स्मोकिंग से कोसों दूर रहने वाली तापसी पन्नू के लिए यह पहला मौक़ा है जब उन्हें किसी फ़िल्म के लिए स्मोकिंग सीन शूट करने पड़ रहे हैं। उन्हें कुछ दिनों के लिए धुंए से घिरे रहना होगा। लेकिन स्मोकिंग से कोसों दूर तापसी पन्नू फिल्म 'कंचना २' में अपने इस सीन के लिए अपनी बॉडी लैंग्वेज दुरुस्त करने में जुटी हुई हैं । सूत्र बताते हैं कि इस सीन की तैयारियों में जुटी तापसी के साथ घाटी कई मज़ेदार घटनों में से एक उनके बालों का जलना भी है । दरअसल हुआ यूं की माचिस की तीली से सिगरेट जलाने की कोशिश में जुटी तापसी ने गलती से वह तीली अपने बालों पर गिरा ली जिससे उनके बाल जल गए । इसका परिणाम यह हुआ की तापसी को सिगरेट जलाने के लिए तीली की बजाय लाइटर दिया गया । सिर्फ यही नहीं इस फ़िल्म में तापसी एक हॉरर लुक के साथ नज़र आनेवाली हैं जिसमें उनके किरदार को कंविंसिंग बनाने के लिए उन्हें अपाहिजों की तरह चाल ढाल दी गयी है । गौरतलब है की इसकी प्रैक्टिस तापसी के लिए काफी मुश्किल रही क्योंकि इस दौरान उनके पैरों में कई बार अकड़न भी आए । अब जब तापसी के इस किरदार को इतना सराहा जा रहा है तो तापसी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की उन्हें इसके लिए कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday, 24 April 2015
कांचना 2 के लिए मुश्किल तैयारियों से गुज़री तापसी पन्नू
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 23 April 2015
हॉलीवुड मूवी 'अवेंजर्स : एज ऑफ़ उल्ट्रॉन' देखने पहुंचे बॉलीवुड स्टार्स (फोटोज)
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फोटो फीचर
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी : इन एंड एज 'लतीफ़'
स्क्रीनशॉट मीडिया एंड एंटरटेनमेंट की फिल्म 'अन अनफोल्ड फैक्ट लतीफ़' के शीर्षक में लिखा होगा - इन एंड एज लतीफ़। गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' से बहुचर्चित नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को 'लंचबॉक्स' से प्रशंसा मिली और सलमान खान के साथ फिल्म 'किक' से कमर्शियल सक्सेस। इसीलिए, निर्देशक इसरार अहमद की फिल्म 'अन अनफोल्ड फैक्ट लतीफ़' में लतीफ़ का केंद्रीय करैक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी कर रहे हैं। लतीफ़ कहानी है एक ऐसे नौजवान
की जो डाक्टर बनना चाहता है, पर उसका भाग्य उसे भ्रष्टराजनीति और ड्रग
माफिया के चक्रव्यूह में फसा देती है। ड्रग ट्रैफिकिंग और टेररिज्म पर केंद्रित इस फिल्म की निर्मात्री श्रीमती अमीना अहमद अपनी फिल्म को लेकर काफी उत्साहित हैं। फिल्म के लेखक सचिंदर शर्मा और बादशाह खान, डी ओ पी मंसूर शेख, संगीतकार यासीन दरबार व गीत शब्बीर अहमद ने लिखे है। नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के साथ फिल्म के अन्य कलाकारों में मुरली शर्मा, मुकेश तिवारी, प्रतिमा काज़मी, अखिलेन्द्र मिश्रा, इन्द्राणी तालुकदार, नागेश सालवन, सुशील योगी, व विख्यात अदाकार कादर खान के नाम उल्लेखनीय हैं ।
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ऐश्वर्या ने नहीं किया यह 'कल्याण'
आभूषण के ब्रांड कल्याण जूलर्स के एक एड से अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन विवादों में घिर गई। इस एड में ऐश्वर्या राय के पीछे एक काला बच्चा छतरी लगाए खड़ा है। इसे रंग-भेद और बच्चों के शोषण का प्रतीक माना गया। चूंकि, ऐश्वर्या एक सेलिब्रिटी हैं, इसलिए इस एड में उनका नाम लिया जाना ही था । जबकि, कोई एड किस प्रकार से बनाया जाये, यह विज्ञापनदाता का विशेषाधिकार होता है। इसे साफ करने के लिए ऐश्वर्या राय बच्चन की ओर से एक बयान जारी किया गया। इस बयान के साथ उस फोटो शूट की तस्वीर भी है, जिसे ऐश्वर्या ने शूट किया। इससे साफ़ है कि ऐश्वर्या ने जब फोटो शूट किया, तब उनके कोई बच्चा छतरी लेकर नहीं खड़ा था। यह इंडोर शूट था। इस बयान में कहा गया, "विज्ञापन का फाइनल लेआउट ब्रांड की क्रिएटिव टीम का विशेषाधिकार है।"
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Wednesday, 22 April 2015
रुसो ब्रदर्स के हाथों में अवेंजर्स की लगाम
२०१२ की सबसे बड़ी हिट फिल्म 'द अवेंजर्स' के सीक्वल 'अवेंजर्स: एज ऑफ़ उल्ट्रॉन' के निर्देशन की कमान जॉस व्हेडों को ही सौंपी गई थी। अवेंजर्स :एज ऑफ़ अल्ट्रान इस शुक्रवार रिलीज़ हो गई है। इस फिल्म ने पहले दो दिनों में २२.८० करोड़ का बढ़िया कलेक्शन कर यह पुख्ता कर दिया कि एक और हॉलीवुड फिल्म इंडियन बॉक्स ऑफिस पर १०० करोड़ का बिज़नेस करने जा रही है। लेकिन, मार्वेल स्टूडियो के बॉस तीसरे अवेंजर्स की कमान जॉस को सौंपने के मूड में नहीं। उन्हें कप्तान अमेरिका: द विंटर सोल्जर' की दो भाइयों की निर्देशक जोड़ी जोए रुसो और अन्थोनी रुसो ने काफी प्रभावित किया है। इसीलिए इन दोनों भाइयों को 'कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर' के निर्देशन का भार भी सौंप दिया गया था। 'अवेंजर्स सीरीज' की फिल्मों के निर्माता केविन फाइज 'अवेंजर्स' की तीसरी कड़ी 'इंफिनिटी वॉर' को दो हिस्सों में बनाने वाले हैं। उन्होंने इन दोनों भागों यानि 'अवेंजर्स: इंफिनिटी वॉर १' और '२' के निर्देशन हेतु रुसो भाइयों को साइन कर लिया है। रुसो भाई 'सिविल वॉर' के अलावा सोनी और घोस्टबस्टर्स फिल्मों के लिए अनुबंधित हैं। रुसो भाई व्हेडों की तरह अपनी फिल्मों को खुद नहीं लिखते। इसलिए 'अवेंजर्स : इंफिनिटी वॉर' को रुसो भाइयों के बजाय कैप्टेन अमेरिका 'विंटर सोल्जर और सिविल वॉर के लेखक क्रिस्टोफर मार्कस और स्टेफेन मकफीली की जोड़ी लिखेगी। 'अवेंजर्स: एज ऑफ़ उल्ट्रॉन' भारत में यूके रिलीज़ के एक दिन बाद २४ अप्रैल को रिलीज़ हो रहे है, अमेरिकी ऑडियंस इस फिल्म को १ मई को देख सकेंगे। 'अवेंजर्स के अगले दो हिस्से 'अवेंजर्स : इंफिनिटी वॉर पार्ट १' पूरी दुनिया में २७ अप्रैल २०१८ को तथा अमेरिका में ४ मई २०१८ को रिलीज़ होगी। पार्ट २ के अमेरिका में ३ मई २०१९ तथा शेष दुनिया में २६ अप्रैल को रिलीज़ होने की संभावना है।
