महाराष्ट्र सरकार ने, अपने राज्य
के सभी सिनेमाघर मालिकों को आदेश दिया है कि वह सिने दर्शकों को बाहर से स्नैक्स ले जाने दे। महाराष्ट्र सरकार के यह आदेश १ अगस्त से प्रभावी
होंगे।
इससे फिल्म दर्शक सिनेमाघरों के
बाहर ठेला या खोमचा लगाए हॉकरों से सामान खरीद कर अंदर ले जा सकेंगे।
अगर ऐसा हो गया तो एक बार फिर सिनेमाघरों के
बाहर रौनक लौट आएगी।
कभी सिंगल स्क्रीन थिएटरों में मेला लगा रहता था।
पहले दिन, सिनेमाघरों
के बाहर सर ही सर नज़र आते थे। जाम की
स्थिति पैदा हो जाया करती थी।
ख़ास हुआ
करता था किसी फिल्म के मध्य मे होने वाला इंटरवल या मध्यांतर।
इंटरवल होते ही दर्शकों का रेला हॉल से निकल कर
या तो पेशाबघर या सड़क एक पार खड़े ठेलों और खोमचों पर दौड़ जाया करता था।
सिनेमाघर की इंटरवल की घंटी बजते ही सिनेमाघरों के बाहर
ठंडा पानी बेचने वाले अपने शीशे के गिलास खड़काते हुए,
अपनी ओर आने का इशारा किया करते थे।
गरम समोसे, लाइ-चना, भुट्टा,
आदि के गर्मागर्म होने की पुकार शुरू हो जाती थी। इन
सामानों की खुशबू दूर से ही दर्शकों के
नथुनों के ज़रिेये दिमाग में पैठ जाया करती थी।
दस मिनट के इंटरवल के दौरान सिनेमाघर के बाहर
गहमागहमी बढ़ जाया करती थी।
जैसे ही इंटरवल
ख़त्म होने की घंटी बजती दर्शक अपना स्नैक्स दबाये सिनेमा गेट की ओर दौड़ लगा लिया
करते थे।
पायरेसी, टीवी सीरियल, आदि के कारण
सिनेमाघरों को बड़ा झटका लगा। सिनेमाघरों
की हालत खस्ता होने लगी। उस समय तक
सिनेमाघर मालिक अपने थिएटरों का दूसरा व्यावसायिक उपयोग नहीं कर सकते थे। केवल स्नैक्स और ठंडा गर्म पेय पदार्थ ही सिनेमाघरों में बिका
करते थे। लेकिन,
इनकी भी बाहर खोमचा या ठेला लगाए हॉकर के सामान से कड़ी स्पर्द्धा हुआ करती
थी।
ऐसे में रेवेन्यू बढ़ाने का एक ही उपाय
सिनेमाघरों के मालिकों के पास था कि बाहर एक सामान अंदर न जा सके। सिनेमाघर के अंदर बंद दर्शक महँगा स्नैक्स खरीद
कर अपनी भूख मिटाये।
इस कारण से
सिनेमाघरों में चैनल गेट फिल्म ख़त्म होने तक बंद किये जाने लगे। अब दर्शक इंटरवल में सिनेमाघरों के चैनल गेट के पास तक नहीं खड़ा हो
सकता था। मल्टीप्लेक्स की संस्कृति से
सिंगल स्क्रीन थिएटर भी उत्साहित हुए।
सिनेमाघरों के बाहर सन्नाटा पसरा रहने लगा।
अब, १ अगस्त से महाराष्ट्र के थिएटरों के बाहर
ठेले और खोमचे सज जाएंगे। पहले की तरह
इंटरवल में बाहर निकले दर्शकों को आकर्षित करने के लिए गिलास खड़कने लगेंगे। गर्म समोसा भुट्टा की आवाज़ तेज़ और तेज़ होने
लगेंगी। सिनेमाघर सचमुच मनोरंजन का स्थल
बन जाएंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने इसके अलावा, मल्टीप्लेक्स
मालिकों से स्नैक्स के दाम बाज़ार भाव के बराबर लाने के लिए बात करनी शुरू कर दी है। अभी मल्टीप्लेक्स में ठन्डे पेय पदार्थ की बोतल
खोल कर उसका थोड़ा थोड़ा द्रव भारी दाम पर बेचा जाता हैं। स्नैक्स आदि भी काफी महंगे होते हैं।
बताते चलें कि महाराष्ट्र सरकार का यह आदेश, बॉम्बे हाई
कोर्ट के अप्रैल में दिए गए उस फैसले के बाद आया है, जिसमे हाई
कोर्ट ने साफ़ कर दिया कि मल्टीप्लेक्स दर्शकों को अपने सिनेमाघर के अंदर बाहर का सामान जाने
से नहीं रोक सकते।
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