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Wednesday 25 April 2018

ऊँघने को मज़बूर कर देता है वीरे दी वेडिंग का ट्रेलर


शशांक घोष की फिल्म वीरे दी वेडिंग का ट्रेलर आज रिलीज़ हुआ।  किसी फिल्म का ट्रेलर, उस फिल्म के प्रति दर्शकों की जिज्ञासा और  उत्सुकता बढ़ाता है।  दर्शक फिल्म से मनोरंजन की अपेक्षा करने लगते हैं।  वीरे की वेडिंग का ट्रेलर देखने के बाद कोई जिज्ञासा पैदा नहीं होती।  मन में फिल्म को देखने की उत्सुकता नहीं पनपती।  इस फिल्म से  अपेक्षा करने का सवाल ही  नहीं उठता है।  छह साल पहले, एक्टर सैफ अली खान से शादी कर करीना कपूर खान इस फिल्म में इसी साल आनंद आहूजा से शादी कर सोनम कपूर आहूजा बनाने जा रही सोनम के साथ नायिका हैं।  इन दोनों के साथस्टारडम के लिए अनारकली ऑफ़ आरा में अपना सब कुछ  झोंक देने वाली स्वरा भास्कर है।  इन तीनों के साथ चौंकोंण बना रही हैं थोड़ी वजनदार शिखा तलसानिया। फिल्म में इन चारों के किरदार क्या है, नहीं मालूम।  लेकिन, इतना  ज़रूर प्रचारित किया गया है कि यह चार सहेलियों की कहानी है।  ट्रेलर में यह चालों ज़रुरत से ज़्यादा चमकीले कपड़ों और गहनों  ओवरडोज़ से बेहाल ओवर एक्टिंग करती नज़र आती है। इनके शरीर के हावभाव कुछ दूसरा बयान करते  हैं और संवाद बिलकुल अलग।  उम्र के तीसवें पड़ाव में जूझ रही यह तीनों अभिनेत्रियां चुकी चुकी सी लगती हैं।  यहीं कारण है कि  जब तक वीरे दी वेडिंग का २ मिनट ४९ सेकंड का ट्रेलर ख़त्म होता है, ऊंघाई के एक दो झोंके लग चुके होते है।  वीरे  दी वेडिंग १ जून को रिलीज़ हो रही है।  इसलिए यह यकीन के साथ कहा जा सकता है कि  दर्शकों के लिए यह फिल्म बाहर  गर्मी से बचते हुए दो-ढाई घंटे सोने का  अच्छा जरिया हो सकती है।  

विक्रम भट्ट के शो ट्विस्टेड २ का ट्रेलर - क्लिक करें 

Friday 30 March 2018

'द जोया फैक्टर' के लिए अनुजा चौहान से मिलेंगी सोनम कपूर

सोनम कपूर, एक फिल्म में जोया सोलंकी के ​रूप में नजर आएँगी ।​  अनुजा चौहान के उपन्यास "द जोया फैक्टर" के बहुत ही प्यारे कैरेक्टर को बड़े परदे पर लाया जा रहा है। कहानी जोया  सिंह सोलंकी के आसपास घूमती है, जो एक विज्ञापन एजेंसी में एक कार्यकारी अधिकारी के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम से मिलती है ।​ वह क्रिकेट विश्व कप में टीम के लिए भाग्यशाली ​साबित होती है।​ सोनम किताबों की बहुत बड़ी शौक़ीन है ।​  उन्हें अनुजा चौहान की लिखी पुस्तक द जोया फैक्टर की कहानी बेहद पसंद आई थी ।​  उन्होंने तत्काल इस पुस्तक पर फिल्म बनाने का फैसला कर लिया था ।​  अब तो वह मुख्य किरदार को भी कर रही है ।​ अतएव, वह जल्द ही अपने कैरेक्टर को बेहतर ढंग से समझने के लिए लेखिका से मिलेंगी ।​ ​इस बारे में सूत्र बताते है, "सोनम फिल्म में अपनी भूमिका के लिए ​अच्छी तैयारी करना चाहती है ।​ ​वह कहानी और उसके करेक्टर को विस्तार से समझने के लिए अनुजा चौहान से से मिलने के लिए उत्सुक हैं। सोनम ​कहती हैं, "मैंने किताब पढ़ ली है । मुझे इस किरदार ​से​ प्यार​ हो गया​ है​ । अनुजा चौहान बहुत लंबे समय तक कैरेक्टर के साथ जीते हुए नॉवेल को लिखा है । इसलिए वे कैरेक्टर को बेहतर तरीके से जानती है।  इसी लिए मैं फिल्म की शूटिंग शुरू करने से पहले अनुजा से मिलना ​चाहती हूं​, क्यूंकि ज़ोया पर विस्तार से जानना ज़रूरी है । ​


टर्निंग पॉइंट है  ओमर्टा का दूसरा पोस्टर - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

