Thursday, 28 July 2016

महाश्वेता देवी की कहानी पर बनी थी संघर्ष

बांगला लेखिका महाश्वेता देवी का आज ९० साल की आयु में निधन हो गया। महाश्वेता देवी की रचनाओं पर कुछ यादगार और बहुप्रशंसित फिल्मों का निर्माण हुआ है। हिंदी दर्शकों को, पहली बार महाश्वेता देवी की कलम से बजरिया रुपहला पर्दा रुबरु होने का मौका मिला हरमन सिंह रवैल की फिल्म संघर्ष से। २७ जुलाई १९६८ को रिलीज़ यह फिल्म महाश्वेता देवी की लघु कथा लाय्ली आसमानेर अयना पर आधारित थी। यह फिल्म वाराणसी की मशहूर ठगी और ठगों के दो गुटों के बीच संघर्ष पर थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला, जयंत, बलराज साहनी, संजीव कुमार, उल्हास और इफ़्तेख़ार जैसे सशक्त अभिनेताओं ने दमदार अभिनय किया था। लेकिन, यह फिल्म फ्लॉप हुई थी। निर्देशक कल्पना लाजमी ने महाश्वेता देवी की एक अन्य लघु कथा पर फिल्म रुदाली का निर्माण किया। डिंपल कपाडिया, राज बब्बर, राखी और अमजद खान की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म ऑस्कर की विदेशी फिल्मों की श्रेणी के लिए भेजी गई। महाश्वेता देवी के १९७५ में प्रकाशित पुस्तक मदर ऑफ़ १०८४ पर गोविन्द निहलानी ने हजार चौरासी की माँ का निर्माण किया था। यह फिल्म एक ऐसी माँ की कहानी थी, जिसका पुत्र नक्सल आन्दोलन में अपनी जान गंवा देता है। इस फिल्म में जया बच्चन ने माँ की भूमिका की थी। इस फिल्म ने १९९८ में बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। उनकी एक दूसरी लघु कथा चोली के पीछे पर एक इतालवी फिल्म डायरेक्टर इटालोस्पिनेली ने फिल्म गंगोर का निर्माण किया। इस फिल्म को बंगाली, संथाली और इंग्लिश में बनाया गया। यह फिल्म इतालवी भाषा में डब कर इटली के फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई। मशहूर फिल्म अभिनेता अमोल पालेकर की पत्नी चित्रा पालेकर ने महाश्वेता देवी की कहानी बायेन पर मराठी फिल्म माती माय का निर्माण किया था। महाश्वेता देवी की रचनाओं पर बनी यह सभी फ़िल्में सशक्त चरित्रों और समाज को निशाना बनाते कथानकों के कारण चर्चा में रहीं। उन्हें श्रद्धांजलि। 






Wednesday, 27 July 2016

बॉलीवुड फिल्मों में मशहूर हत्याकांडों की सनसनी !

२ नवम्बर १९५९ । देश के तमाम अख़बारों में इंडिया नेवी के कमोडोर कवास मानेकशॉ नानावटी द्वारा अपने दोस्त प्रेम भगवानदास आहूजा की हत्या की खबरों से पटे हुए थे। कारण आहूजा के नानावटी की पत्नी सिल्विया के साथ अवैध सम्बन्ध था । इस खबर ने अब तक अपराध से मुक्त बम्बई में सनसनी फैला दी थी । इस मामले की हर सुनवाई को अख़बारों की सुर्खियाँ मिली । उस समय देश में जूरी सिस्टम था । सम्मानित जूरी ने नानावटी को दोषमुक्त कर दिया । लेकिन, हाई कोर्ट द्वारा इसे खारिज कर फिर से ट्रायल के लिए सौंप दिया गया । इस ट्रायल में नानावटी को उम्र क़ैद की सज़ा हुई । इस केस के बाद भारत सरकार ने देश में जूरी सिस्टम को ख़त्म कर दिया ।
इस मशहूर हत्याकांड पर कई किताबें लिखी गई और हिंदी फ़िल्में बनाई गई । अभिनेता सुनील दत्त ने अपने प्रोडक्शन हाउस की नींव इसी हत्याकांड पर फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के से रखी । फिल्म के निर्देशक आर के नय्यर थे । सुनील दत्त (नानावटी), रहमान (प्रेम आहूजा) और लीला नायडू (सिल्विया) की मुख्य भूमिका वाली यह रियल लाइफ मर्डर फिल्म फ्लॉप हुई । ये रास्ते हैं प्यार के के बाद इस ट्रायल पर १९७३ में गुलज़ार ने अचानक फिल्म का निर्माण किया । विनोद खन्ना, लिली चक्रवर्ती और ओम शिवपुरी की केंद्रीय भूमिका वाली यह फिल्म हिट साबित हुई । १२ अगस्त को रिलीज़ होने जा रही अक्षय कुमार की फिल्म रुस्तम भी इसी हत्याकांड पर फिल्म है । अभिनेत्री और फिल्म निर्माता पूजा भट्ट की फिल्म लव अफेयर भी मोटामोटी इसी हत्याकांड पर बनाई जा रही है ।
ज़ाहिर है कि ५७ साल बाद भी प्रेम आहूजा हत्याकांड हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को हौंट कर रहा है । क्योंकि, इस हत्याकांड की कहानी में जांबाज़ भारतीय सैन्य अधिकारी है, अवैध प्रेम सम्बन्ध हैं, अखबारी सुर्ख़ियों से भारी सनसनी है और नायक के प्रति भरपूर सहानुभूति के क्षण भी । हिंदी फिल्मों को ऐसे ही मामलों की तलाश होती है । हत्या अपराध में जहां अपराध होता है, वहीँ सनसनी भी होती है । कहानी जानने में दर्शकों की उत्सुकता भी होती है । इसीलिए, काफी हिंदी फ़िल्में रियल लाइफ हत्याकांडों पर बनाई गई ।  इनमे ज्यादा सफल हुई और बुरी तरह से असफल भी । आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में।
आयुषी हत्याकांड पर तलवार और रहस्य
२००८ में नॉएडा के आयुषी तलवार हत्याकांड पर बॉलीवुड ने दो फ़िल्में बनाई । हालाँकि, मनीष गुप्ता की फिल्म रहस्य शुरुआत में आयुषी हत्याकांड पर लगती थी । लेकिन, फिर वह ट्रैक छोड़ कर एक आम हत्या-रहस्य फिल्म बन कर रह गई । वहीँ, विशाल भरद्वाज द्वारा निर्मित और लिखित फिल्म तलवार में इस हत्याकांड का लेखक ने खुद ट्रायल किया था । फिल्म में इंगित करते हुए सवाल उठाये गए थे । इस फिल्म को मीडिया ने काफी उछला भी । इसलिए, अचानक बनाने वाले गुलज़ार की बेटी मेघना की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल रही ।
नॉट अ लव स्टोरी
मई २००८ में टीवी एग्जीक्यूटिव नीरज ग्रोवर का भी १९५९ के सूरी हत्याकांड की तरह मर्डर हुआ था । लेफ्टिनेंट एम एल जेरोम मैथ्यू ने अपनी अभिनेत्री दोस्त के साथ नीरज की हत्या कर दी थी । इतना ही नहीं दोनों ने नीरज की लाश के छोटे छोटे टुकडे कर फेंक दिए थे । इस मामले पर निर्देशक रामगोपाल वर्मा ने नॉट अ लव स्टोरी टाइटल वाली फिल्म का निर्माण किया था । धीमे और क्रूर दृश्यों के कारण यह फिल्म काफी बोझिल हो गई थी । माही गिल, दीपक डोबरियाल और अजय गेही अभिनीत यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी ।
मैं और चार्ल्स-
भारतीय पिता और विएतनामी माँ की संतान चार्ल्स शोभराज को भारत से नफ़रत थी ।  लेकिन, फ्रांस में कुख्यात अपराधी बनने वाले चार्ल्स के नसीब में भारतीय जेल ही थी । सत्तर-अस्सी के दशक में दुनिया, ख़ास तौर पर भारतीय पुलिस को छका मारने वाले चार्ल्स शोभराज को खूबसूरत औरतों की हत्या करने के कारण बिकिनी किलर भी कहा जाता था । इसी करैक्टर पर प्रवाल रमण की फिल्म थी मैं और चार्ल्स । इस फिल्म को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर निखिल कुमार की दृष्टि से बनाया गया था । फिल्म में चार्ल्स शोभराज की भूमिका रणदीप हूडा ने की थी । इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली । 
पांच-
अनुराग कश्यप की फिल्म पांच १९७६-७७ के दौर के कुख्यात सीरियल किलर जोशी अभ्यंकर पर आधारित थी ।  यह फिल्म पांच सदस्यों वाले बैंड के सदस्यों के एक अपहरण करने और फिर हत्या कर देने पर आधारित थी । इसके बाद हत्या, दगाबाजी और प्रतिशोध का सिलसिला चल निकलता है । भारतीय सेंसर ने इस फिल्म को सर्टिफिकेट देने से साफ़ इनकार कर दिया था ।
जॉली एलएलबी-
यह फिल्म एक रईस के लडके संजीव नंदा द्वारा तेज़ रफ़्तार गाड़ी से लोगों को कुचलने  प्रियदर्शिनी हत्याकांड पर मोटे तौर पर आधारित थी । फिल्म के डायरेक्टर और लेखक सुभाष कपूर ने इस फिल्म को अरशद वारसी, सौरभ शुक्ल और बोमन ईरानी के मध्यम से सहज कॉमेडी के तौर पर पेश किया था । यहाँ कोर्ट की परिस्थितियों पर भी टिपण्णी करती थी । अब इस फिल्म के सीक्वल बनाए जाने की खबर है ।
नो वन किल्ड जेसिका-
यह फिल्म भी १९९९ में दिल्ली के एक बार में बार गर्ल जेसिका लाल की एक नेता के बेटे मनु शर्मा द्वारा हत्या किये जाने की घटना पर आधारित थी । राजकुमार गुप्ता की यह फिल्म ख़ास तौर पर मानवीय संवेदना का चित्रण करने वाली फिल्म थी । इस फिल्म में विद्या बालन और रानी मुख़र्जी का बेहतरीन अभिनय था । नो वन किल्ड जेसिका को अच्छी सफलता मिली थी ।
द स्टोन मैन मर्डर-
अस्सी दशक में मुंबई के फूटपाथ पर सोने वालों का आतंक का दशक था । कोई सिरफिरा आदमी बड़े नुकीले पत्थर की मदद से फूटपाथ पर सोये लोगों की हत्या करता था । इस किलर ने मुंबई पुलिस की नींद हराम कर दी थी । मनीष गुप्ता की इस फिल्म में के के मेनन, अरबाज़ खान, विक्रम गोखले और वीरेंदर सक्सेना ने पुलिस अधिकारीयों और सीरियल किलर की भूमिका की थी ।
एक्सीडेंट ऑन हिल रोड-
महेश नायर निर्देशित यह फिल्म हॉलीवुड फिल्म स्टक की ऑफिसियल रीमेक थी । लेकिन, स्टक वास्तव में शान्टे मलार्ड ट्रायल पर आधारित थी । मलार्ड अपनी तेज़ रफ़्तार कार से एक राहगीर को रौंद देती है । लेकिन, उस गरीब बेघर आदमी को चिकित्सा मदद पहुंचाने के बजाय अपनी कार की विंड स्क्रीन पर ही पडा हुआ लेकर अपने घर के गेराज में बंद कर देती है । जहाँ उस व्यक्ति ग्रेगरी ग्लेन बिग्स की व्यक्ति हो जाती है । मलार्ड को लम्बे ट्रायल के बाद दोषी मानते हुए पचास साल की सज़ा सुनाई जाती है । एक्सीडेंट ऑन हिल रोड में इंडियन मलार्ड की भूमिका सेलिना जेटली ने की थी । यह फिल्म फ्लॉप हुई थी ।
सिंस-
एक कैथोलिक पादरी एक सुंदर लड़की से प्रेम करने लगता है । दोनों के बीच सेक्सुअल रिलेशन कायम हो जाते हैं । नतीजे के तौर पर लड़की गर्भवती हो जाती है । जब वह लड़की पादरी से शादी करने के लिए दबाव डालती है तो वह उसे मार डालता है । केरल के एक चर्च के फादर द्वारा एक औरत का मर्डर करने के कारण पूरे देश में चर्चित हुई थी । विनोद पाण्डेय की इस कहानी पर फिल्म सिंस को ईसाई समुदाय द्वारा विरोध किया गया । सेंसर के जाल में फंसने के कारण फिल्म काफी देर से रिलीज़ हुई । इस फिल्म को भी ख़ास सफलता नहीं मिली ।
बवंडर-
राजस्थान के भटेरी गाँव की एक समाज सेविका भंवरी देवी के साथ सामूहिक बलात्कार किये जाने की घटना पर जग मूंधड़ा ने फिल्म बवंडर का निर्माण किया था । फिल्म के साथ ख़ास बात यह थी कि खुद बनवारी देवी ने इस फिल्म से खुद को दूर रखा था । फिल्म में भंवरी देवी के ऑन स्क्रीनकरैक्टर नंदिता दास ने किया था । इस फिल्म को समीक्षकों द्वारा सराहा गया । के सी बोकाडिया की मलिका शेरावत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म डर्टी पॉलिटिक्स भी भंवरी देवी पर केन्द्रित फिल्म बताई जाती है ।
मशहूर हत्याकांडों पर बॉलीवुड की ज़्यादातर फ़िल्में ख़राब स्क्रिप्ट और मिस कास्टिंग का शिकार हुई थी । इन फिल्मों को सनसनी फैलाने और दर्शकों को आकर्षित करने के ख्याल से ही बनाया गया था । काफी फ़िल्में अपने सेक्सुअल कंटेंट के कारण सेंसर की कैंची का शिकार भी हुई । सेंसर को इनकी ज्यादा हिंसा भी रास नहीं आई । इसके बावजूद नो वन किल्ड जेसिका, बवंडर, अचानक, जॉली एलएलबी, आदि फिल्मों को सराहना भी मिली और दर्शक भी । दर्शकों का ध्यान आसानी से खींचने के लिहाज़ से लगभग सभी फिल्मों को कामयाब कहा जा सकता है ।

