Wednesday 2 December 2015

क्या 'बाजीराव' की 'मस्तानी' बनेगी अनारकली ?

संजयलीला भंसाली की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' मराठा पेशवा बाजीराव और एक मुग़ल कॉर्टेसन मस्तानी की प्रेम कहानी है।  यह नर्तकी केवल नृत्य गीत में पारंगत  तवायफ नहीं, बल्कि हथियार चलाने में सिद्धहस्त मस्तानी थी।  इस कहानी में कई पेच हैं, उतार चढ़ाव हैं, मोशन- इमोशन हैं, बाजीराव, मस्तानी और बाजीराव की पत्नी काशीबाई के टकराव का त्रिकोण भी है।  एक अच्छे शासक और समर्पित पति के चरित्र में किस प्रकार से बदलाव ले आती है एक राज नर्तकी, फिल्म  'बाजीराव मस्तानी' इसका प्रमाण है।  हिंदी फिल्मों में नर्तकी किरदार का अपना एक इतिहास है तो हिंदी फिल्मों में ऐतिहासिक नर्तकियां भी हैं।  इन किरदारों ने हिंदी फिल्मों को रोचक, मसालेदार, भव्य और दर्शनीय बना दिया है।
कॉर्टेसन यानि तवायफ/राज नर्तकी/गणिका 
यहाँ साफ़ करना ज़रूरी है कि कॉर्टेसन उर्दू में तवायफ होती है, जो नाचने गाने का काम यानि मुजरा करती है।  इससे, सभी सेक्स नहीं कर सकते।  वह अपने प्रेमी से  ही सेक्स करने को  राजी होती है। यह एक मर्द के प्रति वफादार भी होती है और खासी समझदार और जानकार भी। हिंदी फिल्मों में कॉर्टेसन यानि तवायफ दो रूपों में नज़र आती हैं।  एक काल्पनिक नर्तकियां जो नाचने गाने का काम करती हैं, समाज की ठुकराई हुई हैं।  हीरो उनसे प्यार करता है।  इनका कोई भी नाम हो सकता है।  लेकिन, अमूमन इन नर्तकियों के नाम के आगे जान या बाई लगा होता है।  मसलन साहबजान, हीरा बाई या मुन्नी बाई।  बॉलीवुड ने तवायफों के इसी रूप को कई फिल्मों में  दिखाया है।  कमाल अमरोही की फिल्म 'पाकीज़ा' भव्य फिल्मों में शुमार है।  यह एक नाचने गाने वाली तवायफ और एक नवाबजादे के प्रेम की कहानी है।  कमाल अमरोही ने इसे भव्य सेट्स, चमकदार, रंगीन और भारी भरकम पोशाकों वाले चरित्रों, दमकती शमाओं की रोशनी और मधुर संगीत से सजाया था।  इस फिल्म में मीना  कुमारी ने साहबजान और नर्गिस की दोहरी भूमिकाएं की थी।  फिल्म में नवाबजान और गौहरजान जैसे कोठों के किरदार भी थे।  इस फिल्म की नाटकीयता और अभिनय ने तमाम चरित्रों का वास्तविक जैसा एहसास कराया था।  तवायफ को महान साबित करने वाली साधना, तवायफ, आदि बहुत सी फ़िल्में सफल भी रही हैं। इन सबसे अलग है शरत चन्द्र चटर्जी के उपन्यास 'देवदास' की तवायफ चंद्रमुखी का चरित्र।  वह बिना किसी स्वार्थ के देवदास का सहारा बनती है।  
मुगलकाल की कई सुन्दर और शक्तिशाली तवायफों या राज नर्तकियों का जिक्र मिलता है।  अकबर के दौर में अनारकली की कहानी तो काफी मशहूर है। औरंगज़ेब भी मोती बाई के हुस्न और हुनर का दीवाना था।  शाहजहाँ के दौर में नूर बेगम और गौहर जान का ज़िक्र आता है। १९४१ में होमी वडिआ प्रोडक्शंस के अंतर्गत एक इंग्लिश फिल्म 'कोर्ट डांसर' या 'राज नर्तकी' रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म में पृथ्वी राजकपूर ने प्रिंस चन्द्रकीर्ति और साधना बोस ने राज नर्तकी का किरदार किया था। यह फिल्म इन दोनों की प्रेम कहानी थी। ऐसे कुछ दूसरी कॉर्टेसन यानि तवायफ यानि नगर वधु के किरदारों को हिंदी फिल्मकारों ने अपनी फिल्मों का केंद्रीय चरित्र बनाया है।  दिलचस्प तथ्य यह है कि इन किरदारों को करने में तत्कालीन बड़ी अभिनेत्रियों ने हिचक भी नहीं दिखाई।