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इंडिपेंडेंस डे के सीक्वल में अमेरिकी प्रेजिडेंट भी
डायरेक्टर रोलाँ एमरिच की १९९६ में प्रदर्शित विज्ञानं फंतासी विनाश फिल्म 'इंडिपेंडेंस डे' का सीक्वल बनाये जाने की तैयारी जोरों पर है। विल स्मिथ की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'इंडिपेंडेंस डे' के निर्माण में ७५ मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। फिल्म ने वर्ल्डवाइड ८१७.४ मिलियन डॉलर का बिज़नेस कर लिया था। इतनी बड़ी सफलता के बावजूद फिल्म के निर्माता और लेखक डीन डेवलिन ने 'इंडिपेंडेंस डे' का सीक्वल बनाने की नहीं सोची। अब लगभग बीस साल बाद फिल्म का सीक्वल 'इंडिपेंडेंस डे फॉरएवर' बनाया जा रहा है। इस फिल्म के करैक्टर कैप्टेन स्टीवन हिलर की भूमिका करने के लिए विल स्मिथ उपलब्ध नहीं हुए हैं। उनके बेटे का रोल करने के लिए जेसी अशर को लिया गया है। लेकिन, बिल पूलमैन और जूड्ड हर्ष अपने अपने करैक्टर करने के लिए शामिल किया गए हैं। 'इंडिपेंडेंस डे' में बिल पूलमैन ने अमेरिकी प्रेजिडेंट थॉमस जे व्हिटमोर और जूड्ड हर्श ने जूलियस लेविंसन की भूमिका की थी। 'इंडिपेंडेंस डे' के कुछ अन्य कलाकारों में जोए किंग और ब्रेंट स्पिनर को भी 'इंडेपनेडेन्स डे फॉरएवर' में शामिल कर लिया गया है। 'इंडिपेंडेंस डे फॉरएवर' २४ जून २०१६ को रिलीज़ होनी है।
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जैज़ सिंगर रवीना टंडन और अनुष्का शर्मा (फोटोज)
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'बॉम्बैरिया' के सुपर स्टार रवि किशन
रवि किशन का भोजपुरी फिल्मों में डंका बज ही रहा है। अब वह हिंदी फिल्मों में भी अपनी मज़बूत मौजूदगी दर्ज कराने जा रहे हैं। इंडो-ब्रिटिश फिल्म निर्माता माइकल वार्ड की फिल्म 'बॉम्बैरिया' में रवि किशन एक सुपर स्टार करन कपूर के किरदार में नज़र आएंगे। इस सुपर स्टार का करियर अब उतार की ओर है। यह एक काम्प्लेक्स करैक्टर हैं। मगर, फिल्म के लिहाज़ से इम्पोर्टेन्ट भी है । लेकिन, रवि किशन के जोड़ का अभिनेता ऐसे किरदार करने में माहिर है। कहते हैं फिल्म के प्रोडूसर माइकल वार्ड, "यह छोटा मगर मज़बूत किरदार है। रवि किशन अवार्ड विनिंग एक्टर हैं। वह अपनी इंडस्ट्री के सुपर स्टार हैं। वह गज़ब के पेशेवर नज़रिये वाले इंसान हैं। उन्हें फिल्म के लिए साइन करने के लिए इतना ही काफी था।" इंडो-ब्रिटिश प्रोडक्शन की फिल्म 'बॉम्बैरिया' का निर्देशन पिया सुकन्या करेंगी। रवि किशन ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट केवल पांच मिनट ही सुनी थी और तय कर लिया था कि वह इस फिल्म को करेंगे। बताते हैं रवि किशन, "फिल्म में मेरा रोल यूनिक है। पांच मिनट की स्क्रिप्ट सुनाने के बाद मैंने फिल्म को हां कर दी। मुझे ख़ुशी है कि मैं 'बॉम्बैरिया' जैसी फिल्म की स्क्रिप्ट का हिस्सा बन रहा हूँ।" 'बॉम्बैरिया' की शूटिंग २५ अप्रैल से शुरू हो जाएगी।
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Monday, 20 April 2015
कांन्स फिल्म फैस्टिवल में कैटरीना कैफ
इस बार के कांन्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के ६८वे एडिशन में बॉलीवुड से एक नयी फिल्म अभिनेत्री कैटरीना कैफ मशहूर कॉस्मेटिक ब्रांड लॉरियल पेरिस को रिप्रेजेंट करेंगी। १३ से २४ मई तक आयोजित हो रहे इस महंगे लेकिन प्रतिष्ठित तमाशे में बॉलीवुड लॉरियल पेरिस के द्वारा प्रायोजित होता रहा है। भारत में इसकी ब्रांड एम्बेसडर कांन्स के रेड कारपेट में चलती हैं। ऐश्वर्या राय कोई डेढ़ दशक से इस ब्रांड की तरफ से कांन्स में प्रायोजित हो रही हैं। २०११ में ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ अभिनेत्री सोनम कपूर और फ्रीडा पिंटो भी आ जुड़ी थी । उस समय ऎसी चर्चा थी कि सोनम कपूर अब कांन्स में ऐश्वर्या की जगह ब्रांड को रिप्रेजेंट करेंगी। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। २०११ से सोनम कपूर और ऐश्वर्या राय बच्चन दोनों ही कांन्स में लोरियल की ब्रांड एम्बेसडर बनी हुई हैं। अब लॉरियल पेरिस से कैटरीना कैफ का नाम भी जुड़ने जा रहा है। इस साल से कांन्स फिल्म फेस्टिवल में लॉरियल पेरिस को कैटरीना कैफ भी रिप्रेजेंट करेंगी। वह इस फेस्टिवल में ख़ास तौर पर तैयार करे गए अपने लुक को पेश कर रही हैं। लॉरियल के लिए कांन्स में फ्रेंच रिवेरा में उतरने से उत्साहित कैटरीना कैफ ने कहा, "मैं लॉरियल पेरिस और इंडिया को कांन्स फिल्म फेस्टिवल में पेश करने की खबर से ही रोमांचित हूँ। एक्टर होने के नाते मेरे लिए इस इवेंट को अटेंड करना प्रेरणादायक है, जो सिनेमा के भिन्न प्रकारों को पेश करता है। मैं उत्सुक हूँ अन्य सेलिब्रिटी से मिलने और इस साल सौंदर्य के नए ट्रेंड्स स्थापित करने के लिए।" देखते हैं कांन्स में कैटरीना कैफ क्या जलवा बिखेरती हैं।
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अब माँ के रोल में पूनम दासगुप्ता
कभी पूनम दासगुप्ता का जलवा हुआ करता था। १९८७ में रिलीज़ बी-ग्रेड फिल्म 'हिरासत' की नायिका के बतौर उनका बॉलीवुड डेब्यू हुआ था। उन्होंने महा-ग्लैमरस या यो कहा जाए सेक्सी भूमिकाओं में अपना परचम लहराया। इन्ही फिल्मों से उन्हें फिल्म 'मिस्टर बांड' में अक्षय कुमार के बांड की बांड गर्ल बनने का मौका मिला। फिर वह भयावनी फिल्मों का एक आइटम बन गई। उन्हें ख़ास प्रकार के भूमिकाओं में बदन उघड़ने, डरने का चेहरा बनाने और डराने का काम मिलने लगा। इन प्रकार से उन्होंने १५० के लगभग फ़िल्में की। उन्होंने बेताल पचीसी, ब्लैक कैट, बस स्टॉप की रात, कमांडर, कभी हाँ कभी ना, किस्मत और क्या बात है, आदि टीवी सीरियलों में भी अभिनय किया। अभी उन्होंने अपने बेटे नवम की पहली वर्षगांठ मनाई। इस मौके पर टीवी और फिल्मों की तमाम हस्तियां महेश ठाकुर, दीपक पराशर, सारा खान, सुरेन्द्र पाल, तनुज गर्ग, वंदना सजनानी, आदि अलावा एमएलए असलम शेख मौजूद थे। जब पूनम दासगुप्ता से उनकी फ्यूचर प्रोजेक्ट में बारे में पूछा तो उन्होंने ग्लैमर वर्ल्ड की बातें करने से साफ इंकार कर दिया।
