विगत
दिनों,
ट्रेंड
कर रहे हैशटैग noveMBerwillbehiSStoRic में नवंबर के एम और बी
अक्षर तथा हिस्टॉरिक के एस एस और आर अक्षर बड़े अक्षरों में है। 'नवंबर' का 'एमबी' अभिनेता महेश बाबू और
हिस्टोरिक का 'एस एस' और 'आर/ एसएस राजामौली को
इंगित करने वाला है। अक्षरों की इसी
रोचकता के कारण यह हैशटैग शीर्ष पर ट्रेंड कर रहा था।
राजामौली
द्वारा निर्देशित महेश बाबू की उच्च-बजट वाली एक्शन-एडवेंचर फिल्म ग्लोबट्रॉटर
फिल्म एसएसबी २९ की इस पोस्ट के अतिरिक्त एक स्टाइलिस्ट पोस्टर में महेश बाबू
ग्लोब-एम्बेलिश्ड खोजकर्ता के रूप में दिखाई दे रहे हैं। कदाचित १५ नवंबर २०२५ को
इस तथ्य पर अधिक प्रकाश डाला जायेगा।
भारतीय
जड़ों और वैश्विक स्तर को देखते हुए फिल्म का कथानक भारतीय लोककथाओं को
अंतर्राष्ट्रीय षडयंत्रो के साथ बुना हो सकता है। ऐसा कथानक घरेलू और विदेशी दोनों
दर्शकों को आकर्षित करेगा। राजामौली की पूर्व की बाहुबली और आरआरआर जैसी फिल्मों
ने भारतीय इतिहास को सार्वभौमिक विषयों के साथ मिश्रित किया था।
राजामौली
की फ़िल्में बड़े लक्ष्य को लेकर होती है।
की फिल्मों में अक्सर बड़े दांव होते हैं। उदाहरण के रूप में बाहुबली
सीरीज की दो फ़िल्में प्रजा कल्याण और
राज्य को बचाने के कथानक पर थी। आर आर आर के दो मुख्य चरित्र क्रन्तिकारी थे। इस
दृष्टि से ग्लोबट्रॉटर में एक सभ्यता को बचाना, एक तबाही को रोकना, या एक दिव्य भविष्यवाणी
को पूरा करना सम्मिलित हो सकता है।
फिल्मकार
राजामौली की विशिष्ट शैली है। महेश बाबू
के साथ फिल्म के सन्दर्भ में उपलब्ध संकेतों के आधार पर, यह समझा जा सकता है कि
एक खोज कथा है। फिल्म का नायक
पुरातत्वविद् है, जो किसी प्राचीन रहस्य या कलाकृति (शायद हनुमान या भारतीय
पौराणिक कथाओं से जुड़ी) को उजागर कर सकता है।
यही
खोज उसकी विश्वव्यापी यात्रा का कारण बनती है। इसमें किसी खोए हुए अवशेष को पुनः
प्राप्त करना,
किसी
वैश्विक खतरे को विफल करना, या किसी ऐतिहासिक षड्यंत्र का पर्दाफाश करना भी शामिल हो सकता
है। इसी यात्रा के अंतर्गत वह अमेज़न और अफ्रीका जंगलों में भटकता रहता है।
एक्शन
और उत्तरजीविता: जंगल की पृष्ठभूमि में तीव्र एक्शन दृश्य, उत्तरजीविता की चुनौतियाँ और संभवतः
वन्यजीवों या शत्रु शक्तियों से मुठभेड़ें दिखाई देंगी, जो राजामौली की शैली के अनुरूप बड़े स्तर
पर एक्शन और संकटपूर्ण दृश्यों से भरपूर होंगी ।
फिल्म
में,
महेश
बाबू जहाँ पुरातत्वविद बने हैं। वही उनकी नायिका प्रियंका चोपड़ा की भूमिका स्पष्ट
नहीं है। किन्तु, जिस प्रकार का फिल्म का कैनवास है और प्रियंका चोपड़ा की
अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता है, उसे देखते हुए कहा जा
सकता है कि उनकी भूमिका महेश बाबू की ग्लैमरस नायिका की तरह नही होगी। बल्कि वह
उनके पुरातत्व अभियान की सक्रिय सहयोगिनी हो सकती है।
राजामौली कुशल फिल्मकार हैं। उनकी फ़िल्में दीर्घ निर्माण प्रक्रिया का परिणाम होती ह एसएसएमबी २९ भी इसी निर्माण प्रक्रिया के अंतर्गत निर्मित है। इस फिल्म की निर्माण प्रक्रिया के अंतर्गत बनाई जा रही फिल्म है। राजामौली अपनी इस फिल्म की शूटिंग वाराणसी में करना चाहते थे। किन्तु, तकनीकि जटिलता और असुविधा के फलस्वरूप इस फिल्म के लिए हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में वाराणसी के सेट्स निर्मित किये गए। इस निर्माण में ५० करोड़ व्यय हुए। यह फिल्म एक बहुभाषी परियोजना है, जिसका लक्ष्य २५ मार्च, २०२७ को विश्व के १२० से अधिक देशों में रिलीज़ होना है। फिल्म की सार्वभौमिक अपील वाली कहानी का संकेत देता है ।

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