Monday, 25 May 2015

स्वतंत्रता दिवस पर सिनेमाघरों में गौर हरि दास्तान

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता निर्देशक अनंत नारायण महादेवन की फिल्म गौर हरि दास्तान केवल एक फिल्म नहीं। यह एक स्वतंत्रता सेनानी के  संघर्ष की दास्ताँ है आज़ादी से पहले भी और आज़ादी के बाद भी।  गौर हरि देश के आखिरी जीवित स्वतंत्रता सेनानी हैं।  चौदह वर्ष की आयु में उन्होंने अपने हमउम्र साथियों के साथ बनाई वानर सेना के ज़रिये स्वतंत्रता संग्राम की खबरें एक जगह से दूसरी जगह तेज़ रफ़्तार से पहुंचाते थे। उन्हें १९४५ में अंग्रेज़ो के निर्धारित दिन पर झंडा न फहराने के कारण दो महीने की सज़ा हुई। यह फिल्म ऐसे ही सेनानी गौर हरि दास के जीवन मूल्यों पर आधारित है।  यह एक ऎसी दास्ताँ है जो देश की भ्रष्ट व्यवस्था, नौकरशाही की कारगुज़ारी का पर्दाफाश करती।  है। गौर हरि दास स्वतंत्रता संग्राम में ना सिर्फ देश की आज़ादी के लिए लडे हैं बल्कि देश की भ्रष्ट व्यवस्था से दो चार भी हुए हैं। अगर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि पिछले 32 सालों से देश की भ्रष्ट व्यवस्था के समक्ष बिना झुके गौर हरि दास लगातार खडे हैं। उन्हें खुद को सेनानी साबित करने के लिए तीन दशक तक सरकारी दफ्तरों में बाबुओं और ऑफिसरों को कागज़ात इकठ्ठा कर देने में ही गुज़र गए। तब जाकर उन्हें २००९ में प्रमाण पत्र मिला। फिल्म 'गौर हरि दास्तान : द फ्रीडम फाइल' में गौर हरि दास की मुख्य भूमिका विनय पाठक ने निभाई है। उनकी पत्नी लक्ष्मी का किरदार कोंकणा सेन कर रही हैं। इस की पटकथा पत्रकार और कवि सीपी सुरेंद्रन ने लिखी है। गौर हरि दास के जीवन से प्रेरित यह बायोपिक फिल्म स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज़ होगी। गौर हरि दास के जीवन से प्रेरित यह बायोपिक फिल्म स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज़ होगी। 

३१ मई को ज़ी सिनेमा पर 'लिंगा'


Sunday, 24 May 2015

'अ ब्यूटीफुल माइंड' के रियल हीरो की मौत

वर्ल्ड वाइड बॉक्स ऑफिस पर ३१३ मिलियन डॉलर का कलेक्शन करने वाली ऑस्कर पुरस्कार विजेता फिल्म 'अ ब्यूटीफुल माइंड' के रियल लाइफ हीरो जॉन नैश का एक कार दुर्घटना में देहांत हो गया।  अर्थशास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार विजेता जॉन नैश के जीवन पर रॉन होवार्ड ने २००१ में 'अ ब्यूटीफुल माइंड' का निर्माण किया था।  इस फिल्म में जॉन नैश के शुरूआती जीवन का चित्रण हुआ था, जब वह पैरानॉयड शिज़ोफ्रेनिआ का शिकार होते जा रहे थे।  इसके फलस्वरूप उनका परिवार आर्थिक संकट में फंसता जा रहा था।  इस फिल्म में जॉन नैश की पत्नी अलिसिआ नैश का किरदार करने के लिए जेनिफर कोनेली  को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का ऑस्कर मिला था।  फिल्म में जॉन नैश का किरदार अभिनेता रसेल क्रोव ने किया था ।  वह ऑस्कर में नामित भी हुए थे।  प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन नैश अपनी पत्नी अलिसिआ के साथ कहीं जा रहे थे कि उनकी  टैक्सी दुर्घटनाग्रस्त हो गई।  इस एक्सीडेंट में जॉन और अलिसिआ दोनों ही मारे गए। जॉन नैश पर सिल्विया नासर ने १९९८ में एक पुस्तक लिखी थी।  इसी पर 'अ ब्यूटीफुल माइंड' का निर्माण किया गया था।  'अ ब्यूटीफुल माइंड' को श्रेष्ठ फिल्म के ऑस्कर के अलावा रॉन होवार्ड को बेस्ट डायरेक्टर की कैटेगरी में भी पुरस्कार मिला।  जॉन नैश की मृत्यु के समाचार पर उनके रील लाइफ काउंटरपार्ट रशेल क्रोव ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी, "मैं अवाक हूँ।  मेरी संवेदनाएं जॉन, अलिसिआ और उनके परिवार के साथ हैं।  अद्भुत जोड़ी।  ब्यूटीफुल माइंड।  ब्यूटीफुल हर्ट्स। "





Saturday, 23 May 2015

फिर छिड़ी बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के बीच जंग !

