एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म कर रहे हैं। फिलहाल, इस फिल्म को 'रमन राघव २.०८' टाइटल दिया गया है। अनुराग कश्यप की यह फिल्म मुंबई के १९६६ के उस कुख्यात सीरियल किलर रमन राघव पर है, जो रात में धातु या पत्थर का कोई कुंद हथियार ले लेता था और फूटपाथ पर सोये लोगों पर कहर बन कर टूट पड़ता था। इस हत्यारे के आतंक का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फूटपाथ पर लोग सोने में डरते थे। यहाँ तक कि अपार्टमेंट में भी लोग खिड़की के पास नहीं सोते थे। इस मानसिक रोगी हत्यारे ने ऐसे ही सोये हुए २३ लोगों को मौत के घाट उतारा। इस मनोरोगी हत्यारे के किरदार को लेकर नवाज़ बेहद उत्साहित हैं।
जब राजेश खन्ना बने सीरियल किलर
साइको और सीरियल किलर किरदार बॉलीवुड के फिल्मकारों और अदाकारों को भी खूब पसंद आते हैं। श्रीराम राघवन ने कॉलेज ग्रेजुएशन के दौरान रमन राघव पर के ४५ मिनट की डॉक्यु-ड्रामा फिल्म का निर्माण किया था। उनकी 'एक हसीना थी', 'जॉनी गद्दार' और 'बदलापुर' थ्रिलर फ़िल्में ही थी। दक्षिण के निर्माताओं को भी रमन राघव के सीरियल किलर किरदार ने फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया था। १९७८ में दक्षिण के मशहूर निर्देशक भारती राजा ने रमन राघव के करैक्टर को केंद्र में रख कर 'सिगप्पु रोजक्कल' यानि 'रेड रोजेज' का निर्माण किया था। इस फिल्म में सीरियल किलर की भूमिका कमल हासन ने निभाई थी। इस रोल के लिए कमल हासन को श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। दो साल बाद, भारती राजा ने इस फिल्म को हिंदी में 'रेड रोज' शीर्षक से बनाया। फिल्म में राजेश खन्ना ने सीरियल किलर की भूमिका की थी। लेकिन, कमल हासन की तमिल फिल्म 'सिगप्पु रोजक्कल' जहाँ सुपर हिट हुई थी, वहीँ हिंदी संस्करण को बुरी तरह असफलता का मुंह देखना पड़ा। क्योंकि, फिल्म की भूमिका राजेश खन्ना की रोमांटिक इमेज के विपरीत थी। इसलिए, उनके प्रशंसक दर्शकों ने नकार दिया। नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी को लेकर सीरियल किलर पर फिल्म बनाने वाले अनुराग कश्यप की फिल्म 'पांच' भी १९७६-७७ के दौरान के पुणे के चार सीरियल किलर दोस्तों राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी और मुनव्वर हारून शाह पर थी, जिन्होंने दस लोगों का क़त्ल किया थे। 'पांच' में यह भूमिकाएं केके मेनन, आदित्य श्रीवास्तव, विजय मौर्या और जॉय फर्नांडिस ने की थी। लेकिन, यह फिल्म आज भी डिब्बा बंद है।
सीरियल किलर ने बनाया शाहरुख़ को बादशाह
जी हाँ, थ्रिलर फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाना आसान नहीं होता। यह और ज़्यादा कठिन तब हो जाता है, जब ऎसी फिल्म साइकोलॉजिकल थ्रिलर हो। करेले पर नीम चढ़ता है, जब नायक सीरियल किलर हो। इमेज के विपरीत भूमिका किसी भी अच्छे एक्टर को धूल चटा सकती है। राजेश खन्ना के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। लेकिन, यह साइकोलॉजिकल किलर नायक किसी को टॉप पर भी पहुंचा सकता है। कम से कम अभिनेता शाहरुख़ खान इससे इंकार नहीं करेंगे। शाहरुख़ खान सात फ़िल्में कर लेने के बावजूद टीवी सीरियल 'फौजी' के अभिमन्यु राय ही बने हुए थे। लेकिन, १९९३ में जैसे ही एंटी हीरो फिल्म 'बाज़ीगर' की वह स्टार बन गए। इस फिल्म में वह बदला लेने के लिए शिल्पा शेट्टी को मारते थे। वह खुद को बचाने के लिए एक के बाद एक क़त्ल करते चले गए थे। १९९३ में ही रिलीज़ फिल्म 'डर' ने उन्हें टॉप पर पहुंचा दिया। शाहरुख़ खान ने होशियारी यह की कि उन्होंने बाद में ऎसी फ़िल्में करने से इंकार कर दिया। उन्हें 'करण-अर्जुन' और 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' ने रोमांटिक हीरो बना दिया।साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों में नायक या नायिका का शरीर से अधिक दिमाग काम करता दिखाया जाता है। यानि, साइकोलॉजिकल थ्रिलर फ़िल्में मनोविज्ञान पर निर्भर होती है। इसीलिए, बॉलीवुड में थ्रिलर फ़िल्में तो बहुत बनी, लेकिन साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों की संख्या ज़्यादा नहीं है। साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों के लिहाज़ से रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'कौन' बॉलीवुड की श्रेष्ठ थ्रिलर फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने मानसिक रूप से बीमार औरत का किरदार किया था। पूरी फिल्म एक कमरे में तीन किरदारों पर केंद्रित थी। उर्मिला मातोंडकर के साथ मनोज बाजपेई और सुशांत सिंह ने ऐसा रंग जमाया था कि दर्शक पूरे सन्नाटे के साथ 'कौन' को देखते रह जाते थे।
सौ करोड़ का सीरियल किलर
मानसिक रूप से बीमार सीरियल किलर किरदार के लिहाज़ से आमिर खान की फिल्म 'गजिनी' उल्लेखनीय है। इस फिल्म में आमिर खान के किरदार के सामने उसकी प्रेमिका की हत्या कर दी जाती है। किलर आमिर खान के करैक्टर के सर पर भी वार करता है। लेकिन, वह ज़िंदा बच जाता है। सर पर चोट के कारण खान के किरदार की याददाश्त कमज़ोर हो जाती है। उसे कभी कभी हत्या की धुंधली तस्वीर उसकी आँखों के सामने गुजराती है। वह इसका बदला लेने के लिए अपने शरीर पर सब लिख लेता है। तस्वीरों और नोट्स के ज़रिये खुद की पहचान करता है। बदला लेने के क्रम में ही वह एक के बाद कई बुरे किरदारों का खात्मा कर देता है। आमिर खान की एआर मुरुगोदास निर्देशित 'गजिनी' हिंदी फिल्मों में पहली सौ करोडिया फिल्म थी।
यह सभी फ़िल्में दिमागी अस्थिरता के कारण किलर बने किरदारों को दिखाने वाली फ़िल्में हैं। २००६ में रिलीज़ फिल्म 'अपरिचित' का नायक मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर का शिकार था। कभी वह और उसका परिवार अन्याय का शिकार हुआ था। इसलिए वह गलत काम करने वाले बुरे लोगों की हत्या करता चला जाता है। इस रोल को तमिल अभिनेता विक्रम ने किया था। लेकिन, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। जबकि, इसकी मूल तमिल फिल्म 'अंनियन' हिट हुई थी। फिल्म को कई अवार्ड्स भी मिले थे। भट्ट कैंप से २०११ में रिलीज़ 'मर्डर २' हॉलीवुड की फिल्म 'द साइलेंस ऑफ़ लैम्ब्स' और साउथ कोरियाई फिल्म 'द चेंजर' का चरबा थी। इस फिल्म में इमरान हाशमी एक कॉप बने थे। जैक्विलिन फर्नांडिस एक डांसर। लेकिन, फिल्म के केंद्र में प्रशांत नारायण, जो दिमागी रूप से बीमार एक ऐसा शख्स बने थे, जो पहले खूबसूरत लड़कियों को बहला कर अपने अड्डे लाता है। फिर औरतों की तरह सज कर उनका क़त्ल करता है। लाशें पास के कुँए में फेंक देता है। मोहित सूरी की 'मर्डर २' हिट हुई थी।
सबका प्रिय सीरियल किलर
