इसमे कोई शक नहीं कि बॉलीवुड फिल्म स्टार्स के पीआर पर्सन एर्रोगंट एनिमल हैं. इसे एक बार फिर चेन्नई में साबित कर दिया गया. ४ अक्टूबर को शाहरुख़ खान चेन्नई में थे. उन्हें दीपिका पादुकोण, अभिषेक बच्चन और बोमन ईरानी के साथ एक होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस शाम ४.३० पर अटेंड करनी थी. चेन्नई के सभी जॉर्नलिस्ट समय पर पहुँच चुके थे. परन्तु रात ८.०० बजे तक पूरी स्टार कास्ट क्या, उनकी प्रेस कांफ्रेंस के आयोजकों का तक पता नहीं था. जब पत्रकारों ने हैप्पी न्यू ईयर के पीआर से इस बारे में पूछा तो उनका जवाब था आप लोग समय पर क्यों आ गए. खेद जताने के बजाय पीआर का यह लहजा घोर आपत्तिजनक था. इस पर पत्रकारों ने पीसी का बायकाट कर दिया. वह शाहरुख खान के इस वादे के बावजूद वापस नहीं आये कि खान सभी से इंडिविजुअल बाते करेंगे.
इसमे कोई शक नहीं कि पीआर कम्युनिटी अब काफी एर्रोगंट हो चली है. लखनऊ की एक प्रेस कांफ्रेंस में जब एक फिल्म के कलाकार लेट हो रहे थे तो पत्रकारों ने पीआर से उनके ना पहुँचाने के बारे में जानकारी करनी चाहिए तो पीआर का कहना था कि धैर्य रखिये, आपके लिए अच्छा खाने का प्रबंध किया गया है. इस पर लखनऊ के पत्रकार भड़क गए. उनका कहना था कि क्या आप हमें भूखे नंगे समझते हैं कि हम आपका खाना खाने आते हैं. इस पर सभी स्टार्स को लखनऊ के पत्रकारों से माफ़ी मांगनी पड़ी थी.
सितारों की यह बुरी आदत मुंबई के पत्रकारों के कारण लगी है. वहां शायद ही कोई प्रेस कांफ्रेंस होती हो जो तीन चार घंटा देर से न शुरू होती हो. फिल्म स्टार्स जान बूझ कर देर से आते हैं. इससे उनकी स्टार ईगो संतुष्ट होती है. जब उनसे देर से आने का कारण पूछा जाता है तो उनका घिसा पिटा जवाब होता है कि ट्रैफिक प्रॉब्लेम्. हालांकि, जिस रास्ते से पत्रकार आते हैं, उसी रस्ते का इस्तेमाल स्टार्स भी करते हैं.
मगर यहाँ सवाल पीआर का है. वह इतनी एर्रोगंट कैसे हो सकते हैं. किसी भी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनका यह रवैया काफी दुखद होता है. एक बार एक फिल्म का प्रीव्यू होना था. प्रीव्यू का समय हो गया था. फिल्म एक छोटे स्टार की थी. लेकिन, फिल्म तभी शुरू हुई, जब तक वह सितारा प्रीव्यू थिएटर पर पहुँच नहीं गया. जब पीआर से पूछा गया तो उनका जवाब था, पत्रकार तो आते रहते हैं. उनके कहने से फिल्म कोई थोड़े ही शुरू की जाएगी. मुंबई के पत्रकारों को इसका इलाज़ ढूंढना होगा. वह कोल्ड ड्रिंक और सैंडविच के लिए घंटों सितारों का बेसब्र इंतज़ार करते रहते हैं। बहुत से पत्रकार तो ज़मीन पर बैठ कर भी इंटरव्यू कर लेते हैं.अन्यथा, सितारों की इस बुरी आदत का खामियाज़ा दूसरे शहर के पत्रकारों को भुगतना पड़ता है. वैसे इसमे नुकसान स्टार्स का ही ज़्यादा होता है .
इसमे कोई शक नहीं कि पीआर कम्युनिटी अब काफी एर्रोगंट हो चली है. लखनऊ की एक प्रेस कांफ्रेंस में जब एक फिल्म के कलाकार लेट हो रहे थे तो पत्रकारों ने पीआर से उनके ना पहुँचाने के बारे में जानकारी करनी चाहिए तो पीआर का कहना था कि धैर्य रखिये, आपके लिए अच्छा खाने का प्रबंध किया गया है. इस पर लखनऊ के पत्रकार भड़क गए. उनका कहना था कि क्या आप हमें भूखे नंगे समझते हैं कि हम आपका खाना खाने आते हैं. इस पर सभी स्टार्स को लखनऊ के पत्रकारों से माफ़ी मांगनी पड़ी थी.
सितारों की यह बुरी आदत मुंबई के पत्रकारों के कारण लगी है. वहां शायद ही कोई प्रेस कांफ्रेंस होती हो जो तीन चार घंटा देर से न शुरू होती हो. फिल्म स्टार्स जान बूझ कर देर से आते हैं. इससे उनकी स्टार ईगो संतुष्ट होती है. जब उनसे देर से आने का कारण पूछा जाता है तो उनका घिसा पिटा जवाब होता है कि ट्रैफिक प्रॉब्लेम्. हालांकि, जिस रास्ते से पत्रकार आते हैं, उसी रस्ते का इस्तेमाल स्टार्स भी करते हैं.
मगर यहाँ सवाल पीआर का है. वह इतनी एर्रोगंट कैसे हो सकते हैं. किसी भी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उनका यह रवैया काफी दुखद होता है. एक बार एक फिल्म का प्रीव्यू होना था. प्रीव्यू का समय हो गया था. फिल्म एक छोटे स्टार की थी. लेकिन, फिल्म तभी शुरू हुई, जब तक वह सितारा प्रीव्यू थिएटर पर पहुँच नहीं गया. जब पीआर से पूछा गया तो उनका जवाब था, पत्रकार तो आते रहते हैं. उनके कहने से फिल्म कोई थोड़े ही शुरू की जाएगी. मुंबई के पत्रकारों को इसका इलाज़ ढूंढना होगा. वह कोल्ड ड्रिंक और सैंडविच के लिए घंटों सितारों का बेसब्र इंतज़ार करते रहते हैं। बहुत से पत्रकार तो ज़मीन पर बैठ कर भी इंटरव्यू कर लेते हैं.अन्यथा, सितारों की इस बुरी आदत का खामियाज़ा दूसरे शहर के पत्रकारों को भुगतना पड़ता है. वैसे इसमे नुकसान स्टार्स का ही ज़्यादा होता है .
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