Saturday, 19 August 2017

शाहरुख़ खान ने पहले भी भरपाई की है वितरकों के नुकसान की !

सलमान खान की फिल्म ट्यूबलाइट बॉक्स ऑफिस पर मुंह के बल गिरी।  सलमान खान पर वितरकों की तरफ से उनके नुकसान की भरपाई करने का दबाव पड़ा।  सलमान खान को फिल्म ट्यूबलाइट से वितरकों को हुए ६५ करोड़ के नुकसान के आधे यानि ३२.५० करोड़ की भरपाई करनी पड़ी।  इसके साथ ही शाहरुख़ खान दबाव में आ गए।  उन पर जब हैरी मेट सेजल के वितरकों द्वारा सलमान खान की तरह नुकसान की भरपाई का दबाव पड़ने लगा है।  वितरकों ने शाहरुख़ खान की फिल्म जब हैरी मेट सेजल को ८० करोड़ में खरीदा था।  लेकिन, यह फिल्म रिलीज़ के पहले ही दिन से औंधे मुंह जा गिरी।  वितरकों को इस फिल्म के लिए भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है।  इस लिए वह शाहरुख़ खान पर नुकसान साझा करने का दबाव डाल रहे हैं।  
बड़े सितारे भारी नुकसान 
यह साल फिल्म वितरकों पर भारी  पड़ रहा है।  अमूमन वितरक बड़े सितारों की फिल्मों को खरीदने के लिए मुंह मांगी रकम देते हैं।  खान अभिनेताओं का बॉक्स ऑफिस पर जलवा रहता है।  इनकी फिल्मों के वीकेंड ही फिल्म को १०० करोड़ क्लब तक पहुंचा देते हैं।  इसीलिए, फिल्म वितरक नरेंद्र हीरावत के एनएच स्टूडियोज ने सलमान खान की फिल्म ट्यूबलाइट की असफलता के बावजूद शाहरुख़ खान की फिल्म  जब हैरी मेट सेजल को ८० करोड़ मे आल इंडिया रिलीज़ करने के अधिकार खरीद लिए थे।  परन्तु, खान ब्रांड बॉक्स ऑफिस पर पिट गया।  इससे पहले फिल्म वितरकों को तीन बड़ी फिल्मो हृथिक रोशन की फिल्म मोहन जोदड़ो से हुए भारी नुकसान के अलावा शाहिद कपूर की फिल्म रंगून और रणबीर कपूर की फिल्म जग्गा जासूस से भी ५७-५७ करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है।  
क्या है प्रॉफिट शेयरिंग ?
बॉलीवुड के बड़े सितारों की फीस भारी होती है।  सलमान खान आम तौर पर अपनी फिल्म के लिए ७० करोड़ लेते हैं।  लेकिन, फिल्म सुल्तान को सलमान खान ने प्रॉफिट बेसिस पर साइन किया।  सुल्तान ने वर्ल्डवाइड ६०० करोड़ का बिज़नेस किया है।  इसके परिणामस्वरुप वह फीस के तौर पर ७० करोड़ के बजाय ११०-१५० करोड़ तक ले जायेंगे।  सलमान खान की तरह दूसरे खान शाहरुख़ खान और अक्षय कुमार बाजार पर अपनी पकड़ को भांप कर प्रॉफिट में ५०% से लेकर ८०% तक की शेयरिंग करते हैं।  आमिर खान अपनी फीस की पूरी रकम प्रॉफिट से ही लेते हैं।  
नया ट्रेंड नहीं 
फिल्मों की फीस के तौर पर प्रॉफिट शेयरिंग का फार्मूला आज का नहीं। अस्सी के दशक में, अमिताभ बच्चन बॉक्स ऑफिस पर अपनी फिल्मों की सफलता को देखते हुए, टेरिटरीज यानि वितरण क्षेत्र के अधिकार लेने लगे थे।  इसके लिए वह मुंबई, पंजाब और राजस्थान के उपजाऊ फिल्म वितरण क्षेत्र को बतौर फीस अपने लिए सुरक्षित करवा लेते थे।  यह तरीका फिल्म निर्माताओं के लिए फायदेमंद भी है।  इससे उनकी फिल्म की लागत कम हो जाती है। आप इसे ऐसी समझ लीजिये कि अगर किसी खान की फिल्म की निर्माण लागत ४० करोड़ है तो उसकी ५० करोड़ की फीस शामिल कर लें तो फिल्म का बजट ९० करोड़ हो जाता है।  ऐसे में जब सितारे प्रॉफिट शेयरिंग करते हैं तो फिल्म की लागत ९० के बजाय ४० करोड़ ही रह जाती है।  कम लागत वाली फिल्म का फायदा या नुकसान भी काम ही होता है।  
दक्षिण का अलग ट्रेंड !
दक्षिण में ट्रेंड दूसरा है।  दक्षिण के शीर्ष के सितारों चिरंजीवी, पवन कल्याण, महेश बाबू, अल्लू अर्जुन,  प्रभाष, जूनियर एनटीआर, राम चरण, नागार्जुन, बालाकृष्ण, वेंकटेश, रवि तेजा तथा अन्य की फिल्मो के निर्माता अपनी फिल्मों को अपनी फिल्मों की लागत वितरकों से अग्रिम भुगतान द्वारा ले लेते हैं।  इस प्रकार से फिल्म निर्माता सुरक्षित हो जाते हैं, लेकिन, वितरकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।  इसी साल पवन कल्याण की फिल्म सरदार गब्बर सिंह अरु कटमारायुडू, महेश बाबू की फिल्म ब्रह्मोसतवम और राम चरण की फिल्म ब्रूस ली बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी।  इस बड़ी असफल के बावजूद फिल्म के निर्माता घाटे में नहीं थे।  लेकिन,  वितरकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्हें फिल्म निर्माताओं से अगली फिल्म में फायदा हो जायेगा का आश्वासन ज़रूर मिला।  
