहते थे । इस एक्शन फिल्म में भी वास्तव में ऐसा ही कुछ था। लीना चंद्रावरकर उदार अंग प्रदर्शन कर रही थी। मगर, फिल्म जिस सोम दत्त के लिए बनी थी, वह बिलकुल फीके थे। लीना के साथ उनकी जोड़ी मिसमैच हो रही थी। संध्या भी फीकी थी। बाद में, लीना चंद्रावरकर के उदार अंग प्रदर्शन के कारण फिल्म समीक्षकों के द्वारा यह फिल्म मैन का मीट घोषित की गई। फिल्म में अपने अभिनय और व्यक्तित्व से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया फिल्म के विलेन प्राण की भूमिका करने वाले अभिनेता विनोद खन्ना ने । चॉकलेटी चेहरे और गड्ढे वाली ठोड़ी वाले बुलंद आवाज़ विनोद खन्ना में दर्शकों को हीरो मैटेरियल मिला। अविभाजित भारत के पेशावर प्रान्त में ६ अक्टूबर १९४६ को जन्मे विनोद खन्ना के माता पिता विभाजन के बाद भारत आ गए। विनोद खन्ना ने दिल्ली और बॉम्बे के बढ़िया स्कूलों में पढ़ाई की। देवलाली नाशिक के बर्न्स स्कूल में पढ़ाई के दौरान विनोद खन्ना ने मुग़ल-ए- आज़म और सोलवा साल देखी और फिल्मों के दीवाने बन गए। सिडेन्हम कॉलेज मुंबई में कॉमर्स से ग्रेजुएट बने। मन का मीत के दर्शकों को विनोद खन्ना में हीरो मटेरियल मिला। मगर विनोद खन्ना को फिल्मकारों में बतौर रोमांटिक हीरो अपना विश्वास ज़माने में छह फिल्मों में सह भूमिकाएं करने पड़ी। क्योंकि, उनकी पहली बतौर हीरो फिल्म नतीजा बुरी तरह से असफल हुई थी । इस फिल्म में विनोद खन्ना की नायिका बिंदु थी, जो बाद में बड़ी वैम्प बनी। विनोद खन्ना को बतौर रोमांटिक नायक स्थापित किया निर्देशक शिव कुमार की फिल्म हम तुम और वह (१९७१) ने। इस फिल्म में विनोद खन्ना की नायिका भारती थी। दक्षिण की स्टार भारती ने विनोद खन्ना के साथ पूरब और पश्चिम भी की थी। इस दौरान विनोद खन्ना ने सच्चा झूठा, मस्ताना, आन मिलो सजना, पूरब और पश्चिम, जाने अनजाने, ऐलान, रेशमा और शेरा, प्रीतम, रखवाला, हंगामा, मेरे अपने, मेरा गांव मेरा देश और मेम साब जैसी फिल्में में सह भूमिकाएं की। इनमे ज़्यादातर अच्छे व्यक्ति वाली भूमिकाएं थी। हम तुम और वह के बाद विनोद खन्ना का सितारा बुलंद हो गया। एक समय वह उस समय के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के लिए इकलौती चुनौती थे। उस समय, जबकि वह बॉलीवुड के सबसे टॉप के अभिनेता साबित हो रहे थे, विनोद खन्ना ने ओशो आश्रम जाने के लिए फिल्मों से संन्यास ले लिया। पांच साल बाद उनकी वापसी हुई। उन्होंने मल्टी स्टार कास्ट फिल्म ज़मीन (संजय दत्त, रजनीकांत, माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी के साथ) से सफल वापसी की। इन्साफ और सत्यमेव जयते से उन्होंने खुद को सोलो हीरो साबित किया। मगर उन्हें सितारा बहुल और एक्शन फ़िल्में ही ज़्यादा मिली। उन्होंने १९९७ में अपने बेटे अक्षय खन्ना को हीरो बनाने के लिए फिल्म हिमालयपुत्र का निर्माण किया। विनोद खन्ना ने लगभग १३७ फ़िल्में की, जिनमे ५४ सोलो हीरो थी। हीरो राजेश खन्ना वाली उनकी सच्चा झूठा, आन मिलो सजना, प्रेम कहानी, कुदरत और राजपूत सुपरहिट हुई। उनकी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म परवरिश, ज़मीर, हेरा फेरी, खून पसीना, अमर अकबर अन्थोनी और मुकद्दर का सिकंदर सुपर हिट फ़िल्में