बचपन बचपन मेरा बचपन। आज यह गीत सहसा याद आ गया। १९६८ में रिलीज़ हृषिकेश मुख़र्जी की फिल्म आशीर्वाद में अपने पिता को याद करती बेटी के मुंह से निकला यह गीत आँखों में आंसूं ला देने वाला था। इस गीत को परदे पर बंगला अभिनेत्री सुमिता सान्याल गा रही थी। यही सुमिता सान्याल आज नहीं रही। उन्होंने फिल्म में जोगी ठाकुर बने अशोक कुमार की बेटी बिट्टू का किरदार किया था। हालाँकि, फिल्म हिट हुई थी। सुमिता सान्याल के हीरो संजीव कुमार थे। इसके बावजूद सुमिता सान्याल की दूसरी हिंदी फिल्म तीन साल बाद रिलीज़ हुई। १९७१ में सुमिता सान्याल की तीन हिंदी फ़िल्में मेरे अपने गुड्डी और आनंद रिलीज़ हुई हैं। गुड्डी और आनंद फ़िल्में हृषिकेश मुख़र्जी की थी। आनंद में वह हिंदी फिल्मों के दो बड़े सितारों राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के साथ काम कर रही थी। उस दौर में भी दर्शकों द्वारा पसंद किये जाने के बावजूद सुमिता सान्याल को ज्यादा हिंदी फ़िल्में नहीं मिली। उन्होंने गुलज़ार निर्देशित फिल्म मेरे अपने में विनोद खन्ना के साथ अभिनय किया। मगर हिंदी फिल्म निर्माता उनसे दूर ही रहे। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सगीना महतो के बंगला संस्करण में सुमिता ने दिलीप कुमार के साथ काम किया था। लेकिन, हिंदी सगीना में सायरा बानो आ गई थी। अनजाने मेहमान उनकी आखिरी हिंदी फिल्म थी । वास्तविकता तो यह है कि सुमिता सान्याल को बंगला फिल्मों में ही सफलता मिली। उन्होंने ४० बांगला फ़िल्में की। वह मृत्यु के समय ७१ साल की थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 11 July 2017
नहीं रही सुमिता सान्याल
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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