Tuesday 13 February 2018

अब अस्सी के दशक में Rheson फैशन ब्रांड

अनिल कपूर की बेटियों रिया कपूर (Rhea Kapoor) और सोनम कपूर (Sonam Kapoor) के नामों का रीमिक्स फैशन ब्रांड  रीसोन (Rheson) अब अतीत के कुछ ज़्यादा पीछे जाने को तैयार है।  अपने इस ब्रांड के अंतर्गत इन दोनों बहनों ने पिछली बार १९९० के दशक को अपनी फैशन लाइन में उकेरा था। अब वह १९८० के दशक को ब्रांड में उतारने जा रहे हैं।  बकौल रिया कपूर, मैं और सोनम इसी दशक में ;पैदा हुए थे।  उस समय, जब उनकी  किस  प्रकार के कपडे पहना करती थी, यह उनके जेहन में चस्पा है।  वह इन्हे  अपनी फैशन लाइन में उतारना चाहती हैं।  हालाँकि, यह लाइन कुछ महँगी होगी, लेकिन अतीत का मज़ा लूटना भी तो कुछ होता है।  इस लाइन में हर आयोजन के लिए पोशाकें होंगी।  मसलन, शाम को क्या पहना जाए।  पार्टी में क्या हो ! कॉकटेल पार्टी हो तो क्या सूट करेगा, आदि आदि।  कपूर बहनों के इस ब्रांड को अभी एक साल से थोड़ा ज़्यादा का समय बीता है, लेकिन इस ब्रांड में फैशनपरस्त लोगों के बीच अपनी पहचान बना ली है।  कपूर बहनों का इरादा अपने इस ब्रांड को दुनिया में  स्थापित करने का है।  यहाँ बताते चलें कि रिया अपनी बहन की फिल्मों की पोशाकें खुद तैयार करती हैं।  सोनम कपूर, करीना कपूर खान और ऋचा चड्डा  की फिल्म वीरे दी वेडिंग की तमाम पोशाकें  रीसोन ब्रांड  द्वारा ही बनाई गई हैं। 




 

Saturday 13 January 2018

एक जून को सोनम कपूर की वीरे दी वेडिंग

अब तय हो गया है कि सोनम कपूर की वीरे दी वेडिंग २ जून २०१८ को रिलीज़ होगी। यह फिल्म दोस्तों और दोस्ती की कहानी है। लेकिन, यह दोस्ती किसी पुरुष की पुरुष से या महिला की पुरुष से दोस्ती की कहानी नहीं है। फिल्म में चार प्रमुख चरित्र है, चारों ही महिला चरित्र है। चार युवा लड़कियों की मौज मस्ती और गंभीर दोस्ती की कहानी है वीरे दी वेडिंग। शुरू में शशांक घोष की इस फिल्म को १८ मई को रिलीज़ होना था। लेकिन, अब यह फिल्म अंतिम रूप से १ जून को रिलीज़ होगी। इस फिल्म में सोनम कपूर और करीना कपूर के अलावा स्वरा भास्कर और शिखा तलसानिया चार दोस्तों की भूमिका में हैं। वीरे दी वेडिंग को करीना कपूर ने अपने गर्भवती होने से पहले साइन की थी । बाद में अपने बच्चे का ख्याल रखने के लिए उन्होंने फिल्म की शूटिंग आगे नहीं की। फिल्म का निर्माण सोनम कपूर की बहन रिया कपूर ने एकता कपूर के साथ मिल कर किया है। ख़ास बात यह है कि फिल्म की रिलीज़ शादी के मौसम में हो रही है। शादी का मौसम और वीरे दी वेडिंग टाइटल ख़ास और आम को आकर्षित कर सकता है ! यही सोच कर एकता कपूर ने फिल्म को १ जून को रिलीज़ करना तय किया है। एकता कपूर कहती हैं, “यह निश्चित रूप से अविस्मरणीय शादी होगी। हम इसे १ जून को रिलीज़ करने का ऐलान कर बेहद खुश हैं।” लेकिन, जो एक बात एकता कपूर ने नहीं बताई, वह यह कि एक जून को एकता के भतीजे और तुषार के सरोगेट बेटे लक्ष्य का जन्मदिन भी है। वीरे दी वेडिंग को मेहुल सूरी और निधि मेहरा ने लिखा है। फिल्म की निर्माता रिया कपूर का मानना है कि यह फिल्म इंडस्ट्री में नई शुरुआत करेगी। वह कहती हैं, “ऐसा प्रयास पहले कभी नहीं किया गया। निश्चित रूप से यह फिल्म दर्शकों के लिए मजेदार अनुभव साबित होगी।” वीरे दी वेडिंग की एक दिलचस्प बात यह भी है कि सबसे पहले फिल्म के लिए कैटरीना कैफ और हुमा कुरैशी को साइन किया गया था। लेकिन, यह दोनों एक्ट्रेस बीच में ही फिल्म से निकल गई। उनकी जगह करीना कपूर और स्वरा भास्कर ने ले ली। इस फिल्म में सुमीत व्यास ने करीना कपूर के पुरुष मित्र की भूमिका की है। उनके अलावा विवेक मुश्रान भी अहम् भूमिका में हैं। इस फिल्म की तमाम शूटिंग दिल्ली और मुंबई के अलावा बैंकाक में फुकेट में हुई है। 
अब क्यों ढकी नज़र आएगी पद्मावती की कमर जानने के लिए क्लिक कीजिये 

Friday 5 January 2018

क्या उतार पर है बायोपिक फिल्मों का बुखार?