थी। उनकी मेरे अपने, गद्दार, अचानक, आरोप, कच्चे धागे, फरेबी, इम्तिहान, क़ैद, इंकार, इन्साफ, जुर्म, क्रांति, शक, मीरा, रिहाई, ९९, पहचान: द फेस ऑफ़ ट्रुथ, रेड अलर्ट : द वॉर वीथिन को दर्शकों के साथ साथ फिल्म समीक्षकों ने भी सराहा। विनोद खन्ना ने तीन पीढ़ी की अभिनेत्रियों सायरा बानो, मुमताज़, योगिता बाली, रेखा हेमा मालिनी, शबाना आज़मी, नीतू सिंह, मीनाक्षी शेषाद्रि, पूनम ढिल्लों, करिश्मा कपूर और अमीषा पटेल के साथ अभिनय किया। २०१५ में रिलीज़ शाहरुख़ खान के साथ फिल्म दिलवाले में वह चरित्र भूमिका में थे। दबंग में सलमान खान और अरबाज़ खान के पिता की भूमिका में उन्हें काफी पसंद किया गया। विनोद खन्ना ने दो शादिया की। पहली पत्नी गीतांजलि से उन्हें अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना तथा दूसरी पत्नी कविता से एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा का जन्म हुआ। वह दुनिया की बढियाँ कारों के शौक़ीन थे। उनके गेराज में बीएमडब्ल्यू, मर्सेडीज़, पॉर्श और कैडिलक गाड़ियां खडी रहती थी। १९९७ में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए गुरदासपुर से सांसद बने। २००२ में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किये गए। २०१४ में वह फिर सांसद चुने गए। कैंसर से जूझ रहे विनोद खन्ना की तस्वीरें देख कर उनके प्रशंसक चौंक पड़े थे। इतना खूबसूरत व्यक्ति इस दशा को पहुँच गया है ! फ़िरोज़ खान और विनोद खन्ना समकालीन एक्टर थे। दोनों बेहद अच्छे दोस्त थे। दोनों को ही कैंसर था। दोनों की ही मृत्यु २७ अप्रैल को हुई। श्रद्धांजलि विनोद खन्ना।
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श्रद्धांजलि
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सलीम खान ने दी ट्यूबलाइट को कैचलाइन- क्या तुम्हे यकीन है
सलमान खान हमेशा से अपने
पिता सलीम खान को अपना सबसे बड़ा क्रिटिक समझते आये है। उन्होंने अपने कई इंटरव्यूज में भी कहा है कि उन्हें अपनी फिल्म के बारे में जो रिएक्शन अपने पिता सलीम खान से मिलता है, वही रिएक्शन ऑडियंस से भी मिलता आया है। सिर्फ सलमान ही नहीं फिल्म ट्यूबलाइट के निर्देशक कबीर खान का भी यही मानना है। इस बारे में कबीर खान कहते हैं, "मैंने जब सलीम साहेब को फिल्म ट्यूबलाइट का फर्स्ट कट
दिखाया। जब वह एडिट रूम से बाहर निकले तो बिना कुछ कहे उन्होंने मुझे कास कर गले लगा लिया। वह बोले मुझे और कुछ कहने की ज़रूरत है क्या !" कबीर
खान आगे कहते हैं, "मैं शूटिंग से पहले अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट सलीम साहेब को ज़रूर
सुनाता हूँ। उनके द्वारा दिए गए इनपुट्स हमेशा से ही मेरे लिए सही
साबित हुए है। सलीम साहेब ने मेरी स्क्रिप्ट पर विशेष ध्यान दिया है। फिल्म ट्यूबलाइट के लिए भी उन्होंने कुछ पॉइंटर्स दिए, जो फिल्म
की पटकथा को और भी बेहतरीन बनाते है। वास्तव में, पोस्टर की
कैचलाइन - क्या तुम्हे यकीन है भी उनका ही अविष्कार है।"
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Poster
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Wednesday 26 April 2017
दुनिया को आतंक से बचाने वाला नया अमेरिकी हीरो !
