अक्षय कुमार ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट हैं। उन्होंने बैंकाक से मार्शल आर्ट्स सीख रखी हैं। वह इस युद्ध कला के निपुण बॉलीवुड एक्टर माने जाते हैं। अपनी शुरूआती फिल्मों दीदार, सौगंध तथा खिलाड़ी सीरीज की फिल्मों में उन्होंने इस कला का जम कर प्रदर्शन किया और दर्शकों की वाहवाही लूटी। अपने खतरनाक और दिलेर एक्शन दृश्यों के कारण वह एक्शन के खिताब से भी नवाज़े गए हैं। अपने इस रियल आर्ट्स का रील पर प्रदर्शन करने वाले अक्षय कुमार अब लगातार रील लाइफ में रियल लाइफ को उतारने में लगे हैं। यह इत्तफ़ाक़ ही है कि उनकी ११ अगस्त को रिलीज़ होने जा रही फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा भारतीय प्रधान मंत्री के भारत स्वच्छता अभियान से जुड़ गई है। लेकिन, इसमें कोई शक नहीं कि यह रियल प्रॉब्लम हैं। गाँवों में यह समस्या तो सुरसा की तरह मुंह खोले खडी ही है, शहरों मे भी इसकी ख़ास ज़रुरत है। वैसे रियल लाइफ में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिनमे गाँव में टॉयलेट न होने के कारण दुल्हन ने घर छोड़ दिया। टॉयलेट एकलौती रियल लाइफ पर रील लाइफ नहीं। अक्षय कुमार रियल लाइफ को रील में उतारने के माहिर हैं। पहले और बाद में रिलीज़ उनकी फिल्मे इसका प्रमाण भी हैं।
कानून को आईना दिखाया !
अक्षय कुमार ने इस साल की शुरुआत सीक्वल फिल्म जॉली एलएलबी २ से की थी। लखनऊ शहर की पृष्ठभूमि पर आधारित निर्देशक सुभाष कपूर की कोर्ट ड्रामा जॉली एलएलबी की खासियत थी कि यह देश की न्याय व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य करती थी। वकील किस प्रकार से कानूनी धाराओं का दुरुपयोग करते हैं। किस प्रकार से तारीख़ पे तारीख़ का खेल खेलते हैं। न्याय व्यस्था को भीड़ तंत्र से नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। फिल्म में इस सबको बेहद साफगोई से प्रदर्शित किया गया था। लेखक सुभाष कपूर की तारीफ़ करनी होगी कि उन्होंने अक्षय कुमार के साथ भी वकील जॉली के किरदार को लाउड नहीं होने दिया। उन्होंने पटकथा पर पकड़ बनाये रखते हुए कानून के छेद तो दिखाए ही, पुलिस के निकम्मेपन और कश्मीर के हालात पर भी एक चोट मार दी। दर्शकों ने फिल्म से खुद को जुड़ा हुआ महसूस किया। तभी तो ३० करोड़ में बनी जॉली एलएलबी २ ने बॉक्स ऑफिस पर १९७ करोड़ का ग्रॉस कर लिया।
प्रवासी भारतीयों को 'एयरलिफ्ट' कराने वाले
२०१६ में अक्षय कुमार ने दो रियल लाइफ किरदारों वाली फ़िल्में की। इन फिल्मों को मोटे तौर पर बायोपिक फ़िल्में भी कहा जा सकता है। इराक ने १९९० में कुवैत पर हमला कर दिया था। उस समय कुवैत में १,७०,००० भारतीय फंस गए थे। स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही थी। इराकी सैनिक लूटपाट खून खराबा कर रहे थे। ऐसे समय में एक कुवैती हिंदुस्तानी रंजीत कत्याल आगे आया। उसने इन भारतीयों के रहने और खाने का प्रबंध किया ही, उन्हें कुवैत से बाहर भी निकाल ले गया। इसमें उसके ईराक़ के साथ सम्बन्ध भी काम आये। एयरलिफ्ट का रंजीत कत्याल का करैक्टर रियल लाइफ के एक कुवैती भारतीय बिजनेसमैन मथुन्नी मैथ्यूज का रील करैक्टर था। इस फिल्म के कुछ दूसरे करैक्टर भी रियल लाइफ थे। इसी साल अक्षय कुमार दूसरी बार रियल लाइफ किरदार की भूमिका में नज़र आये। फिल्म थी रुस्तम। यह फिल्म पचास के दशक की मुंबई में घटी एक सनसनीखेज वारदात, जिसमे एक नेवी अफसर अपने व्यवसाई मित्र की हत्या कर देता है, क्योंकि व्यवसाई के उसकी पत्नी से अवैध सम्बन्ध थे । इस हत्याकांड ने न्याय व्यवस्था पर ऐसा असर डाला था कि तत्कालीन प्रचलित जूरी व्यवस्था को ही ख़त्म कर दिया गया। इस हत्याकांड पर निर्माता निर्देशक और अभिनेता सुनील दत्त ने एक फिल्म यह रास्ते हैं प्यार के (१९६३) का निर्माण किया था। लेकिन फिल्म असफल हुई थी। मगर, अक्षय कुमार की फिल्म रुस्तम ने न केवल ६५ करोड़ के बजट के ऐवज में निर्माताओं को २१६ करोड़ वापस लौटाए, बल्कि अक्षय कुमार के श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी दिलाया।
स्पेशल २६ से शुरुआत !
