बॉलीवुड की माने तो नक़ल में अक़ल की ज़रुरत नहीं होती. लेकिन, अभिनय करने में तो अक़ल की ज़रुरत होती ही है। सिद्धार्थ आनंद की फिल्म बैंग बैंग इन दोनों कथ्यों को प्रमाणित करने वाली फिल्म है। बताते चलें कि बैंग बैंग हॉलीवुड की जेम्स मैनगोल्ड निर्देशित एक्शन कॉमेडी फिल्म नाइट एंड डे की ऑफिसियल रीमेक फिल्म है। नाइट एंड डे में मुख्य भूमिका टॉम क्रूज और कैमरॉन डियाज की थी. नाइट एंड डे को २०th सेंचुरी फॉक्स ने वितरित किया था. फॉक्स स्टार स्टुडिओ बैंग बैंग के निर्माता हैं। चूँकि, बैंग बैंग ऑफिसियल नक़ल है, इसलिए अकल की क्या ज़रुरत। बैंग बैंग के तमाम एक्शन सींस हू -ब -हू नाइट एंड डे की नक़ल हैं, तो बहुत बढ़िया और हैरतअंगेज बन पड़े हैं। हिंदी दर्शकों के लिए, जो हॉलीवुड फ़िल्में नहीं देखते या जिन्होंने नाइट एंड डे नहीं देखी, बैंग बैंग के एक्शन सांस रोक देने वाले हैं। इन दृश्यों को हॉलीवुड के एक्शन डायरेक्टर और स्टंट मेन से करवाया गया है। इसलिए, इनमे नयापन लगता भी है. सुनील पटेल और विकास शिवरामन के साथ हॉलीवुड के कैमरामैन बेन जेस्पर ने फिल्म की फोटोग्राफी की है. कैमरा स्टंट दृश्यों को बखूबी पकड़ता है, दर्शकों में रोमांच पैदा करता है। बेन जेस्पर पहली किसी फिल्म की फोटोग्राफी कर रहे हैं। फिल्म के प्रभाव के लिहाज़ से बैकग्राउंड म्यूजिक महत्वपूर्ण होता है. बैंग बैंग में जस्टिन जोसे और ऋषि ओबेरॉय इस काम को बढ़िया करते हैं। विशाल- शेखर का संगीत लाउड है. फिल्म के माहौल के अनुरूप है। ऋतिक रोशन और कटरीना कैफ को कमर मटकाने और शरीर तोड़ने का खूब मौका मिला है। अब बात करते हैं अभिनय की। अभिनय की नक़ल नहीं की जा सकती। इसके लिए अभिनय प्रतिभा भी होनी चाहिए। कटरीना कैफ इस डिपार्टमेंट में कमज़ोर ही नहीं, महा कमज़ोर हैं, क्योंकि, उनकी हिंदी अभी तक पिछड़ी हुई है। इस फिल्म में हास्य अभिनय की ज़रुरत थी। कटरीना कैफ हर हाल में कुछ सोचती सी लगती हैं. वह कहीं से भी कैमरों डियाज के आस पास तक नहीं लगती। इस फिल्म में तो वह खूबसूरत भी नहीं लगी हैं। पूरी फिल्म कटरीना के अलावा ऋतिक रोशन के इर्द गिर्द है। ऋतिक की तुलना भी टॉम क्रूज से करना बेकार होगा। वह एक्टर और डांसर बेहतर है, पर उनमे एक एजेंट वाली चालाकी, चपलता और स्फूर्ति नज़र नहीं आती। पता नहीं क्यों, उन्होंने अपने बाल हीरो कट और ब्लॉन्ड रखना ठीक समझा। वह ख़ास प्रभावित नहीं कर पाते। फिल्म के मुख्य विलेन डैनी डैंग्जोप्पा हैं। उनका किरदार कमज़ोर लिखा गया है। इसलिए वह उसे कर ले जाते हैं। जिमी शेरगिल केवल एक सीन में हैं, ठीक है। पवन मल्होत्रा, जावेद जाफरी, कंवलजीत सिंह, दीप्ति नवल, आदि जाने पहचाने चेहरों के साथ ढेरों देसी विदेशी चहरे अपना काम कर ले जाते हैं। एक्शन फिल्मों में कहानी की ख़ास ज़रुरत नहीं होती. परन्तु एजेंट फिल्मों के लिए कोई प्लाट होना ही चाहिए। इस फिल्म में सुभाष नायर ने एक आतंकवादी को पकड़ने के लिए कोहेनूर चोरी का प्लाट तैयार किया है। पर सब कुछ आसानी से गले नहीं उतरता। स्क्रिप्ट बेहद कमज़ोर हो गयी है। सब कुछ बिखरा बिखरा सा लगता है। किसी दृश्य का औचित्य नज़र नहीं आता। बैंग बैंग को अबु धाबी ने को-प्रोडूस किया है। इस फिल्म की तमाम शूटिंग प्राग में की गयी है। फिल्म के समुद्र के तमाम एक्शन सीन थाईलैंड और ग्रीस में फिल्माए गए हैं. खूब बन पड़े हैं। ऋतिक रोशन ने फ्लाईबोर्ड स्टंट के लिए खूब ट्रेनिंग ली और मेहनत की थी। फ्लाईबोर्ड स्टंट और ऍफ़-१ कार को पहली बार किसी हिंदी फिल्म में देखा जायेगा।
बैंग बैंग पांच हजार प्रिंट में रिलीज़ की गयी है. गांधी जयंती, ईद और दशहरा वीकेंड में रिलीज़ बैंग बैंग ज़बरदस्त बिज़नेस करेगी ही. लेकिन,अगर इस फिल्म में कहानी और स्क्रिप्ट पर ध्यान दिया गया होता तो एक बढ़ी बॉलीवुड एक्शन, कॉमेडी और एजेंट फिल्म बन जाती।
बैंग बैंग लखनऊ में सिंगल स्क्रीन शुभम थिएटर और प्रतिभा सिनेमा के अलावा पीवीआर सहारा मॉल और फ़ीनिक्स, एसआरएस मॉल, आई-नॉक्स, फन सिनेमाज और वेव सिनेमाज में लगी है।
बैंग बैंग पांच हजार प्रिंट में रिलीज़ की गयी है. गांधी जयंती, ईद और दशहरा वीकेंड में रिलीज़ बैंग बैंग ज़बरदस्त बिज़नेस करेगी ही. लेकिन,अगर इस फिल्म में कहानी और स्क्रिप्ट पर ध्यान दिया गया होता तो एक बढ़ी बॉलीवुड एक्शन, कॉमेडी और एजेंट फिल्म बन जाती।
बैंग बैंग लखनऊ में सिंगल स्क्रीन शुभम थिएटर और प्रतिभा सिनेमा के अलावा पीवीआर सहारा मॉल और फ़ीनिक्स, एसआरएस मॉल, आई-नॉक्स, फन सिनेमाज और वेव सिनेमाज में लगी है।
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