क्या बायोपिक फिल्मों का बुखार उतार पर है ? किशोर कुमार, गुलशन कुमार, ममता कुलकर्णी, मीना कुमारी पर बायोपिक फिल्मों के निर्माण के ऐलान को ठन्डे बस्ते में डाले जाने से तो ऐसा ही  लग रहा था। अब, खबर है कि सायना नेहवाल पर फिल्म को भी डिब्बा बंद कर दिया गया है।  निर्देशक अमोल गुप्ते की इस बायोपिक फिल्म में सायना नेहवाल का किरदार श्रद्धा कपूर करने वाली थी। लेकिन, दाऊद इब्राहीम की बहन हसीना पार्कर पर श्रद्धा कपूर अभिनीत फिल्म हसीना पार्कर की बुरी असफलता के बाद, सायना नेहवाल वाले प्रोजेक्ट पर फिलहाल ज्यादा जोर न दिए जाने की नीति बना दी गई है। हालाँकि, इस फिल्म के लिए श्रद्धा ने अपनी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी थी। वह सायना नेहवाल से भी फीडबैक ले चुकी थी। एक खबर यह भी है कि श्रद्धा कपूर खुद को सायना नेहवाल और उनके खेल में ढाल नहीं पा रही थी। हालाँकि, बैडमिंटन खिलाड़ी सायना पर फिल्म को फिलहाल के लिए ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया है, लेकिन, एक और बैडमिंटन चैंपियन पीवी सिन्धु पर बायोपिक को लेकर सोनू सूद उत्साहित बने हुए हैं। सिन्धु ने भी सोनू सूद को अपनी बायोपिक बनाए जाने का पूरा अधिकार दे दिया है। उधर अभिनेत्री सोनम कपूर के भी चित्रकार अमृता शेरगिल पर बायोपिक करने से मना कर देने की खबर है। हालाँकि, कुछ समय पहले ही सोनम कपूर ने इस प्रोजेक्ट में उत्साह दिखाते हुए, कहा था कि वह खुद पेंटर है और ऐसा किरदार करना चाहेंगी। उन्होंने बिना हिचकिचाहट  अमृता शेर गिल का किरदार करने पर सहमति दे दी थी। लेकिन, अब सोनम कपूर ने इस बायोपिक में काम करने से साफ़ मना कर दिया है। काफी समय पहले से संजय लीला भंसाली अमृता प्रीतम और साहिर की प्रेम कहानी पर फिल्म बनाना चाहते थे। लेकिन, फिलहाल, पद्मावत की रिलीज़ में व्यस्त होने के कारण वह इस प्रेम कहानी की ओंर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। हो सकता है कि पद्मावत के रिलीज़ होने के बाद बात साफ़ हो।  फिलहाल तो ऐसा प्रतीत होता है कि फिल्म वालों पर चढ़ा बायोपिक का मलेरिया उतार पर है। संभव है कि ज़ल्द ही कुछ दूसरी ऐलान फ़िल्में भी बंद किये जाने की खबरें सुर्ख हों। 

Thursday 25 August 2016

कुपोषण के खिलाफ सोनम कपूर की जंग



फाइट हंगर फाउंडेशन’ यह मुंबई स्थित एनजीओ, कुपोषण की समस्या पर युध्दस्तर पर निपटने के लिए कार्य कर रहें हैं। और अब उन्होंने अभिनेत्री सोनम कपूर को अपना गुडविल एम्बेसेडर घोषित किया हैं।  
फाइट हंगर फाऊंडेशन की सोनम कपूर पहली गुडविल एम्बेसेडर हैं। जो उन्हें इस अभियान के बारें में लोगों में जागरूकता लाने में मदद करेंगीं। यह संस्था राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश इन तीन राज्यों में काम करती हैं। और यहाँ के कुपोषण बाधित बच्चों का निदान करके उनपर इलाज भी करतीं हैं।  साथ ही इन बच्चों की माताओं के साथ मिलकर कुपोषण की समस्या सुलझाने पर भी काम करतीं हैं। स्तनपान, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के साथ ही पोषण आहार उपलब्ध कराने पर भी काम करती हैं।
इस विषय में ज्यादा जानकारी पाने के लिए सोनम कपूर ने हाल हीं में, फाइट हंगर फाउंडेशन के छोटा सायन अस्पताल में रहें मेडिकल पोषण चिकित्सा केंद्र को भेंट दी थी। सोनम ने कहाँ, हर साल दस लाख से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार होने से मर जातें हैं। मेरे लिए यह बात आश्चर्यजनक हैं, आज भी कुछ बच्चे अच्छा आहार और साफ पानी के लिए तरस रहें हैं। यहीं बच्चें हमारा कल हैं। और इन खाली पेट बच्चों के साथ हम शांतीपूर्ण और बेहतर दुनियाँ नहीं बना सकतें।
इस निरीक्षण भेट के दौरान सोनम कपूर इस अस्पताल में भरती हुए कई कुपोषण बाधित बच्चों से और उनकी माताओंसे मिली। अस्पताल के कर्मचारी वर्ग से भी सोनम ने बातचित कीं।  
सोनम कपूर कहती हैं, पहले तो इन कुपोषित बच्चों को देखना ही मेरे लिए दर्दनाक था। लेकिन इन बच्चों के मिलने के बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ की, हमें सब लोगों मिलकर अब कुपोषण के खिलाफ लडना होंगा। तभी यह समस्या दूर हो सकती हैं। इसलिए अब में फाइट हंगर फाउंडेशन के साथ जुड चुकी हूँ। और मुझे गर्व हैं की, यह संस्था मेहनत और लगन से यह काम कर रहीं हैं। और मुझे विश्वास हैं की, लोग साथ आयें तो उनकी यह कोशीश कामयाब होगीं।

Saturday 6 February 2016

पहली फ्लॉप फिल्म के बावजूद !

