शब्बीर खान की फिल्म मुन्ना माइकल गन्दी बस्ती में रहने वाले लडके मुन्ना की कहानी है, जिसका आदर्श माइकल जैक्सन है। उसी बस्ती में एक गैंगस्टर महिंदर फौजी है, जो डांस सीखना चाहता है। इसके लिए वह मुन्ना से डांस सिखाने के लिए कहता है। चूंकि, मुन्ना के आदर्श माइकल जैक्सन है और खुद मुन्ना माइकल जैक्सन की तरह डांस करना चाहता है तथा गैंगस्टर महिंदर फौजी भी डांस सीखना चाहता है, इसलिए स्वाभाविक है कि फिल्म में डांस होंगे। फिल्म के आधा दर्जन से ज़्यादा गीतों में पाश्चात्य संगीत का ज़ोर है। इन गीतों में कुछ पर टाइगर श्रॉफ अकेले अथवा अपनी नायिका निधि अगरवाल के साथ थिरकते दिखाई दे चुके हैं। इस लिहाज़ से मुन्ना माइकल डांस फिल्म बन जाती है।
डांस फ़िल्में बनाना आसान नहीं। इसके लिए अच्छे निर्देशक के अलावा उस्ताद कोरियोग्राफर और डांस कर सकने वाले अभिनेता अभिनेत्री बड़ी ज़रुरत होते हैं। कोई डांस फिल्म तभी बन सकती है, जब उसके नायक या नायिका में से कोई या दोनों ही अच्छे डांसर हों। साठ के दशक से पहले तक शास्त्रीय और लोक नृत्य पर आधारित फ़िल्में बनती रहती थी। फिल्म के कथानक के लिहाज़ से यह ज़रूरी तत्व हुआ करता था। इन फ़िल्मी नृत्यों में भारत नाट्यम और कुचिपुड़ी प्रभाव वाले नृत्य हुआ करते थे। वी शांताराम ने ठेठ नृत्य आधारित फिल्म झनक झनक बाजे पायल का निर्माण १९५५ में किया था। एक नृत्य गुरु हवेली में अपनी हार का बदला लेने के लिए अपने बेटे को तैयार करता है। इस फिल्म में अभिनेत्री जयश्री ने नायिका की भूमिका की थी। फिल्म में नायक गोपीकृष्ण थे। गोपीकृष्ण तो महान नर्तक थे ही, जयश्री भी कुछ कम नहीं थी। अपनी कहानी, संगीत और नृत्य के यह कारण यह फिल्म हिट हुई, लेकिन इसके बावजूद डांस फ़िल्में बनने का सिलसिला नहीं बना। इसके बावजूद नवरंग जैसी नृत्य प्रधान फिल्म बनी। ज़्यादातर फ़िल्में वी शांताराम ने ही बनाई, जो नृत्य के अच्छे जानकार थे। उनकी फिल्म गीत गाया पत्थरों ने, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, आदि डांस आधारित संगीतमय फ़िल्में थी। उस दौर की मराठी और दक्षिण की अभिनेत्रियों ने अपनी नृत्य क्षमता के बलबूते हिंदी फिल्मों में नृत्य को बनाये रखा। वैसे झनक झनक पायल बाजे से पहले १९४८ में उदय शंकर ने अपनी नृत्यांगना पत्नी अमला शंकर को नायिका बना कर डांस बैले फिल्म कल्पना का निर्माण किया। फिल्म के नायक उदय शंकर ही थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से मात खाई। इस फिल्म से दक्षिण की अभिनेत्री पद्मिनी का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। पद्मिनी ने १९६० में रिलीज़ फिल्म कल्पना में अपनी बहन रागिनी के साथ मन्ना डे के गाये गीत तू है मेरा प्रेम देवता गीत पर यादगार युगल नृत्य किया था।
तवायफ किरदारों ने बचाया डांस को