कर्ट के बदले की कहानी किकबॉक्सर: वेंजन्स

मार्शल आर्ट्स के महारथी कर्ट और एरिक भाइयों की कहानी पर पहली फिल्म किकबॉक्सर १९८९ में रिलीज़ हुई थी। जीन-क्लौड वैन डैम और डेनिस अलेक्सियो की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म ने वैन डैम को विश्व स्तरीय मार्शल आर्ट्स फिल्म एक्टर के बतौर स्थापित कर दिया था। इस फिल्म की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किकबॉक्सर के कई सीक्वल बनाए गए। डायरेक्टर जॉन स्टॉकवेल की फिल्म किकबॉक्सर: वेंजन्स मूल फिल्म का रिबूट या सेमी रीमेक बताई जा रही है। इस फिल्म में ओरिजिनल फिल्म के वन डैम है, लेकिन वह कर्ट की भूमिका में नहीं है। नई किकबॉक्सर में कर्ट और एरिक की भूमिका अलेन मोउसी और डैरेन शहलावी ने की है। वैन डैम मास्टर डुरांड की भूमिका में हैं। फिल्म किकबॉक्सर : वेंजन्स में एरिक की हत्या हो जाती है और कर्ट इस ह्त्या का बदला मार्शल आर्ट्स के ज़रिये लेने का प्राण करता है। यह फिल्म २ सितम्बर को रिलीज़ हो रही है। फिल्म के सीक्वल रिटैलशन का पहले ही ऐलान कर दिया गया है।

स्कल आइलैंड में सबसे विशाल काँग !

अमेरिका से एक और मॉन्स्टर यानि दैत्य फिल्म आ रही है।  इस फिल्म के निर्देशक जॉर्डन वॉट-रॉबर्ट्स हैं तथा फिल्म का नाम काँग: स्कल आइलैंड है।  यह फिल्म मशहूर किंग कॉंग फ्रैंचाइज़ी की रिबूट फिल्म है।  यह गॉडजिला- कॉंग फिल्म सीरीज में दूसरी क़िस्त होगी।  वार्नर ब्रदर्स द्वारा २०१४ में इस सीरीज की पहली फिल्म गॉडजिला रिलीज़ की थी।  लीजेंडरी एंटरटेनमेंट की काँग: स्कल आइलैंड में टॉम हिडलेस्टन, सैम्युएल एल जैक्सन, ब्री लार्सन, जैसन मिशेल, कोरी हॉकिंस, टॉबी केबल, टॉम विल्किंसन, थॉमस मंन, टेरी नोटरी, जॉन गुडमैन और जॉन सी राइली विभिन्न भूमिकाओं में हैं।  १० मार्च २०१७ को रिलीज़ होने जा रही इस फिल्म में किंग काँग का ८३ साल पहले का इतिहास शामिल किया गया है।  लेकिन, निर्देशक जॉर्डन वॉट-रॉबर्ट्स का वादा है कि इस फिल्म में दैत्याकार काँग का बहुत बड़ा करिश्मा शामिल होगा ।  स्टूडियो द्वारा इस फिल्म का जो चित्र जारी किया गया है, उसमे टॉम हिड्लेस्टन और ब्री लार्सन हड्डियों के ढेर के बीच विशाल खोपड़ी के अवशेष के नीचे खड़े दिखाए गए हैं।  वॉट-रॉबर्ट्स कहते हैं, "खोपड़ी के विशाल आकार से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अब तक पारम्परिक काँग को देखते आ रहे दर्शकों को क्या-कैसा काँग देखने को मिलेगा।  हमारा कॉंग सिनेमा के इतिहास का सबसे विशाल काँग है।" इस ज़िक्र से पढ़ने वाले दर्शक कॉंग की विशालता का अनुमान लगाना चाहेंगे।  इसे भांपते हुए वॉट आगे कहते हैं, "पीटर जैक्सन का कॉंग (किंग-कॉंग  २००५) लगभग २५ फ़ीट का था।  १९३३ की किंग काँग का कॉंग  २५ से ५० फ़ीट के करीब था।  लेकिन, हमारी फिल्म का कॉंग फिफ्टी प्लस का होगा। फिल्म में इसका आकार बदलता रहेगा।  एम्पायर स्टेट बिल्डिंग पर यह सबसे बड़ा नज़र आएगा।  आप कह सकते हैं कि १९७६ का काँग इसके आसपास कहीं था।" फिल्म की कहानी के अनुसार लैंडसैट प्रोग्राम के ज़रिये विश्व के विस्तार को नाप रहे नासा के वैज्ञानिक इस आइलैंड की खोज करते हैं।  इसी के बाद दुनिया को इस विशाल आकृति का पता चलता है।

Tuesday, 26 July 2016

मुन्ना माइकल फिल्म की सितंबर में शुटिंग शुरू होगी

टायगर श्रॉफ को डान्स और एक्शन करतें हुए उनके चाहनेवाले देखना चाहतें हैं। और मुन्ना माइकल इस रोमँटिक म्युजिकल फिल्म में इन दो चीजों के अलावा बहोत कुछ ओर भी हैं। टायगर के सामने कौन होंगी, इस के लिए कई सारी अभिनेत्रीयों के नाम सामने आ रहें हैं।
टायगर की हिरोइन के लिए जहाँ एक तरफ कई अभिनेत्रीयों के नामों की चर्चा हो रहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के अनुसार, अब फिल्ममेकर्स सिनेमा के लिए नयी हिरोइन की तलाश में टैलेंट हंट करने की खबर भी उड रहीं हैं।
इस बारे में, फिल्ममेकर्स कोई भी जानकारी बाहर आने नही दे रहें हैं। लेकिन फिल्म के सूत्रों के अनूसार, फिल्म की शुटिंग सितंबर में शुरू हो जाएगी। और यह टैलेंट हंट फिलहाल जोरशोर से जारी हैं।
निर्देशक शब्बीर खान कहते हैं, जी हाँ, फिलहाल सिनेमा के लिए हम नयी लडकी को तलाश कर रहें हैं। और उसके लिए देश के अलग अलग शहरों में रहें कास्टिंग निर्देशकों ने नये चेहरों की ऑडिशन्स लेना शुरू भी कर दिया हैं। मैंने हमेशा से ही नये टैलेंट को मौका दिया हैं।
नेक्स्ट जेन फिल्म्स के निर्माता विकी राजानी ने कहा, शब्बीर ने इससे पहले की फिल्म हिरोपंती के जरीये टायगर श्रॉफ और क्रिती सेनॉन को इंडस्ट्री में लाँच किया था। मुझे पूरा विश्वास हैं, की वो फिल्म इंडस्ट्री को फिर एक बार जेन-एक्स स्टार देंगे। चंडीगढ, दिल्ली, मुंबई, चैन्नई, कोलकता और बैंगलोर में फिलहाल नये चेहरे को तलाश ने के लिए ऑडिशन्स चल रहीं हैं।
क्वान के फाऊंडर और मैनेंजिंग डायरेक्टर अनिरबान ब्लाह कहते हैं, हमारे फिल्म इंडस्ट्री का फिलहाल सबसे बडा चैलेंज हैं, सुपरस्टार बनने की काबिलियत रहें, नये टैलेंट को ढूंढना। नेक्सट जेन फिल्म्स के साथ मिलकर, इस टैलेंट हंट के जरीये, भारत की नयी सुपरस्टार हिरोइन हम ढूंढ रहें हैं। मुन्ना माइकल फिल्म से जल्द ही आप भारत को नयी टैलेंटेड हिरोइन मिलते हुए आप देखेंगें।

