कपिल शर्मा अपने शो को बचाने की हरचंद कोशिश कर रहे हैं। इसी कोशिश में नई कोशिश है मोनिका कैस्टेलिनो। मोनिका कैस्टेलिनो पेशे से एक्ट्रेस है। वह हिंदी टीवी सीरियल प्रतिज्ञा, मणिबेन डॉट कॉम, प्यार की यह कहानी सुनो, तू मेरे अगल बगल है, हर मर्द को दर्द होता है, आदि में काम कर चुकी है। लेकिन, कपिल शर्मा ने मोनिका को इसलिए अपने शो में शामिल नहीं किया है कि वह भी अभिनेत्री है, बल्कि इस वजह से साइन किया है कि वह एक एडल्ट फिल्म एक्ट्रेस हैं। मोनिका अपनी फिल्मों में उत्तेजक कपडे पहनती है और हाव भाव प्रदर्शित करती है। उनकी फिल्मों के नाम भी काफी उत्तेजक होते है। मेन नोट अलाउड वह लेस्बियन एक्ट कर रही थी। काम सुंदरी में वह कामुकता की देवी बनी थी। सूत्र बताते हैं कि कपिल शर्मा ने मोनिका को सुगंध मिश्र के जाने के बाद स्थाई सदस्य के तौर पर अपने शो में शामिल किया है। खबर यह भी है कि मोनिका शो में बेहद ग्लैमरस और बोल्ड अंदाज़ में आयेंगी । क्या द कपिल शर्मा शो को 'बंद होने से बचा पायेगी यह 'काम सुंदरी' !
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 7 May 2017
कपिल शर्मा के शो में एडल्ट फिल्मों की अभिनेत्री !
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Television
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
दिव्या दत्ता पर फिल्मों की बारिश, शादी में ज़रूर आना, भावेश जोशी, विवेक ओबेरॉय, प्रीती और पिंकी
दिव्या दत्ता पर फिल्मों की बारिश !
चालीस साल की दिव्या दत्ता पर खुशियों की बारिश हो रही है। उन्हें हमेशा से भिन्न प्रकार के रोल मिलते रहे हैं। वह कभी टाइप्ड नहीं हुई। उनकी हाल ही में रिलीज़ किताब मी एंड माँ को काफी सराहा गया है। इस किताब के लिए उन्हें लिटरेरी एक्सेलेन्स अवार्ड मिला है। उन पर फिल्मों की भी बारिश हो रही है। १९९४ में मिराक़ मिर्ज़ा की फिल्म इश्क़ में जीना इश्क़ में मरना से दिव्या दत्ता का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। यह फिल्म भी उन्हें अनायास मिली। मिराक ने अपनी यह फिल्म किसी दूसरी अभिनेत्री के साथ शुरू की थी। लेकिन, दिव्या दत्ता को देख कर वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस अभिनेत्री को निकाल कर दिव्या को फिल्म में ले लिया। दिव्या की दूसरी फिल्म सलमान खान के साथ फिल्म वीरगति थी। यह दोनों ही फ़िल्में असफल हुई। इसके बावजूद दिव्या दत्ता को फ़िल्में मिलती रही। अलबत्ता ज़्यादातर फिल्मों में उन्होंने सह भूमिकाएं ही की थी। चालीस साल की दिव्या दत्ता ने अब तक एक सौ के करीब फ़िल्में की हैं। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में बदलापुर, भाग मिल्खा भाग, स्पेशल २६, हीरोइन, डेंजरस इश्क़, दिल्ली ६, ओह माय गॉड, वेलकम टू सज्जनपुर, आजा नचले, उमराव जान, अपने, वीर ज़रा, एलओसी कारगिल, बड़े मिया छोटे मिया, आदि के नाम शामिल हैं। इस समय दिव्या दत्ता कोई आठ फिल्मों में काम कर रही हैं। इरफ़ान खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और अरुणोदय सिंह के साथ फिल्मों में उनकी भूमिका सशक्त है। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की अगली फिल्म में अगली फिल्म में भी दिव्या दत्ता हैं। नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के साथ बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ मई में रिलीज़ होने वाली है। वह इरफ़ान खान के साथ रायता की शूटिंग कर रही हैं।
राजकुमार ने कृति से कहा शादी में ज़रूर आना !
राजकुमार राव और कृति खरबंदा की फिल्म शादी में ज़रूर आना की शूटिंग लखनऊ और इलाहबाद में पूरी हो गई है। इस फिल्म में राजकुमार राव कृति खरबंदा पहली बार एक साथ आ रहे हैं। दरअसल, कृति खरबंदा साउथ की ख़ास तौर पर तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों की बड़ी एक्ट्रेस हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू पिछले साल रिलीज़ हॉरर फिल्म राज़ रिबूट से इमरान हाश्मी और गौरव अरोरा के साथ हुआ था। राज़ रिबूट फ्लॉप हुई। शादी में ज़रूर आना कृति की दूसरी फिल्म है। निर्माता विनोद बच्चन की इस फिल्म की निर्देशक रत्ना सिंह हैं। यह उत्तर प्रदेश की खालिस देसी कहानी वाली फिल्म है। फिल्म दो युवा प्रेमियों सत्येंद्र मिश्रा और आरती शुक्ल की है, जो शादी करना चाहते हैं। लेकिन, एक दिन आरती यकायक निर्णय लेती है कि वह पहले अपने सपने पूरे करेगी। दोनों अलग हो जाते हैं। पांच साल दोनों मिलते हैं तो अजीब परिस्थितियों में। अब तक आईएएस अफसर बन गए सत्येंद्र को पीसीएस अधिकारी आरती के एक मामले की जांच सौंपी जाती है। फिल्म के बारे में रत्ना सिन्हा कहती हैं, "हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि फिल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करे।" कमल पांडेय की लिखी फिल्म शादी में ज़रूर आना रत्ना सिन्हा की पहली फिल्म है।
भावेश जोशी के लिए हर्षवर्धन कपूर ने किया बडा बदलाव
चालीस साल की दिव्या दत्ता पर खुशियों की बारिश हो रही है। उन्हें हमेशा से भिन्न प्रकार के रोल मिलते रहे हैं। वह कभी टाइप्ड नहीं हुई। उनकी हाल ही में रिलीज़ किताब मी एंड माँ को काफी सराहा गया है। इस किताब के लिए उन्हें लिटरेरी एक्सेलेन्स अवार्ड मिला है। उन पर फिल्मों की भी बारिश हो रही है। १९९४ में मिराक़ मिर्ज़ा की फिल्म इश्क़ में जीना इश्क़ में मरना से दिव्या दत्ता का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। यह फिल्म भी उन्हें अनायास मिली। मिराक ने अपनी यह फिल्म किसी दूसरी अभिनेत्री के साथ शुरू की थी। लेकिन, दिव्या दत्ता को देख कर वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस अभिनेत्री को निकाल कर दिव्या को फिल्म में ले लिया। दिव्या की दूसरी फिल्म सलमान खान के साथ फिल्म वीरगति थी। यह दोनों ही फ़िल्में असफल हुई। इसके बावजूद दिव्या दत्ता को फ़िल्में मिलती रही। अलबत्ता ज़्यादातर फिल्मों में उन्होंने सह भूमिकाएं ही की थी। चालीस साल की दिव्या दत्ता ने अब तक एक सौ के करीब फ़िल्में की हैं। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में बदलापुर, भाग मिल्खा भाग, स्पेशल २६, हीरोइन, डेंजरस इश्क़, दिल्ली ६, ओह माय गॉड, वेलकम टू सज्जनपुर, आजा नचले, उमराव जान, अपने, वीर ज़रा, एलओसी कारगिल, बड़े मिया छोटे मिया, आदि के नाम शामिल हैं। इस समय दिव्या दत्ता कोई आठ फिल्मों में काम कर रही हैं। इरफ़ान खान, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और अरुणोदय सिंह के साथ फिल्मों में उनकी भूमिका सशक्त है। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की अगली फिल्म में अगली फिल्म में भी दिव्या दत्ता हैं। नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के साथ बाबूमोशाय बन्दूकबाज़ मई में रिलीज़ होने वाली है। वह इरफ़ान खान के साथ रायता की शूटिंग कर रही हैं।
राजकुमार ने कृति से कहा शादी में ज़रूर आना !
राजकुमार राव और कृति खरबंदा की फिल्म शादी में ज़रूर आना की शूटिंग लखनऊ और इलाहबाद में पूरी हो गई है। इस फिल्म में राजकुमार राव कृति खरबंदा पहली बार एक साथ आ रहे हैं। दरअसल, कृति खरबंदा साउथ की ख़ास तौर पर तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों की बड़ी एक्ट्रेस हैं। उनका हिंदी फिल्म डेब्यू पिछले साल रिलीज़ हॉरर फिल्म राज़ रिबूट से इमरान हाश्मी और गौरव अरोरा के साथ हुआ था। राज़ रिबूट फ्लॉप हुई। शादी में ज़रूर आना कृति की दूसरी फिल्म है। निर्माता विनोद बच्चन की इस फिल्म की निर्देशक रत्ना सिंह हैं। यह उत्तर प्रदेश की खालिस देसी कहानी वाली फिल्म है। फिल्म दो युवा प्रेमियों सत्येंद्र मिश्रा और आरती शुक्ल की है, जो शादी करना चाहते हैं। लेकिन, एक दिन आरती यकायक निर्णय लेती है कि वह पहले अपने सपने पूरे करेगी। दोनों अलग हो जाते हैं। पांच साल दोनों मिलते हैं तो अजीब परिस्थितियों में। अब तक आईएएस अफसर बन गए सत्येंद्र को पीसीएस अधिकारी आरती के एक मामले की जांच सौंपी जाती है। फिल्म के बारे में रत्ना सिन्हा कहती हैं, "हम लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि फिल्म दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करे।" कमल पांडेय की लिखी फिल्म शादी में ज़रूर आना रत्ना सिन्हा की पहली फिल्म है।
भावेश जोशी के लिए हर्षवर्धन कपूर ने किया बडा बदलाव
एक्टर हर्षवर्धन कपूर निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म भावेश
जोशी में केंद्रीय किरदार में नजर आनेवाले हैं। इस फिल्म में उनके तीन अलग अलग लुक हैं। एक लूक में वह दुबले-पतले कॉलेज जानेवाले युवा बने हैं । दुसरा लुक अधेड़ गंजे व्यक्ति के और तीसरे लुक में सुडौल और तंदुरूस्त शरीर के व्यक्ति के रूप में नज़र आएंगे । तीन अलग अलग लुक्स पाने के लिए हर्षवर्धन ने अपने शरीर में काफी मशक्कत कर बदलाव किया है । कॉलेज जानेवाले युवा के
किरदार के लिए हर्षवर्धन ने छह कार्डियो करके अपना वजन छह किलो घटाया। नकली पेट और गंजे लुक से मध्यम आयु का
किरदार निभाया । फिर सुडोल और तंदुरूस्त लुक के लिए मिक्स्ड मार्शल आर्ट फायटर एन्ड्र्यु
नील से मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली। शूटिंग के आखिरी हफ्ते में हर्ष को
चोट आयी थी। लेकिन उसके बावजुद १४ घंटे की शिफ्ट करके हर्ष जिम जाते रहे और
ट्रेनिंग भी करते रहे। अपने इन किरदारों के बारे में हर्षवर्धन कहते हैं, "कितनी भी लंबी शिफ्ट रहें, मैं
नियमित तौर पर जिम जाता था। फिल्म के इंटेन्स एक्शन सीन्स के लिए
मेरे मसल्स दिखने जरूरी थे। एक बार एक सीन के लिए कूदते वक्त मेरे सर पर और हाथ में दो जगह चोट
आयी थी। लेकिन फिल्म करते समय इस तरह के हादसे होते रहते हैं।"
तमिल फिल्म में विवेक ओबेरॉय का एक्शन
बॉलीवुड एक्टर विवेक
ओबेरॉय अपनी पहली तमिल फिल्म विवेगम की शूटिंग सर्बिआ में कड़ाके की ठंड में कर रहे है। इस समय सर्बिआ का तापमान
मायनस १२ डिग्री है। एक्शन थ्रिलर फिल्म
के लिए सह लेखन और निर्देशन सिवा कर रहे
है। फिल्म में दक्षिण के सितारे अजित, काजल अग्रवाल और अक्षरा हसन मुख्य भूमिका में है। फिल्म में विवेक
ओबेरॉय मुख्य खलनायक की भूमिका में है । बॉलीवुड फिल्मों में भी विवेक ओबेरॉय ने ज्यादातर एंटी हीरो किरदार किये है। फिल्म में विवेक युद्धक टैंक पर सवार हुए है। विवेक के तमाम हाई वोल्टेज स्टंट्स बेलग्रेड वायु सेना बेस
पर शून्य से १२ डिग्री काम तापमान में है । यह फिल्म १२० करोड़
बजट की लागत से बन रही है। इस फिल्म के एक्शन सीन्स वर्ल्ड के जानेमाने एक्शन डायरेक्टर और
उनके क्रू ने कोरियोग्राफ किये है।
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खबर है
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Saturday, 6 May 2017
क्या बनेगी बाहुबली ३ ?