लेकिन, अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन किरदार के पैदा होने के साथ ही जयप्रदा, मीनाक्षी शेषाद्रि, श्रीदेवी, रेखा, आदि नृत्यांगना अभिनेत्रियां जैसे नृत्य करना ही भूल गई। अलबत्ता इस दौर में रेखा और जयप्रदा ने मुजरे के तौर पर डांस को बचाये रखा। जयाप्रदा की फिल्म सुर संगम ठेठ नृत्य प्रधान फिल्म थी। उनका डेब्यू तो नृत्य संगीत से भरपूर फिल्म सरगम से ही हुआ था। जयाप्रदा का शराबी फिल्म में मीना का किरदार एक तवायफ का था। रेखा का फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर का जोहरा बाई का किरदार आज भी यादगार है। मीनाक्षी शेषाद्रि ने फिल्म दामिनी में शिव तांडव कर दर्शकों को चौंका दिया था। मीनाक्षी शेषाद्रि और आशा पारेख डांस स्कुल चलाती है। वहीदा रहमान की फिल्म गाइड एक नृत्यांगना रोजी की कहानी थी। मीना कुमारी की फिल्म पाकीज़ा और रति अग्निहोत्री की फिल्म तवायफ अपनी महिला किरदारों के कारण मुजरा नृत्य से भरपूर थी।
डांसर की दरकार डांस फिल्मों को
अगर फिल्म इंडस्ट्री के पास कोई अच्छा डांसर हो तो डांस फ़िल्में बन ही जाती हैं। मिथुन चक्रवर्ती को गरीब निर्माताओं का अमिताभ बच्चन कहा जाता था। उन्होंने बॉलीवुड में डिस्को फिल्मों की शुरुआत की। डिस्को डांसर और डांस डांस फिल्मों से हिंदी फिल्मों में डिस्को डांस को लोकप्रिय बनाया। वह अपनी जासूसी फिल्मों में भी डिस्को करते नज़र आते थे। गोविंदा भी अपनी नृत्य प्रतिभा के बलबूते हिंदी फिल्मों के हीरो बने। उन्होंने लव ८६, इलज़ाम, तन बदन, जैसी फिल्मों से अपनी नृत्य प्रतिभा से अपने लिए दर्शक तैयार कर लिए। उनकी नृत्य प्रतिभा को भुनाने के लिए के एस सुभाष ने नाच गोविंदा नाच का निर्माण किया। १९८६ में ही दक्षिण की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने डांस आधारित फिल्म नाचे मयूरी से फिल्म डेब्यू किया। यश चोपड़ा ने माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की नृत्य प्रतिभा का उपयोग अपनी फिल्म दिल तो पागल है में किया। इस फिल्म के लिए करिश्मा कपूर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। यश चोपड़ा ने २००७ में नृत्य फिल्म आजा नचले से माधुरी दीक्षित की वापसी कराने की असफल कोशिश की। सुभाष घई ने ऐश्वर्या राय को लेकर नृत्य फिल्म ताल का निर्माण किया। अपने हिट नृत्य गीतों के कारण यह फिल्म हिट हुई। रामगोपाल वर्मा ने पहले उर्मिला मातोंडकर के साथ रंगीला और फिर अंतरा माली के साथ फिल्म नाच का निर्माण किया।
बॉलीवुड के प्रभाव वाली नृत्य फ़िल्में
हिंदी फिल्मों में नृत्य की बॉलीवुड शैली बन गई है। फिल्मों के डांसों में खालिसपन नहीं होता। किसी नृत्य में भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, फोक, आदि का मिलाजुला असर देखा जा सकता है। गुजराती डांस शैली के नाम पर डांडिया और गरबा की घालमेल समूह नृत्य देखा जा सकता है। ऐसे ही बॉलीवुड डांस पर आधारित फिल्म थी आदित्य चोपड़ा की रब ने बना दी जोड़ी। इस फिल्म की बेमेल जोड़ी एक रियलिटी शो में जीत के बाद ही सही जोड़ी बन जाती थी। फिल्म में शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में थे। कोरियोग्राफर रेमो डिसूज़ा ने बॉलीवुड डांस पर आधारित दो फिल्मों एबीसीडी या एनी बडी कैन डांस और एबीसीडी २ का निर्माण किया। एबीसीडी २ से वरुण धवन को अपनी नृत्य प्रतिभा दिखाने का मौक़ा मिला।