जॉन अब्राहम की फिल्म में अक्षय कुमार की 'ढिशूम'

निर्माता साजिद नाडियाडवाला की रोहित धवन निर्देशित फिल्म ‘ढिशूम’ २९ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही है। इस एक्शन कॉमेडी फिल्म में रोहित धवन के भाई और एक्टर वरुण धवन जॉन अब्राहम के साथ एक्शन जोड़ी में नज़र आयेंगे। उनके हिस्से कॉमेडी सीन ज्यादा है। इस एक्शन फिल्म के एक सीन में अभिनेता अक्षय कुमार बॉल शूटिंग करते नज़र आयेंगे। वाटर स्टंट वाले इस सीन में अक्षय कुमार जेट स्की पर बैठे हुए हैं, उन्होंने काली वेस्ट जैकेट पहन रखी है, उनके बॉल पीछे की ओर बंधे हुए हैं। अक्षय कुमार ने अपनी इस फोटो को सोशल साइट्स पर डालते हुए, अपने दोस्तों साजिद, जॉन, वरुण और जैकी (जैक्विलिन फ़र्नान्डिस) को ‘ढिशूम’ की सफलता के लिए शुभकामनायें दी हैं। जॉन अब्राहम और वरुण धवन के पुलिस रोल वाली इस फिल्म में अक्षय खन्ना लम्बे अरसे बाद फिल्मों में वापसी कर रहे हैं। फिल्म में उनका नेगेटिव किरदार होगा।
 

Saturday, 23 July 2016

बॉलीवुड की कैबरे गर्ल

पूजा भट्ट की फिल्म 'कैबरे ' के लिए कहा जा रहा है कि यह फिल्म बॉलीवुड में कैबरे को लोकप्रिय बनाने वाली डांसर हेलेन के जीवन पर है।  इस फिल्म में हेलेन वाला किरदार ऋचा चड्डा कर रही हैं।  ऋचा चड्डा के कैबरे डांसर बनने पर संदेह की गुंजाईश थी।  उनमे ग्लैमर की कमी है।  कैबरे में तो उत्तेजना काफी ज़रूरी होती है।  हेलेन बिना अश्लील हुए उत्तेजना पैदा कर देती थी।  क्या ऋचा चड्डा इस काम को सही तरीके से अंजाम दे पाएंगी ? कैबरे फिल्म में ऋचा चड्डा का जो कैबरे डांसर वाला पहला लुक जारी हुआ है, यह इसकी तस्दीक करता है कि वह सेन्सुअस लगती हैं।  क्या ऋचा कभी बॉलीवुड फिल्मों के ज़रूरी तत्व कैबरे को नई ज़िन्दगी दे  पाएंगी ? इसके लिए ज़रूरी है यह जानना कि बॉलीवुड में क्यों लोकप्रिय रहा था कैबरे और कैबरे डांसर ?
हेलेन : बॉलीवुड कैबरे क्वीन
ऐसे समय में जब कैबरे में हिंदी फिल्मों की कैबरे डांसर अभिनेत्री को केंद्र में रखा गया है, याद आ जाती हैं साठ के दशक और  उसके बाद के दिनों के बॉलीवुड की कैबरे डांसरों की।   एक हिट कैबरे डांस के लिए जितना अच्छा डांसर होना ज़रूरी है, उतना ही धमाकेदार तेज़ रफ़्तार पाश्चात्य संगीत, रोशनी से उजला सेट और डांसरों का ग्रुप भी ज़रूरी है।  इस लिहाज़ से बॉलीवुड के कैबरे डांसर युग में राहुल देव बर्मन का संगीत, आशा भोसले की हस्की आवाज़ और हेलेन का डांस, परफेक्ट कॉम्बिनेशन हुआ करता  था।  आशा भोसले के टॉप कैबरे डांस गीत ये मेरा दिल, आओ न गले लग जाओ न, आज की रात कोई आने को है बेकरार,  पिया तू अब तो आजा, ओ हसीना, आदि कैबरे गीत हेलेन पर ही फिल्माए गए हैं।  हालाँकि, हेलेन, आशा भोसले और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने भी अच्छे कैबरे गीतों की रचना की।  हालाँकि, हेलेन को बॉलीवुड की कैबरे गर्ल बनाने वाले गीत ओ पी नय्यर का संगीतबद्ध और गीता दत्त का गाया हुआ था।  फिल्म थी शक्ति सामन्त की हावड़ा ब्रिज और गीत था मेरा नाम चुन चुन चिन।  इसी फिल्म में मधुबाला पर आइये मेहरबान फिल्माया गया था।  इसे आशा  भोसले ने गाया था।
तबकी कैबरे डांसर 
हेलेन से पहले कुकु को इस प्रकार के गीतों के कारण शोहरत मिली थी।  हेलेन के समय में फरयाल नाम की डांसर भी अपने उत्तेजक डांस नंबरों के लिए जानी जाती  थी।  साठ के दशक में उनके कैबरे की धूम मचा करती थी।  उन्हें यह शोहरत देव आनंद, अशोक कुमार, वैजयंती माला और तनूजा की फिल्म ज्वेल थीफ में कैबरे करने के बाद मिली।  अरुणा ईरानी भी अपने कैबरे डांसों के कारण पहचानी गई।  उनके अलावा शशिकला, बिंदु, जयश्री टी, लक्ष्मी छाया, आदि भी कैबरे डांस करती थी।  हालाँकि, इस दौर में मुमताज़ ने भी धमाकेदार कैबरे किये। लेकिन वह लोकप्रिय हुई बतौर नायिका ही। ज़ीनत अमान का फिल्म 'क़ुरबानी' का आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आये आज भी पॉपुलर कैबरे में शुमार किया जाता है।  
आज की कैबरे डांसर
हिंदी में कैबरे का वह रूप तो दिखाई नहीं देता, जो साथ के दशक में था।  अब हिंदी फिल्मों में कोई खालिस कैबरे डांसर किरदार नज़र नहीं आता।  कोई कैबरे डांसर वैम्प भी अब फिल्मों का अंग नहीं होती।  इसके बावजूद फिल्मों की नायिका कभी कभार कैबरे डांस करते या कैबरे डांसर की आड़ लेती नज़र आती हैं।  इस लिहाज़ से पिछले साल की बड़ी फ्लॉप फिल्म  बॉम्बे वेलवेट की अनुष्का शर्मा को याद किया जा सकता है।  हालाँकि, वह इस फिल्म में कैबरे डांसर तो नहीं जैज़ सिंगर के किरदार में थी।  २००७ की फिल्म ओम शांति ओम में फिल्म अभिनेत्री बनी दीपिका पादुकोण धूम तना गीत पर शाहरुख़ खान के साथ कैबरे डांसर कर रही थी। दीपिका की बाजीराव मस्तानी में साथी अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने यशराज फिल्म्स की पीरियड फिल्म गुंडे में अस्सलाम-ए- इसकुम  गीत पर तड़फड़ाता कैबरे किया था। प्रियंका चोपड़ा फिल्म शूट आउट ऐट वडाला और ज़ंजीर २०१५) में भी कैबरे कर चुकी हैं।  करीना कपूर खान का फिल्म तलाश (आमिर खान और रानी मुख़र्जी की) में मुस्काने झूठी गीत पर कैबरे उत्तेजक बन पड़ा था। करीना कपूर  ने अमिताभ बच्चन की फिल्म डॉन में हेलेन के कैबरे गीत ये मेरा दिल प्यार का दीवाना को काफी उत्तेजक तरीके से  अंजाम दिया था।  इन दोनों फिल्मों में उन्होंने एक कॉल गर्ल का किरदार किया था।  तीस मार खान के शीला की जवानी और धूम ३ के कमली गीत से कैटरिना कैफ अच्छी कैबरे डांसर साबित होती थी।
लता मंगेशकर के छः कैबरे गीत
कैबरे गीतों के लिहाज़ से आशा भोसले परफेक्ट थी।  हालाँकि, दीदी लता मंगेशकर की मौजूदगी में कैबरे जैसे उत्तेजक गीत गाना उनकी मज़बूरी थे। रोमांटिक, चुलबुले और दर्द भरे गीत गाने में लता मंगेशकर बेजोड़ थी।  उनकी मौजूदगी में कौन आशा से लता के गए जा सकने वाले गीत गवाता।  ज़ाहिर है कि लता कैबरे गीतों से परहेज करती होंगी, तभी ऐसे तमाम गीत आशा भोसले को मिली । लेकिन, लता के कुछ ऐसे गीत गवाह हैं कि अगर लता मंगेशकर इंकार न करती तो वह चटपटे-उत्तेजक कैबरे गीत भी गा सकती थी।  आइये जानते हैं लता मंगेशकर के बेहद लोकप्रिय हुए कैबरे गीतों के बारे में
इंतकाम- आ जान ए जां, आ मेरा यह हुस्न जवां- १९६९ में रिलीज़ इस फिल्म के गीत को लता मंगेशकर ने गाया था तथा यह गीत कैबरे क्वीन हेलेन का सबसे ज्यादा मशहूर कैबरे गीत है।  अमूमन फिल्म निर्माता जानते थे कि लता मंगेशकर ऐसे गीतों को गाने से परहेज़ करती हैं।  इंतकाम के संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी थी। इस जोड़ी ने लता को समझाया कि उनके इस गीत से उन्हें परेशानी नहीं होगी, क्यों गीत की कम्पोजीशन उनकी शैली में की गई है तथा पूरी तरह से कलात्मक है।  वास्तव में हुआ भी ऐसा ही।
गुमनाम- इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात- इससे पहले लता मंगेशकर १९६५ में रिलीज़ हॉरर फिल्म गुमनाम के लिए एक कैबरे गीत गा चुकी थी।  इस दुनिया में जीना हो तो सुन लो मेरी बात गीत को संगीतबद्ध किया था शंकर जयकिशन ने।  यह गीत भी हेलेन के बिंदास करैक्टर मिस किटी पर फिल्माया गया था।  हालाँकि, इसे विशुद्ध कैबरे नहीं कहा जा सकता  है।  फिर भी यह काफी हद तक कैबरे के निकट था।
वासना- जीने वाले झूम के मस्ताना हो के जी- साउथ के निर्देशक टी प्रकाशराव की फिल्म वासना के इस कैबरे गीत को लता मंगेशकर ने गाया था।  फिल्म में राजकुमार, पद्मिनी, विश्वजीत और कुमुद छुगानी मुख्य भूमिका में थे।  यह गीत हेलेन पर फिल्माया गया था।  इस गीत को चित्रगुप्त ने संगीबद्ध किया था।
अप्रैल फूल- मेरा नाम रीता क्रिस्टीना- विश्वजीत और सायरा बानो की १९६४ में रिलीज़ रोमांटिक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म अप्रैल फूल के मेरा नाम रीता क्रिस्टीना को लता मंगेशकर ने गाया था।  इस गीत को शंकर जयकिशन जोड़ी ने तैयार किया था।  यह ऐसा गीत था, जो किसी कैबरे डांस करने वाली अभिनेत्री पर नहीं, बल्कि फिल्म की नायिका सायरा बानो पर फिल्माया गया था।  फिल्म में सायरा कैबरे डांसर बन कर विलेन के अड्डे पर जाती हैं।  यह गीत भी अपने समय के लोकप्रिय गीतों में शुमार किया जाता है।
नाईट इन लन्दन- और मेरा नाम है जमीला- लता मंगेशकर के गाये इस कैबरे गीत की धुन भी लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने बनाई थी।  माला सिन्हा और विश्वजीत अभिनीत इस फिल्म का यह कैबरे गीत भी हेलेन पर फिल्माया गया था।  यह कैबरे भी लता की गायिकी की शैली  में तैयार किया गया था।  ख़ास बात यह है कि इस गीत को एलपी की जोड़ी ने इंतकाम के कैबरे गीत से पहले ही कंपोज़ कर लिया था।   
इंतक़ाम- महफ़िल सोयी, ऐसा कोई- इंतकाम के आ जाने जां गीत के धूम धड़ाके के बीच इसी फिल्म का   महफ़िल सोयी, ऐसा कोई गीत उतना पॉपुलर नहीं हो सका।  लता मंगेशकर के गए इस गीत का  फिल्मांकन भी हेलेन पर किया गया था।

