आज सदी के महा नायक (?) अमिताभ बच्चन का जन्मदिन है। जिन्होंने ज़ंजीर के बाद की अपनी तमाम फिल्मों के ज़रिये हिंदी फिल्मों की मदर इंडिया, अछूत कन्या, सुजाता और पाकीज़ा को हिंदी फिल्मों का बदनुमा दाग बना दिया. कभी जो काम मीना कुमारी और धर्मेन्द्र की फिल्म फूल और पत्थर में वैम्प के किरदार में शशिकला ने किया था, वह काम अमिताभ बच्चन की ज़ीनत अमान और परवीन बॉबी जैसी सुपर नायिकाओं ने कर दिया. मिनाक्षी शेषाद्रि जैसी सक्षम अभिनेत्री भी शहंशाह फिल्म में हॉट पैंट और लॉन्ग बूट में डट कर अपनी सेक्स अपील के ज़रिये इस बिग सितारे के दर्शकों को ललचा रही थी. इस सुपरस्टार की फिल्म की नायिकाओं के कपडे फिल्म दर फिल्म भूमिका की तरह संक्षिप्त होते चले गए. इस अभिनेता ने तीन दशकों में ऎसी निकम्मी कौम विकसित की, जो अकेले आदमी के द्वारा सब करने की राह देख रही थी। चरित्र निर्माण की एक भी फिल्म इस महान (!) अभिनेता के खाते में दर्ज़ नहीं है। बच्चन की फिल्मों के ज़्यादा किरदार हरामी यानि बिना बाप के नाम के लावारिस, आवारा, गुंडे और गैंगस्टर थे. यही कारण है कि कुणाल कोहली, मिलन लुथरिया, तिग्मांशु धूलिया, अनुराग कश्यप और विशाल भरद्वाज जैसे निर्देशकों की फिल्मों का आदर्श गैंगस्टर, आतंकी या डॉन होता है। यह लोग जिस मुंबई में अपनी रोटी रोजी कमा रहे हैं, उस मुंबई को रौंद देने वाले दावूद इब्राहिम में अपना मसीहा नज़र आता है. ऐसे समाज विरोधी किरदारों के जरिये सुपरस्टार बनने वाले मीडिया के इस महानायक को जन्म दिन पर शुभकामनायें।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 11 October 2014
पतित नायिका और लम्पट नायक से बना बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस का शहंशाह
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आज जी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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