बॉम्बे वेलवेट को को लेकर बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के बीच बजरिये ट्विटर ज़ुबानी जंग छिड़ चुकी है।  निशाने पर है बॉम्बे वेलवेट के बहाने अनुराग कश्यप।  निशानेबाज़ी का हुनर आज़मा रहे हैं राम गोपाल वर्मा और मिलाप जावेरी।  यह वह लोग हैं जिन पर कभी अनुराग कश्यप ने उनकी फिल्मों के बहाने निशाना साधा था।  कभी अनुराग कश्यप ने रामगोपाल वर्मा के साथ सत्या लिखी थी। लेकिन, गैंगस्टर फिल्मों के यह महारथी यार शोले के रीमेक रामगोपाल वर्मा की आग को लेकर जानी दुश्मन बन गए।  आग की असफलता के बाद अनुराग कश्यप ने कमेंट किया, "रामूजी इस 'आग' में अपना सब कुछ खो चुके हैं।" इसके साथ ही अनुराग कश्यप ने प्रतिज्ञा ली कि  वह अब रामगोपाल वर्मा की कोई फिल्म नहीं देखेंगे।  'बॉम्बे वेलवेट' के बॉक्स ऑफिस पर पुअर रिस्पांस और समीक्षकों की खराब राय के बाद बारी रामगोपाल वर्मा की थी।  उन्होंने ट्वीट किया, "कॉन्फीडेंस और अरोगन्स के बीच बड़ी पतली लाइन होती है।  इसे बॉम्बे वेलवेट और आग देख कर समझा जा सकता है।" रामगोपाल वर्मा यहीं नहीं रुके।  उन्होने अनुराग कश्यप को स्लमडॉग की उपाधि तक दे डाली, "एक स्लमडॉग मिलियंस डॉलर से फिल्म बना सकता है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि स्लमडॉग मिलियनेयर बने ही। केवल करण जौहर ही वेलवेट यानि मखमल हैं, बाकी सब टाट है। ।"
बॉम्बे वेलवेट को लेकर अनुराग कश्यप पर सबसे पहला हमला लेखक मिलाप झवेरी ने किया था। लेकिन, कमेंट्स दागने की शुरुआत अनुराग कश्यप ने ही की थी, जब उन्होंने मिलाप की लिखी फिल्म 'ग्रैंड मस्ती' में अश्लीलता को लेकर ट्वीट किया था,"अगर मुझे ५ करोड़ का ऑफर मिले तो भी मैं ग्रैंड मस्ती नहीं देखूँगा।" बॉम्बे वेलवेट ने पहले दिन, बॉक्स ऑफिस पर, ५ करोड़ से कुछ ज़्यादा का बिज़नेस किया था। मिलाप ने इस रिजल्ट को देखने के बाद अनुराग कश्यप के पांच करोड़ के ऑफर को याद करते हुए ट्वीट किया, "ले लेता और बॉम्बे वेलवेट के कलेक्शन में मिला देता।  कम से कम डबल फिगर तो पार हो जाती।"
रामगोपाल वर्मा ने बॉम्बे वेलवेट में करण जौहर को वेलवेट बताया था।  लेकिन, यही रामू करण जौहर की फिल्मों पर वार करने में परहेज नहीं करते। इन दोनों को ट्विटर एनिमी भी कहा जाता है।  करण जौहर की फिल्म माय नाम इज़ खान और कुर्बान को लेकर रामगोपाल वर्मा ने फेमस ट्वीट किया था, "मुझे बढ़िया आईडिया आया।  मैं माय नेम इज़ रावण बनाऊंगा और मणि रत्नम को रावण की कुर्बान बनानी चाहिए।" इस पर करण ने पलट वार किया, "आप में गज़ब का सेंस ऑफ़ ह्यूमर है रामू, जो कभी आपकी फिल्म में नज़र नहीं आता।"  रामगोपाल वर्मा यहीं नहीं  रुके थे।  उन्होंने करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' पर ट्वीट किया, "अगर कोई करण की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' से प्रेरित होकर टीचर ऑफ़ द ईयर बनाए तो वह डिजास्टर ऑफ़ द ईयर बन जाएगी।" इस पर करण जौहर ने छक्का जमाया, "डिजास्टर ऑफ़ द ईयर आपका इलाका है रामू.……आपको आपके बनाये कम्फ़र्टेबल प्लेस से कोई नहीं हटा सकता।"
यह तो करण जौहर, रामगोपाल वर्मा अनुराग कश्यप का ट्विटर त्रिकोण था।  लेकिन, बॉलीवुड सेलिब्रिटी बजरिये ट्विटर एक दूसरे के घावों पर नमक छिड़कने में कोताही नहीं बरतते। टांग खिंचाई करने या भड़ास निकालने का अच्छा और आसान तरीका ट्वीट ही है। आइये जानते हैं कुछ ऐसे ही ट्वीट्स और री ट्वीट्स-
शाहरुख़ खान की १५० करोड़ की साईंफाई फिल्म रा.वन की असफलता के बाद खान की अच्छी दोस्त फराह खान के शौहर शिरीष कुंदर ने ट्वीट कर शाहरुख़ खान के ज़ख्मों पर नमक छिड़का, "मैंने अभी १५० करोड़ के पटाखे को फुस होते सुना।"  अब यह बात दीगर है कि शाहरुख़ खान ने संजय दत्त की पार्टी में शिरीष के लम्बे बालों को नोच डाला।
गुज़ारिश की असफलता के बाद एक इंटरव्यू में सलमान खान ने गुज़ारिश को लेकर कुछ ख़राब कमेंट किये थे।  इसे लेकर ह्रितिक रोशन और उसकी पत्नी सुजाने काफी अपसेट हुए थे।  इस पर सुजाने ने ट्वीट कर जवाब दिया था, "सलमान खान को सात सेकंड ब्रॉडकास्ट डिले सिस्टम में कन्वर्ट हो जाना चाहिए। उन्हें सेल्फ सेंसरशिप असिस्टेंस की ज़रुरत है।"
जब अरबाज़ खान ने दबंग के सीक्वल दबंग २ को अनुराग कश्यप के भाई अभिनव कश्यप के बजाय खुद डायरेक्ट करने का फैसला किया तो अनुराग को यह नागवार गुज़रा।  उन्होंने ट्वीट किया, "सलमान खान सोचते हैं कि उन्होंने मेरे भाई की ज़िंदगी बना दी । ठीक है, अब वह अपने भाई अरबाज़ की भी ज़िंदगी बना दें। आल द बेस्ट !" अनुराग कश्यप का यह ट्वीट अरबाज़ को नागवार गुज़रा।  उन्होंने ट्वीट कर जवाब दिया, "कुछ लोग आभार मानने के बजाय आँख दिखाते हैं। वाह ! क्या ज़माना आ गया है।"
आईआईएफए २०११ में बिपाशा बासु और अमीषा पटेल ने अलग अलग रंगो वाली एक ही ड्रेस पहन रखी थी। फैशन डिवा बिपाशा बासु को यह नागवार गुजरा।  उन्होंने ट्वीट किया, "मेरी एक साथी एक्ट्रेस अलग रंग की मेरी जैसी ड्रेस पहने थी। अगली बार मैं अपने कास्ट्यूम काफी पहले बनवा लूंगी और आखिर मिनट तक अपने कपबोर्ड में छुपा के रखूंगी।" इस ट्वीट पर नाराज़ अमीषा ने ट्वीट किया, "मुझे किसी की नक़ल करने की ज़रुरत नहीं।  मुझे परवाह नहीं अगर दस लोग भी एक ही ड्रेस पहनते।  कपडे इंसान को नहीं बनाते।  अलबत्ता, नकली स्तन ज़रूर। "
इकलौती घटिया फिल्म 'देशद्रोही' से सुर्ख़ियों में आये कमाल रशीद खान ने कॉन्ट्रोवर्शियल ट्वीट करने में महारत हासिल कर ली।  अनुराग कश्यप की फिल्म 'बॉम्बे वेलवेट' को बिना रिलीज़ हुए फ्लॉप बताने वाले कमाल रशीद खान ही थे।  अब यह बात दीगर है कि उन्हें कभी अपने ट्वीट पर लाजवाब कर देने वाले रीट्वीट मिल जाता है, जैसा कि अभिनेत्री लिसा हेडन ने किया।  लिसा ने शॉर्ट्स में अपनी बास्केट बॉल की बास्केट रिम पर झूलते हुए एक फोटो पोस्ट की।  इस पर केआरके ने आदतन एक भद्दी टिप्पणी कर मारी,  "यार लिसा हेडन ! क्या मुझे बैठ कर तुम्हे देखना चाहिए?" लिसा को यह नागवार गुज़रा ।  उन्होंने रीट्वीट किया, "मुझे बताया गया कमाल आर खान कि तुम्हारे जितना गिरा कोई नहीं।  तुम्हे कुर्सी की ज़रुरत नहीं।" कमाल आर खान लाजवाब थे।



एफबीआई और हत्यारों का गठबंधन है 'ब्लैक मास'

डायरेक्टर स्कॉट कूपर की क्राइम थ्रिलर फिल्म 'ब्लैक मास' उस समय की कहानी है, जब एफबीआई एक आयरिश अपराधियों के संगठन आयरिश मॉब से मिल कर क़त्ल करवाती थी।  इस घटना पर डिक लेहर और गेरार्ड ओ'नील ने २००१ में एक किताब ब्लैक मास: द ट्रू स्टोरी ऑफ़ अन अनहोली अलायन्स बिटवीन द एफबीआई एंड आयरिश मॉब लिखी थी।  इसी किताब पर मार्क मलूक और जेज़ बटरवर्थ ने फिल्म 'ब्लैक मास' की पटकथा लिखी है। वार्नर ब्रदर्स की इस फिल्म में जॉनी डेप एक क्रूर हत्यारे व्हाइटी बल्जर की भूमिका कर रहे हैं। व्हाइटी साउथ बोस्टन के एक सीनेटर का भाई है।  वह सबसे हिंसक अपराधी के बतौर कुख्यात है।  एफबीआई उसे अपना इनफॉर्मर बना लेती है।  व्हाइटी भी एक माफिया परिवार को ख़त्म करने के लिए एफबीआई का साथ देता है।  इस फिल्म में जोएल एडगर्टन, बेनेडिक्ट कम्बरबैच, डकोटा जॉनसन, केविन बेकन, जेसे प्लेमोंस, पीटर सर्सगार्ड और कोरी स्टॉल जैसे दिग्गज भी हैं। ब्लैक मास को ६३ मिलियन डॉलर के बजट से बनाया गया है तथा फिल्म १८ सितम्बर को रिलीज़ होगी। देखिये इस फिल्म का ट्रेलर - 