आज की बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस के नाम पर नज़र डालिये।  प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, सोनाक्षी सिन्हा, कटरीना कैफ, सोनम कपूर, जैक्विलिन फर्नांडीज, श्रद्धा कपूर, अलिया भट्ट, आदि के चेहरे आँखों के सामने घूम जाते हैं।  प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा, आदि की पहली रिलीज़ फ़िल्में जहाँ हिट साबित हुई थी, वही बाकी की अभिनेत्रियों के करियर की फ्लॉप फिल्मों से हुई थी।  कटरीना कैफ की पहली फिल्म बूम बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी।  लगा कि वह तमाम अन्य अंग प्रदर्शन करने वाली विदेशी अभिनेत्रियों में से एक हैं।  लेकिन, अक्षय कुमार की फिल्मों ने कैटरीना कैफ को आज के मुकाम तक पहुंचा दिया।  सोनम कपूर की पहली फिल्म आयेशा भी फ्लॉप हुई थी।  लेकिन, इस फिल्म ने सोनम को फैशन आइकॉन का दर्ज़ा दिलवाया था।  बाद में सफलता की सीढ़ियां चढ़ती हुई सलमान खान की फिल्म प्रेम रतन धन पायो की नायिका बन गई।  करीना कपूर की भी पहली फिल्म अभिषेक बच्चन के साथ रिफ्यूजी फ्लॉप हुई थी।  लेकिन, मुझे कुछ कहना है, अजनबी और कभी ख़ुशी कभी गम के बाद उनके पैर इंडस्ट्री में जम गए। वह चारों खान अभिनेताओं की फिल्मों की नायिका बनी। 
हिंदी सिनेमा का इतिहास ऎसी पहली फ्लॉप फिल्मों वाली अभिनेत्रियों से भरा हुआ है, जो  इसके बावजूद बॉलीवुड फिल्मों में अपना सिक्का जमा पाने में कामयाब हुई। इन अभिनेत्रियों में लगन थी, काम के प्रति समर्पण था और अनुशासित थी।  उन्होंने हर मौके को लपकने की कोशिश की।  अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और वह बॉलीवुड की सफल अभिनेत्रियों में अपना नाम दर्ज़ करा पाने में कामयाब हुई।
सत्तर के दशक में हेमा, रीना और परवीन
सत्तर के दशक में हेमा मालिनी, जीनत अमान, नीतू  सिंह, रीना रॉय, परवीन बाबी, आदि अभिनेत्रियों का डेब्यू हुआ था।  हेमा मालिनी की पहली हिंदी फिल्म महेश कौल निर्देशित सपनों का सौदागर राजकपूर के साथ होने के बावजूद फ्लॉप हुई थी ।  लेकिन, अगली फिल्म वारिस हिट हो गई।  इसके बाद धर्मेन्द्र के साथ तुम हसीं मैं जवान और शराफत ने हेमा मालिनी को टॉप की एक्ट्रेस का रास्ता दिखा दिया। नीतू सिंह की पहली फिल्म राजकपूर के बेटे रणबीर कपूर के साथ रिक्शा वाला सुपर फ्लॉप हुई।  लेकिन, रणधीर कपूर के साथ अगली फिल्म कसमे वादे हिट हो गई।  रंधीर के छोटे भाई ऋषि कपूर के साथ तो उनकी जोडी इतनी जमी की रियल लाइफ में भी बन गई।  रीना रॉय के करियर की शुरुआत बी आर इशारा की रुकती बनती फिल्म नै दुनिया नए लोग से हुई थी।  लेकिन, जब यह फिल्म रिलीज़ हुई तो फ्लॉप साबित हुई।  इशारा की फिल्म फिल्म ज़रुरत ने उन्हें सेक्सी फिल्मों की ज़रुरत बना दिया। इसके बाद रीना रॉय ने जैसे को तैसा, मदहोश, ज़ख़्मी, आदि फिल्मों के ज़रिये धीरे धीरे अपना मुकाम बना लिया।  उनकी जीतेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ जोड़ी खूब जमी।  
सत्तर के दशक की फिल्मों के मॉडर्न चेहरे 