अनारकली- थोड़ा ऐतिहासिक और थोड़ा काल्पनिक अनारकली और सलीम की रोमांस कथा पर सबसे अधिक फ़िल्में बनाई गई।  मूक फिल्मों के दौर में, १९२८ में आर एस चौधुरी ने दिनशा बिल्मोरिआ और रूबी मायर उर्फ़ सुलोचना को सलीम अनारकली बना कर फिल्म 'अनारकली' बनाई।  चौधुरी ने ही १९३५ में इसी स्टारकास्ट के साथ दूसरी अनारकली का निर्माण किया।  १९५३ में फिल्मिस्तान ने प्रदीप कुमार और बीना राय के साथ नन्दलाल जसवंतलाल के निर्देशन में एक और 'अनारकली' का निर्माण किया।  १९५५ में वेदांतम राघवैया के  निर्देशन में तमिल और तेलुगु में सलीम अनारकली की रोमांस कथा को सेलुलॉइड पर उतारा गया।  अंजलि देवी अनारकली, अक्केनि नागेश्वर राव सलीम और एस वी रंगा राव अकबर की भूमिका में थे। १९५८ में एक पाकिस्तानी फिल्म 'अनारकली' भी रिलीज़ हुई।  इस फिल्म में नूरजहाँ ने अनारकली का किरदार किया था।  मोहम्मद अफज़ल ने अकबर और सुधीर ने सलीम की  भूमिका की थी।  १९६१ में रिलीज़ हुई के आसिफ की शाहकार फिल्म 'मुग़ल ए आज़म' । इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार और मधुबाला ने क्रमशः अकबर, सलीम और अनारकली के किरदार किए थे। के आसिफ की फिल्म 'मुग़ल ए आज़म' से प्रभावित हो कर सलीम अनारकली की मोहब्बत की दास्ताँ पर एम कुंचक्को ने मलयालम फिल्म 'अनारकली' का निर्माण किया।  यह फिल्म १९६६ में रिलीज़ हुई।  प्रेम नज़ीर ने प्रिंस सलीम, सत्यन ने अकबर और के आर विजया ने अनारकली का किरदार किया था।
आम्रपाली- अम्बपाली या आम्रपाली ६००-५०० ईसा पूर्व के वैशाली नगर की कॉर्टेसन (राज नर्तकी या नगरवधू) थी।  वैशाली के लिच्छवि राजा मनुदेव ने जब  आम्रपाली को देखा तो वह उस पर आसक्त हो गया।  उसे अपने पास रखने की इच्छा से वह आम्रपाली की शादी के दिन उसके वर को मरवा देता है और आम्रपाली को वैशाली की नगर वधु घोषित कर देता है।  इस  कहानी में पेंच तब आता है, जब मगध शासक बिन्दुसार के पास वैशाली की नगर वधु की खूबसूरती के किस्से पहुंचते हैं।  वह आम्रपाली को पाने के लिए वैशाली पर आक्रमण कर देता है। आम्रपाली पर आचार्य चतुरसेन ने एक उपन्यास वैशाली की नगर वधु लिखा था। आम्रपाली पर अब तक दो हिंदी फ़िल्में बनाई जा चुकी है।  नन्दलाल जसवंतलाल के निर्देशन में १९४५ में रिलीज़ आम्रपाली में  आम्रपाली का मुख्य किरदार सबिता देवी ने किया था।  जगदीश सेठी और प्रेम अदीब अन्य भूमिकाओं में थे। दूसरी आम्रपाली १९६६ में रिलीज़ हुई।  इस फिल्म को लेख टन्डन ने निर्देशित किया था।  फिल्म में आम्रपाली की भूमिका वैजयंतीमाला ने की थी।  सुनील दत्त मगध सम्राट अजातशत्रु बने थे।  इस फिल्म की खासियत इसके शंकर जयकिशन की धुन पर सुमधुर गीत थे ।  इसके बावजूद फिल्म फ्लॉप हुई। हेमा मालिनी ने खुद के द्वारा प्रोडूस टीवी सीरीज वीमेन ऑफ़ इंडिया के अंतर्गत आम्रपाली पर एक कड़ी बनाई थी।
चित्रलेखा-  भगवती चरण वर्मा के इसी टाइटल वाले उपन्यास की  नायिका है चित्रलेखा, जो बाल विधवा है और मौर्या सम्राट की राज नर्तकी ।  चित्रलेखा को मौर्या साम्राज्य का सेनापति बीजगुप्त प्यार करता है।  एक संन्यासी कुमारगिरि भी उससे प्रेम करने लगता है और परिस्थितियोंवश उससे सम्बन्ध बनाता है।  इस कथानक पर किदार  शर्मा ने दो फ़िल्में बनाई।  पहली चित्रलेखा १९४१ में बनायी गई, जिसमे महताब ने चित्रलेखा, नंदरेकर ने बीजगुप्त और ए एस ज्ञानी ने कुमारगिरि का किरदार किया था।  दूसरी बार १९६४ में बनाई गई फिल्म 'चित्रलेखा' के निर्देशक किदार शर्मा ही थे।  चित्रलेखा, बीजगुप्त और कुमारगिरि की भूमिकाएं क्रमशः मीनाकुमारी, प्रदीप कुमार और अशोक कुमार ने की थी।  १९४१ की चित्रलेखा अभिनेत्री महताब के नग्न स्नान दृश्य के कारण चर्चित हुई।  १९६४ की चित्रलेखा के रोशन के संगीतबद्ध गीत भी काफी हिट हुए।
