Tuesday, 15 June 2021

धारदार जुबान वाले प्रतिभावान संगीतकार सज्जाद



आज की तिथि में, १९१७ में, आज के मध्य परदेश के सीतामऊ गाँव में जन्मे फिल्म संगीतकार सज्जाद या सज्जाद हुसैन इस बात के ज्वलंत उदाहरण हैं कि बॉलीवुड में वही प्रतिभाशाली लम्बी पारी खेल सकता है, जिसका या तो कोई गॉड फादर हो या जो तेल मालिश में माहिर हो.


सज्जाद में दोनों गुण नदारद थे. उनकी जुबान तो तलवार से भी ज्यादा धारदार थी. वह कुछ ऐसा बोलते कि सामने वाला तिलमिला उठाता और दुबारा वापस नहीं आता. अन्याय उन्हें मंजूर नहीं था. उस पर करेला पर नीम यह कि वह काफी गुस्सैल भी थे. गुस्सा उनकी नाक पर रहता था. नूरजहाँ जैसी गायिका से भिड जाना भी उन्हें मंजूर था.


वह महान प्रतिभाशाली थे. पर वह अपनी प्रतिभा का अच्छा उपयोग कर पाने में नाकाम रहे. यही कारण था कि वह अपने तीन दशक लम्बे फिल्म करियर यह में मुश्किल से २० फ़िल्में कर पाए. २१ जुलाई १९९५ को ७८ साल की उम्र में उनका निधन हो गया.  


बतौर कंपोजर सज्जाद ने फिल्म गाली के चार गीत लिखे. उनकी स्वतंत्र फिल्म निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म दोस्त (१९४४) थी. सज्जाद ने के आसिफ की फिल्म हलचल और दिलीप कुमार- मधुबाला की फिल्म संगदिल को संगीत दिया. रुस्तम सोहराब उनकी आखिरी फिल्म थी.


सज्जाद के गुस्से के अंदाज़ इसी से लगाया जा सकता है कि फिल्म दोस्त के तीन गीत नूरजहाँ ने गाये थे, जो बड़े हिट साबित हुए थे. पर जब इस फिल्म के निर्माता और नूरजहाँ के पति शौकत हुसैन रिज़वी ने इन गीतों की सफलता का पूरा श्रेय नूरजहाँ को दे दिया तो सज्जाद इतने नाराज़ हुए कि उन्होंने फिर कभी रिज़वी और नूरजहाँ के साथ कोई फिल्म नहीं की.


सज्जाद हुसैन के रचे गीतों को सुरैया, लता मंगेशकर और आशा भोंसले ने भी गया था. लता मंगेशकर तो उन्हें अपने पसंदीदा संगीतकारों में रखती थी.


उन्हें वायलिन, वीणा, जलतरंग, बांसुरी, पियानो, बैंजो, अकॉर्डियन, हवईन, स्पेनिश गिटार, सितार, क्लेरीनेट, बीन और मैन्डोलिन जैसे वाद्य यन्त्र बजाने में महारत हासिल थी. 

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