यह घटनाक्रम १९८५ का है। विधु विनोद चोपड़ा अपनी पंकज कपूर, सोनी राजदान, अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी अभिनीत फिल्म खामोश को छविगृहों में प्रदर्शित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। कोई भी वितरक इस फिल्म को लेने के लिए तैयार नही था। बताते हैं कि विधु को खामोश को स्वयं ही मुंबई के एक सिनेमाघर रीगल में एक प्रिंट में प्रदर्शित करना पड़ा था। इसलिए, उनके सामने अपनी फिल्म परिंदा के लिए वितरक जुटाने की चिंता तो थी ही।
हिंदी फिल्म उद्योग में, कई वर्जनाएं अर्थात टैबू रहे है। इन्हे किसी न किसी फिल्म ने ही तोडा है। परिंदा ऎसी ही एक फिल्म थी। यह पहली फिल्म थी,जिसमे एक गैंगस्टर को केंद्र में रखा गया था। इसने फ़िल्म निर्माताओं की एक पूरी पीढ़ी को प्रभावित किया था। विशेष रूप से राम गोपाल वर्मा और महेश मांजरेकर प्रमुख थे। इन दोनों फिल्मकारों ने डरवर्ल्ड पर आधारित दो प्रशंसित फ़िल्में सत्या (१९९८) और वास्तव: द रियलिटी (१९९९)। गैंगस्टर फिल्मों के माहिर अनुराग कश्यप भी इन फिल्मों से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा था कि परिंदा और शिवा की हिंसा ने उन पर प्रभाव डाला था।
इस फिल्म को यथार्थवादी शैली में फ़िल्माया गया था। अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित के रोमांटिक जोड़े के बावजूद फिल्म में केवल दो गाने रखे गए थे। कमरों के दृश्य में प्रकाश का उपयोग दिन के समय सूरज के प्रकाश में किया था । इस फिल्म का मूल शीर्षक कबूतरखाना था। फिल्म में, अनुपम खेर के चरित्र के मारे जाने का दृश्य, इसी भीड़-भाड़ वाले दादर, मुंबई स्थित कबूतरखाना में ही फिल्माया गया था।
बम्बइया फिल्मों की परंपरा में, परिंदा की स्टारकास्ट भी बदलती रही। फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा ने इस फिल्म का विषय कर्मा के सेट पर अनिल कपूर को सुनाया । अनिल को कहानी इतनी पसंद आई कि उन्होंने फिल्म तुरंत साइन कर ली ।
किशन की भूमिका के लिए, विनोद चोपड़ा किशन की भूमिका के लिए अमिताभ बच्चन को लेना चाहते थे। किन्तु, अमिताभ बच्चन ने अज्ञात कारणों से मना कर दिया। फिर विधु ने किशन के किरदार के लिए नसीरुद्दीन शाह को साइन करने की कोशिश की, लेकिन विधु के साथ कुछ समस्याओं के कारण उन्होंने मना कर दिया। अगले कुछ महीनों में विनोद खन्ना, सुरेश ओबेरॉय, अजीत वच्चानी, यहाँ तक कि नाना पाटेकर भी किशन के किरदार के लिए विचार में थे।
नाना पाटेकर को अनिल कपूर ने अस्वीकार किया था। अनिल ने विधु से कहा कि नाना पाटेकर उनके भाई जैसे नहीं लगेंगे। अनिल ने सुझाव दिया कि जैकी श्रॉफ को लिया जाए। लेकिन किसी कारण से जैकी को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी। जैकी तो विधु से मिलने में भी रुचि नहीं रखते थे। जब कास्टिंग बहुत मुश्किल हो गई, तो विधु ने अनिल को बड़े भाई और कुमार गौरव को छोटे भाई के किरदार में रखने का विचार किया। लेकिन विधु को लगा कि कुमार गौरव शायद गुस्से वाले किरदार में जंचेंगे नहीं। आखिरकार अनिल ने जैकी को फ़िल्म के लिए मना लिया। जैकी, अनिल पर फ़िल्माए जाने वाले एक गाने को सुनने के बाद मान गए। नाना पाटेकर को इस बात का बुरा लगा था कि अनिल कपूर ने उन्हें अपने बड़े भाई की भूमिका नहीं मिलने दी। इस फिल्म के बाद, उनकी अनिल कपूर के साथ पहली फिल्म वेलकम थी।