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अपोकलीप्स के हवोक लुकास टिल
डायरेक्टर ब्रयान सिंगर की एक्स-मेन सीरीज की अगली फिल्म 'अपोकलीप्स' करैक्टर की संख्या के लिहाज़ से 'डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट' को पछाड़ने जा रही है। 'एक्स-मेन : अपोकलीप्स' में साईक्लोप्स के छोटे भाई 'हवोक' के रोल में लुकास टिल की वापसी हो रही है। लुकास ने एक्स-मेन :फर्स्ट क्लास और डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट में भी हवोक का रोल किया था। हवोक एक ऐसा सुपरहीरो करैक्टर जिसमे ऊर्जा पैदा करने की ताक़त है।
अपोकलीप्स में हवोक की भूमिका अभी धुंध के घेरे में हैं। लेकिन, इसमे कोई शक नहीं कि उसकी क्षमता का उपयोग शक्तिशाली म्युटेंटस का मुक़ाबला करने के लिए किया जायेगा। यह भी पता चला है कि हवोक से साईक्लोप्स को किसी भाईचारे की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अपोकलीप्स में 'एक्स-मेन :फर्स्ट क्लास' और 'एक्स-मेन :डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट' की तमाम स्टारकास्ट शामिल कर ली गई है। जेम्स मकवॉय, जेनिफर लॉरेंस, निकोलस हॉल्ट और माइकल फससबेंडर के अलावा रोज बयरन, सोफी टर्नर, एवं पीटर्स, ओलिविया मुंन, बेन हार्डी, कोडी स्मिट-मक्फ़ी, अलेक्सांद्र शिप, लाना कंडर, आदि अपनी अपनी सुपर पावर के जौहर दिखा रहे होंगे। खबर तो यहाँ तक है कि (शायद) आखिरी बार ऑस्ट्रेलियाई अभिनेता ह्यू जैकमैन फिल्म में अपनी चिरपरिचित भूमिका में होंगे। यह भी संभव हो सकता है कि चैनिंग तातुम को भी सुपरपावर दिखाने का मौका मिले। उम्मीद की जा रही है कि निर्देशक ब्रयान सिंगर 'अपोकलीप्स' की शूटिंग मोंट्रियल में शीघ्र शुरू करें, ताकि फिल्म १९ मई २०१६ को रिलीज़ हो सके।
अपोकलीप्स में हवोक की भूमिका अभी धुंध के घेरे में हैं। लेकिन, इसमे कोई शक नहीं कि उसकी क्षमता का उपयोग शक्तिशाली म्युटेंटस का मुक़ाबला करने के लिए किया जायेगा। यह भी पता चला है कि हवोक से साईक्लोप्स को किसी भाईचारे की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। अपोकलीप्स में 'एक्स-मेन :फर्स्ट क्लास' और 'एक्स-मेन :डेज ऑफ़ फ्यूचर पास्ट' की तमाम स्टारकास्ट शामिल कर ली गई है। जेम्स मकवॉय, जेनिफर लॉरेंस, निकोलस हॉल्ट और माइकल फससबेंडर के अलावा रोज बयरन, सोफी टर्नर, एवं पीटर्स, ओलिविया मुंन, बेन हार्डी, कोडी स्मिट-मक्फ़ी, अलेक्सांद्र शिप, लाना कंडर, आदि अपनी अपनी सुपर पावर के जौहर दिखा रहे होंगे। खबर तो यहाँ तक है कि (शायद) आखिरी बार ऑस्ट्रेलियाई अभिनेता ह्यू जैकमैन फिल्म में अपनी चिरपरिचित भूमिका में होंगे। यह भी संभव हो सकता है कि चैनिंग तातुम को भी सुपरपावर दिखाने का मौका मिले। उम्मीद की जा रही है कि निर्देशक ब्रयान सिंगर 'अपोकलीप्स' की शूटिंग मोंट्रियल में शीघ्र शुरू करें, ताकि फिल्म १९ मई २०१६ को रिलीज़ हो सके।
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रिलीज़ हुआ 'कागज़ के फूल्स' का संगीत
ग्लोब फ़िल्मी एंटरटेनमेंट बैनर की फिल्म 'कागज़ के फूल्स' का ऑडियो कल रिलीज़ हुआ। फैसल कापड़ी की इस फिल्म में विनय पाठक और मुग्धा गोडसे मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म के निर्देशक अनिल कुमार चौधरी ने फिल्म के बारे में मीडिया के लोगों को बताया। पीवीआर द्वारा २४ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही 'कागज़ के फूल्स' के संगीत रिलीज़ पर विनय पाठक और मुग्धा गोडसे के अलावा कई फिल्म हस्तियां मौजूद थी।
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गीत संगीत
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Sunday, 19 April 2015
अब तीसरी 'बच्चनों' की 'सरकार' !
खबर चौंकाने वाली है। रामगोपाल वर्मा की बॉलीवुड में वापसी किसी रियल लाइफ करैक्टर को रील लाइफ में उतार कर नहीं होगी। बल्कि, वह अपनी एक हिट फ्रैंचाइज़ी फिल्म 'सरकार' की तीसरी कड़ी बनाने जा रहे हैं। बॉलीवुड सूत्रों की खबर यह है कि रामगोपाल वर्मा ने 'सरकार ३' की स्क्रिप्टिंग तो नहीं पूरी की है, लेकिन बेसिक आईडिया तय कर लिया है। इस फिल्म का नाम 'सरकार रिटर्न्स' होगा। फिल्म के लीड एक्टर्स भी तय कर लिए गए हैं। 'सरकार' और 'सरकार राज' की तरह 'सरकार रिटर्न्स' में भी बाप-बेटा बच्चन यानि अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन होंगे। इन दोनों से रामगोपाल वर्मा ने काफी कुछ फाइनल भी कर लिया है। फिल्म की कहानी का अभी खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन यह तो तय है कि कहानी वही बाल ठाकरे वाली नहीं होगी। क्योंकि, रील लाइफ में अमिताभ बच्चन के रियल ठाकरे का किरदार 'सरकार राज' में मारा जा चुका था। वर्मा उसे आईसीयू में ले जाकर ज़िंदा करने से तो रहे। कहानी गैंगस्टर हो सकती है या पोलिटिकल भी। वैसे पाठकों के मन में यह सवाल पैदा हो रहा होगा कि 'सरकार रिटर्न्स' में तीसरी बच्चन ऐश्वर्या राय बच्चन होंगी या नहीं ! ऐश्वर्या राय ने 'सरकार राज' में अभिषेक के अपोजिट ख़ास भूमिका की थी। फिलहाल, तीसरे बच्चन के होने की कोई खबर नहीं है।
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Saturday, 18 April 2015
'फ्यूरियस ७' के फ़ास्ट वन बिलियन !