डांस जो आइटम बन गएडांस फ़िल्में बनाना आसान नहीं। इसके लिए अच्छे निर्देशक के अलावा उस्ताद कोरियोग्राफर और डांस कर सकने वाले अभिनेता अभिनेत्री बड़ी ज़रुरत होते हैं। कोई डांस फिल्म तभी बन सकती है, जब उसके नायक या नायिका में से कोई या दोनों ही अच्छे डांसर हों। साठ के दशक से पहले तक शास्त्रीय और लोक नृत्य पर आधारित फ़िल्में बनती रहती थी। फिल्म के कथानक के लिहाज़ से यह ज़रूरी तत्व हुआ करता था। इन फ़िल्मी नृत्यों में भारत नाट्यम और कुचिपुड़ी प्रभाव वाले नृत्य हुआ करते थे। वी शांताराम ने ठेठ नृत्य आधारित फिल्म झनक झनक बाजे पायल का निर्माण १९५५ में किया था। एक नृत्य गुरु हवेली में अपनी हार का बदला लेने के लिए अपने बेटे को तैयार करता है। इस फिल्म में अभिनेत्री जयश्री ने नायिका की भूमिका की थी। फिल्म में नायक गोपीकृष्ण थे। गोपीकृष्ण तो महान नर्तक थे ही, जयश्री भी कुछ कम नहीं थी। अपनी कहानी, संगीत और नृत्य के यह कारण यह फिल्म हिट हुई, लेकिन इसके बावजूद डांस फ़िल्में बनने का सिलसिला नहीं बना। इसके बावजूद नवरंग जैसी नृत्य प्रधान फिल्म बनी। ज़्यादातर फ़िल्में वी शांताराम ने ही बनाई, जो नृत्य के अच्छे जानकार थे। उनकी फिल्म गीत गाया पत्थरों ने, जल बिन मछली नृत्य बिन बिजली, आदि डांस आधारित संगीतमय फ़िल्में थी। उस दौर की मराठी और दक्षिण की अभिनेत्रियों ने अपनी नृत्य क्षमता के बलबूते हिंदी फिल्मों में नृत्य को बनाये रखा। वैसे झनक झनक पायल बाजे से पहले १९४८ में उदय शंकर ने अपनी नृत्यांगना पत्नी अमला शंकर को नायिका बना कर डांस बैले फिल्म कल्पना का निर्माण किया। फिल्म के नायक उदय शंकर ही थी। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से मात खाई। इस फिल्म से दक्षिण की अभिनेत्री पद्मिनी का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। पद्मिनी ने १९६० में रिलीज़ फिल्म कल्पना में अपनी बहन रागिनी के साथ मन्ना डे के गाये गीत तू है मेरा प्रेम देवता गीत पर यादगार युगल नृत्य किया था।
तवायफ किरदारों ने बचाया डांस को
लेकिन, अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन किरदार के पैदा होने के साथ ही जयप्रदा, मीनाक्षी शेषाद्रि, श्रीदेवी, रेखा, आदि नृत्यांगना अभिनेत्रियां जैसे नृत्य करना ही भूल गई। अलबत्ता इस दौर में रेखा और जयप्रदा ने मुजरे के तौर पर डांस को बचाये रखा। जयाप्रदा की फिल्म सुर संगम ठेठ नृत्य प्रधान फिल्म थी। उनका डेब्यू तो नृत्य संगीत से भरपूर फिल्म सरगम से ही हुआ था। जयाप्रदा का शराबी फिल्म में मीना का किरदार एक तवायफ का था। रेखा का फिल्म मुक़द्दर का सिकंदर का जोहरा बाई का किरदार आज भी यादगार है। मीनाक्षी शेषाद्रि ने फिल्म दामिनी में शिव तांडव कर दर्शकों को चौंका दिया था। मीनाक्षी शेषाद्रि और आशा पारेख डांस स्कुल चलाती है। वहीदा रहमान की फिल्म गाइड एक नृत्यांगना रोजी की कहानी थी। मीना कुमारी की फिल्म पाकीज़ा और रति अग्निहोत्री की फिल्म तवायफ अपनी महिला किरदारों के कारण मुजरा नृत्य से भरपूर थी।