किआनु रीव्स का 'नॉक नॉक' अट्रैक्शन

अगर आप अकेले हैं तो दरवाज़े पर देर रात होने वाली नॉक नॉक से सावधान हो जाइये।  समझ लीजिये कि  खतरा मंडरा रहा है।  अकेले मर्दों को यह संदेशा निर्देशक एली रॉथ दे रहे हैं अपनी फिल्म 'नॉक नॉक' से। केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म 'नॉक नॉक' में किआनु रीव्स किसी उपनगर में अपने बच्चो, कुत्ते और चॉकलेट केक के मज़ा लेते हर रह रहे पिता ईवान वेबर की  भूमिका कर रहे है। एक रात वेबर के दरवाज़े पर खटखटाहट होती है।  ईवान दरवाज़ा खोलता है।  दो जवान, खूबसूरत और सेक्सी औरते  बाहर खडी हैं।  वह ईवान से रात गुज़ारने की अनुमति मांगती हैं।  जवान औरतों की मदद करने में ईवान को भला क्या ऐतराज़ हो  सकता था।  लेकिन, इसके बाद शुरू होता है थ्रीसम गेम।  यह खतरनाक है।  इसमे औरतों द्वारा पुरुष का बलात्कार है।  उसे टार्चर करना है और ज़िंदा गाड़ देने की कोशिश भी।  किआनु रीव्स का किरदार इनसे कैसे निबटेगा ! दो जवान औरतों की भूमिका में एक किरदार रॉथ की रियल वाइफ लोरेंज़ा इज़्ज़ो ने की है।  दूसरी औरत क्यूबा की अभिनेत्री एना डि अर्मास ने की है।  नॉक नॉक सत्तर के दशक की फिल्म 'डेथ गेम' पर आधारित है।  इस फिल्म में दो खूबसूरत हिप्पी एक बिजनेसमैन को उसी के घर बंधक बना लेते हैं।  रॉथ की फिल्म अगले साल जनवरी में पहले सनडांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाएगी।  इसके बाद फिल्म १३ अगस्त को वर्ल्ड वाइड रिलीज़ होगी।




नाउ यू सी मी तीसरी बार

लायंसगेट की मंशा 'नाउ यू सी मी' को फ्रैंचाइज़ी बनाने की हैं।  तभी तो  कंपनी ने अपनी २०१३ में रिलीज़ लुइस लेटेरिएर निर्देशित सुपर हिट शरारती थ्रिलर फिल्म 'नाउ यू सी मी' के १० जून  २०१६ को रिलीज़ होने वाले  सीक्वल की रिलीज़ से एक साल पहले ही इसके तीसरे भाग की तैयारी शुरू कर दी थी।   २०१३ की ७५ मिलियन  डॉलर से बनी फिल्म 'नाउ यू सी मी' ने बॉक्स ऑफिस पर ३५१ मिलियन डॉलर का वर्ल्ड वाइड  कलेक्शन किया था।  नाउ यू सी मी सड़क पर जादू दिखाने वाले चार  जादूगरों की कहानी है।  इस  फिल्म में जेसे आइजनबर्ग, मार्क रफेलो, वुडी हरेलसन, मेलानी लौरेंट, आइला फिशर, डेव फ्रांको, माइकल कैने और मॉर्गन फ्रीमैन मुख्य भूमिका में थे।  इस फिल्म के सीक्वल को 'नाउ यू सी मी : द सेकंड एक्ट'  टाइटल से रिलीज़ किया जा  रहा है। इस फिल्म को जॉन एम चाऊ डायरेक्ट कर रहे हैं।  मुख्य भूमिका में माइकल कैन के पुत्र की भूमिका में डेनियल रेडक्लिफ शामिल हुए हैं।  आईला फिशर की जगह लिज़ी कप्लान आ गई हैं। लायंसगेट की कुछ फ्रैंचाइज़ी फिल्मों ट्वाईलाईट, हंगर गेम्स और डिवेर्जेंट ने वर्ल्ड वाइड ज़बरदस्त बिज़नेस किया है।  'नाउ यू सी मी' के पहले हिस्से के बॉक्स ऑफिस पर अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए लायंसगेट को लगता है कि यह फिल्म भी हिट फ्रैंचाइज़ी फिल्म बन जाएगी।  लायंसगेट एक्टर किआनु रीव्स की फिल्म 'जॉन विक' का सीक्वल भी बनाने जा रहा है।
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Friday, 22 May 2015

टेलर स्विफ्ट का 'बैड ब्लड'

अमेरिकन सिंगर और सांग राइटर टेलर स्विफ्ट का एपिक म्यूजिक वीडियो 'बैड ब्लड' विवो का रिकॉर्ड होल्डर एल्बम बन गया है।  इस म्यूजिक वीडियो को रिलीज़ होने के २४ घंटे के अंदर २०.१ मिलियन लोगों द्वारा देखा जा चूका है। टेलर स्विफ्ट से पहले यह रिकॉर्ड निक्की मिनाज के पास था, जिनका म्यूजिक वीडियो 'एनाकोंडा' अगस्त २०१४ में विवो पर १९.६ मिलियन दर्शकों द्वारा देखा गया।  विवो पर टेलर के ऑडियंस की संख्या लगातार बढती जा रही है। विवो पर टेलर स्विफ्ट के अब तक के  वीडियो अलबमों को ५ बिलियन यानि ५ अरब दर्शकों द्वारा देखा जा चूका है।  किसी एक अकेले आर्टिस्ट का यह अपने आप में अनोखा रिकॉर्ड है। विवो पर टेलर स्विफ्ट के ११ एल्बम 'यू बिलॉंग विथ मी', 'माइन', 'वी आर नेवर एवर गेटिंग बैक टूगेदर', 'आई न्यू यू वेर ट्रबल', ''एवरीथिंग है चेंज्ड, 'मीन', 'लव स्टोरी', '२२', 'शेक इट ऑफ', 'ब्लेंक स्पेस' और 'स्टाइल' में प्रत्येक को १०० मिलियन व्यूज मिल चुके हैं।  टेलर स्विफ्ट को कई ग्रैमी अवार्ड्स मिल चुके हैं।  वह सबसे कम उम्र की ग्रैमी अवार्ड विजेता हैं। २००९ में २० साल की स्विफ्ट को 'फीयरलेस' के लिए ' एल्बम ऑफ़ द ईयर' का ग्रैमी अवार्ड्स मिला। वह अब तक ४४० नॉमिनेशंस में से २७८ मेंअवार्ड्स जीत चुकी हैं।

यह 'दीक्षित' 'माधुरी' नहीं 'मीनाक्षी' है

यह फोटो वाली अभिनेत्री उपनाम से दीक्षित है।  यह उत्तर प्रदेश के एक छोटे ज़िले रायबरेली से हैं।  लेकिन, इनके कारनामे बड़े हैं।  यह 'प्रॉस्टीट्यूट से पीएम तक' की अभिनेत्री हैं। एक वकील की संतान मीनाक्षी कत्थक डांसर हैं।  सरोज खान के डांस रियलिटी शो 'नाच ले वे विथ सरोज खान' ने उन्हें तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में पहुंचा दिया।  पहली फिल्म थी लाइफस्टाइल।  इस फिल्म के बाद उन्होंने विज्ञापन फ़िल्में की।  वैसे दक्षिण में उनके आइटम सांग्स को ज़्यादा पसंद किया गया।  अब वह निर्देशक कुंदन शाह की फिल्म 'पी से पीएम तक' से हिंदी फिल्मों में डेब्यू कर रही हैं।  इस राजनीतिक व्यंग्य फिल्म में वह महाराष्ट्र के रेड लाइट एरिया की वेश्या कस्तूरी का किरदार कर रही हैं, जो राजनीतिक उछल-कूद के दौर में प्रधान मंत्री की कुर्सी तक पहुँच जाती हैं।  चूंकि, मीनाक्षी उत्तर प्रदेश से हैं और उनका फिल्म का किरदार महाराष्ट्रियन है, इसलिए उन्होंने फिल्म के अपने रोल में रियल टच लाने के लिए कमाठीपुरा के रेड लाइट एरिया में वैश्याओं से मिली।  अपनी पहली हिंदी फिल्म के बारे में मीनाक्षी कहती हैं, "पी से पीएम तक' मेरे लिए ख़ास है।  जैसे पहला प्यार होता है।" फिल्म के डायरेक्टर कुंदन शाह ने कभी 'कभी हाँ कभी न', 'क्या कहना', 'हम तो मोहब्बत करेगा', 'दिल है तुम्हारा' और 'एक से बढ़ कर एक' फ़िल्में बनाई थी।  लेकिन, बाद की कुछ फिल्म को असफलता के बाद उनका करियर लगभग ख़त्म हो गया।  'एक से बढ़ कर एक' की रिलीज़ के सात साल बाद वह 'मुंबई कटिंग' की एक कहानी डायरेक्ट कर रहे थे।  अब इस फिल्म के चार साल बाद वह अपनी सफल विधा राजनीतिक व्यंग्य फिल्म 'पी से पीएम तक' से दर्शकों को सामने हैं।  क्या कुंदन शाह अपने साथ हिंदी फिल्मों में मीनाक्षी दीक्षित का करियर भी बना पाएंगे ?