रजनीकांत ने भी उठाया नुकसान
केवल साउथ के एक्टर रजनीकांत ही ऐसे एक्टर हैं, जो अपने वितरकों के नुकसान की भरपाई करते हैं।२०१४ में रजनीकांत की फिल्म लिंगा बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से असफल हुई थी। इस फिल्म के कारण लिंगा के प्रदर्शकों तक को नुकसान हुआ था। रजनीकांत ने इस घाटे की भरपाई करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने वितरकों और प्रदर्शकों में अपनी फिल्म के प्रति विश्वास बनाने के लिए खुद से नुकसान की भरपाई का निर्णय लिया।  उन्होंने अपने वितरकों और प्रदर्शकों को उनके नुकसान की तिहाई रकम वापस कर दी।  सूत्र बताते हैं कि यह रकम कोई १० करोड़ के आसपास थी।  
शाहरुख़ खान ने पहले भी वापस किया है नुकसान !
शाहरुख़ खान की फिल्म के वितरक और प्रदर्शक नुकसान की भरपाई चाहते ज़रूर है।  लेकिन, वह ज़्यादा चिंतित नहीं है।  उन्हें विश्वास है कि शाहरुख़ खान उनके  नुकसान की भरपाई करेंगे।  वास्तविकता को तय है कि बतौर फिल्म निर्माता शाहरुख़ खान अपने वितरकों के नुकसान की भरपाई करते रहे हैं।  शाहरुख़ खान ने २००१ में फिल्म अशोका के वितरक इरोस को और २००५ में पहेली के वितरक यूटीवी को हुए नुकसान की भरपाई की थी।  बॉक्स ऑफिस पर अशोका  के खराब प्रदर्शन का नतीजा था कि शाहरुख़ खान की २००३ में रिलीज़ फिल्म चलते चलते कम कीमत पर बिकी थी।  पहेली की असफलता के बाद शाहरुख़ खान ने अपने घाटा खाने वाले वितरकों को पहला मौका दिया कि वह ओम शांति ओम को खरीदना चाहते हैं या नहीं ! २०१५ में भी शाहरुख़ खान ने फिल्म दिलवाले से हुए नुकसान की भरपाई के लिए वितरकों को २५ करोड़ दिए थे।  जहाँ तक जब हैरी मेट सेजल से हुए घाटे का सवाल है, शाहरुख़ खान ऐसे किसी क्लॉज़ से बंधे नहीं है।  इसके बावजूद वितरक चाहते हैं कि शाहरुख़ खान उनके नुकसान की भरपाई करें।
सबसे विश्वसनीय अक्षय कुमार
अक्षय कुमार की फिल्मों की लागत भारी नहीं होती।  अब तो वह अपनी फिल्मों से बतौर निर्माता भी जुड़ने लगे हैं।  उन्होंने पिछले १९ महीनों में एयरलिफ्ट, हाउसफुल ३, रुस्तम, जॉली एलएलबी २ और टॉयलेट एक प्रेम कथा जैसी हिट फ़िल्में दे दी हैं।  ट्रेड से जुड़े लोगों का अनुमान है कि ३० करोड़ में बनी बड़ा मुनाफा देने जा रही है।  यह फिल्म अब तक ८५ करोड़ के आसपास का बिज़नेस कर चुकी है।  जब तक लेख प्रकाशित होगा टॉयलेट एक प्रेम कथा १०० करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी।  अक्षय कुमार की दूसरी सौ करोड़ क्लब वाली फिल्म में ६० करोड़ की रुस्तम का बॉक्स ऑफिस पर १२७ करोड़ का लाइफ टाइम कलेक्शन, ३५ करोड़ की जॉली एलएलबी २ का ११७ करोड़ और ३५ करोड़ की ही एयरलिफ्ट का १२९ करोड़ का लाइफ टाइम कलेक्शन बॉक्स ऑफिस पर अक्षय कुमार की सफलता का पैमाना है। इस लिहाज़ से आमिर खान भी गजिनी के बाद से लगातार फायदे वाली फ़िल्में देते रहे हैं।
कैसे बदल रहा है गणित !
दक्षिण की फिल्म बाहुबली २ ने बॉक्स ऑफिस पर १५०० करोड़ से ज़्यादा का कलेक्शन कर लिया है। अभी चीनी बाजार बाकी है।  कई जगहों पर यह फिल्म आज भी चल रही है। अक्षय कुमार बॉक्स ऑफिस पर विश्वसनीय साबित हो ही रहे हैं।  ऐसे में रजनीकांत की विज्ञान फंतासी रोबो २ या २.० के निर्माता धर्म संकट में हैं। इस फिल्म के निर्माण में ४५० करोड़ खर्च हो चुके हैं। इतने बड़े बजट की फिल्म को लेकर निर्माताओं के पास दो रास्ते हैं। वह इस फिल्म को वितरकों को बेच कर पहले ही मुनाफा बटोर लें या परसेंट के आधार पर फिल्म खुद से रिलीज़ करें। इस फिल्म में अक्षय कुमार की खल भूमिका ने फिल्म निर्माताओं का संकट ज़्यादा गहरा दिया है। 

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