बाहुबली द कांक्लुजन पूरी दुनिया में धूम मचाये हुए है। हिंदुस्तान की यह इकलौती फिल्म बन गई है, जिसने मात्र छह दिनों में ७८० करोड़ का ग्रॉस किया है। ट्रेड पंडितों का अनुमान है कि बाहुबली २ बॉक्स ऑफिस पर एक हजार करोड़ का ग्रॉस कर ले जाएगी। इस प्रकार से वर्ल्डवाइड ग्रॉस के मामले में फिल्म ने दंगल (७४४ करोड़) को पीछे छोड़ दिया है। अब यह पीके (७९० करोड़) से ही पीछे है। (खबर यह भी है कि बाहुबली २ का गुरुवार का फाइनल कलेक्शन शामिल करने पर फिल्म ने ७९२ करोड़ का ग्रॉस कर लिया है। यानि पीके पीछे। इस फिल्म का डब हिंदी संस्करण छः दिनों में २२१ करोड़ का ग्रॉस कर टॉप १० ग्रॉसर की लिस्ट में सलमान खान की दिवाली में रिलीज़ फिल्म प्रेम रतन धन पायो से ऊपर ९ वी पोजीशन में आ चुका है। यह फिल्म गुरुवार को शाहरुख़ खान की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस (२२७ करोड़) और सलमान खान की फिल्म किक (२३२ करोड़) के तथा शुक्रवार को हृथिक रोशन की फिल्म कृष ३ (२४४.९२ करोड़) और धूम ३ (२८४ करोड़) के ग्रॉस को पीछे छोड़ देगी। इस समय जैसा बाहुबली २ का क्रेज बना हुआ है, ट्रेड यह उम्मीद कर रहा है कि केवल दस दिनों में यह फिल्म सबसे तेज़ी से कलेक्शन करते हुए ३०० करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी। इस प्रकार से बाहुबली २ सलमान खान की फिल्म सुल्तान (३०१.५० करोड़) और बजरंगी भाईजान (३२१ करोड़) तथा आमिर खान की फिल्म पीके (३४०.८० करोड़) और दंगल (३८७.३८ करोड़) के ग्रॉस को जल्द ही काफी पीछे छोड़ देगी। ख़ास बात यह है कि इस हफ्ते (शुक्रवार ५ मई) बाहुबली २ को कोई भी हिंदी फिल्म चुनौती नहीं दे रही। इसका मतलब यह है कि पूरा बॉक्स ऑफिस बाहुबली २ के लिए खुला हुआ है। विदेशों में भी बाहुबली २ का डंका बजा हुआ है। यह फिल्म अब तक १५० करोड़ का ग्रॉस कर चुकी है। केवल उत्तरी अमेरिका में ही फिल्म ने ७९ करोड़ से अधिक का ग्रॉस किया है। इस प्रकार से बाहुबली २ ने दंगल के लाइफ टाइम ग्रॉस को पीछे धकेल दिया है। पिछले बुद्धवार फिल्म के निर्देशक एसएस राजामौली ब्रिटिश फिल्म इंस्टिट्यूट लंदन में फिल्म की सोल्ड आउट स्क्रीनिंग में मौजूद थे। फिल्म देखने के बाद दर्शकों को लगा कि इस फ्रैंचाइज़ी का तीसरा हिस्सा भी बनाया जायेगा। यह अनुमान एन्ड क्रेडिट के दौरान के वॉयस ओवर के देख कर लगाया गया था। हालाँकि, वैरायटी के पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने इसे प्रशंसकों के लिए मज़ेदार चीज़ बताया था। इसके साथ ही राजामौली ने बाहुबली ३ के बनने की ओर इशारा भी कर दिया था। बाहुबली फ्रैंचाइज़ी की कहानियां राजामौली के पिता विजयेंद्र प्रसाद ने लिखी है। विजयेंद्र प्रसाद की कहानी पर ही सलमान खान की सुपर हिट फिल्म बजरंगी भाईजान बनाई गई थी। राजामौली ने बातों ही बातों में कहा, "कौन जाने मेरे पिता पहले की तरह कोई सम्मोहक कहानी ले कर आ जाये तब मैं खुद को कैसे रोक पाऊंगा। तब हम ज़रूर बनाएंगे।" जहाँ तक बाहुबली २ की विजय रथ यात्रा का सवाल है, फिल्म के निर्माता ताइवान और कोरिया पर निगाहें रख रहे है। उनका अगला लक्ष्य चीन का बाजार पकड़ना है। आमिर खान की फिल्म पीके ने चीनी बॉक्स ऑफिस पर किसी हिंदी फिल्म का सबसे ज़्यादा १२२ करोड़ का ग्रॉस किया था।यहाँ एक ख़ास बात यह कि राजामौली बड़े परदे के लिए महाभारत बनाना चाहते हैं। लेकिन, राजामौली की महाभारत अभी नहीं १० साल बाद बनेगी।
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बॉक्स ऑफिस पर
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बाइबिल से भी प्रभावित है वॉर फॉर द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स
जब मैट रीव्स और मार्क बॉम्बैक की निर्देशक- स्क्रीन राइटर जोड़ी को २०१४ की फिल्म डॉन ऑफ़ द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स की कमान सौंपी गई, उस समय फिल्म की रिलीज़ की तारिख का ऐलान किया जा चुका था। ऐसे में इस जोड़ी को समय के साथ रफ़्तार पकड़नी थी। रीव्स कहते हैं, "हम पागलों की तरह काम कर रहे थे।" लेकिन इसका परिणाम काफी सुखद रहा। डॉन ऑफ़ द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स ने वर्ल्डवाइड ७०० मिलियन डॉलर से अधिक का ग्रॉस किया। इसके साथ ही फिल्म के सीक्वल की नींव भी पड़ गई। मगर, पेंच तो अभी बाकी था। यह पेंच फॉक्स स्टूडियोज ने डाला। उन्होंने इस बार इस जोड़ी को खूब समय दिया। इस जोड़ी ने हर वह काम किया, जो एक राइटर करता है। रीव्स कहते हैं, "हमने अपनी ज़िन्दगी के बारे में बात की, ऐतिहासिक कहानियों को पढ़ा और ढेरों फ़िल्में देखी।" रीव्स-बॉम्बैक जोड़ी ने एप्स फ्रैंचाइज़ी पर बनी तमाम फ़िल्में देखी। ब्रिज ऑफ़ द रिवर क्वाई और ग्रेट एस्केप के अलावा स्क्रिप्ट को बाइबिल प्रभावित बनाने के लिए बेन हर और द टेन कमांडमेंट्स देखी। कहने का मतलब यह कि कुछ प्रभाव इसका, कुछ उसका। इन सभी को रीव्स और बॉम्बैक ने गहराई से लिया। इसलिए, जब यह जोड़ी फिल्म लिखने बैठी तो उन्हें अपनी पसंदीदा फिल्मों की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही थी। फिल्म में बंदरों के नेता सीजर (एंडी सर्किस) और कर्नल (वुडी हर्रेलसन) के किरदार के बीच के संवाद-विवाद ब्रिज ऑन द रिवर क्वाई में एलेक गिनेस के ब्रिटिश कमांडर कर्नल निकोल्सन और सेसुए हायकावा के प्रिजन कैंप के कर्नल सैतो की प्रतिध्वनि हैं। वॉर फॉर द प्लेनेट ऑफ़ द एप्स १४ जुलाई को रिलीज़ हो रही है।
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Hollywood
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जेम्स गन चाहें फिर फिर स्टैलॉन !
गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी वॉल्यूम २ में सिल्वेस्टर स्टैलॉन ने स्टाकर ओगॉर्ड का किरदार किया है। सिल्वेस्टर स्टैलॉन फिल्म देखते समय पहचान में नहीं आने वाले तमाम चेहरों के बीच आसानी से पहचाने जाते हैं। स्टैलॉन की मौजूदगी से निर्देशक जेम्स गन कुछ इतना प्रभावी हुए हैं कि वह चाहते हैं कि हर गार्डियंस फ्रैंचाइज़ी फिल्म में स्टाकर ओगॉर्ड का किरदार हो और उसे सिल्वेस्टर स्टैलॉन ही करें। अभी यह कहना मुश्किल हैं है गार्डियंस फ्रैंचाइज़ी के वॉल्यूम ३ में स्टैलॉन होंगे या नहीं, लेकिन इतना तय है कि मार्वल सिनेमेटिक यूनिवर्स की अगली फिल्मों में सिल्वेस्टर स्टैलॉन को फबने वाले किरदार रखे जाएँ। गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी के तीन वॉल्यूम में एक ही कहानी आगे बढ़ाई गई है। जैसी संभावना है, वॉल्यूम ४ का निर्माण भी होगा। लेकिन, इस वॉल्यूम से कहानी में बदलाव होगा। क्योंकि, स्टार-लार्ड, गमोरा, आदि किरदार वॉल्यूम ३ से साथ ही ख़त्म हो जायेंगे। चौथे वॉल्यूम के निर्देशन के लिए जेम्स गन उपलब्ध नहीं होंगे। लेकिन मार्वल के केविन फीज के सलाहकार जेम्स गन बन रहेंगे। ऐसे में पूरी संभावना है कि मार्वेल की भविष्य की फिल्मों में सिल्वेस्टर स्टैलॉन भी नज़र आएं।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
फिर वापस आ रहा है आम आदमी ?