'बजरंगी भाईजान' बन कर 'प्रेम' पाएंगे सलमान खान !

तेरह साल के पहले के हिट एंड रन केस में पांच साल की सज़ा पाना सलमान खान के लिए वरदान साबित हुआ।  इस साल उनकी ईद से दीवाली सचमुच मन गई।  सलमान खान की ईद २०१५ में कबीर खान निर्देशित  करीना कपूर के साथ फिल्म 'बजरंगी भाईजान' रिलीज़ होनी थी।  दीवाली पर सूरज बड़जात्या की सोनम कपूर के साथ फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' की रिलीज़ तय थी।  'हिट एंड रन' केस में सज़ा पाने के बाद लगा कि सलमान खान की ईद और दिवाली मोहर्रम हो जाएंगी।  लेकिन, सलमान खान के वकीलों ने चमत्कार कर दिखाया।  वह एक  सेकंड को भी जेल जाये बिना बॉम्बे हाई कोर्ट से ज़मानत पा गए।
हालाँकि, सलमान खान को जोधपुर में काले हिरन के शिकार मामले में झटका लगा है।  उनके वकीलों द्वारा गवाहों से फिर जिरह करने की अपील कोर्ट  द्वारा रद्द कर दी गई है।  उनके वकीलों द्वारा इस बार भी केस लम्बा खींच कर सलमान खान की सज़ा टलवाने की कोशिश नाकाम हो गई है।  इस मामले में सलमान खान पहले ही पांच साल की सज़ा पा चुके हैं।  अब अगर आगे उन्हें कोई राहत नहीं मिली तो उनकी राह मुश्किल हो सकती है।  लेकिन, फिलहाल यह सब दूर की कौड़ी है।
अगर. सलमान खान बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत न पाये होते तो उनकी अपील पर फैसला होने तक वह सलाखों के पीछे होते।  'बजरंगी भाईजान' और 'प्रेम रतन धन पायो' की राह मुश्किल हो जाती।  सलमान खान आगे किसी फिल्म के बारे में सोच तक नहीं पाते।  लेकिन, अब सलमान खान किस्मत के सिकंदर बन गए हैं।  उनकी इस साल दो फ़िल्में रिलीज़ होनी है।  इन दोनों फिल्मों को सुपर हिट माना जा रहा है।  ईद रिलीज़ 'बजरंगी भाईजान' के चार सौ करोड़ का बिज़नेस करने की उम्मीद की जा रही है।  क्योंकि, तीन सौ करोड़ का बिज़नेस तो उनके मुक़ाबिल अभिनेता आमिर खान की फिल्म 'पीके' पहले ही कर चुकी है।  ईद के वीकेंड में रिलीज़ फिल्म 'बजरंगी भाईजान' पर उनके सहधर्मी दर्शकों का  प्यार बॉक्स ऑफिस पर तूफ़ान बन कर बरसेगा। चार दिन लम्बा ईद वीकेंड सोना चांदी की बारिश कर देगा। सलमान खान सज़ायाफ्ता खान से सुपर हीरो खान बन कर उभरेंगे।  इसके बाद दीवाली पर 'प्रेम रतन धन पायो' रिलीज़ होगी।  इस फिल्म में सलमान खान की दोहरी भूमिका है।  सूरज बड़जात्या और सलमान खान की दीवाली पर रिलीज़ फ़िल्में चांदी काटती है।  सलमान खान का लम्बे समय बाद परदे पर आया किरदार प्रेम भी दर्शकों का प्रेम पायेगा।
 सलमान खान मुंबई के बांद्रा बॉय माने जाते हैं।  यह बड़े फिल्म स्टार्स की बिगड़ैल औलादों का टैग है। अपनी  किशोरावस्था में सलमान खान ने अपने पिता सलीम खान को सुपर स्टार पैदा करने वाले लेखक का सम्मान पाते देखा था।  इसी सलीम खान ने सलमान को पैदा किया था। तो सलमान खान खुद को सुपर स्टार जैसा क्यों नहीं समझते।  इसी गुमान ने उन्हें बद गुमान, बद दिमाग और बैड बिहेवियर वाला सलमान खान बना दिया।  शराब पीकर मारपीट करना और तेज़ रफ़्तार से गाड़ियां चलाना ऎसी बिगड़ैल औलादों का शगल होता है।  सलमान खान के इसी शगल ने उन्हें अपराध पर अपराध करने के लिए प्रेरित किया।  इसी कारण से वह सज़ायाफ्ता मुज़रिम साबित हो गए।
फिल्म सितारों का मानना है कि  बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ।  सलमान खान भी फिल्म स्टार हैं।  वह केवल स्टार नहीं सुपर स्टार हैं।  इसलिए उन्हें सज़ा भी पांच साल हुई है।  इस सज़ा ने उनकी स्टार अपील में इज़ाफ़ा ही किया है।  सलमान खान की इस साल की दोनों फ़िल्में सुपर हिट होने जा रही हैं।  लेकिन, क्या सलमान खान दूसरे संजय दत्त बनने नहीं जा रहे ?  नब्बे के दशक के बॉम्बे सीरियल ब्लास्ट में  संजय दत्त सुप्रीम कोर्ट तक गए, अपनी सज़ा टलवाने के लिए।  क्या संजय दत्त इसमे कामयाब हुए ? नहीं।  आज ५५ साल की उम्र में वह येरवडा सेंट्रल जेल में सज़ा काट रहे हैं।  क्या ४९ साल के सलमान खान भी कुछ उसी राह पर नहीं चल रहे ?



राजेंद्र कांडपाल 

Wednesday, 20 May 2015

ये है 'जज़्बा' का विलेन

एक सफल महिला वकील।  वह कभी कोई केस नहीं हारी है।  उसकी एक बेटी भी है।  एक दिन उसके पास एक फ़ोन कॉल आती है कि उसकी बेटी का किडनैप कर लिया गया है। अगर उसे अपनी बेटी को फिर देखना है तो उसे पांच बार दोषी ठहराए जा चुके और फांसी की सज़ा पाये अपराधी को निर्दोष ठहराना है।  इसके लिए उसके पास केवल सात दिन ही हैं।
यह कहानी है कोरियाई फिल्म 'सेवन डेज' की।  डायरेक्टर शिन-येऊन वोन की इस फिल्म को हिट विदेशी फिल्मों पर फिल्म बनाने के उस्ताद हिंदी फिल्म डायरेक्टर संजय गुप्ता फिल्म बना रहे है।  जज़्बा टाइटल वाली इस फिल्म से अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन वापसी कर रही हैं।  इरफ़ान खान, अनुपम खेर और शबाना आज़मी सह भूमिका में हैं।  फिल्म में मुख्य विलेन का किरदार चन्दन रॉय सान्याल कर रहे हैं।  चन्दन रॉय सान्याल को दर्शकों ने आमिर खान की फिल्म रंग दे बसंती में बटुकेश्वर दत्त के छोटे किरदार में देखा था।  कमीने में वह शाहिद कपूर के दोस्त मिखाइल के किरदार में थे। फालतू, टेल मी ओ खुद, डी-डे, प्राग और कांची उनकी अन्य फ़िल्में थी।
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क्या साउथ से नार्थ तक साबित होगा 'बाहुबली' !