सत्तर के दशक में, जब अमिताभ बच्चन की तूती बोल रही थी, बॉलीवुड को दो अल्ट्रा मॉडर्न चेहरे मिले। इन चेहरों की फ्लॉप शुरुआत हुई थी। जीनत अमान की भी पहली दो फ़िल्में हंगामा और हलचल फ्लॉप हुई। लेकिन देव आनंद की फिल्म हरे राम हरे कृष्ण के बाद वह बॉलीवुड में जम गई। हालाँकि, इस फिल्म में वह देव आनंद की बहन की भूमिका में थी, लेकिन, वह अपनी पर्सनालिटी के बल पर डॉन, द ग्रेट गैम्बलर, दोस्ताना, राम बलराम, लावारिस, आदि फिल्मों में अमिताभ बच्चन की नायिका बनी। एक साल तक वह बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस भी बनी। उन्ही की तरह सत्तर के दशक की हिंदी फिल्मों का मॉडर्न चेहरा परवीन बाबी भी थी। परवीन बाबी को विवादित फिल्म बनाने वाले फिल्मकार बीआर इशारा ने फिल्म ‘चरित्र’ में सलीम दुर्रानी के अपोजिट कास्ट किया था। चरित्र फ्लॉप हुई। लेकिन, अगली फिल्म मज़बूर बड़ी हिट फिल्म साबित हुई।  इस फिल्म के साथ परवीन बाबी ने बॉलीवुड में तब के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की नायिका बनने तक का सफ़र तय कर लिया। उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ मजबूर के अलावा दीवार, अमर अकबर अन्थोनी, काला पत्थर, सुहाग, दो और दो पांच, शान, कालिया, देश प्रेमी, नमक हलाल, खुद्दार, महान और अमीर आदमी गरीब आदमी कीं। किमी काटकर का करियर छोटा रहा।  उनकी पहली फिल्म पत्थर दिल फ्लॉप हुई थी।  लेकिन, हेमंत बिर्जे के साथ एडवेंचर ऑफ़ टार्ज़न ने उन्हें  मॉडर्न सेक्स बम साबित कर दिया।  वह इस सफलता के बाद हम फिल्म में अमिताभ बच्चन की नायिका बन पाने में कामयाब हुई।  
अस्सी के दशक की फ्लॉप का टॉप 
अस्सी के दशक में श्रीदेवी टॉप की अभिनेत्री हुआ करती थी। उनकी बतौर नायिका पहली हिंदी फिल्म अमोल पालेकर के साथ सोलहवां सावन फ्लॉप हुई थी। दूसरी फिल्म सदमा भी कुछ ख़ास नहीं कर सकी।  फिर आई जीतेंद्र के साथ एक्शन कॉमेडी फिल्म हिम्मतवाला।  यह फिल्म सुपर हिट हुई। श्रीदेवी की थंडर थइ ने हिंदी दर्शकों इतना आकर्षित किया कि वह सबसे सफल सेक्स बम बन गई। अब यह बात दीगर है कि अपनी अभिनय  क्षमता के बूते वह टॉप पर पहुंची। उन्होंने अपने समय के सभी टॉप अभिनेताओं  जीतेन्द्र, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, आदि के साथ कई फ़िल्में की। दक्षिण का एक दूसरा चेहरा मीनाक्षी शेषाद्री की पहली फिल्म राजीव गोस्वामी के साथ पेंटर बाबू सुपर फ्लॉप हुई। लेकिन, सुभाष घई की फिल्म हीरो (१९८३) ने उनका बॉलीवुड में टॉप तक पहुँचने का सफ़र शुरू करवा दिया। मीनाक्षी शेषाद्री भी अमिताभ बच्चन की फिल्मों की नायिका बनी। उन्होंने भी शहंशाह, गंगा जमुना सरस्वती, अकेला और तूफ़ान जैसी फ़िल्में अमिताभ बच्चन के साथ की। गोविंदा की फिल्मों की डांसिंग स्टार नीलम कोठारी का करियर भी फ्लॉप फिल्म जवानी (१९८४) से शुरू हुआ था। लेकिन, गोविंदा के साथ अगली फिल्म लव ८६ के हिट होते ही, वह अगले दस सालों तक हिंदी की तमाम बड़ी फिल्मों की नायिका बनी । माधुरी दीक्षित ने राजश्री की फिल्म अबोध से फ्लॉप बॉलीवुड डेब्यू किया था। उन्हें हिट एक्ट्रेस का दर्ज़ा दसवी फिल्म के बाद मिला। यह फिल्म थी चंदू नार्वेकर यानि एन चन्द्र की फिल्म ‘तेज़ाब' ।इस फिल्म के बाद माधुरी दीक्षित टॉप की हीरोइन बनने की ओर तेज़ी से बढ़ी। वह शायद इकलौती ऎसी अभिनेत्री थी, जो किसी भी फिल्म में अमिताभ बच्चन की नायिका नहीं बनी, फिर भी टॉप की हीरोइन मानी गई। जूही चावला के शुरुआत सनी देओल की फ्लॉप फिल्म सल्तनत से हुई, जिसमे वह शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर की नायिका थी।  उन्हें दो साल बाद ही बड़ी सफलता मिली आमिर खान के साथ रोमांस फिल्म क़यामत से क़यामत तक से।  