जी हाँ, आम आदमी पर फ़िल्में बनने का सिलसिला शुरू हो गया है। यह आम आदमी छोटे शहर का ज़रूर है। लेकिन, तिग्मांशु धुलिया और अनुराग कश्यप की फिल्मों की तरह शातिर अपराधी या गैंगस्टर नहीं। यह आम आदमी, आम आदमी के लिए है। इन फिल्मों को आम आदमी की आम आदमी द्वारा आम आदमी पर फिल्म कहा जा सकता है।
बाहुबली से उबरने पर आम आदमी
जब तक छोटे शहरों के दर्शकों के दिलोंदिमाग से बाहुबली के भव्य सेट्स, चमकते दमकते गहनों कपड़ों और राजाओं- महाराजाओं का खुमार उतरेगा, सेल्युलाइड पर आम आदमी उनके बीच होगा। यह आम आदमी उनका जैसा दिखाई भी देगा। उनकी जैसी समस्याओं से जूझेगा। फिर भी हिम्मत नहीं हार रहा होगा। १२ मई को आम आदमी की कहानियों वाली तीन फ़िल्में मेरी प्यारी बिंदु, थोड़ी थोड़ी सी मनमानियां और हिंदी मीडियम रिलीज़ होंगी। यह शुरुआत होगी आम आदमी पर फिल्मों की। इसके अगले हफ़्तों में हाफ गर्लफ्रेंड, मुज़फ्फरनगर २०१३, वी फॉर विजय, अतिथि इन लंदन, बहन होगी तेरी, मुन्ना माइकल, बरेली की बर्फी, टॉयलेट एक प्रेम कथा, शुभ मंगल सावधान, पोस्टर बॉयज, लखनऊ सेंट्रल, लव स्क्वायर फुट, आदि टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ होने जा रही हैं। यह सभी फ़िल्में आम आदमी की परेशानियों और दुश्वारियों का खट्टा मीठा दुःख बयान करती हैं। कोई शक नहीं अगर इन फिल्मों को देखते समय दर्शक किसी फिल्म में खुद को पाए।
आम आदमी की कैसी कैसी कहानियां
आम आदमी की फिल्मों के सन्दर्भ में एक दिलचस्प बात यह है कि यह फ़िल्में किसी ख़ास राजनीतिक लाइन पर बनी भ्रष्टाचार गाथा नहीं है। इन फिल्मों का कैनवास काफी बड़ा है। शायद ही कोई पहलू बचा हो, जिसे इन फिल्मों ने न छुआ हो। मेरी प्यारी बिंदु एक लेखक की कहानी है, जो उतना सफल नहीं हो पाता, जितना वह खुद को समझता है। निराश हो कर वह अपने देश कलकत्ता वापस चला जाता है। वहां वह लिखना शुरू करता है कहानी आम ज़िन्दगी की, अपनी प्यारी बिंदु की। थोड़ी थोड़ी सी मनमानियां एक बच्चे पर उसकी माँ की आशाओं और अपेक्षाओं की हैं। माँ चाहती है कि उसका बेटा संगीत की दुनिया में सफल बने और उसके सपने पूरे हों। हिंदी मीडियम और हाफ गर्लफ्रेंड का विषय तो बहुत कुछ आम आदमी की भाषाई परेशानी वाला है। यह परेशानी है अंग्रेजी न जानने और बोल पाने की। इस कहानी को एक परिवार और एक बिहारी प्रेमी के माध्यम से कहा गया है। मुज़फ्फर नगर २०१३ रियल लाइफ फिल्म है। २०१३ के मुज़फ्फरनगर दंगों में किस प्रकार से युवा राजनीतिक पैंतरेबाज़ी का शिकार होते हैं। वी फॉर विक्ट्री गरीबी की कहानी है। छोटू को उसका मज़दूर पिता पढ़ाना लिखाना चाहता है। लेकिन, एक दिन पिता ऐसा बीमार पड़ जाता है कि परिवार की देखभाल के लिए छोटू को मज़दूरी करनी पड़ती है। अतिथि इन लंदन का कैनवास आधुनिक है, लंदन की पृष्ठभूमि पर है। लेकिन कहानी वही आम आदमी की है। यकायक आ टपकते मेहमानों से कौन नहीं त्रस्त है। बहन होगी तेरी लखनऊ के एक लडके के क्रिकेट प्रेम और रोमांस की कहानी है। मुन्ना माइकल एक स्ट्रीट डांसर है। उसका आदर्श माइकल जैक्सन है। वह भी माइकल जैक्सन की तरह डांसर बनना चाहता है। उसे एक दिन मौक़ा मिल ही जाता है। टाइटल से इतर बरेली की बर्फी लखनऊ में प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले लोगों की कहानी है। इसमें प्रेम की मिठास बेशक है। टॉयलेट एक प्रेम कथा प्रधान मंत्री के स्वच्छ भारत अभियान के समर्थन में गाँव में टॉयलेट के निर्माण की प्रेरक और दिलचस्प कहानी है। शुभ मंगल सावधान आम शादियों की रस्मों को लेकर है। यह एक तमिल फिल्म का रीमेक है। लखनऊ सेंट्रल कहानी है जेल में बंद कैदियों की। फिल्म में फरहान अख्तर का किरदार कैदियों के साथ मिल कर एक रॉक बैंड बनाता है। लव पर स्क्वायर फुट एक लड़का लड़की की कहानी है, जो मुंबई में मकान पाने के लिए परेशान हैं।
रुपहले परदे पर आम आदमी के चेहरे
इसमें कोई शक नहीं कि हिंदी फ़िल्में आम आदमी की ज़िंदगी के हर पहलू को छू रही है। अब केवल गरीबी और भ्रष्टाचार ही मुद्दा नहीं रहा। आम आदमी की बहुत सी दूसरी परेशानियां है। यह फिल्म में कैसे उभर कर आती हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन, उससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है आम आदमी को परदे पर उतारने वाले चेहरे। कभी बलराज साहनी और उनके साथ निरुपा रॉय आम आदमी के प्रतिनिधित्व किया करते थे। बाद में अमोल पालेकर ने आम आदमी को परदे पर उतारा।
हिंदी मीडियम में इरफ़ान खान चांदनी चौक के साड़ी विक्रेता की भूमिका कर रहे हैं। उनकी और उनकी पत्नी की समस्या यह है कि उन्हें इंग्लिश नहीं आती। इसलिए वह ऊंची सोसाइटी में उठ बैठ नहीं पाते। इस फिल्म में उनका साथ पाकिस्तान की सबा क़मर दे रही हैं। इरफ़ान खान आम आदमी का चेहरा है। अलबत्ता उनके चेहरे के साथ हॉलीवुड फ़िल्में जुड़ चुकी है। मेरी प्यारी बिंदु, बरेली की बर्फी और शुभ मंगल सावधान में आयुष्मान खुराना आम आदमी का चेहरा है। शुभ मंगल सावधान में आयुष्मान का साथ भूमि पेंडणेकर दे रही हैं तो बरेली की बर्फी में कृति सेनन जैसी सेक्सी अभिनेत्री उनकी जोड़ीदार हैं। मेरी प्यारी बिंदु में आयुष्मान के अभिमन्यु की बिंदु परिणीति चोपड़ा हैं। अपनी पहली फिल्म विक्की डोनर से आयुष्मान ने खुद को आम आदमी का चेहरा बना कर ही पेश किया था। बरेली की बर्फी में प्रेस में काम करने वाले कामगार का आम सा किरदार राजकुमार राव ने किया है। बहन होगी तेरी में भी वह लखनऊ की सडकों पर क्रिकेट खेलने वाले लडके के किरदार में हैं। इस फिल्म में उनकी नायिका ग्लैमरस श्रुति हासन है।
बड़े और बिकाऊ आम आदमी के चेहरे
यह फिल्म निर्माता पर निर्भर करता है कि वह अपनी फिल्म का कैनवास कितना बड़ा रखना चाहता है। अगर एक सौ करोड़ की कमाई की चाहत है तो हिन्दू फिल्मों का कोई स्टार या सुपर स्टार ज़रूरी है। मसलन, अक्षय कुमार को ही लीजिये। वह आदमी का चेहरा बनते रहते हैं। इसी साल रिलीज़ निर्देशक सुभाष कपूर की फिल्म जॉली एलएलबी २ में अक्षय कुमार ने लखनऊ के एक धूर्त वकील का किरदार किया था। इस किरदार को मूल फिल्म में अरशद वारसी ने किया था। अब अक्षय कुमार गाँव की कहानी टॉयलेट एक प्रेम कथा में गाव वालों को खुले में शौच न करने और घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करने वाले आम आदमी बने हैं। फिल्म में दम लगा के हईशा की नायिका भूमि पेंडेकर वह फिल्म पैडमैन में स्त्रियों के लिए सेनेटरी पैड की ईज़ाद करने वाले रियल लाइफ करैक्टर बने हैं। इसी श्रेणी में अभिनेता टाइगर श्रॉफ को भी रखा जा सकता है। कमर्शियल फिल्मों का यह सफल चेहरा फिल्म मुन्ना माइकल में स्ट्रीट डांसर का किरदार कर रहा है। हाफ गर्लफ्रेंड अंग्रेजी न जानने वाले एक आम बिहारी की कहानी है। लेकिन, इस आम आदमी के लिए निर्देशक मोहित सूरी को अर्जुन कपूर ही पसंद आये। उनका साथ उनसे ज़्यादा ग्लैमरस अभिनेत्री श्रद्धा कपूर दे रही हैं। अब आप ही बताइएं पोस्टर बॉयज में पोस्टर पर आम आदमी बने सनी देओल आपको कैसे लगेंगे ? निखिल अडवाणी की फिल्म लखनऊ सेंट्रल में फरहान अख्तर, डायना पेंटी और गिप्पी ग्रेवाल ने आम किरदार किये हैं।
आम आदमी के कुछ नए चेहरे
फिल्म थोड़ी थोड़ी सी मनमानियां में अर्श सेहरावत संगीत की दुनिया में चमक कर माँ का स्वप्न पूरा करने की चाहत रखने वाले आम आदमी बने हैं। वी फॉर विक्ट्री के तमाम चेहरे बिलकुल नए हैं। मुज़फ्फरनगर २०१३ में मुर्सलीम कुरैशी, ऐश्वर्या देवन, एकांश भरद्वाज, देव शर्मा, आदि बिलकुल नए चेहरे कस्बाई युवाओं की भूमिका में हैं। अतिथि इन लंदन में परेश रावल के साथ कृति खरबंदा और कार्तिक आर्यन के कम पहचाने चेहरे आम आदमी का चेहरा बने हैं। लव पर स्क्वायर फुट के दो मुख्य किरदार विक्की कौशल और अंगिरा धर हैं। इन नवोदित चेहरों ने खुद को किरमार में कैसा ढाला है, यही देखना ख़ास होगा।
आम आदमी पर फिल्मों की लिस्ट यहीं ख़त्म नहीं होती। आम आदमी की ढेरों कहानियां इंतज़ार कर रही हैं, परदे पर उतरने का और उन्हें उतारने वाले फिल्मकार का। लेकिन, खेद की बात यही है कि आम आदमी पर आम आदमी के लिए आम आदमी की फिल्म को देखना आम आदमी भी पसंद नहीं करता। क्यों नहीं मिलता सेलुलाइड के आम आदमी को रियल लाइफ के आम आदमी का प्यार ?