बॉक्स ऑफिस को झिंझोड़ देते बॉलीवुड के 'ड्रैगन'

क्रिसमस २०१६ अभी दूर है। लेकिन, बॉलीवुड ने क्रिसमस २०१७ के लिए कमर कस ली लगती है। लम्बे समय से चर्चा में रही रणबीर कपूर की सुपरहीरो फिल्म ड्रैगन की शूटिंग निर्देशक अयान मुख़र्जी इस साल के आखिरी में शुरू कर देंगे।  इस फिल्म को २५ दिसम्बर २०१७ को रिलीज़ करने की योजना है।  उधर, सलमान खान ने राजकुमार संतोषी की फिल्म को अपनी हां कह दी है। इस फिल्म में सलमान खान की नायिका रणबीर कपूर की पूर्व गर्ल फ्रेंड कटरीना कैफ होंगी।  फिलहाल, राजकुमार संतोषी इस फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे है।  लेकिन, चर्चा है कि संतोषी और खान दोनों ही अपनी फिल्म क्रिसमस २०१७ वीकेंड में रिलीज़ करना चाहते हैं। आम तौर पर क्रिसमस वीकेंड आमिर खान के लिए बुक रहता है। इस साल भी आमिर खान की फिल्म दंगल क्रिसमस वीकेंड पर रिलीज़ होगी।  दंगल के बाद आमिर खान ने कोई फिल्म साइन नहीं की है।  हालाँकि, उन्होंने अद्वैत चौहान की फिल्म द सीक्रेट सुपरस्टार की हरी झंडी दे दी है।  लेकिन, यह फिल्म इतनी ज़ल्दी शुरू भी नहीं होने जा रही कि क्रिसमस २०१७ में रिलीज़ हो पाए।
पहला ऐलान

यहाँ बताते चलें कि बाजीराव- मस्तानी की सफलता के तुरंत बाद, संजयलीला भंसाली ने मेवाड़ की रानी पद्मावती पर अपनी ऐतिहासिक रोमांस फिल्म को क्रिसमस वीकेंड पर रिलीज़ करने का फैसला किया था । आम तौर पर आमिर खान के लिए सुरक्षित क्रिसमस वीकेंड पर पिछले साल शाहरुख़ खान की एक्शन कॉमेडी फिल्म फिल्म दिलवाले, संजयलीला भंसाली की ऐतिहासिक रोमांस फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी से आ टकराई थी । खान को विश्वास था कि संजय अपनी राह बदल लेंगे । पर आत्मविश्वास से लबरेज़ संजय ने तारिख नहीं बदली । नुकसान शाहरुख़ खान की फिल्म दिलवाले को हुआ । इसके बावजूद शाहरुख़ खान आनंद एल राज की एक बौने की कहानी पर अनाम फिल्म को क्रिसमस २०१७ पर रिलीज़ करना चाहते थे । इस लिए, एक बार फिर संजयलीला भंसाली और शाहरुख़ खान की फिल्मों का टकराव साफ़ नज़र आ रहा था । अगर, ऐसा होता तो क्या होता ? २५ दिसम्बर २०१७ को रणबीर कपूर, सलमान खान, शाहरुख़ खान और संजयलीला भंसाली की फ़िल्में टकरा रही होती । लेकिन, इससे पहले ही संजयलीला भंसाली ने अपनी ऐतिहासिक फिल्म को १८ दिसम्बर २०१७ को रिलीज़ करने का ऐलान कर दिया था, ताकि बाकी के दो हफ़्तों का फायदा उठाया जा सके । उधर शाहरुख़ खान की बौने नायक वाली फिल्म भी स्क्रिप्ट पर काम चलने के कारण ज़ल्द शुरू नहीं हो सकती थी ।
हॉलीडे वीकेंड से सुपर स्टार
बॉलीवुड करे भी तो क्या ! उसके कथित सुपर सितारों को भी हॉलिडे वीकेंड की दरकार होती है । एक्सटेंडेड वीकेंड हो तो सोने पर सुहागा । क्योंकि, सप्ताह का पहला सोमवार ही इन सितारों पर भारी पड़ता है । यही कारण है कि क्रिसमस, दीवाली, ईद, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, आदि दिवसों पर फिल्मों की रिलीज़ का ऐलान काफी पहले से होने लगा है । इस भगदड़ में बड़े बजट और बड़े सितारों वाली एकाधिक फ़िल्में रिलीज़ के लिए आ टकराती है । अगले एक साल में ऐसे ही कुछ दिलचस्प मुकाबले देखने को मिल सकते हैं । आइये, जानने की कोशिश करते हैं कि कौन सी दो फ़िल्में टकरा रही हैं किसी हॉलिडे वीकेंड पर –

स्वतंत्रता दिवस (१२ अगस्त) वीकेंड पर रुस्तम से मोहनजोदड़ो का टकराव- बॉलीवुड फिल्मों के लिहाज़ से इंडिपेंडेंस डे वीकेंड सुपर सितारों का रहा है । आम तौर पर बॉलीवुड के सुपर स्टार्स की फ़िल्में इस वीकेंड में रिलीज़ हुई । पिछले पांच सालों में यानि २०११ से २०१५ तक अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण और मनोज बाजपेई की फिल्म आरक्षण, सलमान खान और कटरीना कैफ की एक था टाइगर, अक्षय कुमार, इमरान खान और सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा, अजय देवगन और करीना कपूर की सिंघम रिटर्न्स और पिछले साल अक्षय कुमार, जैकी श्रॉफ, सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकलिन फर्नांडीज की ब्रदर्स रिलीज़ हुई । आरक्षण और ब्रदर्स जहाँ औसत बिज़नस कर सकी, वहीँ एक टाइगर और सिंघम रिटर्न्स सुपर हिट और वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा फ्लॉप साबित हुई ।
इस साल दो फिल्मों का टकराव है । रुस्तम की रिलीज़ डेट १२ अगस्त पहले से ही तय थी, लेकिन मोहनजोदड़ो पीछे सरका दिए जाने के कारण १२ अगस्त को रिलीज़ हो रही है । एक पीरियड फिल्म है, दूसरी रियल लाइफ घटना पर फिल्म हैं । मोहनजोदड़ो सिन्धु सभ्यता की शुरुआत को उकेरती है । वहीँ रुस्तम कभी पूरे देश में चर्चित हुए बॉम्बे के १९५९ के मशहूर आहूजा हत्याकांड पर फिल्म थी । एक नेवी ऑफिसर अपने दोस्त के बीवी के साथ अवैध रिश्तों के कारण हत्या कर देता है । इस विषय पर सुनील दत्त ने फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के बनाई थी । इस फ्लॉप फिल्म का निर्देशन आर के नय्यर ने किया था । इस लिहाज़ से मोहनजोदड़ो और रुस्तम के बीच कड़ी टक्कर की पूरी संभावना है ।
दिवाली पर अजय अजेय