एक्सीडेंट में मौत के बाद रिलीज़ हॉलीवुड अभिनेता पॉल वॉकर के साथ विन डीजल, ड्वेन जॉनसन, मिशेल रोड्रिगुएज़, जोर्डाना ब्रूस्टर, टायर्स गिब्सन, जैसन स्टेथम और लुडक्रिस की फिल्म 'फ्यूरियस ७' ने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन के पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस फिल्म ने सबसे तेज़ वन बिलियन डॉलर का कलेक्शन करने का नया रिकॉर्ड बना दिया है। 'फ्यूरियस ७' ने केवल १७ दिनों में एक बिलियन डॉलर की कमाई कर ली। अब तक सबसे तेज़ वन बिलियन डॉलर कमाने का कीर्तिमान 'द अवेंजर्स', 'अवतार' और हैरी पॉटर एंड द डेथली हालौज पार्ट २ के नाम था। इन फिल्मों ने १९ दिनों में सबसे तेज़ एक बिलियन डॉलर का कलेक्शन किया था। यूनिवर्सल स्टूडियोज की यह पहली फिल्म हैं, जिसने फर्स्ट रन में ही एक बिलियन का आंकड़ा छूआ। इससे पहले यूनिवर्सल की १९९३ में रिलीज़ फिल्म जुरैसिक पार्क ने १ बिलियन डॉलर का कलेक्शन फिल्म के ३डी संस्करण के २०१३ में री-रिलीज़ होने पर किया था । अब फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की फ़िल्में वर्ल्डवाइड ३ बिलियन से ज़्यादा की कमाई कर चुकी है। अब तक सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली हॉलीवुड फिल्मों में 'फ्यूरियस ७' का ओपनिंग कलेक्शन हैरी पॉटर एंड द डेथली हालोज पार्ट २ के बाद दूसरे नंबर का है। इस फिल्म का घरेलु बाजार में १४७.२ मिलियन डॉलर तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में २५० मिलियन की ओपनिंग कलेक्शन यूनिवर्सल के इतिहास का सबसे ज़्यादा ओपनिंग कलेक्शन है।
अल्पना कांडपाल
अल्पना कांडपाल
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बॉक्स ऑफिस पर
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'बाजीराव- मस्तानी' में होगा प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण का जुगलबंदी डांस
अब तय हो गया है कि बाजीराव मस्तानी में प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण का जुगलबंदी डांस होगा। यह डांस, संजयलीला भंसाली की परंपरा में ठेठ 'देवदास' का 'डोला रे डोला' डांस जैसा होगा, जिसे फिल्म की पारो और चंद्रमुखी यानि ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया था। सूत्र बताते हैं कि 'बाजीराव मस्तानी' का डांस भी कुछ वैसा ही होगा। हालाँकि, दो दिन पहले यह खबर थी कि दीपिका और प्रियंका के बीच शायद ऐसा कोई डांस मुक़ाबला नहीं होगा। कोई पांच दिन पहले प्रियंका चोपड़ा पर एक सोलो सांग की शूटिंग शुरू हुई थी। इस गीत की कोरियोग्राफी पोनी वर्मा ने की है। यह दूसरा मौका है, जब प्रियंका चोपड़ा, दीपिका पादुकोण और संजयलीला भंसाली का तिगड्डा साथ है। इन लोगों ने फिल्म 'गोलियों की रासलीला : राम-लीला' में पहली बार साथ काम किया था। संजयलीला भंसाली की फिल्म राम-लीला की लीला दीपिका पादुकोण थी। प्रियंका चोपड़ा एक आइटम 'राम चाहे लीला लीला चाहे राम' में नज़र आई थी। काफी उत्तेजक डांस नंबर था यह। फिल्म के लिए खाद पानी का काम करने वाला। इस बार तो दीपिका पादुकोण बाजीराव की मस्तानी बनी हैं। मस्तानी एक नर्तकी है। जिस पर बाजीराव का दिल आ जाता है। जबकि प्रियंका चोपड़ा ने बाजीराव की पत्नी काशीबाई की भूमिका की है। इसका मतलब यह है कि बाजीराव मस्तानी के डुएट डांस का मकसद पत्नी के हक़ को जताना और प्यार का महत्व बताना ही होगा। संजयलीला भंसाली की फिल्मों में नृत्य गीत ख़ास होते हैं। 'राम-लीला' में संजय ने इसे पुख्ता किया था। इमोशन उभरने और ड्रामा क्रिएट करने में यह डांस ख़ास होते हों। जब इन गीतों को दो बड़ी अभिनेत्रियां कर रही होती है तो इन गीतों के कारण बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का दर्शक बढ़ जाता है। इसीलिए अब भंसाली एक बार फिर दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा के सेंसेशनल डांस नंबर के साथ आ रहे हैं। इस गीत को संजयलीला भंसाली ने ही संगीतबद्ध किया है। कोरियोग्राफी किसकी होगी, जल्द ही पता चल जायेगा। निश्चित रूप से दर्शकों का दिल अभी से 'डोला रे डोला' हो रहा होगा ! 'बाजीराव- मस्तानी' की शूटिंग अगस्त या सितम्बर तक ख़त्म हो जाएगी। इसके बाद फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन का काम शुरू होगा, ताकि फिल्म को दिसंबर में रिलीज़ किया जा सके।
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
अब 'गब्बर' लौटा है करप्शन की लड़ाई लड़ने
लीजिये साहब ! गब्बर फिर लौट आया है। यह गब्बर १९७५ की 'शोले' का डाकू गब्बर नहीं, जिसके नाम से पचास पचास कोस दूर के बच्चे डराए जाते थे। यह गब्बर करप्शन से लड़ने वाला आम आदमी है। वह जब आता है रिश्वतखोर घूस लेना बंद कर देते हैं। ज़ाहिर है कि जब गब्बर १ मई को देश के सिनेमाघरों में आएगा भारत से करप्शन का नाम ओ निशान मिट जायेगा। क्या होगा ! यह तो पता नहीं। लेकिन, निर्देशक कृष और निर्माता संजयलीला भंसाली की अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'गब्बर इज़ बैक' के प्रचार से तो ऐसा ही लगता है कि हिंदुस्तान से भ्रष्टाचार का खात्मा होने वाला है। क्या निर्देशक कृष की फिल्म भ्रष्टाचार को नंगा कर देगी ? क्या अक्षय कुमार ऐसा करैक्टर दे सकेंगे जो दर्शकों को उनके साथ भ्रष्टाचार से सचमुच लड़ने का विश्वास दिल सके ? क्या दर्शक 'गब्बर इज़ बैक' के गब्बर की करप्शन के विरुद्ध लड़ाई से दर्शक इतना एकजुट हो सकेंगे कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हो ?