साइको और सीरियल किलर किरदार बॉलीवुड के फिल्मकारों और अदाकारों को भी खूब पसंद आते हैं। श्रीराम राघवन ने कॉलेज ग्रेजुएशन के दौरान रमन राघव पर के ४५ मिनट की डॉक्यु-ड्रामा फिल्म का निर्माण किया था। उनकी 'एक हसीना थी', 'जॉनी गद्दार' और 'बदलापुर' थ्रिलर फ़िल्में ही थी। दक्षिण के निर्माताओं को भी रमन राघव के सीरियल किलर किरदार ने फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया था। १९७८ में दक्षिण के मशहूर निर्देशक भारती राजा ने रमन राघव के करैक्टर को केंद्र में रख कर 'सिगप्पु रोजक्कल' यानि 'रेड रोजेज' का निर्माण किया था। इस फिल्म में सीरियल किलर की भूमिका कमल हासन ने निभाई थी। इस रोल के लिए कमल हासन को श्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। दो साल बाद, भारती राजा ने इस फिल्म को हिंदी में 'रेड रोज' शीर्षक से बनाया। फिल्म में राजेश खन्ना ने सीरियल किलर की भूमिका की थी। लेकिन, कमल हासन की तमिल फिल्म 'सिगप्पु रोजक्कल' जहाँ सुपर हिट हुई थी, वहीँ हिंदी संस्करण को बुरी तरह असफलता का मुंह देखना पड़ा। क्योंकि, फिल्म की भूमिका राजेश खन्ना की रोमांटिक इमेज के विपरीत थी। इसलिए, उनके प्रशंसक दर्शकों ने नकार दिया। नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी को लेकर सीरियल किलर पर फिल्म बनाने वाले अनुराग कश्यप की फिल्म 'पांच' भी १९७६-७७ के दौरान के पुणे के चार सीरियल किलर दोस्तों राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी और मुनव्वर हारून शाह पर थी, जिन्होंने दस लोगों का क़त्ल किया थे। 'पांच' में यह भूमिकाएं केके मेनन, आदित्य श्रीवास्तव, विजय मौर्या और जॉय फर्नांडिस ने की थी। लेकिन, यह फिल्म आज भी डिब्बा बंद है।
सीरियल किलर ने बनाया शाहरुख़ को बादशाह
जी हाँ, थ्रिलर फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाना आसान नहीं होता। यह और ज़्यादा कठिन तब हो जाता है, जब ऎसी फिल्म साइकोलॉजिकल थ्रिलर हो। करेले पर नीम चढ़ता है, जब नायक सीरियल किलर हो। इमेज के विपरीत भूमिका किसी भी अच्छे एक्टर को धूल चटा सकती है। राजेश खन्ना के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। लेकिन, यह साइकोलॉजिकल किलर नायक किसी को टॉप पर भी पहुंचा सकता है। कम से कम अभिनेता शाहरुख़ खान इससे इंकार नहीं करेंगे। शाहरुख़ खान सात फ़िल्में कर लेने के बावजूद टीवी सीरियल 'फौजी' के अभिमन्यु राय ही बने हुए थे। लेकिन, १९९३ में जैसे ही एंटी हीरो फिल्म 'बाज़ीगर' की वह स्टार बन गए। इस फिल्म में वह बदला लेने के लिए शिल्पा शेट्टी को मारते थे। वह खुद को बचाने के लिए एक के बाद एक क़त्ल करते चले गए थे। १९९३ में ही रिलीज़ फिल्म 'डर' ने उन्हें टॉप पर पहुंचा दिया। शाहरुख़ खान ने होशियारी यह की कि उन्होंने बाद में ऎसी फ़िल्में करने से इंकार कर दिया। उन्हें 'करण-अर्जुन' और 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' ने रोमांटिक हीरो बना दिया।साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों में नायक या नायिका का शरीर से अधिक दिमाग काम करता दिखाया जाता है। यानि, साइकोलॉजिकल थ्रिलर फ़िल्में मनोविज्ञान पर निर्भर होती है। इसीलिए, बॉलीवुड में थ्रिलर फ़िल्में तो बहुत बनी, लेकिन साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों की संख्या ज़्यादा नहीं है। साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्मों के लिहाज़ से रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'कौन' बॉलीवुड की श्रेष्ठ थ्रिलर फिल्मों में शुमार की जाती है। इस फिल्म में उर्मिला मातोंडकर ने मानसिक रूप से बीमार औरत का किरदार किया था। पूरी फिल्म एक कमरे में तीन किरदारों पर केंद्रित थी। उर्मिला मातोंडकर के साथ मनोज बाजपेई और सुशांत सिंह ने ऐसा रंग जमाया था कि दर्शक पूरे सन्नाटे के साथ 'कौन' को देखते रह जाते थे।
सौ करोड़ का सीरियल किलर