फ्लॉप फिल्म की रानी का ऐश्वर्य 
नब्बे के दशक में तीन बंगाली अभिनेत्रियों का आगमन हुआ। हालाँकि, इन तीनों की शुरुआत फ्लॉप फिल्मों से हुई। पहले आई काजोल। उनकी कमल सडाना के साथ पहली फिल्म बेखुदी १९९२ में रिलीज़ हुई और बुरी तरह से फ्लॉप हुई। लेकिन, अगले ही साल शाहरुख़ खान के साथ फिल्म बाज़ीगर ने काजोल को स्थापित कर दिया। वह टॉप पर पहुंची। काजोल की  कजिन रानी मुख़र्जी ने १९९७ में ऐश्वर्या राय के साथ फिल्म डेब्यू किया । हालाँकि,ऐश्वर्या राय के पास मिस वर्ल्ड का ऐश्वर्य था। लेकिन, उनकी पहली तमिल और हिंदी फ़िल्में फ्लॉप हुई।  ऐश्वर्य की पहली फिल्म बॉबी देओल के साथ और प्यार हो गया बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी।  ऐश्वर्या राय को टॉप पर पहुँचने का ऐश्वर्या मिला संजय लीला भंसाली की सलमान खान के साथ फिल्म हम दिल दे चुके सनम से।  इस फिल्म में नंदिनी की भूमिका से ऐश्वर्या बॉलीवुड पर छा गई। दूसरी ओर रानी मुख़र्जी को भी एक खान अभिनेता का साथ मिला। अमजद खान के बेटे शादाब के साथ फिल्म राजा की आएगी बरात से असफल शुरुआत करने वाली रानी मुख़र्जी की आमिर खान के साथ विक्रम भट्ट की फिल्म सुपर हिट हो गई।  इन फिल्मों के साथ ही रानी मुख़र्जी बॉलीवुड की रानी बन गई और ऐश्वर्या को स्टारडम का ऐश्वर्य मिल गया। प्रीटी जिंटा की पहली फिल्म मणि रत्नम की शाहरुख़ खान के साथ फिल्म दिल से फ्लॉप हुई थी। अब्बास मुस्तान की फिल्म सोल्जर ने उन्हें हिट बना दिया। करिश्मा कपूर की १९९१ में प्रेम कैदी के साथ शुरुआत भी खराब हुई थी। लेकिन, धीरे धीरे उनके कदम जमते चले गए। उन्होंने सलमान खान और गोविंदा के साथ हिट जोड़ी बनाई।       
फ्लॉप शुरुआत करने वाले हिट चेहरे 
श्रद्धा कपूर की बतौर नायिका पहली फिल्म ‘लव का द एंड’ बुरी तरह से फ्लॉप हुई थी। लेकिन, फिल्म आशिकी २ ने उन्हें आज के दौर की सबसे सफल नायिका की कतार में ला दिया। जक्विलिने फर्नांडिस की पहली दो फ़िल्में अलादीन और जाने कहाँ से आई है फ्लॉप हुई थी।  उन्हें सफलता मिली अक्षय कुमार  के साथ फिल्म हाउसफुल से।  किक में वह सलमान खान की नायिका बनी। एमी जैक्सन की पहली हिंदी फिल्म एक दीवाना था फ्लॉप हुई थी।  सिंह इज़ ब्लिंग में अपने एक्शन दृश्यों से उन्होंने दर्शकों का ध्यान खींचा।  अलिया भट्ट की पहली फिल्म स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर हिट फिल्मों में शुमार नहीं होती।  लेकिन, अलिया हिट हैं।  
इस साल भी कुछ नए चेहरे वाली फ़िल्में दर्शकों के सामने होंगे। इनमे काफी फ़िल्में फ्लॉप हो जाएंगी। इसके बावजूद सनम तेरी कसम की मावरा हुसैन, इश्क़ फॉरएवर की रूही सिंह, लव शुदा की नवनीत कौर, तेरा सुरूर की फराह करीमी, यह लाल रंग की पिया बाजपेयी, फैन की वलूशा डिसूज़ा और श्रेया पिलगांवकर, मिर्ज़या की सैयमी खेर, राज़ रिबाउंड की कीर्ति खरबंदा, रईस की माहिरा खान, हैप्पी भाग जाएगी की मोमल शेख, मोहन जोदड़ो की पूजा हेगड़े, शिवाय की सयेशा सहगल, आदि कतई निराश नहीं होंगी।  ऊपर के तमाम उदाहरण उन्हें उत्साहित करते रहेंगे कि शुक्रवार बदलते देर नहीं होगी।  