अक्षय कुमार की रियल लाइफ पर फिल्मों का सिलसिला २०१३ से शुरू हुआ, जब उन्होंने १७८७ की मशहूर ओपेरा हाउस डकैती पर फिल्म स्पेशल २६ की। इस डकैती में २६ लोग नकली इनकम टैक्स अफसर और कर्मचारी बन कर हीरा व्यापारियों को लूट ले जाते हैं, वह भी पुलिस और सीबीआई को चैलेंज के साथ। इस फिल्म का मास्टरमाइंड का केंद्रीय किरदार अक्षय कुमार कर रहे थे। हर घटना का बारीक विश्लेषण और प्रदर्शन करने वाली नीरज गुप्ता की इस फिल्म ने दर्शकों को मोहित कर दिया। २०१३ में प्रदर्शिदूसरी रियल लाइफ किरदार फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में अक्षय कुमार ने गैंगस्टर और मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपी दाऊद इब्राहिम के रील लाइफ किरदार शोएब खान का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म फ्लॉप हुई थी।
कुछ दूसरी रील में रियल लाइफ फ़िल्में
ज़रूरी नहीं कि अक्षय कुमार की फिल्मों के किरदार रियल हो। ऎसी तमाम फ़िल्में हैं, जिनमे मुख्य किरदार रियल नहीं था। लेकिन घटनाएं रियल लाइफ थी। मसलन गब्बर इज बैक को ही लीजिये। यह फिल्म देश में फैले भ्रष्टाचार पर प्रहार करती थी। अक्षय कुमार का किरदार भ्रष्ट लोगों को सरेआम दंड दिया करता है। बेबी के किरदार भी एनआईए या एसटीएफ से प्रेरित थे। अक्षय कुमार की २००९ में रिलीज़ फिल्म चांदनी चौक टू चाइना, हालाँकि एक काल्पनिक कथा थी, लेकिन इसमें अक्षय कुमार वाला किरदार खुद अक्षय कुमार की रियल लाइफ कहानी से प्रेरित था। अक्षय कुमार भी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में काम करते हुए बैंकाक गए थे। एक अन्य फिल्म पटियाला हाउस में अक्षय कुमार का सिख युवा गट्टू का किरदार रियल लाइफ के क्रिकेटर मोंटी पनेसर पर आधारित था। एक प्रेस वार्ता में अक्षय कुमार ने इसे स्वीकार भी किया था।
रियल लाइफ पर फिल्मों का हिट होना ज़रूरी नहीं। ऐसी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज़्यादा रिस्पांस नहीं मिलता, अगर इसमें स्टार पावर नहीं है तो। ऐसे में अक्षय कुमार की फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर सफलता अक्षय कुमार का उत्साह बढ़ाने वाली है। वह कहते हैं, "बॉक्स ऑफिस पर आंकड़ों के लिहाज़ से इस प्रकार की फ़िल्में उत्साहित नहीं करती। लेकिन, एयरलिफ्ट ने मुझे प्रेरित किया है कि मैं कुछ और ऎसी फ़िल्में करूँ । क्योंकि, एयरलिफ्ट को बॉक्स ऑफिस पर सफलता भी मिली और प्रशंसा भी।" टॉयलेट एक प्रेमकथा के बाद उनकी कोई रियल या रील लाइफ फिल्म रिलीज़ नहीं होगी। लेकिन, अगले साल फिर अक्षय कुमार की रियल लाइफ फिल्मों का सिलसिला शुरू हो जायेगा। पहले रिलीज़ होगी पैडमैन। गरीब महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होने वाली गन्दगी को ध्यान में रखते हुए सस्ते पैड बनाने वाले मशीन की ईज़ाद करने वाले अरुणाचलम मुरुगनंथम पर केंद्रित हैं पैडमैन। इस फिल्म में अरुणाचलम का किरदार अक्षय कुमार कर रहे हैं। फिल्म के निर्देशक आर बल्कि हैं। दूसरी, रीमा कागती की फिल्म गोल्ड १९४८ के ओलंपिक्स में हॉकी का गोल्ड लाने वाली भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी बलबीर सिंह पर फिल्म में अक्षय कुमार बलबीर सिंह के किरदार में होंगे। यह फिल्म अगले साल १५ अगस्त को रिलीज़ होगी। हो सकता है कि उस समय तक दर्शकों को अक्षय कुमार की दूसरी रियल लाइफ चरक्टेरों में अक्षय कुमार क फिल्मों के नाम सुनाने को मिल जाएँ।
कानून को आईना दिखाया !