बॉलीवुड में करप्शन से लड़ने वाला आम आदमी किरदार साउथ फिल्मों की देन लगता है। हालाँकि, गोविन्द निहलानी ने अपनी फिल्म 'आक्रोश' में एक पुलिस अधिकारी द्वारा भ्रष्ट नेता की हत्या करने का क्रन्तिकारी कथानक दर्शाया था। हीरो की इस एकल लड़ाई में यह घटनाक्रम बॉलीवुड के लिहाज़ से क्रन्तिकारी था, क्योंकि उससे पहले तक नेताओं पर उंगली उठाना टैबू था। इस फिल्म के बाद कई फ़िल्में ऐसे ही कथानकों पर बनी। निर्देशक शंकर ने २००१ में अनिल कपूर को करप्शन से लड़ने वाला नायक बना कर फिल्म 'नायक : द रियल हीरो' फिल्म बना इसे आम आदमी की लड़ाई बताने की कोशिश की थी। इसके बाद काफी फ़िल्में नायक के करप्शन से लड़ाई पर रिलीज़ हुई। यहाँ तक कि पिछले साल सलमान खान भी 'जय हो' का नारा लगाते हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध आम आदमी की लड़ाई में कूद पड़े थे। कैसे थे यह किरदार ! किस हद तक और किस प्रकार भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रहे थे बॉलीवुड के आम आदमी ? कितना और क्यों जुड़ सका इन फिल्मों से दर्शक? आइये जानने की कोशिश करते हैं कुछ फिल्मों के ज़रिये -
क्रांतिवीर (१९९४)- मेहुल कुमार की फिल्म 'क्रांतिवीर' का एक बेरोजगार युवा अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए कानून अपने हाथ में ले लेता है। मेहुल कुमार ने अपनी फिल्म के ज़रिये आम आदमी से भ्रष्टाचार के विरुद्ध एकजुट होने की ज़रुरत बताई थी। लेकिन, नाना पाटेकर, डिंपल कपाड़िया, अतुल अग्निहोत्री, ममता कुलकर्णी और डैनी डैंग्जोप्पा की 'क्रांतिवीर' मुख्य किरदारों के लाउड अभिनय का शिकार हो गई।
शूल (१९९९)- रामगोपाल वर्मा और नितिन मनमोहन की निर्माता जोड़ी की इ निवास निर्देशित फिल्म 'शूल' का पुलिस अधिकारी नायक बिहार के मोतिहारी जिले में बाहुबली नेता के भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी लड़ाई को विधान सभा तक ले जाता है। इस फिल्म में मनोज बाजपेई का किरदार विधान सभा में भ्रष्ट नेता की हत्या कर देता है। 'शूल' की सफलता इसकी भ्रष्टाचार की लड़ाई से ज़्यादा शिल्पा शेट्टी के आइटम के कारण ज़्यादा थी।
नायक : द रियल हीरो (२००१)- इस फिल्म का आम आदमी अनिल कपूर एक पत्रकार था। जो अमरीश पूरी का इंटरव्यू लेने के दौरान एक दिन का चीफ मिनिस्टर बनने और भ्रष्टाचार ख़त्म करने की चुनौती स्वीकार करता है। शंकर की ही १९९९ में रिलीज़ तमिल फिल्म 'मुधलवन' की रीमेक फिल्म 'नायक' में जब अनिल कपूर एक टाइपराइटर साथ लेकर भ्रष्ट लोगों को ससपेंड करते चलते हैं तो सिनेमाघर तालियों से गूँज उठता था। भ्रष्टाचार से परेशान दर्शकों को यह दृश्य भले लग रहे थे। लेकिन, इन थोड़े दृश्यों के बाद शंकर लीक पर आ गए। फिल्म में अनिल कपूर और रानी मुख़र्जी का रोमांस ख़ास हो गया। फिल्म के क्लाइमेक्स में बारिश में कीचड से सने अनिल कपूर का अमरीश पूरी और उनके गुंडों की धुलाई करना फिल्म को साधारण मसाला फिल्म बना रहे थे । यही कारण था कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत से कम बिज़नेस ही कर सकी।
गंगाजल (२००३)- प्रकाश झा की फिल्म 'गंगाजल' में पुलिस, पुलिस में भ्रष्टाचार, बाहुबली नेता, कैदियों की आँख में तेज़ाब डाल कर अँधा बनाने का मशहूर कांड था। कुल मिला कर अजय देवगन, ग्रेसी सिंह और मुकेश तिवारी की यह फिल्म दर्शकों द्वारा पसंद की गई। लेकिन, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का सन्देश देने में नाकामयाब हुई।
युवा (२००४)- मणि रत्नम की फिल्म 'युवा' सामान्य भ्रष्टाचार के बजाय राजनीति में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए युवाओं के जुड़ने की कहानी थी। इस फिल्म में अजय देवगन, करीना कपूर, रानी मुख़र्जी, अभिषेक बच्चन, विवेक ओबेरॉय, एषा देओल और सोनू सूद जैसे सितारों की भीड़ थी। काफी फ़्लैश बैक दृश्यों और उप कथाओं के कारण 'युवा' काफी उलझी फिल्म बन गई थी।
रंग दे बसंती (२००६)- निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की युवा दोस्तों की अपने एक दोस्त के मिग दुर्घटना में मारे जाने के बाद नाराज़ हो कर व्यवस्था से जुड़े नेताओं, ऑफिसर्स और अन्य लोगों को जान से मार देने की कहानी थी। इस फिल्म को इमोशन के लिए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की हिंसा से जोड़ दिया गया था। लेकिन, यह फिल्म भ्रष्टाचार से ज़्यादा आमिर खान, माधवन, सोहा अली खान, कुणाल कपूर, शरमन जोशी, आदि की भारी भरकम स्टारकास्ट और मधुर संगीत के कारण दर्शकों को खींच पाने में सफल हुई।
सिंह साहब द ग्रेट (२०१३)- अनिल शर्मा निर्देशित और सनी देओल के सरदार किरदार वाली यह फिल्म भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा तो खोलती थी, लेकिन, ठेठ सनी देओल और अनिल शर्मा स्टाइल में। कलेक्टर बने सनी देओल घटनाक्रम से विवश हो कर खुद कानून हाथ में ले बैठते हैं। एक्शन से सनी इस फिल्म से दर्शक करप्शन से लड़ाई के बजाय सनी देओल की लड़ाई के कारण ही इतना जुड़े की फिल्म अपनी लागत निकाल सकी।
सत्याग्रह (२०१३)- निर्देशक प्रकाश झा ने अपनी फिल्म 'सत्याग्रह' में गांधीवादी तरीके से अनशन और धरना प्रदर्शन के ज़रिये भ्रष्टाचार से लड़ने की कहानी पेश की थी। अमिताभ बच्चन एक गांधीवादी बने थे। इस किरदार को अन्ना हज़ारे से प्रेरित भी जताया गया। लेकिन, यह फिल्म भी क्लाइमेक्स में पूरी तरह से बिखर गई। वैसे ही अमिताभ बच्चन के अलावा अजय देवगन, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेई और अमृता राव जैसी भारी भरकम स्टार कास्ट को जोड़ने के लिए बनाई गई उप कथाओं ने फिल्म का प्रभाव ख़त्म कर दिया था।
जय हो (२०१४)- निर्देशक सोहैल खान की दिलीप शुक्ल की कहानी पर फिल्म 'जय हो' आम आदमी को करप्शन के खिलाफ संदेशा देने में नाकाम हुई थी। फिल्म में ढेरों सितारों की भीड़ और अनावश्यक भावुक प्रसंगो के कारण सलमान खान के बावजूद दर्शकों को इतना आकर्षित नहीं कर पाई थी कि हिट फिल्म का दर्ज़ा पाती।
फग्ली (२०१४)- कबीर सदानंद की फिल्म 'फग्ली' युवा केंद्रित थी। इसमे एक युवा व्यवस्था को एक्सपोज़ करने के लिए दिल्ली के इंडिया गेट पर आत्मदाह कर लेता है। जिमी शेरगिल के साथ नए चेहरों मोहित मारवाह, किआरा अडवाणी, विजेंदर सिंह और आरफ़ी लाम्बा की यह फिल्म प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब होती थी।
देखा जाए तो बॉलीवुड की शुरूआती फिल्मों में व्यवस्था से जुड़ा नायक ही व्यवस्था के विरुद्ध अपनी लड़ाई लड़ता है। यह अमिताभ बच्चन के एंग्रीयंग मैन का विस्तार ही था। इसीलिए, पुलिस व्यवस्था से जुड़े नायक वाली शूल, गंगाजल, सिंह साहब द ग्रेट', आदि फ़िल्में रिलीज़ हुई। आम आदमी और युवाओं से जुड़ने का प्रयास जय हो, सत्याग्रह, रंग दे बसंती, युवा, आदि फिल्मों में किया गया। लेकिन, यह आम आदमी संघर्ष कथा नहीं बन सकी। बॉलीवुड स्टार एक्टर्स की इमेज भी किरदारों पर भारी पड़ी। अब देखने वाली बात होगी कि अक्षय कुमार 'गब्बर इज़ बैक' से कैसे और कितना आम आदमी को जोड़ पाते हैं !