उमराव जान- मिर्ज़ा मोहम्मद हादी रुसवा के उपन्यास 'उमराव जान अदा का मुख्य किरदार है अमीरन बाई, जो अच्छी गज़लकारा थी।  अमीरन एक तवायफ थी, नवाब के दरबार में नाचने गाने वाली। वह नवाब सुलतान से प्रेम करने लगती है। इस उपन्यास पर पहले मुज़फ्फर अली ने १९८१ में फिल्म 'उमराव जान' का निर्माण किया।  रेखा और फारूख शेख की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त सफलता हासिल हुई।  फिल्म में ख़य्याम का संगीत भी हिट हुआ।  फिर जे पी दत्ता ने २००६ में फिल्म को ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन के साथ रीमेक किया।  फिल्म बुरी तरह से असफल हुई।
साहब जान- फिल्म उमराव जान के निर्माता निर्देशक मुजफ्फर अली ने हिंदी फिल्मों के इतिहास में १८५७ के बाद के अवध के एक दूसरे सफे को जोड़ने की कोशिश की थी।  भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के बाद इंग्लैंड से वापस लौटे राजा अमीर हैदर और कॉर्टेसन साहबजान की प्रेम कथा हैं मुज़फर अली की फिल्म 'जानिसार' ।  इस फिल्म में इमरान अब्बास ने अमीर हैदर और परनिया कुर्रेशी ने साहब जान का किरदार किया था। यह फिल्म बुरी  तरह से असफल हुई।
रेखा के तवायफ/गणिका किरदार- रेखा ने बहुत सी फिल्मों में राज नर्तकी की भूमिका की है। रेखा की दस श्रेष्ठ भूमिकाओं में उत्सव की वसंतसेना, कामसूत्र की रसदेवी और उमराव जान की अमीरन बाई के गणिका, तवायफ या राज नर्तकी के किरदार शामिल हैं।  रेखा पर यह किरदार कितने फबते होंगे, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दसारी नारायण राव की फिल्म ज्योति बने ज्वाला में मेहमान भूमिका में एक तवायफ का किरदार किया । रेखा का मुक़द्दर का सिकंदर का जोहरा बाई का किरदार अमर हो गया।  उमराव जान की अमीरन बाई  और कामसूत्र अ टेल ऑफ़ लव में उनका गणिका रसदेवी का किरदार राजनर्तकी भी है और सेक्स के आसन सिखाने वाली टीचर भी है ।
वसंतसेना- शूद्रक के संस्कृत नाटक 'मृच्छ्कटिकम' पर निर्माता शशि कपूर ने एक फिल्म 'उत्सव' बनाई थी। यह नाटक ईसा पूर्व पांचवी शताब्दी के प्राचीन उज्जयनी के प्रद्योत वंश के शासक पालक के शासन के दौरान की थी।  यह फिल्म राजनर्तकी (कोर्टेसन) वसंत सेना और उसके गरीब ब्राह्मण दोस्त चारुदत्त के प्रेम पर केंद्रित है।  वसंतसेना राज दरबार की नर्तकी है।  राजा के साले की नज़र उस पर है।  वह उसका अपहरण करवाने के लिए सैनिक भेजता है।  वसंतसेना भागती हुई चारुदत्त के घर में छिप जाती है।  इस फिल्म में वसंत सेना का किरदार रेखा ने किया था। शेखर सुमन ने चारुदत्त की भूमिका की थी। वसंतसेना पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री ने मृच्छकटिक (वसंतसेना) टाइटल से मूक फिल्म तथा फिर १९४१ में एक कन्नड़ फिल्म बनाई।
संजयलीला भंसाली की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' १८  दिसंबर को रिलीज़ होगी।  इस फिल्म के साथ ही हिंदी फिल्मों के साथ एक नयी तवायफ का किरदार जुड़ जायेगा।  फिल्म में मस्तानी का किरदार दीपिका पादुकोण कर रही हैं।  यह किरदार दीपिका के लिए बड़ी चुनौती जैसा होगा।  उनको चुनौती होगी अनारकली, जो उनके किरदार की तरह कॉर्टेसन थी।  अनारकली को किसी अकेली मधुबाला ने नहीं बनाया।  इस किरदार को जिस भी अभिनेत्री ने क्या सफल रही।  अलबत्ता, मधुबाला ने अनारकली को अपना चेहरा दे दिया।  क्या दीपिका पादुकोण मस्तानी को अपना चेहरा दे सकेगी ? १८ दिसंबर को सब साफ़ हो जायेगा।

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