१५ जून २००१ को निर्माता नितिन केनी और निर्देशक अनिल शर्मा की शक्तिमान द्वारा लिखित फिल्म ग़दर एक प्रेम कथा रिलीज़ हुई थी.
देश विभाजन के दौर में, एक सिख युवक के मुस्लमान युवती से विवाह की कहानी की पृष्ठभूमि वाली इस फिल्म ने शक्तिमान के धुंआधार संवादों ने ग़दर मचा दिया था. इन संवादों पर, जहाँ सिनेमाहाल में बैठे दर्शकों ने तालियाँ मचाई, वही मुस्लमान जनता ने इन्हें जहरीला बताया, जो पाकिस्तान की बेइज्जती करने वाले थे.
इस फिल्म ने अपने एक्शन और ढाई किलों के घूंसे के लिए मशहूर अभिनेता सनी देओल की एक्शन इमेज पुख्ता तो की ही, उन्हें रोमांटिक हीरो भी बना दिया. सनी देओल के साथ खूबसूरत तारिका अमीषा पटेल का रोमांस दिलों को छूने वाला था. इस फिल्म के एक्शन दृश्य गज़ब के थे.
फिल्म के ज़्यादातर हिस्से लखनऊ के विभिन्न हिस्सों में शूट हुए थे. अमरीश पुरी और लिलेट दुबे के बेमिसाल अभिनय ने फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर जमाने में काफी मदद की.
एक तरह जहाँ सिख हिन्दू ढोल ताशों के साथ फिल्म देखने सिनेमाघर जाते, वही, सिनेमाघरों के बाहर मुस्लिम आबादी विरोध में बैठी नज़र आती.
लखनऊ में यह फिल्म आनंद थिएटर में प्रदर्शित हुई थी. फिल्म को लीला सिनेमा के मालिक मामा जी ने, आनंद थिएटर किराए में लेकर रिलीज़ किया था.
ग़दर एक प्रेमकथा के निर्माण में १९ करोड़ खर्च हुए थे. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर १३३ करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया था. इस फिल्म की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ग़दर के सामने आमिर खान की फिल्म लगान भी रिलीज़ हुई थी. अंग्रेजो से लगान माफ़ करवाने के लिए उनसे किसानों द्वारा क्रिकेट मैच जीतने की इस कहानी वाली फिल्म लगान की सफलता पर किसी को संदेह नहीं था. परन्तु, यह फिल्म शुरुआत से ही ग़दर एक प्रेम कथा को पछाड़ नहीं पाई.
लगान के निर्माण में २५ करोड़ खर्च हुए थे. फिल्म ने ९६ करोड़
के आसपास का कारोबार किया था. फिल्म के निर्देशक आशुतोष गोवारिकर थे. निर्माता
आमिर खान की फिल्म ग़दर के चुटीले संवाद लखनऊ के व्यंग्यकार केपी सक्सेना ने लिखे
थे. अब यह बात दीगर है कि लगान जैसी बड़ी सफल फिल्म लिखने वाले सक्सेना को बॉलीवुड
में ख़ास सफलता नहीं मिल सकी.
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