अपने पोलिटिकल थ्रिलर उपन्यासों के लिए मशहूर लेखक विन्स फ्लिन के २०१० में प्रकाशित उपन्यास अमेरिकन असैसिन पर स्टीफेन स्चीफ़, माइकल फिंच, एडवर्ड ज़्विक और मार्शल हर्स्कोविट्ज़ की पटकथा पर आधारित फिल्म अमेरिकन असैसिन १५ सितम्बर को रिलीज़ के लिए तैयार है। यह फिल्म सीआईए के अश्वेत सदस्य मिच रैप पर केंद्रित हैं। एक आतंकी हमले में मिच अपनी महिला मित्र को खो देता है। सीआईए की उपनिदेशक आइरीन कैनेडी अपने शीत युद्ध के दौर के अनुभवी अधिकारी स्टेन हर्ले को मिच रैप को आतंकियों के खात्मे के लिए खतरनाक युद्ध कला सिखाने के लिए तैनात करती है। यह दोनों, जब आतंकियों के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमले की जांच करने जुटते हैं तो पाते हैं कि इसमें एक ख़ास पैटर्न है। इसकी खोज उन्हें टर्की एजेंट के पास पहुंचाती है, जो मध्य पूर्व में विश्व युद्ध छेड़ने की योजना बना रहे एक सरगना को ख़त्म करने के प्रयास में है। इस फिल्म में मिच रैप की भूमिका में डिलन ओब्रिएन ने की है। माइकल कीटन ने स्टेन हर्ले, सना लेथन ने आइरीन कैनेडी, शिवा नेगर ने टर्की एजेंट और टेलर कित्स ने षडयंत्रकारी की भूमिका की है। अभी अमेरिकन असैसिन रिलीज़ नहीं हुई है। लेकिन, इसके सीक्वल का ऐलान कर दिया गया है। विन्स फ्लिन के उपन्यास पर फिल्म पर काम २०११ में ही शुरू हो गया था। एडवर्ड ज़्विक को डायरेक्शन की कमान सौंपी गई। ज़्विक ने द लास्ट समुराई, जैक रीचर: नेवर गो बैक और लव एंड अदर ड्रग्स के लेखक साथी मार्शल हर्स्कोविट्ज़ के साथ पटकथा लिखनी शुरू की। लेकिन, द ग्रेट वाल के लिए उन्होंने यह फिल्म छोड़ दी। फिर जेफ्री नाशमैनोफ़ को यह कमान सौंपी गई। जेफ्री भी बीच में ही फिल्म छोड़ गए। इसके बाद फिल्म की पटकथा में बार बार फेरबदल का सिलसिला शुरू हो गया। मिच रैप के किरदार के लिए क्रिस हेम्सवर्थ ने १० मिलियन डॉलर के ऑफर को नकार दिया। उस समय ब्रूस विलिस को स्टेन हर्ले बनाया जाना था । माइकल क्यूएस्टा को निर्देशन की कमान सौंपे जाने के बाद ही अमेरिकन असैसिन के काम में तेज़ी आई। विन्स फ्लिन ने मिच रैप करैक्टर पर १३ उपन्यास लिखे हैं। उनके ११वे उपन्यास पर फिल्म बनाई जा रही है। फ्लिन का ११वा उपन्यास अमेरिकन असैसिन की पहली कहानी है। इसमें युवा मिच रैप को पहली बार दिखाया गया था। अमेरिकन असैसिन पर फिल्म निर्माण के दौर में ही, २०१३ में विन्स फ्लिन का प्रोस्ट्रेट कैंसर से देहांत हो गया। खबर यह भी है कि मिच रैप के करैक्टर को केंद्र में रख कर विन्स फ्लिन ने कोई १३ उपन्यास लिख रखे हैं। अमेरिकन असैसिन के प्रोडूसरो लायंसगेट और सीबीएस फिल्म्स का इरादा इन सभी उपन्यासों पर फ़िल्में बनाने का है।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
स्टार किड्स को स्टार बनाते हैं दर्शक !