दीवाली वीकेंड (२८ अक्टूबर) पर शिवाय से टकराएगी ऐ दिल है मुश्किल- दीवाली वीकेंड हमेशा से अजय देवगन का रहा है । २०११ से पहले अजय देवगन दीवाली वीकेंड पर छाये रहते थे । २०११ में पहली बार शाहरुख़ खान की फिल्म रा.वन  रिलीज़ हुई । हालाँकि, इस फिल्म ने १०० करोड़ से ज्यादा का बिज़नस किया । लेकिन, बजट के लिहाज़ से यह फिल्म फ्लॉप फिल्मों में शुमार हुई । २०१२ में शाहरुख़ खान की जब तक है जान, अजय देवगन की फिल्म सन ऑफ़ सरदार से टकराई । हालाँकि, दोनों ही फिल्मों ने अच्छा बिज़नस किया, लेकिन दीवाली वीकेंड का पूरा फायदा इन दोनों ही फिल्मों को नहीं मिल सका । पहली बार हृथिक रोशन की सुपर हीरो फिल्म कृष ३ दीवाली वीकेंड पर रिलीज़ हुई । दो साल के अंतराल में यह दूसरी सुपर हीरो फिल्म थी । रा.वन के मुकाबले कृष ३ को अच्छी सफलता मिली । २०१४ की दीवाली शाहरुख़ खान की हैप्पी न्यू इयर लेकर आई ।
बकवास फिल्म होने के बावजूद हैप्पी न्यू इयर ने १०० करोड़ क्लब में दाखिला लिया । पिछले साल सलमान खान और सोनम कपूर की सूरज बडजात्या निर्देशित फिल्म प्रेम रतन धन पायो रिलीज़ हुई थी । इस फिल्म को भी अच्छी सफलता मिली । दीवाली २०१७ दो बड़े बजट की फिल्मों के टकराव का गवाह बनने जा रही है । शिवाय के निर्देशक भी अजय देवगन हैं । यह भगवान् शिव के मानव स्वरुप को पेश करने वाली फिल्म है । इसके एक्शन ख़ास है । दिलीप कुमार की नातिन सायेशा का इस फिल्म से डेब्यू हो रहा है । डायरेक्टर करण जौहर की फिल्म फिल्म ऐ दिल है मुश्किल में सितारों की भरमार है । रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन, अनुष्का शर्मा, फवाद खान, इमरान अब्बास और लिसा हैडन जैसे सितारों की भीड़ अजय देवगन की फिल्म को ज़बरदस्त टक्कर देंगी । लेकिन, इतना तय है कि इनिशियल अजय देवगन की फिल्म को ही मिलेगा ।
टकराव टला 


गणतंत्र दिवस वीकेंड पर रईस टकराव के काबिल- शाहरुख़ खान ने सलमान खान से ईद २०१६ में टकराने का इरादा छोड़ ज़रूर दिया । लेकिन, टकराव ने उनका साथ न छोड़ा । अब उनकी फिल्म रईस २६ जनवरी २०१७ को रिलीज़ हो रही है । यानि, अब यह फिल्म हृथिक रोशन की संजय गुप्ता निर्देशित फिल्म काबिल से टकराएगी । यह टकराव त्रिकोणीय हो जाता, अगर रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर की निर्माता जोड़ निर्माता भूषण कुमार से मिल कर उनकी अजय देवगन अभिनीत फिल्म बादशाओ की रिलीज़ डेट टलवा नहीं देते । अब बादशाओ १२ मई २०१७ को रिलीज़ होगी । सोचिये क्या होता, अगर यह सभी फ़िल्में एक साथ रिलीज़ हो गई होती ! बॉक्स ऑफिस को झिंझोड़ कर रख देते बॉलीवुड के यह ड्रैगन हीरो ।

मैट डैमन सुपर हीरो बनना चाहेंगे अगर...!

बॉर्न सीरीज की फिल्मों में अमरीकी एजेंट और शार्प शूटर जैसन बॉर्न का किरदार कर रहे मैट डैमन सुपर हीरो किरदार करना चाहेंगे। फिल्म जैसन बॉर्न के प्रचार के दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में मैट ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अब कोई सुपर हीरो बचा रह गया है। यहाँ बताते चलें की सिल्वर स्क्रीन पर फिल्म बैटमैन वेर्सेस सुपरमैन: डॉन ऑफ़ जस्टिस में बैटमैन का किरदार करने वाले बेन अफ्लेक मैट डैमन के घनिष्ठ मित्र है। वह फिल्म निर्देशक भी हैं। जब मैट से पूछा गया कि अगर बेन आपके पास कोई प्रपोजल लाये तो आप सुपर हीरो बनेंगे ? यह सवाल इस लिए पूछा गया था कि बेन अफलेक कुछ सालों में बैटमैन पर अपनी फिल्म बनाना चाहते हैं। इस पर मैट डैमन ने कहा, “अगर बेन डायरेक्ट करेंगे तो मैं कूद पडूंगा। मैं बेन के साथ फिल्म करना चाहूंगा. लेकिन...”, साथ ही मैट ने जोड़ा, “बेन की समस्या यह है कि वह जब भी कोई फिल्म निर्देशित करते हैं, अपने लिए बढ़िया रोल रख ले लेते हैं। इसलिए जब तक बेन यह वादा नहीं करते कि वह बढ़िया रोल देंगे, उनका कोई दोस्त उनकी फिल्म नहीं करेगा।" मैट डैमन की फिल्म जैसन बॉर्न पूरे विश्व में २९ जुलाई को रिलीज़ हो रही है। 



पॉल वॉकर की याद में फ़ास्ट एंड फ्यूरियस

फ़ास्ट एंड फ्यूरियस परिवार एक बार फिर पॉल वॉकर के लिए चैरिटी पर उतर आया है। फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ८ की टीम ने पॉल वॉकर फाउंडेशन के लिए ज्यादा से ज्यादा धन जुटाने के लिए प्रशंसकों को अपनी लक साबित करने का मौका दिया है। यह मौका, फाउंडेशन के लिए १० डॉलर या इससे ज्यादा का दान करने वाले प्रशंसकों में से किसी एक को दिया जायेगा। इस योजना के तहत ऐसे चुने गए प्रशंसक को फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ८ के सेट पर पूरे दिन मौजूद रहने और फिल्म के कलाकारों के साथ समय बिताने का मौका मिलेगा। फ्यूरियस सीरीज की मशहूर कार रेस के बिहाइंड द सीन्स में रहने का मौका भी मिल सकता है और मिशेल रोड्रिगुएज के साथ एक्शन करने का मौका भी। पॉल वॉकर फाउंडेशन वन्य जीवन संरक्षण और समुद्रों की सफाई के लिए काम करता है। सीरीज के प्रमुख सदस्य विन डीजल पॉल वॉकर की इस लिगेसी को कायम रखना चाहते हैं। फ़ास्ट एंड फ्यूरियस ८ की पृष्ठभूमि न्यू यॉर्क सिटी और क्यूबा है। इस फिल्म की शूटिंग आइसलैंड में भी होगी। विन डीजल, टायर्स गिब्सन, लुडाक्रिस, मिशेल रोड्रिगुएज, जैसन स्टेथम, जॉर्डन ब्रूस्टर और कर्ट रसेल और ड्वेन जॉनसन के साथ क्रिस्टोफ़र हिव्जू, चार्लीज़ थेरोन और स्कॉट ईस्टवुड का फिल्म में डेब्यू हो रहा है।  क्रिस मॉर्गन की लिखी पटकथा का निर्देशन ऍफ़ गैरी ग्रे कर रहे हैं। यह फिल्म १४ अप्रैल २०१७ को रिलीज़ होगी। 

बॉक्स ऑफिस को झिंझोड़ देंगे बॉलीवुड के 'ड्रैगन'