अल्पना कांडपाल
बॉलीवुड में करप्शन से लड़ने वाला आम आदमी किरदार साउथ फिल्मों की देन लगता है। हालाँकि, गोविन्द निहलानी ने अपनी फिल्म 'आक्रोश' में एक पुलिस अधिकारी द्वारा भ्रष्ट नेता की हत्या करने का क्रन्तिकारी कथानक दर्शाया था। हीरो की इस एकल लड़ाई में यह घटनाक्रम बॉलीवुड के लिहाज़ से क्रन्तिकारी था, क्योंकि उससे पहले तक नेताओं पर उंगली उठाना टैबू था। इस फिल्म के बाद कई फ़िल्में ऐसे ही कथानकों पर बनी। निर्देशक शंकर ने २००१ में अनिल कपूर को करप्शन से लड़ने वाला नायक बना कर फिल्म 'नायक : द रियल हीरो' फिल्म बना इसे आम आदमी की लड़ाई बताने की कोशिश की थी। इसके बाद काफी फ़िल्में नायक के करप्शन से लड़ाई पर रिलीज़ हुई। यहाँ तक कि पिछले साल सलमान खान भी 'जय हो' का नारा लगाते हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध आम आदमी की लड़ाई में कूद पड़े थे। कैसे थे यह किरदार ! किस हद तक और किस प्रकार भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ रहे थे बॉलीवुड के आम आदमी ? कितना और क्यों जुड़ सका इन फिल्मों से दर्शक? आइये जानने की कोशिश करते हैं कुछ फिल्मों के ज़रिये -
क्रांतिवीर (१९९४)- मेहुल कुमार की फिल्म 'क्रांतिवीर' का एक बेरोजगार युवा अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए कानून अपने हाथ में ले लेता है। मेहुल कुमार ने अपनी फिल्म के ज़रिये आम आदमी से भ्रष्टाचार के विरुद्ध एकजुट होने की ज़रुरत बताई थी। लेकिन, नाना पाटेकर, डिंपल कपाड़िया, अतुल अग्निहोत्री, ममता कुलकर्णी और डैनी डैंग्जोप्पा की 'क्रांतिवीर' मुख्य किरदारों के लाउड अभिनय का शिकार हो गई।
शूल (१९९९)- रामगोपाल वर्मा और नितिन मनमोहन की निर्माता जोड़ी की इ निवास निर्देशित फिल्म 'शूल' का पुलिस अधिकारी नायक बिहार के मोतिहारी जिले में बाहुबली नेता के भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपनी लड़ाई को विधान सभा तक ले जाता है। इस फिल्म में मनोज बाजपेई का किरदार विधान सभा में भ्रष्ट नेता की हत्या कर देता है। 'शूल' की सफलता इसकी भ्रष्टाचार की लड़ाई से ज़्यादा शिल्पा शेट्टी के आइटम के कारण ज़्यादा थी।
नायक : द रियल हीरो (२००१)- इस फिल्म का आम आदमी अनिल कपूर एक पत्रकार था। जो अमरीश पूरी का इंटरव्यू लेने के दौरान एक दिन का चीफ मिनिस्टर बनने और भ्रष्टाचार ख़त्म करने की चुनौती स्वीकार करता है। शंकर की ही १९९९ में रिलीज़ तमिल फिल्म 'मुधलवन' की रीमेक फिल्म 'नायक' में जब अनिल कपूर एक टाइपराइटर साथ लेकर भ्रष्ट लोगों को ससपेंड करते चलते हैं तो सिनेमाघर तालियों से गूँज उठता था। भ्रष्टाचार से परेशान दर्शकों को यह दृश्य भले लग रहे थे। लेकिन, इन थोड़े दृश्यों के बाद शंकर लीक पर आ गए। फिल्म में अनिल कपूर और रानी मुख़र्जी का रोमांस ख़ास हो गया। फिल्म के क्लाइमेक्स में बारिश में कीचड से सने अनिल कपूर का अमरीश पूरी और उनके गुंडों की धुलाई करना फिल्म को साधारण मसाला फिल्म बना रहे थे । यही कारण था कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर औसत से कम बिज़नेस ही कर सकी।
गंगाजल (२००३)- प्रकाश झा की फिल्म 'गंगाजल' में पुलिस, पुलिस में भ्रष्टाचार, बाहुबली नेता, कैदियों की आँख में तेज़ाब डाल कर अँधा बनाने का मशहूर कांड था। कुल मिला कर अजय देवगन, ग्रेसी सिंह और मुकेश तिवारी की यह फिल्म दर्शकों द्वारा पसंद की गई। लेकिन, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का सन्देश देने में नाकामयाब हुई।
युवा (२००४)- मणि रत्नम की फिल्म 'युवा' सामान्य भ्रष्टाचार के बजाय राजनीति में भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए युवाओं के जुड़ने की कहानी थी। इस फिल्म में अजय देवगन, करीना कपूर, रानी मुख़र्जी, अभिषेक बच्चन, विवेक ओबेरॉय, एषा देओल और सोनू सूद जैसे सितारों की भीड़ थी। काफी फ़्लैश बैक दृश्यों और उप कथाओं के कारण 'युवा' काफी उलझी फिल्म बन गई थी।
रंग दे बसंती (२००६)- निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की युवा दोस्तों की अपने एक दोस्त के मिग दुर्घटना में मारे जाने के बाद नाराज़ हो कर व्यवस्था से जुड़े नेताओं, ऑफिसर्स और अन्य लोगों को जान से मार देने की कहानी थी। इस फिल्म को इमोशन के लिए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की हिंसा से जोड़ दिया गया था। लेकिन, यह फिल्म भ्रष्टाचार से ज़्यादा आमिर खान, माधवन, सोहा अली खान, कुणाल कपूर, शरमन जोशी, आदि की भारी भरकम स्टारकास्ट और मधुर संगीत के कारण दर्शकों को खींच पाने में सफल हुई।
सिंह साहब द ग्रेट (२०१३)- अनिल शर्मा निर्देशित और सनी देओल के सरदार किरदार वाली यह फिल्म भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा तो खोलती थी, लेकिन, ठेठ सनी देओल और अनिल शर्मा स्टाइल में। कलेक्टर बने सनी देओल घटनाक्रम से विवश हो कर खुद कानून हाथ में ले बैठते हैं। एक्शन से सनी इस फिल्म से दर्शक करप्शन से लड़ाई के बजाय सनी देओल की लड़ाई के कारण ही इतना जुड़े की फिल्म अपनी लागत निकाल सकी।
सत्याग्रह (२०१३)- निर्देशक प्रकाश झा ने अपनी फिल्म 'सत्याग्रह' में गांधीवादी तरीके से अनशन और धरना प्रदर्शन के ज़रिये भ्रष्टाचार से लड़ने की कहानी पेश की थी। अमिताभ बच्चन एक गांधीवादी बने थे। इस किरदार को अन्ना हज़ारे से प्रेरित भी जताया गया। लेकिन, यह फिल्म भी क्लाइमेक्स में पूरी तरह से बिखर गई। वैसे ही अमिताभ बच्चन के अलावा अजय देवगन, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेई और अमृता राव जैसी भारी भरकम स्टार कास्ट को जोड़ने के लिए बनाई गई उप कथाओं ने फिल्म का प्रभाव ख़त्म कर दिया था।