बाहुबली से उबरने पर आम आदमी
जब तक छोटे शहरों के दर्शकों के दिलोंदिमाग से बाहुबली के भव्य सेट्स, चमकते दमकते गहनों कपड़ों और राजाओं- महाराजाओं का खुमार उतरेगा, सेल्युलाइड पर आम आदमी उनके बीच होगा। यह आम आदमी उनका जैसा दिखाई भी देगा। उनकी जैसी समस्याओं से जूझेगा। फिर भी हिम्मत नहीं हार रहा होगा। १२ मई को आम आदमी की कहानियों वाली तीन फ़िल्में मेरी प्यारी बिंदु, थोड़ी थोड़ी सी मनमानियां और हिंदी मीडियम रिलीज़ होंगी। यह शुरुआत होगी आम आदमी पर फिल्मों की। इसके अगले हफ़्तों में हाफ गर्लफ्रेंड, मुज़फ्फरनगर २०१३, वी फॉर विजय, अतिथि इन लंदन, बहन होगी तेरी, मुन्ना माइकल, बरेली की बर्फी, टॉयलेट एक प्रेम कथा, शुभ मंगल सावधान, पोस्टर बॉयज, लखनऊ सेंट्रल, लव स्क्वायर फुट, आदि टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ होने जा रही हैं। यह सभी फ़िल्में आम आदमी की परेशानियों और दुश्वारियों का खट्टा मीठा दुःख बयान करती हैं। कोई शक नहीं अगर इन फिल्मों को देखते समय दर्शक किसी फिल्म में खुद को पाए।
आम आदमी की कैसी कैसी कहानियां
आम आदमी की फिल्मों के सन्दर्भ में एक दिलचस्प बात यह है कि यह फ़िल्में किसी ख़ास राजनीतिक लाइन पर बनी भ्रष्टाचार गाथा नहीं है। इन फिल्मों का कैनवास काफी बड़ा है। शायद ही कोई पहलू बचा हो, जिसे इन फिल्मों ने न छुआ हो। मेरी प्यारी बिंदु एक लेखक की कहानी है, जो उतना सफल नहीं हो पाता, जितना वह खुद को समझता है। निराश हो कर वह अपने देश कलकत्ता वापस चला जाता है। वहां वह लिखना शुरू करता है कहानी आम ज़िन्दगी की, अपनी प्यारी बिंदु की। थोड़ी थोड़ी सी मनमानियां एक बच्चे पर उसकी माँ की आशाओं और अपेक्षाओं की हैं। माँ चाहती है कि उसका बेटा संगीत की दुनिया में सफल बने और उसके सपने पूरे हों। हिंदी मीडियम और हाफ गर्लफ्रेंड का विषय तो बहुत कुछ आम आदमी की भाषाई परेशानी वाला है। यह परेशानी है अंग्रेजी न जानने और बोल पाने की। इस कहानी को एक परिवार और एक बिहारी प्रेमी के माध्यम से कहा गया है। मुज़फ्फर नगर २०१३ रियल लाइफ फिल्म है। २०१३ के मुज़फ्फरनगर दंगों में किस प्रकार से युवा राजनीतिक पैंतरेबाज़ी का शिकार होते हैं। वी फॉर विक्ट्री गरीबी की कहानी है। छोटू को उसका मज़दूर पिता पढ़ाना लिखाना चाहता है। लेकिन, एक दिन पिता ऐसा बीमार पड़ जाता है कि परिवार की देखभाल के लिए छोटू को मज़दूरी करनी पड़ती है। अतिथि इन लंदन का कैनवास आधुनिक है, लंदन की पृष्ठभूमि पर है। लेकिन कहानी वही आम आदमी की है। यकायक आ टपकते मेहमानों से कौन नहीं त्रस्त है। बहन होगी तेरी लखनऊ के एक लडके के क्रिकेट प्रेम और रोमांस की कहानी है। मुन्ना माइकल एक स्ट्रीट डांसर है। उसका आदर्श माइकल जैक्सन है। वह भी माइकल जैक्सन की तरह डांसर बनना चाहता है। उसे एक दिन मौक़ा मिल ही जाता है। टाइटल से इतर बरेली की बर्फी लखनऊ में प्रिंटिंग प्रेस में काम करने वाले लोगों की कहानी है। इसमें प्रेम की मिठास बेशक है। टॉयलेट एक प्रेम कथा प्रधान मंत्री के स्वच्छ भारत अभियान के समर्थन में गाँव में टॉयलेट के निर्माण की प्रेरक और दिलचस्प कहानी है। शुभ मंगल सावधान आम शादियों की रस्मों को लेकर है। यह एक तमिल फिल्म का रीमेक है। लखनऊ सेंट्रल कहानी है जेल में बंद कैदियों की। फिल्म में फरहान अख्तर का किरदार कैदियों के साथ मिल कर एक रॉक बैंड बनाता है। लव पर स्क्वायर फुट एक लड़का लड़की की कहानी है, जो मुंबई में मकान पाने के लिए परेशान हैं।
रुपहले परदे पर आम आदमी के चेहरे
इसमें कोई शक नहीं कि हिंदी फ़िल्में आम आदमी की ज़िंदगी के हर पहलू को छू रही है। अब केवल गरीबी और भ्रष्टाचार ही मुद्दा नहीं रहा। आम आदमी की बहुत सी दूसरी परेशानियां है। यह फिल्म में कैसे उभर कर आती हैं, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन, उससे ज़्यादा महत्वपूर्ण है आम आदमी को परदे पर उतारने वाले चेहरे। कभी बलराज साहनी और उनके साथ निरुपा रॉय आम आदमी के प्रतिनिधित्व किया करते थे। बाद में अमोल पालेकर ने आम आदमी को परदे पर उतारा।
हिंदी मीडियम में इरफ़ान खान चांदनी चौक के साड़ी विक्रेता की भूमिका कर रहे हैं। उनकी और उनकी पत्नी की समस्या यह है कि उन्हें इंग्लिश नहीं आती। इसलिए वह ऊंची सोसाइटी में उठ बैठ नहीं पाते। इस फिल्म में उनका साथ पाकिस्तान की सबा क़मर दे रही हैं। इरफ़ान खान आम आदमी का चेहरा है। अलबत्ता उनके चेहरे के साथ हॉलीवुड फ़िल्में जुड़ चुकी है। मेरी प्यारी बिंदु, बरेली की बर्फी और शुभ मंगल सावधान में आयुष्मान खुराना आम आदमी का चेहरा है। शुभ मंगल सावधान में आयुष्मान का साथ भूमि पेंडणेकर दे रही हैं तो बरेली की बर्फी में कृति सेनन जैसी सेक्सी अभिनेत्री उनकी जोड़ीदार हैं। मेरी प्यारी बिंदु में आयुष्मान के अभिमन्यु की बिंदु परिणीति चोपड़ा हैं। अपनी पहली फिल्म विक्की डोनर से आयुष्मान ने खुद को आम आदमी का चेहरा बना कर ही पेश किया था। बरेली की बर्फी में प्रेस में काम करने वाले कामगार का आम सा किरदार राजकुमार राव ने किया है। बहन होगी तेरी में भी वह लखनऊ की सडकों पर क्रिकेट खेलने वाले लडके के किरदार में हैं। इस फिल्म में उनकी नायिका ग्लैमरस श्रुति हासन है।
बड़े और बिकाऊ आम आदमी के चेहरे
यह फिल्म निर्माता पर निर्भर करता है कि वह अपनी फिल्म का कैनवास कितना बड़ा रखना चाहता है। अगर एक सौ करोड़ की कमाई की चाहत है तो हिन्दू फिल्मों का कोई स्टार या सुपर स्टार ज़रूरी है। मसलन, अक्षय कुमार को ही लीजिये। वह आदमी का चेहरा बनते रहते हैं। इसी साल रिलीज़ निर्देशक सुभाष कपूर की फिल्म जॉली एलएलबी २ में अक्षय कुमार ने लखनऊ के एक धूर्त वकील का किरदार किया था। इस किरदार को मूल फिल्म में अरशद वारसी ने किया था। अब अक्षय कुमार गाँव की कहानी टॉयलेट एक प्रेम कथा में गाव वालों को खुले में शौच न करने और घरों में शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करने वाले आम आदमी बने हैं। फिल्म में दम लगा के हईशा की नायिका भूमि पेंडेकर वह फिल्म पैडमैन में स्त्रियों के लिए सेनेटरी पैड की ईज़ाद करने वाले रियल लाइफ करैक्टर बने हैं। इसी श्रेणी में अभिनेता टाइगर श्रॉफ को भी रखा जा सकता है। कमर्शियल फिल्मों का यह सफल चेहरा फिल्म मुन्ना माइकल में स्ट्रीट डांसर का किरदार कर रहा है। हाफ गर्लफ्रेंड अंग्रेजी न जानने वाले एक आम बिहारी की कहानी है। लेकिन, इस आम आदमी के लिए निर्देशक मोहित सूरी को अर्जुन कपूर ही पसंद आये। उनका साथ उनसे ज़्यादा ग्लैमरस अभिनेत्री श्रद्धा कपूर दे रही हैं। अब आप ही बताइएं पोस्टर बॉयज में पोस्टर पर आम आदमी बने सनी देओल आपको कैसे लगेंगे ? निखिल अडवाणी की फिल्म लखनऊ सेंट्रल में फरहान अख्तर, डायना पेंटी और गिप्पी ग्रेवाल ने आम किरदार किये हैं।
आम आदमी के कुछ नए चेहरे
फिल्म थोड़ी थोड़ी सी मनमानियां में अर्श सेहरावत संगीत की दुनिया में चमक कर माँ का स्वप्न पूरा करने की चाहत रखने वाले आम आदमी बने हैं। वी फॉर विक्ट्री के तमाम चेहरे बिलकुल नए हैं। मुज़फ्फरनगर २०१३ में मुर्सलीम कुरैशी, ऐश्वर्या देवन, एकांश भरद्वाज, देव शर्मा, आदि बिलकुल नए चेहरे कस्बाई युवाओं की भूमिका में हैं। अतिथि इन लंदन में परेश रावल के साथ कृति खरबंदा और कार्तिक आर्यन के कम पहचाने चेहरे आम आदमी का चेहरा बने हैं। लव पर स्क्वायर फुट के दो मुख्य किरदार विक्की कौशल और अंगिरा धर हैं। इन नवोदित चेहरों ने खुद को किरमार में कैसा ढाला है, यही देखना ख़ास होगा।
आम आदमी पर फिल्मों की लिस्ट यहीं ख़त्म नहीं होती। आम आदमी की ढेरों कहानियां इंतज़ार कर रही हैं, परदे पर उतरने का और उन्हें उतारने वाले फिल्मकार का। लेकिन, खेद की बात यही है कि आम आदमी पर आम आदमी के लिए आम आदमी की फिल्म को देखना आम आदमी भी पसंद नहीं करता। क्यों नहीं मिलता सेलुलाइड के आम आदमी को रियल लाइफ के आम आदमी का प्यार ?