'बाहुबली : द बेगिनिंग' निर्देशक एसएस राजामौली की दो भागों में  तमिल और तेलुगु  भाषा में बनाई जा रही एक्शन, एडवेंचर हिस्टोरिक फिल्म है, जिसे हिंदी, इंग्लिश और मलयालम के अलावा कई बिदेशी भाषाओँ में डब कर रिलीज़ किया जायेगा । इस फिल्म में बाहुबली शिवुडु का ऐतिहासिक किरदार प्रभाष निभा रहे हैं।  राणा दग्गुबती ने उनके छोटे भाई भल्लाला देवा का किरदार किया है।  हिंदी में इस फिल्म को करण जौहर प्रेजेंट कर रहे हैं।  आज इस फिल्म का नया पोस्टर रिलीज़ हुआ तो इसमे चेहरा राणा दग्गुबती का ही था।  इस पोस्टर को ट्विटर पर करण जौहर ने पेश किया। इस फिल्म में तमन्ना, अनुष्का शेट्टी, सुदीप, नासर, सथ्य राज और राम्या कृष्णन की भूमिकाएं भी उल्लेखनीय हैं।  फिल्म का पहला भाग १० जुलाई को रिलीज़ होगा।  
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'बॉम्बेरिया' में राधिका का आप्टे साड़ी लुक

आजकल हिंदी फिल्मों के एक्टर खुद के लुक पर फिल्म की ज़रुरत के मुताबिक तब्दीलियां करने में नहीं हिचकिचाते। यह लोग खुद को नॉन ग्लैमर लुक में पेश करने से परहेज़ नहीं करते। ऎसी ही एक एक्ट्रेस राधिका आप्टे भी हैं।  दर्शक राधिका आप्टे को फिल्म 'बदलापुर' और 'हंटर' में सेक्सी अंदाज़ में देख चुके हैं।  आम तौर पर राधिका आप्टे का जिक्र सेक्सी घटनाओं को लेकर ही होता आया है।  पिछले दिनों यह खबर फैली कि अनुराग कश्यप की एक शार्ट फिल्म में फिल्माया गया राधिका आप्टे का एक न्यूड सीन सोशल साइट्स पर वायरल हो गया है।  अनुराग कश्यप ने इसकी पुलिस कंप्लेंट भी दर्ज़ कराई।  लेकिन, इस कॉन्ट्रोवर्सी का फायदा न अनुराग कश्यप को हुआ न राधिका आप्टे को।  अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म 'बॉम्बे वेलवेट' बुरी तरह पिट गई।  वहीँ, राधिका आप्टे की नंदमुरी बालकृष्ण और तृषा कृष्णा के साथ तमिल फिल्म 'लायन' दक्षिण के बॉक्स ऑफिस पर भीगी बिल्ली साबित हुई।  हालाँकि, उसी समय राधिका आप्टे ने अपने कथित न्यूड वीडियो की लीक को हंसी में टाल दिया था। बहरहाल, राधिका आप्टे ने अपनी निर्माता माइकल वार्ड की फिल्म 'बॉम्बेरिया' में खुद पर बेहद सादगी भरा गेटअप पहनाया है।  वह फिल्म में छोटे बालों के साथ सफ़ेद लेस वाली साड़ी और हलके हरे ब्लाउज में नज़र आ रही हैं।  फिल्म के फर्स्ट लुक से इसका पता चलता है। फिल्म में वह एक पीआर एग्जीक्यूटिव का किरदार कर रही हैं।  फिल्म बॉम्बेरिया में जिस प्रकार के गेटअप में राधिका आप्टे नज़र आ रही हैं, वैसे बॉम्बे में किसी पीआर एग्जीक्यूटिव का लुक तो हमने नहीं देखा। वैसे फिल्म में मेघना के किरदार में  राधिका ने तीन लुक रखे हैं।  यह लुक इसमे से एक है।





