Sunday, 13 December 2015

देर से पद्म विभूषण दिलीप कुमार !

भारत देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ९३ वर्षीय अभिनेता दिलीप कुमार का उनके घर जा कर पद्मविभूषण से सम्मान किया। दिलीप कुमार को यह सम्मान २०१५ के लिए दिया गया। दिलीप कुमार को, सही तौर पर कहें तो फिल्मों से अलग हुए २४ साल हो गए हैं। सही मायनों में उन्होने कैमरा इससे पहले से ही फेस नहीं किया होगा। उनकी लम्बे समय से बन रही दो फ़िल्में 'कलिंगा' और 'किला' या तो रिलीज़ नहीं हुई या इक्का दुक्का जगहों पर ही हुई। इसका मतलब साफ़ है कि कभी के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का फिल्म करियर ख़त्म हो चूका था। ऐसे में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का मतलब ही क्या हुआ। सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले भारतीय एक्टर के तौर पर गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके दिलीप कुमार की ट्रेजेडी यह रही कि प्रत्येक सरकारों ने उन्हें मान्यता देने में कजूसी की। १९८० में मुंबई के शेर्रिफ रह चुके दिलीप कुमार को पद्म भूषण तब मिला, जब १९९१ में उनकी आखिरी फिल्म 'सौदागर' रिलीज़ हुई थी। सौदागर की रिलीज़ के तीन साल बाद उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला। १९९७ में ही पाकिस्तान ने उन्हें निशान ए इम्तियाज़ से नवाज़ा। उसी साल भारत सरकार उन्हें पद्म विभूषण दे देती कुछ और बात होती। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। दिलीप कुमार २०११ से बीमार चल रहे हैं। उनकी हार्ट सर्जरी हो चुकी है। कहाँ नहीं जा सकता कि वह कितना सुन और समझ सकते हैं। ऐसे में दिलीप कुमार का सम्मान देर आयद तो लगता है, दुरुस्त आयद भी है यह उनके प्रशंसक या वह खुद ही बता सकते है।


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