डांसर की दरकार डांस फिल्मों को
अगर फिल्म इंडस्ट्री के पास कोई अच्छा डांसर हो तो डांस फ़िल्में बन ही जाती हैं। मिथुन चक्रवर्ती को गरीब निर्माताओं का अमिताभ बच्चन कहा जाता था। उन्होंने बॉलीवुड में डिस्को फिल्मों की शुरुआत की। डिस्को डांसर और डांस डांस फिल्मों से हिंदी फिल्मों में डिस्को डांस को लोकप्रिय बनाया। वह अपनी जासूसी फिल्मों में भी डिस्को करते नज़र आते थे। गोविंदा भी अपनी नृत्य प्रतिभा के बलबूते हिंदी फिल्मों के हीरो बने। उन्होंने लव ८६, इलज़ाम, तन बदन, जैसी फिल्मों से अपनी नृत्य प्रतिभा से अपने लिए दर्शक तैयार कर लिए। उनकी नृत्य प्रतिभा को भुनाने के लिए के एस सुभाष ने नाच गोविंदा नाच का निर्माण किया। १९८६ में ही दक्षिण की नृत्यांगना सुधा चंद्रन ने डांस आधारित फिल्म नाचे मयूरी से फिल्म डेब्यू किया। यश चोपड़ा ने माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की नृत्य प्रतिभा का उपयोग अपनी फिल्म दिल तो पागल है में किया। इस फिल्म के लिए करिश्मा कपूर का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। यश चोपड़ा ने २००७ में नृत्य फिल्म आजा नचले से माधुरी दीक्षित की वापसी कराने की असफल कोशिश की। सुभाष घई ने ऐश्वर्या राय को लेकर नृत्य फिल्म ताल का निर्माण किया। अपने हिट नृत्य गीतों के कारण यह फिल्म हिट हुई। रामगोपाल वर्मा ने पहले उर्मिला मातोंडकर के साथ रंगीला और फिर अंतरा माली के साथ फिल्म नाच का निर्माण किया।
बॉलीवुड के प्रभाव वाली नृत्य फ़िल्में
हिंदी फिल्मों में नृत्य की बॉलीवुड शैली बन गई है। फिल्मों के डांसों में खालिसपन नहीं होता। किसी नृत्य में भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, फोक, आदि का मिलाजुला असर देखा जा सकता है। गुजराती डांस शैली के नाम पर डांडिया और गरबा की घालमेल समूह नृत्य देखा जा सकता है। ऐसे ही बॉलीवुड डांस पर आधारित फिल्म थी आदित्य चोपड़ा की रब ने बना दी जोड़ी। इस फिल्म की बेमेल जोड़ी एक रियलिटी शो में जीत के बाद ही सही जोड़ी बन जाती थी। फिल्म में शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में थे। कोरियोग्राफर रेमो डिसूज़ा ने बॉलीवुड डांस पर आधारित दो फिल्मों एबीसीडी या एनी बडी कैन डांस और एबीसीडी २ का निर्माण किया। एबीसीडी २ से वरुण धवन को अपनी नृत्य प्रतिभा दिखाने का मौक़ा मिला।