क्रिसमस २०१६ के अभी चार महीने बाकी है। लेकिन, बॉलीवुड ने क्रिसमस २०१७ के लिए कमर कस ली लगती है। लम्बे समय से चर्चा में रही रणबीर कपूर की सुपरहीरो फिल्म ड्रैगन की शूटिंग निर्देशक अयान मुख़र्जी इस साल के आखिरी में शुरू कर देंगे।  इस फिल्म को २५ दिसम्बर २०१७ को रिलीज़ करने की योजना है।  उधर, सलमान खान ने राजकुमार संतोषी की फिल्म को अपनी हां कह दी है। इस फिल्म में सलमान खान की नायिका रणबीर कपूर की पूर्व गर्ल फ्रेंड कटरीना कैफ होंगी।  फिलहाल, राजकुमार संतोषी इस फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे है।  लेकिन, चर्चा है कि संतोषी और खान दोनों ही अपनी फिल्म क्रिसमस २०१७ वीकेंड में रिलीज़ करना चाहते हैं। आम तौर पर क्रिसमस वीकेंड आमिर खान के लिए बुक रहता है। इस साल भी आमिर खान की फिल्म दंगल क्रिसमस वीकेंड पर रिलीज़ होगी।  दंगल के बाद आमिर खान ने कोई फिल्म साइन नहीं की है।  हालाँकि, उन्होंने अद्वैत चौहान की फिल्म द सीक्रेट सुपरस्टार की हरी झंडी दे दी है।  लेकिन, यह फिल्म इतनी ज़ल्दी शुरू भी नहीं होने जा रही कि क्रिसमस २०१७ में रिलीज़ हो पाए।
यहाँ बताते चलें कि बाजीराव- मस्तानी की सफलता के तुरंत बाद, संजयलीला भंसाली ने मेवाड़ की रानी पद्मावती पर अपनी ऐतिहासिक रोमांस फिल्म को क्रिसमस वीकेंड पर रिलीज़ करने का फैसला किया था । आम तौर पर आमिर खान के लिए सुरक्षित क्रिसमस वीकेंड पर पिछले साल शाहरुख़ खान की एक्शन कॉमेडी फिल्म फिल्म दिलवाले, संजयलीला भंसाली की ऐतिहासिक रोमांस फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी से आ टकराई थी । खान को विश्वास था कि संजय अपनी राह बदल लेंगे । पर आत्मविश्वास से लबरेज़ संजय ने तारिख नहीं बदली । नुकसान शाहरुख़ खान की फिल्म दिलवाले को हुआ । इसके बावजूद शाहरुख़ खान आनंद एल राज की एक बौने की कहानी पर अनाम फिल्म को क्रिसमस २०१७ पर रिलीज़ करना चाहते थे । इस लिए, एक बार फिर संजयलीला भंसाली और शाहरुख़ खान की फिल्मों का टकराव साफ़ नज़र आ रहा था । अगर, ऐसा होता तो क्या होता ? २५ दिसम्बर २०१७ को रणबीर कपूर, सलमान खान, शाहरुख़ खान और संजयलीला भंसाली की फ़िल्में टकरा रही होती । लेकिन, इससे पहले ही संजयलीला भंसाली ने अपनी ऐतिहासिक फिल्म को १८ दिसम्बर २०१७ को रिलीज़ करने का ऐलान कर दिया था, ताकि बाकी के दो हफ़्तों का फायदा उठाया जा सके । उधर शाहरुख़ खान की बौने नायक वाली फिल्म भी स्क्रिप्ट पर काम चलने के कारण ज़ल्द शुरू नहीं हो सकती थी ।
बॉलीवुड करे भी तो क्या ! उसके कथित सुपर सितारों को भी हॉलिडे वीकेंड की दरकार होती है । एक्सटेंडेड वीकेंड हो तो सोने पर सुहागा । क्योंकि, सप्ताह का पहला सोमवार ही इन सितारों पर भारी पड़ता है । यही कारण है कि क्रिसमस, दीवाली, ईद, स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, आदि दिवसों पर फिल्मों की रिलीज़ का ऐलान काफी पहले से होने लगा है । इस भगदड़ में बड़े बजट और बड़े सितारों वाली एकाधिक फ़िल्में रिलीज़ के लिए आ टकराती है । अगले एक साल में ऐसे ही कुछ दिलचस्प मुकाबले देखने को मिल सकते हैं । आइये, जानने की कोशिश करते हैं कि कौन सी दो फ़िल्में टकरा रही हैं किसी हॉलिडे वीकेंड पर –
स्वतंत्रता दिवस (१२ अगस्त) वीकेंड पर रुस्तम से मोहनजोदड़ो का टकराव-
बॉलीवुड फिल्मों के लिहाज़ से इंडिपेंडेंस डे वीकेंड सुपर सितारों का रहा है । आम तौर पर बॉलीवुड के सुपर स्टार्स की फ़िल्में इस वीकेंड में रिलीज़ हुई । पिछले पांच सालों में यानि २०११ से २०१५ तक अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, दीपिका पादुकोण और मनोज बाजपेई की फिल्म आरक्षण, सलमान खान और कटरीना कैफ की एक था टाइगर, अक्षय कुमार, इमरान खान और सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा, अजय देवगन और करीना कपूर की सिंघम रिटर्न्स और पिछले साल अक्षय कुमार, जैकी श्रॉफ, सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकलिन फर्नांडीज की ब्रदर्स रिलीज़ हुई । आरक्षण और ब्रदर्स जहाँ औसत बिज़नस कर सकी, वहीँ एक टाइगर और सिंघम रिटर्न्स सुपर हिट और वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा फ्लॉप साबित हुई । इस साल दो फिल्मों का टकराव है । रुस्तम की रिलीज़ डेट १२ अगस्त पहले से ही तय थी, लेकिन मोहनजोदड़ो पीछे सरका दिए जाने के कारण १२ अगस्त को रिलीज़ हो रही है । एक पीरियड फिल्म है, दूसरी रियल लाइफ घटना पर फिल्म हैं । मोहनजोदड़ो सिन्धु सभ्यता की शुरुआत को उकेरती है । वहीँ रुस्तम कभी पूरे देश में चर्चित हुए बॉम्बे के १९५९ के मशहूर आहूजा हत्याकांड पर फिल्म थी । एक नेवी ऑफिसर अपने दोस्त के बीवी के साथ अवैध रिश्तों के कारण हत्या कर देता है । इस विषय पर सुनील दत्त ने फिल्म ये रास्ते हैं प्यार के बनाई थी । इस फ्लॉप फिल्म का निर्देशन आर के नय्यर ने किया था । इस लिहाज़ से मोहनजोदड़ो और रुस्तम के बीच कड़ी टक्कर की पूरी संभावना है ।
दीवाली वीकेंड (२८ अक्टूबर) पर शिवाय से टकराएगी ऐ दिल है मुश्किल-
दीवाली वीकेंड हमेशा से अजय देवगन का रहा है । २०११ से पहले अजय देवगन दीवाली वीकेंड पर छाये रहते थे । २०११ में पहली बार शाहरुख़ खान की फिल्म रा.वन  रिलीज़ हुई । हालाँकि, इस फिल्म ने १०० करोड़ से ज्यादा का बिज़नस किया । लेकिन, बजट के लिहाज़ से यह फिल्म फ्लॉप फिल्मों में शुमार हुई । २०१२ में शाहरुख़ खान की जब तक है जान, अजय देवगन की फिल्म सन ऑफ़ सरदार से टकराई । हालाँकि, दोनों ही फिल्मों ने अच्छा बिज़नस किया, लेकिन दीवाली वीकेंड का पूरा फायदा इन दोनों ही फिल्मों को नहीं मिल सका । पहली बार हृथिक रोशन की सुपर हीरो फिल्म कृष ३ दीवाली वीकेंड पर रिलीज़ हुई । दो साल के अंतराल में यह दूसरी सुपर हीरो फिल्म थी । रा.वन के मुकाबले कृष ३ को अच्छी सफलता मिली । २०१४ की दीवाली शाहरुख़ खान की हैप्पी न्यू इयर लेकर आई । बकवास फिल्म होने के बावजूद हैप्पी न्यू इयर ने १०० करोड़ क्लब में दाखिला लिया । पिछले साल सलमान खान और सोनम कपूर की सूरज बडजात्या निर्देशित फिल्म प्रेम रतन धन पायो रिलीज़ हुई थी । इस फिल्म को भी अच्छी सफलता मिली । दीवाली २०१७ दो बड़े बजट की फिल्मों के टकराव का गवाह बनने जा रही है । शिवाय के निर्देशक भी अजय देवगन हैं । यह भगवान् शिव के मानव स्वरुप को पेश करने वाली फिल्म है । इसके एक्शन ख़ास है । दिलीप कुमार की नातिन सायेशा का इस फिल्म से डेब्यू हो रहा है । डायरेक्टर करण जौहर की फिल्म फिल्म ऐ दिल है मुश्किल में सितारों की भरमार है । रणबीर कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन, अनुष्का शर्मा, फवाद खान, इमरान अब्बास और लिसा हैडन जैसे सितारों की भीड़ अजय देवगन की फिल्म को ज़बरदस्त टक्कर देंगी । लेकिन, इतना तय है कि इनिशियल अजय देवगन की फिल्म को ही मिलेगा ।
गणतंत्र दिवस वीकेंड पर रईस टकराव के काबिल-
शाहरुख़ खान ने सलमान खान से ईद २०१६ में टकराने का इरादा छोड़ ज़रूर दिया । लेकिन, टकराव ने उनका साथ न छोड़ा । अब उनकी फिल्म रईस २६ जनवरी २०१७ को रिलीज़ हो रही है । यानि, अब यह फिल्म हृथिक रोशन की संजय गुप्ता निर्देशित फिल्म काबिल से टकराएगी । यह टकराव त्रिकोणीय हो जाता, अगर रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर की निर्माता जोड़ निर्माता भूषण कुमार से मिल कर उनकी अजय देवगन अभिनीत फिल्म बादशाओ की रिलीज़ डेट टलवा नहीं देते । अब बादशाओ १२ मई २०१७ को रिलीज़ होगी ।

Thursday, 21 July 2016

कैटरीना कैफ का 'काला चश्मा'

नित्या मेहरा के निर्देशन में सिद्धार्थ मल्होत्रा और कैटरीना कैफ की मुख्य भूमिका वाली फिल्म बार बार देखों ९ सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही है।  इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म का निर्माण रितेश सिधवानी और फरहान अख्तर द्वारा किया  जा रहा था।  उस समय इसका नाम कल जिसने देखा रखा गया था।  फिल्म में आमिर खान के साथ दीपिका पादुकोण की जोड़ी  बनाई जानी थी।  आमिर खान के निकलने के बाद ह्रितिक रोशन के नाम का ऐलान हुआ।  इसके बावजूद फिल्म लटकी रही।  फिर इससे जुड़े करण जौहर और नीता लुल्ला।  अब फिल्म में ह्रितिक रोशन की जगह सिद्धार्थ मल्होत्रा ने ले ली थी।  दीपिका पादुकोण की जगह कैटरीना कैफ आ गई।  तीस साल के  अंतराल में फैले इस रोमांस ड्रामा का नाम कल जिसने देखा से बार बार देखो हो गया।  इस फिल्म से फरहान अख्तर और फिल्म लाइफ ऑफ़ पाई और रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट की सह निर्देशक नित्या मेहरा का डायरेक्टोरियल डेब्यू हो रहा है।  २७ जुलाई को इस फिल्म का गीत काला चश्मा रिलीज़ होने वाला है।  यह फर्स्ट लुक उसी गीत का है।

Wednesday, 20 July 2016

बुधिया सिंह - बॉर्न टू रन के लिए ​मनोज बाजपेयी ने सीखी उड़िया भाषा

​मनोज बाजपेयी, वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स की आगामी फिल्म बुधिया सिंह-बॉर्न टू रन में दिखाई देंगे  'यह फिल्म एक प्रेरणादायक बायोपिक है  - यह ऐसे बच्चे की कहानी जो की दुनिया के सबसे कम उम्र के मैराथन धावक की प्रेरणादायक सच्ची कहानी पर आधारित है।​ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता 
​ने ​
सिर्फ मार्शल आर्ट फार्म
​ ही नहीं बल्कि ​
उनकी भूमिका के लिए जूडो 
​भी सिखा 
, क्योंकि 
​यह ​
फिल्म भुवनेश्वर में आधारित है 
​इसीलिए मनोज ​
उड़िया भाषा सीखना 
​भी जरुरी ​
था।
​फिल्म मे उड़िया भाषा में साफ बोलना था  साथ ही मनोज को उड़िया भाषा का लहजा भी सीखना था , दिलचस्प बात है की फिल्म  निर्देशक सौमिंद्र पाधी ओरिसा से है तो उन्होंने ही मनोज को भाषा सिखने में मदद की।  ​मनोज एक वर्सटाइल और मेथड एक्टर है उन्होंने काफी समय भाषा सिखने के लिए सेट बिताया क्यू उन्हें पता था की कठिन भाषाओं में से ओड़िआ एक कठिन भाषा है। ​सूत्रों माने तो " मनोज बुधिया सिंह के कोच बिरंचि दास किरदार निभाने लिए उत्सुक थे , ​उन्हें  किरादर के बारे मैं हर बात की जानकारी थी. सौमिंद्र ने उड़िया भाषा तथा लहजे की हर बारीक़ जानकारी मनोज को दी , उनकी इस मदद से फिल्म के कई सिन में मनोज ओड़िसा के ही है ऐसा प्रतीत होता है। 