कंगना रनौत ने बहस को हवा दे दी है। करण जौहर के शो कॉफी विथ करण में पूछे जाने पर कंगना रनौत ने कहा कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है। इसके साथ ही बॉलीवुड के अलग अलग तबकों से बयानों का सिलसिला चल निकला है। कंगना के बयान का समर्थन करने वाले जितने हैं उतने ही इसका विरोध करने वाले भी हैं। शो कॉफी विथ करण के होस्ट करण जौहर ने खंडन किया कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है। उन्होंने कहा, "मैंने कभी अपने घर के लोगों के साथ काम नहीं किया। मैंने धर्मा प्रोडक्शन की फिल्मों से कई ऐसे लोगों को मौका दिया, जो बाहरी थे।"
करण जौहर की फिल्मों में भाई भतीजावाद
क्या बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है ? अगर है तो किस हद तक है ? अगर है तो क्यों हैं ? क्या बाहरी एक्टर्स को मौक़ा मिलता है ? यदि मिलता है तो कितना और कैसा ? क्या इन एक्टर्स को भी स्टार संस या डॉटर की तरह बार बार मौका मिलता है? जिस शो कॉफी विथ करण से इस बहस की शुरुआत हुई है और इसके होस्ट करण जौहर के बयान को ही लें। वह कहते हैं कि मैंने अपनी फिल्मों से कई बाहरी लोगों को मौक़ा दिया है। निर्माता करण जौहर के खाते में कोई ३४ फ़िल्में दर्ज़ हैं। ज़्यादातर में स्टार संस या काजोल, रानी मुख़र्जी, शाहरुख़ खान, अमिताभ बच्चन, अर्जुन कपूर, हृथिक रोशन, करीना कपूर, इमरान खान, रणबीर कपूर, आदि अभिनय कर रहे थे। स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर में उन्होंने डेविड धवन के बेटे वरुण धवन और महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट को बड़ा मौका दिया। शानदार में पंकज कपूर के बेटे शाहिद कपूर के साथ आलिया भट्ट थी। हँसी तो फांसी, २ स्टेट्स और कपूर एंड संस से लेकर बद्रीनाथ की दुल्हनिया तक घुमा फिरा कर स्टार संस और डॉटर ही थे। उनकी आगामी फिल्मों में शुद्धि में आलिया भट्ट और वरुण धवन, मोहित सूरी निर्देशित अनाम फिल्म में वरुण धवन और सैफ अली खान तथा इत्तफ़ाक़ में शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा भी स्टार संस और डॉटर हैं।
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, इसका प्रमाण आज के बड़े सितारों में सलमान खान और आमिर खान हैं। इन दोनों के पिता बॉलीवुड के बड़े नाम थे। संजय दत्त के माता-पिता हिंदी फिल्मों की बड़ी हस्तियां थी। सनी देओल और बॉबी देओल अभिनेता धर्मेंद्र के बेटे हैं। वरुण धवन के पिता डेविड धवन मशहूर फिल्म निर्देशक हैं। अर्जुन कपूर फिल्म निर्माता बोनी कपूर और हृथिक रोशन निर्देशक राकेश रोशन के बेटे हैं। रणबीर कपूर,करीना कपूर के पीछे बॉलीवुड के पहले फिल्म परिवार कपूर परिवार का आभा मंडल है। आलिया भट्ट के पिता महेश भट्ट प्रतिष्ठित फिल्मकार हैं। काजोल और रानी मुख़र्जी भी फिल्म निर्माण से जुडी बड़ी हस्तियों के घरानों से थी। दरअसल, फिल्म निर्माण एक जुआ है। जो दीखता है, वही बॉक्स ऑफिस पर बिकता है। किसी स्टार किड्स को लांच करने में रातोंरात प्रचार पाने में आसानी होती है। दर्शकों के बीच भी वह चेहरा चर्चित होता है। यही कारण है कि डेविड धवन के बेटे वरुण धवन इस बहस से बचना चाहते हैं। वरुण धवन कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं सोचता। वैसे में इस मामले में ज़्यादा बात करना नहीं चाहता।"