अल्पना कांडपाल 

Sunday 17 January 2016

क्या सचमुच रियल बन पाते हैं रील लाइफ किरदार !

कुछ फिल्मों पर नज़र डालें।  इन फिल्मों को बायोपिक या रियल लाइफ घटना पर फ़िल्में कहा जाता है।  २२ जनवरी को अक्षय कुमार की राजा कृष्णा मेनन निर्देशित फिल्म 'एयरलिफ्ट' रिलीज़ हो रही है। फिल्म में  १९९० के कुवैत-इराक युद्ध के दौरान कुवैत में फंसे भारतीयों को हवाई मार्ग से बाहर निकाले जाने की घटना का चित्रण किया गया है।  इस फिल्म में अक्षय कुमार एक कुवैती भारतीय व्यापारी रंजीत कत्याल का रोल कर रहे हैं तथा लंचबॉक्स की नायिका निमृत कौर उनकी पत्नी अमृता बनी हैं।  निर्देशक राम माधवानी की १९ फरवरी को रिलीज़ हो रही बायोपिक ड्रामा फिल्म 'नीरजा' में अभिनेत्री सोनम कपूर ५ सितम्बर १९८६ को भारत की मुंबई- न्यू यॉर्क फ्लाइट को अपहृत कर कराची ले जाए गए यात्री बंधकों को बचाने के प्रयास में मारी गई एयर होस्टेस नीरजा भनोट का किरदार कर रही हैं। हंसल मेहता निर्देशित फिल्म 'अलीगढ' अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मराठी भाषा के प्रोफेसर डॉक्टर श्रीनवास रामचन्द्र सिरस पर केंद्रित है, जिसे समलैंगिक सम्बन्ध रखने के कारण निलंबित कर दिया गया था।  बाद में वह संदेहास्पद परिस्थिति में मृत पाया गया।  सिरस के किरदार को मनोज बाजपेई कर रहे हैं।  टोनी डिसूजा  भारतीय  क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन पर बायोपिक फिल्म 'अज़हर' का निर्देशन कर रहे हैं। अज़हर के जीवन पर १३ मई को रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म 'अजहर' में मोहम्मद अज़हरुद्दीन का किरदार सीरियल किसर अभिनेता इमरान हाशमी कर रहे हैं। वहीँ नीरज पाण्डेय भारतीय क्रिकेट टीम के  कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर बायोपिक फिल्म 'धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' बना रहे हैं।  इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत धोनी का किरदार कर रहे हैं। ओमग कुमार की फिल्म 'सरबजीत' पाकिस्तान की जेल में मारे गए भारतीय बंदी सरबजीत और उसे छुड़ाने के लिए उसकी बहन दलबीर के संघर्ष की कहानी है।  २० मई को रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन दलबीर का किरदार कर रही हैं। सरबजीत का किरदार रणदीप हूडा कर रहे हैं। नितेश तिवारी के निर्देशन में आमिर खान हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट का किरदार कर रहे हैं।  कामनवेल्थ गेम्स में कुश्ती के स्वर्ण और रजत पदक पाने वाली बेटियों गीता फोगट और बबिता फोगट का किरदार फातिमा सना शेख और सान्या मल्होत्रा कर रही हैं।  साक्षी तंवर महावीर फोगट  की पत्नी दया कौर के किरदार में हैं।
रियल लाइफ पर फ़िल्में क्यों ? - हॉलीवुड
सवाल उठना ही चाहिए कि वास्तविक घटना और किरदारों पर फ़िल्में क्यों बनाई जानी चाहियें ? हॉलीवुड में बहुत सी बायोपिक या वास्तविक घटनों पर फ़िल्में बनाई गई हैं।  कुख्यात वाटरगेट कांड पर आल द प्रेसिडेंटस मेन, वियतनाम वॉर पर बॉर्न ऑन द फोर्थ ऑफ़ जुलाई, सेरिब्रल पल्सी से ग्रस्त लेखक क्रिस्टी ब्राउन पर माय लेफ्ट फुट, जर्मन कैंप में हजारों कैदियों को बचाने वाले ओस्कर शिंडलर  पर शिंडलर्स लिस्ट, १९७० में नासा के चाँद पर रेस्क्यू मिशन पर फिल्म अपोलो १३, सिगरेट बनाने वाली अपनी ही  कंपनी के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले जेफ्री विगंड पर फिल्म द इनसाइडर, गाँव वालो को प्रदूषित पानी पिलाने वाली कंपनी से मुआवज़ा दिलवाने वाली वकील एरिन ब्रोकोविच पर फिल्म  एरिन ब्रोकोविच,  आदि कुछ फ़िल्में केवल उदहारणस्वरुप ही हैं।  ऎसी सैकड़ों फ़िल्में हॉलीवुड ने बनाई हैं।  इन फिल्मों का उद्देश्य खोजपरक तथ्य जनता के सामने रखना या इन घटनाओं से सबक दर्शाना होता है।
रियल लाइफ पर फ़िल्में क्यों ? - बॉलीवुड
बॉलीवुड ऐसा कोई इसरार नहीं करता।  प्रेरणादाई अथवा तथ्यात्मक फिल्मों के लिहाज़ से बॉलीवुड हॉलीवुड के आस पास तक नहीं। अन्यथा, वह अपने स्वतंत्रता सेनानियों पर अच्छी फ़िल्में बनाता।  भगत सिंह, चन्द्र शेखर आज़ाद, सुभाष चन्द्र बोस, आदि सेनानी चरित्रों पर जो फ़िल्में बनी है,  वह ज़्यादातर एक्शन या स्टंट को ध्यान में रख कर बनाई गई।  अंदरूनी  तथ्यों उकेरने वाली तलवार जैसी जो कोशिशें की भी गई हैं, वह बॉक्स ऑफिस को ध्यान में रख कर ही की गई। विशाल भरद्वाज की फिल्म 'हैदर' कश्मीर की स्थिति का एकतरफा चित्रण करने वाली फिल्म थी, जिसमे कश्मीरियों को मासूम दिखाने के चक्कर में आर्मी को कटघरे में खड़ा कर दिया गया था।  इधर जो बायोपिक या रियल घटनों पर फ़िल्में प्रदर्शित होने जा रही हैं, वह किस लिहाज़ से खोजपरक या प्रेरणादायक हैं, इसकी जानकारी फिल्म रिलीज़ होने के बाद ही होगी।
