Saturday, 29 July 2017

कभी शराब न पीने वाले फ़िल्मी शराबी जॉनी वाकर

बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट यानी बेस्ट का बस कंडक्टर बदरूद्दीन जलालुद्दीन क़ाज़ी धर्मभीरू मुसलमान होने के नाते शराब को छूता तक नहीं था, लेकिन उसका स्क्रीन नाम 'जॉनी वाकर' शराब की मशहूर ब्रांड पर पड़ा तथा उसने पर्दे पर शराबी के किरदारों से इस नाम को चरितार्थ किया । इसके बावजूद वह कभी अश्लील नहीं हुए । उनकी क्लीन कॉमेडी का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके अपनी तीन सौ फिल्मों के किरदारों के लिये बोले गये किसी भी संवाद पर सेंसर की कैंची नहीं चली ।महमूद के आने बाद हिन्दी फिल्मों की कॉमेडी में अश्लीलता की शुरूआत होने के बाद जॉनी वाकर का सितारा अस्त होने लगा । उनकी आखिरी फिल्म कमल हासन की चाची ४२० थी । इस। फिल्म में भी वह हमेशा बोतल के साथ नज़र आने वाले मेकअप आर्टिस्ट बने थे । महमूद बस पर टिकट बाँटते समय लोगों को अपनी अदाकारी से हँसाया करते थे । ऐसे ही एक बार अभिनेता बलराज साहनी ने उन्हें देखा और उनकी अदाकारी से बहुत प्रभावित हुए । उन दिनों, बलराज साहनी गुरूदत्त के लिये बाज़ी लिख रहे थे । उन्होंने बदरूद्दीन का ज़िक्र गुरूदत्त से किया । गुरूदत्त ने क़ाज़ी के लिये तुरंत एक रोल लिखवा लिया । इसके बाद जॉनी वाकर गुरूदत्त की हर फिल्म के स्थाई किरदार बन गये । २९ जुलाई २००३ को उनका निधन हुआ ।

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