इसके बावजूद बाहरी एक्टरों की मौजूदगी भी है। अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित से लेकर शाहरुख़ खान, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, विद्युत् जम्वाल और कंगना रनौत तक सब बाहरी हैं। अलबत्ता इन लोगों को आसानी से मौक़ा नहीं मिला। ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के इर्दगिर्द विश्व सुंदरी होने का आभा मंडल था। लेकिन, बाकियों के लिए सब आसान नहीं था। मर्दानी के खलनायक ताहिर राज भसीन को फिल्म पाने में डेढ़ साल तक एड़िया रगड़नी पड़ी। उन्हें विलेन के रोल से अपने करियर की शुरुआत करनी पड़ी। वह कहते हैं, "मेरी मर्दानी में खल भूमिका थी। ऎसी शुरुआत अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, मेरा यह रोल क्लिक कर गया। कहा नहीं जा सकता कि कौन सा फार्मूला काम कर जाएगा।" फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की पिछली फिल्म में छोटी भूमिका कर चुके अली फज़ल को पहला मौका राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स में छोटी भूमिका के रूप में मिला। अली फज़ल कहते हैं, "सबको टाइगर श्रॉफ, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसा मौका नहीं मिलता। लेकिन आखिर में आपका टैलेंट ही आपको लम्बी रेस का घोड़ा बनाता है।"
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, सभी इसे मानते हैं। लेकिन, साथ में को विशेषण जोड़ना नहीं भूलते। आजकल रियल लाइफ विवादित चरित्रों पर फिल्म बना कर मशहूर हो रहे हंसल मेहता ने एक गैर फिल्मी पृष्ठभूमि वाले एक्टर राजकुमार राव को बड़ा नाम बना दिया है। वह कंगना रनौत के साथ सिमरन बना रहे हैं। हंसल मेहता कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं मानता कि स्टार संस और डॉटर से आसानी से प्रचार मिलता है। मैं उन्हें भार ज़्यादा मानता हूँ। मैं खुद १८ साल से इंडस्ट्री में हूँ।" महेश भट्ट हिंदी फिल्मों के बड़े भट्ट खानदान के चश्मोचिराग हैं। उन्होंने कंगना रनौत को हिंदी फिल्मों में पहला मौका दिया था। वह कई नए चेहरों को सामने लाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन पूजा भट्ट को लांच करने वाले महेश भट्ट ने दूसरी बेटी आलिया को लांच नहीं। वह बॉलीवुड में भाई भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कंगना के कथन में काफी सच्चाई है। लेकिन, यह कहाँ नहीं है। हॉलीवुड में भी भाई भतीजावाद है। मैंने तो २८ साल पहले अनुपम खेर को सारांश जैसी फिल्म दी, उस समय अनुपम खेर को कोई नहीं जानता था।"
भाई भतीजावाद के बावजूद प्रतिभा की ही विजय होती है। सलमान खान, आमिर खान, हृथिक रोशन, काजल और रानी मुख़र्जी में दमखम नहीं होता तो क्या उनका करियर इतना लम्बा चल पाता ! कुमार गौरव, फरदीन खान, ज़ायद खान, बॉबी देओल, अभिषेक बच्चन, आदि का फिल्म इंडस्ट्री में आज क्या मुकाम है? अभिषेक बच्चन तो तब बीच इक्का दुक्का फ़िल्में कर रहे हैं। लेकिन बाकी का तो कोई नामलेवा नहीं है। महेश भट्ट कहते हैं, "यह दर्शक हैं, जो फैसला करते हैं कि कौन स्टार है और कौन नहीं । हममे यह ताक़त तो है कि हम किसी को मौक़ा दें, लेकिन यह ताकत नहीं कि तय कर सकें कि कौन फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।"
कंगना रनौत के बयान का सबसे पहले खंडन करने वाले करण जौहर यह भूल गए कि उन्हें बतौर निर्देशक पेश करने वाली फिल्म कुछ कुछ होता है के निर्माता उनके पिता यश जौहर थे। यश जौहर के कारण ही करण जौहर अपनी फिल्म के लिए शाहरुख़ खान और काजोल जैसे स्थापित जोड़े को ले पाए। करण जौहर को बतौर सह निर्देशक मौका मिला यश चोपड़ा के बैनर की फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे से। यहीं उनकी मुलाकात शाहरुख़ खान और काजोल से हुई। क्या करण जौहर जैसा बड़ा मौका किसी बाहरी निर्देशक को मिलता ? शायद कभी नहीं।