जय हो (२०१४)- निर्देशक सोहैल खान की दिलीप शुक्ल की कहानी पर फिल्म 'जय हो' आम आदमी को करप्शन के खिलाफ संदेशा देने में नाकाम हुई थी। फिल्म में ढेरों सितारों की भीड़ और अनावश्यक भावुक प्रसंगो के कारण सलमान खान के बावजूद दर्शकों को इतना आकर्षित नहीं कर पाई थी कि हिट फिल्म का दर्ज़ा पाती।
फग्ली (२०१४)- कबीर सदानंद की फिल्म 'फग्ली' युवा केंद्रित थी। इसमे एक युवा व्यवस्था को एक्सपोज़ करने के लिए दिल्ली के इंडिया गेट पर आत्मदाह कर लेता है। जिमी शेरगिल के साथ नए चेहरों मोहित मारवाह, किआरा अडवाणी, विजेंदर सिंह और आरफ़ी लाम्बा की यह फिल्म प्रभाव छोड़ने में नाकामयाब होती थी।
देखा जाए तो बॉलीवुड की शुरूआती फिल्मों में व्यवस्था से जुड़ा नायक ही व्यवस्था के विरुद्ध अपनी लड़ाई लड़ता है। यह अमिताभ बच्चन के एंग्रीयंग मैन का विस्तार ही था। इसीलिए, पुलिस व्यवस्था से जुड़े नायक वाली शूल, गंगाजल, सिंह साहब द ग्रेट', आदि फ़िल्में रिलीज़ हुई। आम आदमी और युवाओं से जुड़ने का प्रयास जय हो, सत्याग्रह, रंग दे बसंती, युवा, आदि फिल्मों में किया गया। लेकिन, यह आम आदमी संघर्ष कथा नहीं बन सकी। बॉलीवुड स्टार एक्टर्स की इमेज भी किरदारों पर भारी पड़ी। अब देखने वाली बात होगी कि अक्षय कुमार 'गब्बर इज़ बैक' से कैसे और कितना आम आदमी को जोड़ पाते हैं !
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
'बाजीराव-मस्तानी' से पिछड़े 'दिलवाले'
आज की तारीख में इस बार के क्रिसमस वीकेंड पर 'बाजीराव- मस्तानी' और 'दिलवाले' का टकराव होगा। 'दिलवाले' रोमांस के शहंशाह शाहरुख़ खान के साथ एक्शन- कॉमेडी फिल्मों के उस्ताद रोहित शेट्टी की फिल्म है। इस फिल्म से लम्बे समय बाद बॉक्स ऑफिस पर शाहरुख़ खान और काजोल की हिट जोड़ी की वापसी हो रही हैं। 'बाजीराव-मस्तानी' रोमांस फिल्मों के चिेतेरे संजयलीला भंसाली की ऑन रील- ऑफ रील गर्मागर्म रोमांस बरसाने वाली दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की जोड़ी की ऐतिहासिक रोमांस फिल्म है। हिंदी फिल्मों के दर्शक क्रिसमस वीकेंड में इन दोनों ही फिल्मों को देखना चाहेंगे। काजोल-शाहरुख़ खान जोड़ी ने बाज़ीगर, करण -अर्जुन, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, कुछ कुछ होता है, कभी ख़ुशी कभी गम और माय नेम इज़ खान जैसी हिट फ़िल्में दी हैं। चेन्नई एक्सप्रेस के बाद शाहरुख़ खान दूसरी बार रोहित शेट्टी के साथ हैं। ज़ाहिर है कि दर्शक दो सफल जोड़ियों को एक साथ देखना चाहेगा। लेकिन, 'बाजीराव मस्तानी' का भी दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार है। 'गोलियों की रासलीला :राम-लीला" के बाद संजयलीला भंसाली, रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा की चौकड़ी साथ आ रही है। 'राम-लीला' ने सौ करोड़ का कलेक्शन किया था। रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की जोड़ी गर्मागर्म रोमांटिक साबित हुई थी। इस लिहाज़ से दर्शक सस्पेंस में होंगे- किसे देखे किसे नहीं! दोनों देखें तो पहले किसे देखे! यहाँ बताते चले कि कभी शाहरुख़ खान संजयलीला भंसाली के चहीते स्टार थे। दोनों ने 'देवदास' जैसी हिट फिल्म दी है। लेकिन, २००७ में शाहरुख़ खान ने रणबीर कपूर और सोनम कपूर की जोड़ी की डेब्यू फिल्म 'सांवरिया' के सामने फरहा खान निर्देशित दीपिका पादुकोण और खुद की जोड़ी वाली फिल्म 'ओम शांति ओम' को ला खड़ा कर 'सांवरिया' को भारी नुक्सान पहुंचाया था। खान ने इस बार भी कुछ ऐसा ही किया है। 'दिलवाले' से पहले २५ दिसंबर को दीपिका पादुकोण की रणबीर कपूर के साथ फिल्म तमाशा के सामने दीपिका पादुकोण की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' का टकराव होना था। कुछ कारणों से तमाशा की रिलीज़ शिफ्ट कर दी गई। ऐसे में 'बाजीराव मस्तानी' सोलो रिलीज़ फिल्म रह गई थी। लेकिन, शाहरुख़ खान द्वारा 'दिलवाले' की तारीख २५ दिसंबर तय कर देने से, इसे शाहरुख़ खान द्वारा एक बार फिर भंसाली को चुनौती देना माना जा रहा है। ऐसा समझ जा रहा था कि शायद भंसाली 'दिलवाले' को सामने देख कर 'बाजीराव-मस्तानी' को किसी दूसरी तारीख के लिए शिफ्ट कर देंगे। लेकिन, भंसाली ने खान की चुनौती स्वीेकार करने का मन बना लिया है। इसलिए, 'दिलवाले' और 'बाजीराव मस्तानी' एक ही दिन रिलीज़ हो रही है। ऐसे में दर्शक किस फिल्म को देखना चाहेंगे ? शाहरुख़ खान की फिल्म या भंसाली की फिल्म। एक वेबसाइट द्वारा कराये गए सर्वे के परिणाम दिलचस्प है। आज की तारीख में २५ दिसंबर को ५२.५ प्रतिशत दर्शक 'बाजीराव मस्तानी' को देखने जायेंगे। शाहरुख़ खान की फिल्म 'दिलवाले' को ४७.५ प्रतिशत दर्शक मिले हैं। ज़ाहिर है कि शाहरुख़ खान और काजोल की पुरानी मैच्योर जोड़ी के बजाय दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की युवा जोड़ी को ज़्यादा दर्शक मिले। यूथ फैक्टर यहाँ काम कर गया है। अब सब कुछ डिपेंड करेगा पब्लिसिटी पर। क्या शाहरुख़ खान, काजोल और रोहित शेट्टी की तिकड़ी आक्रामक प्रचार के ज़रिये युवा दर्शकों पर अपनी बढ़त बना पाएगी? लेकिन, ऐसा तो 'बाजीराव मस्तानी' के रोमांस से लबरेज़ दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ज़्यादा प्रभावी ढंग से कर सकते हैं। अब देखने की बात होगी कि बाजीराव मस्तानी और दिलवाले के सिनेमाघरों में से किसके सिनेमाघर ज़्यादा हाउसफुल बोर्ड टांग पाते हैं !