सबसे बड़ा सवाल ???
सबसे बड़ा सवाल प्रामाणिकता का है।  क्या  तथ्यों के लिहाज़ से यह फ़िल्में प्रामाणिक बन पाएंगी ? क्या इनके चरित्र रियल लाइफ और स्वाभाविक बन पाएंगे ? प्रमाणिकता की बात करें तो हिंदी फ़िल्में हमेशा विवादित होती रही हैं।  अब चाहे वह ऐतिहासिक जोधा अकबर हो या बाजीराव मस्तानी, तथ्यों को तोड़ने मरोड़ने का आरोप हमेशा ही लगता रहा है।  लेकिन, पीरियड फिल्मों या वास्तविक घटनाओं पर बनी फिल्मों के साथ तथ्यों का ख़ास महत्व होता है।  इसके अलावा किरदार कितने वास्तविक बन पड़े हैं, यह भी मायने रखता है। अपने किरदार के अनुरूप खुद को ढालने की जिम्मेदारी एक्टर्स पर होती है।  क्या हमारे एक्टर  इम्तिहान में खरे उतरते हैं या उतरेंगे ? आइये रिलीज़ होने जा रही फिल्मों के सन्दर्भ में इसे परखते हैं।
एयरलिफ्ट- इस फिल्म में अक्षय कुमार को रंजीत कत्याल नज़र आना है।  रंजीत कत्याल भारतीयों के लिहाज़ से बहुत जाना पहचाना नहीं।  लेकिन, अक्षय कुमार को खुद की इमेज से उबरना होगा।  उन्होंने बेबी या हॉलिडे में जो किरदार किये थे, वह एक्शन ओरिएंटेड थे।  अक्षय कुमार पर ऐसे किरदार फबते हैं।  लेकिन, रंजीत कत्याल एक साधारण इंसान है, जो असाधारण काम करने के लिए जाना जाता है। देखना होगा कि वह इस साधारण किरदार को कितना असाधारण बना पाते हैं ! इस लिहाज़ से उनकी पत्नी के किरदार में निमृत कौर का काम आसान होगा।
 नीरजा- एयर होस्टेस के किरदार को सोनम कपूर के लिहाज़ से टेलर मेड कहना ठीक होगा।   सोनम कपूर स्टाइल आइकॉन हैं।  उन्होंने एयर होस्टेस को काफी नज़दीकी से देखा होगा।  वह नीरजा के किरदार को गेटअप के लिहाज़ से आसानी से कर ले जाएंगी। उनकी सही मायनों में परीक्षा होगी प्लेन हाईजैक के बाद के  मानसिक और शारीरिक तनाव को अपने चेहरे और बॉडी लैंग्वेज से प्रदर्शित करना ।  यह काम उनके लिए बहुत आसान नहीं होगा।
अलीगढ- हंसल मेहता ने श्रीनिवास रामचन्द्र सिरस के किरदार के लिए मनोज बाजपेई का चयन सबसे बेहतर किया  है । सत्य के भीखू म्हात्रे, शूल के इंस्पेक्टर समर प्रताप सिंह,  पिंजर के राशिद, एलओसी कारगिल के ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव, आदि मनोज बाजपेई की करैक्टर की स्किन में घुस जाने की क्षमता के प्रमाण हैं। इसलिए, उनसे उम्मीद की ही जानी चाहिए।
अज़हर- इस फिल्म में मोहम्मद अज़हरुद्दीन के किरदार में इमरान हाशमी कमज़ोर कड़ी साबित हो सकते हैं।  इमरान एक कमज़ोर अभिनेता हैं।  उनकी ख़ास इमेज हैं।  अगर टोनी डिसूज़ा ने इस फिल्म में अज़हर के निजी जीवन और फिक्सिंग के आरोप लगने के बाद अज़हर की ज़िन्दगी को ज़रा भी नज़दीक से  दिखाया होगा तो इमरान हाश्मी के फिसलने का खतरा है।  अन्य किरदारों में प्राची देसाई अज़हर की पहली पत्नी नौरीन, नर्गिस फाखरी फिल्म एक्ट्रेस और  अज़हर की दूसरी पत्नी संगीता बिजलानी के किरदार में होंगी।  इन चरित्रों में इनके एक्टरों की परख होगी ही।
 सरबजीत- ओमंग कुमार ने मैरी कॉम में प्रियंका चोपड़ा से बढ़िया काम कराया था।  सरबजीत में वह वैसा ही काम दलबीर कौर की भूमिका में ऐश्वर्या राय बच्चन से करा पाएंगे, इसे दर्शक देखना चाहेंगे।  इस किरदार में ऐश्वर्या राय के एक्टर की कड़ी परीक्षा होगी।
धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी- नीरज पाण्डेय की इस फिल्म में धोनी का रोल सुशांत सिंह राजपूत कर रहे हैं। वह सक्षम अभिनेता हैं। लेकिन, किसी रियल लाइफ किरदार में यह उनकी पहली परीक्षा है।  उनसे उम्मीद की जा सकती है।
दंगल- आमिर खान ने अब तक की अपनी तमाम फिल्मों में चरित्रों को स्वाभाविक रखा है।  लेकिन, दंगल इस लिहाज़ से अलग है कि यह वास्तविक चरित्र है।  एक साधारण इंसान के असाधारण व्यक्तित्व को आमिर खान कितनी आसानी से कर पाएंगे, यह तभी हो पायेगा जब वह खुद को हरियाणा का एक साधारण पहलवान जैसा पेश कर सकें।  क्या आमिर खान का सुपर स्टार इतना साधारण बन पायेगा ?
बायोपिक या वास्तविक घटनाओं पर फिल्मों को सशक्त स्क्रिप्ट की दरकार होती है।  अगर स्क्रिप्ट सशक्त है तो एक्टर का काम आसान हो जाता है।  लेकिन, इसके बावजूद एक्टर के किरदार में घुसने की क्षमता की परीक्षा होती है।  तभी वह खुद को उस किरदार के योग्य बना पाता है। ऐसी सशक्त फ़िल्में हिंदी दर्शक देखना पसंद करता है।

राजेंद्र कांडपाल