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 5 May 2017
यूरोपियन फिल्मों से जर्मन पॉप सिंगर बनने वाली डलियाह लावी
जेम्स बांड की स्पूफ फिल्म कैसिनो रोयले और द साइलेंसर की इसरायली अभिनेत्री डलियाह लावी का ७४ साल की उम्र में निधन हो गया। डलियाह लावी को फिल्मों में लाने का श्रेय किर्क डगलस को जाता है। डलियाह लावी अपनी १०वी वर्षगाँठ के जश्न के मौके पर किर्क डगलस से मिली थी। जो उस समय अपनी फिल्म द जगलर की शूटिंग लावी के शहर (तब के फलस्तीनी और अब इजराइल में) शावै तज़िओं में कर रहे थे। उन्होंने लावी की बैले की शिक्षा का प्रबंध कर दिया। इसके दस साल बाद डलियाह लावी ने किर्क डगलस के साथ फिल्म टू वीक्स इन अनदर टाउन (१९६२) में अभिनय किया था। इस फिल्म के लिए लावी को मोस्ट प्रोमिसिंग न्यूकमर का गोल्डन ग्लोब अवार्ड मिला था। लेकिन, इस फिल्म से पहले ही डलियाह लावी यूरोपियन फिल्मों में अभिनय करने लगी थी। वह कई भाषाओं को धारा प्रवाह बोल सकती थी। उन्होंने जर्मन, फ्रेंच, इटेलियन स्पेनिश और इंग्लिश फिल्मों में अभिनय किया। लावी, डलियाह लेइनबक का रंगमंच का दिया नाम था। इस नाम का मतलब हिब्रू भाषा में शेरनी होता है। लावी ने द रिटर्न ऑफ़ डॉक्टर माबूसे (१९६१), द डेमों (१९६३) और द व्हिप एंड द बॉडी (१९६३) जैसी यूरोपियन फिल्मों में अभिनय किया। इसके बाद वह रिचर्ड ब्रूक की एडवेंचर फिल्म लार्ड जिम की द गर्ल के बतौर मशहूर हो गई। अगाथा क्रिस्टी की फिल्म रीमेक टेन लिटिल इंडियंस (१९६५) में अभिनेत्री इलोना बर्जेन का किरदार किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में दोज फैंटास्टिक फ्लाइंग फूल्स, नोबडी रन्स फॉरएवर और कैलोव उल्लेखनीय हैं। १९७० की शुरुआत में उन्होंने संगीत की ओर रुख किया। उनके जर्मन एल्बम व्हेन आर यू कमिंग और डू यू वांट टू गो विथ मी? को बड़ी सफलता मिली। उनका अंतिम संस्कार इजराइल में किया गया।
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 4 May 2017
श्रीदेवी की मॉम में नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी का लुक
अभी ज़ी स्टूडियोज ने श्रीदेवी की फिल्म मॉम का फर्स्ट लुक पोस्टर रिलीज़ किया। लेकिन इस पोस्टर में श्रीदेवी के बजाय अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी का चेहरा नज़र आ रहा था। पर पोस्टर में नवाज़उद्दीन को पहचानना भी आसान नहीं था। मेकअप के ज़रिये उनका चेहरा अनजाना सा लग रहा था। यह प्रोस्थेटिक मेकअप का कमाल था। कोई दो हफ्ता पहले राजकुमार राव का फिल्म राब्ता का एक फर्स्ट लुक जारी हुआ था। ३२४ साल के बूढ़े आदमी के मेकअप में राजकुमार राव पहचाने नहीं जा रहे थे। कुछ वैसा ही मॉम में नवाज़ुद्दीन का लुक नज़र आता है। श्रीदेवी की फिल्म में नवाज़ुद्दीन के रोल का खुलासा नहीं किया गया है। खुद नवाज़ भी कुछ बताना नहीं चाहते। लेकिन,वह अपने मेकअप के बारे में ज़रूर बताते हैं। वह कहते हैं, "मुझसे जब फिल्म के लिए एप्रोच किया गया तो मैं श्रीदेवी के साथ फिल्म को न नहीं कर सकता था। मैं बहुत उत्साहित था। ख़ास तौर पर अपने लुक के बारे में जान कर । क्योंकि यह मेरे लिए कुछ अलग करने और अलग दिखने का मौका था।" श्रीदेवी, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और अक्षय खन्ना की फिल्म मॉम हिंदी, तमिल, तेलुगु और मलयालम में ७ जुलाई को रिलीज़ हो रही है।
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हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
प्रियंका चोपड़ा क्यों बनी बेवाच की विलेन !
प्रियंका चोपड़ा अच्छी तरह से जानती हैं कि बुरे किरदार खेल कर, कितनी शोहरत पाई जा सकती है। २००४ में अब्बास मुस्तान की फिल्म ऐतराज में सोनिया राय का खल किरदार करके प्रियंका चोपड़ा ने खुद के सेक्स अपील को भी साबित किया था और अच्छे अभिनय के लिए सराहना भी प्राप्त की थी। इस फिल्म के लिए वह फिल्मफेयर अवार्ड्स में सह नायिका और खल नायिका की श्रेणी में नामांकित हुई थी। उन्होंने श्रेष्ठ खल नायिका का फिल्मफेयर अवार्ड जीता भी। खल किरदार के इस करिश्मे को प्रियंका चोपड़ा ने हॉलीवुड में भी दोहराया। प्रियंका चोपड़ा ने एबीसी के शो क्वांटिको में एफबीआई एजेंट से खून-खराबा करने वाली अलेक्स परीश के कमोबेश निगेटिव किरदार को किया, जो आतंकवादियों के खतरे से न्यू यॉर्क शहर ही नहीं, दुनिया को बचा ले जाती है। इस रोल के लिए उन्हें पूरे अमेरिका में पहचाना जाने लगा। इसी पहचान का तकाज़ा था, अमेरिकन टेलीविज़न पर बेहद पॉपुलर सीरीज बेवॉच का फिल्म संस्करण बेवॉच। समुद्र के किनारे घूम घूम कर, डूबते या किसी संकट में फंसे लोगों को बचाने वाले लाइफ गार्ड्स की इस कहानी में प्रियंका चोपड़ा एक निगेटिव किरदार विक्टोरिया लीडस् को कर रही हैं। यह किरदार बेहद धनी और अति महत्वकांक्षी औरत का है। वह समुद्र तट का उपयोग ड्रग स्मगलिंग के लिए करती है। इसमें उसका टकराव होता है मिच बुचनान (ड्वेन जॉनसन) और मैट ब्रॉडी (ज़क एफ्रोन) से। वह कितनी ताक़तवर है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि एक दूसरे के विरोधी मिच और मैट को मिल कर काम करना पड़ता है। प्रियंका चोपड़ा अपने इस किरदार को महिला सशक्तिकरण से जोड़ती हैं, "यह करैक्टर औरत को साबित करता है। पुरुषों की दुनिया में वह एक औरत है। वह पैसों के सहारे बनी अमीर औरत नहीं। वह सेल्फ-मेड है। उसके लिए महत्वपूर्ण ड्रग और दौलत नहीं, बल्कि ताक़त है। इसी लिए मैंने इस किरदार को किया।" बताते चलें कि पहले इस किरदार को किसी पुरुष एक्टर के लिए लिखा गया था। परन्तु, निर्देशक सेठ गॉर्डन को ऐसा लगा कि प्रियंका चोपड़ा ज़्यादा बढ़िया चुनाव हो सकती है। प्रियंका चोपड़ा ने प्रस्ताव मिलते ही इसे मंज़ूर कर लिया। फिल्म को स्वीकार करने के पीछे बचपन भी छुपा था। प्रियंका चोपड़ा ने याद करते हुए कहा था, "मैं और मॉम की पसंदीदा सीरीज थी बेवॉच। मुझे सीरीज का थीम सांग पसंद था।" दर्शक प्रियंका चोपड़ा को विक्टोरिया लीडस् के किरदार में २५ मई से देख सकेंगे, जब फ़िल्म बेवॉच भारत में रिलीज़ होगी।
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गर्मागर्म
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday, 3 May 2017
अमिताभ ने ‘सरकार 3’ के लिए गाई गणेश आरती
बॉलीवुड
के मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने आगामी फिल्म ‘सरकार 3’ में
एक गणेश आरती के लिए अपनी आवाज दी है. फिल्मकार रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘सरकार’ की
तीसरी कड़ी में भी 74 वर्षीय अभिनेता ‘सुभाष नागरे’ के
किरदार को निभाते दिखेंगे. यह
रामगोपाल वर्मा की सरकार सीरीज की तीसरी फिल्म है। खास चीज है फिल्म में शामिल
गणपति बप्पा की आरती जिसे खुद अमिताभ बच्चन ने आवाज दी है। इस गाने को रोहन विनायक
ने कंपोज किया है। इस गाने की शूटिंग मुंबई के एक बीच पर की गई। इसमें गणपति बप्पा
के विसर्जन का सीन फिल्माया गया है। जिसमें बप्पा की एक विशाल मूर्ति दिखाई गई है।
इस
गाने के बारे में बात करते हुए अमिताभ बच्चन ने बताया, गणेश
आरती में कुछ ऐसा है जो आपने अंदर एक अच्छी भावना पैदा करना है। यह अलग और देर तक
दिमाग में रहने वाला है। संत रामदास ने इस आरती को 16वीं सदी में राग जोगिया में
बनाया था। गाने के बोल मराठी में हैं। जिस तरह से आरती बनाई गई है वह भाषा के सभी
बंधनों को तोड़ती है। मैं अपने आप को बहुत खास मानता हूं कि मुझे आरती गाने का
मौका मिल। मैंने सिद्धिविनायक में भी आरती गाई थी। जब मैंने इस बारे में राम गोपाल
वर्मा से बात की तो मैंने उन्हें सुझाया कि क्यों ना हम फिल्म के लिए भी कुछ ऐसा
करें। हमने इसे एक अलग टोन दी है। लेकिन इसके भाव वही हैं। फिल्म
का पहला पार्ट साल 2005 में आया थो जो काफी लोकप्रिया हुआ था। उस फिल्म में
एक्ट्रेस कैटरीना कैफ और अभिषेक बच्चन मुख्य किरदार में थे। इस फिल्म का दूसरा
पार्ट 2008 में रिलीज किया गया जिसमें में अभिषेक बच्चन के अपोजिट ऐश्वर्या राय
बच्चन भी नजर आईं। दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स आॅफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था।
इस
बार फिल्म की स्टार कास्ट में भी काफी बदलवा है। सरकार 3 में फिल्म में एक बार फिर
अमिताभ सुभाष नागर के किरदार में होंगे और अमिताभ बच्चन के अलावा रोनित रॉय, जैकी
श्रॉफ, मनोज वाजपेयी, अमित साध और
यामी गौतम प्रमुख भूमिकाएं निभा रहे हैं। काबिल एक्ट्रेस यामी गौतम भी अब तक
रोमांटिक रोल निभाती आई हैं लेकिन सरकार 3 में वह पहली बार नेगेटिव किरदार में नजर
आएंगी।
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Monday, 1 May 2017
विक्रम भट्ट : सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया !
हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में फिल्म निर्माता-निर्देशक विक्रम भट्ट ने क़ुबूल किया है कि उन्होंने सुष्मिता सेन के लिए अपनी बीवी और बच्चों को धोखा दिया, उन्हें दुःख पहुंचाया। विक्रम भट्ट बात कर रह थे, उस दौर की जब वह गुलाम से पॉपुलर नहीं हुए थे। उनकी टेली फिल्म जनम पसंद की गई थी, उन्हें सराहना मिली थी। लेकिन, उनके द्वारा निर्देशित फ़िल्में मदहोश, गुनहगार, बम्बई का बाबू और फरेब फ्लॉप हो चुकी थी। उसी दौरान, महेश भट्ट एक फिल्म दस्तक निर्देशित कर रहे थे। इस फिल्म के लेखक विक्रम भट्ट ही थे। इस फिल्म की नायिका १९९४ की मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन थी। फिल्म के निर्माण के दौरान २१ साल की सुष्मिता सेन के साथ २७ साल के विक्रम भट्ट का रोमांस गर्म होने लगा। विक्रम भट्ट मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन के प्रेमी के बतौर पहचाने जाने लगे। उन्होंने मैगज़ीन के सामने क़बूल किया कि वह उस समय तक सुष्मिता सेन के प्रेमी के बतौर ही पहचाने जाते थे। गुलाम रिलीज़ नहीं हुई थी। मोहब्बत के इसी नशे में पत्नी गायत्री को बिलकुल भूल गए। दस्तक बुरी तरह से फ्लॉप हो गई। सुष्मिता सेन को समझ में आ गया कि वह विक्रम भट्ट के साथ अपना समय बर्बाद कर रही हैं। वह विक्रम भट्ट को रानी मुख़र्जी के साथ गुलाम बनाते छोड़ कर आगे बढ़ ली। विक्रम भट्ट भी सुष्मिता सेन की बेवफाई को लिसा रे, बिपाशा बासु, अमीषा पटेल, आदि अपनी फिल्मों की अभिनेत्रियों की वफ़ा में ढूंढने लगे। अब २१ साल बाद, जब वह हिट-फ्लॉप फिल्मों के चक्कर से उबर चुके हैं, विक्रम भट्ट को लग रहा है कि उन्होंने अपनी गृहस्थी खुद ही बर्बाद कर ली। पता नहीं अभी तक अविवाहित सुष्मिता सेन क्या सोचती होंगी !