बॉलीवुड मुंबई से चला पाकिस्तान

'वेलकम टू कराची' एडवेंचर पसंद दो दोस्तों की कहानी है, जो पाकिस्तान में तनाव के बीच कराची में फंस जाते हैं। पर यह एंटी पाकिस्तान फिल्म नहीं। यह एक सोशल कॉमेडी फिल्म है। मगर, फिल्म के टाइटल के अलावा 'वेलकम टू कराची' असल कराची तक नहीं है।  इस फिल्म के तमाम शूटिंग लंदन में हुई है।  वही कराची का सेट खड़ा किया गया था।  यह फिल्म अब तक की पाकिस्तान का जिक्र करने वाले फिल्मों का नमूना है, जिनमे पाकिस्तान हकीकत में नहीं है।  पर कहानी और संवादों के ज़रिये पाकिस्तान दर्शकों के जेहन में आता है।  
नहीं होता था पाकिस्तान का ज़िक्र 
प्रारंभिक (आज़ादी के बाद की) हिंदी फिल्मों में पाकिस्तान का ज़िक्र नहीं पाया जाता।  हालाँकि, उस दौर में विभाजन के बाद के पाकिस्तान से आये कपूर परिवार, दिलीप कुमार, देव आनंद, चेतन आनंद, बलराज साहनी, आदि बहुत से अभिनेता और फिल्मकार बॉलीवुड में सक्रिय थे।  इन अभिनेताओं या फिल्मकारों ने या तो विभाजन की त्रासदी या तो खुद झेली थी या उनके परिवार के किसी सदस्य ने।  इसके बावजूद साथ के दशक तक की हिंदी फिल्मों में पाकिस्तान का ज़िक्र नहीं पाया जाता। पाकिस्तान का पहला ज़िक्र १९६७ में रिलीज़ मनोज कुमार की फिल्म 'उपकार' में हुआ था, जिसमे भारत पाकिस्तान के बीच १९६५ में हुए पहले युद्ध को दिखाया गया था। लेकिन, इस फिल्म में भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया था। पाकिस्तान बॉलीवुड के निशाने पर आया १९७१ के युद्ध के बाद।  पाकिस्तान को निशाने पर रखने के लिहाज़ से पहली उल्लेखनीय थी चेतन आनंद की फिल्म 'हिंदुस्तान की कसम' । इस फिल्म में १९७१ का हिंदुस्तान पाकिस्तान युद्ध था। लेकिन, चेतन आनंद भी पाकिस्तान का सीधा ज़िक्र करने से बचे। 
आया बदलाव 
समय के साथ हिंदी फिल्मों में बदलाव आया।  आम तौर पर युद्ध के दृश्यों के ज़रिये पाकिस्तान का ज़िक्र करने वाली हिंदी फ़िल्में पाकिस्तान का नाम लेने लगी।  राजकपूर की फिल्म 'हिना' में पाकिस्तान की लड़की से हिंदुस्तान के लडके का प्रेम था।  लेकिन, जेपी दत्ता की १९७१ के युद्ध पर बनी फिल्म 'बॉर्डर' में पाकिस्तान को खुले आम दुश्मन देश बताया गया था।  इस फिल्म ने सनी देओल को पाकिस्तान के विरुद्ध देशभक्त साबित होने की शुरुआत कर दी थी । बॉर्डर के बाद सनी देओल फिल्म 'ग़दर एक प्रेमकथा' में पाकिस्तान को जम कर गालियां दे रहे थे।  फिल्म 'माँ तुझ सलाम' में उनका डायलाग 'दूध मांगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे' आज भी युवा हिन्दुस्तानियों का पसंदीदा संवाद है। आमिर खान की फिल्म 'सरफ़रोश' में साफ़ तौर पर सरहद पार के आतंक का उल्लेख किया गया था। सनी देओल की फिल्म 'ग़दर एक प्रेमकथा' तथा अन्य फ़िल्में कारगिल युद्ध और भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद उपजे गहरे अविश्वास और दुश्मनी की भावना के कारण पाकिस्तान को दुश्मन देश ही नहीं साबित कर रही थी, बल्कि लगभग अपमानित कर रही थी ।  यहाँ शाहरुख़ खान की दो फिल्मों का ज़िक्र ख़ास कर करना होगा। उनकी फिल्म 'मैं हूँ न' पाकिस्तान के आतंकवाद की बात तो करती थी, लेकिन, आतंक का सूत्रधार एक हिंदुस्तानी को बताती थी।  इसी प्रकार से वह दूसरी ओर हिंदुस्तान पाकिस्तान रोमांस वाली फिल्म 'वीर-ज़ारा' भी कर रहे थे। उनकी एक अन्य फिल्म 'माय नाम इज़ खान' में केवल खान होने के कारण आतंकवादी समझने को गलत करार दिया गया था । इस फिल्म का कथानक अमेरिका, आदि देशों में शक की निगाह से देखे जा रहे पाकिस्तानियों के सेंटिमेंट के भी करीब थी। 
सब बाजार का मामला है 
पाकिस्तान जैसे जैसे बड़ा बाज़ार साबित होता जा रहा है, बॉलीवुड फिल्मकारों का पाकिस्तान के प्रति रवैया नरम पड़ता जा रहा है।  हालाँकि, दक्षिण से 'कंधार', 'कीर्ति चक्र' और 'विश्वरूपम' जैसी फ़िल्में कोई नरमी नहीं दिखाती।  लेकिन, बॉलीवुड के फिल्मकार करोड़ों के (१०- १५ करोड़ के) पाकिस्तानी फिल्म बाजार के लालच में पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया अपनाने के लिए विवश हैं। यही कारण है कारगिल वॉर के बावजूद फरहान अख्तर की फिल्म 'लक्ष्य' कारगिल वॉर के लिए पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा नहीं करती थी । इसके ठीक उलट टोटल सियापा फिल्म में पाकिस्तान के समाज को समझने की कोशिश की गई थी। पाकिस्तान को भी 'पीके' जैसी फ़िल्में पसंद आती हैं, जो पाकिस्तानियों को विश्वसनीय बताती हैं।  
हिंदी फिल्मों में पाकिस्तान 
बॉलीवुड ने देश विंभाजन, पाकिस्तान और हिन्दू मुस्लमान संबंधों पर बहुत सी फ़िल्में बनाई हैं। देश विभाजन को दिखाने वाली फिल्मों में धर्मपुत्र (१९६१), गरम हवा (१९७३), गांधी (१९८२), आदि फ़िल्में उल्लेखनीय है।  गरम हवा में विभाजन के बाद हिंदुस्तान रह गए मुसलामानों के प्रति अविश्वास का चित्रण था। दीपा मेहता की फिल्म अर्थ (१९९८) में देश विभाजन के दौर में एक पारसी के हिन्दू-मुस्लिम दंगों में फंस जाने की इमोशनल रोमांस कहानी थी । ट्रेन टू पाकिस्तान (१९९८) की कहानी ब्रिटिश इंडिया के बॉर्डर के दो गाँव के बीच पैदा तनाव की कहानी थी। शहीद-ए- मोहब्बत बूटा सिंह (१९९९) हिंदुस्तान के बूटा सिंह की पाकिस्तान की लड़की से प्रेम की कहानी थी। हे राम (२०००) स्वतंत्र संग्राम के दौर की कहानी थी। ग़दर के प्रेम कथा (२००१) का नायक तारा सिंह विभाजन के दौरान दंगों में फांसी एक मुसलमानी लड़की से शादी कर लेता है। खामोश पानी और पिंजर (२००३) भी विभाजन के दौरान की कटुता और अविश्वास की कहानियाँ थी। अमृत सागर की फिल्म १९७१ भारत के छह सैनिकों की कहानी थी, जो पाकिस्तानी युद्ध बंदी थे। पाकिस्तान के द्वारा सीमा पार से खड़े किये गए आतंकवाद और कश्मीर को लेकर हैदर तक ढेरों फ़िल्में बनी हैं, जिनमे कही न कही पाकिस्तान है।   
क्यों बैन हुई पाकिस्तान में यह फ़िल्में 
बेबी- पाकिस्तान विरोधी फिल्म होने के कारण अक्षय कुमार की नीरज पाण्डेय निर्देशित फिल्म 'बेबी' को फिल्म में तीन तीन पाकिस्तानी कलाकार होने के बावजूद बैन का सामना करना पड़ा था। फिल्म में एक आतंकवादी चरित्र की शक्ल हफ़ीज़ मोहमद सईद से भी मिलती जुलती थी।  
हैदर- शाहिद कपूर की फिल्म 'हैदर' को कश्मीर के कुछ विवादित तत्वों को दिखाने के कारण पाकिस्तान में रिलीज़ के योग्य नहीं पाया गया। 
चेन्नई एक्सप्रेस - शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस'  ईद के दौरान ८ अगस्त को रिलीज़ हुई थी। लेकिन, इस फिल्म की रिलीज़  पाकिस्तान में ८ अगस्त को नहीं हो सकी, क्योंकि बॉक्स ऑफिस पर ईद का फायदा उठाने के लिए पाकिस्तान की चार फ़िल्में जोश, इश्क़ खुद, वॉर और मेरा नाम अफरीदी रिलीज़ हो रही थी।  'चेन्नई एक्सप्रेस इन फिल्मों को नुक्सान पहुंचाती।  इसलिए 'चेन्नई एक्सप्रेस' को ईद के बाद किसी दूसरी तारिख को रिलीज़ करने के आदेश दिए गए।  
भाग मिल्खा भाग- मशहूर धावक मिल्खा सिंह पर फरहान अख्तर की फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' को पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने कुछ संवादों के कारण पाकिस्तान में प्रदर्शन के अयोग्य पाया था।  इस फिल्म में मिल्खा सिंह को पाकिस्तान जाने से  इस बिना पर इंकार करते हुए दिखाया गया था कि  मिल्खा सिंह के परिवार को पाकिस्तान में क्रूरता से मार डाला गया था। पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड को  मिल्खा सिंह द्वारा बोले संवाद 'मुझसे नहीं होगा।  मैं पाकिस्तान नहीं जाऊंगा' पर ऐतराज था।  
डेविड- बिजॉय नाम्बियार की फिल्म 'डेविड' भी पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं हो सकी थी।  क्योंकि, डेविड पाकिस्तान सेंसर बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों पर खरी नहीं उतरती थी।  जब सेंसर बोर्ड से इस फिल्म को रिलीज़ न होने देने की बाबत पूछा गया तो उनका जवाब था कि  फिल्म के साथ कई इशू हैं, लेकिन कुल मिला कर यह फिल्म पाकिस्तान में दिखाए जाने के योग्य नहीं है। 
खिलाडी ७८६ -  पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने पहले अक्षय कुमार और असिन की फिल्म 'खिलाडी ७८६' के ट्रेलर और बाद में पूरी फिल्म को पाकिस्तान में रिलीज़ का सर्टिफिकेट नहीं दिया।  क्योंकि, फिल्म में मुसलमानों के लिए पवित्र संख्या ७८६ का फिल्म के साथ उपयोग किया गया था और यह  'पाकिस्तानी आवाम की धार्मिक भावनाओं को हर्ट कर सकती थी। 
एक था टाइगर- सलमान खान और कैटरीना कैफ स्टारर फिल्म 'जब तक है जान' ईद के दौरान पाकिस्तान में रिलीज़  होने जा रही थी।  इस  फिल्म में सलमान खान रॉ के एजेंट और कैटरीना कैफ आईएसआई की  एजेंट दिखाई गई थी।  इस फिल्म को पाकिस्तान में इस लिए बैन कर दिया गया क्योंकि फिल्म में आईएसआई को आतंकी गतिविधियाँ चलाते दिखाया गया था। 
एजेंट विनोद- सैफ अली खान और करीना कपूर की  फिल्म 'एजेंट विनोद' में पाकिस्तान में अतवकवादियों के अड्डे, आईएसआई और पाकिस्तान के जनरल को तालिबानों और आतंकवा दियों को सपोर्ट करते दिखाया गया था।  ऐसे में एजेंट विनोद के पाकिस्तान में रिलीज़ होने का सवाल ही कहाँ उठता था। 
डर्टी पिक्चर्स- साउथ की फिल्म एक्ट्रेस सिल्क स्मिता की फिल्म 'डर्टी पिक्चर्स' को इसके बोल्ड संवादों और दृश्यों के कारण पाकिस्तान में रिलीज़ के योग्य नहीं पाया गया। 
तेरे बिन लादेन- इस फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता और गायक अली ज़फर मुख्य भूमिका में थे।  इसके बावजूद 'तेरे बिन लादेन' पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं हो सकी क्योंकि, फिल्म में बिन लादेन को कॉमिक किरदार में दिखाया गया था।  फिल्म में भद्दे और आपत्तिजनक संवाद,  गालियां और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ थी।  फिल्म पाकिस्तान की कानून व्यवस्था से जुडी संस्थाओं की नेगेटिव इमेज दिखाती थी। 
लाहौर- फिल्मकार संजय पूरन चौहान की फिल्म लाहौर किक बॉक्सिंग पर फिल्म थी।  इस फिल्म में भारत और पाकिस्तान को राजनीती और धर्म द्वारा बांटने की बात कही गई थी।  लेकिन, पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को फिल्म में कुछ संवाद और दृश्य आपत्तिजनक लगे थे।
पटना से पाकिस्तान (भोजपुरी फिल्म)- दिनेश लाल यादव, आम्रपाली और काजल की फिल्म 'पटना से पाकिस्तान' की कहानी पाकिस्तान की हीरोइन और हिंदुस्तान के हीरो की कहानी है।  हीरो एक दरगाह में हुए ब्लास्ट का बदला लेने और अपनी हीरोइन को वापस लेने पाकिस्तान जाता है।  यह फिल्म सुपर हिट साबित हुई थी।  
पाकिस्तानी एक्टर्स 
बॉलीवुड की फिल्मों में कई पाकिस्तानी अभिनेता अभिनेत्रियों ने अपना भाग्य आजमाया।  कुछ बिलकुल असफल रहे।  कुछ प्रारंभिक सफलता के बाद असफल हो गए। पाकिस्तानी एक्टरों को हिंदी फिल्म में मौका दिया, उन्ही मनोज कुमार ने जिन्होंने अपनी फिल्म 'उपकार'  में पहली बार भारत पाकिस्तान युद्ध शामिल किया था। फिल्म थी क्लर्क, जिसमे पाकिस्तान के सुपर सितारे मोहम्मद अली और उनकी पत्नी ज़ेबा। फिल्म बुरी तरह से असफल रही।  पाकिस्तानी एक्टरों का बॉलीवुड पर यह अटैक खाली गया।  सलमा आगा की बीआर चोपड़ा की फिल्म निकाह (१९८२) से ज़बरदस्त शुरुआत हुई थी।  उन्होंने निकाह के गाने भी गाये थे।  इसलिए उन्हें हिंदुस्तान के लिए दूसरी सुरैया माना जा रहा था।  लेकिन, चोपड़ाओं से पंगा ले लेने के कारण उनका  गया। अब यह बात दीगर है कि  उनकी बेटी साशा आगा ने यशराज बैनर की फिल्म 'औरंगज़ेब' से बॉलीवुड में फ्लॉप डेब्यू किया था।  पाकिस्तान से आये अन्य अभिनेता और अभिनेत्रियों में अनीता अयूब प्यार का तराना,  सारा लॉरेन - कजरारे, मर्डर ३ और बरखा, अली ज़फर तेरे बिन लादेन, मेरे ब्रदर की दुल्हन, चश्मे बद्दूर, वीना मालिक ज़िंदगी फिफ्टी फिफ्टी, मुंबई १२५ केएम, मीरा सोनी राज़दान की फिल्म नज़र ,ज़ेबा बख्तियार हिना, जय विक्रांता और स्टन्टमैन, सोमी अली अंत, जावेद शेख चक दे इंडिया, मीशा शफी भाग मिल्खा भाग, मोहसिन खान मैडम एक्स, बंटवारा, घूँघट और साथी, माहिरा खान रईस, फवाद खान खूबसूरत, हुमैमा मालिक राजा नटवरलाल, इमरान अब्बास नक़वी क्रीचर ३ डी  के नाम ख़ास उल्लेखनीय हैं। 
पाकिस्तान से हिंदुस्तान की फिल्म इंडस्ट्री में भाग्य आजमाने वाले पाकी कलाकारों का यह सिलसिला लम्बा चलने वाला है।  हिंदुस्तान के चैनल ज़िन्दगी से प्रसारित हो रहे टीवी सीरियलों से पाकिस्तान की प्रतिभाएं हिंदी फिल्म निरामतों के सामने आ रही हैं। शाहरुख़ खान के साथ फिल्म 'रईस' में उनकी नायिका का रोल करने वाली पाकी अभिनेत्री महिरा खान अकेला उदाहरण नहीं हैं।  