दैत्य की भूमिका में लिएम नीसन

पैट्रिक नेस के २०११ में प्रकाशित फंतासी नावेल अ मॉन्स्टर कॉल्स पर आधारित डायरेक्टर जे ए बायोना की फिल्म अ मॉन्स्टर कॉल्स में एक्शन स्टार लिएम नीसन बिलकुल अलग अवतार में नज़र आयेंगे। कोनोर ओ’मले की माँ  टर्मिनल डिजीज से पीड़ित है। उधर हैरी उसे डराता रहता है। कोनोर इससे काफी परेशान रहता है।  ऐसे में उसे एक एक दैत्य मिलता है। यह दैत्य असल में पत्तियों और टहनियों का गुच्छा है, जिसने मानव आकर ले लिए है। वह उसे कहानियाँ सुनाता है। फिल्म में कोनोर की भूमिका से लेविस मैकडौगल का डेब्यू हो रहा है। ऑस्कर के लिए तीन बार नामित एक्ट्रेस सिगूरनी वीवर ने कोनोर की दादी और फ़ेलिसिटी जोंस ने कोनोर की माँ का किरदार किया है। इस फिल्म में लिएम नीसन दैत्य के अनोखे किरदार में हैं। फिल्म में टोबी केबेल, जेम्स मेलविले, लिली-रोज और गेराल्डिन चैपलिन की भी ख़ास भूमिका है। अ मॉन्स्टर कॉल्स २१ अक्टूबर को रिलीज़ हो रही है। 

Tuesday, 19 July 2016

हैप्पी भाग जाएगी में सन्नी देओल के यारा ओ यारा गाने पर थिरकेंगे जिम्मी शेरगिल

फिल्म हैप्पी भाग जाएगी  में अभिनेता जिमी शेरगिल म्युनिसिपल कॉर्पोरेटर बग्गा पाजी  किरदार में नज़र आएंगे,  जिमी , सनी देओल के फमस सांग यारा ओ यारा पर  परफॉर्म करते  हुए  नज़र आएंगे , सूत्रों को मुताबिक यह डांस परफॉरमेंस इस फिल्म का हाइलाइट और सबसे सबसे इंटरेस्टिंग पॉइंट होगा. 
बग्गा इस फिल्म में अमृतसर के सबसे भयावह म्युनिसिपल वार्ड के म्युनिसिपल कॉर्पोरेटर हैं, जो अक्सर  सर उठाये, आँखों पर  स्पोर्टिंग एविएटर शेड्स लगाए  , ढीली सोने की चैन पहने, हलके लाल रंग की  एनफील्ड  बुलेट पर शहर  के सकरी गलियों में घूमते हुए नज़र आएंगे,संक्षेप में यह कह सकते हैं की बग्गा से शो हैं न की बग्गा शो से. मुद्दसर अज़ीज़ द्वारा निर्देशित इस फिल्म में डायना पेंटी , अभय देओल , अली फैसल , और जिमी शेरगिल अहम भूमिका में नज़र आएंगे और आनंद एल राय और कृषिका लुल्ला  इस फिल्म को प्रोडूस कर रहे हैं यह फिल्म १९ अगस्त को सिनेमा घरों में प्रदर्शित की जाएगी.

नहीं रहे मनोज कुमार को भारत कुमार बनाने वाले केवल कश्यप

मनोज कुमार को आज का भारत कुमार बनाने वाले फिल्म निर्माता निर्देशक केवल पी कश्यप नहीं रहे।  साठ के दशक की श्वेत श्याम फिल्मों के युग में मनोज कुमार फिल्म हरियाली और रास्ता से हिट हो चुके थे।  लेकिन, कहीं न कहीं, उनका चॉकलेटी हीरो, राजेंद्र कुमार के जुबली कुमार से मात खा रहा था।  ऐसे समय में केवल पी कश्यप उनके पास शहीद फिल्म का प्रस्ताब लेकर आये।  शहीद, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के क्रांतिकारी कारनामों  पर फिल्म थी।  इस फिल्म में बॉलीवुड के चॉकलेटी हीरो मनोज कुमार को भगत सिंह का किरदार सौंपा गया था।  कश्यप की फिल्म में भगत सिंह का किरदार मनोज कुमार को दिया जाना कुछ जम नहीं रहा था।  लेकिन, जब फिल्म रिलीज़ हुई तब न केवल भविष्य के भारत कुमार ने जन्म लिया, बल्कि इस फिल्म ने प्राण और प्रेम चोपड़ा के करियर में भी ज़बरदस्त बदलाव किया।  फिल्म में प्राण ने सुहृदय डाकू केहर सिंह का किरदार किया था।  प्रेम चोपड़ा सुखदेव बने थे।  फिल्म में छोटे मोटे विलेन बनने वाले अभिनेता मनमोहन चन्द्रशेखर आज़ाद का किरदार करके अमर हो गए।  इस फिल्म में कामिनी कौशल ने भगत सिंह की माँ का किरदार किया था।   इस फिल्म के बाद कामिनी कौशल चरित्र भूमिकाएं करने लगी।  शहीद को १३ वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में हिंदी में श्रेष्ठ फीचर फिल्म, राष्ट्रीय एकता की फिल्म का नर्गिस दत्त अवार्ड और बी के दत्त और दीन दयाल शर्मा को बेस्ट स्क्रीनप्ले का अवार्ड्स जीता।  केवल कश्यप ने अपना फिल्म करियर फिल्मों के पब्लिसिस्ट के बतौर शुरू किया था।  उन्होंने प्यार का सागर, प्रोफेसर, ये रास्ते हैं प्यार के, मुझे जीने दो, मेरे मेहबूब, वह कौन थी, ग़ज़ल और अब्दुल्ला जैसी फिल्मों की पब्लिसिटी  सम्हाली थी।  उन्होंने दो फिल्मों शहीद और परिवार का निर्माण किया।  परिवार, विश्वास और चोरी चोरी जैसी तीन फिल्मों का निर्देशन किया।  परिवार सुपर हिट फिल्म थी।  

रिकॉर्डिंग रूम से भाग गई थी मुबारक बेगम

पचास से सत्तर तक के तीन दशक ! फिजाओं में बेमुरव्वत बेवफा, मुझ को अपने गले लगा लो, कभी तन्हाइयों में हमारी याद आयेगी, हम हाल ए दिल सुनायेंगे, मेरे आंसुओं पे न मुस्कुराना, तू ने तेरी नज़र ने, देवता तुम हो मेरा सहारा, जब इश्क कहीं हो जाता है, ज़रा कह दो फिजाओं से, वादा हमसे किया, सांवरिया तेरी याद में, इतने करीब आ के भी, रात कितनी हसीं ज़िन्दगी मेहरबान, तेरी नज़र ने काफिर बना दिया,, वादा हमसे, साकिया एक जाम, कैसी बीन बजाई, मैं हो गई रे बदनाम, हसीनों के धोखें में न आना, यह जाने नज़र चिलमन से अगर, जलवा जो तेरा देखा, आदि गीत गूंजा करते थे। इन गीतों की गायिका थी बिलकुल अलग मगर दमदार आवाज़ की मल्लिका मुबारक बेगम। उनका स्नेहल भाटकर के संगीत निर्देशन में गाया फिल्म हमारी याद आएगी का शीर्षक गीत कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी अपनी अलग किस्म की धुन और उसी के अनुरूप गूंजती मुबारक बेगम की आवाज़ के कारण आज भी यादगार है। 
चुरू राजस्थान में १९४० में जन्मी मुबारक बेगम ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत आल इंडिया रेडियो पर गीत गाने से की। उनका पहला गीत संगीतकार शौकत देहलवी, बाद में जिन्हें नाशाद नाम से जाना गया, ने फिल्म आइये के लिए रिकॉर्ड करवाया था। इस फिल्म के दो गीत मोहे आने लगी अंगडाई और आजा आजा बालम बेहद सफल हुए थे। लेकिन, इस गीत से पहले मुबारक बेगम दो बार रिकॉर्डिंग रूम छोड़ कर भाग गई थी। संगीतकार रफीक गजनवी ने उनका गायन रेडियो पर सुना था। उन्होंने अपनी फिल्म के लिए गीत गाने के लिए मुबारक को स्टूडियो में बुलाया। मगर वहां की भीड़ देख कर मुबारक बेगम के मुंह से आवाज़ तक नहीं निकल सकी। वह स्टूडियो से भाग गई।उन्हें दूसरी बार श्याम सुंदर ने फिल्म भाई बहन के गीत को गाने का मौका दिया। लेकिन, पहले वाली कहानी फिर दोहराई गई। मुबारक बेगम का समय बदला नर्गिस की माँ जद्दन बाई से मिलने के बाद। जद्दन बाई ने उनका गाना सुना। उनकी हौसला अफ़ज़ाई की। उन्होंने उनकी आवाज़ की तारीफ कई संगीतकारों से की। नतीज़तन, मुबारक बेगम को आइये फिल्म में गाने का मौका मिला। इसके बाद तो मुबारक बेगम ने नौशाद, सचिन देव बर्मन, शंकर जयकिशन, खय्याम, दत्ताराम, आदि कई संगीतकारों के लिए गीत गए। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सभी बड़े सितारों की फिल्मों के चरित्रों को अपनी आवाज़ दी।  
दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला की फिल्म मधुमती में मुबारक बेगम का गाया गीत ‘हम हाले दिन सुनायेंगे’ काफी पॉपुलर हुआ था। उनकी आवाज़ का जादू ही ऐसा था कि लता मंगेशकर के गाये फिल्म के तमाम गीतों के बीच भी मुबारक बेगम का गाया यह गीत दर्शकों के कानों में रस घोलने में कामयाब हुआ था। कैसी विडम्बना है कि मुबारक बेगम अपने दिल का हाल सुनाना चाहती थी, लेकिन, कोई सुनने को तैयार नहीं था। लता मंगेशकर और आशा भोंसले की आवाजों के वर्चस्व में मुबारक बेगम अप्रासंगिक हो गई। उनके गीत लता मंगेशकर या आशा भोंसले से रिकॉर्ड कराये जाने लगे। जब जब फूल खिले का परदेसियों से न अखियाँ मिलाना गीत मुबारक बेगम की आवाज़ में रिकॉर्ड हुआ था। लेकिन, जब एल्बम बाहर आया तो इसमे लता मंगेशकर की आवाज़ थी। इसके साथ ही मुबारक बेगम निराशा के गर्त में डूबती चली गई। १९८० में निर्मित फिल्म राम तो दीवाना है का सांवरिया तेरी याद मुबारक बेगम का गाया आखिरी गीत बन गया। 