जिन गीतों में खालिसपन नहीं होता, वह आइटम डांस बन सकते हैं। संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास का डोला रे डोला गीत ऐश्वर्या राय बच्चन और माधुरी दीक्षित की बेमिसाल नृत्य प्रतिभा और केमिस्ट्री के कारण ख़ास बन गया। सरोज खान ने यह गीत कत्थक और भरतनाट्यम को मिला कर तैयार किया था। हेलेन अच्छी डांसर थी। फिल्म शोले में उनके जलाल आगा के साथ गीत महबूबा महबूबा की ज़रुरत नहीं थी। यह ख़ास आइटम सांग के बतौर रखा गया था। माधुरी दीक्षित पर भी कुछ गीत आइटम के तौर पर रखे गए। मसलन, फिल्म तेज़ाब का एक दो तीन, बेटा का दिल धक् धक् करने लगा, खलनायक का चोली के पीछे क्या है, अंजाम का ज़ोराजोरी चने के खेत में, सैलाब का हमको आजकल है इंतज़ार, आदि गीत उनके उत्तेजक नृत्य के कारण आइटम सांग के बतौर याद किये जाते हैं। इसी प्रकार से दबंग का मुन्नी बदनाम हुई, मिस्टर इंडिया का काटे नहीं कटते, दिल से का छइयां छइयां, आदि गीत आइटम डांस के बतौर शामिल किये गए। कटरीना कैफ ने चिकनी चमेली और शीला की जवानी गीत में बढ़िया आइटम डांस किया।
जिन्होंने डांस से सजाई फ़िल्में
शुरूआती दौर के बॉलीवुड में बी सोहनलाल और बी हीरालाल भाइयों ने नृत्य को परवान चढ़ाया। यह दोनों कत्थक के उस्ताद थे। इन दोनों ने शुरूआती दौर की ज़्यादातर फिल्मों की कोरियोग्राफी की। इनके अलावा लच्छू महाराज, चिमन सेठ, कृष्ण कुमार, आदि ने शुरूआती फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया । आजकल गणेश आचार्य, गणेश हेगड़े, श्यामक डावर, सरोज खान, अहमद खान, राजू खान, फरहा खान, वैभवी मर्चेंट, रेमो डिसूज़ा, टेरेंस लेविस, आदि नृत्य संयोजन का काम बखूबी सम्हाले हुए हैं।
शुरूआती दौर के बॉलीवुड में बी सोहनलाल और बी हीरालाल भाइयों ने नृत्य को परवान चढ़ाया। यह दोनों कत्थक के उस्ताद थे। इन दोनों ने शुरूआती दौर की ज़्यादातर फिल्मों की कोरियोग्राफी की। इनके अलावा लच्छू महाराज, चिमन सेठ, कृष्ण कुमार, आदि ने शुरूआती फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया । आजकल गणेश आचार्य, गणेश हेगड़े, श्यामक डावर, सरोज खान, अहमद खान, राजू खान, फरहा खान, वैभवी मर्चेंट, रेमो डिसूज़ा, टेरेंस लेविस, आदि नृत्य संयोजन का काम बखूबी सम्हाले हुए हैं।
अपनी फिल्म में डांस की बात करें तो सीरियस अभिनेता राजकुमार राव भी डांस फिल्म करना चाहते हैं। निधि अगरवाल जैसे नवोदित अभिनेत्री भी डांस पर ध्यान दे रही है। टाइगर श्रॉफ का जलवा तेज़ रफ़्तार डांस के बलबूते ही है। लेकिन टेरेंस लेविस जैसे कोरियोग्राफर का मानना है कि आजकल की डांस आधारित फिल्मों में नवीनता नहीं होती। यह फ़िल्में हॉलीवुड की डांस फिल्मों की नक़ल ही होती हैं। उनके विचार से हॉलीवुड फिल्मों में डांस सशक्त कहानी के साथ जुड़ा होता है। वह कहते हैं, "मैंने अब तक जितनी बॉलीवुड की डांस फ़िल्में देखी हैं, सभी हॉलीवुड फिल्मों की नक़ल में हैं।" क्या मुन्ना माइकल के साथ अच्छी कहानी भी जुडी होगी ?
अल्पना कांडपाल
अल्पना कांडपाल
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