अल्पना कांडपाल 

स्टार वर्ल्ड पर 'अफेयर'

विवाहेतर संबंधों का परिवार और पति-पत्नी के सम्बन्धो पर कैसा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है, टीवी ड्रामा 'द अफेयर' इसकी छानबीन करता है।  द अफेयर की यह छानबीन स्त्री और पुरुष रवैये से अलग अलग है।  इन मनोभावों को पेश करने के लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड विजेता अभिनेत्री रुथ विल्सन ने एक डिनर युवा वेट्रेस एलिसन  का किरदार किया  है।  उसका पति कोल (जोशुआ जैक्सन) अपनी पत्नी से ख़राब संबंधों के मद्देनज़र बिखरते परिवार और बिज़नेस को समेटने की कोशिश कर रहा है।  इन दोनों के खटास से भरे सम्बन्ध उस समय ज़्यादा तनावपूर्ण हो जाते हैं, जब उसके सम्बन्ध न्यूयॉर्क सिटी पब्लिक स्कूल के टीचर नूह (डोमिनिक वेस्ट) से बन जाते हैं। इस त्रिकोणात्मक अफेयर को चौकोण बनाती है हेलेन (मायरा तिएर्नेय), जो नूह की कॉलेज की प्रेमिका, अच्छी दोस्त, उसके बच्चों की माँ और पिछले १७ साल से उसकी पत्नी है।  इस सीरीज को साराह ट्रीम ने लिखा है।  साराह हाउस और इन ट्रीटमेंट जैसी सीरीज लिख चुकी हैं।  इस सीरीज के डायरेक्टर फ्राइडे नाईट लाइट के जेफरी रेिनेर हैं।  स्टार वर्ल्ड एचडी पर 'द अफेयर' को २६ मई से देखा जा सकेगा। 

एक थी 'बा' !

टेलीविज़न की सर्वाधिक लोकप्रिय 'बा' नहीं रही।  एकता कपूर के सीरियल 'क्योंकि…सास भी कभी बहू' के विरानी परिवार की बा अम्बा गोवर्धन विरानी का चरित्र करने वाली अभिनेत्री सुधा शिवपुरी का निधन हो गया। उनके निधन के बाद ज़्यादातर लोग उन्हें याद करेंगे उनके टीवी सीरियलों और फिल्मों में रोल की वजह से, लेकिन उनके चले जाने से कोई स्थान रिक्त नहीं होगा।  क्योंकि, वह काफी पहले ही एक्टिंग से अलग हो गई थी।  उनकी आखिरी हिंदी फिल्म 'पिंजर' २००३ में प्रदर्शित हुई थी।  उनका आखिरी टीवी सीरियल 'मनीबेन.कॉम' भी २००९ में प्रसारित हुआ था। यानि छह साल लम्बा समय छोटा पर्दा छोड़े हो गया था।  इस दौरान न जाने कितनी जवान अभिनेत्रियां माँ और सास बन गई।  एकता कपूर ने ही तुलसी वीरानी यानि स्मृति ईरानी को सास बना दिया था।  ऐसे में सुधा शिवपुरी को कौन याद रखता।  इसके बावजूद 'क्योंकि....सास  भी कभी बहु थी' की ममता से भरी मधुर भाषी बा टीवी दर्शकों को १५ साल बाद भी याद है।  सुधा का १४ जुलाई १९३७ को राजस्थान में हुआ था। जब वह आठवी में थी, तभी पिता की मृत्यु और माँ के बीमार हो जाने के कारण परिवार की ज़िम्मेदारी  सुधा के कन्धों पर आ गई।  डेल्ही थिएटर में काम करते हुए वह  ओम शिवपुरी से मिली और दोनों ने विवाह कर लिया । इन दोनों ने अपना थिएटर ग्रुप दिशांतर बनाया। सत्तर के दशक में ओम शिवपुरी को हिंदी फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया था, इसलिए पूरा शिवपुरी परिवार मुंबई आ गया।  सुधा शिवपुरी को अपनी पहली ही फिल्म, बासु चटर्जी की फिल्म 'स्वामी' में शबाना आज़मी की माँ का किरदार मिला।  इसी के साथ उन पर माँ का ठप्पा लग गया।  सुधा शिवपुरी की उल्लेखनीय फिल्मों में 'अरविन्द देसाई की अजीब दास्तान', 'विधाता', 'खोज', आदि थी।  सुधा शिवपुरी का फिल्मों और टीवी सीरियलों में आना जाना सा लगा रहा। उनकी एक बेटी ऋतू शिवपुरी ने भी फिल्म 'आँखे' जैसी हिट फिल्म में गोविंदा के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी।  टीवी सीरियलों की इस ममतामई 'बा' को श्रद्धांजलि। 