मुबारक बेगम का आखिरी समय फांकों में गुजरा। पौष्टिक आहार की कमी ने उन्हें बीमार बना दिया था। उन्हें पेट की बीमारी हो गई। उनकी बेटी का पिछले साल निधन भी बीमारी के कारण हुआ। उन्हें अपने इलाज़ और खाने पीने के लिए एनजीओ और ट्रस्ट के सहारे रहना पड़ा। लता मंगेशकर ट्रस्ट उनकी नियमित मदद करता था। लेकिन, इसकी एक सीमा थी। सलमान खान ने भी एक बार उनके इलाज़ के लिए एकमुश्त धनराशि हॉस्पिटल को दी थी। कुछ महीना पहले महाराष्ट्र सरकार ने ८० हजार के चेक के साथ उनके इलाज़ का पूरा खर्च वहन करने का ऐलान किया था। एक पूर्व विधायक यशवंत बाजीराव उन्हें पांच हजार रुपये की नियमित मदद दिया करते थे। सोमवार की रात मुबारक बेगम सभी मदद को नकार कर अलविदा कह गई।  


रिकॉर्डिंग रूम से घबरा कर भाग कड़ी हुई थी मुबारक बेगम

पचास से सत्तर तक के तीन दशक ! फिजाओं में बेमुरव्वत बेवफा, मुझ को अपने गले लगा लो, कभी तन्हाइयों में हमारी याद आयेगी, हम हाल ए दिल सुनायेंगे, मेरे आंसुओं पे न मुस्कुराना, तू ने तेरी नज़र ने, देवता तुम हो मेरा सहारा, जब इश्क कहीं हो जाता है, ज़रा कह दो फिजाओं से, वादा हमसे किया, सांवरिया तेरी याद में, इतने करीब आ के भी, रात कितनी हसीं ज़िन्दगी मेहरबान, तेरी नज़र ने काफिर बना दिया,, वादा हमसे, साकिया एक जाम, कैसी बीन बजाई, मैं हो गई रे बदनाम, हसीनों के धोखें में न आना, यह जाने नज़र चिलमन से अगर, जलवा जो तेरा देखा, आदि गीत गूंजा करते थे। इन गीतों की गायिका थी बिलकुल अलग मगर दमदार आवाज़ की मल्लिका मुबारक बेगम। उनका स्नेहल भाटकर के संगीत निर्देशन में गाया फिल्म हमारी याद आएगी का शीर्षक गीत कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी अपनी अलग किस्म की धुन और उसी के अनुरूप गूंजती मुबारक बेगम की आवाज़ के कारण आज भी यादगार है। 
चुरू राजस्थान में १९४० में जन्मी मुबारक बेगम ने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत आल इंडिया रेडियो पर गीत गाने से की। उनका पहला गीत संगीतकार शौकत देहलवी, बाद में जिन्हें नाशाद नाम से जाना गया, ने फिल्म आइये के लिए रिकॉर्ड करवाया था। इस फिल्म के दो गीत मोहे आने लगी अंगडाई और आजा आजा बालम बेहद सफल हुए थे। लेकिन, इस गीत से पहले मुबारक बेगम दो बार रिकॉर्डिंग रूम छोड़ कर भाग गई थी। संगीतकार रफीक गजनवी ने उनका गायन रेडियो पर सुना था। उन्होंने अपनी फिल्म के लिए गीत गाने के लिए मुबारक को स्टूडियो में बुलाया। मगर वहां की भीड़ देख कर मुबारक बेगम के मुंह से आवाज़ तक नहीं निकल सकी। वह स्टूडियो से भाग गई।उन्हें दूसरी बार श्याम सुंदर ने फिल्म भाई बहन के गीत को गाने का मौका दिया। लेकिन, पहले वाली कहानी फिर दोहराई गई। मुबारक बेगम का समय बदला नर्गिस की माँ जद्दन बाई से मिलने के बाद। जद्दन बाई ने उनका गाना सुना। उनकी हौसला अफ़ज़ाई की। उन्होंने उनकी आवाज़ की तारीफ कई संगीतकारों से की। नतीज़तन, मुबारक बेगम को आइये फिल्म में गाने का मौका मिला। इसके बाद तो मुबारक बेगम ने नौशाद, सचिन देव बर्मन, शंकर जयकिशन, खय्याम, दत्ताराम, आदि कई संगीतकारों के लिए गीत गए। उन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सभी बड़े सितारों की फिल्मों के चरित्रों को अपनी आवाज़ दी।  
दिलीप कुमार और वैजयंतीमाला की फिल्म मधुमती में मुबारक बेगम का गाया गीत ‘हम हाले दिन सुनायेंगे’ काफी पॉपुलर हुआ था। उनकी आवाज़ का जादू ही ऐसा था कि लता मंगेशकर के गाये फिल्म के तमाम गीतों के बीच भी मुबारक बेगम का गाया यह गीत दर्शकों के कानों में रस घोलने में कामयाब हुआ था। कैसी विडम्बना है कि मुबारक बेगम अपने दिल का हाल सुनाना चाहती थी, लेकिन, कोई सुनने को तैयार नहीं था। लता मंगेशकर और आशा भोंसले की आवाजों के वर्चस्व में मुबारक बेगम अप्रासंगिक हो गई। उनके गीत लता मंगेशकर या आशा भोंसले से रिकॉर्ड कराये जाने लगे। जब जब फूल खिले का परदेसियों से न अखियाँ मिलाना गीत मुबारक बेगम की आवाज़ में रिकॉर्ड हुआ था। लेकिन, जब एल्बम बाहर आया तो इसमे लता मंगेशकर की आवाज़ थी। इसके साथ ही मुबारक बेगम निराशा के गर्त में डूबती चली गई। १९८० में निर्मित फिल्म राम तो दीवाना है का सांवरिया तेरी याद मुबारक बेगम का गाया आखिरी गीत बन गया। 

मुबारक बेगम का आखिरी समय फांकों में गुजरा। पौष्टिक आहार की कमी ने उन्हें बीमार बना दिया था। उन्हें पेट की बीमारी हो गई। उनकी बेटी का पिछले साल निधन भी बीमारी के कारण हुआ। उन्हें अपने इलाज़ और खाने पीने के लिए एनजीओ और ट्रस्ट के सहारे रहना पड़ा। लता मंगेशकर ट्रस्ट उनकी नियमित मदद करता था। लेकिन, इसकी एक सीमा थी। सलमान खान ने भी एक बार उनके इलाज़ के लिए एकमुश्त धनराशि हॉस्पिटल को दी थी। कुछ महीना पहले महाराष्ट्र सरकार ने ८० हजार के चेक के साथ उनके इलाज़ का पूरा खर्च वहन करने का ऐलान किया था। एक पूर्व विधायक यशवंत बाजीराव उन्हें पांच हजार रुपये की नियमित मदद दिया करते थे। सोमवार की रात मुबारक बेगम सभी मदद को नकार कर अलविदा कह गई।  


Sunday, 17 July 2016

जब कानन देवी को देख कर गवर्नर खड़े हो गए थे

कानन देवी ने फिल्मों में काम करना तब से शुरू कर दिया था, जब इस पेशे में अच्छे घर की औरतें नहीं आती थी।  हालाँकि, शुरूआती फिल्म निर्माताओं ने, जैसे दादा फालके आदि, अपने घर की औरतों को फिल्मों में काम करने के लिए प्रेरित किया।  लेकिन, उस समय वैश्याएँ और तवायफें ही हिंदी फिल्मों की नायिका बना करती थी।  बंगाल की कानन देवी उन कुछ भले घर की महिलाओं में थी, जिन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया।  उनकी पहली फिल्म जॉयदेव एक मूक फिल्म थी और १९२६ में रिलीज़ हुई थी। उनकी पहली सवाक फिल्म जोर बारात १९३१ में रिलीज़ हुई।  इस फिल्म की रिलीज़ के साथ ही बंगाली फिल्म उद्योग में एक सितारे का जन्म हुआ। कानन देवी की चमक अगले तीन दशकों तक बरकरार रही। लेकिन, उन्हें अपनी स्वीकार्यता बनाने के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा।  क्योंकि, वह एक फिल्म अभिनेत्री ही तो थी। परन्तु, धीरे धीरे फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें स्वीकार किया, उचित सम्मान दिया।  वह पहली ऐसी अभिनेत्री थी, जिन्हे उनके साथी वर्कर मैडम कह कर बुलाते थे।  परन्तु, इसके बावजूद समाज में उनकी उपेक्षा बनी हुई थी। लोग उनके अभिनय की सराहना करते थे, उनके गाये गीत थे, उनके द्वारा स्थापित फैशन ट्रेंड अपनाए जाते थे।  लेकिन, उन्हें सामजिक जलसों में आमंत्रित नहीं किया जाता था। कोई भी प्रतिष्ठित व्यक्ति उनसे शादी करने के सपने नहीं देखता था। यह कानन देवी का खुद पर भरोसा, कठिन परिश्रम कर सब कुछ पाने का इरादा और विपरीत परिस्थितियों को जीतने का जज़्बा था, जिसने कानन देवी को वह स्थान दिला दिया।  एक समय ऐसा आया, जब वह एक समारोह में आमंत्रित की गई तो उस समय के पश्चिम बंगाल के गवर्नर धर्म वीर उनके स्वागत में अपनी कुर्सी से उठ कर खड़े हो गए थे। कानन देवी की पहली हिंदी फिल्म हरी भक्ति १९३४ में रिलीज़ हुई थी।  वह अच्छी गायिका भी थी। उनकी तेज़ रफ़्तार से गए गीतों का कई संगीतकारों ने बढियां उपयोग किया। उनके कुछ उल्लेखनीय गीतों में ऐ चाँद छुप न जाना, ज़रा नैनों से नैना, दूर देश का रहने वाला, प्रभुजी प्रभुजी तुम, लछमी मूरत दरस दिखाये, सांवरिया मन भाये रे, हमारी नगरिया में, पनघट पे मधु, तुम बिन कल न आये, चली पवन हरसो, आदि थे। १९७७ में उन्हें दादासाहब फालके अवार्ड दिया गया। उनकी मृत्यु १७ जुलाई १९९२ को हुई थी।