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Sunday, 30 April 2017
Singer Duo Preeti and Pinky go Bald for their Single Song "Hungama Kyu Na Kare"
THINK
PINK! Venus Worldwide Entertainment Pvt. Ltd. launches Indipop duo
Preeti-Pinky's went Bald for their new single "Hungama Kyu Na Kare"
which will propel every cancer patient to fight against the disease.
"Every
woman going through a battle with cancer needs a good fighting song, and you’ll
find it in this. We want their lives to be as beautiful as it is for a non-
cancer patient" says singers Preeti & Pinky who launched their song at
Adani Reality presents Gauravvanta Gujrati Awards 2017 . Chairman and Founder
of Adani Group - Gautam Adani & wife Priti Adani unveiled the song & spoke lengths about
the song & Preeti & Pinky's bold
step to go bald to bring out the pain & struggle of all those women who are
going through cancer & survived the disease.
"We
want to change the mindset of the society. Beauty is not only exterior, it
takes a lot to fight a disease as bad as cancer which has adverse effects on a
woman's body & mind. During their course of treatment they not only lose
their hair but also lose their confidence. Through this song we wish to lift
their confidence & extend a helping hand to them" adds Preeti &
Pinky
Champak
Jain of Venus Worldwide Entertainment Pvt. Ltd. says "Venus as a company
stands by every noble initiative which aims to bring a difference in the
society. Preeti & Pinky's fan base is extremely strong, hence it will reach
out to as many people. We are proud to be releases this song under Venus Worldwide
Entertainment Pvt. Ltd"
Samasth
Gujarat Brahm Samaj has also extended their support and felicitated Preeti and
Pinky in 'Brahm Mahasammelan' for this bold move.An
anthem by Indipop duo Preeti-Pinky " Hungama Kyu Na Kare" who are
striking a chord about cancer awareness “I am not my hair / I am not this skin
/ I am a soul that lives within" with a mention of a woman losing her hair
to chemo, this one’s sure to resonate with any woman having to part with her
locks on the journey toward health.The song
" Hungama Kyu Na Kare" is absolutely stunning, and will resonate with
survivors and supporters and fighters alike. The music video features
Preeti-Pinky who tuned bald especially for the song to bring out the message
"Fight cancer not confidence". The song is dedicated to every woman
who has lost her self confidence due to the harmful effects of cancer.
Video
Song: Hungama Kyu Na Kare; Video Director: Baba; Video Artiste:Preety and
Pinky; Singer: Preety and Pinky; MUSIC: Sanjeev Srivastava; LYRICS: Shaheen
Iqbal; Programming & Guitars: Kalyan Baruah; Add Programming: Jatin Sharma
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Friday, 28 April 2017
कांस फिल्म फेस्टिवल में चीनी फिल्म
कांस फिल्म फेस्टिवल २०१७ में अन सर्टेन रिगार्ड सेक्शन में चीनी फिल्म डायरेक्टर ली रुइजुन की फिल्म वॉकिंग पास्ट द फ्यूचर शामिल की गई है। फेस्टिवल के आयोजकों का यह अपनी शर्मिंदगी कम करने का प्रयास माना जा रहा है। ध्यान रहे कि जब फेस्टिवल में इस सेक्शन के अंतर्गत दिखाई जाने वाली फिल्मों की लिस्ट जारी हुई थी तो इसमे कोई चीनी फिल्म शामिल नहीं थी। पिछले साल के फिल्म फेस्टिवल में भी कोई चीनी फिल्म शामिल नहीं थी। इसे चीनी फिल्मकारों को कमतर आंकने का आयोजकों का प्रयास माना जा रहा था। लेकिन, अब वाकिंग पास्ट द फ्यूचर के शामिल हो जाने के बाद सब ठीक हो गया लगता है। इस फिल्म की नायिका चीन की बड़ी एक्ट्रेस यांग ज़िशान हैं। फिल्म एक युवती की कहानी है जो अपने माता पिता को अपने गृह राज्य गांसू में अच्छी सुविधा मुहैया कराने के लिए दक्षिण शहर शेनज़्हेन में पिछले बीस सालों से नौकरी कर रही है। निर्देशक ली की यूरोपियन फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने वाली तीसरी फिल्म है। ली की फिल्म फ्लाई विथ द क्रेन २०१२ का ६९वे वेनिस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हुआ था। २०१३ बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में ली की फिल्म रिवर रोड दिखाई गई थी।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 27 April 2017
ले मश्क : रहमान की सुगन्धित संगीत यात्रा !
हिंदुस्तान के ऑस्कर पुरस्कार विजेता संगीतकार एआर रहमान अब एक नई भूमिका में नज़र आने वाले हैं । वह सिनेमेटिक वर्चुअल रियलिटी इमर्सिव तकनीक पर आधारित लघु फिल्म ले मस्क से बतौर निर्देशक डेब्यू कर रहे है। यह एक १९९२ से प्रचलित तकनीक है। परन्तु, भारत में यह विधा ख़ास लोकप्रिय नहीं है । रहमान की फिल्म की शूटिंग रोम में हुई है। नोरा अरनेजडर, गय बर्नेट, मरियम ज़ोहरबयान और मुनिरी ग्रेस अभिनीत फिल्म ले मस्क अनाथ जूलिएट की यात्रा कथा है, जो ढेरो धनसम्पति की उत्तराधिकारी है, जिसे संगीत और मुस्कान सेंट से प्रेम है। उसकी ज़िन्दगी में बड़ा मोड़ तब आता है, जब उसके पास एक गुमनाम चिट्ठी आती है, जो उसके रहस्यपूर्ण अतीत के पन्ने खोल देती है। कल इस फिल्म के दो पोस्टर रिलीज़ हुए। इनमे से एक पोस्ट में नोरा लाल में सुगंध में डूबी संगीत का आनंद लेती नज़र आ रही हैं। इस फिल्म को रहमान ने ही लिखा है और इसका संगीत तैयार किया है।
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
दीपिका पादुकोण का राब्ता ट्रैक
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नहीं रहे विनोद खन्ना
यह ७ फरवरी १९६९ का शुक्रवार था। निर्माता सुनील दत्त की ए सुब्बा राव निर्देशित फिल्म मन का मीत रिलीज़ हो रही थी। सुनील दत्त ने मन का मीत अपने भाई सोम दत्त को नायक बनाने के लिए बनाई थी। इस फिल्म से चार नए चेहरे- सोम दत्त के अलावा लीना चंद्रावरकर, संध्या और विनोद खन्ना का फिल्म डेब्यू हो रहा था। सिनेमाघरों के बाहर दर्शकों की भीड़ जुटी थी तो इसलिए कि फिल्म के पोस्टरों में लीना चंद्रावरकर की उघड़ी छाती वाले पोस्टर आँखों को सुख दे रहे थे और वह इस अभिनेत्री का मीट यानि जिस्म देखना चाहते थे । इस एक्शन फिल्म में भी वास्तव में ऐसा ही कुछ था। लीना चंद्रावरकर उदार अंग प्रदर्शन कर रही थी। मगर, फिल्म जिस सोम दत्त के लिए बनी थी, वह बिलकुल फीके थे। लीना के साथ उनकी जोड़ी मिसमैच हो रही थी। संध्या भी फीकी थी। बाद में, लीना चंद्रावरकर के उदार अंग प्रदर्शन के कारण फिल्म समीक्षकों के द्वारा यह फिल्म मैन का मीट घोषित की गई। फिल्म में अपने अभिनय और व्यक्तित्व से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया फिल्म के विलेन प्राण की भूमिका करने वाले अभिनेता विनोद खन्ना ने । चॉकलेटी चेहरे और गड्ढे वाली ठोड़ी वाले बुलंद आवाज़ विनोद खन्ना में दर्शकों को हीरो मैटेरियल मिला। अविभाजित भारत के पेशावर प्रान्त में ६ अक्टूबर १९४६ को जन्मे विनोद खन्ना के माता पिता विभाजन के बाद भारत आ गए। विनोद खन्ना ने दिल्ली और बॉम्बे के बढ़िया स्कूलों में पढ़ाई की। देवलाली नाशिक के बर्न्स स्कूल में पढ़ाई के दौरान विनोद खन्ना ने मुग़ल-ए- आज़म और सोलवा साल देखी और फिल्मों के दीवाने बन गए। सिडेन्हम कॉलेज मुंबई में कॉमर्स से ग्रेजुएट बने। मन का मीत के दर्शकों को विनोद खन्ना में हीरो मटेरियल मिला। मगर विनोद खन्ना को फिल्मकारों में बतौर रोमांटिक हीरो अपना विश्वास ज़माने में छह फिल्मों में सह भूमिकाएं करने