अक्षय कुमार ने इस साल की शुरुआत सीक्वल फिल्म जॉली एलएलबी २ से की थी। लखनऊ शहर की पृष्ठभूमि पर आधारित निर्देशक सुभाष कपूर की कोर्ट ड्रामा जॉली एलएलबी की खासियत थी कि यह देश की न्याय व्यवस्था पर तीखा व्यंग्य करती थी। वकील किस प्रकार से कानूनी धाराओं का दुरुपयोग करते हैं। किस प्रकार से तारीख़ पे तारीख़ का खेल खेलते हैं। न्याय व्यस्था को भीड़ तंत्र से नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। फिल्म में इस सबको बेहद साफगोई से प्रदर्शित किया गया था। लेखक सुभाष कपूर की तारीफ़ करनी होगी कि उन्होंने अक्षय कुमार के साथ भी वकील जॉली के किरदार को लाउड नहीं होने दिया। उन्होंने पटकथा पर पकड़ बनाये रखते हुए कानून के छेद तो दिखाए ही, पुलिस के निकम्मेपन और कश्मीर के हालात पर भी एक चोट मार दी। दर्शकों ने फिल्म से खुद को जुड़ा हुआ महसूस किया। तभी तो ३० करोड़ में बनी जॉली एलएलबी २ ने बॉक्स ऑफिस पर १९७ करोड़ का ग्रॉस कर लिया।
प्रवासी भारतीयों को 'एयरलिफ्ट' कराने वाले
२०१६ में अक्षय कुमार ने दो रियल लाइफ किरदारों वाली फ़िल्में की। इन फिल्मों को मोटे तौर पर बायोपिक फ़िल्में भी कहा जा सकता है। इराक ने १९९० में कुवैत पर हमला कर दिया था। उस समय कुवैत में १,७०,००० भारतीय फंस गए थे। स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही थी। इराकी सैनिक लूटपाट खून खराबा कर रहे थे। ऐसे समय में एक कुवैती हिंदुस्तानी रंजीत कत्याल आगे आया। उसने इन भारतीयों के रहने और खाने का प्रबंध किया ही, उन्हें कुवैत से बाहर भी निकाल ले गया। इसमें उसके ईराक़ के साथ सम्बन्ध भी काम आये। एयरलिफ्ट का रंजीत कत्याल का करैक्टर रियल लाइफ के एक कुवैती भारतीय बिजनेसमैन मथुन्नी मैथ्यूज का रील करैक्टर था। इस फिल्म के कुछ दूसरे करैक्टर भी रियल लाइफ थे। इसी साल अक्षय कुमार दूसरी बार रियल लाइफ किरदार की भूमिका में नज़र आये। फिल्म थी रुस्तम। यह फिल्म पचास के दशक की मुंबई में घटी एक सनसनीखेज वारदात, जिसमे एक नेवी अफसर अपने व्यवसाई मित्र की हत्या कर देता है, क्योंकि व्यवसाई के उसकी पत्नी से अवैध सम्बन्ध थे । इस हत्याकांड ने न्याय व्यवस्था पर ऐसा असर डाला था कि तत्कालीन प्रचलित जूरी व्यवस्था को ही ख़त्म कर दिया गया। इस हत्याकांड पर निर्माता निर्देशक और अभिनेता सुनील दत्त ने एक फिल्म यह रास्ते हैं प्यार के (१९६३) का निर्माण किया था। लेकिन फिल्म असफल हुई थी। मगर, अक्षय कुमार की फिल्म रुस्तम ने न केवल ६५ करोड़ के बजट के ऐवज में निर्माताओं को २१६ करोड़ वापस लौटाए, बल्कि अक्षय कुमार के श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी दिलाया।
स्पेशल २६ से शुरुआत !