मानसिक रूप से बीमार सीरियल किलर किरदार के लिहाज़ से आमिर खान की फिल्म 'गजिनी' उल्लेखनीय है। इस फिल्म में आमिर खान के किरदार के सामने उसकी प्रेमिका की हत्या कर दी जाती है। किलर आमिर खान के करैक्टर के सर पर भी वार करता है। लेकिन, वह ज़िंदा बच जाता है। सर पर चोट के कारण खान के किरदार की याददाश्त कमज़ोर हो जाती है। उसे कभी कभी हत्या की धुंधली तस्वीर उसकी आँखों के सामने गुजराती है। वह इसका बदला लेने के लिए अपने शरीर पर सब लिख लेता है। तस्वीरों और नोट्स के ज़रिये खुद की पहचान करता है। बदला लेने के क्रम में ही वह एक के बाद कई बुरे किरदारों का खात्मा कर देता है। आमिर खान की एआर मुरुगोदास निर्देशित 'गजिनी' हिंदी फिल्मों में पहली सौ करोडिया फिल्म थी।
यह सभी फ़िल्में दिमागी अस्थिरता के कारण किलर बने किरदारों को दिखाने वाली फ़िल्में हैं। २००६ में रिलीज़ फिल्म 'अपरिचित' का नायक मल्टीप्ल पर्सनालिटी डिसऑर्डर का शिकार था। कभी वह और उसका परिवार अन्याय का शिकार हुआ था। इसलिए वह गलत काम करने वाले बुरे लोगों की हत्या करता चला जाता है। इस रोल को तमिल अभिनेता विक्रम ने किया था। लेकिन, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। जबकि, इसकी मूल तमिल फिल्म 'अंनियन' हिट हुई थी। फिल्म को कई अवार्ड्स भी मिले थे। भट्ट कैंप से २०११ में रिलीज़ 'मर्डर २' हॉलीवुड की फिल्म 'द साइलेंस ऑफ़ लैम्ब्स' और साउथ कोरियाई फिल्म 'द चेंजर' का चरबा थी। इस फिल्म में इमरान हाशमी एक कॉप बने थे। जैक्विलिन फर्नांडिस एक डांसर। लेकिन, फिल्म के केंद्र में प्रशांत नारायण, जो दिमागी रूप से बीमार एक ऐसा शख्स बने थे, जो पहले खूबसूरत लड़कियों को बहला कर अपने अड्डे लाता है। फिर औरतों की तरह सज कर उनका क़त्ल करता है। लाशें पास के कुँए में फेंक देता है। मोहित सूरी की 'मर्डर २' हिट हुई थी।
सबका प्रिय सीरियल किलर
सीरियल किलर करैक्टर और थ्रिलर फिल्मों को दोनों खान अभिनेताओं शाहरुख़ खान और आमिर खान ने भी किया। बॉलीवुड के पहले सुपर सितारे राजेश खन्ना ने भी किया। उर्मिला मातोंडकर भी सीरियल किलर बनाने का मोह नहीं छोड़ पाई। साउथ के एक्टर्स में तो यह हिट है ही। कुछ दोयम दर्जे के एक्टर्स ने भी सीरियल किलर को अंजाम दिया। मोहित सूरी की २०१४ में रिलीज़ फिल्म 'एक विलेन' में अभिनेता रितेश देशमुख सीरियल किलर का किरदार कर रहे थे। यह व्यक्ति घर में अपनी बीवी से प्रताड़ित है। जब यह किसी औरत को गुस्सा करते चिल्लाते देखता है तो बेकाबू हो जाता है और उसकी हत्या कर देता है। संघर्ष फिल्म में आशुतोष राणा अमरता के लिए छोटे बच्चों की बलि दिया करते थे। विद्या बालन की सुपर हिट फिल्म 'कहानी' में शास्वत चटर्जी का बॉब विश्वास का करैक्टर हँसते हुए मासूम लोगों का क़त्ल कर देता था। इससे साफ़ है कि सीरियल किलर किरदार कई छोटे बड़े एक्टर एक्ट्रेस ने किये। काफी को सफलता भी मिली। लेकिन, लम्बी रेस का घोड़ा वही बने, जिन्होंने अपनी इमेज को तत्काल बदल लिया।३० अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में निर्देशक प्रवाल रमन कॉप आमोद कंठ की जुबानी सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज की कहानी सूना रहे हैं। अपनी चार्मिंग पर्सनालिटी के ज़रिये चार्ल्स खूबसूरत लड़कियों को फंसाता था और फिर मार देता था। बताते हैं कि उसे बिकिनी पहले औरतों की हत्या करने में मज़ा आता था। इसलिए उसे बिकिनी किलर का खिताब भी मिला था। फिल्म में चार्ल्स की भूमिका एक्टर रणदीप हुडा कर रहे हैं। देखने वाली बात होगी कि वह इस रियल लाइफ हत्यारे को रील लाइफ में किस संजीदगी से उभार पाते हैं।
No comments:
Post a Comment