पड़ी। क्योंकि, उनकी पहली बतौर हीरो फिल्म नतीजा बुरी तरह से असफल हुई थी । इस फिल्म में विनोद खन्ना की नायिका बिंदु थी, जो बाद में बड़ी वैम्प बनी। विनोद खन्ना को बतौर रोमांटिक नायक स्थापित किया निर्देशक शिव कुमार की फिल्म हम तुम और वह (१९७१) ने। इस फिल्म में विनोद खन्ना की नायिका भारती थी। दक्षिण की स्टार भारती ने विनोद खन्ना के साथ पूरब और पश्चिम भी की थी। इस दौरान विनोद खन्ना ने सच्चा झूठा, मस्ताना, आन मिलो सजना, पूरब और पश्चिम, जाने अनजाने, ऐलान, रेशमा और शेरा, प्रीतम, रखवाला, हंगामा, मेरे अपने, मेरा गांव मेरा देश और मेम साब जैसी फिल्में में सह भूमिकाएं की। इनमे ज़्यादातर अच्छे व्यक्ति वाली भूमिकाएं थी। हम तुम और वह के बाद विनोद खन्ना का सितारा बुलंद हो गया। एक समय वह उस समय के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के लिए इकलौती चुनौती थे। उस समय, जबकि वह बॉलीवुड के सबसे टॉप के अभिनेता साबित हो रहे थे, विनोद खन्ना ने ओशो आश्रम जाने के लिए फिल्मों से संन्यास ले लिया। पांच साल बाद उनकी वापसी हुई। उन्होंने मल्टी स्टार कास्ट फिल्म ज़मीन (संजय दत्त, रजनीकांत, माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी के साथ) से सफल वापसी की। इन्साफ और सत्यमेव जयते से उन्होंने खुद को सोलो हीरो साबित किया। मगर उन्हें सितारा बहुल और एक्शन फ़िल्में ही ज़्यादा मिली। उन्होंने १९९७ में अपने बेटे अक्षय खन्ना को हीरो बनाने के लिए फिल्म हिमालयपुत्र का निर्माण किया। विनोद खन्ना ने लगभग १३७ फ़िल्में की, जिनमे ५४ सोलो हीरो थी। हीरो राजेश खन्ना वाली उनकी सच्चा झूठा, आन मिलो सजना, प्रेम कहानी, कुदरत और राजपूत सुपरहिट हुई। उनकी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म परवरिश, ज़मीर, हेरा फेरी, खून पसीना, अमर अकबर अन्थोनी और मुकद्दर का सिकंदर सुपर हिट फ़िल्में थी। उनकी मेरे अपने, गद्दार, अचानक, आरोप, कच्चे धागे, फरेबी, इम्तिहान, क़ैद, इंकार, इन्साफ, जुर्म, क्रांति, शक, मीरा, रिहाई, ९९, पहचान: द फेस ऑफ़ ट्रुथ, रेड अलर्ट : द वॉर वीथिन को दर्शकों के साथ साथ फिल्म समीक्षकों ने भी सराहा। विनोद खन्ना ने तीन पीढ़ी की अभिनेत्रियों सायरा बानो, मुमताज़, योगिता बाली, रेखा हेमा मालिनी, शबाना आज़मी, नीतू सिंह, मीनाक्षी शेषाद्रि, पूनम ढिल्लों, करिश्मा कपूर और अमीषा पटेल के साथ अभिनय किया। २०१५ में रिलीज़ शाहरुख़ खान के साथ फिल्म दिलवाले में वह चरित्र भूमिका में थे। दबंग में सलमान खान और अरबाज़ खान के पिता की भूमिका में उन्हें काफी पसंद किया गया। विनोद खन्ना ने दो शादिया की। पहली पत्नी गीतांजलि से उन्हें अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना तथा दूसरी पत्नी कविता से एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा का जन्म हुआ। वह दुनिया की बढियाँ कारों के शौक़ीन थे। उनके गेराज में बीएमडब्ल्यू, मर्सेडीज़, पॉर्श और कैडिलक गाड़ियां खडी रहती थी। १९९७ में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए गुरदासपुर से सांसद बने। २००२ में केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किये गए। २०१४ में वह फिर सांसद चुने गए। कैंसर से जूझ रहे विनोद खन्ना की तस्वीरें देख कर उनके प्रशंसक चौंक पड़े थे। इतना खूबसूरत व्यक्ति इस दशा को पहुँच गया है ! फ़िरोज़ खान और विनोद खन्ना समकालीन एक्टर थे। दोनों बेहद अच्छे दोस्त थे। दोनों को ही कैंसर था। दोनों की ही मृत्यु २७ अप्रैल को हुई। श्रद्धांजलि विनोद खन्ना।
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श्रद्धांजलि
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सलीम खान ने दी ट्यूबलाइट को कैचलाइन- क्या तुम्हे यकीन है
सलमान खान हमेशा से अपने
पिता सलीम खान को अपना सबसे बड़ा क्रिटिक समझते आये है। उन्होंने अपने कई इंटरव्यूज में भी कहा है कि उन्हें अपनी फिल्म के बारे में जो रिएक्शन अपने पिता सलीम खान से मिलता है, वही रिएक्शन ऑडियंस से भी मिलता आया है। सिर्फ सलमान ही नहीं फिल्म ट्यूबलाइट के निर्देशक कबीर खान का भी यही मानना है। इस बारे में कबीर खान कहते हैं, "मैंने जब सलीम साहेब को फिल्म ट्यूबलाइट का फर्स्ट कट
दिखाया। जब वह एडिट रूम से बाहर निकले तो बिना कुछ कहे उन्होंने मुझे कास कर गले लगा लिया। वह बोले मुझे और कुछ कहने की ज़रूरत है क्या !" कबीर
खान आगे कहते हैं, "मैं शूटिंग से पहले अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट सलीम साहेब को ज़रूर
सुनाता हूँ। उनके द्वारा दिए गए इनपुट्स हमेशा से ही मेरे लिए सही
साबित हुए है। सलीम साहेब ने मेरी स्क्रिप्ट पर विशेष ध्यान दिया है। फिल्म ट्यूबलाइट के लिए भी उन्होंने कुछ पॉइंटर्स दिए, जो फिल्म
की पटकथा को और भी बेहतरीन बनाते है। वास्तव में, पोस्टर की
कैचलाइन - क्या तुम्हे यकीन है भी उनका ही अविष्कार है।"
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Wednesday, 26 April 2017
दुनिया को आतंक से बचाने वाला नया अमेरिकी हीरो !
अपने पोलिटिकल थ्रिलर उपन्यासों के लिए मशहूर लेखक विन्स फ्लिन के २०१० में प्रकाशित उपन्यास अमेरिकन असैसिन पर स्टीफेन स्चीफ़, माइकल फिंच, एडवर्ड ज़्विक और मार्शल हर्स्कोविट्ज़ की पटकथा पर आधारित फिल्म अमेरिकन असैसिन १५ सितम्बर को रिलीज़ के लिए तैयार है। यह फिल्म सीआईए के अश्वेत सदस्य मिच रैप पर केंद्रित हैं। एक आतंकी हमले में मिच अपनी महिला मित्र को खो देता है। सीआईए की उपनिदेशक आइरीन कैनेडी अपने शीत युद्ध के दौर के अनुभवी अधिकारी स्टेन हर्ले को मिच रैप को आतंकियों के खात्मे के लिए खतरनाक युद्ध कला सिखाने के लिए तैनात करती है। यह दोनों, जब आतंकियों के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमले की जांच करने जुटते हैं तो पाते हैं कि इसमें एक ख़ास पैटर्न है। इसकी खोज उन्हें टर्की एजेंट के पास पहुंचाती है, जो मध्य पूर्व में विश्व युद्ध छेड़ने की योजना बना रहे एक सरगना को ख़त्म करने के प्रयास में है। इस फिल्म में मिच रैप की भूमिका में डिलन ओब्रिएन ने की है। माइकल कीटन ने स्टेन हर्ले, सना लेथन ने आइरीन कैनेडी, शिवा नेगर ने टर्की एजेंट और टेलर कित्स ने षडयंत्रकारी की भूमिका की है। अभी अमेरिकन असैसिन रिलीज़ नहीं हुई है। लेकिन, इसके सीक्वल का ऐलान कर दिया गया है। विन्स फ्लिन के उपन्यास पर फिल्म पर काम २०११ में ही शुरू हो गया था। एडवर्ड ज़्विक को डायरेक्शन की कमान सौंपी गई। ज़्विक ने द लास्ट समुराई, जैक रीचर: नेवर गो बैक और लव एंड अदर ड्रग्स के लेखक साथी मार्शल हर्स्कोविट्ज़ के साथ पटकथा लिखनी शुरू की। लेकिन, द ग्रेट वाल के लिए उन्होंने यह फिल्म छोड़ दी। फिर जेफ्री नाशमैनोफ़ को यह कमान सौंपी गई। जेफ्री भी बीच में ही फिल्म छोड़ गए। इसके बाद फिल्म की पटकथा में बार बार फेरबदल का सिलसिला शुरू हो गया। मिच रैप के किरदार के लिए क्रिस हेम्सवर्थ ने १० मिलियन डॉलर के ऑफर को नकार दिया। उस समय ब्रूस विलिस को स्टेन हर्ले बनाया जाना था । माइकल क्यूएस्टा को निर्देशन की कमान सौंपे जाने के बाद ही अमेरिकन असैसिन के काम में तेज़ी आई। विन्स फ्लिन ने मिच रैप करैक्टर पर १३ उपन्यास लिखे हैं। उनके ११वे उपन्यास पर फिल्म बनाई जा रही है। फ्लिन का ११वा उपन्यास अमेरिकन असैसिन की पहली कहानी है। इसमें युवा मिच रैप को पहली बार दिखाया गया था। अमेरिकन असैसिन पर फिल्म निर्माण के दौर में ही, २०१३ में विन्स फ्लिन का प्रोस्ट्रेट कैंसर से देहांत हो गया। खबर यह भी है कि मिच रैप के करैक्टर को केंद्र में रख कर विन्स फ्लिन ने कोई १३ उपन्यास लिख रखे हैं। अमेरिकन असैसिन के प्रोडूसरो लायंसगेट और सीबीएस फिल्म्स का इरादा इन सभी उपन्यासों पर फ़िल्में बनाने का है।
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स्टार किड्स को स्टार बनाते हैं दर्शक !