Tuesday, 19 May 2015

यह है ज़िंदगी की 'ए बी सी डी २'

फरवरी ८, २०१३ को रिलीज़ रेमो डि'सूज़ा की डांस पर फिल्म 'ए बी सी डी -एनी बॉडी कैन डांस' की सीक्वल फिल्म 'ए बी सी डी २' अगले महीने १९ तारिख को रिलीज़ होने जा रही है।  रेमो की पहली फिल्म एक डांसर के खुद को साबित करने की कहानी थी।  वह खुद को स्ट्रीट डांसर्स के ज़रिये साबित कर दिखाता है।  रेमो की सीक्वल फिल्म एक डांस ग्रुप के संघर्ष की सच्ची कहानी है।  इस फिल्म में आजकल युवाओं के दिलों की धड़कन वरुण धवन और श्रद्धा कपूर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म में प्रभुदेवा पहली फिल्म के विष्णु सर की भूमिका में ही हैं।  लेकिन, इस बार रेमो का पूरा फोकस युवा स्टार कास्ट पर है।  इस फिल्म के पोस्टर से भी यह साबित होता है।  इस पोस्टर में पानी पर हाथ मार कर छींटे उड़ाते वरुण धवन चैलेंज देते और स्वीकार करते से लग रहे हैं। उनके पीछे श्रद्धा कपूर सहित पांच डांसर भी हैं।  इस पोस्टर में अंग्रेजी के कैपिटल लेटर्स में लिखा - डांस इज़ अ वे ऑफ़ लाइफ- पूरी कहानी कह जाता है। 

यह है ऐश्वर्या राय बच्चन का 'जज़्बा'

फिल्म निर्देशक संजय गुप्ता की ९ अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'जज़्बा' का फर्स्ट लुक पोस्टर आज कांस फिल्म फेस्टिवल में जारी हो गया।  इस फिल्म से ऐश्वर्या राय बच्चन रुपहले  परदे पर वापसी कर रही हैं।  इस फिल्म में इरफ़ान खान, शबाना आज़मी, अनुपम खेर, चन्दन रॉय सान्याल, प्रिया बनर्जी और अतुल कुलकर्णी भी ख़ास भूमिका में हैं।  लेकिन, इस पोस्ट से साफ़ है कि जज़्बा का सारा जज़्बा वकील बनी ऐश्वर्या रॉय ही हैं।  पोस्टर में हाथों पर टिकी हुई ऐश्वर्या ज़मीन पर गिरी हुई हैं।  उनके हाथ धूल से सने हुए हैं। पृष्ठभूमि पर ऊंची ऊंची इमारतें धूल के बवंडर से घिरी नज़र आ रही हैं।  ऐसा लगता है कि ऐश्वर्या किसी के पीछे भागते हुए, लड़खड़ा के ज़मीन पर गिर पड़ी हैं।  शायद वह भागते हुए जाते व्यक्ति को आक्रोश से भरी देख रही हैं।  लगता है वह चीखना चाहती हैं या चीख चुकी है।  लेकिन, पोस्टर से एक बात समझ में नहीं आई मिसेज बच्चन के बाल इतने संवारे हुए से क्यों हैं ? एक एक लट सही जगह पर रखी हुई!

Monday, 18 May 2015

सेंस ८ में टीना देसाई के पिता अनुपम खेर

साइ-फाइ और एक्शन के चहितों के लिए 5 जून से एक नया शो 'सेंस ८' शुरू होने जा रहा है। वैकॉस्की द्वारा निर्मित यह नेटफ्लिक्स सीरिज़ है। इस शो की एक नायिका टीना देसाईं है, जो तीन चार हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुकी है।  ख़ास बात यह है कि इस शो में अनुपम खेर टीना देसाईं के पिता की भूमिका में नज़र आएंगे। 'सेंस ८' की कहानी विश्व के अलग अलग देशों में रहनेवाले आठ लोगों की है, जो एक दर्दनाक घटना के एक दूसरे को मानसिक तथा भावनात्मक स्तर पर जुड़ा पाते हैं। ख़ास बात यह है कि  इन आठों को मिल कर ऐसा कुछ करना है ताकि वह उन लोगों के खतरे से निपट सकें, जो इन आठों को खुद के लिए खतरा महसूस कर रहे हैं। इस इंटेंस ड्रामा सीरीज का एक्शन भी लाजवाब है।  यह सीरीज लोगों की पहचान, लैंगिकता, विश्वास तथा मान्यताओं के विस्तृत स्वरूप पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करती है, जिसे हमनें मन के अतल गहराइयों में कहीं दफन कर दिया है। इसमें दिखाया गया है कि हम अजनबियों के साथ कैसे रहते हैं, अपने प्रियजनों के साथ कैसे रहते हैं और जब अकेले रहते हैं तो कैसे रहते हैं। सिर्फ यही नहीं इसमें यह भी दिखाया गया है कि तब हमारी प्रतिक्रिया क्या होती है जब हमारी प्राइवेसी पर हमला होता है। इस शो के बारे में टीना ने कहा, ‘’सेंस 8 के ट्रेलर को देखकर पूरे विश्व की सांसे थम गयी हैं।  सभी इसे देखने के लिए बेताब हैं। इसमें दो राय नहीं कि इसका प्लॉट काबिले तारीफ है। इस ट्रेलर को देखकर मुझे जिस तरह की प्रतिक्रिया मिली है, उससे मैं बेहद खुश हूं।’ गौरतलब है कि टीना देसाईं वर्ष 2011 में रिलीज़ डेब्यू फिल्म ‘यह फासले’ में भी अनुपम खेर की बेटी की भूमिका की थी । नेटफ्लिक्स की यह सीरीज ५ जून से देखी जा सकेगी। 


राजेंद्र कांडपाल 

वेस्टमिंस्टर पर फिल्माया गया 'स्पेक्ट्र' का क्लाइमेक्स

सेंट्रल लंदन का वेस्टमिंस्टर ब्रिज, संडे की शाम, आम तौर पर काफी शांत होता है।  लेकिन, पिछला संडे गहमागहमी वाला था।  क्योंकि, जेम्स बांड लंदन में था।  'जेम्स बांड सीरीज' की २४वी फिल्म 'स्पेक्ट्र' की शूटिंग वेस्टमिंस्टर ब्रिज के नीचे पानी में ठीक उसी बहाव पर हो रही थी, जहाँ १९९९ में पियर्स ब्रॉसनन अपनी बांड फिल्म 'द वर्ल्ड इज़ नोट एनफ' की शूटिंग कर रहे थे।  एक पॉवर बोट पर ली सेडॉक्स और डेनियल क्रैग के स्टन्टमैन के साथ डायरेक्टर सैम मेंडिस 'स्पेक्ट्र' के एक्शन सींस फ़िल्म रहे थे।  मेक्सिको में हुई शूटिंग की तरह यहाँ भी जेम्स बांड के एक्शन डेनियल क्रैग के स्टन्टमैन पर फिल्माए जा रहे थे।  इस स्टन्टमैन ने क्रैग के चेहरे से मिलता जुलता लैटेक्स मास्क पहन रखा था।  सैम मेंडिस सीजीआई का इस्तेमाल कर स्टन्टमैन के चेहरे की जगह क्रैग का चेहरा लगाना पसंद नहीं करते।  'स्पेक्ट्र' की शूटिंग के दौरान वॉक्सहॉल ब्रिज सहित वेस्टमिंस्टर के कई इलाके बंद कर दिए गए थे।  इस सीन में पावर बोट से भाग रहे बांड और मैडेलीन का पीछा हेलीकॉप्टर से किया जा रहा है। दर्शकों को 'स्पेक्ट्र' के इस क्लाइमेक्स सीन में हाउस ऑफ़ पार्लियामेंट, द बिग बेन टावर और एमई ६ बिल्डिंग दिखाई पड़ेगी।  इस चेज सीन की शूटिंग अगले तीन वीकेंड में भी जारी रहेगी।  



अल्पना कांडपाल