परिंदा के सितारों की तारीखें और लोकेशन की उपलब्धता के कारण परिंदा को शूट होने में तीन साल लग गए। यद्यपि इस फिल्म की शूटिंग चालीस दिनों में पूरी हुई। इस फिल्म ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पांच फिल्मफेयर पुरस्कार जीते, और यह 1990 के सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार हेतु भारत की आधिकारिक चयन थी, लेकिन यह फिल्म ऑस्कर के लिए नामांकित नहीं हो पाई ।
परिंदा नाना पाटेकर की प्रमुख फिल्मों में एक थी। यद्यपि, नाना पाटेकर ने, परिंदा से पूर्व कम से कम दो दर्जन से मराठी और हिंदी फिल्मे कर चुके थे। उन्हें गमन में छोटी भूमिका के पश्चात बीआर चोपड़ा की फिल्म आज की आवाज़ में जगमोहन की भूमिका से पहचान मिली। उनकी मोहरा,अंधा युद्ध, अंकुश, आदि सफल फिल्मे कर चुके थे। किन्तु, परिंदा ने उन्हें अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ और माधुरी दीक्षित की उपस्थिति में भी अपनी भिन्न पहिचान बनाई।
नाना पाटेकर के चरित्र अन्ना आग से डरता था और अपना सर पीटने लगता था। पाटेकर को, इसकी प्रेरणा हॉलीवुड फिल्म रेनमैन में डस्टिन हॉफमैन के चरित्र से मिली। इस फिल्म के क्लाइमेक्स में अन्ना आग से घिर कर मारा जाता है। इस शूटिंग में नाना पाटेकर के हाथ इस बुरी तरह से जल गए थे कि उन्हें दो महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।
इतनी बड़ी स्टारकास्ट के बाद भी, परिंदा का बजट मात्र १२ लाख तक सीमित था। किन्तु, इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपना झंडा गाड़ते हुए निर्माता को ९ करोड़ का व्यवसाय करवा दिया।
परिंदा के गीत प्यार के मोड़ पे का निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया था, जो इस फिल्म में निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा के सहायक थे। उनके काम से खुश होकर, चोपड़ा ने भंसाली को अपनी अगली फिल्म १९४२ अ लव स्टोरी (१९९४) के सभी गानों के निर्देशन की ज़िम्मेदारी सौंप दी थी ।
कुछ रोचक तथ्य-
इस फिल्म में नया वर्ष मानाने का दृश्य नए वर्ष के दिन ही फिल्माया गया। सेट पर ही शैम्पेन पी कर नया वर्ष मनाया गया।
फिल्म के एक दृश्य में दिखाई गई नाना पाटेकर के परिवार की तस्वीर, नाना के वास्तविक परिवार पत्नी नीलकांति और पुत्र मल्हार की थी। यह चित्र १९८५ ने खींचा गया था। ऑस्कर फिल्म विजेता निर्देशक डैन्नी बॉयल ने स्वीकार किया कि उन्हें अपनी फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए मुंबई को समझने में फिल्म परिंदा से सहायता मिली।
वितरकों ने विधु विनोद चोपड़ा को क्लाइमेक्स में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित की जगह जैकी श्रॉफ का किरदार निभाने के लिए दस लाख रुपये मुफ़्त में देने का वादा किया था। लेकिन विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी कहानी में कोई बदलाव नहीं किया।
विधु विनोद चोपड़ा ने उस दृश्य में एक लाश, एक वेटर का किरदार निभाया था जब अनिल टॉम ऑल्टर को मारने जाते हैं और उन्होंने ५-६ लोगों के लिए डबिंग भी की थी।
फिल्म में अन्ना का मुख्यालय एंटॉप हिल पर एक पानी की टंकी पर बनाया गया था, जिस पर आस-पास की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों का कूड़ा-कचरा फैला हुआ था। चोपड़ा ने यह जगह बृहन्मुंबई नगर निगम से किराए पर ली थी।
विधु विनोद चोपड़ा ने इस फिल्म की रीमेक ब्रोकन हॉर्सेज २०१५ बनाई थी।

No comments:
Post a Comment