Sunday 6 June 2021

५जी के खिलाफ जूही चावला: चिंता या विरोध ?



बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री जूही चावला ने, दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर भारत सरकार के संचार मंत्रालय की ५जी योजना को रोके जाने की गुहार लगाई है। उनके अनुसार इस योजना के लागू होने पर पृथ्वी के इकोसिस्टम पर गंभीर दुष्प्रभाव पडेगा। उन्होंने यह दावा अपनी निजी शोध यात्रा में हुए अनुभवों  और देश में हुए अध्ययनों से निकाला है।


पर्यावरण को भारी नुकसान- जूही चावला का कहना है कि संचार मंत्रालय की ५जी योजना लागू हो जाने पर, धरती पर न केवल मनुष्य बल्कि पशु पक्षी, कीट तथा पौंधों को भी भारी नुकसान होगा। पृथ्वी पर कोई भी पौंधा इसके दुष्प्रभाव से बच नहीं पायेगा। जूही चावला का दावा है कि चूंकि ५जी स्पेक्ट्रम का प्रभाव हर दिन २४ घंटे, साल के ३६५ दिन लगातार पड़ता रहेगा। इस के परिणामस्वरुप उत्पन्न रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरऍफ़) रेडिएशन, आज की तुलना में १० गुना से १०० गुना तक ज्यादा होगा। इसके कारण से होने वाला नुकसान स्थाई प्रकृति का होगा।


विरोध करने का कारण ! -कहा जा रहा है कि जूही चावला ने यह दावा मुंबई, पुणे, दिल्ली, पटना, आदि शहरों की अपनी यात्रा के दौरान सामने आये गंभीर मुद्दों के आधार पर किया है। दावा है कि कैंसर, ह्रदय रोग और मधुमेह की बीमारियाँ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रदूषण के कारण होती हैं। इस मामले में उन्होंने दस हजार से ज्यादा किये गए अध्ययनों का उल्लेख किया है। क्लिनिकल प्रमाण है कि बीमार या चोटिल होने से डीएनए बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। हलफनामे में मांग की गई है कि अधिकारियों को निर्देश दिए जाएँ कि वह यह प्रमाणित करें कि ५जी तकनीक मानव जीवन के लिए सुरक्षित है। इससे आदमी औरत, बच्चे शिशु, पशु तथा समस्त जीव जंतु प्रभावित नहीं होते।


सरकार की पक्षधर जूही - जूही चावला वर्तमान केंद्र सरकार को समर्थन करती रहती हैं। सीएए, तीन तलाक़, पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक, आदि पर वह हमेशा सरकार के साथ नज़र आई है। इसलिए, उनके इस मुक़दमे के परिणामस्वरुप तीव्र प्रतिक्रिया होना स्वभाविक है। कहा जा रहा है कि जूही चावला सरकार समर्थक हैं. तो वह क्यों कर अपनी सरकार के खिलाफ कोई मुक़दमा दायर करेंगी! इसके अलावा उनके यात्रा शोध को भी महत्त्व दिया जा रहा है। यहाँ बताते चलें कि कुछ संगठन और व्यक्ति ५जी तकनीक का हमेशा विरोध करते रहे हैं। इसे कोरोना महामारी से भी जोड़ा जा चुका है। हालाँकि, जूही चावला ने कोरोना को इसका परिणाम तो नहीं बताया है, पर दावा करने वाले उत्साहित हो सकते हैं। क्योंकि, जूही चावला पर्यावरण कार्यकर्ता भी है।


क्या कोई चाल है! - क्या जुही चावला भारत में ५जी तकनीक के ज़ल्द आने में बाधा डालना चाहती हैं ? भारत में ५जी तकनीक पर रिलायंस जिओ काम कर रही है। जिओ ने बिना किसी दूसरे देश की मदद के देसी ५जी तकनीक का विकास किया है। इसके फलस्वरूप चीन और अमेरिका की कुछ कंपनियों को २०० बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। इसीलिए जूही चावला कानूनी बाधा उत्पन्न कर रही है।  जानकारों का यह मानना है कि अब दुनिया में ६जी तकनीक आने वाली है। कुछ देशो में इस पर काम भी शुरू हो चुका है। यह तकनीक भारतीय सेना के अलावा तकनीकी उन्नति, अर्थ व्यवस्था, सुरक्षा और जीवन के लिए मददगार है। जूही चावला इस में बाधा डाल रही हैं।


क्या साज़िशों का टूल किट - जूही चावला के विरोधी यह दावा करते हैं कि जूही खुद पर्यावरण कार्यकर्ता है। क्या उनको अपने घर की बात नहीं मालूम? जूही के पति जय मेहता एक उद्योगपति है। वह एक सीमेंट कंपनी के मालिक हैं। सीमेंट के निर्माण की प्रक्रिया मे पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का ७ प्रतिशत उत्सर्जन होता है। क्या जूही चावला ने अपने पति की फैक्ट्री के खिलाफ कोई आवाज़ उठाई ? अगर, जूही चावला ऐसा नहीं कर रही है तो क्या वह देश के विकास के खिलाफ हो रही साजिशों का एक टूल भर हैं ?


विरोधी बॉलीवुड - जूही चावला को दोष देने वाले बॉलीवुड के प्रगति विरोध रुख का हवाला देते हैं। आमिर खान गुजरात में नर्मदा बचाओ आन्दोलन में सक्रिय रहे थे। मुंबई में आरे जंगलों के पास आरे शेड को रुकवाने में बॉलीवुड ने बढचढ कर भूमिका निबाही थी। इसी के फलस्वरूप महाराष्ट्र की अगाडी सरकार ने आरे शेड का निर्माण रुकवा दिया। हालाँकि, आरे के जंगलों में अवैध कब्ज़े की घटनाए होती रहती है। बॉलीवुड ने, अहमदाबाद से मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन का भी विरोध किया है। फरहान अख्तर, विशाल भरद्वाज, हंसल मेहता, अनुराग कश्यप, आदि सीएए और एनआरसी लागू कराने के भारत सरकार के बिल की खिलाफत में धरने पर भी बैठे थे। फिल्म उद्योग से तपसी पन्नू, दिलजीत दोसांझ, मीका सिंह, आदि ऐसी हस्तियाँ हैं, जो किसान आन्दोलन के समर्थन में सरकार का मुखर विरोध करते है। जूही चावला के मुकदमे को इसी दृष्टि से देखा जा रहा है।


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