इसके बावजूद बाहरी एक्टरों की मौजूदगी भी है। अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित से लेकर शाहरुख़ खान, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, विद्युत् जम्वाल और कंगना रनौत तक सब बाहरी हैं। अलबत्ता इन लोगों को आसानी से मौक़ा नहीं मिला। ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के इर्दगिर्द विश्व सुंदरी होने का आभा मंडल था। लेकिन, बाकियों के लिए सब आसान नहीं था। मर्दानी के खलनायक ताहिर राज भसीन को फिल्म पाने में डेढ़ साल तक एड़िया रगड़नी पड़ी। उन्हें विलेन के रोल से अपने करियर की शुरुआत करनी पड़ी। वह कहते हैं, "मेरी मर्दानी में खल भूमिका थी। ऎसी शुरुआत अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, मेरा यह रोल क्लिक कर गया। कहा नहीं जा सकता कि कौन सा फार्मूला काम कर जाएगा।" फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की पिछली फिल्म में छोटी भूमिका कर चुके अली फज़ल को पहला मौका राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स में छोटी भूमिका के रूप में मिला। अली फज़ल कहते हैं, "सबको टाइगर श्रॉफ, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसा मौका नहीं मिलता। लेकिन आखिर में आपका टैलेंट ही आपको लम्बी रेस का घोड़ा बनाता है।"
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, सभी इसे मानते हैं। लेकिन, साथ में को विशेषण जोड़ना नहीं भूलते। आजकल रियल लाइफ विवादित चरित्रों पर फिल्म बना कर मशहूर हो रहे हंसल मेहता ने एक गैर फिल्मी पृष्ठभूमि वाले एक्टर राजकुमार राव को बड़ा नाम बना दिया है। वह कंगना रनौत के साथ सिमरन बना रहे हैं। हंसल मेहता कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं मानता कि स्टार संस और डॉटर से आसानी से प्रचार मिलता है। मैं उन्हें भार ज़्यादा मानता हूँ। मैं खुद १८ साल से इंडस्ट्री में हूँ।" महेश भट्ट हिंदी फिल्मों के बड़े भट्ट खानदान के चश्मोचिराग हैं। उन्होंने कंगना रनौत को हिंदी फिल्मों में पहला मौका दिया था। वह कई नए चेहरों को सामने लाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन पूजा भट्ट को लांच करने वाले महेश भट्ट ने दूसरी बेटी आलिया को लांच नहीं। वह बॉलीवुड में भाई भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कंगना के कथन में काफी सच्चाई है। लेकिन, यह कहाँ नहीं है। हॉलीवुड में भी भाई भतीजावाद है। मैंने तो २८ साल पहले अनुपम खेर को सारांश जैसी फिल्म दी, उस समय अनुपम खेर को कोई नहीं जानता था।"
भाई भतीजावाद के बावजूद प्रतिभा की ही विजय होती है। सलमान खान, आमिर खान, हृथिक रोशन, काजल और रानी मुख़र्जी में दमखम नहीं होता तो क्या उनका करियर इतना लम्बा चल पाता ! कुमार गौरव, फरदीन खान, ज़ायद खान, बॉबी देओल, अभिषेक बच्चन, आदि का फिल्म इंडस्ट्री में आज क्या मुकाम है? अभिषेक बच्चन तो तब बीच इक्का दुक्का फ़िल्में कर रहे हैं। लेकिन बाकी का तो कोई नामलेवा नहीं है। महेश भट्ट कहते हैं, "यह दर्शक हैं, जो फैसला करते हैं कि कौन स्टार है और कौन नहीं । हममे यह ताक़त तो है कि हम किसी को मौक़ा दें, लेकिन यह ताकत नहीं कि तय कर सकें कि कौन फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।"
कंगना रनौत के बयान का सबसे पहले खंडन करने वाले करण जौहर यह भूल गए कि उन्हें बतौर निर्देशक पेश करने वाली फिल्म कुछ कुछ होता है के निर्माता उनके पिता यश जौहर थे। यश जौहर के कारण ही करण जौहर अपनी फिल्म के लिए शाहरुख़ खान और काजोल जैसे स्थापित जोड़े को ले पाए। करण जौहर को बतौर सह निर्देशक मौका मिला यश चोपड़ा के बैनर की फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे से। यहीं उनकी मुलाकात शाहरुख़ खान और काजोल से हुई। क्या करण जौहर जैसा बड़ा मौका किसी बाहरी निर्देशक को मिलता ? शायद कभी नहीं।
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फिल्म पुराण
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