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
टीवी सीरीज बनेगी हॉलीवुड फिल्म
चैनल एफएक्स पर १५ मई से बीबीसी की मशहूर विज्ञानं फंतासी सीरीज 'डॉक्टर हु' शुरू होने जा रही है। बीबीसी ने यह सीरीज १९६३ में टेलीकास्ट की थी। यह सीरीज समय और काल से परे एक डॉक्टर की एडवेंचर कहानी है। उसे टाइम लार्ड कहा जाता है। वह समय के साथ चलने और चेहरे बदल लेने वाला ह्यूमनऑइड है। वह अपने स्पेस शिप टार्डिस से यूनिवर्स में खोज करता फिरता है। इस सीरीज को ज़बरदस्त सफलता मिली। यह सीरीज १९६३ से १९८९ तक लगातार चलती रही। १९९६ में इसे टीवी फिल्म के रूप में परिवर्तित कर दिखाया गया। इस सीरीज में समय समय पर १३ एक्टर डॉक्टर हु का किरदार कर चुके हैं। इस कहानी को इस प्रकार लिखा गया है कि डॉक्टर हु का पुनर्जन्म होता रहता है। इस समय यह सीरीज २०१४ से डॉक्टर हु एक्स्ट्रा टाइटल के साथ दिखाई जा रही है। डॉक्टर हु के प्रशंसकों के लिए खुशखबरी यह है कि इस ब्रितानी टीवी सीरीज को हॉलीवुड फिल्म के तौर पर बनाया जायेगा। सीरीज के प्रशंसक यह अंदाज़ा लगा सकते हैं कि डॉक्टर हु का किरदार कौन एक्टर करेगा! इस करैक्टर के लिए किन किन अभिनेताओं के बीच प्रतिस्पर्द्धा होगी। इस अनुमान के बीच हिंदुस्तान एक दर्शक एफएक्स इंडिया चैनल पर डॉक्टर हु का मज़ा सोमवार से शुक्रवार रात नौ बजे ले सकते हैं।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
प्रियंका चोपड़ा ने कहा - होल्ड में है 'मैडमजी'
काफी समय से यह चर्चा थी कि मधुर भंडारकर और प्रियंका चोपड़ा मिल कर एक फिल्म 'मैडमजी' बनाने जा रहे हैं। 'मैडमजी' एक फैशन मॉडल के राजनीति में उतरने की हार्ड हिटिंग कहानी है। फिल्म की कहानी से प्रभावित हो कर ही प्रियंका चोपड़ा ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी बनाने का ऐलान किया था। फिल्म की शूटिंग जनवरी से शुरू होनी थी । लेकिन, बाजीराव- मस्तानी की शूटिंग में बिजी हो जाने के कारण 'मैडमजी की शूटिंग टल गई। इसके बाद फिल्म के बंद कर दिए जाने की भी चर्चा हुई। लेकिन, अब खबर है कि फिलहाल 'मैडमजी' होल्ड में है। इसकी पुष्टि करते हुए ग्राज़िए फैशन वीक में प्रियंका चोपड़ा ने कहा, "मधुरजी दूसरे प्रोजेक्ट में बिजी हूँ। मैं भी कुछ अन्य फिल्मों में व्यस्त हूँ। इसलिए, फिलहाल मैडमजी को होल्ड में रखा गया है।" जहाँ तक प्रियंका चोपड़ा की प्रोडक्शन कंपनी का सवाल है, क्या यह बंद कर दी गई है ? कहती हैं प्रियंका चोपड़ा, "मैं राइटर पर ध्यान देना चाहती हूँ। मुझसे रोज ही कई लोग मिलते हों, जिन्हे मौका नहीं मिल पाया है। मैं ऐसे टैलेंट को मौका दूंगी। मैं अपने बैनर से कंटेंट बेस्ड, छोटे बजट की नए चेहरों के साथ फ़िल्में बनाऊँगी।"
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Friday, 17 April 2015
सनी देओल के साथ ओम पूरी भी 'घायल वन्स अगेन'
आजकल, १९९० की सुपर हिट फिल्म 'घायल' की सीक्वल फिल्म 'घायल वन्स अगेन' की शूटिंग जोर शोर से चल रही है। 'घायल' में सनी देओल ने एक बॉक्सर अजय की भूमिका की थी। ओम पूरी एसीपी जोए डिसूज़ा की भूमिका में थे। एसीपी एक ईमानदार और भला पुलिस अफसर है। वह सनी की लड़ाई में उसका साथ देता है। 'घायल वन्स अगेन' में भी ओम पुरी की भूमिका काफी ख़ास है। इस फिल्म में ओम पूरी का किरदार पुलिस की सेवा से रिटायर हो गया है। वह सनी से सहानुभूति रखता है, इसलिए वह उस के सनी के साथ अच्छे सम्बन्ध बने हुए हैं। फिल्म से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ओम पूरी और सनी देओल के बीच कई बेहद गंभीर सीन हैं। सनी देओल के बैनर सनी साउंड्स प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत बनाई जा रही फिल्म 'घायल वन्स अगेन' का निर्देशन खुद सनी देओल ही कर रहे हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि ओम पूरी ने सनी के कारण यह फिल्म बिना स्क्रिप्ट पढ़े ही साइन कर ली थी।
राजेंद्र कांडपाल
राजेंद्र कांडपाल
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फिल्म पुराण
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