मीना कुमारी और गुरूदत्त सशक्त एक्टर और अपने आप में जीनियस थे । गुरूदत्त ने लीक से हट कर और बेहतरीन फिल्मों का निर्माण किया । दोनों ही अल्पायु थे ।अपनी उम्र के चालीस बसन्त नहीं देख सके । गुरूदत्त (९ जुलाई १९२५ -१० अक्टूबर १९६४) केवल ३८ साल जिये, जबकि मीना कुमारी (१ अगस्त १९३३- ३१ मार्च १९७२) ३९ साल में जन्नतनसीन हुईं थी । गुरूदत्त ने तो केवल १५ फ़िल्में कीं । साँझ और सवेरा गुरूदत्त की आख़िरी फ़िल्म थी। इस फिल्म में मीना कुमारी उनकी नायिका थीं । संवेदनशील अभिनय के महारथी इन दो एक्टरों ने एक साथ केवल दो फ़िल्में की । इस जोड़ी की दूसरी फिल्म साहब बीवी और ग़ुलाम थी । निर्माता गुरूदत्त की इस फिल्म के निर्देशक अबरार अल्वी थे । साहब बीवी और ग़ुलाम १३वें बर्लिन फिल्म फ़ेस्टिवल में शामिल थी और ऑस्कर में भारत की ऑफिशियल एंट्री भी । इस फिल्म के लिये मीना कुमारी को मिले फ़िल्मफ़ेयर का बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड उन्हें मिले चार अवार्डों में एक था । साँझ और सवेरा के बाद मीना कुमारी ने कोई २० फ़िल्में और की । सुन्नी मुसलमान मीना कुमारी ने कई धार्मिक फिल्मों मे हिन्दू देवी देवताओं के किरदार कुछ इतने सजीव किये कि लोग मीना कुमारी को हिन्दू समझने लगे थे ।आख़िरी फिल्म पाकीज़ा की रिलीज के १४ दिन बाद मीना कुमारी की लिवर में रक्त स्त्राव की वजह से मृत्यु हो गयी । उनकी मृत्यु के बाद बुरी समीक्षा की वजह से नकार दी गयी पाकीज़ा सुपर हिट हो गयी । तिग्मांशु धूलिया विनोद मेहता की किताब मीना कुमारी द क्लासिक बायोग्राफ़ी पर एक फिल्म भी बनाने जा रहे हैं ।
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