अक्षय कुमार की रियल लाइफ पर फिल्मों का सिलसिला २०१३ से शुरू हुआ, जब उन्होंने १७८७ की मशहूर ओपेरा हाउस डकैती पर फिल्म स्पेशल २६ की। इस डकैती में २६ लोग नकली इनकम टैक्स अफसर और कर्मचारी बन कर हीरा व्यापारियों को लूट ले जाते हैं, वह भी पुलिस और सीबीआई को चैलेंज के साथ। इस फिल्म का मास्टरमाइंड का केंद्रीय किरदार अक्षय कुमार कर रहे थे। हर घटना का बारीक विश्लेषण और प्रदर्शन करने वाली नीरज गुप्ता की इस फिल्म ने दर्शकों को मोहित कर दिया। २०१३ में प्रदर्शिदूसरी रियल लाइफ किरदार फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा में अक्षय कुमार ने गैंगस्टर और मुंबई बम ब्लास्ट के आरोपी दाऊद इब्राहिम के रील लाइफ किरदार शोएब खान का किरदार किया था। लेकिन, यह फिल्म फ्लॉप हुई थी।
कुछ दूसरी रील में रियल लाइफ फ़िल्में
ज़रूरी नहीं कि अक्षय कुमार की फिल्मों के किरदार रियल हो। ऎसी तमाम फ़िल्में हैं, जिनमे मुख्य किरदार रियल नहीं था। लेकिन घटनाएं रियल लाइफ थी। मसलन गब्बर इज बैक को ही लीजिये। यह फिल्म देश में फैले भ्रष्टाचार पर प्रहार करती थी। अक्षय कुमार का किरदार भ्रष्ट लोगों को सरेआम दंड दिया करता है। बेबी के किरदार भी एनआईए या एसटीएफ से प्रेरित थे। अक्षय कुमार की २००९ में रिलीज़ फिल्म चांदनी चौक टू चाइना, हालाँकि एक काल्पनिक कथा थी, लेकिन इसमें अक्षय कुमार वाला किरदार खुद अक्षय कुमार की रियल लाइफ कहानी से प्रेरित था। अक्षय कुमार भी दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में काम करते हुए बैंकाक गए थे। एक अन्य फिल्म पटियाला हाउस में अक्षय कुमार का सिख युवा गट्टू का किरदार रियल लाइफ के क्रिकेटर मोंटी पनेसर पर आधारित था। एक प्रेस वार्ता में अक्षय कुमार ने इसे स्वीकार भी किया था।
रियल लाइफ पर फिल्मों का हिट होना ज़रूरी नहीं। ऐसी फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज़्यादा रिस्पांस नहीं मिलता, अगर इसमें स्टार पावर नहीं है तो। ऐसे में अक्षय कुमार की फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर सफलता अक्षय कुमार का उत्साह बढ़ाने वाली है। वह कहते हैं, "बॉक्स ऑफिस पर आंकड़ों के लिहाज़ से इस प्रकार की फ़िल्में उत्साहित नहीं करती। लेकिन, एयरलिफ्ट ने मुझे प्रेरित किया है कि मैं कुछ और ऎसी फ़िल्में करूँ । क्योंकि, एयरलिफ्ट को बॉक्स ऑफिस पर सफलता भी मिली और प्रशंसा भी।" टॉयलेट एक प्रेमकथा के बाद उनकी कोई रियल या रील लाइफ फिल्म रिलीज़ नहीं होगी। लेकिन, अगले साल फिर अक्षय कुमार की रियल लाइफ फिल्मों का सिलसिला शुरू हो जायेगा। पहले रिलीज़ होगी पैडमैन। गरीब महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होने वाली गन्दगी को ध्यान में रखते हुए सस्ते पैड बनाने वाले मशीन की ईज़ाद करने वाले अरुणाचलम मुरुगनंथम पर केंद्रित हैं पैडमैन। इस फिल्म में अरुणाचलम का किरदार अक्षय कुमार कर रहे हैं। फिल्म के निर्देशक आर बल्कि हैं। दूसरी, रीमा कागती की फिल्म गोल्ड १९४८ के ओलंपिक्स में हॉकी का गोल्ड लाने वाली भारतीय हॉकी टीम के खिलाड़ी बलबीर सिंह पर फिल्म में अक्षय कुमार बलबीर सिंह के किरदार में होंगे। यह फिल्म अगले साल १५ अगस्त को रिलीज़ होगी। हो सकता है कि उस समय तक दर्शकों को अक्षय कुमार की दूसरी रियल लाइफ चरक्टेरों में अक्षय कुमार क फिल्मों के नाम सुनाने को मिल जाएँ।
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