कंगना रनौत ने बहस को हवा दे दी है। करण जौहर के शो कॉफी विथ करण में पूछे जाने पर कंगना रनौत ने कहा कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है। इसके साथ ही बॉलीवुड के अलग अलग तबकों से बयानों का सिलसिला चल निकला है। कंगना के बयान का समर्थन करने वाले जितने हैं उतने ही इसका विरोध करने वाले भी हैं। शो कॉफी विथ करण के होस्ट करण जौहर ने खंडन किया कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है। उन्होंने कहा, "मैंने कभी अपने घर के लोगों के साथ काम नहीं किया। मैंने धर्मा प्रोडक्शन की फिल्मों से कई ऐसे लोगों को मौका दिया, जो बाहरी थे।"
करण जौहर की फिल्मों में भाई भतीजावाद
क्या बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है ? अगर है तो किस हद तक है ? अगर है तो क्यों हैं ? क्या बाहरी एक्टर्स को मौक़ा मिलता है ? यदि मिलता है तो कितना और कैसा ? क्या इन एक्टर्स को भी स्टार संस या डॉटर की तरह बार बार मौका मिलता है? जिस शो कॉफी विथ करण से इस बहस की शुरुआत हुई है और इसके होस्ट करण जौहर के बयान को ही लें। वह कहते हैं कि मैंने अपनी फिल्मों से कई बाहरी लोगों को मौक़ा दिया है। निर्माता करण जौहर के खाते में कोई ३४ फ़िल्में दर्ज़ हैं। ज़्यादातर में स्टार संस या काजोल, रानी मुख़र्जी, शाहरुख़ खान, अमिताभ बच्चन, अर्जुन कपूर, हृथिक रोशन, करीना कपूर, इमरान खान, रणबीर कपूर, आदि अभिनय कर रहे थे। स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर में उन्होंने डेविड धवन के बेटे वरुण धवन और महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट को बड़ा मौका दिया। शानदार में पंकज कपूर के बेटे शाहिद कपूर के साथ आलिया भट्ट थी। हँसी तो फांसी, २ स्टेट्स और कपूर एंड संस से लेकर बद्रीनाथ की दुल्हनिया तक घुमा फिरा कर स्टार संस और डॉटर ही थे। उनकी आगामी फिल्मों में शुद्धि में आलिया भट्ट और वरुण धवन, मोहित सूरी निर्देशित अनाम फिल्म में वरुण धवन और सैफ अली खान तथा इत्तफ़ाक़ में शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा भी स्टार संस और डॉटर हैं।
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, इसका प्रमाण आज के बड़े सितारों में सलमान खान और आमिर खान हैं। इन दोनों के पिता बॉलीवुड के बड़े नाम थे। संजय दत्त के माता-पिता हिंदी फिल्मों की बड़ी हस्तियां थी। सनी देओल और बॉबी देओल अभिनेता धर्मेंद्र के बेटे हैं। वरुण धवन के पिता डेविड धवन मशहूर फिल्म निर्देशक हैं। अर्जुन कपूर फिल्म निर्माता बोनी कपूर और हृथिक रोशन निर्देशक राकेश रोशन के बेटे हैं। रणबीर कपूर,करीना कपूर के पीछे बॉलीवुड के पहले फिल्म परिवार कपूर परिवार का आभा मंडल है। आलिया भट्ट के पिता महेश भट्ट प्रतिष्ठित फिल्मकार हैं। काजोल और रानी मुख़र्जी भी फिल्म निर्माण से जुडी बड़ी हस्तियों के घरानों से थी। दरअसल, फिल्म निर्माण एक जुआ है। जो दीखता है, वही बॉक्स ऑफिस पर बिकता है। किसी स्टार किड्स को लांच करने में रातोंरात प्रचार पाने में आसानी होती है। दर्शकों के बीच भी वह चेहरा चर्चित होता है। यही कारण है कि डेविड धवन के बेटे वरुण धवन इस बहस से बचना चाहते हैं। वरुण धवन कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं सोचता। वैसे में इस मामले में ज़्यादा बात करना नहीं चाहता।"
इसके बावजूद बाहरी एक्टरों की मौजूदगी भी है। अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित से लेकर शाहरुख़ खान, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, विद्युत् जम्वाल और कंगना रनौत तक सब बाहरी हैं। अलबत्ता इन लोगों को आसानी से मौक़ा नहीं मिला। ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के इर्दगिर्द विश्व सुंदरी होने का आभा मंडल था। लेकिन, बाकियों के लिए सब आसान नहीं था। मर्दानी के खलनायक ताहिर राज भसीन को फिल्म पाने में डेढ़ साल तक एड़िया रगड़नी पड़ी। उन्हें विलेन के रोल से अपने करियर की शुरुआत करनी पड़ी। वह कहते हैं, "मेरी मर्दानी में खल भूमिका थी। ऎसी शुरुआत अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, मेरा यह रोल क्लिक कर गया। कहा नहीं जा सकता कि कौन सा फार्मूला काम कर जाएगा।" फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की पिछली फिल्म में छोटी भूमिका कर चुके अली फज़ल को पहला मौका राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स में छोटी भूमिका के रूप में मिला। अली फज़ल कहते हैं, "सबको टाइगर श्रॉफ, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसा मौका नहीं मिलता। लेकिन आखिर में आपका टैलेंट ही आपको लम्बी रेस का घोड़ा बनाता है।"
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, सभी इसे मानते हैं। लेकिन, साथ में को विशेषण जोड़ना नहीं भूलते। आजकल रियल लाइफ विवादित चरित्रों पर फिल्म बना कर मशहूर हो रहे हंसल मेहता ने एक गैर फिल्मी पृष्ठभूमि वाले एक्टर राजकुमार राव को बड़ा नाम बना दिया है। वह कंगना रनौत के साथ सिमरन बना रहे हैं। हंसल मेहता कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं मानता कि स्टार संस और डॉटर से आसानी से प्रचार मिलता है। मैं उन्हें भार ज़्यादा मानता हूँ। मैं खुद १८ साल से इंडस्ट्री में हूँ।" महेश भट्ट हिंदी फिल्मों के बड़े भट्ट खानदान के चश्मोचिराग हैं। उन्होंने कंगना रनौत को हिंदी फिल्मों में पहला मौका दिया था। वह कई नए चेहरों को सामने लाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन पूजा भट्ट को लांच करने वाले महेश भट्ट ने दूसरी बेटी आलिया को लांच नहीं। वह बॉलीवुड में भाई भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कंगना के कथन में काफी सच्चाई है। लेकिन, यह कहाँ नहीं है। हॉलीवुड में भी भाई भतीजावाद है। मैंने तो २८ साल पहले अनुपम खेर को सारांश जैसी फिल्म दी, उस समय अनुपम खेर को कोई नहीं जानता था।"
भाई भतीजावाद के बावजूद प्रतिभा की ही विजय होती है। सलमान खान, आमिर खान, हृथिक रोशन, काजल और रानी मुख़र्जी में दमखम नहीं होता तो क्या उनका करियर इतना लम्बा चल पाता ! कुमार गौरव, फरदीन खान, ज़ायद खान, बॉबी देओल, अभिषेक बच्चन, आदि का फिल्म इंडस्ट्री में आज क्या मुकाम है? अभिषेक बच्चन तो तब बीच इक्का दुक्का फ़िल्में कर रहे हैं। लेकिन बाकी का तो कोई नामलेवा नहीं है। महेश भट्ट कहते हैं, "यह दर्शक हैं, जो फैसला करते हैं कि कौन स्टार है और कौन नहीं । हममे यह ताक़त तो है कि हम किसी को मौक़ा दें, लेकिन यह ताकत नहीं कि तय कर सकें कि कौन फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।"
कंगना रनौत के बयान का सबसे पहले खंडन करने वाले करण जौहर यह भूल गए कि उन्हें बतौर निर्देशक पेश करने वाली फिल्म कुछ कुछ होता है के निर्माता उनके पिता यश जौहर थे। यश जौहर के कारण ही करण जौहर अपनी फिल्म के लिए शाहरुख़ खान और काजोल जैसे स्थापित जोड़े को ले पाए। करण जौहर को बतौर सह निर्देशक मौका मिला यश चोपड़ा के बैनर की फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे से। यहीं उनकी मुलाकात शाहरुख़ खान और काजोल से हुई। क्या करण जौहर जैसा बड़ा मौका किसी बाहरी निर्देशक को मिलता ? शायद कभी नहीं।
इसके बावजूद बाहरी एक्टरों की मौजूदगी भी है। अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित से लेकर शाहरुख़ खान, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, विद्युत् जम्वाल और कंगना रनौत तक सब बाहरी हैं। अलबत्ता इन लोगों को आसानी से मौक़ा नहीं मिला। ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के इर्दगिर्द विश्व सुंदरी होने का आभा मंडल था। लेकिन, बाकियों के लिए सब आसान नहीं था। मर्दानी के खलनायक ताहिर राज भसीन को फिल्म पाने में डेढ़ साल तक एड़िया रगड़नी पड़ी। उन्हें विलेन के रोल से अपने करियर की शुरुआत करनी पड़ी। वह कहते हैं, "मेरी मर्दानी में खल भूमिका थी। ऎसी शुरुआत अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, मेरा यह रोल क्लिक कर गया। कहा नहीं जा सकता कि कौन सा फार्मूला काम कर जाएगा।" फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की पिछली फिल्म में छोटी भूमिका कर चुके अली फज़ल को पहला मौका राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स में छोटी भूमिका के रूप में मिला। अली फज़ल कहते हैं, "सबको टाइगर श्रॉफ, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसा मौका नहीं मिलता। लेकिन आखिर में आपका टैलेंट ही आपको लम्बी रेस का घोड़ा बनाता है।"
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, सभी इसे मानते हैं। लेकिन, साथ में को विशेषण जोड़ना नहीं भूलते। आजकल रियल लाइफ विवादित चरित्रों पर फिल्म बना कर मशहूर हो रहे हंसल मेहता ने एक गैर फिल्मी पृष्ठभूमि वाले एक्टर राजकुमार राव को बड़ा नाम बना दिया है। वह कंगना रनौत के साथ सिमरन बना रहे हैं। हंसल मेहता कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं मानता कि स्टार संस और डॉटर से आसानी से प्रचार मिलता है। मैं उन्हें भार ज़्यादा मानता हूँ। मैं खुद १८ साल से इंडस्ट्री में हूँ।" महेश भट्ट हिंदी फिल्मों के बड़े भट्ट खानदान के चश्मोचिराग हैं। उन्होंने कंगना रनौत को हिंदी फिल्मों में पहला मौका दिया था। वह कई नए चेहरों को सामने लाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन पूजा भट्ट को लांच करने वाले महेश भट्ट ने दूसरी बेटी आलिया को लांच नहीं। वह बॉलीवुड में भाई भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कंगना के कथन में काफी सच्चाई है। लेकिन, यह कहाँ नहीं है। हॉलीवुड में भी भाई भतीजावाद है। मैंने तो २८ साल पहले अनुपम खेर को सारांश जैसी फिल्म दी, उस समय अनुपम खेर को कोई नहीं जानता था।"
भाई भतीजावाद के बावजूद प्रतिभा की ही विजय होती है। सलमान खान, आमिर खान, हृथिक रोशन, काजल और रानी मुख़र्जी में दमखम नहीं होता तो क्या उनका करियर इतना लम्बा चल पाता ! कुमार गौरव, फरदीन खान, ज़ायद खान, बॉबी देओल, अभिषेक बच्चन, आदि का फिल्म इंडस्ट्री में आज क्या मुकाम है? अभिषेक बच्चन तो तब बीच इक्का दुक्का फ़िल्में कर रहे हैं। लेकिन बाकी का तो कोई नामलेवा नहीं है। महेश भट्ट कहते हैं, "यह दर्शक हैं, जो फैसला करते हैं कि कौन स्टार है और कौन नहीं । हममे यह ताक़त तो है कि हम किसी को मौक़ा दें, लेकिन यह ताकत नहीं कि तय कर सकें कि कौन फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।"
कंगना रनौत के बयान का सबसे पहले खंडन करने वाले करण जौहर यह भूल गए कि उन्हें बतौर निर्देशक पेश करने वाली फिल्म कुछ कुछ होता है के निर्माता उनके पिता यश जौहर थे। यश जौहर के कारण ही करण जौहर अपनी फिल्म के लिए शाहरुख़ खान और काजोल जैसे स्थापित जोड़े को ले पाए। करण जौहर को बतौर सह निर्देशक मौका मिला यश चोपड़ा के बैनर की फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे से। यहीं उनकी मुलाकात शाहरुख़ खान और काजोल से हुई। क्या करण जौहर जैसा बड़ा मौका किसी बाहरी निर्देशक को मिलता ? शायद कभी नहीं।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
मिस बाला को डायरेक्ट करेंगी कैथरीन हार्डविक
सोनी द्वारा २०११ में रिलीज़ मैक्सिको की ड्रामा फिल्म मिस बाला का रीमेक बनाये जाने का ऐलान किया है। सोनी के लिए इस रीमेक का निर्देशन कैथरीन हार्डविक करेंगी। स्पेनिश भाषा में गेरार्डो नारंजो निर्देशित फिल्म मिस बाला एक ब्यूटी कांटेस्ट में हिस्सा लेने वाली लॉरा गुएरेरो की कहानी है, जो रिहर्सल के दौरान के हत्या की चश्मदीद बनती है। ह्त्या करवाने वाला ड्रग माफिया उसका अपहरण कर लेता है और उसे ड्रग सप्लाई के धंधे में धकेल देता है। स्पेनिश फिल्म कांन्स फिल्म फेस्टिवल के अनसर्टेन रिगार्ड सेक्शन में दिखाई गई थी। ८४वे ऑस्कर्स में यह मैक्सिको की प्रविष्टि थी। कैथरीन हार्डविक ने थर्टीन, ट्वाईलाईट, रेड राइडिंगहुड, प्लश और मिस यू आलरेडी जैसी फ़िल्में निर्देशित की हैं। सोनी के लिए मिस बाला को गैरेथ डुंनेट-अलकसर लिख रहे हैं।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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